हाईकोर्ट ने पूछा : बीएसए बताएं... किस नियम के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को नियमित नहीं किया?
बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत एटा निवासी ने दाखिल की है याचिका, नियुक्ति के बाद भी मिल रहा 2550 रुपये मानदेय
बड़ी संख्या में अनुकंपा के आधार पर कई आश्रितों की निश्चित मानदेय पर नियुक्तियां की गई हैं। यह उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक की मृत्यु के उपरांत उसके आश्रितों की भर्ती नियमावली-1974 की अवहेलना है। - इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर की गई नियुक्ति को नियमित करने में कथित मनमानी पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने एटा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को तलब कर उनसे पूछा है कि किस प्रावधान के तहत अनुकंपा नियुक्ति निश्चित वेतन पर की जा रही है।
याची की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को नियमित करने में क्या कानूनी अड़चन आ रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने आशीष कुमार की याचिका पर दिया है। आशीष कुमार सिंह ने चतुर्थ श्रेणी पद पर अनुकंपा नियुक्ति को नियमित करने और 15 सितंबर 2007की प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से सभी परिणामी लाभ दिए जाने की मांग कर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
अधिवक्ता ने दलील दी कि बीएसए ने याची के समान मामले में दिनेश कुमार नाम के एक व्यक्ति का मर्जी के अनुसार उसकी सेवाओं को प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नियमित कर दिया है। सभी परिणामी लाभ दिए। वहीं, याची को उसके वैध हक से वंचित किया जा रहा है। याची को करीब 18 साल बाद भी केवल 2550 रुपये के अल्प निश्चित वेतन पर जीवनयापन करने के लिए छोड़ दिया गया है।
हाईकोर्ट ने बीएसए को 15 अक्तूबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष स्पष्टीकरण के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है। साथ ही रजिस्ट्रार अनुपालन व प्रतिवादी वकील को इस आदेश को तत्काल बीएसए को प्रेषित करने का निर्देश दिया है।
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