DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Saturday, May 31, 2025

स्कूलों में बिना अनुमति प्रवेश पर रोक, बीएसए ललितपुर का आदेश

स्कूलों में बिना अनुमति प्रवेश पर रोक, बीएसए ललितपुर का आदेश 


ललितपुर।  जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बड़ा कदम उठाते हुए पत्रकारों के स्कूलों में बिना अनुमति प्रवेश पर रोक लगा दी है। अब कोई भी मीडियाकर्मी सीधे स्कूल में घुसकर न वीडियो बना सकेगा, न तस्वीरें खींच सकेगा, और न ही अचानक पहुँचकर ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ कर पाएगा।

शिक्षा अधिकारी रणवीर सिंह के ताज़ा आदेश में कहा गया है कि कुछ पत्रकार बिना सूचना स्कूलों में पहुंचते हैं, स्टाफ पर दबाव बनाते हैं और माहौल बिगाड़ते हैं। इससे पढ़ाई में खलल पड़ता है और बच्चों का ध्यान भी बंटता है।

अब साफ निर्देश है—बिना पहचान और पूर्व अनुमति के कोई भी पत्रकार स्कूल परिसर में नहीं घुसेगा। पहले भी ऐसा आदेश आ चुका था, लेकिन अब दोबारा और सख्ती से लागू किया गया है।

आम भाषा में कहें तो, अब “हम मीडिया से हैं” बोलकर स्कूलों में घुसने का पास खत्म। जो भी पत्रकार स्कूल में रिपोर्टिंग करना चाहते हैं, उन्हें पहले जिला स्तर से अनुमति लेनी होगी—वरना गेट पर ही रोक दिया जाएगा।


बीएसए ललितपुर कार्यालय का आदेश देखें…

बीएड की प्रवेश परीक्षा कल, दो पालियों में होगी परीक्षा, परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक जांच के बाद ही मिलेगा प्रवेश

बीएड की प्रवेश परीक्षा कल, दो पालियों में होगी परीक्षा, परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक जांच के बाद ही मिलेगा प्रवेश 

31 मई 2025
झांसी। बीएड की प्रवेश परीक्षा एक जून को दो पालियों में होगी।  तैयारियों का अंतिम चरण पूरा हो चुका है। परीक्षा सकुशल संपन्न कराने के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इस बार बीएड की प्रवेश परीक्षा आयोजन बुंदेलखंड का विश्वविद्यालय झांसी द्वारा किया जा रहा है। 

परीक्षा के लिए हर केंद्र पर एक आर्जवर व स्टेटिक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। परीक्षा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था व सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगी। कैलकुलेटर, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, ब्लूटुथ आदि ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा। केंद्र से 200 मीटर की परिधि में फोटोकॉपी की दुकानें, साइबर कैफे आदि बंद रहेंगे।

परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक जांच के बाद ही प्रवेश मिलेगा। लिहाजा किसी भी असुविधा से बचने के लिए परीक्षार्थियों को कम से कम एक घंटा पहले केंद्र पर पहुंच जाना चाहिए। परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए सचल दल भी बनाए गए हैं, जो परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण करेंगे। 

दो पालियों में आयोजित होने वाली परीक्षा के तहत पहली पाली का आयोजन सुबह नौ बजे से 12 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर दो बजे से पांच बजे तक आयोजित होगी। परीक्षा के लिए हर केंद्र पर एक-एक स्टेटिक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। इसके अलावा दो-दो पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं। 



बीएड प्रवेश परीक्षा में बायोमेट्रिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद मिलेगा केंद्र पर प्रवेश, सीसीटीवी कैमरों की रहेगी निगरानी

29 मई 2025
झांसी। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का समय नजदीक आ गया है। एक जून को होने वाली परीक्षा के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। बिना बायोमेट्रिक जांच के परीक्षार्थी को केंद्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा इस बार बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन कराया जा रहा है। परीक्षा दो पालियों में होगी।  परीक्षा के दौरान कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए जाएंगे। केंद्र पर प्रवेश करने से पहले परीक्षार्थी को बायोमेट्रिक प्रक्रिया से गुजरना होगा। एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी किया जाएगा। परीक्षा पर सीसीटीवी कैमरों की नजर रहेगी। इसके लिए बुंदेलखंड विवि द्वारा सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों का अपना सेटअप लगवाया गया है। जिससे सर्विलांस के जरिये नजर रखी जा सकेगी।

प्रशासन की ओर से भी परीक्षा केंद्र पर पर सख्त नजर रहेगी। हर केंद्र पर स्टेटिक मजिस्ट्रेट लगाए हैं। साथ ही केंद्र प्रतिनिधि के रूप में प्रशासनिक अधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। परीक्षा के दौरान दो सचल दल भी तैनात रहेंगे। 



यूपी बीएड : छह जिलों में नहीं बनेंगे प्रवेश परीक्षा केंद्र, 3.42 लाख छात्र छात्राओं ने किया बीएड में आवेदन

06 मई 2025
झांसी। एक जून को प्रस्तावित बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए 3.42 लाख छात्र-छात्राओं ने सोमवार रात तक फार्म भर दिए। दोपहर में बीयू कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में ललितपुर समेत छह जिलों को छोड़ प्रदेश के सभी 69 जिलों में परीक्षा कराने का फैसला किया गया। 

बीयू प्रदेश में लगातार तीसरी बार बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराएगा। इसके फार्म भरने की अंतिम तिथि सोमवार को खत्म हो गई और 3.42 लाख ने फार्म भरे जबकि गत वर्ष 2.23 लाख ने ही फार्म भले थे। 

कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने बताया कि इस बार सबसे ज्यादा फार्म पूर्वांचल के जिलों के छात्र-छात्राओं ने भरे हैं। इसलिए पूर्वांचल के प्रत्येक जिले में परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे, जिनकी संख्या 715 के करीब होगी। ललितपुर, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, कासगंज व श्रावस्ती जिले में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे। 



70 जिलों के 715 केंद्रों पर होगी बीएड की प्रवेश परीक्षा, एक जून को होगा इम्तिहान

बीयू लगातार तीसरी बार करा रहा परीक्षा

04 मई 2025
झांसी। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा को लेकर बीयू कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने शुक्रवार को 19 विश्वविद्यालयों के कुलसचिव, जिला कॉर्डीनेटर, डिप्टी नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की। स्पष्ट किया कि परीक्षा 70 जिलों के करीब 715 केंद्रों पर कराई जाएगी। 28 मई तक बीयू के दो-दो प्रतिनिधि परीक्षा सामग्री लेकर पहुंच जाएंगे और परीक्षा केंद्रों का जायजा लेंगे।


बीयू लगातार तीसरी बार प्रदेश में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा करा रहा है। पांच मई तक विलंब शुल्क के साथ फार्म भरे जाएंगे। शुक्रवार शाम तक प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए 3.33 लाख छात्र-छात्राओं ने फार्म भर दिए। पांच मई तक यह आंकड़ा 3.35 लाख तक पहुंच सकता है।

एक जून को होने वाली प्रवेश परीक्षा को लेकर बीयू प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है। कुलपति ने ऑनलाइन बैठक करते हुए बताया कि पांच मई की रात को बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों का डाटा स्पष्ट हो जाएगा।

इसके आधार पर कुछ परीक्षा केंद्र बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा केंद्र उन्हीं कॉलेज व विद्यालय को बनाया जाए, जिनकी छवि अच्छी हो। रास्ता सुगम हो। केंद्र शहर में ही बनाया जाए, जिससे अभ्यर्थियों को आने-जाने में दिक्कत न हो। प्रदेश कॉर्डीनेटर प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि परीक्षा सामग्री जिला प्रशासन की सुरक्षा में रखी जाएगी, जो परीक्षा शुरू होने से पहले कड़ी सुरक्षा में केंद्र तक पहुंचेगी।

समग्र शिक्षा में 100 एडेड माध्यमिक कॉलेजों को पहली बार मिली ICT लैब, राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को और मिली 471 लैब

समग्र शिक्षा में 100 एडेड माध्यमिक कॉलेजों को पहली बार मिली ICT लैब, राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को और मिली 471 लैब

यहां के छात्र भी सीखेंगे सूचना व प्रौद्योगिकी की बारीकियां, बढ़ेंगी कंप्यूटर, इंटरनेट और डिजिटल उपकरण से संबंधित सुविधाएं


लखनऊ। प्रदेश में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के कायाकल्प के लिए चल रही कवायद के साथ ही समग्र शिक्षा के तहत पहली बार प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के लिए भी बजट स्वीकृत किया गया है। पहली बार प्रदेश के 100 एडेड माध्यमिक विद्यालयों के लिए भी आईसीटी लैब स्वीकृत की गई है। इसके लिए 6.40 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है।


प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रोजेक्ट अलंकार, प्रोजेक्ट प्रवीण आदि योजनाओं से डिजिटल पठन-पाठन की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। साथ ही छात्रों को आधुनिक क्षेत्र में दक्ष कर उनके कौशल विकास व रोजगार की भी नई राह खोली जा रही है। इसी क्रम में शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट एडवाइजरी बोर्ड (पीएबी) ने अप्रैल में हुई बैठक में 416 आईसीटी लैब व 759 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के लिए लगभग 26 करोड़ रुपये स्वीकृत किया था।


इसके साथ ही इस साल पहली बार 100 एडेड माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब के लिए 6.40 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इससे इन विद्यालयों के छात्र भी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दक्ष हो सकेंगे। आईसीटी लैब के तहत इन विद्यालयों में कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधा बढ़ेगी। साथ ही डिजिटल उपकरण से पठन-पाठन की व्यवस्था की जाएगी। 

यहां के छात्र भी आधुनिक विधा में शोध व प्रोग्रामिंग, सिमुलेशन आदि ऑनलाइन कर सकेंगे। साथ ही उनको बेहतर कौशल विकास का अवसर भी मिलेगा। बता दें कि प्रदेश में 4700 से अधिक एडेड माध्यमिक विद्यालय हैं। जहां पर 15 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इस तरह अब राजकीय के साथ-साथ इन माध्यमिक विद्यालयों के भी केंद्रीय सहायता से संवरने का रास्ता खुल गया है।



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को और मिली 471 लैब

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में शिक्षा मंत्रालय की सप्लीमेंट्री पीएबी की बैठक में और 471 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए आईसीटी लैब स्वीकृत की गई है। इसके लिए 20.94 करोड़ स्वीकृत किया गया है। वहीं 158 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास भी स्वीकृत की गई है। इसके लिए 3.79 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। इस तरह अब हर राजकीय माध्यमिक विद्यालय में कम से कम एक आईसीटी लैब व दो स्मार्ट क्लास की स्थापना होगी। इससे छात्र सूचना व प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बारीकी सीखेंगे ही उन्हें अत्याधुनिक विधा से पठन-पाठन के अवसर भी मिलेंगे।

यूपी बोर्ड: एक साल में जारी की गईं 8275 डुप्लीकेट मार्कशीट, जानिए! कैसे करें डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए आवेदन

