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Monday, September 1, 2025

केंद्रीय विद्यालयों में सीटीईटी अनिवार्य, एलटी भर्ती में छूट, प्रतियोगी पहुंचे हाईकोर्ट, राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी से छूट पर विवाद बढ़ा

केंद्रीय विद्यालयों में सीटीईटी अनिवार्य, एलटी भर्ती में छूट, प्रतियोगी पहुंचे हाईकोर्ट, राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी से छूट पर विवाद बढ़ा


कोर्ट ने पूछा, भर्ती नौ-दस के लिए या छह से आठ भी पढ़वाएंगे 


प्रयागराज । राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार सहायक अध्यापक भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) भर्ती में टीईटी से छूट देने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।

इस मामले में अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों से सवाल किया है कि एलटी ग्रेड शिक्षकों से केवल कक्षा नी और दस के बच्चों को पढ़वाएंगे या फिर ये शिक्षक कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों को भी पढ़ाएंगे।   


एनसीटीई की गाइडलाइन जारी होने के बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन ने टीजीटी (सहायक अध्यापक) भर्ती के लिए उच्च प्राथमिक स्तर की केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) को अनिवार्य कर दिया था क्योंकि टीजीटी शिक्षक ही कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को भी पढ़ाते हैं। हालांकि यूपी के माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 2018 में जब उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एलटी ग्रेड भर्ती जारी की थी तो उस समय भी टीईटी अनिवार्य किए जाने का मामला उठा था लेकिन तब अफसरों ने हाईकोर्ट में यह कहकर मामला रफा-दफा कर दिया था कि एलटी ग्रेड शिक्षकों से कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को नहीं पढ़वाया जाएगा।

जबकि हकीकत इसके उलट है। राजकीय विद्यालयों में छह से 12 तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। प्रवक्ता कक्षा 11 और 12 के बच्चों को पढ़ाते हैं और एलटी ग्रेड शिक्षक कक्षा छह से दस तक की कक्षाएं लेते हैं। यही कारण है कि हाईकोर्ट में याचिका करने वाले अभ्यर्थियों ने यह मुद्दा उठाया है कि लोक सेवा आयोग की ओर से 28 जुलाई को जारी विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं है कि भर्ती केवल कक्षा नौ-दस के शिक्षकों के लिए है या फिर कक्षा 6-8 के लिए भी है। हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को प्रमुख सचिव (माध्यमिक शिक्षा) को निर्देशित किया है कि वे इस विषय पर दो हफ्तों में काउंटर एफिडेविट दाखिल करें। इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितम्बर को होगी

मांग : शिक्षामित्र से शिक्षक बनने वालों को भी मिले पुरानी पेंशन, 38 जिलों में अभी भी नहीं जारी हुआ आदेश

मांग : शिक्षामित्र से शिक्षक बनने वालों को भी मिले पुरानी पेंशन, 38 जिलों में अभी भी नहीं जारी हुआ आदेश


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में 28 मार्च 2005 से पूर्व जिन शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी, जो शासन के विभिन्न शासनादेश का अनुपालन करते हुए समय समय पर हुई विभिन्न शिक्षक भर्तियों से शिक्षक बन गए है। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने इन सभी की पूर्व सेवा (शिक्षामित्र) को जोड़ते हुए पुरानी पेंशन देने की मांग की है।


यह मांग रविवार को संघ की लखनऊ में हुई प्रांतीय कोर कमेटी की बैठक में उठाई गई। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा की प्रदेश के 37 से अधिक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा आवेदन के लिए आदेश तो जारी किए गए, लेकिन शासन से स्पष्ट आदेश नहीं होने से शेष 38 बीएसए आदेश नहीं जारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा की प्रदेश के 1.48 लाख शिक्षामित्रों को पुनः नई नियमावली बनाकर शिक्षक का स्थाई दर्जा दिया जाए। बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष एकसाद अली, धर्मेंद्र यादव, रश्मिकान्त द्विवेदी, सचिव फारुख अहमद, श्याम शंकर यादव, आदि उपस्थित थे। 

यूपी : हाईकोर्ट ने NEET-2025 के तहत दाखिले में निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण का शासनादेश किया निरस्त, अंबेडकरनगर, कन्नौज, सहारनपुर और जालौन मेडिकल कॉलेज के प्रवेश रद्द

यूपी : एमबीबीएस में 23 की जगह 78% दे दिया था एससी-एसटी को आरक्षण, पिछड़ों को 13 तो सामान्य के हिस्से आई सिर्फ नौ फीसदी सीटें


लखनऊ। प्रदेश में 4 राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज, अंबेडकर नगर, जालौन और सहारनपुर में अनुसूचित जाति एवं जनजाति को 23 के बजाय 78 फीसदी आरक्षण दिया गया है। अति पिछड़े वर्ग को 13 फीसदी और सामान्य का हिस्सा सिर्फ नौ फीसदी है। निर्बल आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) का कोटा नहीं लागू है। ऐसे में हाईकोर्ट ने नीट 2025 की काउंसिलिंग रद्द करने का आदेश दिया है। हालांकि अब चिकित्सा शिक्षा विभाग दोबारा अपील की तैयारी में जुटा है।

प्रदेश में अनुसूचित जाति को 21, जनजाति को 2, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था है। मेडिकल कॉलेजों का निर्माण अलग अलग समय पर हुआ है। कन्नौज, अंबेडकर नगर, जालौन और सहारनपुर स्थित मेडिकल कॉलेज के निर्माण के वक्त समाज कल्याण विभाग की ओर से स्पेशल कंपोनेंट के तहत 70 फीसदी बजट दिया गया। जबकि 30 फीसदी बजट सामान्य था। उस वक्त इस बजट से हॉस्टल, प्रेक्षागृह सहित अन्य संसाधनों का निर्माण कराया गया। हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका में बताया गया कि इन कॉलेजों के दाखिला लेने वाले छात्रों में हॉस्टल में 70 फीसदी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बच्चों को आरक्षण दिया जाना था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से इसकी गलत व्याख्या की गई।

एमबीबीएस की सीटों पर अनुसूचित जाति के 21 फीसदी और जनजाति के दो फीसदी को मिलाकर कुल 23 फीसदी की जगह 78 फीसदी आरक्षण दे दिया गया। यह व्यवस्था कई साल से चल रही है। इस वर्ष की काउंसिलिंग में भी इसी व्यवस्था के तहत सीटों आवंटित की गई हैं। ऐसे में हाईकोर्ट ने काउंसिलिंग ही रद्द कर दिया है। 



यूपी : हाईकोर्ट ने NEET-2025 के तहत दाखिले में निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण का शासनादेश किया निरस्त, अंबेडकरनगर, कन्नौज, सहारनपुर और जालौन मेडिकल कॉलेज के प्रवेश रद्द

50 फीसदी आरक्षण सीमा नहीं लांघ सकते – हाईकोर्ट 


लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नीट- 2025 परीक्षा के तहत कन्नौज, सहारनपुर, अंबेडकरनगर और जालौन के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटों को नए सिरे से भरने का आदेश दिया है। साथ ही यूपी सरकार के विशेष आरक्षण शासनादेश को निरस्त करते हुए राज्य सरकार को आरक्षण अधिनियम 2006 के तहत दाखिला देने को कहा है। अदालत में मेडिकल कॉलेजों की सीटें भरने के लिए निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण देने के शासनादेशों को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला नीट-2025 की अभ्यर्थी सबरा अहमद की याचिका पर दिया है। याची ने अंबेडकरनगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आरक्षण की स्वीकृत सीमा का मुद्दा उठाकर चुनौती दी थी। याची का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी अभ्यर्थियों को शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने के लिए आरक्षण अधिनियम 2006 बनाया था। इस अधिनियम के तहत मेडिकल कॉलेजों में हुए दाखिलों में अधिनियम में दी गई आरक्षण की निर्धारित सीमा 50 फीसदी का उल्लंघन करके सीटें भरी गई। यानी शासनादेश जारी कर 50 फीसदी से अधिक आरक्षण दिया गया। यह कानून की मंशा के खिलाफ था। वहीं, राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया गया। 



अदालत ने कहा- राज्य सरकार का आदेश आरक्षण अधिनियम के खिलाफ : 
कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की सीमा तय करने वाला राज्य सरकार का आदेश साफ तौर पर आरक्षण अधिनियम 2006 के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि सरकार आरक्षण की तय सीमा 50 फीसदी के नियम का बगैर किसी कानूनी प्राधिकार के उल्लंघन नहीं कर सकती। ऐसे में इन शासनादेशों को तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आरक्षण सीमा का उल्लंघन करने वाले 2010 से 2015 के बीच जारी छह शासनादेशों को रद्द कर दिया।

आरक्षण अधिनियम 2006 के तहत नए सिरे से भरी जाएंगी सीटें अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इन चारों मेडिकल कॉलेजों की सीटें आरक्षण अधिनियम 2006 के अनुसार भरी जाएं। सीटें भरने की सूचना पर कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को आरक्षण अधिनियम 2006 के तहत इन सीटों को नए सिरे से भरने की कार्यवाही करने का निर्देश दिया। 


चारों कॉलेजों की 340 सीटें होंगी प्रभावित 
हाईकोर्ट के आदेश के बाद चारों कॉलेजों की 340 सीटों के दाखिले प्रभावित हो सकते हैं। हर कॉलेज में कुल 85 सीटें हैं। इनमें सात जनरल वर्ग के लिए, एससी वर्ग के लिए 62, एसटी वर्ग के लिए 5 व ओबीसी वर्ग के लिए 11 सीटें हैं।


दूसरे चरण की काउंसिलिंग में सीटों का वितरण बदलेगा चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय ने देर रात अपनी वेबसाइट पर हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी दी है। यह भी कहा है कि दूसरे चरण की सीट मैट्रिक्स बदल सकती है। इस बारे में जल्द ही वेबसाइट पर सूचना दी जाएगी।


प्रदेश के सभी कॉलेजों पर पड़ सकता है असर
लखनऊ। प्रदेश में आठ अगस्त से शुरू हुई पहले चरण की काउंसिलिंग 28 अगस्त को पूरी हो चुकी है। दूसरे चरण की प्रकिया शुरू हो गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की आरक्षित श्रेणी की सीटें प्रभावित हो सकती हैं। ऐसे में कुछ छात्रों के कॉलेज आवंटन प्रभावित होंगे।

Sunday, August 31, 2025

UDISE रिपोर्ट के अनुसार ड्रॉपआउट में हुई कमी, स्कूल में रुकने की दर भी सुधरी

 UDISE रिपोर्ट के अनुसार ड्रॉपआउट में हुई कमी, स्कूल में रुकने की दर भी सुधरी


नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई 2024-25 रिपोर्ट के अनुसार, सभी स्तरों पर रिटेंशन दर यानि बच्चों के स्कूल में रुकने की दर में सुधार हुआ है।

फाउंडेशन स्तर पर रिटेंशन दर बढ़कर 98.9%, प्रारंभिक स्तर पर 92.4%, मध्य स्तर पर 82.8% और माध्यमिक स्तर पर 47.2% हो गई है। साथ ही, स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की दर में कमी आई है। प्रारंभिक स्तर पर 2.3%, मध्य स्तर पर 3.5% और माध्यमिक स्तर पर 8.2% ड्रॉपआउट दर घटी है। विभिन्न चरणों के बीच ट्रांजिशन दर भी मजबूत हुई है, जो विद्यार्थियों के लिए सुचारू प्रगति का संकेत है।

शिक्षकों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़कर 54.2% हो गया है। इसके अलावा स्कूलों में लड़कियों का नामांकन बढ़कर 48.3% हो गया है। 54.9% स्कूलों में रैंप और रेलिंग जैसी सुविधाएं लगाई गई हैं। यह दिखाता है कि सरकार समावेशी शिक्षा पर ध्यान दे रही है, ताकि विकलांग छात्रों को भी स्कूल आने में कोई परेशानी न हो। यूडीआईएसई रिपोर्ट के अनुसार, देश में शिक्षकों की कुल संख्या पहली बार एक करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। वर्ष 2022-23 में शिक्षकों की संख्या 94,83,294 थी, 2024-25 में यह बढ़कर 1,01,22,420 हो गई है।



देश में पहली बार शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ के पार लेकिन 1 लाख स्कूलों में पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक ही उपलब्ध, यूडाइस के शैक्षणिक सत्र 2024-25 की रिपोर्ट से हुआ खुलासा


यूडाइस रिपोर्ट 2024-25 पिछले सत्र में 14.71 लाख स्कूलों में कुल 24.69 करोड़ स्टूडेंट्स पढ़े, फिर भी 7993 स्कूलों में एक भी स्टूडेंट नहीं था

एक साल में करीब डेढ़ लाख शिक्षक बढ़ गए; 10 साल में महिला शिक्षक 8% बढ़ गईं, जबकि पुरुष महज 1% ही बढ़े


नई दिल्ली | देश में 1,04,125 स्कूल ऐसे हैं जिनमें केवल एक ही शिक्षक है जबकि 7993 स्कूलों में एक भी नामांकन नहीं है यानी वहां कोई नहीं पढ़ता। यह आंकड़े यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडाइस) के शैक्षणिक सत्र 2024-25 की रिपोर्ट में सामने आए हैं। हालांकि पिछले सत्र की तुलना में इन दोनों आंकड़ों में कमी आई है। यूडाइस केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का डेटा बेस है, जिसका उद्देश्य सभी स्कूलों से शिक्षा से जुड़ी जानकारी एकत्रित करना है।


 ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश में पहली बार किसी शैक्षणिक सत्र में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा हुई है। 2023-24 के सत्र में कुल शिक्षक 98.83 लाख थे, जो अब 1,01,22,420 हो गए हैं। इनमें से 51% (51.47 लाख) शिक्षक सरकारी स्कूलों में हैं। एक दशक में महिला शिक्षकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 2014-15 में पुरुष शिक्षक 45.46 लाख तो महिला 40.16 लाख थीं, जो 2024-25 में बढ़कर क्रमशः 46.41 लाख और 54.81 लाख हो गई हैं। बीते दशक में महिला शिक्षकों की संख्या करीब 8% बढ़ने की बड़ी वजह इनकी भर्तियां हैं। 2014 से अब तक 51.36 लाख भर्तियों में से 61% महिला शिक्षकों की हुई हैं।


पीपुल-टीचर रेश्योः अब 21 छात्रों पर एक शिक्षक, पहले 31 पर थे

मिडिल स्तर पर 10 साल पहले एक शिक्षक के पास 26 छात्र थे, जो घटकर 17 रह गए हैं। सेकंडरी स्तर पर यह 31 से घटकर 21 रह गया है। यानी छात्र व शिक्षकों के बीच संवाद बेहतर हो रहा है। शिक्षकों के पास जितने कम छात्र होंगे, वे उन्हें ज्यादा समय दे पाएंगे।

ड्रॉपआउट रेट घटा है। सेकंडरी पर 2023-24 में यह 10.9% था, जो 2024-25 में 8.2% बचा है। मिडिल स्तर पर यह 5.2% की तुलना में 3.5% और प्राथमिक पर 3.7% से घटकर 2.3% रह गई है।

प्राथमिक पर रिटेंशन रेट 2023-24 में 85.4% से बढ़कर अब 92.4% हो गया है। मिडिल पर 78% से बढ़कर 82.8% तो सेकंडरी पर यह 45.6% से बढ़कर 47.2% हो गया है। सेकंडरी स्तर पर नामांकन दर बढ़कर 68.5% हो गई है।



असमानताः झारखंड में एक टीचर के पास औसत 47 बच्चे, सिक्किम में 7

सबसे ज्यादा प्राइमरी स्कूल बंगाल में (80%) और सबसे कम चंडीगढ़ में (3%) हैं। चंडीगढ़ में प्रति स्कूल 1222 छात्र हैं। लद्दाख में यह 59 हैं।

हायर सेकंडरी स्तर पर झारखंड के स्कूलों में एक शिक्षकों को औसतन 47 को पढ़ाना होता है। सिक्किम में यह आंकड़ा औसतन 7 ही है।

ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (जीईआर) में बिहार अपर प्राइमरी (69%), सेकंडरी (51%) व हायर सेकंडरी (38%) सभी स्तरों पर सबसे नीचे है। यह रेश्यो बताता है कि वहां किसी स्तर पर उसके योग्य उम्र वाले कितने बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं।

चंडीगढ़ में यह रेश्यो सबसे अधिक है जहां अपर प्राइमरी का जीईआर 120%, मिडिल का 110% और हायर सेकंडरी का 107% है।



किताबों के लिए खुले बाजार के भरोसे हैं बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के छात्र

किताबों के लिए खुले बाजार के भरोसे हैं बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के छात्र


लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त किताबें मिलती है, उसी परिषद को अपने 74 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों की कोई फिक्र नहीं है। उनके लिए बाजार में भी परिषद की अधिकृत किताबें उपलब्ध नहीं है। परिषद अभी तक अपने अधिकृत प्रकाशकों को कवर छपवाकर नहीं दे सका है। प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को खुले बाजार के भरोसे छोड़ दिया है। वे निजी प्रकाशकों की मनमाने दामों पर बिक रही किताबें खरीदने को मजबूर हैं।


इन छात्रों के लिए मुफ्त किताबे :
बेसिक शिक्षा परिषद के 1.32 लाख अपने सरकारी स्कूल है। वहीं 2,965 एडेड स्कूल है। इसके अलावा 746 कस्तूरबा गांधी विद्यालय है। इन सबमें पढ़ने वाले बच्चों को तो बेसिक शिक्षा विभाग मुफ्त किताबें छपवाकर देता है। इसके लिए विभाग ही टेंडर करता है और तय पाठ्य सामग्री होती है। कक्षा एक से तीन तक NCERT पाठ्यक्रम लागू है। विभाग NCERT की अनुमति से अपने अधिकृत प्रकाशकों से किताबें छपवाता है और बच्चों को मुफ्त दी जाती है। 


किताबे भी अलग-अलग बेसिक
शिक्षा परिषद प्राइवेट स्कूलों को भी मान्यता देता है। ऐसे स्कूलों की संख्या 74,471 है। ये भी उसी परिषद से मान्यता प्राप्त है। इनके लिए बाजार में अलग-अलग प्रकाशकों की किताबें मौजूद है। सबके दाम भी अलग-अलग है। इतना ही नहीं किताबें भी वे अलग-अलग तरह की छाप रहे हैं। किसी प्रकाशक की किताब में काफी कम पेज और पाठ है और किसी में ज्यादा। प्राइवेट स्कूलों के छात्र इन किताबों को ही खरीदने के लिए मजबूर है।

