RTE : बच्चों का सीट एलॉटमेंट ऑनलाइन देखने का विकल्प नहीं, अभिभावकों को मेसेज से मिलती है प्रवेश की सूचना, भटक रहे अभिभावक
23 मार्च 2025
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत चल रही प्रवेश प्रक्रिया में सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। अभिभावकों के मोबाइल फोन पर सीट अलॉटमेंट की जानकारी दी जाती है। कई अभिभावक सूचना न मिलने से परेशान हैं।
आरटीई के तहत प्रदेश के लिए चार चरणों में आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। तीन चरणों का सीट अलॉटमेंट कर प्रवेश दिलाया जा रहा है। इसके बावजूद कई अभिभावक भटक रहे हैं, क्योंकि बच्चे को सीट अलॉट हो गई लेकिन अभिभावक को इसकी जानकारी नहीं हुई।
अभिभावकों ने बताया कि आवेदन करते समय साइबर कैफे वाले अपना फोन नंबर डाल देते हैं। इससे मेसेज उनको नहीं मिल पाता है। वहीं, कोई और ऐसा माध्यम नहीं है, जिससे सीट अलॉटमेंट की जानकारी मिल सके। इसके लिए अभिभावक बीएसए कार्यालय का चक्कर काटते रहते हैं। बीएसए दफ्तर के कर्मचारी भी यह कहकर टरका देते हैं कि सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन देखने का अधिकार सिर्फ बीएसए को है। जब वह आएंगे तो सीट अलॉटमेंट के बारे में पता चलेगा। इसलिए अभिभावक सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन करने की मांग कर रहे हैं।
वहीं, समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या होने के कारण सीट अलॉटमेंट की सूचना ऑनलाइन नहीं की जाती है। संबंधित अभिभावक या बच्चे अपना परिणाम ही देख सकते हैं। अभिभावकों को मोबाइल फोन पर सीधे मेसेज जाता है। जिला स्तर पर डाटा देखने का अधिकार बीएसए व राज्य स्तर पर हमारे पास है। अगर संबंधित बच्चे को अपनी दूसरी प्राथमिकता पर प्रवेश लेना है तो बीएसए कार्यालय में संपर्क कर आवेदन कर सकते हैं। आरटीई के तहत अधिकाधिक बच्चों के दाखिले के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
RTE : प्रवेश दिए बगैर ही कागज पर दिखाए दाखिले, निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने के लिए भटक रहे अभिभावक
स्कूल प्रवेश लेने से कर रहा मना, आईजीआरएस पर की गई शिकायत
21 मार्च 2025
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिले के लिए चार चरणों के आवेदन हो चुके हैं। यह कवायद की जा रही है कि एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र से पहले सीट पाने वाले बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित कराया जाए। किंतु जिलों में इसे लेकर लापरवाही दिख रही है।
दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कुछ बच्चों को प्रवेश नहीं मिला। जब इसकी शिकायत एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर की गई तो उनका प्रवेश दिखा दिया गया।
निदेशालय का चक्कर काट रहे अभिभावक ने बताया कि एक निजी स्कूल में प्रवेश के लिए बच्चे का आवेदन किया था लेकिन स्कूल दाखिला लेने से मना कर रहा है। जब इसकी शिकायत आईजीआरएस की तो बच्चे का प्रवेश हुआ दिखा दिया। उन्होंने दोबारा शिकायत की और अधिकारियों से मिलकर बच्चे को प्रवेश दिलाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं।
आरटीई में निजी कॉलेजों द्वारा सीट अलॉट होने के बाद भी प्रवेश न लेने की भी शिकायत विभाग को मिल रही है। पर, विभाग व जिला स्तरीय अधिकारी कोई सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। इससे निजी स्कूलों की मनमानी चल रही है। तीन चरणों की पूरी प्रक्रिया होने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अब तक कितने बच्चों के दाखिले सुनिश्चित हुए हैं।
बीएसए बताएंगे प्रवेश न मिलने के कारण
समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि आरटीई में ज्यादा से ज्यादा दाखिले के लिए डीएम व बीएसए के स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। जहां यह सूचना जानकारी मिलती है कि कोई स्कूल प्रवेश नहीं ले रहा है तो वहां स्थानीय अधिकारी वार्ता कर रहे हैं। इस बार यह व्यवस्था की गई है कि अगर सीट अलॉटमेंट के बाद भी बच्चे का प्रवेश नहीं हो रहा है तो संबंधित बीएसए को इसका कारण बताना होगा।
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