यूपी बोर्ड प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय का मामला

यूपी बोर्ड: एक साल में जारी की गईं 8275 डुप्लीकेट मार्कशीट,  जानिए! कैसे करें डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए आवेदन


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय से पिछले एक साल में कुल 8275 डुप्लीकेट मार्कशीट (अंक पत्र और प्रमाण पत्र) जारी की गई हैं। आंकड़ा उन विद्यार्थियों से संबंधित है, जिन्होंने वर्ष 1985 के बाद हाईस्कूल या इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है।

यूपी बोर्ड देश का सबसे बड़ा शैक्षणिक बोर्ड माना यात्रा के दौरान अंक पत्र खो जाता है, और हर जाना सबसे बड़ा कारण साल लाखों विद्यार्थी यहां से 10वीं व 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। बोर्ड कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए प्रतिदिन औसतन 20 से 25 आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।

डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों में से अधिकांश ने 'यात्रा के दौरान मार्कशीट खो जाने' का कारण बताया है। कुछ अभ्यर्थियों ने दस्तावेज क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में भी नए अंकपत्र की मांग की है।

बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज की अपर सचिव विभा मिश्रा ने बताया कि एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक कुल 8275 डुप्लीकेट मार्कशीट जारी की गई हैं।


कैसे करें डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए आवेदन

डुप्लीकेट मार्कशीट जारी कराने के लिए अभ्यर्थियों को संबंधित दस्तावेज, शपथ पत्र, समाचार पत्र में प्रकाशित गुमशुदगी की सूचना और निर्धारित शुल्क के साथ यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा करके प्राप्त कर सकते हैं अथवा यूपी बोर्ड की वेबसाइट www.upmsp.edu.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। 

अंकपत्र-प्रमाणपत्र दोबारा प्राप्त करने के लिए जरूरी दस्तावेज, छात्र द्वारा द्वितीय प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिए प्रधानाचार्य की आख्या सहित पूरित आवेदन पत्र, ट्रेजरी चालान शुल्क 200 रुपये का, 10 रुपये का शपथ पत्र, जो प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट/नोटरी द्वारा प्रमाणित हो, दैनिक समाचार पत्र में विज्ञप्ति की मूल प्रति, संबंधित परीक्षार्थी के पहचान पत्र की स्वप्रमाणित छाया प्रति आवश्यक है। 

पेपरलेस कार्य को स्कूलों से लेकर विवि तक स्थापित होंगे ई-ऑफिस, कार्यालयीय आदेश, सर्कुलर और कार्य ईआरपी पर होंगे

पेपरलेस कार्य को स्कूलों से लेकर विवि तक स्थापित होंगे ई-ऑफिस, कार्यालयीय आदेश, सर्कुलर और कार्य ईआरपी पर होंगे


लखनऊ । सरकारी स्कूलों से राज्य विश्वविद्यालयों तक अब 'कागजों वाले आदेश' नहीं चलेंगे। सभी जगह ई-ऑफिस की स्थापना की तैयारी शुरू हो चुकी है। कर्मचारियों के प्रशिक्षण के साथ ही विभाग की ई-ऑफिस आईडी भी तैयार कर ली गई है। विभागों और विश्वविद्यालयों में अब सभी आदेश और सर्कुलर ई-ऑफिस के जरिए ऑनलाइन ही जारी होंगे।


प्रदेश सरकार की पहल पर सभी सरकारी विभागों में ई-ऑफिस शुरू किए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग भी इससे अछूता नहीं है। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों में भी अब आदेश ईआरपी पर जारी होंगे। बीएचयू सहित केंद्रीय विश्वविद्यालय पहले से इस व्यवस्था के तहत काम कर रहे हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ई-ऑफिस प्रणाली शुरू करने के लिए प्रो. शैलेश कुमार मिश्र को जिम्मेदारी दी गई है। हिमांशु शुक्ल और मोहित कुमार मिश्र को इस समिति का सदस्य बनाया गया है।


इधर, बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी शुरू हो चुका है। अधिकारियों का मानना है कि ई-ऑफिस प्रणाली से कागजों की बचत होगी। आदेशों का रखरखाव और आर्काइव बनाना भी आसान होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग में शासनादेश के अनुसार ई-ऑफिस स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे कार्यालयीय कामकाज की गति बढ़ने के साथ, निगरानी और निरीक्षण भी आसान होगा।

यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय स्टाफ की ऑनलाइन उपस्थिति इसी सत्र से, कार्यदायी संस्था का चयन हुआ

यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय स्टाफ की ऑनलाइन उपस्थिति इसी सत्र से, कार्यदायी संस्था का चयन हुआ

30 मई 2025
लखनऊ यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के करीब एक करोड़ छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय के सभी स्टाफ की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था करने में जुट गया है। इसके कार्य के लिए कार्यदायी संस्था का भी चयन हो गया है। इसके बाद पोर्टल पर विद्यालयों के सभी स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं का विवरण अपलोड रहेगा। यह व्यवस्था मौजूदा सत्र 2025-26 में लागू हो जाएगी। इसमें प्रतिदिन उपस्थित रहने वालों के नाम के आगे सही का टिक तथा अनुपस्थित वालों के नाम के आगे क्रास का निशान कक्षा शिक्षक लगाएंगे।

पहले चरण में सिर्फ उपस्थिति ली जाएगी। इसके बाद अगले चरण में आते और जाते समय यानी दो बार उपस्थिति लिए जाने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय समय में रहकर पठन-पाठन कर सकें। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा सख्ती से कराने के बाद अब यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह का जोर विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति तथा पठन-पाठन पर है। आनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था होने पर विद्यालयों में फर्जी प्रवेश पर भी प्रतिबंध लग जाएगा। बोर्ड सचिव ने बताया कि कार्यदायी संस्था का चयन हो गया है।


माध्यमिक शिक्षा: शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने व नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु शिक्षकों संग छात्रों की भी लगेगी ऑनलाइन हाजिरी, 2025-26 से लागू की जाएगी व्यवस्था

यूपी बोर्ड: अभी शिक्षकों और छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति, फिर समय सीमा भी होगी तय

19 मई 2025
 प्रयागराज : यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के करीब एक करोड़ छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय के सभी स्टाफ की आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था बना रहा है। इसके लिए टेंडर आमंत्रित कर एजेंसी फाइनल कर ली गई है। 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर विद्यालयों के सभी स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं का विवरण अपलोड रहेगा। इसमें प्रतिदिन उपस्थित रहने वालों के नाम के आगे सही का टिक तथा अनुपस्थित वालों के नाम के आगे क्रास का निशान कक्षा शिक्षक लगाएंगे। 

पहले चरण में सिर्फ उपस्थिति ली जाएगी। इसके बाद अगले चरण में आते और जाते समय यानी दो बार उपस्थिति लिए जाने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय समय में रहकर पठन-पाठन कर/करा सकें। 

हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा सख्ती से कराने के बाद अब यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह का जोर विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति तथा पठन-पाठन पर है। आनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था होने पर विद्यालयों में फर्जी प्रवेश पर भी प्रतिबंध लग जाएगा। बोर्ड सचिव ने बताया कि टेंडर फाइनल हो गया है।



यूपी बोर्ड के विद्यालयों में ऑनलाइन अटेंडेंस व्यवस्था के लिए टेंडर फाइनल,  शिक्षक व विद्यार्थी देंगे उपस्थिति

प्रयागराजः यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के करीब एक करोड़ छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय के सभी स्टाफ की आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था बना रहा है। इसके लिए टेंडर आमंत्रित कर एजेंसी फाइनल कर ली गई है। 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर विद्यालयों के सभी स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं का विवरण अपलोड रहेगा। इसमें प्रतिदिन उपस्थित रहने वालों के नाम के आगे सही का टिक तथा अनुपस्थित वालों के नाम के आगे क्रास का निशान कक्षा शिक्षक लगाएंगे। 

पहले चरण में सिर्फ उपस्थिति ली जाएगी। इसके बाद अगले चरण में आते और जाते समय यानी दो बार उपस्थिति लिए जाने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय समय में रहकर पठन-पाठन कर करा सकें।

हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा सख्ती से कराने के बाद अब यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह का जोर विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति तथा पठन पाठन पर है। आनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था होने पर विद्यालयों में फर्जी प्रवेश पर भी प्रतिबंध लग जाएगा। बोर्ड सचिव ने बताया कि टेंडर फाइनल हो गया है। 

कक्षा नौ और 11 में होने वाले पंजीकरण के विवरण परिषद के पोर्टल पर ही दर्ज कराए जाएंगे। कक्षा 10 व 12 के विद्यार्थियों के विवरण पुरानी फर्म लेकर स्थनांतरित करा दिए जाएंगे। इससे नए तरह से फीडिंग नहीं करानी पड़ेगी। ग्रीष्म अवकाश में आनलाइन व्यवस्था पूरी कर ली जाएगी। मई माह में ही आनलाइन पोर्टल विद्यालयों को उपलब्ध करा दिया जाएगा, ताकि शिक्षक नए होने वाले प्रवेश को पोर्टल पर अपलोड कर सकें। 

शिक्षकों की आनलाइन उपस्थिति प्रधानाचार्य सुनिश्चित कराएंगे। आनलाइन उपस्थिति प्रक्रिया मई अंत तक प्रयोग के तौर पर प्रारंभ हो जाएगी। जुलाई में विद्यालय खुलने पर इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा।



यूपी बोर्ड : स्कूलों में शिक्षकों के साथ छात्रों की भी लगेगी ऑनलाइन हाजिरी, तैयार किया जा रहा सॉफ्टवेयर, सत्र 2025-26 से लागू की जाएगी व्यवस्था

प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से महत्वपूर्ण पहल


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अब शिक्षकों के साथ छात्रों की हाजिरी भी ऑनलाइन होगी। यूपी बोर्ड सत्र से 2025-26 से इसे लागू करेगा। इसके लिए नया सॉफ्टवेयर भी तैयार कराया जा रहा है। प्रदेश में बोर्ड के तकरीबन 28 हजार माध्यमिक विद्यालय हैं और इनमें पांच लाख शिक्षक व एक करोड़ विद्यार्थी हैं। स्कूलों में आए दिन अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर निगरानी और विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बोर्ड शिक्षकों व छात्रों की ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था लागू करने जा रहा है।


शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में यह एक अच्छी पहल मानी जा रही है। बोर्ड इसके लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है, जिससे शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति की सटीक सूचना मिल सकेगी। स्कूलों से ऑनलाइन हाजिरी की सूचना सुबह 11 बजे तक यूपी बोर्ड बोर्ड मुख्यालय को मिल जाएगी। इससे पता चल जाएगा कि किस विद्यालय में कितने शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित या अनुपस्थित हैं। सूचना भेजने की जिम्मेदारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों की होगी।


प्रधानाचार्य को लॉगइन आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा। सूचना देते समय उनकी वेबकैम से फोटो भी खिंचेगी। ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया जा रहा है कि विद्यालय के 200 मीटर दायरे से बाहर जाने पर सूचना प्रेषित नहीं की जा सकेगी। फोटो की जिओ टैगिंग भी होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रधानाचार्य ने स्कूल से ही सूचना भेजी है।


