अनिवार्य टीईटी को लेकर सीएम योगी से मिले एमएलसी, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद से प्रदेश भर के शिक्षकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। इसी क्रम में भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की।
उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की। एमएलसी ने बताया कि शिक्षकों के चयन के लिए अलग-अलग समय में अलग-अलग योग्यता निर्धारित थी। ऐसे में इंटर, बीपीएड-सीपीएड, बीएड प्राथमिक स्तर पर अब टीईटी के लिए अर्ह नहीं हैं।
न्यायालय के फैसले से प्रदेश के काफी शिक्षकों और उनके परिवारों का भविष्य अंधकारमय होने का खतरा है। शिक्षकों में काफी निराशा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के साथ ही सरकार अपनी विधायी शक्तियों का प्रयोग करते हुए नया कानून बनाने व संशोधित करने पर भी चर्चा की गई। एमएलसी ने बताया कि सीएम ने इस मामले में सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
टीईटी से राहत के लिए प्रधानमंत्री और शिक्षामंत्री को भेजा जा रहा ज्ञापन, शिक्षक संगठनों की ओर से राहत देने की मांग हुई तेज
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने इससे राहत देने की मांग तेज कर दी है। अलग-अलग संगठनों ने बृहस्पतिवार को भी इसके लिए प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ज्ञापन भेजा।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री व प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को इसके लिए पत्र भेजा गया। प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने पत्र लिखकर अभियान की शुरुआत की।
प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना 23 अगस्त 2009 में कहा गया है कि शिक्षक को शिक्षण कार्य करने के लिए न्यूनतम योग्यता डिप्लोमा (बीटीसी या समकक्ष) या बीएड के साथ ही छह माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण होना अनिवार्य है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा, विधि सलाहकार आमोद श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश भर से शिक्षक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री व सचिव को इससे अवगत कराएंगे। साथ ही यह मांग करेंगे कि केंद्र सरकार इससे उच्चतम न्यायालय को अवगत कराए ताकि 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों में जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई है, उससे राहत मिल सके।
दूसरी तरफ एक अन्य शिक्षक संगठन की ओर से बृहस्पतिवार से अपने जिले के जनप्रतिनिधियों के माध्यम से पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजने की शुरुआत की गई है। शिक्षक नेता सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि 20 सितंबर तक यह अभियान चलेगा। गलत तथ्यों को सर्वोच्च न्यायालय में रखने से शिक्षकों के सामने यह समस्या पैदा हुई है। केंद्र सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम में संशोधन कर शिक्षकों की सेवा को सुरक्षित करने का काम करे।
टीईटी की अनिवार्यता को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में शिक्षकों का विरोध शुरू, अक्तूबर में दिल्ली कूच की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद प्रदेश भर के शिक्षक चिंतित और डरे हुए हैं। अगर केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय इस मामले में हस्तछेप नहीं करते हैं तो उनके सामने बडी विकट स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के आह्वान पर बुधवार को प्रदेश भर से शिक्षकों द्वार पहले दिन ही 97890 पत्र प्रधानमंत्री के नाम भेजा गया। यह कार्यक्रम 20 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान प्रदेश भर के शिक्षक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की मांग करेंगे।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा की 55 साल का शिक्षक कैसे परीक्षा पास कर पायेगा। अब शिक्षक बच्चों को पढ़ाए या अब खुद पढ़े। उन्होंने कहा की केंद्र सरकार के कानून और सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से प्रदेश के काफी शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहराया है। केंद्र सरकार व एनसीटीई चाहे तो शिक्षकों को राहत मिल सकती है। अगर इस समस्या का समाधान नहीं निकलता है तो अक्तूबर में देश भर के शिक्षक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देंगे।दू
सरी ओर एक शिक्षक संगठन की ओर से प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर बुधवार को प्रदर्शन कर डीएम के माध्यम से पीएम को ज्ञापन दिया गया। संगठन के सुशील कुमार पांडेय ने मांग की कि आरटीई लागू होने से पहले के शिक्षकों को इससे मुक्त रखा जाए। आरटी ई एक्ट में संशोधन किया जाए।
वहीं विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोशिएशन 11 से 25 सितम्बर के बीच पीएम और शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर इस मामले में हस्तक्षेप की अपील करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने हम पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देने के लिए अभियान चलाएंगे। प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा कि संगठन शिक्षकों के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगा।
