बीएसए ने मांगी माफी... शिक्षिका को मिला दूसरा मातृत्व अवकाश, याचिका निस्तारित, निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को स्पष्ट सुसंगत आदेश पारित करने का दिया निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद के बीएसए की ओर से बिना शर्त माफी मांगने, अपनी गलती सुधारने और भविष्य में अदालत के आदेशों का पालन करने का वचन देने के बाद मातृत्व अवकाश से संबंधित याचिका निस्तारित कर दी।
अधिकारियों ने एक हलफनामा दायर कर अदालत को बताया कि याची किरण देवी का दूसरा मातृत्व अवकाश स्वीकृत कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा निदेशक, लखनऊ ने अदालत को सूचित किया कि बीएसए को न केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, बल्कि सभी बीएसए को एक परिपत्र भी जारी किया गया है।
सभी को कानूनी प्रावधानों, सरकारी आदेशों, विभागीय नियमों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट और सुसंगत आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है। इस हलफनामे के बाद अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने किरण देवी की याचिका पर दिया।
अदालत के निर्देश पर प्रताप सिंह बघेल (निदेशक बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश), सुरेंद्र प्रसाद तिवारी (सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज) और गौतम प्रसाद (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, फर्रुखाबाद) कोर्ट में उपस्थित हुए। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश ने हाजिरी माफी की अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दिया दूसरा मातृत्व अवकाश, प्रमुख सचिव, निदेशक, सचिव व बीएसए तलब
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद की शिक्षिका को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताई है। वहीं, आदेश का पालन न करने पर कोर्ट ने फर्रुखाबाद के बीएसए, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा विभाग, शिक्षा निदेशक (बेसिक), बेसिक शिक्षा निदेशालय, लखनऊ व उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड, प्रयागराज के सचिव को तलब किया है। कहा है कि 28 मई को दोपहर 12 बजे व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण दें।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने किरन देवी की याचिका पर दिया। याची के दूसरे मातृत्व अवकाश को बीएसए ने 'अनुमान्य नहीं' लिखकर बिना किसी विशिष्ट कारण के अस्वीकार कर दिया था। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को बीएसए के आदेश को रद्द कर दिया था। साथ ही मामले को संबंधित प्रतिवादी को वापस भेज दिया था, ताकि वह कानून के अनुसार एक नया आदेश पारित करे।
इसके बाद भी बीएसए ने उस आदेश का पालन नहीं किया। इसके खिलाफ याची ने दूसरी याचिका दाखिल की। याची अधिवक्ता मानवानंद चौरसिया ने दलील दी कि अधिकारी ने दूसरा मातृत्व अवकाश 180 दिन का न देकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। वहीं, प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने दलील दी कि विवादित आदेश जल्दबाजी में पारित हो गया है। कोर्ट ने मातृत्व अवकाश न देने पर कड़ी नाराजगी जता बीएसए सहित अन्य अधिकारियों को तलब किया है। रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
महिला कर्मचारी कभी भी ले सकती है दूसरा मातृत्व अवकाश
याची अधिवक्ता मानवानंद चौरसिया ने बताया कि प्रदेश व केंद्र की नौकरियों में कोई भी महिला कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान दो बार मातृत्व अवकाश 180-180 दिन कभी भी ले सकती हैं। राज्य के पहले के शासनादेश में दूसरा मातृत्व अवकाश दो साल के बाद ही लेने का प्रावधान था। लेकिन, वर्तमान में कोर्ट के आदेश पर राज्य ने अपने शासनादेश में संशोधन कर दिया है।
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