DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Saturday, November 1, 2025

शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश

शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश 


प्रयागराज/लखनऊ। शासन ने बिना अनुमति किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों के संबद्धीकरण (अटैचमेंट) आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल तैनाती अपर मुख्य सचिव बेसिक स्थान पर वापस भेजा जाए। आदेश के एवं माध्यमिक शिक्षा ने जारी किया आदेश

अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय माध्यमिक संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि संबद्धीकरण समाप्त करने या यथावत रखने से संबंधित जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर उपलब्ध कराएं। 

निदेशक ने कहा कि ऐसे विद्यालय जहां पद सृजित नहीं हैं और विद्यालय संचालन के लिए अध्यापकों को संबद्ध किया गया है, वहां पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए संबद्धीकरण को अस्थायी रूप से जारी रखने का प्रस्ताव शासन को औचित्य सहित भेजा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा विभाग में अनधिकृत संबद्धीकरण की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना और शिक्षण व्यवस्था को नियमित करना है। 



सेवा के दौरान टीईटी पास करने वाले बर्खास्त शिक्षक बहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए पूरा मामला

सेवा के दौरान टीईटी पास करने वाले बर्खास्त शिक्षक बहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए पूरा मामला 


सुप्रीम कोर्ट ने बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए बर्खास्तगी को गलत ठहराया

दोनों शिक्षकों ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास की थी, नियुक्ति 2012 में हुई और 2018 में बर्खास्तगी


नई दिल्लीः कानपुर के दो सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के समय अनिवार्य न्यूनतम योग्यता टीईटी परीक्षा पास न करने के आधार पर नौकरी से बर्खास्त किये गए दो सहायक शिक्षकों की तत्काल बहाली के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान टीईटी पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों की बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।


शीर्ष अदालत ने कहा कि बदले नियमों के मुताबिक टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय था जबकि दोनों शिक्षकों ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास कर लिया था। यहां तक कि बर्खास्तगी की तारीख 12 जुलाई 2018 को वो दोनों टीईटी कर चुके थे ऐसे में उन्हें बर्खास्तगी की तारीख पर अयोग्य मानना गलत है।

ये फैसला प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने उत्तर प्रदेश, कानपुर में भौती के ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक उमाकांत और एक अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए शुक्रवार को दिया। शीर्ष अदालत ने शिक्षकों की याचिका खारिज करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ और एकलपीठ का आदेश खारिज कर दिया है इसके साथ ही दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश भी रद कर दिया है। 

पीठ ने दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश देते हुए कहा है कि दोनों शिक्षक किसी तरह के बकाया वेतन के भुगतान के अधिकारी नहीं होंगे, लेकिन बहाली के बाद उनकी नौकरी पहले से जारी नौकरी की तरह मानी जाएगी और उन्हें वरिष्ठता के सहित सारे परिणामी लाभ मिलेंगे।

इस मामले में दोनों शिक्षकों ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के एक मई 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी रद कर पुनः बहाली की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बर्खास्तगी के समय दोनों शिक्षक टीईटी कर चुके थे ऐसे में उन्हें अयोग्य मानकर बर्खास्त किया जाना गलत है। 


क्या है मामला? 
नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए टीईटी की न्यूनतम योग्यता तय कर दी। राज्य सरकार को तय नियमों के तहत टीईटी परीक्षा करानी थी। इसके बाद 25 जून 2011 को भौती के सहायता प्राप्त विद्यालय ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल ने सहायक शिक्षकों के चार पदों की रिक्तियां निकालीं। दोनों याचियों ने आवेदन किया। उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को टीईटी परीक्षा आयोजित हुई, जिसे एक याची ने 25 नवंबर 2011 को पास कर लिया। 13 मार्च 2012 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का चयन मंजूर करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया। दोनों शिक्षकों ने 17 मार्च 2012 को सहायक शिक्षक पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली 124 मई 2014 को दूसरे याची ने भी टीईटी परीक्षा पास कर ली। 

इस बीच नौ अगस्त 2017 को आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन हुआ, जिसमें कहा गया कि 31 मार्च 2015 तक नियुक्त शिक्षकों में जिसने टीईटी परीक्षा पास नहीं की है वे चार साल के भीतर इसे पास कर न्यूनतम योग्यता हासिल करें। टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया, लेकिन 12 मार्च 2018 को दोनों शिक्षकों को नियुक्ति के समय टीईटी पास न होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया और उनकी नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया गया। जिसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

बचपने का अपराध सरकारी नौकरी में नहीं हो सकता बाधकः इलाहाबाद हाईकोर्ट

बचपने का अपराध सरकारी नौकरी में नहीं हो सकता  बाधकः इलाहाबाद हाईकोर्ट


कोर्ट ने कहा- आपराधिक इतिहास का खुलासा करना बालक की गोपनीयता और प्रतिष्ठा के खिलाफ