'समान वोर्ड तो किताबें भी समान हो'
 लखनऊ के ही एक स्कूल के प्रबंधक रामानंद सैनी कहते हैं कि बाजार में जो किताबें मिल रही है, वही बच्चे खरीद रहे है। हाल ही में विधान परिषद में भी यह मुद्दा उठाने वाले डॉ. मान सिंह कहते हैं कि सरकार ने बच्चों को बाजार के भरोसे छोड़ दिया है। शिक्षा की कोई चिंता ही नहीं है। वहीं प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि एक बोर्ड और एक कोर्स है तो किताबें एक जैसी ही होनी चाहिए।


क्या है प्रक्रिया
नियम है कि प्राइवेट स्कूलों के लिए भी सरकारी की तरह समान किताबें बाजार में आएंगी। सरकारी किताबें छापने का जो टेंडर प्रकाशकों को दिया गया है, वे ही बाजार में भी किताबें बेचेंगे। उन प्रकाशकों को विभाग सरकारी प्रिंटिंग प्रेस से कवर पेज छपवाकर देगा। अप्रैल से सत्र चल रहा है लेकिन ये कवर पेज छपवाकर अभी उन प्रकाशकों को दिया ही नहीं गया है। इसका फायदा उठाकर निजी प्रकाशकों ने पहले ही अपनी किताबें बाजार में उतार दीं। बच्चों की भी मजबूरी है कि पढ़ाई करनी है तो वे किताबें खरीदें।


सरकारी किताबे जो प्रकाशक छापते है, उनको कवर पेज छपवाकर दिया जाता है। प्रक्रिया चल रही है। उनको यह कवर पेज छपवाकर दिया जाएगा। - माधव जी तिवारी, पाठ्य पुस्तक अधिकारी



तो ये पूरा खेल मुनाफे का है
यहां पूरा खेल मुनाफे का है। सरकारी किताबे बाजार में जाएंगी तो उनके रेट भी तय होंगे। उसमें उन प्रकाशकों को बहुत मुनाफा नहीं होगा। इसलिए सरकारी किताबे छापने वाले प्रकाशक भी रुचि नहीं लेते कि वे उस रेट पर किताबे बेचे। जो प्रकाशक बाजार में किताबे बेच रहे है, वे मनमाना मुनाफा लेकर अपने हिसाब से दाम तय कर रहे है। सूत्रों के अनुसार अंदर की बात तो ये है कि ये प्रकाशक स्कूलों को भी कमिशन देते है। ऐसे में मुनाफा उनका है। विभाग की लेटलतीफी और सुस्ती भी आशंका पैदा करती है। इस तरह प्राइवेट प्रकाशको के इस खेल में सबका मुनाफा है।

अप्ट्रॉन कंपनी के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी व अवकाश नकदीकरण का भुगतान न होने पर दाखिल अवमानना याचिका पर बेसिक शिक्षा निदेशक को हाईकोर्ट ने किया तलब

अप्ट्रॉन कंपनी के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी व अवकाश नकदीकरण का भुगतान न होने पर दाखिल अवमानना याचिका पर बेसिक शिक्षा निदेशक को हाईकोर्ट ने किया talb


लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अप्ट्रॉन कंपनी के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी व अवकाश नकदीकरण का भुगतान न होने पर दाखिल अवमानना याचिका में बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह को तलब किया है।


कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक या तो रिट कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जाए अथवा बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल उपस्थित हों, उनके विरुद्ध अवमानना का आरोप तय किया जाएगा। 

न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल पीठ नेयह आदेश शैलेंद्र कुमार टंडन की अवमानना याचिका पर पारित किया है। दरअसल, अपट्रॉन के कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा 20 दिसम्बर 2011 को जारी एक अधिसूचना के तहत विभिन्न विभागों में समामेलित किया गया था। 

Saturday, August 30, 2025

एक ही तिथि और एक ही समय पर दो विभागीय कार्यक्रम कराकर धनराशि हड़पने के मामले में मुरादाबाद की खण्ड शिक्षा अधिकारी वंदना सैनी निलंबित, देखें आदेश

एक ही तिथि और एक ही समय पर दो विभागीय कार्यक्रम कराकर धनराशि हड़पने के मामले में मुरादाबाद की खण्ड शिक्षा अधिकारी वंदना सैनी निलंबित, देखें आदेश  

सरकारी धन की हेराफेरी करने के आरोप में BEO वंदना सैनी निलंबित,  एक तारीख व एक समय पर दो कार्यक्रम कराकर राशि हड़पने का है आरोप


मुरादाबाद में खंड शिक्षा अधिकारी वंदना सैनी को सरकारी धन के दुरुपयोग और विभागीय निर्देशों की अनदेखी के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। हमारा आंगन हमारे बच्चे योजना और विद्यालय प्रबंध समिति संगोष्ठी में वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं। जांच में सहयोग न करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है। निलंबन के दौरान वह मुरादाबाद के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध रहेंगी।


मुरादाबाद। क्षेत्र मुरादाबाद की खंड शिक्षा अधिकारी वंदना सैनी को सरकारी धन के दुरुपयोग, विभागीय निर्देशों की अनदेखी और जांच में सहयोग न देने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक गौड़ की शिकायत पर हुई जांच में खुलासा हुआ कि 'हमारा आंगन हमारे बच्चे' योजना के 38,750 और विद्यालय प्रबंध समिति संगोष्ठी के 41,000 खर्च की रिपोर्टों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। दोनों कार्यक्रमों को एक ही दिन आयोजित करने के बावजूद प्रतिभागियों की सूची अलग-अलग दर्शाई गई, जो विभागीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

जांच अधिकारी द्वारा पांच बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद वंदना सैनी ने कोई लिखित स्पष्टीकरण नहीं दिया। इससे उनकी लापरवाही और उदासीनता की पुष्टि होती है। मुख्य विकास अधिकारी मुरादाबाद द्वारा दी गई संस्तुति पर अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) उत्तर प्रदेश कामता राम पाल ने यह कार्रवाई की है।

निलंबन की अवधि में वंदना सैनी मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय, मुरादाबाद से सम्बद्ध रहेंगी और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। हालांकि, इसके लिए उन्हें यह प्रमाणित करना होगा कि वह किसी अन्य व्यवसाय या सेवा में संलग्न नहीं हैं।

वंदना सैनी के विरुद्ध आरोप-पत्र पृथक रूप से जारी किया जाएगा। जांच अधिकारी के रूप में मेरठ मंडल के सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) को नामित किया गया है।



अनियमितता बरतने के आरोप में बीईओ वंदना सैनी निलंबित

मुरादाबाद। एक तारीख और एक समय पर दो कार्यक्रम कराकर धनराशि हड़पने के आरोप में बीईओ नगर क्षेत्र वंदना सैनी को निलंबित कर दिया गया है।

सहायक शिक्षा निदेशक प्रयागराज की ओर से जारी किए गए पत्र के अनुसार चंदौसी निवासी अभिषेक गौड़ ने बीईओ नगर क्षेत्र वंदना सैनी पर एक ही तारीख व समय पर दो कार्यक्रम कराकर रकम हड़पने का आरोप लगाया था। इसकी जांच जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान कांठ के प्राचार्य ने की। वंदना द्वारा प्रति उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया। वहीं, बीएसए ने आख्या में बताया कि हमारा आंगन-हमारे बच्चे के लिए 38750 रुपये व विद्यालय प्रबंध समिति की संगोष्ठी के लिए 41 हजार की राशि दी गई थी। 

जांच में पाया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य और बीएसए की आख्या रिपोर्ट के अनुसार दोनों कार्यक्रम एक ही दिन कराए गए जबकि विभागीय निर्देशानुसार दोनों कार्यक्रमों के प्रतिभागी अलग-अलग हैं। जांच अधिकारी ने अपने आख्या में स्पष्ट किया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों कार्यक्रम एक ही दिन कराए गए हैं। सीडीओ मृणाली अविनाश जोशी ने जांच आख्या की रिपोर्ट अपर शिक्षा निदेशक को भेज दी थी। 

शिक्षकों के एरियर और अवकाश आवेदनों में विलंब को लेकर हापुड़ की बीईओ निलंबित

शिक्षकों के एरियर और अवकाश आवेदनों में विलंब को लेकर हापुड़ की बीईओ निलंबित


हापुड़ : हापुड़ ब्लॉक के शिक्षकों के एरियर और अवकाश आवेदनों में विलंब के मामले में अपर शिक्षा निदेशक बेसिक ने खंड शिक्षा अधिकारी रचना सिंह को निलंबित कर दिया गया। धर्मपुर 15 बिस्वा स्थित प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका उषा रानी ने एरियर के लिए आवेदन किया था। रचना सिंह ने कई अन्य शिक्षकों के मामलों में भी देरी की। नियमानुसार एरियर का भुगतान 7 दिनों के भीतर किया जाना था। ऐसे में अपर शिक्षा निदेशक कामता रामपाल ने रचना सिंह को शासकीय कार्यों में लापरवाही का दोषी पाया।



नए महाविद्यालयों को खोले जाने के लिए जरूरी मानकों में होंगे महत्वपूर्ण बदलाव, समिति करेगी पुराने नियमों की समीक्षा, नए सिरे से जारी किए जाएंगे दिशानिर्देश

