टीईटी अनिवार्यता पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का विरोध, 15 सितंबर तक जिलाधिकारियों के माध्यम से पीएम मोदी को भेजा जाएगा ज्ञापन
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिए जाने के फैसले को लेकर शिक्षक संगठनों का विरोध तेज हो गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ने इसे सेवा-सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला बताते हुए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है। संगठन ने ऐलान किया है कि पूरे प्रदेश में 15 सितंबर तक सभी जिलों में जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की जाएगी।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. संजय मेघावी और महासचिव जोगेंद्र पाल सिंह ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर अपनी चिंता जता चुका है। उनका कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए पुराने नियुक्त शिक्षकों को भी टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया तो लाखों शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा पर संकट आ जाएगा।
प्रेस नोट में स्पष्ट किया गया कि आरटीई अधिनियम 2009 एवं एनसीटीई के आदेशानुसार 23 अगस्त 2010 के पहले नियुक्त शिक्षक, जिन्हें मान्यता प्राप्त और प्रशिक्षण प्राप्त है, उन्हें सेवा-सुरक्षा का लाभ मिलना चाहिए। 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए अलग नियम बनाए गए थे, लेकिन अब पुराने और नए शिक्षकों को एक ही कसौटी पर कसना उचित नहीं होगा।
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने भी केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि जिन शिक्षकों ने दशकों तक सेवाएं दी हैं, उनकी नौकरी पर खतरा डालना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने मांग की कि सरकार शिक्षक हित में ठोस कदम उठाए और उन्हें सेवा-सुरक्षा का आश्वासन दे।
प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार ने कहा कि यह निर्णय न केवल शिक्षकों के लिए तनावपूर्ण है बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा। संगठन का मानना है कि यह फैसला उन लाखों शिक्षकों के सम्मान और स्थायित्व पर आघात करेगा, जिन्होंने वर्षों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा को आगे बढ़ाया है।
महासंघ ने सरकार से मांग की है कि 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा को बरकरार रखा जाए और भविष्य में भी ऐसे नियम बनाए जाएं, जिससे शिक्षक वर्ग को आश्वस्ति और स्थायित्व मिले।
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