ऑनलाइन हाजिरी की निगरानी जिला, मंडल और प्रदेश स्तर पर की जाएगी। जिला स्तर पर डीआईओएस व मंडल स्तर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक इसकी निगरानी करेंगी और प्रदेश स्तर पर यूपी बोर्ड मुख्यालय ऑनलाइन उपस्थिति पर नजर रखेगा


नए सत्र 2025-26 से बोर्ड के स्कूलों में शिक्षकों व छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह व्यवस्था लागू की जा रही है। -भगवती सिंह, सचिव, यूपी बोर्ड

Friday, May 30, 2025

जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए 27832 आवेदन, बेसिक शिक्षा विभाग अब अंत: जनपदीय पारस्परिक तबादले को पूरा करने में जुटा

जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए 27832 आवेदन, बेसिक शिक्षा विभाग अब अंत: जनपदीय  पारस्परिक तबादले को पूरा करने में जुटा 


प्रयागराज ।   7374 परिषदीय शिक्षकों के अन्तर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के बाद बेसिक शिक्षा विभाग अब अंत: जनपदीय (जिले के अंदर) पारस्परिक तबादले को पूरा करने में जुट गया है। इसके लिए प्रदेशभर के 27832 शिक्षकों ने आवेदन किया है और जोड़ा बनाने (पेयरिंग) की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हो गई। अंत:जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के लिए शिक्षकों-शिक्षिकाओं को आपसी सहमति से ओटीपी के माध्यम से 29 मई से छह जून तक जोड़ा (पेयर) बनाना है।


बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जोड़ा बनाने की कार्यवाही निर्धारित समयावधि में पूर्ण कराना सुनिश्चित करें।


18 मई के आदेश के अनुसार, शिक्षकों का तबादला नौ जून को होगा और गर्मी की छुट्टियों में 10 से 15 जून तक कार्यमुक्त और कार्यभार ग्रहण करने की कार्रवाई होगी।

जिला समन्वयक पद पर 5 वर्ष की प्रतिनियुक्ति समाप्त होने पर शिक्षकों को स्कूल में ही पढ़ाना होगा, नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत

जिला समन्वयक पद पर 5 वर्ष की प्रतिनियुक्ति समाप्त होने पर शिक्षकों को स्कूल में ही पढ़ाना होगा, नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत 


लखनऊः प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 30 शिक्षक, जो प्रतिनियुक्ति पर जिला समन्वयक बनाए गए थे उनका समय पूरा हो गया है। प्रतिनियुक्ति की पांच वर्ष की अवधि पूरी कर चुके शिक्षक अब फिर अपने मूल विद्यालय में शिक्षण कार्य संभालेंगे। हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।



पांच वर्ष पूर्व बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर में कई शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर जिला समन्वयक के रूप में नियुक्त किया था। इन शिक्षकों को प्रशिक्षण, बालिका शिक्षा तथा सामुदायिक सहभागिता जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 


हालांकि प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त होने के बाद भी ये शिक्षक समन्वयक पद पर बने रहना चाहते थे और इसी को लेकर उन्होंने न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। उनका तर्क था कि अनुभव और दक्षता के आधार पर उन्हें दोबारा यह जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि निर्धारित अवधि के बाद शिक्षकों को अपने मूल नियुक्ति स्थल यानी स्कूल में लौटना होगा।

बीएसए ने मांगी माफी... शिक्षिका को मिला दूसरा मातृत्व अवकाश, याचिका निस्तारित, निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को स्पष्ट सुसंगत आदेश पारित करने का दिया निर्देश

बीएसए ने मांगी माफी... शिक्षिका को मिला दूसरा मातृत्व अवकाश, याचिका निस्तारित, निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को स्पष्ट सुसंगत आदेश पारित करने का दिया निर्देश


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद के बीएसए की ओर से बिना शर्त माफी मांगने, अपनी गलती सुधारने और भविष्य में अदालत के आदेशों का पालन करने का वचन देने के बाद मातृत्व अवकाश से संबंधित याचिका निस्तारित कर दी।

अधिकारियों ने एक हलफनामा दायर कर अदालत को बताया कि याची किरण देवी का दूसरा मातृत्व अवकाश स्वीकृत कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा निदेशक, लखनऊ ने अदालत को सूचित किया कि बीएसए को न केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, बल्कि सभी बीएसए को एक परिपत्र भी जारी किया गया है।

सभी को कानूनी प्रावधानों, सरकारी आदेशों, विभागीय नियमों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट और सुसंगत आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है। इस हलफनामे के बाद अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने किरण देवी की याचिका पर दिया।

अदालत के निर्देश पर प्रताप सिंह बघेल (निदेशक बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश), सुरेंद्र प्रसाद तिवारी (सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज) और गौतम प्रसाद (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, फर्रुखाबाद) कोर्ट में उपस्थित हुए। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश ने हाजिरी माफी की अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।



हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दिया दूसरा मातृत्व अवकाश, प्रमुख सचिव, निदेशक, सचिव व बीएसए तलब

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद की शिक्षिका को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताई है। वहीं, आदेश का पालन न करने पर कोर्ट ने फर्रुखाबाद के बीएसए, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा विभाग, शिक्षा निदेशक (बेसिक), बेसिक शिक्षा निदेशालय, लखनऊ व उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड, प्रयागराज के सचिव को तलब किया है। कहा है कि 28 मई को दोपहर 12 बजे व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण दें।

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने किरन देवी की याचिका पर दिया। याची के दूसरे मातृत्व अवकाश को बीएसए ने 'अनुमान्य नहीं' लिखकर बिना किसी विशिष्ट कारण के अस्वीकार कर दिया था। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को बीएसए के आदेश को रद्द कर दिया था। साथ ही मामले को संबंधित प्रतिवादी को वापस भेज दिया था, ताकि वह कानून के अनुसार एक नया आदेश पारित करे। 

इसके बाद भी बीएसए ने उस आदेश का पालन नहीं किया। इसके खिलाफ याची ने दूसरी याचिका दाखिल की। याची अधिवक्ता मानवानंद चौरसिया ने दलील दी कि अधिकारी ने दूसरा मातृत्व अवकाश 180 दिन का न देकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। वहीं, प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने दलील दी कि विवादित आदेश जल्दबाजी में पारित हो गया है। कोर्ट ने मातृत्व अवकाश न देने पर कड़ी नाराजगी जता बीएसए सहित अन्य अधिकारियों को तलब किया है। रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।


महिला कर्मचारी कभी भी ले सकती है दूसरा मातृत्व अवकाश

याची अधिवक्ता मानवानंद चौरसिया ने बताया कि प्रदेश व केंद्र की नौकरियों में कोई भी महिला कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान दो बार मातृत्व अवकाश 180-180 दिन कभी भी ले सकती हैं। राज्य के पहले के शासनादेश में दूसरा मातृत्व अवकाश दो साल के बाद ही लेने का प्रावधान था। लेकिन, वर्तमान में कोर्ट के आदेश पर राज्य ने अपने शासनादेश में संशोधन कर दिया है।

कोर्ट ऑर्डर 👇 

दिल्ली पुलिस को राज्यकर्मी मानकर बेसिक शिक्षिका को तबादले में वरीयता देने से इन्कार करने का बीएसए बुलंदशहर का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द

दिल्ली पुलिस केंद्रीय कर्मचारी, जीवन साथी के तबादले में मिलेगी वरीयता

दिल्ली पुलिस को राज्यकर्मी मानकर बेसिक शिक्षिका को तबादले में वरीयता देने से इन्कार करने का बीएसए बुलंदशहर का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कर्मियों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कार्यरत होने के कारण केंद्रीय कर्मचारी मानते हुए, उनके जीवन साथी के राज्य की तबादला नीति के तहत नजदीकी जिले में तबादले को सही ठहराया है। दिल्ली पुलिस को राज्य कर्मी मानकर तबादले में वरीयता अंक न देने और तबादले स्थल पर ज्वाइन न कराने के आदेश को कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति पी. के. गिरि की खंडपीठ ने शारदा लोधी व अन्य की विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश दिया।


याची/अपीलार्थी का राज्य तबादला नीति के तहत मेरिट अंक के आधार पर अमेठी से बुलंदशहर तबादला किया गया था। केंद्रीय कर्मचारी के जीवन साथी को तबादले में वरीयता का नियम है, जिसके लिए अंक दिए जाते हैं। याची का पति दिल्ली पुलिस में कार्यरत है। हालांकि, बुलंदशहर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने यह कहते हुए ज्वाइन कराने से इनकार कर दिया कि दिल्ली पुलिस राज्य कर्मचारी हैं। ऐसे में केंद्रीय कर्मचारी को वरीयता का अंक नहीं मिलेगा। इस आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को एकलपीठ ने खारिज कर दिया था, जिसे अपील में चुनौती दी गई।

खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधिनस्थ हैं। इसलिए, उनके जीवन साथी को तबादले में केंद्रीय कर्मचारी का वरीयता अंक मिलेगा। खंडपीठ ने एकलपीठ के और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को छह हफ्ते में नया आदेश जारी करने का भी निर्देश दिया है।

Thursday, May 29, 2025

उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान, वर्ष 2025 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Award to Teachers) के लिए नामांकन आमंत्रित

उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान, वर्ष 2025 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Award to Teachers) के लिए नामांकन आमंत्रित


नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, भारत सरकार ने वर्ष 2025 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Award to Teachers) के लिए नामांकन आमंत्रित किए हैं। यह पुरस्कार उच्च शिक्षण संस्थानों एवं पॉलिटेक्निक कॉलेजों में कार्यरत उत्कृष्ट शिक्षकों को उनकी शिक्षण, अनुसंधान, नवाचार, सामुदायिक सेवा तथा शिक्षा के प्रति समर्पण के लिए प्रदान किया जाएगा।


नामांकन के माध्यम (जनभागीदारी के आधार पर):

  1. स्व-नामांकन

  2. संस्थागत नामांकन – विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं पॉलिटेक्निक संस्थानों के अध्यक्ष/निदेशक/प्राचार्य/कुलपति द्वारा

  3. सहकर्मी नामांकन – उस ही संस्थान के सहयोगी शिक्षक द्वारा जहाँ संबंधित शिक्षक कार्यरत हैं।

नामांकन केवल निर्धारित प्रारूप में राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (http://awards.gov.in) पर ही स्वीकार किए जाएंगे।


नामांकन की अंतिम तिथि: 9 जुलाई 2025


संपर्क सूत्र (प्रश्नों हेतु):
📧 ईमेल: helpdesknataward25@aicte-india.org
📞 फोन: 011-29581136 / 011-29581126 (सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक)


शिक्षा मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपने नवाचार, शोध व सेवा कार्यों से देश की शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सशक्त बना सकें।



Honouring Excellence in Higher Education!

The Ministry of Education, Department of Higher Education, Government of India invites nominations for the National Award to Teachers for Higher Educational Institutions and Polytechnics - 2025. The award recognizes and honours outstanding faculty members for their exceptional contributions in teaching, research, community service, innovative work and overall dedication to higher education.

Modes of Nomination (On Janbhagidari basis)
•Self-Nomination
•Institutional Nomination: By Heads of HEIs/ Polytechnics (Director/ Principal/ VCs)
•Peer Nomination: By Colleagues of the same university/ institute/ college/ Polytechnic, where the nominee holds regular employment.

All nominations must be submitted in the prescribed format on the Rashtriya Puraskar Portal - http://awards.gov.in 

Last date to submit nominations: 9th July 2025
For any queries, please contact: 
Email: helpdesknataward25@aicte-india.org
Phone: 011-29581136 / 011-29581126 (Between 9:30 AM to 5:30 PM) 

Press Information Bureau - PIB,  Government of India DDNewsLive All India Radio News

तबादले के लिए धोखाधड़ी, ठगी और वसूली का खेल, बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल ट्रांसफर में एक-दूसरे से धोखाधड़ी के साथ मिल रही हैं अवैध वसूली की शिकायतें

तबादले के लिए धोखाधड़ी, ठगी और वसूली का खेल, बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल ट्रांसफर में एक-दूसरे से धोखाधड़ी के साथ मिल रही हैं अवैध वसूली की शिकायतें


लखनऊ : दो मामले तो ऐसे हैं, जो सामने आ गए। इनमें एक शिक्षक ने दूसरे की शिकायत की है और मामलों की जांच की जा रही है। खुद शिक्षकों का ही कहना है कि ऐसी शिकायतें बहुत हैं लेकिन सभी खुलकर सामने नहीं आना चाहते। कहीं पर रुपये के लेनदेन की शिकायत आ रही है तो कहीं पर आपस में दबाव बनाने की शिकायतें हैं। ये दो मामले तो ऐसे हैं, जहां खुद BSA को जांच के के आदेश करने पड़े और धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस तक पहुंची है।


ये है तबादले की प्रक्रिया

बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल तबादलों की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। जो प्रक्रिया  है, उसके अनुसार शिक्षकों से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट खोली गई। शिक्षकों ने तय समय में रजिस्ट्रेशन किए। सभी आवेदनों सत्यापन खंड शिक्षाधिकारियों ने किया। उसके बाद हर जिले के आवेदकों की पूरी लिस्ट BSA ऑफिस को भेज दी और फिर वेबसाइट पर अपलोड की गई।

 लिस्ट अपलोड होने के बाद शिक्षक यह देख सकेंगे कि दूसरे जिले से कौन शिक्षक उनके जिले में आना चाहता है। आपस में बात करके या लिस्ट देखकर वे अपने पसंदीदा तीन जिलों में पेयर बना सकते है, जिसके साथ पेयर बनाया उसके मोबाइल नंबर पर ओटीपी जाएगा। उससे पेयर बनाने वाला शिक्षक ओटीपी मांगेगा। वह ओटीपी दे देता है तो फिर वह पेयर बना लेगा। 


प्रक्रिया में भी हो सुधार'
इस तरह की शिकायतें अब शिक्षकों के बीच और विभाग में भी चर्चा का विषय बनी हैं। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि कुछ शिक्षक ऐसा करते हैं लेकिन इससे दूसरे शिक्षक का ही नुकसान होता है। मामले की ठीक से जांच होनी चाहिए और जो दोषी हो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही प्रक्रिया में भी कुछ ऐसे सुधार किए जाने चाहिए, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका न हो। सहारनपुर की BSA कुमारी कामल कहती हैं कि मामले की शिकायत आने के बाद वह जांच करवा रही हैं। दोनों में से कौन शिक्षक गलत है, यह जांच के बाद ही पता चलेगा।


इस तरह के मामलों की जांच करवाई जाएगी। जो भी दोषी होगा सख्त कार्रवाई की जाएगी। कंचन वर्मा, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा



रामपुर के स्वार में एक प्राइमरी टीचर ने  सहारनपुर के एक शिक्षक से ऑनलाइन म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए उन्होंने ओटीपी मांगा। शिक्षक ने 12.20 लाख रुपये मांगे और ओटीपी शेयर नहीं किया। इस शिकायत पर सहारनपुर की बीएसए कुमारी कोमल ने सढ़ोली कदीम और नकुड़ ब्लॉक के दो बीईओ को जांच के आदेश दिए हैं।


मुजफ्फरनगर के एक शिक्षक ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। वहां के एसएसपी को पत्र लिखकर कि 26 मई को उनके मोबाइल पर एक कॉल आई। बीएसए ऑफिस का कर्मचारी बताकर उनसे ओटीपी मांगा। कहा कि उनकी सर्विस बुक में कुछ खामी है, वह ठीक करनी है। ओटीपी बताने के बाद उनको धोखाधड़ी का अंदेशा हुआ। छानबीन करने पर पता चला कि वह कॉल सहारनपुर के एक अपर प्राइमरी स्कूल के शिक्षक की थी। उस शिक्षक ने ओटीपी लेकर फर्जी तरीके से म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए उनके साथ जोड़ा बना लिया।



परस्पर तबादले के नाम पर ठगी-पैसा लेने का आरोप

बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से बुधवार को परस्पर तबादले का आदेश जारी कर दिया गया किंतु शिक्षकों की ओर से इसमें आपस में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। सहारनपुर में एक शिक्षक ने एक अन्य शिक्षक से परस्पर तबादले के लिए 12.20 लाख रुपये लेने और ओटीपी शेयर न करने का आरोप लगाया है। बीएसए सहारनपुर ने इस पर जांच कमेटी बना दी है। वहीं मुजफ्फरनगर में भी शिक्षक के साथ परस्पर तबादले के लिए जोड़ा बनाने में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है

माध्यमिक विद्यालयों में तबादले के ऑनलाइन आवेदन 30 मई से, मानव संपदा पोर्टल से 4 जून तक शिक्षक कर सकेंगे आवेदन

माध्यमिक विद्यालयों में तबादले के ऑनलाइन आवेदन 30 मई से,  मानव संपदा पोर्टल से 4 जून तक शिक्षक कर सकेंगे आवेदन



29 मई 2025
लखनऊ। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सहायक अध्यापक व प्रवक्ता (पुरुष-महिला) के वार्षिक तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 30 मई से शुरू होगी। तबादले के लिए मानव संपदा पोर्टल से 4 जून तक आवेदन किए जा सकेंगे।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने बताया कि आवेदन ऑनलाइन ही किए जा सकेंगे। अन्य माध्यम से आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। प्रक्रिया पूरी होने के बाद तबादला आदेश मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से जारी किया जाएगा। इसकी विस्तृत जानकारी ehrms.upsdc.gov.in से ली जा सकती है।

उन्होंने बताया कि कोई समस्या होने पर शिक्षक ईमेल onlineteachertransfer2024@gmail.com तथा हेल्पलाइन नंबर 93686365588317054632 पर कॉल या व्हाट्सएप कर सकते हैं। 

Wednesday, May 28, 2025

निजी विश्वविद्यालयों में नहीं चलेगी मानकों की अनदेखी, निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश शासन ने गठित की पांच विशेष कमेटियां

निजी विश्वविद्यालयों में नहीं चलेगी मानकों की अनदेखी, निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश शासन ने गठित की पांच विशेष कमेटियां

खामियां मिलने पर विश्वविद्यालय के खिलाफ होगी कार्रवाई

47 निजी विश्वविद्यालयों में हैं 2.66 लाख विद्यार्थी


 लखनऊः प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की लगातार बढ़ रही संख्या और उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के हितों के दृष्टिगत उच्च शिक्षा विभाग ने इन विश्वविद्यालयों की निगरानी के लिए पांच विशेष कमेटियां गठित की हैं। हर कमेटी में पांच सदस्य हैं। इन कमेटियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं। कमेटियां निजी विश्वविद्यालयों का आकस्मिक निरीक्षण करेंगी और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगी। रिपोर्ट में खामियां मिलने पर संबंधित विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गंभीर मामलों में मान्यता रद करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।


प्रदेश में इस समय कुल 47 निजी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें करीब 2.66 लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से कई विश्वविद्यालय बेहतर काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ पर शैक्षणिक गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाएं और नियामक मानकों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। इसी को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल के निर्देश पर गठित की गईं यह निगरानी कमेटियां सभी निजी विश्वविद्यालयों में जाकर देखेंगी कि वहां शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है, फैकल्टी योग्य है या नहीं, छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं।


कमेटियां यह भी देखेंगी कि निजी विश्वविद्यालयों द्वारा उप्र निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 का पालन किया जा रहा है या नहीं। इस अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए न्यूनतम 20 एकड़ और ग्रामीण क्षेत्र में 50 एकड़ जमीन अनिवार्य है। साथ ही विश्वविद्यालय संचालकों को पांच करोड़ रुपये की एफडी भी जमा करनी होती है, जिसका ब्याज ही वे उपयोग में ला सकते हैं। कमेटियां जिन बिंदुओं पर निगरानी करेगी, उनमें शैक्षणिक गतिविधियां, नियमित कक्षाएं, कोर्स की पूर्णता, फैकल्टी की नियुक्ति, छात्र शिकायत निवारण प्रणाली, फीस संरचना और बुनियादी ढांचे की स्थिति प्रमुख हैं।


इस साल के अंत तक हो जाएंगे 50 निजी विश्वविद्यालय

प्रदेश में इस वर्ष के अंत तक तीन और निजी विश्वविद्यालय खुलने की संभावना है, जिससे इनकी संख्या 47 से बढ़कर 50 तक पहुंच जाएगी। प्रदेश में सबसे ज्यादा 18 निजी विश्वविद्यालय मेरठ मंडल में हैं। आगरा मंडल में आठ निजी विश्वविद्यालय हैं।


यदि किसी निजी विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया या नियमों का उल्लंघन हुआ, तो विभाग कठोर कार्रवाई करेगा। छात्रों या उनके अभिभावक की शिकायतों की कमेटियां जांच करेंगी। –डा. दिनेश कुमार राजपूत, अपर सचिव, उच्च शिक्षा परिषद


UP Board E-Office: यूपी बोर्ड में जल्द शुरू होगा ई-ऑफिस, विद्यार्थियों व विद्यालयों के मामलों के निस्तारण में आएगी तेजी

यूपी बोर्ड में जल्द शुरू होगा ई-ऑफिस, विद्यार्थियों व विद्यालयों के मामलों के निस्तारण में आएगी तेजी

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर सभी की हो रही है ऑनलाइन ट्रेनिंग


प्रयागराज। यूपी बोर्ड में अब विद्यार्थियों या विद्यालयों द्वारा भेजी जाने वाली समस्याओं के निराकरण में तेजी आएगी। जल्द ही यूपी बोर्ड के सभी अनुभाग ई-ऑफिस के तहत कार्य करना शुरू कर देंगे। इसके लिए कर्मचारियों की ऑनलाइन ट्रेनिंग कराई जा रही है।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर बोर्ड के सभी कर्मचारियों की ऑनलाइन ट्रेनिंग हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी विभागों और कार्यालयों में कार्यों को अधिक कुशल, प्रभावी और पारदर्शी बनाने के ई-ऑफिस योजना शुरू की है।


इसी क्रम में सरकार ऑनलाइन ट्रेनिंग में बोर्ड के 200 से अधिक कर्मचारियों को ई-ऑफिस से संबंधित कार्यों के लिए प्रशिक्षण दे रही है। सभी कर्मचारी प्रतिदिन शाम चार बजे ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण में मौजूद रहते हैं।

ई-ऑफिस के शुरू हो जाने से विद्यार्थियों को अधिक लाभ मिलेगा। सबसे अधिक मामले प्रमाण पत्र व अंकपत्र में जन्म तिथि, परीक्षार्थी का नाम, माता-पिता के नाम में संशोधन के आते हैं। ऑफलाइन होने के कारण कई बार फाइलें दबी रह जाती हैं, जिससे परीक्षार्थियों को बोर्ड ऑफिस के चक्कर काटने पड़ते हैं और फाइलें घूमती रहती हैं।

ई-ऑफिस व्यवस्था पूरी तरह से लागू होने के बाद जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही भी तय हो सकती है। मामलों के निस्तारण में विलंब होने पर जवाब भी देना पड़ सकता है। वहीं, बोर्ड के अनुभागों के कार्यों में और तेजी आएगी।

डाक अनुभाग प्राप्त डाक को फाइलों के बजाय संबंधित अनुभाग को ऑनलाइन भेज देगा। इससे समस्या समाधान में और तेजी आएगी और समय भी बचेगा। साथ ही कहां देरी हो रही है, यह भी पता करना आसान होगा।


कंप्यूटर खरीदने के लिए प्रस्ताव तैयार

वर्तमान समय में बोर्ड के सभी अनुभागों में कम्प्यूटर नहीं हैं और ई-ऑफिस व्यवस्था शुरू करने के लिए कम्प्यूटर की जरूरत है। कम्प्यूटर खरीदने के लिए प्रस्ताव भी तैयार हो गया है। जल्द ही इसे शासन को भेज दिया जाएगा, जिससे ई-ऑफिस व्यवस्था को जल्द से जल्द सभी अनुभागों में शुरू किया जा सके।


बोर्ड के कार्यों में भी आएगी तेजी

ई-ऑफिस व्यवस्था शुरू हो जाने से बोर्ड के कामों में भी तेजी आएगी। बोर्ड में वर्तमान समय में सभी कार्य लगभग फाइलों के माध्यम से हो रहे हैं। ई-ऑफिस शुरू हो जाने से फाइलों का आदान-प्रदान आसान हो जाएगा और कार्यों में तेजी आएगी।

Tuesday, May 27, 2025

देखें : यूपी बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में ड्यूटी करने वाले कार्मिकों को दिया जाने वाला मानदेय

देखें :  यूपी बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में ड्यूटी करने वाले कार्मिकों को दिया जाने वाला मानदेय


यूपी बोर्ड मूल्यांकन में गैरहाजिर रहे परीक्षकों को नोटिस जारी, 42 हजार परीक्षकों से मांगा स्पष्टीकरण

यूपी बोर्ड मूल्यांकन में गैरहाजिर रहे परीक्षकों को नोटिस जारी, 42 हजार परीक्षकों से मांगा स्पष्टीकरण


26 मई 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड वर्ष-2025 की परीक्षा के मूल्यांकन कार्य में गैर हाजिर रहे 261 केंद्रों के 42 हजार परीक्षकों को डीआईओएस के माध्यम से नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। यूपी बोर्ड ने सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों के माध्यम से भेजे गए नोटिस में परीक्षकों के अनुपस्थित रहने के कारण साक्ष्य सहित प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। साक्ष्य सहित कारण प्रस्तुत करने के बाद उसका परीक्षण किया जाएगा। कारण सच न होने पर कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे परीक्षक जो राजकीय विद्यालय के हैं उन पर एडी अपर (निदेशक राजकीय) कार्रवाई करेंगे, परीक्षक एडेड विद्यालय का होगा तो प्रबंध तंत्र कार्रवाई करेगा और निजी विद्यालयों के परीक्षकों को मूल्यांकन कार्यों से प्रतिबंधित किया जा सकता है।

मूल्यांकन कार्य 19 मार्च से दो अप्रैल तक प्रदेश के 261 केंद्रों में किया गया था। मूल्यांकन के लिए कुल एक लाख 41 हजार 510 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी, जिनमें से पहले दिन 73 हजार 951 परीक्षक (52.27 फीसदी) उपस्थित रहे। इसमें से राजकीय व एडेड विद्यालयों से परीक्षकों की उपस्थिति 90 फीसदी के आसपास रही। 

निजी विद्यालयों से नियुक्त किए गए परीक्षकों की गैरहाजिरी ज्यादा रही। पहले दिन ही लगभग 67 हजार 559 परीक्षक गैर हाजिर रहे। वहीं, मूल्यांकन के बाद कुल 42 हजार परीक्षक गैर हाजिर रहे। सभी गैर हाजिर शिक्षकों पर नोटिस के जारी कर दी गई है और इसके बाद कार्रवाई होगी। इस बार कुल तीन करोड़ एक लाख 48 हजार 236 कॉपियों का मूल्यांकन किया जाना था। इनमें हाईस्कूल की एक करोड़ 74 लाख 68 हजार 241 व इंटरमीडिएट की एक करोड़ 26 लाख 79 हजार 995 कॉपियां शामिल थीं। 



42 हजार परीक्षक यूपी बोर्ड मूल्यांकन कार्य में रहे अनुपस्थित

18 मई 
प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने वर्ष 2025 की परीक्षाओं में अनुपस्थित रहे परीक्षकों की रिपोर्ट प्रदेश के सभी 261 केंद्रों के प्रधानाचार्यों से तलब की थी। शनिवार तक इनमें से 220 केंद्रों की रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा परिषद को मिल गई है।

 बोर्ड के सूत्रों का कहना कि इन 220 केंद्रों में तकरीबन 42 हजार परीक्षक मूल्यांकन कार्य में अनुपस्थित रहे। सभी अनुपस्थित परीक्षकों से साक्ष्य सहित कारण पूछा गया था। ऐसे परीक्षकों के स्पटीकरण से असंतुष्ट होने पर यूपी बोर्ड इन्हें मूल्यांकन एवं आगामी परीक्षाओं से संबंधित अन्य कार्यों से प्रतिबंधित कर सकता है। 



मूल्यांकन में अनुपस्थित रहे परीक्षकों को साक्ष्य सहित बताना होगा कारण, यूपी बोर्ड के सचिव ने एक हफ्ते का दिया था समय

15 मई 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं की कॉपियों के मूल्यांकन में गैरहाजिर रहे परीक्षकों को अपनी अनुपस्थिति का कारण भी बताना होगा। बोर्ड ने पूर्व निर्धारित समय के अनुरूप मूल्यांकन कार्य करा लिया था। 19 मार्च से दो अप्रैल तक चले मूल्यांकन कार्य के लिए एक लाख 41 हजार 510 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी। मूल्यांकन के पहले दिन 73 हजार 951 परीक्षकों (52.27 फीसदी) ने उपस्थिति दर्ज कराई थी, जबकि 67559 परीक्षक अनुपस्थित थे।

बाद के दिनों में कुछ अनुपस्थित शिक्षक कॉपियों जांचने पहुंचे और केंद्रों में नियमित रूप से मौजूद रहे परीक्षकों ने 15 दिनों में कुल तीन करोड़ एक लाख 48 हजार 236 कॉपियों का मूल्यांकन पूरा कर लिया था। बोर्ड अब अनुपस्थित रहे परीक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि राजकीय व एडेड विद्यालयों से परीक्षकों की उपस्थिति तो 90 फीसदी के आसपास रही लेकिन निजी विद्यालयों से नियुक्त किए गए परीक्षकों की गैरहाजिरी ज्यादा रही।

बोर्ड के सचिव ने एक मई को सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों व मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रकों/प्रधानाचार्यों से एक सप्ताह में अनुपस्थित रहे परीक्षकों के बारे में जानकारी तलब की थी। बोर्ड ने अनुपस्थित रहे उप प्रधान परीक्षक/परीक्षा का नाम, परीक्षा संख्या, विषय, विद्यालय का नाम और सुसंगत साक्ष्यों सहित अनुपस्थिति का कारण पूछा है। सूत्रों का कहना है कि अनुपस्थित रहे परीक्षकों की संख्या 50 हजार के आसपास है। ऐसे में हर जिले से जानकारी अभी इकट्ठा नहीं की सकी है। बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया, इस हफ्ते सभी जिलों से रिपोर्ट आ जाने की उम्मीद है। 


नौकरी छोड़कर गए शिक्षकों की ड्यूटी लगने की आशंका

बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि जुलाई-अगस्त में निजी विद्यालयों में नए शिक्षक ज्वाइन करते हैं और प्रबंधन से विवाद के बाद कुछ माह बाद नौकरी छोड़ देते हैं, लेकिन उनके नाम की लिस्ट वेबसाइट पर पड़ी रह जाती है और इसी लिस्ट के हिसाब से मूल्यांकन में उनकी ड्यूटी लग जाती है। यही वजह है कि मूल्यांकन में ज्यादातर निजी विद्यालयों के शिक्षक अनुपस्थित रहे।




मूल्यांकन नहीं करने वाले शिक्षकों को तलाश रहा यूपी बोर्ड, संदेह के चलते डीआईओएस से मांगी गई कुंडली 
 

यूपी बोर्ड परीक्षा का परिणाम 25 अप्रैल को घोषित हो चुका है। अब यूपी बोर्ड पूरे प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की तलाश कर रहा है, जिन्होंने यूपी बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन नहीं किया। बोर्ड का फोकस ऐसे शिक्षकों पर है, जिन्होंने एक भी दिन मूल्यांकन नहीं किया। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने सूबे के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को पत्र लिखकर ऐसे शिक्षकों का ब्योरा मांगा है, जानकारी देने के लिए डीआईओएस को एक प्रारूप भी भेजा जा रहा है। इस प्रारूप में इस बात का भी उल्लेख करना है कि राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्त विहीन मान्यता प्राप्त स्कूलों के कितने शिक्षकों ने मूल्यांकन नहीं किया।

बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने कहा कि अब तक दो जनपदों के एक-एक केंद्र का ब्योरा मिला है। यह जानकारी बिना पत्र भेजे ही उन तक पहुंची है। ये दो जिले चित्रकूट और आंबेडकर नगर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आंबेडकर नगर के एक मूल्यांकन केंद्र से 95 ऐसे शिक्षक हैं जो एक दिन भी मूल्यांकन कार्य में शामिल नहीं हुए हैं। बोर्ड में इस बात की भी चर्चा है कि मूल्यांकन से अनुपस्थित रहने वालों ज्यादातर वही शिक्षक हैं जो एडेड एवं राजकीय कॉलेज के प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सचिव का कहना है कि दोषी पाए गए शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