नए महाविद्यालयों को खोले जाने के लिए जरूरी मानकों में होंगे महत्वपूर्ण बदलाव, समिति करेगी पुराने नियमों की समीक्षा, नए सिरे से जारी किए जाएंगे दिशानिर्देश

महाविद्यालयों में नए विषय शुरू करने के मानकों में होगा बदलाव


प्रयागराज। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों व उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में नए विषय शुरू करने के मानकों में बदलाव होने जा रहा है। इसके साथ ही कॉलेजों की संबद्धता एवं अन्य वित्तीय व प्रशासनिक नियमों में भी व्यापक रूप से बदलाव किए जाएंगे। इसके लिए शासन ने छह सदस्यीय समिति का गठन किया है जो पुराने शासनदेशों की समीक्षा के बाद एक नया शासनादेश तैयार करेगी।

दरअसल, प्रदेश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है। ऐसे में नए विषयों व नए कॉलेजों की संबद्धता, पुराने कॉलेजों में नए विषयों की संबद्धता संबंधी मानकों में बदलाव करने की आवश्यकता को देखते हुए शासन ने पुराने शासनदेशों की समीक्षा करते हुए मानकों का नए सिरे से निर्धारण करने का निर्णय लिया है।


इसके साथ ही विभिन्न संकाय/पाठ्यक्रमों के लिए संस्था की आर्थिक स्थिति के मानकों को व्यावहारिक व प्रासंगिक बनाया जाना है। उप सचिव राम जनम चौहान की से जारी आदेश में कहा गया है कि बदलाव के लिए पूर्व में जारी शासनादेशों की समीक्षा के बाद एक स्पष्ट शासनादेश निर्गत किए जाने के लिए छह सदस्यीय समिति के गठन का निर्णय लिया गया है।

समिति अकादमिक गतिविधियों से संबंधित पूर्व में जारी किए गए शासनादेशों की समीक्षा के साथ ही शिक्षण संस्थान के इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय स्थिति से संबंधित शासनादेशों की समीक्षा भी करेगी। समिति एक माह में रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग का सौंपेगी और इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर मानकों से संबंधित एक नया शासनादेश जारी किया जाएगा।

छह सदस्यीय समिति में प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. विवेक कुमार सिंह को भी बतौर सदस्य शामिल किया गया है। उच्च शिक्षा निदेशक को समिति का अध्यक्ष व क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी को सदस्य सचिव बनाया गया है। इनके अलावा समिति के सदस्यों में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलसचिव, मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय मिर्जापुर के कुलसचिव और उच्च शिक्षा निदेशालय के वित्त नियंत्रक शामिल हैं।

हर मंडल में खुलेगा स्पोर्ट्स कॉलेज, राष्ट्रीय खेल दिवस पर सीएम योगी ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन पर की घोषणा

हर मंडल में खुलेगा स्पोर्ट्स कॉलेज, राष्ट्रीय खेल दिवस पर सीएम योगी ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन पर की घोषणा


प्रतापगढ़। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को जीआईसी मैदान पर राष्ट्रीय खेल दिवस पर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को नमन किया। उन्होंने कहा कि हर मंडल में एक स्पोर्ट्स कॉलेज खुलेगा। मेरठ में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय के पहले सत्र की शुरुआत खेल दिवस पर हो रही है। 


उन्होंने कहा कि जनपद में स्टेडियम के विस्तार का प्रस्ताव मिला है। जल्द की स्टेडियम का विस्तार किया जाएगा। कृषि विभाग की भूमि का अधिग्रहण कर खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। ताकि खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर सके।

स्काउट एंड गाइड का 75वां स्थापना दिवस समारोह लखनऊ में होगा, उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने की तैयारी

स्काउट एंड गाइड का 75वां स्थापना दिवस समारोह लखनऊ में होगा, उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने की तैयारी


लखनऊ। भारत स्काउट एंड गाइड का 75वां 75वां स्थापना दिवस समारोह जंबूरी इस साल धूमधाम से राजधानी लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। डिफेंस एक्सपो मैदान में होने वाले इस समारोह का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने की तैयारी है। इस आयोजन में देश-विदेश के 35 हजार से अधिक स्काउट एंड गाइड शामिल होंगे।


भारत स्काउट एंड गाइड की स्थापना के नवंबर में 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस साल चूंकि संगठन का डायमंड जुबली समारोह है। इसलिए इसका आयोजन लखनऊ में 23 से 29 नवंबर तक किया जा रहा है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग व स्काउंड एंड गाइड संगठन की ओर से तैयारी तेज कर दी गई है। 

उत्तर प्रदेश स्काउट्स एंड गाइड के सचिव आनंद सिंह राव रावत ने बताया कि समारोह में देश के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान आदि 10 देशों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार के माध्यम से इस आयोजन के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व समापन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित किया गया है। जल्द ही उनका कार्यक्रम मिलने की उम्मीद है। 

Friday, August 29, 2025

प्रदेश में बिना प्रबंधतंत्र के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के सुचारू रूप से संचालन के सम्बन्ध में।

एडेड माध्यमिक विद्यालयों के लिए जिले में समिति बनेगी, जहां प्रबंध समिति का कोई सदस्य नहीं वहां प्रभावी शिक्षक कर्मियों के सारे मामले देखेगी समिति


लखनऊ। राज्य सरकार ने एडेड माध्यमिक विद्यालयों के सुचारू रूप से संचालन के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत जिन विद्यालयों की प्रबन्ध समिति, साधारण सभा, ट्रस्ट का कोई भी सदस्य या पदाधिकारी जीवित नहीं हैं अथवा विगत पांच वर्ष से अधिक समय से कालातीत हैं और जहाँ शिक्षक कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए एकल संचालन की व्यवस्था प्रभावी है, उनके संचालन के लिए शासनादेश निर्गत किया गया है।

इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ महेन्द्र देव ने बताया कि 27 अगस्त को जारी शासनादेश के तहत, ऐसे विद्यालयों का संचालन अब संबंधित जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। यह समिति किसी विभागीय अधिकारी (श्रेणी-2 स्तर से ऊपर के) को प्रबन्धक नामित करेगी, जो समिति के प्रति उत्तरदायी होगा। प्रबन्धक का कार्यकाल अधिकतम पांच वर्ष का होगा। 

नए शासनादेश के बाद अब इन विद्यालयों में प्रबन्धकीय कार्य, परिसम्पत्तियों की देखरेख, तथा शिक्षकों-कर्मचारियों की सेवा संबंधी समस्त प्रकरण जैसे अवकाश, जीपीएफ, पेंशन, चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति, अधियाचन के माध्यम से क्रियान्वित किए जाएंगे।



निष्क्रिय प्रबंध समिति वाले एडेड कॉलेजों का कामकाज देखेगी डीएम की कमेटी

लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों जिनकी प्रबंध समिति पांच साल से अधिक से निष्क्रिय हैं अथवा प्रबंध समिति, साधारण सभा, ट्रस्ट के सदस्य-पदाधिकारी जीवित नहीं हैं। ऐसे कॉलेजों का कामकाज डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी देखेगी। यह सिर्फ वेतन ही नहीं अन्य विकास कार्य व सहयोगी अनुदान से जुड़े निर्णय भी लेगी। 

माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव उमेश चंद्र की ओर जारी शासनादेश में कहा गया है कि इसे लेकर पूर्व में जारी आदेश में आंशिक संशोधन किया गया है। इसमें एडेड माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंध समिति, साधारण सभा, ट्रस्ट के सदस्य-पदाधिकारी के जीविन न होने के साथ ही पांच साल से अधिक से प्रबंध समिति के कालातीत होने और शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए एकल संचालन व्यवस्था प्रभावी होने को भी जोड़ा गया है। 



प्रदेश में बिना प्रबंधतंत्र के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के सुचारू रूप से संचालन के सम्बन्ध में।


UIDAI ने देशभर के स्कूलों से 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए समय पर आधार बायोमेट्रिक आंकड़ों को अद्यतन करने का किया आग्रह

UIDAI ने देशभर के स्कूलों से 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए समय पर आधार बायोमेट्रिक आंकड़ों को अद्यतन करने का किया आग्रह 


नई दिल्ली  : भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने देशभर के स्कूलों से पांच से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए समय पर आधार बायोमेट्रिक आंकड़ों को अद्यतन करने का आग्रह किया है। 


जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यूआइडीएआइ के सीईओ भुवनेश कुमार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर स्कूलों में शिविर आयोजित कर लंबित अनिवार्य बायोमेट्रिक अद्यतन पूरा करने का आग्रह किया है। यह एक ऐसा कदम है जिससे करोड़ों छात्रों के लिए आधार में अनिवार्य बायोमेट्रिक अद्यतन की सुविधा होगी।

नवचयनित मुख्य सेविकाओं की जनपद में तैनाती हेतु ऑनलाइन विकल्प भरे जाने के संबंध में आदेश जारी

नवचयनित मुख्य सेविकाओं की जनपद में तैनाती हेतु ऑनलाइन विकल्प भरे जाने के संबंध में आदेश जारी

Thursday, August 28, 2025

समग्र शिक्षा (माध्यमिक) के अन्तर्गत प्रदेश 2204 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों टैबलेट वितरण के सम्बन्ध में

समग्र शिक्षा (माध्यमिक) के अन्तर्गत प्रदेश 2204 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों टैबलेट वितरण के सम्बन्ध में