टीईटी अनिवार्यता के विरुद्ध आंदोलन करेंगे यूपी के शिक्षक
प्रभावित शिक्षक बुधवार से पीएम को भेजेंगे पांच लाख पत्र
बीटीसी शिक्षक संघ 10 से 20 सितंबर तक चलाएगा अभियान
लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद देशभर के प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों में कार्यरत लगभग एक करोड़ शिक्षक आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं।
उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के अनुसार 10 से 20 सितंबर तक प्रदेश के शिक्षक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को करीब पांच लाख पत्र भेजेंगे। इन पत्रों में 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की मांग की जाएगी।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार के कानून और सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से देश के करीब 30 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहराया है। केंद्र सरकार चाहे तो शिक्षकों को राहत मिल सकती है। इसी उद्देश्य से संघ ने 10 से 20 सितंबर तक पत्र भेजने का अभियान चलाने का निर्णय लिया है। शिक्षक नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो अक्टूबर में देशभर के शिक्षक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देंगे। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की जाएगी। इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का एक पैनल निर्णय का अध्ययन कर रहा है।
आंदोलन को नैतिक समर्थन देंगे शिक्षामित्र : शिक्षक अपने आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए शिक्षामित्रों को साथ जोड़ना चाहते हैं, लेकिन शिक्षामित्रों ने साफ किया है कि वे सीधे आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे बल्कि नैतिक समर्थन देंगे। पहले जब शिक्षामित्र आंदोलनरत थे, तब सहायक अध्यापकों ने उन्हें नैतिक सहयोग दिया था।
टीईटी के खिलाफ शिक्षक संगठन हो रहे लामबंद, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित प्रदेश भर के शिक्षक धीरे-धीरे आंदोलन की राह पर चल निकले
उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ ने 16 को प्रदेशव्यापी आंदोलन का किया एलान
लखनऊ। सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित प्रदेश भर के शिक्षक धीरे-धीरे आंदोलन की राह पर चल निकले हैं। शिक्षक संगठन इस मुद्दे को लेकर लामबंद होने लगे हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की रविवार को लखनऊ स्थित शिक्षक भवन में हुई बैठक में 16 सितंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की गई है।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि टीईटी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कानून के क्रम में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से देश भर के 20 लाख शिक्षकों के सामने संकट खड़ा हुआ है। प्रदेश में भी इससे प्रभावित होने वालों की बड़ी संख्या है। संघ इसके लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून में संशोधन के लिए 16 सितंबर को सभी बीएसए कार्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही डीएम के माध्यम से पीएम को संबोधित ज्ञापन भेजा जाएगा। उन्होंने आंदोलन में सभी शिक्षकों से शामिल होने का आह्वान किया।
संघ के महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि जल्द एक प्रतिनिधिमंडल इस मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेगा। जरूरत पड़ी तो इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। बैठक में कोषाध्यक्ष शिव शंकर पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राधे रमण त्रिपाठी, प्रांतीय पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी शामिल हुए।
10 सितंबर को जिलों में होगा प्रदर्शन
लखनऊ। शिक्षकों के एक अन्य गुट ने टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर 10 सितंबर को प्रदर्शन की घोषणा की है। शिक्षक नेता सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि सभी जिलों में डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री व सीएम को संबोधित ज्ञापन दिया जाएगा।
टीईटी की अनिवार्यता के मुद्दे पर लंबी लड़ाई लड़ेगा AIPTF
नई दिल्लीः नौकरी में बने रहने के लिए टीईटी की अनिवार्यता के मामले में शिक्षक संघ ने लंबी लड़ाई के लिए कमर कस ली है। शिक्षकों को राहत दिलाने के लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ सरकार पर नियम-कानून में संशोधन करने का दबाव बनाएगा। शिक्षक संघ मांग करेगा कि जिन शर्तों पर नियुक्ति हुई थी, उन्हीं पर शिक्षकों की नौकरी जारी रहनी चाहिए और उन्हें प्रोन्नति मिलनी चाहिए। अगर नियुक्ति के समय टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) जरूरी नहीं थी, तो अब इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता। हालांकि, सरकार पर राहत देने का दबाव बनाने के साथ-साथ शिक्षक संघ ने कानूनी विकल्प भी तलाशने शुरू कर दिए हैं और वकीलों से विचार-विमर्श चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गत एक सितंबर को दिए फैसले में कहा है कि कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करनी होगी। इसमें नाकाम रहने वालों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। प्रोन्नति के लिए भी टीईटी पास करना अनिवार्य है। सिर्फ जिनकी नौकरी पांच वर्ष से कम बची है, उन्हें टीईटी से छूट है। लेकिन, प्रोन्नति पाने के लिए उन्हें भी टीईटी पास करनी होगी। कोर्ट का आदेश पूरे देश के लिए है। इससे शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि देशभर में लाखों शिक्षक हैं, जिन्होंने टीईटी नहीं किया है। 2011 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।