विदित हो कि हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा 12 मार्च को खत्म हुई थी। इसके बाद करीब 3 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराया गया। मूल्यांकन कार्य 19 मार्च से 2 अप्रैल तक 261 केंद्रों पर हुआ। इन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए 1 लाख 48 हजार 667 परीक्षक नियुक्त किए गए थे। सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी कक्ष निरीक्षक भी पकड़े गए थे। इनके खिलाफ परीक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया गया था।


35,000 शिक्षकों ने नहीं जांचीं कापियां, लिखित परीक्षा में की थी ड्यूटी,  उत्तरपुस्तिकाएं नहीं जांचने पर उनके फर्जी होने का संदेह, मांगी गई जानकारी


प्रयागराजः हाईस्कूल एवं इंटमीडिएट परीक्षा-2025 का परिणाम घोषित करने के बाद यूपी बोर्ड अब उन शिक्षकों को खोज रहा है, जिन्होंने परीक्षा में कक्ष निरीक्षक के रूप में तो ड्यूटी की, लेकिन उत्तरपुस्तिकाएं जांचने नहीं पहुंचे। परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी क्क्ष निरीक्षक पकड़ चुके यूपी बोर्ड को उत्तरपुस्तिकाएं न जांचने वालों के फर्जी होने का संदेह है। 


इसके लिए बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऐसे करीब 35,000 शिक्षकों के अंकपत्र सहित रिकार्ड मांगे हैं। इसमें फर्जी मिलने वालों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम-2024 के तहत मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेजा जाएगा। इस अधिनियम में आजीवन कारावास एवं एक करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रविधान है।

12 मार्च को हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा संपन्न कराने के बाद यूपी बोर्ड ने करीब 2.84 करोड़ उत्तरपुस्तिकाओं का 19 मार्च से दो अप्रैल तक 261 केंद्रों पर मूल्यांकन कराया। इन उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए 1,48,667 परीक्षक नियुक्त किए गए थे। 

बोर्ड सचिव ने मूल्यांकन करने एक भी दिन नहीं पहुंचने वालों का आंकड़ा निकलवाया तो संख्या लगभग 35,000 मिली। बोर्ड इनके विषय में यह जानकारी जुटा रहा है कि जब परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक के रूप में ड्यूटी की तो फिर ऐसा क्या हो गया जो उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने नहीं पहुंचे। 

यूपी बोर्ड के सचल दलों ने परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी कक्ष निरीक्षकों को उनके विरुद्ध परीक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था, जिससे वह जेल में हैं। बोर्ड यह जानने में जुटा है कि कहीं यह सभी नकल कराने के उद्देश्य से तो फर्जी कक्ष निरीक्षक नहीं बने थे। 

सचिव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऐसे शिक्षकों के विवरण जुटाने और विद्यालय में उनके शिक्षक होने/न होने के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। जो सही शिक्षक होंगे और मूल्यांकन करने नहीं पहुंचे, उनसे जवाब लेकर विभागीय कार्यवाही की जाएगी। फर्जी मिलने पर परीक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी ही, संबंधित विद्यालय और प्रधानाचार्यों का भी उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।



यूपी बोर्ड मूल्यांकन में अनुपस्थित परीक्षकों का विवरण तलब, कार्यवाही की तैयारी 

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के मूल्यांकन कार्य में अनुपस्थित रहने वाले परीक्षकों एवं उप प्रधान परीक्षकों का विवरण तलब किया है। 

सचिव ने सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों और मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रकों/प्रधानाचार्यों को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि 19 मार्च से दो अप्रैल 2025 अप्रैल तक संचालित मूल्यांकन कार्य में परिषद की ओर से नियुक्त जिन परीक्षकों व उप प्रधान परीक्षकों ने मूल्यांकन कार्य नहीं किया, उनका विवरण निर्धारित प्रारूप में परिषद के अधिकृत ईमेल आईडी पर एक सप्ताह के भीतर प्रेषित कर दिया जाए। 


सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवाकाल में मृत्यु के उपरान्त उनके परिजनों को मृत्यु उपदान (डेथ ग्रेच्युटी) का भुगतान किये जाने के सम्बन्ध में।


विकल्प नहीं भर पाए एडेड डिग्री कॉलेजों के मृत शिक्षकों के परिजनों को मिलेगी डेथ ग्रेच्युटी, देखें शासनादेश 

20 लाख से 25 लाख रुपये मिलेगा मृत शिक्षकों के परिजनों को


लखनऊ । अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के ऐसे मृतक शिक्षक जो जीवित रहते सेवाकाल में मृत्यु उपादान (डेथ ग्रेच्युटी) का विकल्प नहीं भर पाए थे, अब उनके परिवारीजनों को इसका लाभ मिलेगा। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से डेथ ग्रेच्युटी दिए जाने के लिए शासनादेश जारी कर दिया गया है।

331 एडेड डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु चार फरवरी 2004 को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई थी। जिसे एक जुलाई 2003 से लागू माना गया। ऐसे में पूर्व की व्यवस्था में बदलाव हो गया। पहले जब 60 वर्ष पर शिक्षक रिटायर होते थे तो 58 वर्ष की आयु पर रिटायरमेंट लेने पर इसे देने का प्रविधान था। चार फरवरी 2004 को सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष किए जाने पर ग्रेच्युटी का लाभ 58 वर्ष की जगह 60 वर्ष पर सेवानिवृत्ति लेने पर दिया जाने लगा। 

एडेड डिग्री कॉलेजों के ऐसे शिक्षक जिनके द्वारा सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया गया और उनकी मृत्यु 58 वर्ष से पूर्व हो गई। वहीं इसके अलावा ऐसे शिक्षक जिन्होंने 60 वर्ष पर रिटायर होने का विकल्प भरा लेकिन नए नियमों के अनुसार विकल्प परिवर्तन से पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गई तो उनके परिजनों को डेथ ग्रेच्युटी मिलेगी।



सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवाकाल में मृत्यु के उपरान्त उनके परिजनों को मृत्यु उपदान (डेथ ग्रेच्युटी) का भुगतान किये जाने के सम्बन्ध में।


परिषदीय सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों में वेद और रामायण भी पढ़ेंगे नौनिहाल, सांस्कृतिक विभाग की इस पहल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई मुहर

परिषदीय सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों में वेद और रामायण भी पढ़ेंगे नौनिहाल, सांस्कृतिक विभाग की इस पहल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई मुहर 

ग्रीष्मकालीन रामायण-वेद कार्यशाला के खिलाफ जनहित याचिका खारिज

27 मई 2025
प्रयागराज। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के नौनिहाल समर कैंप के साथ वेद और रामायण का पाठ भी पढ़ेंगे। सांस्कृतिक विभाग की इस पहल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी है। कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में आयोजित होने वाली ग्रीष्मकालीन रामायण एवं वेद कार्यशाला के खिलाफ दाखिल याचिका को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया है।


यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति शैलेंद्र क्षितिज की अदालत ने देवरिया निवासी डॉ. चतुरानन ओझा की जनहित याचिका पर दिया है। याची ने सांस्कृतिक विभाग के अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गर्मी की छुट्टियों में प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को रामायण और वेद की शिक्षा देने की बात कही गई थी।

रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के निदेशक ने पांच मई 2025 को प्रदेश के सभी बीएसए को पत्र लिखकर कहा था कि स्कूलों में पांच से 10 दिन की रामायण व वेद अभिरुचि कार्यशाला आयोजित की जाए। इसमें रामलीला, क्ले मॉडलिंग, मुख सज्जा, वेदगान और सामान्य ज्ञान जैसे सत्र शामिल हों।

याची ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता व जागरूक नागरिक बताया। संविधान के अनुच्छेद 51ए (एच) का जिक्र कर कहा कि रामायण कार्यशाला वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर हमला है। यह न केवल सांविधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि जातिगत, लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाली कार्यशाला है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की पहचान है। लिहाजा, स्कूलों में धार्मिक कार्यशाला का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए। 

सरकार की दलील...
ऐसी कार्यशाला के जरिये बच्चों में सांस्कृतिक, संस्कार व कला के प्रति रुचि बढ़ाई जाएगी। बच्चों का नैतिक विकास होगा। प्रभु श्रीराम के आदर्शों से नई पीढ़ी परिचित होगी।




गर्मी की छुट्टियों में परिषदीय बच्चे बनेंगे राम-लक्ष्मण, रामायण से सीखेंगे भारतीय संस्कृति के तत्व

7 मई 2025
गर्मी की छुट्टियों में परिषदीय विद्यालयों में बच्चे राम लक्ष्मण बन कर रामायण के संदेश और भारतीय संस्कृति के तत्वों को सीखेंगे। इससे बच्चों में संस्कार के अंकुर प्रस्फुटित होंगे ही साथ ही वे अभिनय और कला की बारीकियां भी सीख पाएंगे। अपने तरह की अनूठी पहल के लिए प्रदेश के सभी 75 जिलों में अभिरुचि कार्यशालाएं आयोजित कराने की रुपरेखा तैयार की गई है। ग्रीष्मकालीन रामायण एव वेद कार्यशाला के आयोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के निदेशक आईएएस संतोष कुमार शर्मा ने निर्देश जारी कर तैयारी कर सभी जनपदों में तैयारियां करा लेने को कहा है।

अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान (संस्कृति विभाग उप्र) अयोध्या द्वारा ग्रीष्मकालीन रामायण व वेद अभिरुचि कार्यशाला का आयोजन प्रदेश के सभी 75 जिलों में कराया जाएगा। इसमें रामलीला कार्यशाला, रामचरित मानस गान एवं वाचन कार्यशाला, रामायण, मुख सज्जा, एवं हैंडप्राब्स, मुखौटा कार्यशाला, वेदगान एवं वेद सामान्य ज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। आगामी दिनों में पांच से दस दिनों की कार्यशाला को लेकर बच्चों में संस्कृति और संस्कार के अंकुर पिरोए जाने का इसे प्रयास माना जा रहा है। स्थान और समन्वयक का चयन संस्थान के द्वारा करते हुए रिपोर्ट मांगी गई है।


परिषदीय स्कूलों में ग्रीष्मावकाश में परिषदीय स्कूलों में रामायण एवं वेद कार्यशाला

 प्रयागराज। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में ग्रीष्मावकाश में रामायण एवं वेद अभिरुचि कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसके तहत 5 से 10 दिनों तक रामलीला कार्यशाला, रामचरितमानस गान एवं वाचन कार्यशाला, रामायण चित्रकला कार्यशाला, रामायण चित्रकला कार्यशाला, रामायण क्ले मॉडलिंग कार्यशाला, रामायण मुख सज्जा एवं हैंडप्रॉब्स, मुखौटा कार्यशाला, वेदगान एवं वेद सामान्य ज्ञान कार्यशाला का आयोजन होगा। 