शिक्षक की सेवा समाप्ति का आदेश रद्द, समस्त लाभों सहित बहाली का आदेश


कोर्ट की टिप्पणी

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धारा 19 (1) स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी अन्य कानून की परवाह किए बिना यदि कोई अपराधी किशोर था और अधिनियम के प्रावधानों के तहत उसके मामले को निपटाया गया है तो उसको मिली सजा भविष्य में बाधक नहीं होगी। लिहाजा, दोषसिद्धि के बावजूद बाल अपराधी को सरकारी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता।


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बाल अपचारी की दोषसिद्धि सरकारी नौकरी में बाधक नहीं हो सकती है। नौकरी पाने के बाद दाखिल हलफनामे में बाल अपराध की सच्चाई छिपाने के आधार पर उसे सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। बाल अपराध का खुलासा करने के लिए दवाव बनाना उसकी गोपनीयता और प्रतिष्ठा के खिलाफ है।

इस टिप्पणी के साथ मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति शैलेंद्र क्षितिज की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) इलाहाबाद के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही याची शिक्षक को समस्त लाभों सहित सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है।

2019 में पीजीटी परीक्षा में चयनित याची की नियुक्ति अमेठी के गौरीगंज स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में शिक्षक के पद पर हुई थी। नियुक्ति के दो माह बाद उसके खिलाफ आपराधिक इतिहास छिपाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई। इस पर हुई विभागीय जांच के बाद उसे सेवा से हटा दिया गया। सेवा समाप्ति के खिलाफ याची ने कैट का दरवाजा खटखटाया, जहां उसकी अर्जी सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवतार सिंह के मामले में निर्धारित विधि व्यवस्था के आलोक में स्वीकार कर ली गई। साथ ही विभाग को नए सिरे से जांच का आदेश दिया गया। कैट के इस फैसले के खिलाफ याची और विभाग दोनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

याची शिक्षक ने दलील दी कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था। किशोर न्याय अधिनियम के तहत बाल अपराध सरकारी सेवा में बाधक नहीं हो सकता। वहीं, विभाग ने कैट के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि याची ने हलफनामे में अपने आपराधिक इतिहास को छिपाया है। लिहाजा, याची नियुक्ति पाने का हकदार नहीं है। क्योंकि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधान 16 वर्ष की आयु के बच्चों पर लागू होगा।

कोर्ट ने याची शिक्षक की याचिका स्वीकार कर ली। कहा कि अपराध वर्ष 2011 में हुआ था, जब किशोर न्याय अधिनियम, 2000 लागू था। लिहाजा, 2015 अधिनियम की धारा 24(1) का वह प्रावधान जो 16 वर्ष से ऊपर बच्चों को अपवाद बनाता है, इस पर लागू नहीं होगा।

शिक्षकों के खाली पड़े 22 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन मंगाया

शिक्षकों के खाली पड़े 22 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन मंगाया


प्रयागराज। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन (रिक्त पदों का विवरण) मंगाया है। इसके तहत 22 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इस संबंध में अधियाचन के लिए भेजे गए प्रारूप को शिक्षा सेवा चयन आयोग स्वीकार करता है तो पोर्टल विकसित कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

प्रदेश के 4512 माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और सहायक अध्यापक के कुल 22,201 पद रिक्त हैं। इसमें तकरीबन दो हजार से अधिक प्रधानाचार्य और बाकी सहायक अध्यापक और प्रवक्ता के पद हैं। निदेशालय ने सभी जिलों से प्राप्त अधियाचन प्रेषण हेतु प्रारूप शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेज दिया है। हालांकि अभी चार जिलों से खाली पदों की संख्या प्राप्त नहीं हो सकी है। ऐसे में पदों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रारूप प्राप्त होने के बाद शिक्षा सेवा चयन बोर्ड इसे शासन के कार्मिक विभाग को भेज कर दिशा निर्देशन प्राप्त करेगा। अनुमति मिलते ही एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के सहयोग से एक पोर्टल तैयार किया जाएगा। उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक 3) डॉ. ब्रजेश मिश्र ने बताया कि अधियाचन प्रेषण हेतु प्रारूप शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेजा गया है। यदि चयन आयोग के द्वारा इसी प्रारूप को स्वीकार कर पोर्टल विकसित किया जाता है तो उस पर अधियाचन अपलोड कर दिया जाएगा। इससे माध्यमिक शिक्षा संस्थानों में लंबे समय से चली आ रही शिक्षक कमी दूर होने की संभावना है



 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों रिक्त पदों की सूचना देने के साथ रिक्ति के साथ पद खाली न होने का प्रमाणपत्र भी DIOS से गया मांगा

प्रयागराज। प्रदेशभर के 4512 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों रिक्त पदों की सूचना देने के साथ जिला विद्यालय निरीक्षकों से प्रमाणपत्र भी मांगा गया है कि सीधी भर्ती का कोई और पद खाली नहीं है।

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को नई भर्ती के लिए सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सीधी भर्ती के 31 मार्च 2026 तक की संभावित रिक्तियों को शामिल करते हुए रिक्त पद का अधियाचन 29 जुलाई को मांगा गया था।

 माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने बुधवार को सभी डीआईओएस को लिखा है कि कुछ जिलों के विद्यालयों में रिक्त पदों को अधियाचन में शामिल नहीं किया गया है। लिहाजा सभी डीआईओएस अपने जिले से संबंधित एडेड कॉलेजों के भेजे अधियाचन के लिएदो दिन में प्रमाणपत्र दें कि सीधी भर्ती के रिक्त शेष सभी पद शामिल करते हुए शिक्षा निदेशालय को भेजा गया है।



तबादला वापसी पर BSA ले रहे अलग-अलग निर्णय, तबादला निरस्त करने के लिए दिया गया स्कूल एकल या शिक्षक विहीन होने का हवाला


तबादला वापसी पर BSA ले रहे अलग-अलग निर्णय, तबादला निरस्त करने के लिए दिया गया स्कूल एकल या शिक्षक विहीन होने का हवाला


लखनऊ । मेरठ में तबादला हुए बेसिक शिक्षकों को वापस उनके पुराने स्कूल में भेजने के आदेश कर दिए गए। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ये आदेश उन स्कूलों के लिए जारी किए जो तबादले की वजह से एकल या शिक्षक विहीन हो गए। वहीं लखनऊ में तबादले निरस्त नहीं किए गए, जबकि यहां भी करीब 50 स्कूल एकल हो गए है। यह महज दो जिलों की बात नहीं है। प्रदेश भर में हर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी के स्तर से अलग-अलग तरह के निर्णय लिए जा रहे है। प्रदेश के करीब दो दर्जन जिलों में तबादले निरस्त किए गए है। बाकी में नहीं।


अगस्त में हुए तबादलेः प्रदेश में बेसिक शिक्षकों के अंतःजनपदीय तबादलों की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई थी। उसके बाद 11 अगस्त को तबादला लिस्ट जारी की गई। इसमें कुल 5,378 का तबादला हुआ। तब जॉइनिंग देने के तुरंत बाद यह बात सामने आई थी कि छात्र शिक्षक अनुपात बिगड़ गया है। कुछ बीएसए ने शिक्षकों को तुरंत ही पुराने स्कूल में वापस करने के आदेश किए थे। उस समय विभाग के बड़े अफसरों ने हस्तक्षेप कर यह कहा था कि जिनका तबादला हो गया है, उनको रोका नहीं जाएगा। सभी को नई जगह जॉइनिंग दी जाएगी। बाद में स्कूलों की पेयरिंग के बाद एक बार फिर से तबादले समायोजन किए जाएंगे। उसमें अनुपात को सुधार लिया जाएगा।


ही वापसी के आदेश हुए, कही नहीं हुएः स्कूलों की पेयरिंग हो गई लेकिन उसके बाद समायोजन नहीं हुआ। ज्यादातर जिलों में कई स्कूल एकल या शिक्षकविहीन हो गए है। ऐसे में कई बीएसए फिर से शिक्षकों को अपने पुराने स्कूल में भेजने के आदेश कर रहे है।

मेरठ, कन्नौज, महराजगंज, सुलतानपुर, हमीरपुर सहित कई जिलों के बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को आदेश दिए कि यदि कोई स्कूल तबादले/समायोजन की वजह से एकल या शिक्षकविहीन हो रहा है तो शिक्षकों को मूल विद्यालय में वापस भेजा जाए। वहीं, बस्ती और जालौन सहित कई जिलों के बीएसए ने नियमों का हवाला देते हुए लिखा है कि कोई विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन नहीं होना चाहिए।

 नियमों के तहत ही शिक्षकों को कार्यमुक्त या कार्यभार ग्रहण करवाने की कार्यवाही की जाए। वहीं लखनऊ, गाजियाबाद, अमरोहा, कासगंज सहित प्रदेश के ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जहां शिक्षकों को पुराने विद्यालय में वापसी के आदेश नहीं किए गए। यहां भी कई स्कूल एकल या बंद हो गए है।


परिषद के स्तर से तबादला निरस्त करने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए है। जब तबादले हुए थे, तभी बीएसए से कहा गया था कि देख-परखकर शिक्षको को रिलीव करे। कोई स्कूल एकल या बंद नहीं होना चाहिए। –सुरेंद्र तिवारी, सचिव-बेसिक शिक्षा परिषद


कैसे फंसते गए पेच ?
जब तबादले किए गए तब छात्र-शिक्षक अनुपात तय करते समय शिक्षामित्रो को भी जोड़कर शिक्षको की संख्या का आकलन किया गया। कई स्कूल ऐसे थे, जिनमें शिक्षामित्र तो है लेकिन शिक्षक एक या दो ही थे। जब वहां से एक का तबादला हो गया तो वे एकल यह बात उठी तो एक बार और समायोजन का आश्वासन दिया गया। वह समायोजन हुए नहीं। हाल ही में शिक्षकविहीन स्कूल का मामला हाई कोर्ट पहुंचा। इस पर HC ने आदेश दिया कि विद्यालय एकल या शिक्षक विहीन नहीं होना चाहिए। अब जिन शिक्षको के तबादले के बाद पुराने स्कूल में वापसी हो गई, वे शिक्षक कोर्ट चले गए है। इस तरह से दोनों तरफ से मामला कोर्ट में होने के कारण अफसर फंसे हुए है। यही वजह है कि विभाग के बड़े अफसर भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे।