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Monday, March 31, 2025

माध्यमिक के अधिकारियों-कर्मियों का होगा मेरिट आधारित तबादला, मानव संपदा पोर्टल पर भी डाटा करना होगा अपडेट

उत्तर प्रदेश शासन ने तय किया माध्यमिक शिक्षा विभाग में अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले का फॉर्मूला

माध्यमिक के अधिकारियों-कर्मियों का होगा मेरिट आधारित तबादला, मानव संपदा पोर्टल पर भी डाटा करना होगा अपडेट

31 मार्च तक मेरिट निर्धारित करने का दिया निर्देश


लखनऊ। शासन के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के भी अधिकारियों-कर्मचारियों का मेरिट आधारित तबादला किया जाएगा। जून में होने वाले तबादले को देखते हुए विभाग ने 31 मार्च तक मेरिट निर्धारित करने व मानव संपदा पोर्टल पर डाटा अपडेट करने का निर्देश दिया है।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने निर्देश दिया है कि समूह क, ख, ग व घ के सभी कर्मचारियों की वार्षिक प्रविष्टि मानव संपदा पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज की जाए। इसके लिए आवश्यक वर्क फ्लो 30 अप्रैल तक अनिवार्य रूप से जनरेट किया जाए। अधिकारियों, कर्मचारियों व शिक्षकों की गोपनीय आख्या अप्रैल के पहले सप्ताह में अनिवार्य रूप से पूरी की जाए।


उन्होंने कहा है कि इन सभी की वार्षिक प्रविष्टि मानव संपदा पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज की जाए। अधिकारियों-कर्मचारियों के चिह्निकरण व मेरिट निर्धारित करने की प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी की जाए।

 महानिदेशक ने कहा है कि पूर्व में दिए गए निर्देश के बाद भी मानव संपदा पोर्टल पर डाटा अपलोड व त्रुटिरहित करने के लिए पहले भी कहा गया है। इसके बाद भी इसमें कमियां मिलती हैं। इसे समय से ठीक किया जाए। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारी का उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।

UP Free Scooty Yojana 2025: उच्च शिक्षा अध्ययनरत छात्राओं के लिए योगी सरकार की मुफ्त स्कूटी योजना, शिक्षा विभाग तैयारी में जुटा

UP Free Scooty Yojana 2025: उच्च शिक्षा अध्ययनरत छात्राओं के लिए योगी सरकार की मुफ्त स्कूटी योजना, शिक्षा विभाग तैयारी में जुटा


UP government scheme: उत्तर प्रदेश की लड़कियों को शिक्षा कि दिशा में आगे बढ़ने के लिए कई तरह से  काम कर रही है. इसी के तहत यूपी की योगी सरकार छात्राओं व युवतियों स्कूटी देकर उनको पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाली है. सरकार ग्रेजुएशन में अच्छे नंबर लाने वाली छात्राओं को फ्री में स्कूटी देगी. सरकार की ओर से छात्राओं को स्कूटर देने की योजना की घोषणा प्रदेश के बजट में की गई थी.

इन नियमों के तहत ग्रेजुएशन के पहले  साल में अच्छे अंक लाने वाली छात्राओं को स्कूटर दिया जाएगा, जिससे आगे की पढ़ाई में उनको आवागमन में कोई दिक्कत न हो.इसे लेकर उच्च शिक्षा विभाग अब नियमावली तैयार करने में जुट गया है. 


उच्च शिक्षा की छात्राओं के लिए प्रोत्साहन योजना
पहले प्राथमिक और माध्यमिक क्लास की छात्रों को प्रोत्साहन दिया जाता रहा है. बजट के आवंटन में भी इन्ही पर फोकस होता था. अब बड़ी क्लास की छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है. बड़ी क्लासों की युवतियों को अच्छे नंबर लाने के लिए प्रेरित किया जाने का प्रयास है. गर्ल्स स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूटर देने  का नियम बनाया जा रहा है. जिससे ज्यादा से ज्यादा छात्राएं उच्चशिक्षित हों और उनमें शिक्षा को लेकर प्रतिस्पर्धा बढे़गी तो गुणवत्ता बढे़.


कितनी रकम खर्च होगी
 प्रदेश सरकार की स्कूटर योजना में 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसे लेकर उत्तर प्रदेश के बजट में प्रावधान किया गया है. हालांकि प्रदेश में उच्च शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान योजना के तहत 600 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है.


ये भी रखना होगा ध्यान
यूपी में हाईस्कूल पास करने की न्यूनतम उम्र सीमा 14 साल है, जबकि इंटरमीडिएट की 16 साल है. उत्तर प्रदेश में ड्राईविंग लाईसेंस बनवाने की उम्र सीमा सामान्य ड्राइविंग लाइसेंस के लिए न्यूनतम 18 वर्ष लेकिन 50 सीसी से कम क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के लिए 16 वर्ष निर्धारित है. इस लिहाज से भी स्नातक छात्राओं को स्कूटर देने के नियम बनाए जा रहे हैं.


यूपी में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थिति

राजकीय महाविद्यालय,172
शासकीय सहायता प्राप्त,331
निजी महाविद्यालय,7372
कुल विश्वविद्यालय,52
राज्य विश्वविद्यालय,20
केंद्रीय विश्वविद्यालय,6
स्नातक स्तरीय सरकारी कॉलेज,95

पदोन्नत शिक्षक कार्यभार ग्रहण करने से पहले ही हो जाएंगे सेवानिवृत्त, 383 पदोन्नत शिक्षकों की स्कूलों में की गई थी तैनाती

पदोन्नत शिक्षक कार्यभार ग्रहण करने से पहले ही हो जाएंगे सेवानिवृत्त, 383 पदोन्नत शिक्षकों की स्कूलों में की गई थी तैनाती

32 शिक्षक-शिक्षिकाएं सेवानिवृत्त हो जाएंगे

केस 1
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सिंहपुर कछार कानपुर नगर की प्रवक्त्ता डॉ. सुमित्रा शर्मा (03 जनवरी 1965) का पदस्थापन राजकीय हाईस्कूल मुड़ियान बुजुर्ग कन्नौज में हेडमास्टर के पद पर हुआ है। लेकिन उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया।

केस 2
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज आगरा की प्रवक्ता डॉ. लक्ष्मी पंत (05 फरवरी 1965) की तैनाती 375 किलोमीटर दूर राजकीय हाईस्कूल तेलियर लखीमपुर खीरी में बतौर हेडमास्टर हुई।। । एक दिन में एक जिले से रिलीव होकर दूसरे जिले में कार्यभार ग्रहण मुमकिन नहीं होने के कारण वह नहीं गई।


प्रयागराज। राजकीय हाईस्कूल और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक या प्रधानाध्यापिका और राजकीय इंटर कॉलेजों में उप प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के कई शिक्षक कार्यभार ग्रहण करने से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। 

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने शुक्रवार देर शाम 383 शिक्षकों के पदस्थान का आदेश जारी किया है। तैनाती पाने वाले शिक्षकों में महिला शाखा से 17 और पुरुष शाखा से 15 कुल 32 ऐसे हैं, जिनकी सेवानिवृत्ति 31 मार्च को है। राजकीय विद्यालयों में सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष है और इन शिक्षकों का जन्म 31 मार्च 1965 से पहले या एक अप्रैल 1964 के बाद हुआ है।

इनके पास तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए सिर्फ शनिवार का ही वक्त था। स्कूलों में रविवार को बंदी रहती है और सोमवार को ईद का अवकाश है। ऐसे में कई शिक्षक पदस्थापित स्कूल में कार्यभार ग्रहण नहीं कर सके। कार्यभार ग्रहण नहीं करने के कारण उन्हें एक इंक्रीमेंट भी नहीं मिलेगा। अब इन शिक्षकों को अपना हक यानि इंक्रीमेंट पाने के लिए चक्कर लगाने होंगे, नियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है इसलिए संभव है कि शिक्षक कोर्ट भी जाएं, क्योंकि इनमें इनकी कोई गलती नहीं है। 

इन शिक्षकों की पदोन्नति के लिए विभागीय चयन समिति की बैठक 11 दिसंबर 2024 को माध्यमिक शिक्षा निदेशक के कैंप कार्यालय लखनऊ में हुई थी। इनका पदोन्नति आदेश तीन महीने बाद 12 मार्च 2025 को जारी हुआ और 25-26 मार्च को ऑनलाइन विकल्प लेने के बाद 28 मार्च को पदस्थापन यानि स्कूलों में तैनाती का आदेश जारी हुआ। यदि समय से पदोन्नति सूची जारी हो जाती तो शायद ये नौबत नहीं आती। 


अधीनस्थ राजपत्रित पदों पर सभी पदोन्नति प्राप्त शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को नए पद की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। विभाग को पदोन्नति प्रत्येक वर्ष रिक्ति के सापेक्ष सत्र के शुरुआत में करके पदस्थापन कर देना चाहिए। जिससे शिक्षक अपनी सेवा में पद प्राप्त कर वेतनवृद्धि का आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर सकें। सत्र के अंतिम दिन पदस्थापना से अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएं कार्यभार ग्रहण नहीं कर सकते हैं, जिसका उन्हें जीवनभर पछतावा रहेगा। -डॉ. रवि भूषण, महामंत्री राजकीय शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश




तीन साल बाद राजकीय इंटर कॉलेजों को मिले 383 स्थायी प्रधानाचार्य, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को पदोन्नति देकर दी तैनाती

विभाग ने तत्काल कार्यभार ग्रहण करने के दिए निर्देश

लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग में लगभग तीन साल बाद 383 राजकीय इंटर कॉलेजों को स्थायी प्रधानाचार्य मिले हैं। इसमें 292 बालिका राजकीय इंटर कॉलेज हैं। विभाग ने इनको तत्काल कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं।


विभाग ने हाल ही में इंटर कॉलेज के लेक्चरर व असिस्टेंट टीचरों को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति दी गई है। इसी क्रम में पदोन्नति पाने वाले इन सभी 383 शिक्षकों को विद्यालय आवंटित कर दिए गए हैं। ये वे विद्यालय हैं, जहां पर अब तक प्रभारी शिक्षक कामकाज देख रहे थे। जिन विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की तैनाती की गई है, उनमें 91 पुरुष शाखा व 292 महिला शाखा के हैं।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने इनका पदस्थापन आदेश जारी करते हुए कहा है कि वे तत्काल पदोन्नति वाले कॉलेजों में कार्यभार संभाल लें। जो शिक्षक पदोन्नति स्वीकार नहीं करते हैं, वे इसकी लिखित सूचना 30 दिन में शिक्षा निदेशालय को दें। 

नए सत्र से 33 डिग्री कॉलेज हो जाएंगे बंद, विद्यार्थियों को दूसरे कॉलेजों में किया जाएगा शिफ्ट, तीन वर्षों से नहीं हो रहे थे दाखिले

