DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Thursday, November 6, 2025

UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें

यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से 12 मार्च 2026 तक

प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बुधवार को वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित कर दिए। दोनों परीक्षाएं एक साथ 18 फरवरी 2026 से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2026 को समाप्त होंगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षाएं पूर्ववत दो पालियों में होंगी। पहली पाली सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर 2:00 से शाम 5:15 बजे तक होगी।

हाईस्कूल की परीक्षा 18 फरवरी को हिंदी विषय से शुरू होकर 12 मार्च को कृषि विषय के साथ समाप्त होगी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 18 फरवरी को सामान्य हिंदी से आरंभ होकर 12 मार्च को कंप्यूटर विषय की परीक्षा के साथ संपन्न होगी। बोर्ड के अनुसार, इस बार विद्यार्थियों को मुख्य विषयों की तैयारी के लिए परीक्षा के दौरान पर्याप्त अंतराल मिलेगा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की परीक्षाएं कुल 15 कार्य दिवसों में पूरी की जाएंगी। 


52 लाख से अधिक परीक्षार्थी हैं पंजीकृत

इस वर्ष कुल 52,30,297 विद्यार्थी यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में 27,50,945 (बालक 14,38,682 व बालिका 13,12,263) तथा इंटर में 24,79,352 विद्यार्थी (बालक 13,03,012 और बालिका 11,76,340) शामिल हैं। बोर्ड ने सभी विद्यालयों को समय से तैयारी पूर्ण करने तथा प्रैक्टिकल्स के आयोजन के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।



UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें 
 

एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 1549 शिक्षकों अंततः हुआ तबादला, जून से ऑफलाइन तबादले के इंतजार में थे शिक्षक

एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 1549 शिक्षकों अंततः हुआ तबादला, जून से ऑफलाइन तबादले के इंतजार में थे शिक्षक


लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के 1549 शिक्षकों को अंततः तबादला मिल गया। यह शिक्षक जून से ऑफलाइन तबादलों का इंतजार कर रहे थे। बुधवार को इनके तबादला आदेश जारी कर दिए गए। शिक्षक इसे विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं।

एडेड माध्यमिक विद्यालयों में इस साल पहले ऑफलाइन तबादले के लिए आवेदन ले लिए गए। इसके तहत 1641 शिक्षकों ने आवेदन किया था। जबकि बाद में यह तय हुआ कि ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों माध्यम से तबादले किए जाएंगे। इसके बाद जून में ऑनलाइन आवेदन वाले तबादले तो हो गए लेकिन ऑफलाइन हुए आवेदन वाले तबादले फंस गए। इसके लिए शिक्षकों ने कई बार माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर धरना दिया।

अंत में पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी के आवास के सामने भी धरना दिया। इसके बाद विभाग ने 1641 में से 1549 शिक्षकों को तबादला मिला है। कुछ शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदन के बाद तबादले हो गए हैं या उनके कागज आदि अपूर्ण रहे हैं। इसकी वजह से वे बच गए। बता दें कि विभाग ने नए सत्र 2026-27 के लिए पहले ही निर्देश जारी कर दिया है कि शिक्षकों के तबादले ऑनलाइन ही होंगे। ताकि शिक्षकों के बीच इसे लेकर किसी तरह का कोई भ्रम की स्थिति न रहे। 


शासन ने विशेष व्यवस्था के तहत दिए थे निर्देश

विशेष परिस्थितियों में इन ऑफलाइन तबादले करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर बुधवार को तबादले जारी कर दिए गए। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि एडेड माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता, सहायक अध्यापकों के तबादले वेबसाइट पर जारी कर दिए गए हैं।


अब निशातगंज में बनेगा संस्कृत निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा संशोधित प्रस्ताव

अब निशातगंज में बनेगा संस्कृत निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा संशोधित प्रस्ताव,  निदेशालय के साथ ही यहां संस्कृत परिषद का होगा कार्यालय


लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मेट्रो के दूसरे चरण का काम स्वीकृत होने से संस्कृत निदेशालय व परिषद कार्यालय अब कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन (सीटीई) कैसरबाग परिसर में नहीं बनेगा। काफी जद्दोजहद के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए निशातगंज जीआईसी के पीछे की जगह तय की है। संशोधित प्रस्ताव शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।


प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने व उसके कामकाज को सुचारु रखने के लिए राजधानी में संस्कृत निदेशालय व परिषद का नया भवन प्रस्तावित किया गया है। वर्तमान में निदेशालय प्रयागराज में चल रहा है। परिषद का राजधानी स्थित भवन काफी जर्जर होने से नया बनाने और उसकी जमीन को केजीएमयू को देने का निर्णय लिया गया था। 


माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए आवश्यक बजट की पहली किस्त जारी करते हुए कार्यदायी संस्था भी नामित कर दी थी, लेकिन काम शुरू होने से पहले ही राजधानी में मेट्रो के दूसरे चरण के काम को मंजूरी मिल गई। इसके तहत सीटीई परिसर के एक हिस्से में मेट्रो स्टेशन बनना है। इससे यहां पर नया भवन बनाया जाना संभव नहीं था।


लंबी कवायद के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने निशातगंज जीआईसी में पीछे की तरफ खाली पड़ी जमीन पर इसके निर्माण का निर्णय लिया है। विभाग ने यहां की मिट्टी आदि की जांच-पड़ताल के बाद 42.42 करोड़ से बनने वाले चार मंजिला संस्कृत निदेशालय व संस्कृत परिषद भवन के निर्माण का संशोधित प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही इसका काम शुरू होगा। इससे प्रदेश में संस्कृत के पठन-पाठन को बढ़ावा देने के साथ ही 1200 से अधिक कॉलेजों के संचालन व देखरेख में भी काफी सहूलियत मिलेगी।


नागर शैली में बनेगा भवन

यह सीएम योगी आदित्यनाथ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। शासन ने लंबी कवायद के बाद सीटीई कैसरबाग परिसर में निदेशालय व परिषद कार्यालय के निर्माण को हरी झंडी दी थी। सीएम ने खुद इसके भवन की डिजाइन फाइनल कर इसका भवन नागर शैली में बनाने के निर्देश दिए हैं। चार मंजिला (जी प्लस श्री) यह भवन मंदिर नुमा होगा और ऊपर शिखर भी बनाया जाएगा ताकि यहां आने वालों को संस्कृत से जुड़ाव महसूस हो।

Wednesday, November 5, 2025

देशभर में आरएफआईडी से ट्रैक होंगी स्कूल बसें, माता-पिता को मिलेगी पल-पल की जानकारी

देशभर में आरएफआईडी से ट्रैक होंगी स्कूल बसें, माता-पिता को मिलेगी पल-पल की जानकारी

बच्चों की सुरक्षा पर फोकस लेकिन साइबर विशेषज्ञों ने उठाए डेटा गोपनीयता को लेकर सवाल

नई दिल्ली। अब जल्द ही देशभर में आरएफआईडी से स्कूल बसों को ट्रैक किया जाएगा। इससे माता-पिता को बच्चों स्कूल पहुंचने व घर वापसी तक पल-पल की जानकारी मिलेगी। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) एक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित मॉडल तैयार कर रहा है। इससे माता-पिता और स्कूल प्रशासन बच्चों की बस को हर पल ट्रैक कर सकेंगे। परियोजना उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की देखरेख में चल रही है।


देश के 1.47 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले 24.8 करोड़ छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह पहल की जा रही है। स्कूल बसों में आरएफआईडी टैग, जीपीएस, जीएसएम मॉड्यूल और कैमरे लगाए जाएंगे। इससे बच्चों की आवाजाही का पूरा रिकॉर्ड रहेगा। दरअसल, अमेरिका, चीन और सिंगापुर की तर्ज पर भारत भी अब स्कूल बसों के लिए आरएफआईडी आधारित ट्रैकिंग प्रणाली विकसित करने की तैयारी कर रहा है।


 सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने हालांकि चिंता जताई है कि यह प्रणाली बच्चों के लोकेशन डाटा से जुड़ी होगी जिसका गलत हाथों में जाने पर दुरुपयोग हो सकता है। कहा-सभी सेवा प्रदाताओं को डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 और आईटी नियम 2021 के तहत सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें डाटा सुरक्षा के मजबूत प्रावधान का होना जरूरी है।

यूपी बोर्ड के खिलाड़ियों को तीन विषयों में बोनस अंक देने की तैयारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव भगवती सिंह बोले- जल्द हो सकता है निर्णय

यूपी बोर्ड के खिलाड़ियों को तीन विषयों में बोनस अंक देने की तैयारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव भगवती सिंह बोले- जल्द हो सकता है निर्णय


प्रयागराज। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में सोमवार को 69वीं प्रदेशीय विद्यालयीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों के खेलों में समय देने से उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है, इसलिए उनको बोर्ड की परीक्षाओं में बोनस अंक दिया जाना चाहिए। इस पर जल्द निर्णय हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, किन्हीं तीन विषयों में 10 अंक बतौर बोनस दिए जाने की तैयारी है।


सचिव ने कहा कि स्कूल गेम्स फेडरेशन में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए नकद पुरस्कार राशि दी जा रही है। साथ ही व्यायाम शिक्षकों को राज्य पुरस्कार की श्रेणी में लाने का काम भी किया गया है। उन्होंने बताया कि पहली बार वॉलीबॉल का अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्कूल प्रतियोगिता होने जा रही है। इसमें उत्तर प्रदेश के छह खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। शारीरिक शिक्षकों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने जीवन में कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करें। हर विद्यालय से कम से कम एक ओलंपियन देश को मिलना चाहिए।

वहीं, जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने बताया कि जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को परीक्षा में बोनस अंक देने विचार किया जा रहा है। 

Tuesday, November 4, 2025

उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

प्रयागराज । उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोलने का विरोध मुखर हो गया है। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हस्तक्षेप किया है। साथ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है।

कार्यालय लखनऊ ले जाने से संबंधित निदेशालय के एक पत्र का हवाला देते हुए भी कर्मचारी शासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। शासन की ओर से उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ शिफ्ट करने का फैसला लिया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इसकी प्रक्रिया रोक दी गई लेकिन विवाद थमा नहीं है।

लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश जारी किया गया जिसके लिए निदेशालय स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के अनुसार, मार्च में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भी कार्यालय लखनऊ ले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। इसके बाद कैंप कार्यालय का मुद्दा शांत रहा लेकिन शुक्रवार को अचानक लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी हो गया।

इसके विरोध में कर्मचारी संघ के महामंत्री ने लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय में मांग पत्र सौंपकर इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। संघ के पदाधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं को भी इस बाबत मांग पत्र सौंपा।

संघ के मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उप मुख्यमंत्री का जवाब भी आया है। उन्होंने कर्मचारियों की मांग पत्र पर प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।




उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

फिलहाल लखनऊ के राजकीय महाविद्यालय से कार्यालय संचालन की तैयारी, निदेशक पूरी करेंगे आवश्यक कार्रवाई

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। शासन की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक से इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। फिलहाल कैंप कार्यालय सरोजनी नगर के लतीफ नगर में नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय परिसर में खोला जाएगा।

माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में है। अब उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। पूर्व में भी इस बाबत आदेश जारी किया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। शासन की ओर से अब एक बार फिर लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी किया गया है। इसे लेकर विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से उच्च निदेशक को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार पिछले दिनों समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ शासकीय कार्यों को त्वरित और प्रभावी तरीके से निस्तारित किया जा सके।

नया भवन मिलने तक कैंप कार्यालय लखनऊ में सरोजनी नगर स्थित राजकीय महाविद्यालय परिसर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशक को आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया है। 


मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा : शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का विरोध किया गया। संघ की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर यह आदेश निरस्त करने की मांग की गई। कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री प्रयागराज के गौरव के लिए लगातार प्रयासरत हैं लेकिन यह आदेश शिक्षा नगरी की गरिमा के साथ अन्याय है। लय. उत्तर प्रदेश उनका कहना था कि निदेशालय में एक करोड़ रुपये की लागत से ई-कंटेंट स्टूडियो स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से निदेशालय के अधिकारी और शासन के अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधे जुड़कर कार्यों को निस्तारित कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से लखनऊ में निदेशालय का कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश निरस्त करने की मांग की।



शासन से मांगी गाइडलाइन

शासन से आदेश आने के बाद कैंप कार्यालय के स्वरूप, इसमें किन-किन अफसरों और कर्मचारियों की तैनाती होगी, जरूरी कागजातों की शिफ्टिंग आदि बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से गाइडलाइन भी मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि जरूरी कार्रवाई कर जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैंप कार्यालय के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


उठने लगे कर्मचारियों के विरोध के स्वर

लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने के आदेश से निदेशालय में हलचल तेज होने के साथ कर्मचारियों के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने का तीव्र विरोध किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा का भी कैंप कार्यालय लखनऊ में है लेकिन धीरे-धीरे निदेशालय के ज्यादातर काम वहीं चले गए। यहां महज औपचारिकता भर रह गई है। 

आशंका है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलने से उच्च शिक्षा निदेशालय का भी यही अंजाम होगा। धीरे-धीरे सभी काम वहीं चले जाएंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि शासन की मंशा है कि सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ में शिफ्ट कर दिए जाएं। पुलिस मुख्यालय, निबंधन कार्यालय, राजस्व परिषद समेत कई विभागों के ज्यादातर काम लखनऊ शिफ्ट हो चुके हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोला जाना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान

टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान  


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।

टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।


शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी कर रहा तैयारी

अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।

सभी प्रस्तावित कार्यक्रम

🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
🔴 अटेवा का 25 नवंबर को दिल्ली कूच मामले को लेकर पुरानी पेंशन व टीईटी का विरोध
🔴 अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का जंतर मंतर पर धरना 11 दिसंबर को



टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी

दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष

कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ


लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।


यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


ये पदाधिकारी भी चुने गए
उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।




टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन के लिए साथ आए नौ राज्यों के शिक्षक, बनाया नया संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) 

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा


लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।


टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी। 

उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।

अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 'पंख पोर्टल' से जुड़ेंगे विद्यार्थी, मिलेगी करियर काउंसिलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन

अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 'पंख पोर्टल' से जुड़ेंगे विद्यार्थी, मिलेगी करियर काउंसिलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन 

हर छात्र को करियर काउंसिलिंग व मार्गदर्शन का मिलेगा अवसर


 लखनऊ : प्रदेश के सभी 4516 अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को 'पंख पोर्टल' से जोड़ा जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों को करियर काउंसिलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन की सुविधा मिलेगी। यह पोर्टल माध्यमिक शिक्षा विभाग की एक विशेष पहल है। इस पर विद्यार्थी अपनी यूनीक आइडी और पासवर्ड से लागिन कर सकते हैं।

यहां उन्हें करियर विकल्प, वोकेशनल कोर्स, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कौशल विकास से जुड़ी जानकारी आसानी से मिलती है। अधिकांश छात्रों को बोर्ड परीक्षा के बाद सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता, जिससे कालेज या कोर्स चुनने में दिक्कत होती है। 'पंख' पोर्टल के जरिये विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार आगे की दिशा तय कर सकेंगे। विभाग का लक्ष्य है कि हर विद्यालय में आनलाइन और आफलाइन काउंसिलिंग सत्र आयोजित किए जाएं ताकि कोई भी छात्र करियर को लेकर असमंजस में न रहे। 