शिक्षकों की नौकरी पर संकट को देखते हुए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ सक्रिय हो गया है। संकट का हल ढूंढने और वकीलों से विचार-विमर्श के लिए संघ के अध्यक्ष सुशील पांडेय, सचिव मनोज कुमार सहित विभिन्न राज्यों से कई शिक्षक नेता दिल्ली आए हुए हैं। सुशील कहते हैं कि शिक्षक संघ टीईटी अनिवार्य करने के कोर्ट के फैसले से राहत के लिए सरकार से बात करेगा और दबाव बनाएगा। जो शिक्षक पहले भर्ती हुए थे, वे उस समय के नियमों के साथ नियुक्त हुए थे। उनका अधिकार है कि उनकी नौकरी उन्हीं सेवा शर्तों के मुताबिक जारी रहे और उन्हीं पर प्रोन्नति दी जाए।
टीईटी बना शिक्षकों की टेंशन, सुप्रीम फैसले से बढ़ी बेचैनी, NCTE की संशोधित गाइडलाइन वापस लेने की बढ़ रही मांग
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद से प्रदेश के 4.50 लाख से अधिक शिक्षकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। शिक्षक खुद को दोराहे पर खड़ा पा रहा है। अब यह तय किया जा रहा है कि वह इस निर्णय पर पुर्नविचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करें या फिर आंदोलन का रास्ता अपनाएं।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से सात सितंबर को इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। बैठक में केंद्र सरकार पर इस मामले में हस्तक्षेप करने की रणनीति बनाई जाएगी। साथ ही इस मामले में आगे और क्या किया जाए इस पर भी निर्णय लिया जाएगा।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि सभी जिलों के जिलाध्यक्ष व प्रदेश के पदाधिकारी इस बैठक में शामिल होंगे। उनसे वार्ता कर आगे का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम प्रदेश व केंद्र सरकार से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे और शिक्षक विरोधी एक्ट वापस लेने की मांग करेंगे। यदि सरकार मांग नहीं मानती है तो देशव्यापी आंदोलन का निर्णय लिया जा सकता है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि किसी भर्ती के पूर्व सरकार द्वारा संबंधित पद के लिए जो भी योग्यता निर्धारित की जाती है उसको पूरा करने वाले अभ्यर्थी ही भर्ती किये जाते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा समय समय पर शिक्षकों की भर्ती के लिए जो भी योग्यता निर्धारित की गई, उसको पूरा करने पर ही शिक्षक भर्ती हुए हैं।
ऐसे में 25-30 साल पहले निर्धारित योग्यता पर नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान भर्ती के लिए निर्धारित योग्यता थोपने को बनाया गया कोई भी कानून केवल काला कानून ही कहा जाएगा। 23 अगस्त 2010 की एनसीटीई की गाइडलाइन में संशोधन देश भर के शिक्षकों के साथ धोखा है। इसी संशोधन के तहत सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के बेसिक शिक्षकों को दो साल में टेट करना अनिवार्य कर दिया है। अन्यथा सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश जारी किया है।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा है कि आरटीई एक्ट में साफ कहा गया है कि 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता नही है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने शिक्षकों को अंदर से हिला दिया है। संगठन इसके लिए हर सम्भव लड़ाई लड़ेगा। प्रांतीय महासचिव दिलीप चौहान ने कहा 20 से 25 साल नौकरी करने के बाद अचानक से यह कह देना कि बिना टीईटी सेवा से बाहर होना पड़ेगा। यह शिक्षकों और उनके परिवार के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा है कि नौकरी पर मंडराते खतरे के बीच शिक्षक दिवस नहीं मनाने का फैसला किया गया है। संगठन की ओर से पांच सितंबर को किए जाने वाले सम्मान के कार्यक्रम भी स्थगित कर दिए गए हैं। कहा, सरकार शिक्षक दिवस पर जिन शिक्षकों को सम्मानित करेगी उन्हें दो साल का सेवा विस्तार मिलेगा। अगर उनकी नौकरी ही नहीं बचेगी तो इस सेवा विस्तार व सम्मान का वो क्या करेंगे? उन्होंने पीएम व केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर शिक्षकों के साथ न्याय करने की अपील कही। कहा, देश भर के किसी शिक्षक की नौकरी प्रभावित नहीं होगी, यही घोषणा शिक्षकों के लिए वास्तविक सम्मान होगा।
प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बासवराज गुरिकर, राष्ट्रीय महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी, महामंत्री उमाशंकर सिंह व विनय तिवारी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर फैसले पर पुनर्विचार करने और जरूरत पर संसद से कानून पास कराने की मांग की।
उप्र. बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने शिक्षा मंत्रालय पर टीईटी को लेकर किए गए संशोधन को छिपाने का आरोप लगाया। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव ने भी संगठन शिक्षक दिवस न मनाने की घोषणा की है। शिक्षक नेता सुशील पांडेय ने पीएम को पत्र लिखकर सहानुभूति पूर्वक फैसला लेने का आग्रह किया है।