नए सत्र से 33 डिग्री कॉलेज हो जाएंगे बंद, विद्यार्थियों को दूसरे कॉलेजों में किया जाएगा शिफ्ट, तीन वर्षों से नहीं हो रहे थे दाखिले

राज्य विवि ने वापस ली 33 महाविद्यालयों की संबद्धता


प्रयागराज। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ के 33 महाविद्यालयों की संबद्धता वापस ले ली गई है। इनमें तीन वर्षों से दाखिले नहीं हो रहे थे। ज्यादातर कॉलेजों में छात्रों की संख्या बहुत ही सीमित रह गई है और कुछ कॉलेजों में कोई भी छात्र अध्ययनरत नहीं है। यह मामला तब सामने आया, जब बीते दिनों एक कॉलेज को बंद करने के लिए वहां के प्रबंधन ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा।


इसमें कहा गया है कि एक भी छात्र न होने से अब कॉलेज का संचालन संभव नहीं रह गया है, इसलिए कॉलेज बंद करना पड़ रहा है। विवि प्रशासन ने इसकी जांच कराई तो प्रयागराज मंडल में राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध 703 कॉलेजों में से ऐसे 33 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय पाए गए, जहां तीन वर्षों से प्रवेश की प्रक्रिया लगभग ठप थी।

इन कॉलेजों का संचालन केवल कागजों में किया जा रहा था। ऐसे में विवि प्रशासन को इनकी संबद्धता वापस लेने का फैसला करना पड़ा। राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने बताया, इन कॉलेजों की संबद्धता वापस लेने के मामले में कार्य परिषद ने भी मुहर लगा दी है।

इन महाविद्यालयों में बीए, एमए जैसे परंपरागत पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा था। जिन महाविद्यालयों में बहुत ही सीमित संख्या में छात्र रह गए गए हैं, वहां के छात्रों को उनकी सुविधानुसार आसपास के दूसरे महाविद्यालयों में शिफ्ट किया जाएगा।

कुलपति ने बताया कि ज्यादातर महाविद्यालयों में तीन वर्षों से कोई प्रवेश ही नहीं हुआ है। ऐसे में महाविद्यालयों के बंद होने की नौबत आ गई है। यही वजह है कि इन महाविद्यालयों की संबद्धता वापस लेने का निर्णय हुआ है। ये महाविद्यालय सत्र 2025-26 से दाखिले नहीं ले सकेंगे। अगर किसी महाविद्यालयों को संबद्धता वापस चाहिए तो कॉलेज प्रबंधन को नए सिरे से आवेदन करना होगा।

साल के अंत में भेज दी ग्रांट, कैसे खर्च करें स्कूल? अब खर्च करने के लिए समय ही नहीं, पूरे साल छोटे-छोटे काम के लिए मोहताज रहे

प्रदेश के बेसिक स्कूलों का हाल, शिक्षक और SMC परेशान

साल के अंत में भेज दी ग्रांट, कैसे खर्च करें स्कूल? अब खर्च करने के लिए समय ही नहीं, पूरे साल छोटे-छोटे काम के लिए मोहताज रहे


लखनऊ के माल ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय हरानापुर में केस कंपोजिट ग्रांट की कुछ राशि फुटकर में आती रही। सालभर 1 में करीब ₹40 हजार फुटकर में भेजे गए। बची हुई ग्रांट करीब एक लाख रुपये अचानक अब मार्च के अंत में भेज दी गई। वित्तीय वर्ष खत्म होने वाला है, तब अलग-अलग मदों में यह राशि भेजी गई।

लखनऊ के काकोरी ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय भरोसा में भी सालभर केस में मामूली ग्रांट आई। विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) को साल भर मामूली कामों के लिए ग्रांट का इंतजार रहा। अब अचानक डेढ़ लाख रुपये की ग्रांट अचानक भेज दी गई है।


लखनऊ ये दो उदाहरण तो केवल बानगी मात्र है। प्रदेशभर में यह हाल सभी स्कूलों का है। ज्यादातर स्कूलों में कुल राशि का एक बड़ा हिस्सा 20 मार्च के बाद भेजा गया है। स्कूलों का नया सत्र और वित्तीय वर्ष दोनों एक अप्रैल से शुरू हो जाते हैं। स्कूलों को 25% कंपोजिट ग्रांट सितंबर में भेजी गई। इसके अलावा खेलकूद, आंगनबाड़ी, एसएमसी प्रशिक्षण, ईको क्लब और आत्मरक्षा प्रशिक्षण सहित कई मदों में राशि भेजी जाती है। इन मदों में भी कुछ का पैसा समय-समय पर भेजा गया। अब बची हुई राशि मार्च में भेज दी गई है। 

प्रदेशभर के सभी स्कूलों में प्रबंधन समिति से जुड़े लोग परेशान हैं कि वे 31 मार्च तक कैसे खर्च करेंगे। उसके बाद यह राशि लैप्स हो जाएगी।


शिक्षक परेशान : शिक्षकों का कहना है है कि मार्च अंत में राशि भेजी गई है। अब यदि कोई काम करवाना है तो उसे चेक दिया जाएगा। वह चेक क्लियर होने में भी वक्त लगेगा। कोई भी काम कराने के लिए भी वक्त चाहिए। ऐसे में 31 मार्च से पहले राशि खर्च करके उपभोग प्रमाण पत्र कैसे दें? 

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि सालभर स्कूल छोटे-छोटे काम के लिए मोहताज होते हैं। अब अचानक राशि भेजने से वह भी लैप्स हो जाएगी। अफसरों की इसी कार्यशैली से स्कूल बदहाल होते जा रहे हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह भी कहते हैं कि पूरे साल में बहुत वक्त होता है। समय पर राशि भेज दी जाए तो स्कूलों में बेहतर काम हो सकेंगे।

पूरा बजट अभी नहीं भेजा गया भेजी गई है। यह राशि 10 दिन में आसानी से खर्च हो जाती। संभावना यह है कि ज्यादातर राशि खर्च भी हो गई होगी। - कंचन वर्मा, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा


लेटलतीफी की वजह क्या?

यह पूरा मामला अफसरों की लापरवाही से जुड़ा है। जब अप्रैल में नया सत्र शुरू हो जाता है और प्रदेश सरकार भी सभी विभागों को काफी पहले बजट जारी कर देती है। अब मार्च में बड़े अफसरों पर भी दबाव होता है कि वे इसी वित्तीय वर्ष में बजट खर्च करें। ऐसे में वे अपने ऊपर जिम्मेदारी लेने की बजाय नीचे थोप देते है। वे मार्च अंत में राशि भेजकर कागजी खानापूरी कर लेते हैं। इसका सीधा नुकसान स्कूल और उनमें पढ़ने वाले बच्चों को होता है।



PPA के फेर में फंसे बेसिक शिक्षक, चूके तो अपनी जेब से भरने पड़ रहे रुपए, वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले बजट भेजने से PFMS बन रही मुसीबत का सबब

लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को प्लानिंग, प्रिपरेशन, असेसमेंट (पीपीए) को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साल भर तक सरकारी सहायता राशि रोककर रखने वाले विभाग द्वारा मार्च महीने में वित्तीय वर्ष की समाप्ति से महज कुछ दिन पहले धनराशि भेजी जाती है और उसे निर्धारित समय में पीपीए जैसी एक तकनीकी प्रक्रिया द्वारा बैंक के सहयोग से पूरा करना होता है। यह प्रक्रिया टीचरों के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है। जिसमें कई बार पीपीए फेल होने पर टीचरों को विकास कार्यों का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ जाता है।


मालूम हो कि बीते कुछ वर्षों से सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में विद्यालय विकास अनुदान और अन्य खर्चों के भुगतान की नई प्रक्रिया विकसित की है। इस ऑनलाइन प्रक्रिया में सरकारी प्लेटफॉर्म पर जाकर भुगतान के विवरण सहित अप्लाई करना होता है। 


इसके बाद एक पीपीए जेनरेट होता है। इस पीपीए को बैंक में जमा करना होता है। इसके बाद बैंक निर्धारित पार्टियों को भुगतान करता है। पीपीए के जनरेट होने से भुगतान पूरा होने तक की प्रक्रिया में अधिकतम दस दिन का समय मिलता है। इस समय के दौरान यदि पीपीए जेनरेट करने और बैंक से भुगतान करा पाने में सफल नहीं हो पाते हैं तो वित्तीय वर्ष समाप्त हो जाने का कारण बताकर पूरी धनराशि वापस सरकारी खाते में चली जाती है। इसके बाद टीचर के पास हाथ मलने के सिवाय कुछ नहीं रह जाता है। इसके बाद टीचर और विभाग के बीच केवल पत्राचार का दौर चलता है। जिसका परिणाम कुछ नहीं नहीं निकलता।

Sunday, March 30, 2025

अब स्नातक की पढ़ाई में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य, यूजीसी ने रोजगार से जोड़ने को पहली अप्रेंटिसशिप गाइडलाइन तैयार की

अब स्नातक की पढ़ाई में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य,  यूजीसी ने रोजगार से जोड़ने को पहली अप्रेंटिसशिप गाइडलाइन तैयार की


नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्नातक विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से अप्रेंटिसशिप करनी होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्नातक शिक्षा में सभी विश्वविद्यालयों को इसे लागू करना होगा। इसमें छात्रों को उद्योगों में रोजगार के लिए तैयार करना, संस्थान व उद्योग के बीच तालमेल बढ़ाने और कौशल की कमी दूर करने के लिए काम करना होगा।

नए दिशा-निर्देश के तहत तीन वर्षीय डिग्री में एक से तीन सेमेस्टर और चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में दो से चार सेमेस्टर अप्रेंटिसशिप के रहेंगे। तीन महीने की अप्रेंटिसशिप में विद्यार्थियों को 10 क्रेडिट स्कोर भी मिलेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की उच्चस्तरीय समिति ने अप्रेंटिसशिप गाइडलाइन तैयार की हैं।

उच्च शिक्षण संस्थान उद्योगों में मौजूद सुविधाओं के आधार पर अप्रेंटिसशिप की सीट तय कर सकेंगे। संस्थानों को अप्रेंटिसशिप के लिए सीधे राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना के पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। इसके लिए उद्योग और केंद्र सरकार से स्टाइपेंड भी मिलेगी।


मार्कशीट पर अप्रेंटिसशिप व क्रेडिट लिखना अनिवार्य :
 दिशा-निर्देशों के तहत अब विद्यार्थियों की मार्कशीट पर अप्रेंटिसशिप व क्रेडिट स्कोर की जानकारी लिखकर देनी होगी। अप्रेंटिसिशिप कराने की जिम्मेदारी संबंधित संस्थान की होगी। पहले सेमेस्टर में अप्रेंटिसशिप नहीं होगी, लेकिन आखिरी सेमेस्टर में अनिवार्य रहेगी।