अपर मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) पार्थ सारथी सेन शर्मा ने निर्देश दिए हैं कि सभी माध्यमिक विद्यालयों में करियर काउंसिलिंग सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाएं। इन सत्रों में विशेषज्ञ काउंसलर आनलाइन जुड़कर छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों की जानकारी देंगे। इसके साथ ही पंख पोर्टल से विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए कहा गया है। अपर राज्य परियोजना निदेशक (समग्र शिक्षा-माध्यमिक), संयुक्त शिक्षा निदेशक और सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।



माध्यमिक विद्यालयों में रोज होगा कॅरिअर काउंसलिंग सत्र, विभाग ने भेजा निर्देश, वार्षिक गतिविधि कैलेंडर में भी किया जाएगा शामिल

लखनऊ। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए सभी माध्यमिक विद्यालयों में नियमित कॅरिअर काउंसलिंग सत्र आयोजित किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।

माध्यमिक विद्यालयों में अभी करियर काउंसलिंग का सत्र विशेष रूप से बोर्ड परीक्षा के दौरान आयोजित किया जाता है। किंतु अब इसे नियमित करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि छात्रों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार सही करियर चुनने में सहायता मिल सके। सभी विद्यालयों को प्रभावी तरीके से काउंसलिंग सत्र आयोजित करने के लिए कहा गया है। 

विभाग का कहना है कि स्कूल स्तर से कॅरिअर की सही जानकारी मिलने पर छात्र भ्रम और अनिश्चितता से मुक्त होंगे। साथ ही सही दिशा में आगे बढ़ेंगे, इससे उनको अपना लक्ष्य पाने में आसानी होगी। विभाग ने कहा है कि विद्यालय विशेषज्ञों और पेशेवर काउंसलर को बुलाकर या आनलाइन संवाद कराए।

इसको वार्षिक कैलेंडर में भी शामिल किया जाए। इसमें छात्रों को प्रतियोगी विकल्पों, परीक्षाओं, कॅरिअर तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए। इससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, निर्णय लेने क्षमता और भविष्य की तैयारी का भी विकास होगा। करियर को लेकर स्थिति स्पष्ट होने से छात्र व उनके अभिभावक भी आवश्यकतानुसार तैयारी कर सकेंगे।



छात्रों के लिए भविष्य की राह चुनना होगा आसान, राजकीय और सहायताप्राप्त माध्यमिक स्कूलों में नियमित करियर काउंसिलिंग का निर्देश

विशेषज्ञ और पेशेवर काउंसलर्स विद्यार्थियों को देंगे करियर विकल्पों की जानकारी


लखनऊ : प्रदेश के राजकीय और सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अब विद्यार्थियों के लिए भविष्य की राह चुनना आसान होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी राजकीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों में नियमित करियर काउंसिलिंग सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया है। विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों में आवश्यक दिशा-निर्देश भेजे हैं। 


विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूली स्तर से करियर मार्गदर्शन मिलने पर छात्र भ्रम और अनिश्चितता से मुक्त होकर लक्ष्य की ओर स्पष्ट दिशा में आगे बढ़ेंगे, जिससे शिक्षा व्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।


विभागीय निर्देशों में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर विशेषज्ञों और पेशेवर काउंसलर्स को बुलाकर या आनलाइन माध्यम से छात्रों के साथ संवाद कराया जाए। इन सत्रों में छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं, करियर विकल्पों, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा, तथा कौशल विकास के अवसरों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी रुचि, योग्यता और क्षमताओं के अनुरूप सही दिशा चुनने में मार्गदर्शन प्रदान करना है। 


अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने अभी सभी माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और भविष्य की तैयारी की योजना का भी विकास होना चाहिए। उन्होंने सभी विद्यालयों को निर्देश दिया है कि करियर काउंसिलिंग को विद्यालयी गतिविधियों का नियमित हिस्सा बनाया जाए और इसे वार्षिक कार्यक्रम कैलेंडर में शामिल किया जाए। 


विभाग का मानना है कि इस पहल से छात्रों को न केवल भविष्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाने में मदद मिलेगी, बल्कि वे पसंद के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

Monday, November 3, 2025

यूपी बोर्ड में उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में आनलाइन भी अंक देंगे परीक्षक, 2026 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा को लेकर बदलाव की तैयारी

