जेंडर व नाम में संशोधन के लिए एक और मौका देगा यूपी बोर्ड, अंकपत्र और सह प्रमाणपत्र को त्रुटि रहित बनाने के लिए फिर होगी कवायद
परीक्षा से पहले संशोधन के लिए आए थे 20 हजार आवेदन
प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों के नाम व जेंडर में संशोधन के लिए एक और मौका देगा, ताकि अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में कोई कमी न रह जाए और रिजल्ट आने के बाद परीक्षार्थियों को संशोधन के लिए भटकना न पड़े। बोर्ड की ओर से जल्द ही इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
परीक्षा से पहले विधान परिषद सदस्यों श्रीचंद्र शर्मा, उमेश द्विवेदी, डॉ. हरी सिंह ढिल्लो और राज बहादुर सिंह चंदेल ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई थी कि हजारों पंजीकृत परीक्षार्थियों के नाम, जेंडर और विषय गलत अंकित कर दिए गए हैं। इन अशुद्धियों के कारण परीक्षार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्र-छात्राओं की समस्या को देखते हुए जनहित में नाम, जेंडर और विषय संबंधी अशुद्धियों को निस्तारित कराया जाए।
यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने संज्ञान लेते हुए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी किए थे कि अपने जिले में वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए पंजीकृत परीक्षार्थियों के नाम, जेंडर एवं विषय की त्रुटियों का विद्यालयवार विवरण (सभी आवश्यक पत्रजातों सहित) अनिवार्य रूप से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को उपलब्ध करा दिया जाए। उसके बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इसके बाद पूरे प्रदेश से तकरीबन 20 हजार छात्र-छात्राओं के नाम, जेंडर, विषय गलत दर्ज होने से संबंधित आवेदन आए थे और यूपी बोर्ड ने संशोधन के लिए संबंधित एजेंसी को लिस्ट भेज दी थी लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के नाम, विषय व जेंडर में संशोधन नहीं हो सका है। यह पूरी कवायद इसलिए की गई थी ताकि बोर्ड परीक्षा के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाए।
स्कूलों में अब भी कई अभिभावक अपने पाल्यों के नाम व जेंडर में संशोधन के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों को संशोधन के लिए एक और मौका देगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि परीक्षा परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान ही संशोधन किए जाएंगे, ताकि परीक्षार्थियों के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में नाम व जेंडर सही अंकित किए जा सकें और परिणाम आने के बाद परीक्षार्थियों को अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में संशोधन कराने की जरूरत न पड़े।
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