कंपोजिट व अन्य ग्रांट का 50% बजट मई में जारी किया जाए, PSPSA ने अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर उठाई मांग

कंपोजिट व अन्य ग्रांट का 50% बजट मई में जारी किया जाए, PSPSA ने अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर उठाई मांग

बजट खर्च करने में आने वाली समस्याओं से अवगत कराया


लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन (पाप्सा) ने प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के लिए जारी की जाने वाली कंपोजिट ग्रांट, खेलकूद, पुस्तकालय व अन्य ग्रांट के खर्च में आने वाली समस्याओं की तरफ विभाग का ध्यान आकृष्ट किया है। साथ ही मई में ही इस ग्रांट का 50 फीसदी बजट जारी करने की मांग की है।

बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर उन्होंने कहा कि है विद्यालयों के विकास व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एक तरफ यह ग्रांट बहुत देर से भेजी जाती है। जिला परियोजना कार्यालय व बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से यह नवंबर व मार्च के पहले सप्ताह में मिली है। कुछ ग्रांट तो मार्च के अंतिम सप्ताह के कुछ दिन पूर्व मिलती हैं।

संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि इसकी वजह से इसके खर्च में काफी दिक्कत आती है। कई बार यह राशि खर्च नहीं हो पाती है। उन्होंने यह भी कहा है कि इन ग्रांट का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से विक्रेताओं को वेंडर बनाकर किया जाता है। इसके लिए सिर्फ एक बैंक की शाखा में विद्यालय प्रबंध समिति के खाते खोले गए हैं। इससे भी कई बार दिक्कत हो रही है। क्योंकि मार्च के अंत में बैंक पर भी काफी दबाव होता है।

ऐसे में शैक्षिक सत्र शुरू होने के दूसरे माह मई में ग्रांट की 50 फीसदी राशि की पहली किस्त व अक्तूबर में शेष राशि विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में स्थानांतरित की जाए ताकि समय सभी ग्रांट का सदुपयोग शिक्षक कर सकें।


Saturday, March 29, 2025

प्रदेश के सभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को मिलेंगे एक-एक टैबलेट

प्रदेश के सभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को मिलेंगे एक-एक टैबलेट

कम पड़ रही राशि को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन दी गई मंजूरी


लखनऊ। प्रदेश के सभी 2204 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को एक-एक टैबलेट दिया जाएगा। इसके लिए प्रति विद्यालय 10 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। यह राशि कम पड़ रही थी, जिसके लिए 62.65 लाख रुपये और जारी करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने बाई सर्कुलेशन मंजूरी दी गई है।


इससे माध्यमिक विद्यालयों में भी डिजिटल कामकाज को बढ़ावा देने व सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहयोग मिलेगा। प्रदेश में यह व्यवस्था पहली बार लागू की जा रही है। इसके तहत पिछले साल प्रोजेक्ट एडवायजरी बोर्ड (पीएबी) में 2.20 करोड़ की स्वीकृति की गई थी। इसमें कम पड़ रही राशि स्वीकृत होने से यूपी डेस्को इसकी जल्द खरीद की प्रक्रिया पूरी करेगा। 

हाईस्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने की राह आसान करेगी शिक्षक संदर्शिका

हाईस्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने की राह आसान करेगी शिक्षक संदर्शिका


प्रयागराज : यूपी बोर्ड के कक्षा नौ व 10 के विद्यार्थियों को अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिए आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान ने विशेषज्ञों के सहयोग से शिक्षक संदर्शिका तैयार की है। इसके माध्यम से अंग्रेजी के शिक्षक विद्यालयों में विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से पढ़ा सकेंगे। इसे विशेष रूप से पहले राजकीय के कक्षा नौ व 10 में अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए तैयार किया गया, लेकिन नए सत्र से कक्षा नौ व 10 के एडेड विद्यालयों में भी लागू किया जाएगा। 


इसके माध्यम से अंग्रेजी विषय के शिक्षक विद्यालयों में पाठ्यपुस्तक के पाठ योजना के साथ-साथ पत्र लेखन, निबंध लेखन आदि को रोचक तरीके से पढ़ा और समझा सकेंगे। कक्षा नौ के लिए 108 पेज की शिक्षक संदर्शिका तैयार की गई है, जबकि कक्षा 10 के शिक्षकों के लिए तैयार की गई संदर्शिका 104 पेज की है। ईएलटीआइ के प्राचार्य स्कंद शुक्ल के निर्देशन में तैयार की गई संदर्शिका के अनुरूप विद्यालयों में शिक्षण कार्य को राजकीय शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में यूपी बोर्ड परीक्षा सम्बंधित यात्रा व्यय तथा पारिश्रमिक भुगतान हेतु आवंटित बजट के सापेक्ष व्यय 90 प्रतिशत से कम किये जाने के संबंध में जवाब तलब

वित्तीय वर्ष 2024-25 में यूपी बोर्ड परीक्षा सम्बंधित यात्रा व्यय तथा पारिश्रमिक भुगतान हेतु आवंटित बजट के सापेक्ष व्यय 90 प्रतिशत से कम किये जाने के संबंध में जवाब तलब


अवगत कराना है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 समाप्ति में मात्र 03 दिन ही शेष हैं, किन्तु आप द्वारा बोर्ड परीक्षा से संबंधित यात्रा व्यय एवं मूल्यांकन कार्य तथा कक्ष निरीक्षकों के पारिश्रमिक इत्यादि हेतु माँग के अनुसार आवंटित बजट के सापेक्ष 90 प्रतिशत से भी कम व्यय किया गया है।

आपको निर्देशित किया जाता है इस विलम्ब हेतु उत्तरदायी कार्मिकों का स्पष्टीकरण प्राप्त करें तथा अवशेष धनराशि का तत्काल उपभोग सुनिश्चित करायें अन्यथा की स्थिति में आपका दायित्व निर्धारण करते हुए अग्रेत्तर कार्यवाही की जायेगी।




परिषदीय विद्यालयों में अभी भी लागू टाइम एंड मोशन व्यवस्था समाप्त करने की मांग

टाइम एंड मोशन व्यवस्था को समाप्त करने की मांग

▶ टाइम एंड मोशन व्यवस्था को समाप्त करने की मांग ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र


लखनऊ उत्तर प्रदेशीयbजूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ न ने राज्य सरकार से कोरोना काल में परिषदीय विद्यालयों में लागू टाइम एंड मोशन व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की है। संघ ने इस संबंध में प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा को एक पत्र लिखा है।

संघ के प्रांतीय महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने अपना संचालन समय बदलकर पहले जैसा कर लिया है, लेकिन परिषदीय विद्यालयों में अभी भी टाइम एंड मोशन व्यवस्था लागू है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकाल में विद्यालय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलते हैं, जबकि पहले यह सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक था।

शिक्षकों ने यह भी कहा कि टाइम एंड मोशन के तहत, उन्हें अगले दिन की शिक्षण योजना तैयार करने के लिए शिक्षण कार्य के बाद 30 मिनट तक विद्यालय में रोका जाता है, जो अव्यावहारिक और सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह काम शिक्षकों द्वारा घर पर किया जाता है।


टाइम एंड मोशन व्यवस्था क्या है
कोरोना काल में, जबसभी शैक्षणिक संस्थान बंद थे, तो बच्चों में सीखने की कमी आ गई थी। इस कमी को दूर करने के लिए, राज्य सरकार ने टाइम एंड मोशन व्यवस्था लागू की। इस व्यवस्था के तहत, विद्यालयों के संचालन समय और शिक्षण अवधि में वृद्धि की गई।


परीक्षाफल के संबंध में निर्णय लेने के लिए नकलची छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाएगा यूपी बोर्ड

परीक्षाफल के संबंध में निर्णय लेने के लिए नकलची छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाएगा यूपी बोर्ड


प्रयागराजः यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य अंतिम चरण में है। नकल करने के आरोप में पकड़े गए परीक्षार्थियों को दी गई दूसरी उत्तरपुस्तिका का यूपी बोर्ड ने मूल्यांकन तो कराया है, लेकिन नकल मामले की जांच/पूछताछ के बाद ही संबंधित परीक्षार्थी के परीक्षाफल के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। परीक्षा के दौरान अलग-अलग जिलों के केंद्रों पर 30 


परीक्षार्थियों को नकल करते पकड़ा गया था। इसमें छात्र और छात्राएं दोनों हैं। नकल सामग्री को उत्तरपुस्तिका के साथ संलग्न कर उसे अलग से सील कर जमा किया गया था। उसके बाद प्रश्नपत्र हल करने के लिए दूसरी उत्तरपुस्तिका दी गई थी, जिस पर परीक्षार्थियों ने बचे हुए समय में उत्तर लिखे। सचिव भगवती सिंह ने ऐसे परीक्षार्थियों के अनुक्रमांक संबंधित मूल्यांकन केंद्र को भेजकर दूसरी उत्तरपुस्तिकाओं का अलग से मूल्यांकन कराया है।


 इन परीक्षार्थियों के साथ-साथ संबंधित केंद्र व्यवस्थापक एवं नकल पकड़ने वाले कक्ष निरीक्षक को बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों के आक्षेप सेल में पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। इसमें नामित अधिकारी संबंधित से पूछताछ कर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेंगे।

Friday, March 28, 2025

यूपी बोर्ड का रिजल्ट अप्रैल के अंतिम हफ्ते में संभावित, छूटे परीक्षार्थियों के प्रैक्टिकल सात और आठ अप्रैल को

यूपी बोर्ड का रिजल्ट अप्रैल के अंतिम हफ्ते में संभावित, छूटे परीक्षार्थियों के प्रैक्टिकल सात और आठ अप्रैल को
 

नौ दिन में 85 फीसदी से अधिक कॉपियों का मूल्यांकन

निर्धारित तिथि दो अप्रैल से पहले पूरा हो सकता है यह कार्य


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का रिजल्ट अप्रैल के अंतिम हफ्ते में संभावित है। अब तक 85.65 फीसदी कॉपियों का मूल्यांकन पूरा किया जा चुका है। 30 मार्च या इससे पहले सभी कॉपियों का मूल्यांकन पूरा होने की उम्मीद है, जबकि इसके लिए दो अप्रैल तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कॉपियों के मूल्यांकन के लिए नियुक्त परीक्षकों की उपस्थिति भी तेजी से बढ़ी है। मूल्यांकन के लिए 1,41,51 परीक्षा की ड्यूटी लगाई गई है, जिनमें से 1,20,041 परीक्षक बृहस्पतिवार को उपस्थित रहे। बोर्ड ने 19 मार्च से कॉपियों का मूल्यांकन शुरू कराया था।


पंद्रह दिनों में 3,01,48,236 कॉपियों को जांचने का लक्ष्य है, जिनमें से 2,58,19,776 कॉपियों को मूल्यांकन अब तक पूरा किया जा चुका है। इनमें हाईस्कूल की 1,45,66,163 और इंटरमीडिएट की 1,12,53,613 कॉपियां शामिल हैं।

वहीं, बृहस्पतिवार को एक दिन में 17,32,852 कॉपियों का मूल्यांकन किया गया। इनमें हाईस्कूल की 7,43,602 व इंटरमीडिएट की 9,89,250 कॉपियां हैं। बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि कॉपियों का मूल्यांकन जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में परिणाम संभावित है। 


छूटे परीक्षार्थियों के प्रैक्टिकल सात और आठ अप्रैल को 

यूपी बोर्ड ने वर्ष- 2025 की इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाओं में शामिल होने से वंचित रह गए छात्र-छात्राओं के लिए सात और आठ अप्रैल को अलग से प्रयोगात्मक परीक्षा कराने का निर्णय लिया है। 

बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने पूर्व की भांति यह परीक्षाएं भी सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में क्षेत्रीय कार्यालय से नियुक्त परीक्षकों द्वारा कराने के निर्देश दिए हैं। अगर किसी विद्यालय के सभी परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षा छूटी हो तो परीक्षा उनके ही विद्यालय में और एकल रूप से कहीं-कहीं छूटे हुए परीक्षार्थियों की परीक्षा जिला विद्यालय निरीक्षक/क्षेत्रीय कार्यालयों की ओर से जिला मुख्यालय स्तर पर निर्धारित प्रयोगात्मक परीक्षा केंद्र में कराई जाएंगी। 

छूटे वंचित छात्र-छात्राएं अपने पंजीकृत विद्यालय/जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से संपर्क करके प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिए तय केंद्र/विद्यालय पर निर्धारित तिथि पर परीक्षा में शामिल हों। इसके बाद कोई अवसर नहीं किया जाएगा।

CBSE की चेतावनी! बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाएंगे स्कूल से 'गायब' छात्र, डमी स्कूलों पर भी कसेगा शिकंजा

CBSE की चेतावनी!  बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाएंगे स्कूल से 'गायब' छात्र, डमी स्कूलों पर भी कसेगा शिकंजा 


नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी स्कूलों’ में पढ़ने और प्रवेश लेने वाले छात्रों को चेतावनी दी है। सीबीएसई ने कहा है कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होंगे, उन्हें 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे छात्रों को परीक्षा के लिए पंजीकृत करने वाले स्कूलों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

सीबीएसई डमी स्कूलों के खिलाफ जारी कार्रवाई के तहत परीक्षा उपनियमों में बदलाव करने पर भी विचार कर रहा है। ऐसे छात्रों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से परीक्षा देनी होगी। यही नहीं, ‘डमी संस्कृति’ को बढ़ावा देने वाले या गैर-हाजिर छात्रों को प्रायोजित करने वाले विद्यालयों के खिलाफ बोर्ड की संबद्धता और परीक्षा उपनियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।


बता दें कि यह मुद्दा बोर्ड की हाल ही में हुई शासकीय बोर्ड बैठक में भी उठाया गया था। बैठक में यह सिफारिश की गई थी कि इस निर्णय को शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से लागू किया जाए। सीबीएसई के अधिकारी ने बताया कि नियमों के तहत बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।


अनुमति नहीं मिली तो एनआईओएस ही सहारा

बैठक में सामने आया है कि यदि सीबीएसई से अनुमति नहीं मिलती है तो ऐसे छात्र परीक्षा में बैठने के लिए एनआईओएस से संपर्क कर सकते हैं। बोर्ड केवल चिकित्सा, आपात स्थिति, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेलों में भागीदारी के मामले में ही 25 की छूट देता है। बोर्ड विचार कर रहा है कि जिन छात्रों की उपस्थिति अपेक्षित नहीं होगी, बोर्ड उनके प्रार्थना पत्र पर विचार नहीं करेगा।

आश्वासनों के बीच मानदेय बढ़ने के इंतजार में यूपी के 1.42 लाख शिक्षामित्र, मानदेय वृद्धि के अलावा इन मांगों पर भी हो विचार

आश्वासनों के बीच मानदेय बढ़ने के इंतजार में यूपी के 1.42 लाख शिक्षामित्र, मानदेय वृद्धि के अलावा इन मांगों पर भी हो विचार


लखनऊ। यूपी के प्राइमरी स्कूलों में तैनात 1.42 लाख शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। दूसरे बच्चों का भविष्य संवार रहे शिक्षामित्र 10 हजार रुपये मानदेय में अपने बच्चों की पढ़ाई, परिवार का पालन पोषण व उपचार का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। 20 से 25 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके 80 फीसदी शिक्षामित्र अधेड़ हो चुके हैं। उनका भविष्य असमंजस में हैं। सहायक शिक्षक बनने के बाद से दोबारा फिर उसी पद पर सेवाएं दे रहे शिक्षामित्र प्रदेश सरकार से मानदेय बढ़ाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय अफसर मानेदय बढ़ाने का आश्वासन दे चुके हैं। इन्हें अब उस पल का इंतजार है, कि कब सरकार बढ़े हुए मानदेय का ऐलान करे।


यूपी सरकार ने वर्ष 1999 में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये 2250 प्रति माह के मानदेय पर शिक्षामित्रों की भर्ती शुरू की। ग्राम प्रधान की संस्तुति पर शिक्षामित्रों की प्राइमरी स्कूलों में नियुक्त हुई। वर्ष 2009 तक पूरे प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्र सेवा में लिये गए। वर्ष 2004 में 150 रुपये मानदेय बढ़ाकर 2400 रुपये किया गया। वर्ष 2007 में प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर तीन हजार रुपये कर दिया।

वर्ष 2010 में शिक्षामित्रों ने मानदेय बढ़ाने को लेकर शहीद स्मारक के पास बड़ा आन्दोलन किया। उस समय 1.24 लाख शिक्षामित्र स्नातक थे। सरकार ने पहले बैच में 60 हजार और दूसरे चरण में करीब 92 हजार शिक्षामित्रों को दो वर्षीय प्रशिक्षण दिलाया। वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के पद समायोजन का शासनादेश जारी किया। प्रदेश भर के 1.37 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किये गए। इन्हें शिक्षकों के समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिलने लगी। 

एक वर्ष बाद 2015 में हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगा दी। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया। हालांकि कोर्ट ने सरकार को शिक्षकों की खुली भर्ती के जरिये लम्बे समय से सेवाएं दे रहे शिक्षामित्रों को सेवा अविधि के अनुसार तय अंक के भरांक के साथ चयन करने के निर्देश जारी किये। दो अलग-अलग शिक्षक भर्ती में करीब 15 हजार शिक्षामित्र ही शिक्षक बन पाए। बाकी के शिक्षामित्र के पद पर कार्य कर रहे हैं। आज कम मानदेय के कारण प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र तंगी में दिन गुजारने को मजबूर हैं। कई बार मांगों को लेकर प्रदर्शन के बाद भी इनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आ सका है।


कई स्कूल शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने से लेकर सारे काम निपटा रहे हैं। स्कूलों में परीक्षा व अन्य महत्वपूर्ण काम आने पर महिला शिक्षक सीसीएल व मेडिकल अवकाश ले लेते हैं। ऐसे में स्कूल में परीक्षा से लेकर अन्य कामों की जिम्मेदारी शिक्षामित्रों पर आ जाती है। फिर भी शिक्षामित्र बिना छुट्टी लिये जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन इनके मानदेय बढ़ाने पर अधिकारी चुप हैं।


आर्थिक तंगी से परेशान हो चुके हैं शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों के आगे 10 हजार रुपये के मानदेय में परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है। बढ़ती महंगाई में सारे शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इतने कम मानदेय में यह अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा भी नहीं पा रहे हैं। बीमार होने पर इलाज भी नहीं करा पा रहे। मानदेय बढ़ाने को लेकर विभागीय अधिकारी, मंत्री से लेकर शासन के अफसरों के यहां गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल सका है। 20 से 25 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षामित्रों का भविष्य अधर में है।


सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से 62 की जाए
शिक्षामित्रों का कहना है कि उनकी सेवा उम्र 60 साल है। साल में सिर्फ 11 छुट्टियां मिलती हैं। जबकि उसी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की सेवानिवृत्ति 62 वर्ष है। शिक्षकों को सीसीएल, मेडिकल लीव, सीएल आदि का अवकाश की सुविधा है। शिक्षामित्रों की मांग है कि उनकी सेवानिवृत्ति की आयु को 60 से बढ़ाकर 62 साल किया जाना चाहिए। इसके अलावा बीमार होने पर मेडिकल लीव समेत अन्य छुट्टियां दी जाएं। ताकि अवकाश लेने प्पर मानदेय की कटौती न होने पाए।

● मानदेय न बढ़ने से शिक्षामित्रों के आगे बढ़ी आर्थिक तंगी

● पदोन्नति का लाभ नहीं मिल रहा है। जिस पद पर भर्ती उसी पद से सेवानिवृत्ति।

● बीमार होने पर चिकित्सा अवकाश की सुविधा नहीं, छुट्टी लेने पर मानदेय काट लिया जाता है।

● किसी भी तरह का स्वास्थ्य बीमा नहीं, बीमारी में जेब पर पड़ता बोझ।

● जनवरी शीतकालीन और जून ग्रीष्मकालीन अवकाश में 15-15 दिन का मानदेय नहीं दिया जाता है।

● शिक्षक के समान योग्यता और टीईटी पास शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाए

● फिलहाल सरकार बढ़ा हुआ मानदेय जल्द लागू करे

● शिक्षामित्रों को भी शिक्षकों की तरह पदोन्नति की व्यवस्था की जाए

● पढ़ाई के अलावा दूसरे कामों से मुक्त किया जाए।

● छुट्टियां, चिकित्सा अवकाश और स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी जाए।


बीएलओ और परीक्षा ड्यूटी भी करते
शिक्षामित्रों से भी शिक्षकों की तरह सभी काम लिये जा रहे हैं। शिक्षामित्र बच्चों को पढ़ाने के साथ, बीएलओ ड्यूटी, बोर्ड परीक्षा और हाउस होल्ड सर्वे से लेकर अन्य विभागीय कामकाज में हाथ बंटा रहे हैं। कई स्कूलों में शिक्षामित्र ही बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह बच्चों और स्कूल को निपुण बनाने में सहयोग दे रहे हैं फिर भी इनके भविष्य के बारे में कोई नहीं सोच रहा है। विभाग भी सिर्फ शिक्षकों को सम्मानित करता है। इससे शिक्षामित्रों में आक्रोश है। शिक्षामित्रों का कहना है कि प्रधानाध्यापक और शिक्षक भी शिक्षामित्रों को हीन भावना से देखते हैं।


स्मार्टफोन का खर्च कैसे उठाएं...
शिक्षामित्रों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों ने स्मार्ट फोन खरीदवा दिया। जबकि 10 हजार रुपये के मानदेय में स्मार्ट फोन खरीदने के बाद माह खर्च चलाना मुश्किल हो गया। ऊपर से हर महीने डाटा रिचार्च भी कराना जरूर है। स्मार्ट फोन पर विभागीय ऐप अपलोड करायी गई हैं। जिनकी मदद से बच्चों को पढ़ाया जाता है। स्मार्ट फोन की मदद से बच्चों का ब्योरा अपलोड करने के साथ ही विभागीय काम काज भी कराए जा रहे हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि रिचार्ज और हर माह डाटा के रुपये शिक्षामित्रों को मुहैया कराए।


11 माह का मानदेय काफी नहीं
शिक्षामित्रों का कहना है कि इन्हें सिर्फ 11 माह का मानदेय मिलता है। प्राइमरी स्कूलों में 31 दिसम्बर से 14 जनवरी के बीच शीतकालीन और जून में 15 दिन गर्मियों की छुट्टियां होती है। इन छुट्टियों का मानदेय शिक्षामित्रों को नहीं मिलता है। जबकि शिक्षकों को इन दिनों का वेतन दिया जाता है। इतने कम मानदेय में दो महीने 15-15 दिन का मानेदय काटने पर सिर्फ पांच-पांच हजार रुपये मिलता है। सरकार को चाहिए कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों की तरह 11 माह 29 दिन का मानेदय दें।


चाइल्ड केयर लीव भी मिले
महिला शिक्षामित्र लम्बे समय से चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) की मांग कर रही हैं। छोटे बच्चों की बीमारी व परवरिश के लिए छुट्टी लेने पर इनका मानदेय काट लिया जाता है। कई महिला शिक्षा मित्र हैं। जिन्होंने बच्चों के लिये पूरे माह अवकाश लिया। उस महीने का इन्हें मानदेय नहीं मिला है। सरकार की दोहरी नीति से शिक्षामित्रों में आक्रोश है। इनकी सरकार से मांग है कि शिक्षकों की तरह इन्हें भी सीसीएल का लाभ दिया जाए।


तबादले का शासनादेश लागू किया जाए
सरकार ने तबादले का शासनादेश जारी कर दिया है, लेकिन इसे लागू अभी तक नहीं किया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि जल्द इस शासनादेश को लागू कराए। ताकि शिक्षामित्रों को नजदीकी स्कूल में तबादले का लाभ मिल सके। कई महिला शिक्षामित्रों की दलील है कि उनकी शादी दूसरे जिले में हुई है। वह पढ़ाने दूसरे जिले में जा रही हैं। मानदेय के आधे रुपये किराए में ही खर्च हो जाते हैं। इसी तरह उसी जिले में बहुत से शिक्षामित्र 50 किमी. से अधिक दूर के स्कूलों में सेवाएं दे तबादले का शासनदेश लागू होने से उन्हें अपने घर के पास के स्कूल में आने का मौका मिलेगा।

केंद्रीय विद्यालयों में नए सत्र से कक्षा एक-दो में हुआ बदलाव, बच्चों का फन डे खत्म, कक्षा एक-दो में बढ़े आठ पीरियड

केंद्रीय विद्यालयों में नए सत्र से कक्षा एक-दो में हुआ बदलाव, बच्चों का फन डे खत्म, कक्षा एक-दो में बढ़े आठ पीरियड


देश-विदेश में संचालित 1253 केंद्रीय विद्यालयों में एक अप्रैल से शुरू हो नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षा एक और दो में हिन्दी, अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई पर पहले से अधिक जोर दिया जाएगा। अब तक एक सप्ताह में छह पीरियड होते थे लेकिन नए सत्र से बच्चों को दस-दस कक्षाएं पढ़नी होगी। पहले पांचवीं तक के बच्चों के लिए शनिवार को फन-डे होता था जो अब समाप्त कर दिया गया है।

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 के अनुरूप केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कक्षा एक से आठ तक के टाइम टेबल में बदलाव किया है। सप्ताह में 40 की बजाय अब 48 पीरियड लगेंगे। इस सत्र तक प्रति सप्ताह एनवायरनमेंट स्टडीज की छह और वर्क एजुकेशन व कंप्यूटर साक्षरता की दो-दो कक्षाएं लगती थीं। अब इन विषयों की पढ़ाई नहीं होगी। नए सत्र से बागवानी विषय को जोड़ा गया है जिसकी सप्ताह में चार कक्षाएं चलेंगी। आर्ट्स की चार क्लास के स्थान पर छह पीरियड होंगे। एनसीएफ की संस्तुति के अनुसार इसमें दृश्य कला के चार और प्रदर्शन कला के दो क्लास होंगे। दूसरे पीरियड के बाद 10 मिनट का स्नैक्स ब्रेक और चौथे पीरियड के बाद 20 मिनट का अवकाश होगा।


कक्षा चार और पांच में बढ़े पीरियड

इसी क्रम में कक्षा चार और पांच के बच्चों को सप्ताह में 40 की बजाय 48 पीरियड पढ़ना होगा। इन कक्षाओं में पहले हिन्दी, अंग्रेजी और गणित के छह-छह पीरियड थे जो हिन्दी-अंग्रेजी में सात-सात और गणित में आठ हो गए हैं। हमारा संसार विषय पहले नहीं था, इस सत्र से दस पीरियड जुड़े हैं। आर्ट्स और शारीरिक शिक्षा के चार-चार पीरियड थे जो अब पांच-पांच हो गए हैं। कक्षा तीन के बच्चों को क्रिएटिव लर्निंग एक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की दो-दो कक्षाएं पढ़नी होगी, पहले उन्हें ये विषय नहीं पढ़ाए जाते थे।



केंद्रीय विद्यालयों में नए सत्र से नए टाइम टेबल के अनुसार कक्षाएं चलाई जाएंगी। इस संबंध में निर्देश मिले हैं और एनसीएफ की अनुशंसा के अनुरूप बदलाव किया जा रहा है।



राजीव कुमार तिवारी, प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय ओल्ड कैंट



● संजोग मिश्र



सात-आठ के बच्चों को देंगे व्यावसायिक शिक्षा

कक्षा छह से आठ तक में मामूली बदलाव हुआ है। कक्षा सात और आठ के बच्चों के कोर्स में व्यवसायिक शिक्षा जोड़ी गई है और प्रति सप्ताह तीन पीरियड लगेंगे। कक्षा छह के बच्चों को क्रिएटिव लर्निंग एक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की दो-दो कक्षाएं पढ़नी होगी, पहले उन्हें ये विषय नहीं पढ़ाए जाते थे।

Thursday, March 27, 2025

स्नातक और स्नातकात्तर पाठयक्रमों के छात्रों को पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) से अर्जित करने होंगे

स्नातक और स्नातकात्तर पाठयक्रमों के छात्रों को पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) से अर्जित करने होंगे


🔴 क्लिक करके डाउनलोड करें SOP 

नई दिल्ली। स्नातक और स्नातकात्तर पाठयक्रमों के छात्रों को पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) से अर्जित करने होंगे। यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी की ओर से बुधवार को सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है। पत्र में लिखा है कि कुल क्रेडिट में से 50 फीसदी प्रमुख विषयों (मेजर डिसिप्लिन) से होने जरूरी होंगे।


इसमें आगे लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आकेएस) के समावेशन हेतू यह दिशा-निर्देश है। इसके तहत स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) पाठयक्रमों के छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।


यूजी और पीजी पाठयक्रमों के छात्रों को कुल क्रेडिट में से पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के बाद अर्जित करने होंगे। यूजीसी भारत की विस्तृत बौद्धिक विरासत को संरक्षित व विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसे उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में सुव्यवस्थित रूप से एकीकृत करने का कार्य कर रहा है।


प्रोफेसर के प्रशिक्षण का काम जारी: यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर को भी भारतीय ज्ञान प्रणाली के तहत प्रशिक्षण दे रहा है। इसका मकसद यूजी और पीजी पाठयक्रमों में पढ़ाई से पहले शिक्षकों को भी तैयार करना है।



स्नातक और स्नातकात्तर पाठयक्रमों के छात्रों को पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) से अर्जित करने होंगे

स्नातक और स्नातकात्तर पाठयक्रमों के छात्रों को पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) से अर्जित करने होंगे


🔴 क्लिक करके डाउनलोड करें SOP 

नई दिल्ली। स्नातक और स्नातकात्तर पाठयक्रमों के छात्रों को पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) से अर्जित करने होंगे। यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी की ओर से बुधवार को सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है। पत्र में लिखा है कि कुल क्रेडिट में से 50 फीसदी प्रमुख विषयों (मेजर डिसिप्लिन) से होने जरूरी होंगे।


इसमें आगे लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आकेएस) के समावेशन हेतू यह दिशा-निर्देश है। इसके तहत स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) पाठयक्रमों के छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।


यूजी और पीजी पाठयक्रमों के छात्रों को कुल क्रेडिट में से पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के बाद अर्जित करने होंगे। यूजीसी भारत की विस्तृत बौद्धिक विरासत को संरक्षित व विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसे उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में सुव्यवस्थित रूप से एकीकृत करने का कार्य कर रहा है।


प्रोफेसर के प्रशिक्षण का काम जारी: यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर को भी भारतीय ज्ञान प्रणाली के तहत प्रशिक्षण दे रहा है। इसका मकसद यूजी और पीजी पाठयक्रमों में पढ़ाई से पहले शिक्षकों को भी तैयार करना है।



उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के छात्र-शिक्षक अब बड़े प्रोजेक्ट पर कर सकेंगे काम, यूजीसी ने दिया 12(बी) का दर्जा, वित्तीय सहायता मिलने का रास्ता साफ

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के छात्र-शिक्षक अब बड़े प्रोजेक्ट पर कर सकेंगे काम, यूजीसी ने दिया 12(बी) का दर्जा, वित्तीय सहायता मिलने का रास्ता साफ


प्रयागराज। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय को 12 (बी) का दर्जा प्रदान कर दिया है। यूजीसी की धारा 12 (बी) में शामिल होने के बाद मुक्त विश्वविद्यालय को शैक्षणिक गतिविधियों व अनुसंधान के लिए अनुदान मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


यूजीसी की ओर से बुधवार को मान्यता पत्र जारी कर दिया गया है, - जिसमें संयुक्त सचिव ने कहा है कि मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का संज्ञान लेते हुए एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया गया, जिसने सात व आठ अक्तूबर 2024 को मुक्त विश्वविद्यालय का ऑनलाइन निरीक्षण और दस्तावेजों का सत्यापन किया। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर मुक्त विवि को 12 (बी) की मान्यता का पत्र जारी किया गया है।


विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यकाम ने बताया कि मुक्त विश्वविद्यालय यूजीसी की धारा 12 (बी) का दर्जा प्राप्त करने वाला प्रदेश का पहला मुक्त विश्वविद्यालय बन गया है। धारा 12 (बी) का दर्जा प्राप्त करने के बाद मुक्त विश्वविद्यालय विभिन्न योजनाओं, परियोजनाओं, शोध कार्यों, गोष्ठियों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेगा।


कुलपति प्रो. सत्यकाम ने बताया कि यूजीसी से 12 (बी) का दर्जा प्राप्त होने से विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र यूजीसी, भारत सरकार या केंद्र सरकार की विभिन्न शोध और शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन के लिए धन प्राप्त करने वाले किसी भी संगठन से अनुदान प्राप्त करने के पात्र हो जाते हैं। इससे शोध पहलों और बुनियादी ढांचे के विकास को काफी बढ़ावा मिलेगा। 


कुलपति ने इस उपलब्धि को विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की कड़ी मेहनत व समर्पण का परिणाम बताया, जिन्होंने शिक्षा व अनुसंधान के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए अथक परिश्रम किया है। कहा कि उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के लिए गौरव का क्षण है। मुक्त विवि आने वाले वर्षों में शिक्षा व अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करता रहेगा।


प्रो. सत्यकाम ने कहा कि 12 (बी) का दर्जा हासिल करने से शोध की दिशा में अग्रसर मुक्त विश्वविद्यालय के शोध कार्यों को गति मिलेगी। सरकार द्वारा घोषित उद्यमिता, कौशल विकास व स्टार्टअप से संबंधित विभिन्न योजनाओं को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जा सकेगा और शिक्षकों एवं अनुवेषकों की पदोन्नति को नई दिशा व गति मिलेगी।

लर्निंग बाई डूइंग कार्यक्रम में स्कूल भी चयनित और लैब भी निर्मित, लेकिन पढ़ाने के लिए नहीं हो सका तकनीकी अनुदेशको का चयन

लर्निंग बाई डूइंग कार्यक्रम में स्कूल भी चयनित और लैब भी निर्मित, लेकिन पढ़ाने के लिए नहीं हो सका तकनीकी अनुदेशको का चयन

■ दो चरणों में 43250 रुपये से विद्यालयों में स्थापित हुई प्रयोगशाला

■ सितंबर से अब तक नहीं हो सका विषय विशेषज्ञों का चयन

प्रयागराज। कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं के कौशल विकास के लिए करोड़ों रुपयों से प्रदेश  के हजारों उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में प्रयोगशाला तो स्थापित कर ली गई है लेकिन इन बच्चों को सिखाने के लिए  तकनीकी अनुदेशकों का चयन अब तक नहीं हो सका है। 


महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने पिछले वर्ष नौ सितंबर को ही तकनीकी अनुदेशकों के चयन के आदेश दिए थे लेकिन छह महीने बाद भी चयन नहीं हो सका है। प्रदेश सरकार ने इन स्कूलों में प्रयोगशाला उपकरण खरीदने के लिए दो चरणों में 14,480 और 28,770 कुल 43,250 रुपये दिया है। उपकरणों की खरीद भी हो चुकी है। 


जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति को तकनीकी अनुदेशकों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से करना है लेकिन छह महीने में भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। जानकारों की मानें तो यह स्थिति केवल प्रयागराज में ही नहीं बल्कि प्रदेश के दो-चार जिलों को छोड़ दें तो अधिकांश जिलों में अनुदेशक चयन नहीं हो सका है। प्रदेश में 1772 स्कूल इस कार्यक्रम के तहत चुने गए हैं। 


2402 अनुदेशकों का होना है चयनः प्रदेशभर के 886 विकासखंडों में कुल 2402 तकनीकी अनुदेशकों का चयन होना है। इनमें इंजीनियरिंग और वर्कशॉप ट्रेड, एनर्जी एंड इन्वायमेंट ट्रेड, एग्रीकल्चर, नर्सरी एंड गार्डनिंग और होम एंड हेल्थ ट्रेड शामिल है। अनुदेशकों को 10450 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा।

Wednesday, March 26, 2025

विशेष प्रशिक्षण देकर सर्वोदय (आश्रम पद्धति) स्कूलों के शिक्षकों का कौशल निखारेगा समाज कल्याण विभाग

विशेष प्रशिक्षण देकर सर्वोदय (आश्रम पद्धति) स्कूलों के शिक्षकों का कौशल निखारेगा समाज कल्याण विभाग


 लखनऊगरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय के शिक्षकों के अध्यापन के कौशल को और निखारेगी। प्रतिष्ठित कान्वेंट स्कूलों की तरह इन विद्यालय में पढ़ाई के स्तर में भी सुधार किया जाएगा। इसके लिए सर्वोदय विद्यालयों में तैनात नियमित और संविदा शिक्षकों को डायट, उपाम जैसी सरकारी संस्था के अलावा प्रतियोगिताओं की तैयारी कराने वाले शिक्षण संस्थानों की मदद से प्रशिक्षित किया जाएगा । 


शिक्षकों का 15-15 दिन का ओरियंटेशन कोर्स मई और जून माह में आयोजित किया जाएगा। कोर्स के लिए समाज कल्याण विभाग ने कई संस्थानों को पत्र लिखा है। कोर्स के कार्यक्रम तय होते ही विभाग शिक्षकों की सूची तैयार करेगा।


इस सम्य प्रदेश में 100 जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय संचालित हैं। इसमें बालकों और 70 विद्यालय 30 बालिकाओं के लिए हैं। 43 विद्यालय सीबीएसई बोर्ड और 57 विद्यालय यूपी बोर्ड से संबद्ध हैं। प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 490 निर्धारित है। इस समय कुल 32,538 विद्यार्थी इन विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। विभाग ने विद्यालयों में स्मार्ट क्लास रूम, कंप्यूटर लैब, और पुस्तकालय जैसी सुविधाएं तो उपलब्ध कराई, लेकिन शिक्षकों के अध्यापन पद्धति से संतुष्ट नहीं है।

पदोन्नत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक (पुरुष/महिला) की ऑनलाइन तैनाती के लिए आवेदन शुरू

पदोन्नत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक (पुरुष/महिला) की ऑनलाइन तैनाती के लिए आवेदन शुरू


राजकीय हाईस्कूल और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक या प्रधानाध्यापिका तथा राजकीय इंटर कॉलेजों में उप प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक (पुरुष/महिला) की ऑनलाइन तैनाती के लिए आवेदन मंगलवार से शुरू हो गए।


राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को ऑनलाइन विद्यालय आवंटन के आवेदन आज से, हाल ही में पदोन्नति पाए हैं प्रवक्ता व सहायक अध्यापक


लखनऊ। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों को उप प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक  (पुरुष/महिला) पद पर पदोन्नति दी गई है। इसके बाद अब उन्हें ऑनलाइन विद्यालय आवंटन किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों से मानव संपदा पोर्टल पर  https://ehrms.upsdc.gov.in ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन 25 व 26 मार्च को होगा। आवेदन केवल मानव संपदा पोर्टल पर ही स्वीकार किए जाएंगे। किसी अन्य माध्यम से किए गए आवेदन मान्य नहीं होंगे। पदस्थापन प्रक्रिया में भाग न लेने वाले शिक्षकों को दोबारा अवसर नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की सुविधा के लिए ई-मेल onlineteachertrans-fer2024@gmail.com और हेल्पलाइन नंबर 9368636558 जारी किया गया है। 


CBSE vs UP Board Teachers Allowance: सीबीएसई से सात गुना कम यूपी बोर्ड परीक्षकों का भत्ता

CBSE vs UP Board Teachers Allowance: सीबीएसई से सात गुना कम यूपी बोर्ड परीक्षकों का भत्ता


लखनऊ। यूपी बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने वाले परीक्षकों को पारिश्रमिक सीबीएसई से सात गुने से भी कम मिल रहा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद मूल्यांकन केन्द्र तक आने जाने का प्रति परीक्षक सिर्फ 35 रुपये वाहन खर्च और 25 रुपये नाश्ता का देता है। इतनी महंगाई में यह बहुत कम पारिश्रमिक है। जबकि परीक्षकों का रोजाना किराए व पेट्रोल में 100 और नाश्ते में 50 से अधिक खर्च हो जा रहा है। 


वहीं सीबीएसई अपने परीक्षक को रोज का 250 रुपये वाहन और 75 रुपये नाश्ते का देता है। बता दें कि पारिश्रमिक अक्तूबर 2024 का बढ़ा हुआ है। जबकि इससे पहले यह और कम था।

लखनऊ के पांच केन्द्रों पर बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जांची जा रही हैं। परिषद ने मूल्यांकन के लिये 3500 परीक्षकों की ड्यूटी लगायी है। इनमें से औसतन 1700 परीक्षक मूल्यांकन कर रहे हैं। बहुत से परीक्षकों के घर से मूल्यांकन केन्द्रों की दूरी 25 से 50 किमी. है। बाइक से मूल्यांकन केन्द्र तक रोज आने जाने में 100 से अधिक रुपये पेट्रोल में खर्च हो जा रहे हैं। वाहन से जाने पर इससे ज्यादा का खर्च आ रहा है। 

यूपी बोर्ड हाईस्कूल की प्रति कॉपी जांचने का 14 व इंटर में 15 रुपये देता है। जबकि सीबीएसई 10 वीं 25 और 12 वीं में 30 रुपये प्रति कॉपी देता है। सबसे ज्यादा दिक्कतें वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों को हैं जिन्हें स्कूल से सम्मानजनक वेतन भी नहीं मिलता है।

Tuesday, March 25, 2025

यूपी में 2018 के बाद से नहीं आई प्राथमिक शिक्षक भर्ती, शिक्षक भर्ती का पता नहीं डीएलएड का क्रेज कायम

यूपी में 2018 के बाद से नहीं आई प्राथमिक शिक्षक भर्ती, शिक्षक भर्ती का पता नहीं डीएलएड का क्रेज कायम

2024 सत्र में 1.89 लाख अभ्यर्थियों ने लिया दाखिला

2023 सत्र में 1.92 लाख प्रशिक्षुओं ने लिया था प्रवेश


प्रयागराज। परिषदीय स्कूलों में सात सात साल से शिक्षक भर्ती नहीं आई है। इसके बावजूद डीएलएड का आकर्षण बरकरार है। डीएलएड प्रशिक्षण 2024 सत्र के लिए 12 मार्च को संपन्न प्रवेश प्रक्रिया में 1.89 लाख अभ्यर्थियों ने दाखिला लिया है। यह स्थिति तब है कि प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती 2018 के बाद नहीं आई है और उच्च प्राथमिक स्कूलों में सीधी भर्ती बंद है। 


डीएलएड 2024 सत्र में प्रवेश के लिए 3,25,440 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से 18 फरवरी तक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और निजी कॉलेजों में प्रवेश दिए गए, जबकि अल्पसंख्यक संस्थाओं में दो से 12 मार्च तक प्रवेश की अनुमति दी गई थी। अंतिम तिथि तक 239500 सीटों के सापेक्ष 189424 अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया है।