Wednesday, August 27, 2025

माध्यमिक के 15 शिक्षकों को राज्य व सीएम पुरस्कार की घोषणा, 25 हजार के चेक के साथ स्मृति चिह्न व प्रशस्ति पत्र देकर पांच सितंबर को होगा सम्मान

माध्यमिक के 15 शिक्षकों को राज्य व सीएम पुरस्कार की घोषणा, 25 हजार के चेक के साथ स्मृति चिह्न व प्रशस्ति पत्र देकर पांच सितंबर को होगा सम्मान


लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने मंगलवार को राज्य अध्यापक पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इस बार 12 शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार व तीन शिक्षकों को मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित किए गए हैं। यह शिक्षक पुरस्कार 2024 के हैं। पांच सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन शिक्षकों को सम्मानित करेंगे। इनको 25-25 हजार का चेक, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र देकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया जाएगा। साथ ही इन शिक्षकों को परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की भी सुविधा दी जाती है। 


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव के अनुसार, हमीरपुर
 के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य राम प्रकाश गुप्त, वाराणसी के आर्य महिला इंटर कॉलेज की शिक्षिका छाया खरे व गाजियाबाद के महर्षि दयानंद विद्यापीठ कॉलेज की कोमल त्यागी मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित हैं। वाराणसी के हाथी बरनी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य राजेश कुमार पाठक, बरेली के इस्लामियां गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य चमन जहां, जौनपुर के जनक कुमारी इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक डॉ. जंग बहादुर सिंह व मेरठ के एसएसवी इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक डॉ. सुखपाल सिंह तोमर राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए चुने गए हैं। 


सुल्तानपुर के पीएमश्री केश कुमारी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की शिक्षिका डॉ. दीपा द्विवेदी, फर्रुखाबाद के मदन मोहन कानोडिया बालिका इंटर कॉलेज की शिक्षिका सुमन त्रिपाठी, गोरखपुर के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के शिक्षक डॉ. वीरेंद्र कुमार पटेल, लखनऊ के बीकेटी इंटर कॉलेज के शिक्षक हरिश्चंद्र सिंह, सहारनपुर के बनारसी दास इंटर कॉलेज के शिक्षक अंबरीष कुमार, अमरोहा के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की शिक्षिका प्रीति चौधरी, वाराणसी के उदय प्रताप इंटर कॉलेज के शिक्षक उमेश सिंह व बहराइच के श्रीराम जानकी शिव संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य कृष्ण मोहन शुक्ला राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित हुए हैं। 

शिक्षकों की कलात्मक प्रतिभा को निखारेगी NCERT की 'समृद्धि राष्ट्रीय प्रतियोगिता', 1 से 15 सितंबर तक जिला स्तर पर भरे जाएंगे फार्म

शिक्षकों की कलात्मक प्रतिभा को निखारेगी NCERT की 'समृद्धि राष्ट्रीय प्रतियोगिता', 1 से 15 सितंबर तक जिला स्तर पर भरे जाएंगे फार्म

एनसीईआरटी की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिता का होगा आयोजन


लखनऊ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों की बहुमुखी प्रतिभा का विकास करने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में शिक्षकों की कलात्मक प्रतिभा के विकास के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की ओर से 'समृद्धि' राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।

इसके माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन कला प्रतियोगिता होगी। राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग 40 टीमों का गठन किया जाएगा। माध्यमिक स्तर पर कला एकीकृत शिक्षा शास्त्र को प्रोत्साहित करने के लिए कला उत्सव के रूप में इसका आयोजन किया जा रहा है। इसमें पूरे देश के शिक्षकों द्वारा कला समेकित शिक्षणशास्त्र की प्रक्रियाओं को एक मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा।


राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा ने बताया है कि जिला पर एक सितंबर से गूगल फार्म भरे जाएंगे। जिला स्तरीय प्रतियोगिता 15 सितंबर तक आयोजित की जाएंगी। इसका परिणाम 20 सितंबर तक उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए 10 अक्तूबर तक गूगल फार्म भरे जाएंगे। जबकि राज्य स्तरीय प्रतियोगिता 15 अक्तूबर तक पूरी होगी।

उन्होंने बताया है कि इसका परिणाम एनसीईआरटी को 20 अक्तूबर तक उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने सभी डीआईओएस को निर्देश दिया है कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसका आयोजन किया जाए। इस प्रतियोगिता में कक्षा 9 से 12 के सभी राज्य या केंद्रीय बोर्ड से जुड़े, राजकीय, एडेड और निजी विश्वविद्यालयों के शिक्षक शिरकत कर सकते हैं। 

अमान्य संचालित विद्यालयों पर प्रभावी कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक का पुनः आदेश जारी

अमान्य संचालित विद्यालयों पर प्रभावी कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक का पुनः आदेश जारी 

विद्यार्थी विज्ञान मंथन 2025-26 प्रतियोगिता में प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों के छात्रों का पंजीकरण कराये जाने के सम्बन्ध में

विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए होगी राष्ट्रीय प्रतियोगिता,  कक्षा छह से 11 के विद्यार्थी 30 सितंबर तक करेंगे रजिस्ट्रेशन


लखनऊ। प्रदेश में कक्षा छह से 11 के विद्यार्थियों में विज्ञान में रुचि बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन शिक्षा मंत्रालय  की ओर से किया जा रहा है। विज्ञान मंथन नाम से होने वाली इस प्रतियोगिता के लिए विद्यार्थियों को 30 सितंबर तक रजिस्ट्रेशन कराना होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव की ओर से सभी डीआईओएस को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों के इस प्रतियोगिता में शिरकत करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराए जाएं। विज्ञान भारती द्वारा विज्ञान मंथन नामक प्रतियोगिता में देश भर के विद्यालयों के कक्षा छह से 11 के विद्यार्थी शामिल होंगे। 

इसका मुख्य उद्देश्य विज्ञान के क्षेत्र में भारत के योगदान के प्रति युवाओं में रुचि पैदा करना है। उन्होंने कहा है कि इस प्रतियोगिता के लिए विद्यार्थियों को जागरूक किया जाए। इसके लिए अतिरिक्त कक्षाओं का भी आयोजन स्कूलों में किया जाए। ताकि प्रदेश के विद्यार्थी इस प्रतियोगिता में बेहतर परिणाम भी ला सकें। 



विद्यार्थी विज्ञान मंथन 2025-26 प्रतियोगिता में प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों के छात्रों का पंजीकरण कराये जाने के सम्बन्ध में।



अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में आवश्यकता से अधिक कार्यरत / सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के संबंध में

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में आवश्यकता से अधिक कार्यरत / सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के संबंध में

Tuesday, August 26, 2025

जूनियर हाई स्कूलों में ग्रह, उपग्रह के साथ चंद्रयान मिशन की होगी पढ़ाई

जूनियर हाई स्कूलों में ग्रह, उपग्रह के साथ चंद्रयान मिशन की होगी पढ़ाई


लखनऊ। प्रदेश के जूनियर हाई स्कूलों के स्मार्ट क्लासों में अगले सत्र से ग्रह, उपग्रह और ब्रह्मांड के साथ-साथ गगनयान व चंद्रयान मिशन की भी पढ़ाई होगी। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) जल्द ही अंतरिक्ष से जुड़े तथ्यों पर आधारित कोर्स तैयार करेगा।

इस कोर्स में भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े प्रसंग को भी शामिल किया जाएगा। राज्य सरकार जूनियर हाईस्कूलों के विद्यार्थियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी के तर्ज पर यह कोर्स तैयार करने की जिम्मेदारी एससीईआरटी को सौंपने जा रही है। 


बताया जाता है कि शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष यात्रा के बाद से अंतरिक्ष विज्ञान को समझने पर रहेगा फोकस सूत्र बताते हैं कि प्रस्तावित कोर्स में अंतरिक्ष विज्ञान को आसानी से समझने पर फोकस किया जाएगा। साथ ही किशोर विद्यार्थियों के लिए यह उबाऊ न बन जाए इसके लिए ऑडियो-वीडियो के रूप में भी कोर्स का कुछ हिस्सा रखे जाने पर सहमति बनी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार चाहती है कि स्कूली छात्र-छात्राएं किताबी ज्ञान अर्जित करते हुए विज्ञान और तकनीक को भी व्यावहारिक रूप से समझें ताकि स्कूली बच्चों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति गहरी रुचि पैदा हो।


बच्चों को विज्ञान से जोड़ने के लिए चल रही कवायद

जानकारों की मानें तो शिक्षा विभाग पहले ही स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, ड्रोन और रोबोटिक्स लैब जैसी पहलों से बच्चों को नई तकनीकों से जोड़ने में लगा है। नए कोर्स से उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान की नई उड़ान समझने का अवसर प्रदान किया जाएगा, जिससे स्कूली छात्र-छात्राओं में शोध व नवाचार की नया मार्ग प्रशस्त करेगा।

किशोरों एव युवाओं में अंतरिक्ष और उससे जुड़ी प्रौद्योगिकियों के प्रति बढ़ती जिज्ञासाओं को देखते हुए सरकार ने जूनियर हाईस्कूल स्तर से ही इसकी पढ़ाई शुरू कराने का निर्णय किया है ताकि अधिक से अधिक युवा इस क्षेत्र का रुख कर सकें।

इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने एससीईआरटी को इसका सरल कोर्स तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। नए कोर्स में चंद्रयान, आदित्य-एल-1 और गगनयान जैसे मिशनों की पूरी जानकारी छात्र-छात्राओं के साथ साझा करने को कहा गया है। तय किया गया है कि कुछ हिस्सा ऑडियो-वीडियो रूप में तैयार किया जाए जिससे युवाओं में रूचि बरकरार रहे।

नियुक्ति से ही शून्य मानी जाएगी जाली दस्तावेज से मिली नौकरी, हाईकोर्ट ने नियुक्ति रद्द कर वेतन वसूली के बीएसए के आदेश को वैध बताया

नियुक्ति से ही शून्य मानी जाएगी जाली दस्तावेज से मिली नौकरी, हाईकोर्ट ने नियुक्ति रद्द कर वेतन वसूली के बीएसए के आदेश को वैध बताया


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जाली दस्तावेज के आधार पर सरकारी नौकरी पाता है तो उसकी नियुक्ति से ही शून्य मानी जाएगी। ऐसे में उसे प्राप्त धनराशि वापस करनी होगी। साथ ही वह अन्य लाभों पर भी कोई कानूनी दावा नहीं कर सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कमलेश कुमार निरंकारी की याचिका पर दिया है।


बलिया के बेल्थरा रोड तहसील के हल्दीरामपुर गांव निवासी कमलेश एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे। शिकायत पर जांच में जाली दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने की पुष्टि होने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने छह अक्तूबर 2022 के आदेश से उनकी नियुक्ति रद्द कर दी। साथ ही वेतन की वसूली का आदेश दिया। याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

अधिवक्ता ने दलील दी कि 10 अगस्त 2010 को याची को सहायक शिक्षक नियुक्त किया गया था। उसने सभी शैक्षिक दस्तावेज जमा किए थे लेकिन बिना उचित सुनवाई के नियुक्ति रद्द कर दी गई। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। उसके पैन कार्ड, आधार कार्ड और शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम में अंतर था। यह संबंधित प्राधिकारियों की त्रुटि के कारण था। याची ने कोई जालसाजी नहीं की है। कोर्ट ने कहा इस मामले में विस्तृत जांच की जरूरी नहीं है।

Monday, August 25, 2025

प्रदेश के छूटे छह लाख छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति, खुलेगा पोर्टल मुख्यमंत्री ने दी सहमति, शुल्क भरपाई भी होगी

प्रदेश के छूटे छह लाख छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति, खुलेगा पोर्टल मुख्यमंत्री ने दी सहमति, शुल्क भरपाई भी होगी

संस्थाओं और अधिकारियों की लापरवाही से वर्ष 2024-25 में नहीं मिल सका था लाभ


लखनऊ। प्रदेश के छूटे छह लाख विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई भी होगी। इसके लिए छात्रवृत्ति पोर्टल खोला जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी सहमति दे दी है। भुगतान के लिए अनुपूरक बजट और बचत के मदों (पुनर्विनियोग) से करीब 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जाएगी।


प्रदेश सरकार ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले एससी-एसटी छात्रों और दो लाख रुपये तक आय वाले अन्य वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की भरपाई करती है। वर्ष 2024-25 में शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और अधिकारियों की लापरवाही से सभी वर्गों के करीब 6 लाख पात्र छात्र योजना का लाभ नहीं पा सके। कहीं लापरवाह अधिकारियों ने डाटा लॉक नहीं किया तो कहीं शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन आवेदन आगे ही नहीं बढ़ाया।

इतना ही नहीं अलीगढ़ की राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी के नोडल अधिकारी ने एससी छात्रों का डाटा फॉरवर्ड करने के लिए लॉगइन ही नहीं किया। संस्थानों व विवि को फरवरी और मार्च में आवेदन करने वाले एससी छात्रों का डाटा फॉरवर्ड करने के लिए 17-30 अप्रैल तक का समय दिया गया था। संबंधित नोडल अधिकारियों ने डाटा वेरिफाई कर आगे ही नहीं बढ़ाया।


जारी होगी समयसारिणी
 नए वित्त वर्ष में इन छात्रों को पिछले बकाया के भुगतान के लिए मुख्यमंत्री ने सहमति दे दी है। अब प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जाएगा। कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद इन छात्रों का ऑनलाइन डाटा प्रोसेस करने के लिए समयसारिणी जारी की जाएगी।  – लक्कु वेंकटेश्वर लू, अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण

यूजीसी का बड़ा फैसला : अब छात्र स्वास्थ्य और विज्ञान से जुड़े कोर्स नहीं पढ़ सकेंगे ओडीएल और ऑनलाइन मॉड में

यूजीसी का बड़ा फैसला : अब छात्र स्वास्थ्य और विज्ञान से जुड़े कोर्स नहीं पढ़ सकेंगे ओडीएल और ऑनलाइन मॉड में 


नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों और कॉलेजों के लिए बड़ा ऐलान किया है। अब मनोविज्ञान, न्यूट्रिशन, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फूड साइंस और क्लिनिकल डाइटेटिक्स जैसे कोर्स ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड से नहीं पढ़ाए जाएंगे। यह नियम जुलाई-अगस्त 2025 से लागू होगा। यूजीसी ने इसको लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों को दिशा-निर्देश जारी किया है।


 यह फैसला नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन (एनसीएएचपी) अधिनियम, 2021 के तहत लिया गया है। यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा, किसी भी संस्थान को ऐसे कोर्स ऑफर करने की अनुमति नहीं होगी। जो मान्यता पहले दी गई थी, वह भी वापस ले ली जाएगी। अगर किसी प्रोग्राम में कई स्पेशलाइजेशन हैं, तो सिर्फ वही हटाए जाएंगे जो एनसीएएचपी अधिनियम के दायरे में आते हैं। 


जोशी ने कहा, जैसे बीए (अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, अर्थशास्त्र, इतिहास, गणित, लोक प्रशासन, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, सांख्यिकी, मानवाधिकार और कर्तव्य, संस्कृत, मनोविज्ञान, भूगोल, समाजशास्त्र, महिला अध्ययन) जैसे बहु-विशेषज्ञता वाले कार्यक्रमों के मामले में केवल एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 में शामिल विशेषज्ञता को ही वापस लिया जाएगा।


इंजीनियरिंग-मेडिकल पर पहले ही रोक

 यूजीसी ने कहा कि अब कोई संस्थान इन कोर्स में नए दाखिले नहीं करेगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि प्रोफेशनल और हेल्थकेयर ट्रेनिंग की गुणवत्ता से समझौता न हो। अप्रैल 2025 में हुई दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो कार्य समूह की बैठक में इसकी सिफारिश की गई थी, जिसे हालिया आयोग बैठक में मंजूरी मिल गई। यूजीसी पहले ही इंजीनियरिंग, मेडिकल, नर्सिंग, आर्किटेक्चर, होटल मैनेजमेंट और लॉ जैसे प्रोफेशनल कोर्स को ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड से पढ़ाने पर रोक लगा चुका है। 

सेमेस्टर परीक्षाएं नहीं होने से डीएलएड प्रशिक्षु परेशान

सेमेस्टर परीक्षाएं नहीं होने से डीएलएड प्रशिक्षु परेशान


प्रयागराज। डीएलएड 2024 बैच के प्रथम सेमेस्टर और 2023 बैच के तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं न होने से ढाई लाख से अधिक प्रशिक्षु परेशान हैं। प्रशिक्षुओं का कहना है कि डीएलएड 2023 बैच का दो वर्ष का जाएगा, प्रशिक्षण नवंबर 2025 में पूरा हो लेकिन अभी तक तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा नहीं कराई है। 


वर्ष 2023 बैच के द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा अप्रैल में हुई थी और परिणाम नौ जुलाई को घोषित हुआ था। 2023 बैच के द्वितीय सेमेस्टर में पंजीकृत 160405 प्रशिक्षुओं में से 160159 परीक्षा में शामिल हुए थे। वहीं 2024 बैच के प्रथम सेमेस्टर का प्रशिक्षण भी पूरा हो चुका है, लेकिन परीक्षा नहीं हो सकी है।

तीन महीने विलंबित हो गया 2025-26 सत्र का दाखिला, कानूनी अड़चन के कारण फंसा डीएलएड का प्रवेश


तीन महीने विलंबित हो गया 2025-26 सत्र का दाखिला, कानूनी अड़चन के कारण फंसा डीएलएड का प्रवेश

12वीं पास के प्रवेश को लेकर बना है विवाद, डायट व निजी कॉलेजों में 2,33,350 सीटें हैं


प्रयागराज । प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) या पूर्व में बीटीसी प्रशिक्षण के 2025-26 शैक्षणिक सत्र का प्रवेश कानूनी अड़चनों के कारण फंस गया है। पिछले साल हाईकोर्ट ने डीएलएड प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट की जगह स्नातक करने संबंधी राज्य सरकार के शासनादेश को रद कर दिया था। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना के मुताबिक 12 वीं के बाद डीएलएड का प्रशिक्षण होना चाहिए हालांकि उत्तर प्रदेश में स्नातक पास अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाता था।

चूंकि पिछले साल हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी तो याचिका करनेवाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में शामिल होने का मौका देते हुए प्रवेश पूरे कर लिए गए थे लेकिन यह मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है और यही कारण है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से प्रवेश के लिए प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा जा रहा है। हाईकोर्ट से कोई निर्णय होने के बाद ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।