संस्कृति विभाग के अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या के निदेशक संतोष कुमार शर्मा ने सभी 75 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पांच मई को पत्र भेजकर बच्चों में अपनी संस्कृति के संस्कार पिरोने और कला के प्रति रुचि विकास के लिए विद्यालयों में कार्यशाला आयोजन में समन्वयक समेत प्रबंधकीय सहयोग प्रदान करने को कहा है।

समर्थ पोर्टल पर उच्च शिक्षा विभाग के 12109 शिक्षकों का हुआ पंजीकरण, 53 हजार से अधिक शोधपत्र अपलोड, 392 शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया शुरू, ऑनलाइन होगी प्रोन्नति सॉफ्टवेयर करेगा मूल्यांकन

समर्थ पोर्टल पर उच्च शिक्षा विभाग के 12109 शिक्षकों का हुआ पंजीकरण, 53 हजार से अधिक शोधपत्र अपलोड, 392 शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया शुरू, ऑनलाइन होगी प्रोन्नति सॉफ्टवेयर करेगा मूल्यांकन


प्रयागराज। समर्थ पोर्टल के माध्यम से उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों का प्रमोशन अब ऑनलाइन किया जाएगा। इसके तहत 392 शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शिक्षकों के मूल्यांकन के लिए 53 हजार से अधिक शोधपत्र पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं।

कॅरिअर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के माध्यम से शिक्षकों का प्रमोशन अब तक ऑफलाइन किया जाता था, जिसमें मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगते थे। प्रमोशन प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए समर्थ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्रमोशन करने का निर्णय लिया गया।

नई व्यवस्था के तहत अगर शिक्षक प्रमोशन के योग्य है तो प्रोन्नति को कोई रोक नहीं सकेगा। शिक्षक के कार्यों का मूल्यांकन अब कोई अफसर नहीं, बल्कि सॉफ्टवेयर करेगा। यहां तक कि इंटरव्यू भी यूट्यूब पर अपलोड किया जाएगा।

इस बदलाव को सरकारी और अनुदानित महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं संस्थानों की प्रक्रियाओं को डिजिटल, पारदर्शी एवं उत्तरदायी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

इसके तहत 392 शिक्षकों की कैस के तहत प्रमोशन प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है, जिनमें से 20 आवेदन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) को प्रस्तुत किए जा चुके हैं। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज के अनुसार, अब तक 12109 शिक्षक समर्थ पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।

53,576 शोध पत्र अपलोड किए जा चुके हैं, जो शिक्षकों की अकादमिक सक्रियता को दर्शाता है। 709 शोध परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, जबकि 350 परियोजनाएं प्रगति पर हैं। 256 महाविद्यालयों में आईक्यूएसी का गठन हो चुका है और 1048 आईक्यूएसी सदस्यों को पोर्टल पर जोड़ा गया है।

630 विषय विशेषज्ञ, 38 कुलपति नामांकित प्रतिनिधि और 75 निदेशक प्रतिनिधि भी पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं। 331 अनुदानित महाविद्यालयों में से 190 महाविद्यालयों ने अपनी प्रबंधन समिति के सदस्यों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर कर दी, शेष को 31 मई तक पूर्ण करना है। 8913 शिक्षकों की 138102 प्रविष्टियों का अनुमोदन प्रधानाचार्य स्तर पर लंबित है, जिनका सत्यापन भी 31 मई तक अपेक्षित है।



समर्थ पोर्टल पर एक से 15 जून तक अपलोड किया जा सकेगा डाटा, शिक्षकों की मांग पर शासन ने डाटा अपलोड करने के लिए दिया अंतिम अवसर

16 मई 2025
प्रयागराज। उच्च शिक्षा में शिक्षकों का डाटा समर्थ पोर्टल पर अपलोड किए जाने की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई है। साथ ही लंबित प्रकरणों को पूरा करने के लिए भी अतिरिक्त समय दिया गया है। इस बाबत विशेष सचिव निधि श्रीवास्तव ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

पोर्टल पर डाटा अपलोड करने की अंतिम तिथि 15 मई थी, लेकिन बड़ी संख्या में प्रकरण लंबित रह गए थे। शासन ने लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए 31 मई तक का समय दिया है। साथ ही तय किया है कि एक से 15 जून तक पोर्टल दोबारा खोला जाएगा। यह अंतिम अवसर होगा। इसके बाद कोई समयवृद्धि नहीं की जाएगी।

इस मसले पर उत्तर प्रदेश राजकीय महाविद्यालय शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. इंदु प्रकाश सिंह व अन्य पदाधिकारियों ने 15 मई को उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज व सहायक निदेशक डॉ. बीएल शर्मा से मुलाकात की थी।

उन्होंने वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षाओं में व्यस्तता और महाविद्यालयों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए केंद्र बनाए जाने के कारण हुए विलंब का हवाला देते हुए डाटा अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था।




समर्थ के चक्कर में फंस गई एडेड और राजकीय महाविद्यालयों के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति

लंबी-चौड़ी सूचनाएं व कागज देने में शिक्षकों को छूट रहा पसीना

15 मई तक सूचना न देने पर शिक्षकों का वेतन रोकने की चेतावनी

12 मई 2025
लखनऊ। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षा और प्रवेश के बाद समर्थ पोर्टल के चक्कर में अब राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) महाविद्यालयों के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति फंस गई है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों से समर्थ पोर्टल पर लगभग 64 कॉलम में लगभग 170 बिंदुओं पर मांगी गई सूचनाएं देने में शिक्षकों को पसीना छूट रहा है।


प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में समर्थ पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यवस्था आसानी से लागू नहीं हो पा रही है। पहले इसके चक्कर में परीक्षाओं में देरी हुई और उनको पूर्व की प्रक्रिया से आयोजित करना पड़ा। इस सत्र से प्रवेश में समर्थ पोर्टल को लागू करने का प्रयोग भी सफल नहीं हुआ। अंत में प्रवेश भी पुरानी प्रक्रिया से ही कराने का निर्णय लिया गया। वहीं अब इसके चक्कर में महाविद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति फंसती जा रही है।


विभाग की ओर से एक अक्तूबर 2024 तक जिन शिक्षकों का प्रमोशन ड्यू है, वह ऑफलाइन होगा। इसके बाद का प्रमोशन ऑनलाइन होगा। इसके लिए शिक्षकों से समर्थ पोर्टल पर भारी भरकम सूचना मांग ली गई है। खास यह कि सिर्फ सूचना ही नहीं मांगी गई है, हर बिंदु से संबंधित कागजात भी अपलोड करने हैं। जो शिक्षक छह महीने बाद सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनसे भी पीएचडी कब अवार्ड हुई, इसकी तिथि और सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है।


इसी तरह उनके शैक्षिक अनुभव, मुख्य संस्थान से इतर तैनाती, प्रशासनिक अनुभव, पीएचडी गाइडेंस, एमफिल-पीजी गाइडेंस, प्रकाशन आदि सूचनाएं मांगी गई हैं। इतना ही नहीं उच्च शिक्षा विभाग ने 15 मई तक सूचना न अपलोड करने पर संबंधित शिक्षकों व प्राचार्य के वेतन रोकने के भी निर्देश दे दिए हैं। इसे लेकर 331 एडेड व 141 राजकीय महाविद्यालयों के 15 हजार से अधिक उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षक अब आंदोलन की राह पर हैं।



विभाग खुद अपलोड कराए सूचनाएं 
शिक्षकों का कहना है कि किसी भी शिक्षक ने जब ज्वाइन किया है, कब उसकी पीएचडी हुई है, कब उसका प्रमोशन हुआ है। इसकी सारी सूचनाएं वह पूर्व में दे चुका है। यह सूचनाएं उच्च शिक्षा विभाग व निदेशालय के भी पास है। ऐसे में वह इन सूचनाओं को खुद पोर्टल पर अपलोड कराए। शिक्षकों के ऊपर इसको मढ़ना ठीक नहीं है। शिक्षकों के पास इतना समय नहीं है कि वह इतनी सूचनाएं अपलोड कर सकें।


दिन भर करा रहे परीक्षाएं कब अपलोड करें सूचना
फुपुक्टा के संयुक्त मंत्री डॉ. गंगेश दीक्षित ने कहा कि इस समय राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं। शिक्षक सुबह से शाम तक इसमें व्यस्त रहते हैं। वह सूचनाएं कब अपलोड करें। बीच सत्र में यह नियम लागू करना ठीक नहीं है। यह सूचनाएं घर से अपलोड कर पाना संभव नहीं है। इसके लिए साइबर कैफे में घंटों समय देना पड़ेगा। ऊपर से साइट भी ठप हो जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर विभाग जून तक ऑफलाइन प्रमोशन की छूट नहीं देता है तो प्रदेश संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।


Monday, May 26, 2025

10 वर्षों से मानदेय वृद्धि नहीं होने से एमडीएम समन्वयक और कंप्यूटर ऑपरेटर नाराज, 26 मई को धरना प्रदर्शन की तैयारी

10 वर्षों से मानदेय वृद्धि नहीं होने से एमडीएम समन्वयक और कंप्यूटर ऑपरेटर नाराज, 26 मई को धरना प्रदर्शन की तैयारी 


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में कार्यरत मध्यान्ह भोजन योजना (एमडीएम) समन्वयक व कंप्यूटर ऑपरेटरों का पिछले 10 वर्षों से मानदेय नहीं बढ़ा है। इससे इनमें नाराजगी है। अपनी मांगों को लेकर समन्वयक व ऑपरेटर 26 मई को प्रदेशव्यापी धरना-प्रदर्शन करेंगे। 


प्रदेश स्तरीय संगठन मध्यान्ह भोजन समन्वयक, कंप्यूटर ऑपरेटर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने बताया कि एमबीए व एमसीए जैसी उच्च डिग्रीधारी समन्वयक व ऑपरेटर जिलाधिकारी व मंडलायुक्त स्तर पर योजना का संचालन कर रहे हैं, फिर भी उन्हें 10 वर्षों से वेतनवृद्धि नहीं मिली है। 


संघ का दावा है कि यदि 2012 के दस प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के प्रस्ताव को लागू रखा गया होता तो समन्वयकों को लगभग 75 हजार और ऑपरेटरों को 38 हजार मासिक मानदेय मिलना चाहिए था। 

Sunday, May 25, 2025

एमएलसी निर्वाचन में मतदाता नहीं बन सकेंगे वित्तविहीन व अंशकालिक शिक्षक

एमएलसी निर्वाचन में मतदाता नहीं बन सकेंगे वित्तविहीन व अंशकालिक शिक्षक


लखनऊ। प्रदेश के विधान परिषद क्षेत्र के निर्वाचन में वित्तविहीन एवं अंशकालिक शिक्षक अब मतदाता नहीं बन सकेंगे। राज्य निर्वाचन अधिकारी ने संबंधित आयुक्त और निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।


 बता दें कि उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के वाराणसी खंड के शिक्षक नेता सुधांशु शेखर त्रिपाठी ने राज्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर बीते कई वर्ष से बगैर योग्यता के वित्तविहीन शिक्षकों को अवैध तरीके से मतदाता बनाने की शिकायत की थी। उन्होंने इस बाबत भारत निर्वाचन आयोग के नियमों का हवाला भी दिया था, जिसका संज्ञान लेकर आदेश जारी किया गया है। 


