NCERT की गणित में वैदिक गणित की अवधारणा भी पढ़ेंगे विद्यार्थी, राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान में एनसीईआरटी की गणित व विज्ञान पुस्तक का कस्टमाइजेशन शुरू
प्रयागराजः राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के परिपेक्ष्य में विकसित कक्षा छह, सात एवं आठ की विज्ञान व गणित की पाठ्यपुस्तकों को प्रदेश के संदर्भ में कस्टमाइज किया जाना है। कक्षा सात के गणित विषय के लिए राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान में कार्य शुरू किया गया है। इसमें पुस्तकों की समीक्षा प्रदेश की आवश्यकता, पृष्ठभूमि एवं शैक्षिक परिदृश्य को दृष्टिगत रखते हुए की जा रही है।
गणित की पाठ्य-पुस्तक में वैदिक गणित की अवधारणाओं एवं अभ्यास प्रश्नों का समावेश किया जा रहा है। आवश्यकतानुसार कठिन भाषा को सरलीकृत करके पुस्तक को उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए रोचक बनाया जा रहा है। अभी वैदिक गणित राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के पाठ्यक्रम में तो है, लेकिन एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक में नहीं होने के कारण जोड़ा जा रहा है।
राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी के निर्देशन में 26 सितंबर तक चलने वाले कस्टमाइजेशन में संस्थान के प्रवक्ता के साथ अन्य विद्यालयों के भी विषय विशेषज्ञ सम्मिलित हैं। संस्थान के गणित के प्रवक्ता अरविंद कुमार गौतम के अनुसार वैदिक गणित का आधार प्राचीन भारतीय ग्रंथ है।
इस प्रणाली में गणनाओं को तेज और सरल बनाने के लिए सूत्र एवं उप-सूत्र शामिल किए गए हैं। यह अंकगणित, बीजगणित और ज्यामिति के संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए सरल नियम प्रदान करता है। यह विधि मानसिक गणना पर जोर देती है, जिससे मस्तिष्क की क्षमता और गणना करने की गति बढ़ती है।
वैदिक गणित का अभ्यास छात्रों की स्मृति और एकाग्रता को बढ़ाता है। इसे एनसीईआरटी से अनुमति लेकर उनकी पुस्तक में सम्मिलित किया जाएगा। इसी तरह विज्ञान विषय के प्रवक्ता एवं विशेषज्ञ एनईपी के परिपेक्ष्य में विकसित पुस्तक को उत्तर प्रदेश के अनुकूल बना रहे हैं यानी कस्टमाइज कर रहे हैं।
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