TET अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से RTE और NCTE कानूनों में संशोधन की मांग की
चेन्नई । सुप्रीम कोर्ट के उस महत्वपूर्ण फैसले के बाद, जिसमें कहा गया है कि सेवा में कार्यरत वे सभी शिक्षक जिन्होंने अब तक शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास नहीं की है, उन्हें सेवा जारी रखने के लिए दो वर्ष के भीतर TET अनिवार्य रूप से पास करना होगा—तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि RTE अधिनियम, 2009 और NCTE अधिनियम, 1993 में आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि 23 अगस्त 2010 को सेवा में मौजूद शिक्षकों को संरक्षित किया जा सके।
पूर्वलाभ समाप्त होने से पैदा हुई समस्या
स्टालिन ने कहा कि NCTE ने शुरू में 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को नए योग्यता मानकों—जैसे TET—से छूट दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नई व्याख्या के बाद यह छूट समाप्त हो गई है। इससे लाखों शिक्षकों पर TET अनिवार्य हो गया है, और नियमों में यह बदलाव उनके सेवा अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
उन्होंने बताया कि इस अचानक और पूर्वव्यापी नियम-प्रवर्तन से लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों के अधिकार प्रभावित होंगे, जो अपने समय के नियमों के अनुसार पात्र और योग्य थे।
दो वर्ष में TET न देने पर नौकरी जाएगी
फैसले के अनुसार अब इन शिक्षकों को दो वर्ष में TET पास करना अनिवार्य होगा, अन्यथा नौकरी समाप्त हो सकती है। इससे भारी प्रशासनिक दबाव और व्यक्तिगत कठिनाइयाँ पैदा होंगी।
स्टालिन ने कहा कि लाखों शिक्षकों को बदलना किसी भी राज्य के लिए व्यावहारिक नहीं है, विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में जहाँ योग्य उम्मीदवारों की उपलब्धता पहले ही सीमित है।
प्रमोशन और करियर पर बड़ा प्रभाव
उन्होंने आगाह किया कि नियुक्ति के वर्षों बाद अचानक योग्यता की नई शर्तें लागू करने से शिक्षकों के प्रमोशन के अवसर बाधित होंगे, जो उनकी वैध अपेक्षाओं और सेवा संतुलन के विपरीत है।
स्टालिन ने प्रधानमंत्री से इस “अत्यंत जरूरी और राष्ट्रीय महत्व” के मुद्दे पर तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता बनी रहे और लाखों शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
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