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Wednesday, December 31, 2025

मदरसा शिक्षकों को बिना प्रावधान वीआरएस, निदेशक ने पूछा- किस नियम में दिया जा रहा लाभ

मदरसा शिक्षकों को बिना प्रावधान वीआरएस, निदेशक ने पूछा- किस नियम में दिया जा रहा लाभ



लखनऊ। मदरसों में कार्यरत शिक्षकों या शिक्षणेत्तर कर्मियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) को लेकर बड़ा पेंच फंस गया है। दरअसल एक्ट में इन शिक्षकों के वीआरएस लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है। बावजूद इसके प्रदेश में तमाम मदरसा शिक्षकों को वीआरएस का लाभ और पेंशन भी दी जा रही है।

मामला खुला तो निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण ने रजिस्ट्रार और निरीक्षक उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद को पत्र भेज कर पूछा गया है कि किस नियम के तहत यह लाभ और पेंशन दी जा रही है। 


निदेशक ने कहा है कि उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता प्रशासन और सेवानियमावली-2016 में प्रावधान है कि कोई भी कर्मचारी तीन माह का नोटिस देकर त्यागपत्र दे सकता है। कोई कर्मचारी यदि त्यागपत्र के तीन माह पूर्व इसकी सूचना नहीं देता है तो उसे तीन महीने का वेतन जमा करना होगा। फिर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा संबंधित कर्मचारी को सुनवाई का पूरा अवसर देते हुए और उसके बयान दर्ज करने के बाद अपनी संस्तुति सहित इस्तीफा 15 दिन में निरीक्षक मदरसा शिक्षा परिषद को भेजा जाएगा।


निदेशक ने पूछा- किस नियम में दिया जा रहा लाभ

सवाल उठाया गया है कि इस नियमावली में क्या वीआरएस की व्यवस्था है? यदि नहीं है तो किस नियम के अंतर्गत मदरसों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों यह लाभ दिया जा रहा है। ऐसे कितने प्रकरणों में पेंशन दी जा रही है। यदि हां, तो किस नियम के तहत ? रजिस्ट्रार व निरीक्षक के साथ ही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को सेवानियमावली का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।


रिकवरी के साथ स्वीकृति देने वाले अफसर भी नपेंगे

विभागीय सूत्रों की मानें तो यह मामला बेहद गंभीर है। सवाल यह है कि बिना प्रावधान के आखिर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी इसकी स्वीकृति कैसे देते आ रहे हैं। अब विभाग के पास दो ही विकल्प हैं कि जिनको यह लाभ मिल रहे हैं, उन्हें तत्काल रोकने के साथ रिकवरी की जाए। ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारी भी नपेंगे। दूसरा विकल्प मदरसा एक्ट में बदलाव कर वीआरएस का विकल्प देने का है। मगर फिर भी पुराने प्रकरणों का पेंच फंसेगा।

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