 वहीं अल्पसंख्यक संस्थानों की 12,225 सीटों में से 9460 पर प्रवेश हुए हैं। पिछले साल 192759 अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया था। इस सत्र में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी प्रवेश में मौका दिया गया था। 


जानकारों की मानें तो प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती से बीएड अभ्यर्थियों के बाहर होने के बाद से एक बार फिर से डीएलएड के प्रति आकर्षण बढ़ा है। प्रशिक्षुओं का मानना है कि जब भी भर्ती आएगी तो उन्हें ही मौका मिलेगा। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने 189424 प्रशिक्षुओं के प्रवेश की पुष्टि की है।

शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याएं रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई राष्ट्रीय टास्क फोर्स

शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याएं रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई राष्ट्रीय टास्क फोर्स

कहा-प्रदर्शन का दबाव, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर डाल रही बोझ


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि स्कोर आधारित शिक्षा प्रणाली और सीमित सीटों के लिए अत्यधिक मानसिक स्वास्थ्य पर भयानक बोझ डालते हैं। आत्महत्याएं बढ़ना परिसरों में ऐसे मुद्दों को संबोधित करने में कानूनी और संस्थागत ढांचे की अपर्याप्तता और अप्रभाविता की ओर इशारा करती हैं।


जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने और ऐसे संस्थानों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की अध्यक्षता में राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया। पीठ ने कहा, अब समय आ गया है कि हम इस गंभीर मुद्दे का संज्ञान लें और छात्रों के बीच इस तरह के संकट में योगदान देने वाले अंतर्निहित कारणों को दूर करने और कम करने के लिए व्यापक और प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार करें।


टास्क फोर्स में मनोचिकित्सक डॉ. आलोक सरीन, प्रोफेसर मैरी ई जॉन, अरमान अली, प्रोफेसर राजेंद्र काचरू, डॉ. अक्सा शेख, डॉ. सीमा मेहरोत्रा, प्रोफेसर वर्जिनियस जाक्सा, डॉ. निधि एस सभरवाल और वरिष्ठ अधिवक्ता अपर्णा भट्ट भी शामिल होंगे। उच्च शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग, महिला और बाल विकास मंत्रालय और कानूनी मामलों के विभाग के सचिवों को टास्क फोर्स का पदेन सदस्य बनाया गया है।


एफआईआर दर्ज करने का आदेश

पीठ ने दिल्ली पुलिस को आयुष आशना और अनिल कुमार की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिन्होंने क्रमशः 8 जुलाई, 2023 और 1 सितंबर, 2023 को आत्महत्या की थी। उनके माता-पिता ने आईआईटी, दिल्ली में जाति-आधारित भेदभाव का आरोप लगाया था। दिल्ली हाईकोर्ट के याचिका पर विचार करने से इन्कार के खिलाफ याचिका को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, भले ही पुलिस का मानना था कि जो आरोप लगाया गया था, उसमें सच्चाई का कोई तत्व नहीं था लेकिन वह एफआईआर दर्ज करने और जांच करने के बाद ही ऐसा कह सकती थी। यही कानून है।


यह अभिभावकों के लिए भी आंखें खोलने वाला

पीठ ने कहा, यह मुकदमा न सिर्फ पुलिस के लिए, बल्कि अभिभावकों के लिए भी आंखें खोलने वाला है। ये त्रासदियां विभिन्न कारकों को संबोधित करने के लिए एक अधिक मजबूत, व्यापक और उत्तरदायी तंत्र की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं, जो कुछ छात्रों को अपनी जान लेने के लिए मजबूर करती हैं। हालांकि, इस संकट को मिटाना मुश्किल है, फिर भी इसे लचीले पाठ्यक्रम, निरंतर मूल्यांकन विधियों, बैकलॉग के प्रबंधन के लिए संरचित समर्थन और छात्रों की ओर से सामना किए जाने वाले मनोवैज्ञानिक मुद्दों के लिए परिसर में समर्थन शुरू करके प्रबंधित किया जा सकता है।


संस्थानों में आत्महत्या महामारी के लिए कई कारक जिम्मेदार

पीठ ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में आत्महत्या महामारी के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें शैक्षणिक दबाव, जाति आधारित भेदभाव, वित्तीय तनाव और यौन उत्पीड़न शामिल हैं, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है। आईआईटी व एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में परीक्षा में असफलता से जुड़ी उच्च दर रिपोर्ट की गई है।


रैगिंग के रूप में क्रूरता भी है अहम वजह

पीठ ने कहा, छात्रों की आत्महत्या का एक अन्य कारण रैगिंग के रूप में क्रूरता है। इसे अक्सर कॉलेज और विश्वविद्यालय अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए छिपाते हैं, जो छात्रों के सम्मान और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।


समग्र रिपोर्ट कार्ड पर अंक नहीं चढ़ा पा रहे परिषदीय शिक्षक, नहीं खुल रहा प्रेरणा पोर्टल पहली बार आनलाइन रिजल्ट

समग्र रिपोर्ट कार्ड पर अंक नहीं चढ़ा पा रहे परिषदीय शिक्षक, नहीं खुल रहा प्रेरणा पोर्टल पहली बार आनलाइन रिजल्ट


लखनऊपरिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के छात्रों की वार्षिक परीक्षाएं सोमवार को शुरू हो गईं। परीक्षाएं 28 मार्च तक चलेंगी। फिर विद्यार्थियों को रिपोर्ट कार्ड दिया जाएगा और एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होगा। पहली बार परिषदीय स्कूलों के छात्रों को समग्र रिपोर्ट कार्ड दिया जाएगा जिसमें शिक्षक द्वारा उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन - किया जाएगा। त्रैमासिक व अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के आनलाइन अंक समग्र रिपोर्ट कार्ड पर पहले - ही विद्यालय चढ़ा चुके हैं। अब वार्षिक परीक्षा के अंक चढ़ाने में कठिनाई आ रही है।


सोमवार को कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों की परीक्षा के बाद दूसरी पाली में शिक्षकों ने कापियों का मूल्यांकन कर प्रेरणा पोर्टल पर समग्र रिपोर्ट कार्ड पर अंक चढ़ाने की कोशिश की तो वह नहीं खुला। जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से प्रेरणा पोर्टल न खुलने की शिकायतें की जा रही हैं। 


वहीं दूसरी ओर अब शिक्षक विद्या समीक्षा केंद्र में भी अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे। समग्र रिपोर्ट कार्ड में शैक्षिक, मानसिक व शारीरिक विकास की गतिविधियों को शामिल किया जा रहा है।

Sunday, March 23, 2025

स्कूलों में छोटा मैदान तो भी पास हो सकेगा नक्शा

स्कूलों में छोटा मैदान तो भी पास हो सकेगा नक्शा


लखनऊ ।  राज्य सरकार शहरों में स्कूलों में छोटा खेल का मैदान होने पर भी नक्शा पास करने की तैयारी में है। अभी 2000 वर्ग मीटर भूमि की अनिवार्यता है, इसे 1000 वर्ग मीटर करने की तैयारी है। देश के कुछ राज्यों में तो मात्र 40 वर्ग मीटर खेल का मैदान होने पर ही नक्शा पास किया जा रहा है।


उच्च स्तर पर इसको लेकर प्रस्तुतीकरण हो चुका है। इसमें सहमति बनने के बाद जल्द ही भवन विकास उपविधि में इसका प्रावधान किया जाएगा। 


केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के अनुसार उच्च प्राथमिक स्कूलों में 500 वर्ग मीटर और इंटर कॉलेजों में 1000 वर्ग मीटर भूमि पर खेल मैदान की अनिवार्यता है। उत्तर प्रदेश में पुराने मानक यानी इससे दोगुना भूमि होने पर ही नक्शा पास किया जा रहा है। इसके चलते शहरों में स्कूल नहीं खुल पा रहे हैं। 


शासन में पिछले दिनों प्रस्तावित उत्तर प्रदेश भवन निर्माण, विकास उपविधि का प्रस्तुतीकरण में सुझाव दिया गया कि देश के अन्य राज्यों में छोटे-छोटे खेल के मैदान होने पर भी नक्शा पास किया जा रहा है, इसीलिए यूपी में भी 1000 वर्ग मीटर भूमि होने पर भी नक्शा पास करने का प्रावधान किया जा रहा है।

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयो से दिनांक 31मार्च 2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक तथा तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियो के पेंशन, जीपीएफ तथा सामूहिक जीवन बीमा के भुगतान की निस्तारित सूचना निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयो से दिनांक 31मार्च 2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक तथा तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियो के पेंशन, जीपीएफ तथा सामूहिक जीवन बीमा के भुगतान की निस्तारित सूचना निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में 


जेंडर व नाम में संशोधन के लिए एक और मौका देगा यूपी बोर्ड, अंकपत्र और सह प्रमाणपत्र को त्रुटि रहित बनाने के लिए फिर होगी कवायद

जेंडर व नाम में संशोधन के लिए एक और मौका देगा यूपी बोर्ड, अंकपत्र और सह प्रमाणपत्र को त्रुटि रहित बनाने के लिए फिर होगी कवायद

परीक्षा से पहले संशोधन के लिए आए थे 20 हजार आवेदन


प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों के नाम व जेंडर में संशोधन के लिए एक और मौका देगा, ताकि अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में कोई कमी न रह जाए और रिजल्ट आने के बाद परीक्षार्थियों को संशोधन के लिए भटकना न पड़े। बोर्ड की ओर से जल्द ही इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।


परीक्षा से पहले विधान परिषद सदस्यों श्रीचंद्र शर्मा, उमेश द्विवेदी, डॉ. हरी सिंह ढिल्लो और राज बहादुर सिंह चंदेल ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई थी कि हजारों पंजीकृत परीक्षार्थियों के नाम, जेंडर और विषय गलत अंकित कर दिए गए हैं। इन अशुद्धियों के कारण परीक्षार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्र-छात्राओं की समस्या को देखते हुए जनहित में नाम, जेंडर और विषय संबंधी अशुद्धियों को निस्तारित कराया जाए।


यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने संज्ञान लेते हुए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी किए थे कि अपने जिले में वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए पंजीकृत परीक्षार्थियों के नाम, जेंडर एवं विषय की त्रुटियों का विद्यालयवार विवरण (सभी आवश्यक पत्रजातों सहित) अनिवार्य रूप से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को उपलब्ध करा दिया जाए। उसके बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।


इसके बाद पूरे प्रदेश से तकरीबन 20 हजार छात्र-छात्राओं के नाम, जेंडर, विषय गलत दर्ज होने से संबंधित आवेदन आए थे और यूपी बोर्ड ने संशोधन के लिए संबंधित एजेंसी को लिस्ट भेज दी थी लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के नाम, विषय व जेंडर में संशोधन नहीं हो सका है। यह पूरी कवायद इसलिए की गई थी ताकि बोर्ड परीक्षा के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाए।


