ऑनलाइन उपस्थिति और पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन पर फिर छिड़ा विवाद, शिक्षकों ने मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना बताई
लखनऊ, 19 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति और पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा द्वारा महानिदेशक, स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश को भेजे गए पत्र में इस व्यवस्था को मुख्य सचिव के पूर्व आदेशों के विपरीत बताया गया है।
पत्र में कहा गया है कि दिनांक 16 जुलाई 2024 को लखनऊ में मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में शिक्षकों के प्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी।
बैठक में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और तत्कालीन महानिदेशक स्कूल शिक्षा की उपस्थिति में यह निर्णय हुआ था कि शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों पर विचार के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की जाएगी। साथ ही यह भी तय किया गया था कि समिति की रिपोर्ट आने तक किसी भी प्रकार की डिजिटल अटेंडेंस व्यवस्था स्थगित रखी जाएगी।
महामंत्री वर्मा ने पत्र में उल्लेख किया है कि उक्त बैठक का कार्यवृत्त जारी हुआ था और मीडिया में इसकी पुष्टि भी की गई थी। इसके बावजूद कुछ जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति और पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन के आदेश जारी किए जा रहे हैं।
यहां तक कि अनुपालन न होने की स्थिति में शिक्षकों को नोटिस और कार्यवाही की चेतावनी दी जा रही है, जो उनके अनुसार मुख्य सचिव के आदेशों की खुली अवहेलना है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि जब तक एक्सपर्ट कमेटी का निर्णय नहीं आता, तब तक मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुरूप यथास्थिति बनाए रखी जाए। वर्मा ने मांग की है कि शिक्षकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में तुरंत आवश्यक कार्यवाही की जाए ताकि अनावश्यक दबाव और भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके।
इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को भी भेजी गई है। शिक्षक संगठनों ने उम्मीद जताई है कि शासन इस पर जल्द संज्ञान लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करेगा ताकि प्रदेश भर में एक समान और न्यायसंगत व्यवस्था लागू हो सके।
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