प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की कुंडली खंगालने उतरे अधिकारी, शिक्षण संस्थानों में मची खलबली
एक सप्ताह में जांच की देंगे रिपोर्ट, उच्च शिक्षा विभाग करेगा कार्रवाई
लखनऊ। प्रदेश भर के निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में चल रहे कोर्स, उनकी मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की सच्चाई जानने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच शुरू कर दी है। जिलों में अपर नगर मजिस्ट्रेट, सहायक पुलिस आयुक्त व एक वरिष्ठ शिक्षक वाली तीन सदस्यीय कमेटियों ने संस्थानों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है, जिससे शिक्षण संस्थानों में हड़कंप मच गया है। टीमों को एक सप्ताह में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके आधार पर आगे कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आठ सितंबर को जारी आदेश में सभी मंडलायुक्त व जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया था कि प्रशासनिक अधिकारियों व शिक्षकों की कमेटी जिलों में निजी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों की हकीकत जानेगी। सिर्फ लखनऊ में ही 25 अलग-अलग टीमें विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में जांच करने के साथ ही उनसे शपथ पत्र भी ले रही हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने इन कमेटियों को अपनी रिपोर्ट एक सप्ताह में देने का निर्देश दिया है। यह रिपोर्ट जिला प्रशासन के माध्यम से विभाग को भेजी जाएगी। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई हुई तो कई कॉलेजों की मान्यता फंसेगी। शायद यही वजह है कि निजी शिक्षण संस्थान अपने यहां कागजात दुरुस्त करने में भी जुट गए हैं।
जांच के मुख्य बिंदु
संस्थान का नाम, कोर्स का नाम, किस नियामक निकाय से मान्यता ली, मान्यता का प्रमाण पत्र, सीट की मान्यता है, कोर्स में वर्तमान में कितने छात्र नामांकित हैं। जांच टीम इन सभी की प्रमाणित प्रति भी लेगी। साथ ही संस्थान में केवल मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम ही चलाए जा रहे हैं, किसी छात्र का बिना मान्यता वाले कोर्स में दाखिला नहीं लिया गया है, इसका शपथ पत्र भी लेंगे।
इनकी भी लेंगे जानकारी
विवि या कॉलेज में चलाया जा रहा पाठ्यक्रम, किस नियामक संस्था से ली मान्यता, किस विवि से संबद्धता, पाठ्यक्रम में स्वीकृत सीट, ईडब्ल्यूएस सीट, कुल सीटों की संख्या, प्रवेशित छात्रों की संख्या, विवि द्वारा दी गई संबद्धता पत्र की स्थिति, बिना मान्यता कोई कोर्स तो नहीं चल रहा, यदि हां तो पाठ्यक्रम का नाम, गैर मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वालों की छात्रों की संख्या।
छात्रों के साथ खिलवाड़ नहीं
बिना मान्यता के कोर्स संचालित करने व अवैध दाखिलों की शिकायत का मुख्यमंत्री योगी ने लिया संज्ञान
प्रत्येक जिले में गठित की गई विशेष जांच समिति, डीएम करेंगे अध्यक्षता
मंडलायुक्त करेंगे निगरानी की सघन जांच, अनियमितता मिलने पर होगी कठोर कार्रवाई
लखनऊः प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी निजी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की सघन जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए प्रत्येक जिले में विशेष जांच समिति गठित की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे। उच्च शैक्षणिक संस्थानों की सघन जांच की प्रक्रिया की निगरानी मंडलायुक्त को सौंपी गई है। जांच प्रक्रिया में किसी तरह की लापरवाही न बरतने की हिदायत देते हुए 15 दिन में जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
शैक्षणिक संस्थानों में किसी तरह की अनियमितता पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। इससे साफ है कि अब कोई भी संस्थान बिना मान्यता के कोर्स संचालित कर छात्रों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकेगा। इस संबंध में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल की ओर से जारी शासनादेश के अनुसार जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी होंगे। समिति संबंधित संस्थानों से शपथ पत्र लेगी, जिसमें यह साफ साफ लिखा होगा कि वे केवल मान्यताप्राप्त कोर्स ही संचालित कर रहे हैं। सभी संचालित पाठ्यक्रमों की सूची, सीटों की संख्या देनी होगी।
साथ ही, संबंधित नियामक संस्थाओं जैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ), डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल (डीइसी), डेंटल काउंसिल आफ इंडिया (डीसीआइ), इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी), मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ), नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई), फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआइ) की मान्यता का स्पष्ट विवरण भी देना होगा।
सभी जिलाधिकारियों को जांच पूरी कर 15 दिन में शासन को रिपोर्ट भेजनी होगी। यदि किसी संस्था में अवैध प्रवेश या बिना मान्यता के कोर्स संचालित पाए जाएंगे तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में संस्थान को छात्रों से लिया गया पूरा शुल्क ब्याज सहित लौटाना अनिवार्य होगा।
मुख्यमंत्री से मिले थे एबीवीपी के पदाधिकारीः लंबे समय से फर्जी मान्यता और अवैध प्रवेश की शिकायतें सामने आती रही हैं। पिछले दिनों बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप विश्वविद्यालय में बिना मान्यता के विधि पाठ्यक्रम चलाए जाने का मामला सामने आया था। छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कई कार्यकर्ता घायल हुए थे। इस संबंध में रविवार को एबीवीपी के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मिले भी थे। माना जा रहा है कि एबीवीपी पदाधिकारियों द्वारा निजी शैक्षणिक संस्थानों में की जा रही अनियमितताओं की जानकारी दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने मान्यता व प्रवेश प्रक्रिया की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
योगी के निर्देश के बाद उच्च शिक्षा के अपर सचिव डा. दिनेश सिंह ने विश्वविद्यालय पर धोखाधड़ी का मुकदमा कराया था। प्रशासन ने विश्वविद्यालय के कब्जे सरकारी जमीन से हटा दिए थे। अब तक छह लोग इस मामले में गिरफ्तार किए गए हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी रहेंगे जांच समिति में
शासनादेश के अनुसार जिलाधिकारी जांच समिति की अध्यक्षता करेंगे। समिति में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी होंगे। समिति संबंधित संस्थानों की मान्यता की जांच करेगी।
47 निजी विवि में हैं 2.80 लाख से अधिक छात्र
प्रदेश में 47 निजी विश्वविद्यालय व 7400 निजी महाविद्यालय संचालित हैं। सिर्फ निजी विवि में ही 2.80 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। कुछ संस्थानों के खिलाफ मान्यता, फर्जी अंकतालिका और अव्यवस्था की शिकायतें आती रही है। हाल ही में हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी अंकतालिका का मामला सामने आया था, जिसकी जांच जारी है। वहीं बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप विश्वविद्यालय में विधि कोर्स की मान्यता को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद उच्च शिक्षा परिषद ने जांच टीम गठित की थी लेकिन परिषद की जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है।
उच्च शिक्षा मंत्री बोले, पोर्टल से जुड़ेंगे निजी विश्वविद्यालय
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि सरकार अब इस मामले में सख्त रुख अपना रही है। जांच के साथ अब एक नया पोर्टल तैयार किया जा रहा है। यह पोर्टल समर्थ पोर्टल की तरह होगा और प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को इससे जोड़ा जाएगा। इसके माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
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