स्कूलों में अब भी कई अभिभावक अपने पाल्यों के नाम व जेंडर में संशोधन के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों को संशोधन के लिए एक और मौका देगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि परीक्षा परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान ही संशोधन किए जाएंगे, ताकि परीक्षार्थियों के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में नाम व जेंडर सही अंकित किए जा सकें और परिणाम आने के बाद परीक्षार्थियों को अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में संशोधन कराने की जरूरत न पड़े।

अप्रैल और जुलाई में चलाएं स्कूल चलो अभियान, शिक्षकविहीन न रहें विद्यालय, योगी बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने दिए निर्देश, क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर अब होगा पूरा फोकस

अप्रैल और जुलाई में चलाएं स्कूल चलो अभियान, बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने दिए निर्देश, क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर अब होगा पूरा फोकस

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए धन की कोई कमी नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा, कोई स्कूल शिक्षक विहीन न हो


लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक और जुलाई में 15 दिनों का स्कूल चलो अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहाकि इस दौरान शिक्षकों, ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा मिलकर इस प्रकार व्यवस्था की जाए कि यह स्कूल चानो अभियान बच्चों को एक उत्सव की भांति लगे। इस दौरान बच्चों को नया अनुभव प्रतीत हो। शिक्षक और प्रिंसिपल गांव का भ्रमण करें और घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें। अब क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर पूरा फोकस करना होगा।


मुख्यमंत्री शनिवार को कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में यह बातें कहीं। उन्होंने कहा है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है। कोई विद्यालय शिक्षक विहीन न हो।

सभी आकांक्षात्मक जिलों एवं विकास खंडों में शिक्षक छात्र का अनुपात बेहतर रहे। मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालयों के साथ ही पीएमश्री विद्यालयों को इंटीग्रेटेड कैंपस के रूप में विकसित किया जाए। मुभावपूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में 13 हाट्स को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे डायट को एक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर पाएंगे। आवश्याकता हो तो इसके लिए आउटसोर्स कर्मचारियों की तैनाती की जाए। आईआईएम लखनऊ और बेंगलुरू जैसे संस्थानों को भी यहां ट्रेनिंग मॉड्यूल से जोड़ा जाए।


प्रदेश में शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई

मुख्यमंत्री ने कहा कि एसीईआर की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के मुजाबिक उत्तर प्रदेश अब टॉ परफॉर्मिग स्टेट की श्रेणी में सम्मिलित हो गया है। 2018 से 2024 के बीच उत्तर प्रदेश में शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति वर्ष 2010 में 57 प्रतिशत थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 71.4 प्रतिशत हो गई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की समर कैंप संचालित करने के लिए भी निर्देशित किया। यह समर कैंप एक से डेढ़ घंटे के होने चाहिए।




शिक्षकविहीन न रहें विद्यालय, गुणवत्ता पर करें फोकस : योगी

सीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए निर्देश- कहा- एक अप्रैल से चलाएं स्कूल चलो अभियान

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। प्रदेश का कोई भी विद्यालय शिक्षकविहीन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरा फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर करें। वे शनिवार को अपने सरकारी आवास पर बेसिक शिक्षा विभाग के कामकाज की समीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने अधिकारियों को सीएम मॉडल कंपोजिट और मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों में खेल के मैदान, ट्रेनिंग सेंटर और न्यू एज कोर्स की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। कहा, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 925 तथा वर्ष 2024-25 में 785 शासकीय विद्यालयों को पीएमश्री योजना के तहत उच्चीकरण कराया है। इन विद्यालयों को इंटीग्रेटेड कैंपस के रूप में विकसित किया जाए। 

सीएम ने कहा कि एक से 15 अप्रैल तक और जुलाई में 15 दिन का स्कूल चलो अभियान चलाएं। शिक्षकों, ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ मिलकर स्कूल चलो अभियान को एक उत्सव का रूप दिया जाए ताकि बच्चों को नया अनुभव मिले। उन्होंने कहा कि शिक्षक और प्रधानाचार्य गांवों में घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की व्यवस्थाओं को भी बेहतर बनाएं। कहा, शिक्षकों को अच्छे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ना होगा, ताकि लर्निंग आउटकम को और बेहतर किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से आरटीई के तहत 2016-17 में 10784 बच्चे लाभान्वित हुए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 4.58 लाख से अधिक हो गई है। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह, अपर मुख्य सचिव बेसिक, माध्यमिक व वित्त दीपक कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा भी शामिल हुई।


आकांक्षात्मक जिलों में शिक्षक-छात्र अनुपात सुधारें

सीएम ने कहा कि सभी आकांक्षात्मक जिलों व ब्लॉकों में शिक्षक छात्र का अनुपात बेहतर करें। सभी परिषदीय विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इन विद्यालयों में पेयजल, अच्छे क्लास रूम, बिजली की सुविधा, बाउंड्रीवाल व अच्छे फर्नीचर उपलब्ध कराया गया है।


समर कैंप चलाएं, बच्चों को सिखाएं नई चीजें

योगी ने कहा कि पहले चरण में 13 डायट की सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है। डायट को एक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाया जाएगा। इसलिए आईआईएम लखनऊ और बंगलुरू जैसे संस्थानों के ट्रेनिंग मॉड्यूल से इसे जोड़ा जाए। उन्होंने अधिकारियों को समर कैंप चलाने के लिए भी निर्देश दिया। बच्चों को खेल-खेल में नई चीजों को सिखाने पर जोर देते हुए उन्होंने कैंप सुबह ही चलाने के निर्देश दिए।


छात्रों की उपस्थिति बढ़ी

सीएम ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हुए प्रयासों के परिणाम आज असर रिपोर्ट में साफ दिख रहा है। वर्ष 2024 की रिपोर्ट में प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इससे यूपी अब टॉप परफॉर्मिंग प्रदेश बन गया है। प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति वर्ष 2010 में 57 फीसदी थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 71.4 प्रतिशत हो गई है। लड़कों की तुलना में बालिकाओं का नामांकन भी बढ़ा है।

RTE : बच्चों का सीट एलॉटमेंट ऑनलाइन देखने का विकल्प नहीं, अभिभावकों को मेसेज से मिलती है प्रवेश की सूचना, भटक रहे अभिभावक

RTE : बच्चों का सीट एलॉटमेंट ऑनलाइन देखने का विकल्प नहीं, अभिभावकों को मेसेज से मिलती है प्रवेश की सूचना,  भटक रहे अभिभावक


23 मार्च 2025
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत चल रही प्रवेश प्रक्रिया में सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। अभिभावकों के मोबाइल फोन पर सीट अलॉटमेंट की जानकारी दी जाती है। कई अभिभावक सूचना न मिलने से परेशान हैं।

आरटीई के तहत प्रदेश के लिए चार चरणों में आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। तीन चरणों का सीट अलॉटमेंट कर प्रवेश दिलाया जा रहा है। इसके बावजूद कई अभिभावक भटक रहे हैं, क्योंकि बच्चे को सीट अलॉट हो गई लेकिन अभिभावक को इसकी जानकारी नहीं हुई।

अभिभावकों ने बताया कि आवेदन करते समय साइबर कैफे वाले अपना फोन नंबर डाल देते हैं। इससे मेसेज उनको नहीं मिल पाता है। वहीं, कोई और ऐसा माध्यम नहीं है, जिससे सीट अलॉटमेंट की जानकारी मिल सके। इसके लिए अभिभावक बीएसए कार्यालय का चक्कर काटते रहते हैं। बीएसए दफ्तर के कर्मचारी भी यह कहकर टरका देते हैं कि सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन देखने का अधिकार सिर्फ बीएसए को है। जब वह आएंगे तो सीट अलॉटमेंट के बारे में पता चलेगा। इसलिए अभिभावक सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन करने की मांग कर रहे हैं।

वहीं, समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या होने के कारण सीट अलॉटमेंट की सूचना ऑनलाइन नहीं की जाती है। संबंधित अभिभावक या बच्चे अपना परिणाम ही देख सकते हैं। अभिभावकों को मोबाइल फोन पर सीधे मेसेज जाता है। जिला स्तर पर डाटा देखने का अधिकार बीएसए व राज्य स्तर पर हमारे पास है। अगर संबंधित बच्चे को अपनी दूसरी प्राथमिकता पर प्रवेश लेना है तो बीएसए कार्यालय में संपर्क कर आवेदन कर सकते हैं। आरटीई के तहत अधिकाधिक बच्चों के दाखिले के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 




RTE : प्रवेश दिए बगैर ही कागज पर दिखाए दाखिले, निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने के लिए भटक रहे अभिभावक

स्कूल प्रवेश लेने से कर रहा मना, आईजीआरएस पर की गई शिकायत

21 मार्च 2025
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिले के लिए चार चरणों के आवेदन हो चुके हैं। यह कवायद की जा रही है कि एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र से पहले सीट पाने वाले बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित कराया जाए। किंतु जिलों में इसे लेकर लापरवाही दिख रही है।


दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कुछ बच्चों को प्रवेश नहीं मिला। जब इसकी शिकायत एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर की गई तो उनका प्रवेश दिखा दिया गया।


निदेशालय का चक्कर काट रहे अभिभावक ने बताया कि एक निजी स्कूल में प्रवेश के लिए बच्चे का आवेदन किया था लेकिन स्कूल दाखिला लेने से मना कर रहा है। जब इसकी शिकायत आईजीआरएस की तो बच्चे का प्रवेश हुआ दिखा दिया। उन्होंने दोबारा शिकायत की और अधिकारियों से मिलकर बच्चे को प्रवेश दिलाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं।


आरटीई में निजी कॉलेजों द्वारा सीट अलॉट होने के बाद भी प्रवेश न लेने की भी शिकायत विभाग को मिल रही है। पर, विभाग व जिला स्तरीय अधिकारी कोई सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। इससे निजी स्कूलों की मनमानी चल रही है। तीन चरणों की पूरी प्रक्रिया होने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अब तक कितने बच्चों के दाखिले सुनिश्चित हुए हैं।


बीएसए बताएंगे प्रवेश न मिलने के कारण

समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि आरटीई में ज्यादा से ज्यादा दाखिले के लिए डीएम व बीएसए के स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। जहां यह सूचना जानकारी मिलती है कि कोई स्कूल प्रवेश नहीं ले रहा है तो वहां स्थानीय अधिकारी वार्ता कर रहे हैं। इस बार यह व्यवस्था की गई है कि अगर सीट अलॉटमेंट के बाद भी बच्चे का प्रवेश नहीं हो रहा है तो संबंधित बीएसए को इसका कारण बताना होगा।