 डीएलएड में प्रवेश के लिए हर साल आमतौर पर ऑनलाइन आवेदन मई या जून में शुरू हो जाते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो प्रवेश प्रक्रिया पहले ही तीन महीने पिछड़ चुकी है। प्रदेश के 67 डायट की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 कुल 2,33,350 सीटें हैं।

काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे याचिकाकर्ता
12वीं के बाद डीएलएड में प्रवेश के लिए याचिका करने वाले यशांक खंडेलवाल और नौ अन्य अभ्यर्थी में से कोई भी प्रवेश के लिए काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुआ था। पिछले साल परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इन याचिकाकर्ताओं को पत्र भेजकर काउंसिलिंग में शामिल होने को कहा था लेकिन कोई नहीं आया था।




डीएलएड प्रवेश प्रक्रिया फंसी, अर्हता पर निर्णय नहीं

 लखनऊ। निजी कॉलेजों में चलाए जाने वाले डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) कोर्स में नए सत्र में अब तक प्रवेश प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई है। इसका कारण प्रवेश के लिए अर्हता पर निर्णय न होना बताया जा रहा है। इससे युवाओं में ऊहापोह की स्थिति है।


 डीएलएड में स्नातक पास छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इसकी अर्हता इंटरमीडिएट तय की थी। इसके बाद कुछ अभ्यर्थी न्यायालय चले गए। फिलहाल अर्हता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। प्रदेश में 2400 कॉलेजों में 2.34 लाख सीटें हैं। 


निजी कॉलेजों का कहना है कि नए सत्र के चार महीने बीत गए हैं, अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई। प्रवेश को लेकर भी निर्देश नहीं जारी किए गए। सरकार चाहे तो स्नातक पास को ही प्रवेश देने की पुरानी व्यवस्था लागू कर सकती है। इस पर जल्द निर्णय लिया जाए नहीं तो प्रवेश के लिए अभ्यर्थी नहीं मिलेंगे। 

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए निःशुल्क डिप्लोमा कोर्स

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए निःशुल्क डिप्लोमा कोर्स


प्रयागराज । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं को उच्च शिक्षा से जोड़कर स्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया है। कुलपति प्रो. सत्यकाम ने रविवार को बताया कि विश्वविद्यालय ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए 'बाल विकास एवं पोषण' विषय में निःशुल्क डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है। 


प्रदेश में लगभग 1 लाख 89 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं और वहां कार्य करने वाली महिलाओं को इस कोर्स से जोड़ने की योजना है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश से एमओयू किया है, जिससे इंटरमीडिएट उत्तीर्ण छात्राओं के आंकड़े प्राप्त कर उन्हें उच्च शिक्षा की ओर प्रेरित किया जा सके। कुलपति ने प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और महिलाओं से आह्वान किया कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं।

विवाहित पुत्री भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार: हाईकोर्ट

विवाहित पुत्री भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार: हाईकोर्ट 


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि विवाहित बेटियों को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) देवरिया को निर्देश दिया कि वह अपीलकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर फिर से विचार करें और आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें। 


यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने चंदा देवी की विशेष अपील पर दिया है। देवरिया निवासी चंदा देवी के पिता संपूर्णानंद पांडेय पूर्व प्राथमिक विद्यालय गजहड़वा, ब्लॉक बनकटा, तहसील भाटपाररानी में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे। सेवा के दौरान 2014 में उनकी मृत्यु हो गई। 


चंदा देवी ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। दिसंबर 2016 में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह विवाहित बेटी हैं, इसलिए वह शासनादेश चार सितंबर 2000 के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं।


 चंदा देवी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। एकलपीठ ने मई 2025 में उनकी याचिका खारिज कर दी। एकल पीठ ने माना कि विवाहित बेटी भी पात्र है, लेकिन चंदा देवी यह साबित नहीं कर पाईं कि उनके पति बेरोजगार हैं और वह अपने पिता पर आश्रित थी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके पिता का निधन 2014 में हुआ था। अब लगभग 11 साल बीत चुके हैं

प्राइमरी विद्यालयों के शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से प्रक्षिशित वेतनमान पर निर्णय लेने का बीएसए को हाईकोर्ट का निर्देश

प्राइमरी विद्यालयों के शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से प्रक्षिशित वेतनमान पर निर्णय लेने का बीएसए को हाईकोर्ट का निर्देश


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों के टीचरों को नियुक्ति तिथि से प्रशिक्षित वेतनमान दिए जाने के मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने झांसी जिले के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ा रहे संजय कुमार द्विवेदी, शिव नाथ सिंह, संजीव कुमार तिवारी समेत अन्य टीचरों की याचिकाओं पर दिया है।


बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके टीचरों का कहना था कि उन्हें ट्रेन्ड ग्रेड पे का लाभ उनकी नियुक्ति की तिथि से नहीं दिया जा रहा है। टीचरों का कहना था कि आजमगढ़ आदि जिलों में प्रक्षिक्षण प्राप्त कर चुके टीचरों को ट्रेन्ड ग्रेड पे का लाभ उनकी प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से दिया जा रहा है। जबकि उनके प्रत्यावेदन देने के बावजूद झांसी में बेसिक शिक्षा अधिकारी उन्हें यह लाभ नहीं दे रहे हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी की ओर से अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने याचिका पर प्रतिवाद करते हुए कहा कि याची टीचरों की मांग सरकारी शासनादेशों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी ही मान्य शासनादेशों के अनुसार टीचरों की देयता पर निर्णय ले सकते हैं। किसी टीचर को मिलने वाला लाभ केवल इस आधार पर नहीं दिया जा सकता कि किसी विशेष जिला में ट्रेन्ड ग्रेड पे का लाभ टीचरों को उनकी नियुक्ति की तिथि से दिया जा रहा है।

कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी को इस मामले पर चार सप्ताह में नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

Sunday, August 24, 2025

राजकीय इंटर कालेजों को पदोन्नति कोटे से जल्द मिलेंगे स्थायी प्रधानाचार्य

राजकीय इंटर कालेजों को पदोन्नति कोटे से जल्द मिलेंगे स्थायी प्रधानाचार्य


लखनऊः प्रदेश के राजकीय इंटर कालेजों में लंबे समय से रुकी प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया अब शुरू होने जा रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पदोन्नति का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। शासन की मंजूरी के बाद इसे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को भेजा जाएगा। पहले चरण में पदोन्नति के जरिये करीब 300 पदों पर स्थायी प्रधानाचार्यों की नियुक्ति होगी।


प्रदेश में कुल 2,441 राजकीय विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 1,486 हाईस्कूल और 955 इंटर कालेज शामिल हैं। नियमों के अनुसार प्रधानाचार्य पद के 50% पद सीधी भर्ती से और शेष 50% पद पदोन्नति से भरे जाते हैं। सीधी भर्ती से प्रधानाचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया चलती रही है, लेकिन वर्ष 2018 से पदोन्नति प्रक्रिया ठप पड़ी थी। इस कारण 462 इंटर कालेजों में अभी कार्यवाहक प्रधानाचार्य कार्यरत हैं।

 पदोन्नति कोटे में राजकीय कालेजों के वरिष्ठ शिक्षकों और खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को अवसर दिया जाता है। फिलहाल 300 रिक्त पदों पर केवल वरिष्ठ शिक्षक प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत किए जाएंगे जबकि बीईओ के लिए अलग से प्रक्रिया चलाई जाएगी।


 नई नियमावली के तहत पदोन्नति कोटे में 33 प्रतिशत पद पुरुष और 33 प्रतिशत पद महिला शिक्षकों के लिए आरक्षित रहेंगे। बीईओ कोटे का हिस्सा 34% तय किया गया है। उधर, राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भड़ाना ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर शिक्षकों का कोटा कम किए जाने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि पहले पदोन्नति कोटे में 83% शिक्षकों को मौका मिलता था, लेकिन नए नियमों से उनका अवसर घट गया है। बाकी हिस्सेदारी बीईओ को दी गई है।

हाईस्कूल और इंटर के छात्र सीखेंगे सॉफ्ट और कोर स्किल, कौशल विकास मिशन छात्रों को देगा 210 घंटे का प्रशिक्षण


अब छात्रों को व्यावसायिक दक्षता के साथ अंग्रेजी बोलना भी सिखाएंगे

400 घंटे की जगह 210 घंटे का कौशल प्रशिक्षण

सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग व इंडस्ट्री विजिट भी अनिवार्य


लखनऊ। अब राजकीय माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को 210 घंटे का कौशल प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। जिसमें 150 घंटे मुख्य ट्रेड में प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं 30 घंटे सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग और 30 घंटे इंडस्ट्री विजिट के होंगे। अब इन दोनों को ही कौशल प्रशिक्षण में अनिवार्य कर दिया गया है।

प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत माध्यमिक स्कूलों में दिए जा रहे कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। अभी तक 400 घंटे का कौशल प्रशिक्षण एक वर्ष में पूरा करना होता था। अब 190 घंटे कम कर दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक पुल्कित खरे की अध्यक्षता में गुरुवार को वर्चुअल बैठक में यह निर्णय लिया गया। जिसमें सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ एवं उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में तय हुआ कि वर्ष 2025-26 से ही विद्यार्थियों को अब 30 घंटे की सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स, टाइम मैनेजमेंट व बॉयोडाटा तैयार करना सिखाया जाएगा।