एडेड कॉलेजों के शिक्षकों की पदोन्नति व दंड व्यवस्था समेत सेवा संबंधित सभी प्रकरणों के निस्तारण का अधिकार DIOS के पास

एडेड कॉलेजों के शिक्षकों की पदोन्नति व दंड व्यवस्था समेत सेवा संबंधित सभी प्रकरणों के निस्तारण का अधिकार  DIOS के पास 


लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के सेवा संबंधित प्रकरणों के निस्तारण का अधिकार डीआईओएस के ही पास है। नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद सेवा शर्तों को लेकर उठ रही शंकाओं के बीच माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट की है।

सभी डीआईओएस को भेजे पत्र में डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि धारा-12 में किसी भी शिक्षक या अनुदेशक के तबादले, पदोन्नति, मृत आश्रित के रूप में नियुक्ति, अधिनियमों व नियमावलियों में दी गई व्यवस्था के अनुसार की जाएगी। इसी तरह धारा-16 के नियमों के अनुसार प्रधान, शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की सेवा शर्त, स्थायीकरण, पदोन्नति, दंड, निलंबन, सेवा समाप्ति का अनुमोदन निर्धारित व्यवस्था के अनुसार होगा। इसके अनुसार ही डीआईओएस नियमानुसार कार्यवाही करेंगे



एडेड कॉलेजों के शिक्षकों की पदोन्नति करेंगे डीआईओएस,  शासन ने पदोन्नति की व्यवस्था में किया बदलाव

चयन बोर्ड नियमावली समाप्त पर नई व्यवस्था पहले जेडी की अध्यक्षता में समिति करती थी

प्रयागराज । प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की पदोन्नति अब डीआईओएस करेंगे। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विलय नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग में होने के बाद शासन ने पदोन्नति की व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। पूर्व में चयन बोर्ड नियमावली के तहत एडेड कॉलेज के शिक्षकों की पदोन्नति जेडी की अध्यक्षता में गठित होने वाली तीन सदस्यीय समिति करती थी। इस समिति में डीआईओएस और एक जीआईसी के प्रधानाचार्य सदस्य हुआ करते थे।

अगस्त 2023 में नए आयोग के गठन के बाद चयन बोर्ड का उसमें विलय हो गया और उसके साथ ही पूरे प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया ठप हो गई। शिक्षक संगठनों के दबाव पर शासन के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता ने 28 अप्रैल को माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव को भेजे पत्र में साफ किया है कि इस प्रकरण में कोई नवीन व्यवस्था स्थापित होने तक एडेड कॉलेज के अध्यापकों के संवा संबंधी मामलों का निस्तारण माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 के अनुसार करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करें। 

इंटरमीडिएट एक्ट 1921 में सेवा संबंधी प्रकरणों के निस्तारण का अधिकार डीआईओएस के पास है। यह आदेश होने के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालयों में अगस्त 2023 से पड़ी पदोन्नति संबंधी फाइलें वापस डीआईओएस कार्यालय भेजी जाने लगी है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी का कहना है कि यह आदेश पहले ही हो जाना चाहिए था। पदोन्नति न होने से शिक्षकों का आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा था मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे थे।



DIOS की कमिटी करेगी प्रमोशन की सिफारिश, एडेड माध्यमिक शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के प्रमोशन की रुकावट फिलहाल दूर


लखनऊ : एडेड माध्यमिक इंटर कॉलेजों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के प्रमोशन की रुकावट फिलहाल दूर हो गई है। प्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिए हैं कि जब तक शिक्षा सेवा चयन आयोग में नई व्यवस्था नहीं होती, तब तक इंटरमीडिएट ऐक्ट की व्यवस्था के तहत प्रमोशन किए जाएं। इस तरह अब DIOS की अध्यक्षता वाली कमिटी के जरिए प्रमोशन हो सकेंगे। 


इंटरमीडिएट ऐक्ट 1921 में बना था। उसमें DIOS की अध्यक्षता वाली कमिटी प्रमोशन की सिफारिश करती थी। 1982 में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में यह व्यवस्था बन गई कि संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता वाली कमिटी प्रमोशन की सिफारिश करेगी।


 अब प्रदेश सरकार ने शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित कर दिया है और तब से शिक्षकों के प्रमोशन रुके हैं। अब आयोग में नया प्रावधान जोड़ने के लिए ऐक्ट में संशोधन करना पड़ेगा। इस बीच शिक्षकों की मांग को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शासन से राय मांगी थी। इस पर शासन ने नई व्यवस्था दी है।



अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता हुआ साफ, पदोन्नति व सेवा संबंधी मामलों में माध्यमिक शिक्षा अधिनियम की व्यवस्था होगी लागू

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जारी किया शासनादेश, शिक्षक संगठनों ने जताई खुशी

लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व पदोन्नति को लेकर चल रही मांग को शासन ने मान लिया है। इससे एडेड विद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता भी साफ हो जाएगा। शिक्षक संगठनों ने इस पर खुशी जताई है।

प्रदेश में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद से शिक्षक पहले से चल रही धारा 12 व धारा 16 को नए आयोग में शामिल करने व प्रभावी करने की मांग कर रहे थे। इसे लेकर शिक्षक एमएलसी ने विधान परिषद में भी मामला गया था।

इस क्रम में माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता ने शासनादेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 की धारा 12 व 16 में दी गई व्यवस्था के क्रम में एडेड विद्यालयों के शिक्षकों को सेवा संबंधित प्रकरणों का निस्तारण कर सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक इसके तहत व्यवस्था के लिए संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इस शासनादेश के बाद एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा संबंधी प्रकरणों का समाधान सरलता से किया जा सकेगा।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने बताया कि उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 में पदोन्नति तथा सेवा संबंधी मामलों का उल्लेख नहीं था, जिससे शिक्षकों की पदोन्नति व सेवा संबंधी मामलों के निस्तारण में कठिनाई आ रही थी। इस शासनादेश के प्रभावी होने से संबंधित मामलों के निस्तारण में सरलता होगी।


वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी व पांडेय गुट के ओम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक संगठनों की मांग पर यह शासनादेश जारी किया गया है। इस आदेश के जारी होने के बाद अधिकारियों को शिक्षकों के लंबित मामले जल्द से जल्द निस्तारित करना चाहिए।


CBSE Sugar Boards Diabetes : बच्चों में बढ़ रहे मधुमेह के मामलों को देखते हुए सीबीएसई ने दिया स्कूलों को आदेश – लगाएं शुगर बोर्ड

CBSE स्कूल छात्रों को देंगे चीनी से होने वाले नुकसान की जानकारी

लखनऊ। देश-प्रदेश के बच्चों में जंक फूड, शुगर स्नैक्स आदि के बढ़ते प्रयोग से उनमें मोटापा, डायबिटीज जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। इसे देखते हुए सीबीएसई के स्कूलों में छात्रों को चीनी के प्रयोग से होने वाले नुकसान और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए हर विद्यालय में शुगर बोर्ड लगाकर जानकारी दी जाएगी। सीबीएसई के इस निर्देश को प्रदेश में सख्ती से लागू करने की कवायद तेज कर दी गई है।

सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे नए सत्र 2025-26 में 15 जुलाई तक अनिवार्य रूप से अपने यहां शुगर बोर्ड लगाएं। साथ ही इसकी फोटो भी सीबीएसई मुख्यालय को भेजें। इसके माध्यम से छात्रों को जागरूक किया जाएगा कि टाइप-टू-डायबिटीज के बढ़ने के क्या कारण हैं। 

सीबीएसई की निदेशक एकेडमिक डॉ. प्रज्ञा एम सिंह की ओर से जारी आदेश में इसके लिए कार्यशाला, सेमिनार आदि आयोजित करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों जैसे ताजे फल, हरी सब्जी, श्रीअन्न, दूध आदि के सेवन के फायदे भी बताए जाएंगे।



CBSE Sugar Boards Diabetes : बच्चों में बढ़ रहे मधुमेह के मामलों को देखते हुए सीबीएसई ने दिया स्कूलों को आदेश – लगाएं शुगर बोर्ड

चीनी से होने वाली हानि, कितनी मात्रा में खाएं चीनी आदि की जानकारी मिलेगी शुगर बोर्ड से 


नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता देश में टाइप 2 मधुमेह के बच्चों में बढ़ते प्रभाव को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने से संबद्ध विद्यालयों को बच्चों के चीनी सेवन पर नजर रखने और उसे कम करने के लिए 'शुगर बोर्ड' लगाने का निर्देश दिया है। सीबीएसई ने इस बाबत एक सर्कुलर भी जारी किया है। जिसमें उल्लेख किया है कि पिछले दशक में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पहले मुख्य रूप से वयस्कों में देखा जाता था। बोर्ड ने स्कूल प्रधानाचार्यों को लिखे पत्र में कहा है कि यह खतरनाक प्रवृत्ति मुख्य रूप से चीनी के अधिक सेवन के कारण है, जो अकसर स्कूल के वातावरण में मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता के कारण होता है।


चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है, बल्कि मोटापा, दांत की समस्याएं और अन्य चयापचय संबंधी विकार भी होते हैं, जो अंततः बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि 4 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दैनिक कैलोरी सेवन में चीनी का हिस्सा 13 प्रतिशत है, तथा 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए यह 15 प्रतिशत है, जो अनुशंसित 5 प्रतिशत की सीमा से काफी अधिक है। 


रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अत्यधिक सेवन के लिए स्कूल में आसानी से उपलब्ध होने वाले मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अत्यधिक उपयोग जिम्मेदार है। सीबीएसई की निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. प्रज्ञा एम. सिंह द्वारा हस्ताक्षरित इस सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि स्कूल इन गतिविधियों से संबंधित रिपोर्ट व फोटो https://shorturl.at/e33kc लिंक पर 15 जुलाई 2025 तक अपलोड करें। यह निर्देश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के कहने पर जारी किया गया। 


ज्ञात हो कि एनसीपीसीआर एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने लिए किया गया था, खासकर उन बच्चों के जो सबसे कमजोर और हाशिए पर हैं। विद्यालयों को 'शुगर बोर्ड' लगाने के लिए कहा गया है, जिस पर छात्रों को चीनी के अत्यधिक सेवन के जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिए जानकारी प्रदर्शित की जाए। 


स्कूल आयोजित करेंगे जागरूकता सेमिनार 
सीबीएसई द्वारा विद्यालयों को इस संबंध में जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए भी कहा गया है। इसमें कहा गया है कि इस पट्टिका पर आवश्यक जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, जिसमें अनुशंसित दैनिक चीनी का सेवन, आम तौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ (जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स आदि जैसे अस्वास्थ्यकर भोजन) में चीनी की मात्रा, उच्च चीनी के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम और स्वस्थ आहार विकल्प शामिल हैं। यह छात्रों को सूचित भोजन विकल्पों के बारे में शिक्षित करेगा और छात्रों के बीच दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा देगा।