कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण की मांग की अनदेखी पर हाईकोर्ट हैरान, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को किया तलब
अगली सुनवाई 25 को, अधिकारियों का सुझाव, याची पारस्परिक स्थानांतरण को कर सकती है आनलाइन आवेदन
प्रयागराज । कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण के संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के जवाच पर असंतोष व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई पर उपस्थित हौने का निर्देश दिया है। कोर्ट 25 नवंबर को फिर यह मामला सुनेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाहजापुर की कल्पना शमां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। हाई कोर्ट के पूर्व आदेश पर सचिव ने हलफनामा दाखिल किया था जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं था।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कैंसर पीड़ित याची (सहायक अध्यापिका) के स्थानांतरण अभ्यावेदन को अस्वीकार करने वाले सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आचरण पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने प्रकरण में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा, यह हैरानी वाली बात है कि तकनीकी आधार पर शिक्षिका का अनुरोध खारिज कर दिया।
याची की मांग खारिज करने का आधार यह लिया गया है कि जिस संस्थान में वह कार्यरत है, वहां केवल दी शिक्षक हैं और राज्य सरकार की नीति के अनुसार किसी स्कूल में न्यूनतम 36 छात्र हैं ती तीन शिक्षक होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, रोजाना उन्हें ऐसे मामलों से निपटना पड़ रहा है, जहां 36 से अधिक छात्र हैं और केवल एक शिक्षक है। याची अगस्त, 2015 में प्रारंभिक नियुक्ति के बाद से शाहजहांपुर स्थित जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापिका (विज्ञान) के रूप में नियुक्त हैं।
कैंसर पीड़ित याची की सर्जरी हुई है और गाजियाबाद स्थित मैक्स कैंसर सेंटर में कीमोथेरेपी हो रही हैं। उनहोंने पूर्व में गाचिका दाखिल कर शाहजहांपुर में काम करने में आ रही कठिनाइयों का हवाला दिया था। कहा था कि इलाज गाजियाबाद में हो रहा है और परिवार व पति कहीं हैं, जो उनके कार्यस्थल से लगभग 320 किमी दूर है। कोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में याचिका निस्तारित करते हुए प्राधिकारियों को याची के अभ्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
इस आदेश के बावजूद सचिव ने आग्रह खारिज कर दिया। इसलिए कल्पना ने फिर उच्च न्यायालय का रुख किया। अधिकारियों ने सुशव दिया है कि याची पारस्परिक स्थानांतरण के लिए आनलाइन आवेदन कर सकती है। इस अस्वीकृति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कोर्ट ने सचिव से जवाब दाखिल करने या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा था।
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