लर्निंग बाई डूइंग कार्यक्रम में स्कूल भी चयनित और लैब भी निर्मित, लेकिन पढ़ाने के लिए नहीं हो सका तकनीकी अनुदेशको का चयन
■ दो चरणों में 43250 रुपये से विद्यालयों में स्थापित हुई प्रयोगशाला
■ सितंबर से अब तक नहीं हो सका विषय विशेषज्ञों का चयन
प्रयागराज। कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं के कौशल विकास के लिए करोड़ों रुपयों से प्रदेश के हजारों उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में प्रयोगशाला तो स्थापित कर ली गई है लेकिन इन बच्चों को सिखाने के लिए तकनीकी अनुदेशकों का चयन अब तक नहीं हो सका है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने पिछले वर्ष नौ सितंबर को ही तकनीकी अनुदेशकों के चयन के आदेश दिए थे लेकिन छह महीने बाद भी चयन नहीं हो सका है। प्रदेश सरकार ने इन स्कूलों में प्रयोगशाला उपकरण खरीदने के लिए दो चरणों में 14,480 और 28,770 कुल 43,250 रुपये दिया है। उपकरणों की खरीद भी हो चुकी है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति को तकनीकी अनुदेशकों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से करना है लेकिन छह महीने में भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। जानकारों की मानें तो यह स्थिति केवल प्रयागराज में ही नहीं बल्कि प्रदेश के दो-चार जिलों को छोड़ दें तो अधिकांश जिलों में अनुदेशक चयन नहीं हो सका है। प्रदेश में 1772 स्कूल इस कार्यक्रम के तहत चुने गए हैं।
2402 अनुदेशकों का होना है चयनः प्रदेशभर के 886 विकासखंडों में कुल 2402 तकनीकी अनुदेशकों का चयन होना है। इनमें इंजीनियरिंग और वर्कशॉप ट्रेड, एनर्जी एंड इन्वायमेंट ट्रेड, एग्रीकल्चर, नर्सरी एंड गार्डनिंग और होम एंड हेल्थ ट्रेड शामिल है। अनुदेशकों को 10450 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा।
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