वहीं साल भर में 30 घंटे छात्रों को विभिन्न उद्योगों का भ्रमण अनिवार्य रूप से कराना होगा। उद्योग भ्रमण के दौरान सेल्फी लेकर भेजनी होगी। तभी ट्रेनिंग पार्टनर को प्रशिक्षण की धनराशि दी जाएगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि अभी कक्षा नौ से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत एक वर्ष में 400 घंटे का कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। नियमित शिक्षा के साथ 400 घंटे के इस कौशल प्रशिक्षण को पूरा करना विद्यार्थियों के लिए आसान नहीं होता। परीक्षाएं, गर्मी व ठंड की छुट्टियों के अलावा अन्य अवकाश के चलते कौशल प्रशिक्षण के निर्धारित घंटे का प्रशिक्षण छात्र पूरा नहीं कर पाते। ऐसे में विद्यार्थियों को अगले वर्ष 400 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ बीते वर्ष के बकाया घंटे का प्रशिक्षण भी पूरा करना होता है।

अब एक हजार स्कूलों में चलेगा प्रोजेक्ट

अभी 500 राजकीय माध्यमिक स्कूलों में प्रोजेक्ट प्रवीण चलाया जा रहा है। अब विद्यालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाएगी और यह बढ़कर एक हजार होगी। जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थी इस कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ उठा सकें। आगे ज्यादा से ज्यादा माध्यमिक स्कूलों में रोजगारोन्मुखी शिक्षा व व्यावहारिक अनुभव दिलाने पर जोर होगा।




हाईस्कूल और इंटर के छात्र सीखेंगे सॉफ्ट और कोर स्किल, कौशल विकास मिशन छात्रों को देगा 210 घंटे का प्रशिक्षण

लखनऊ। प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्रों को प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत कोर स्किल, सॉफ्ट स्किल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही उद्योगों का भ्रमण भी कराया जाएगा। कौशल विकास मिशन निदेशक पुलकित खरे ने बृहस्पतिवार को वर्चुअल बैठक कर इसके लिए दिशा-निर्देश दिए। 


मिशन निदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप छात्रों को 210 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें 150 घंटे कोर स्किल, 30 घंटे सॉफ्ट स्किल और 30 घंटे उद्योगों का भ्रमण शामिल होगा। सॉफ्ट स्किल का विकास और उद्योगों का भ्रमण कराया जाना अनिवार्य है। 

उन्होंने सेक्टर स्किल काउंसिल से अपेक्षा की कि वे इन कोर्सों को जल्द डिजाइन कर एनसीवीईटी से अनुमोदन कराके मिशन को उपलब्ध कराएं। मिशन निदेशक ने बताया कि पहली बार प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत छात्र-छात्राओं को निशुल्क कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ उद्योगों के भ्रमण का अवसर मिलेगा। इससे छात्र-छात्राओं में रोजगारोन्मुखी शिक्षा और व्यावहारिक अनुभव का विकास होगा। 

यह प्रशिक्षण छात्रों की रुचि व जिलाधिकारी द्वारा सुझाए गए सेक्टर और कोर्स के अनुरूप होगा। बैठक में उपस्थित सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ व प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे निर्धारित समय में कोर्स तैयार कर विभाग को उपलब्ध कराएंगे।

स्कूलों में लगेंगे शुगर बोर्ड, पढ़ाया जाएगा मिठास का सही पाठ, माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने जारी किए निर्देश


स्कूलों में लगेंगे शुगर बोर्ड, पढ़ाया जाएगा मिठास का सही पाठ, माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने जारी किए निर्देश

स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान निहित होगा इस बोर्ड में

प्रयागराज । शुगर स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, और बड़ी संख्या में बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। खान-पान में चीनी के प्रयोग को सीमित करने संबंधी पाठ स्कूलों में पढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में शुगर बोर्ड लगाया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र जारी किया है।

पत्र में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में मधुमेह के खतरनाक रूप से बढ़ने पर चिंता जताई है। बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों से बच्चे तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। शुगर बोर्ड एक दृश्य सूचना प्रदर्शन होगा, जो छात्रों को अत्यधिक चीनी के सेवन के खतरों के बारे में जागरूक करेगा। इसका उद्देश्य भोजन के स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देना और बच्चों में स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करना है।

सीबीएसई ने भी अपने स्कूलों के लिए इस तरह का निर्देश पहले जारी किया है। जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने कहा कि सभी स्कूलों को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए। बच्चों को स्वास्थ्य के खतरों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।


आलू व कोल्ड ड्रिंक जैसे खाद्य पदार्थ के प्रति सचेत होंगे

डायटीशियन कौसेन हफीज ने शुगर बोर्ड लगाने के इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि जब बच्चों को पता चलेगा कि वे जो खा रहे हैं, वह कितना हानिकारक है, तो उनकी सतर्कता बढ़ेगी। अत्यधिक चीनी और मीठे पेय पदार्थों का सेवन बच्चों में मोटापा, मेटाबालिक सिंड्रोम, दांतों में सड़न और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। डब्ल्यूएचओ की सिफारिश है कि बच्चों को अतिरिक्त चीनी से दैनिक कैलोरी का 10 प्रतिशत से कम सेवन करना चाहिए। शुगर बोर्ड स्कूल परिसर में इंफोग्राफिक्स और शुगर कंटेंट चार्ट्स के माध्यम से जानकारी प्रदान करेगा, जिससे बच्चों को स्वस्थ खाने की आदतें अपनाने में मदद मिलेगी।


खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा बताएगा 'शुगर बोर्ड'

नए निर्देशों के अनुसार, स्कूलों में प्रमाणिक जानकारी देने वाले बोर्ड लगाए जाएंगे, जिनमें रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा दर्शाई जाएगी। पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, फ्लेवर्ड योगर्ट, जूस और ब्रेकफास्ट सीरियल्स में भी चीनी होती है, जो अक्सर अनदेखी की जाती है। कोल्ड्रिंक और पेटीस जैसी आम खाद्य वस्तुओं में शुगर की मात्रा भी दर्शाई जाएगी।




यूपी बोर्ड के माध्यमिक स्कूलों में 'शुगर बोर्ड प्रदर्शित करने के सम्बंध में।


Saturday, August 23, 2025

शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर विचार करें या हाईकोर्ट आएं, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को हाईकोर्ट की हिदायत

शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर विचार करें या हाईकोर्ट आएं, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को हाईकोर्ट की हिदायत

सम्मानजनक मानदेय का दिया गया था आदेश पर नहीं हुई कोई कार्यवाही


हाईकोर्ट में बताया गया कि 2023 में जितेंद्र कुमार भारती सहित 10 अन्य ने शिक्षामित्रों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इस मांग को मानने से इन्कार कर दिया था हालांकि कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय को न्यूनतम मानते हुए राज्य को समिति का गठन कर एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने का निर्देश दिया था। अब तक समिति का गठन व मानदेय बढ़ाए जाने पर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं लिए जाने पर वाराणसी के विवेकानंद ने अवमानना याचिका दाखिल की है।


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को शिक्षामित्रों शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए कमेटी गठित कर निर्णय लेने के आदेश का पूरी तरह से पालन करने या विभाग के संबंधित चार अफसरों को 11 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र चंद्र त्रिपाठी को सुनकर दिया है।


कोर्ट ने महानिदेशक स्कूली शिक्षा/प्रोजेक्ट डायरेक्टर समग्र शिक्षा कंचनवर्मा, डायरेक्टर बेसिकशिक्षाप्रताप सिंह बघेल, सचिव बेसिक शिक्षा बोर्ड सुरेन्द्र कुमार तिवारी व अपर मुख्यसचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार को आदेश के अनुपालन हलफनामा दाखिल करने या सुनवाई की अगली तारीख पर अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है। है। एडवोकेट सत्येन्द्र का कहना है कि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को कमेटी गठित कर तीन माह का समय दिया था।


इस आदेश की विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी गई लेकिन अब तक आदेश का पालन नहीं किया गया है। इस पर यह अवमानना याचिका की गई है। इससे पहले कोर्टने विपक्षियों से जानकारी मांगी थी। हलफनामा दाखिल कर एक माह का अतिरिक्त समय मांगा गया। इस पर कोर्ट ने आदेश का पालन कर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है और कहा है कि यदि पालन नहीं किया तो सभी चारों अधिकारी न्यायालय में हाजिर हों।


बेसिक शिक्षकों को BLO ड्यूटी से मुक्त करने की PSPSA ने उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग से की मांग

बेसिक शिक्षकों को BLO ड्यूटी से मुक्त करने की PSPSA ने उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग से की मांग


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को बीएलओ व बीएलओ सुपरवाइजर की ड्यूटी से मुक्त रखने की मांग की गई है। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन भेजा है।


एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा है कि सामान्य ग्राम पंचायत निर्वाचन 2026 के अंतर्गत परिषदीय शिक्षकों की बीएलओ व सुपरवाइजर के रूप में ड्यूटी लगाई जा रही है। यह गैर शैक्षणिक कार्य है। साथ ही नियमों के अनुसार भी नहीं है। अधिकांश परिषदीय शिक्षक बीएलओ स्थल की मतदाता सूची का न तो मतदाता है और न 10 किलोमीटर की परिधि के निवासी हैं। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी से बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित होता है। वर्तमान में विद्यालयों के विलय आदि की प्रक्रिया चल रही है। परीक्षाएं भी जल्द प्रस्तावित हैं।