यूपी बोर्ड में उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में आनलाइन भी अंक देंगे परीक्षक, 2026 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा को लेकर बदलाव की तैयारी

पोर्टल पर आनलाइन अंक प्रदान करने से परिणाम घोषित करने में आएगी तेजी

प्रयागराजः हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा-2026 की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में यूपी बोर्ड बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। परीक्षक पूर्व की तरह उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के साथ अवार्ड ब्लैंक (परीक्षार्थी को मिले अंकों के विवरण का अभिलेख) पर अंक तो अंकित करेंगे ही, साथ ही उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर पहली बार अंक प्रदान करेंगे।


पोर्टल पर अंक अंकित करने से परीक्षाफल तैयार करने में तेजी आएगी। वर्ष 2025 की प्रायोगिक परीक्षा में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह आनलाइन अंक प्रदान करने का सफल प्रयोग कर चुके हैं। अब लिखित परीक्षा में आनलाइन अंक प्रदान किए जाने से अवार्ड ब्लैंक पर निर्भरता को अगली परीक्षा तक खत्म करने की योजना है।


परीक्षा संपन्न कराने के लिए यूपी बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से प्रत्येक जिले में नामावली और अवार्ड ब्लैंक भेजता है। नामावली में प्रत्येक परीक्षार्थी की संपूर्ण जानकारी (अनुक्रमांक, नाम, जन्मतिथि, विषय आदि) अंकित रहती है, जबकि अवार्ड ब्लैंक पर परीक्षार्थियों को परीक्षक अंक प्रदान करते हैं। इसी अवार्ड ब्लैंक के माध्यम से परीक्षाफल तैयार किया जाता है, लेकिन पहली बार लिखित परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद परीक्षार्थियों को विषयवार मिले अंक परिषद के पोर्टल पर अंकित कराए जाने की योजना बोर्ड ने तैयार की है। इसके लिए परीक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।


वर्ष 2025 की प्रायोगिक परीक्षा के अंक पोर्टल पर आनलाइन अंकित कराने के बाद 2026 में अवार्ड ब्लैंक की व्यवस्था खत्म करने का निर्णय लिया गया था। इसी तरह लिखित परीक्षा में भी पोर्टल पर अंक प्रदान करने की योजना फलीभूत होने पर वर्ष 2027 की परीक्षा की उत्तरपुस्तिका के मूल्यांकन में अवार्ड ब्लैंक की छुट्टी करने पर निर्णय लिया जा सकता है।

वर्ष 2026 की हाईस्कूल परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए 27,50,945 तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए 24,79,352 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इस तरह कुल 52,30,297 छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षा देंगे।

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एलटी ग्रेड के शिक्षकों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू, चल-अचल संपत्ति मानव संपदा पर अपलोड होने का प्रमाणपत्र और गोपनीय आख्या गई मांगी

2,621 एलटी ग्रेड शिक्षकों की प्रवक्ता पर होगी पदोन्नति, हाईकोर्ट के निर्देश पर खत्म हुआ वरिष्ठता सूची का विवाद

2000 के बाद की सूची जारी न होने से फंसी थी 2343 पदोन्नति

आठ विषय के 278 शिक्षकों की पदोन्नति के लिए सूची जल्द जारी करने की तैयारी

प्रयागराज । प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 2621 एलटी ग्रेड (पुरुष वर्ग) के सहायक अध्यापकों की जल्द ही प्रवक्ता पद पर पदोन्नति होगी। शिक्षा निदेशालय ने पदोन्नति की प्रक्रिया तेज कर दी है। इससे पहले 2022 में पुरुष वर्ग की पदोन्नति हुई थी। उस समय उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की आपत्ति के कारण आठ विषयों जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, हिन्दी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, उर्दू एवं वाणिज्य विषय के 278 पदों की पदोन्नति नहीं हो सकी थी।

इन विषयों की आपत्ति का निराकरण करते हुए अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी ने 30 अक्तूबर को सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि इन सहायक अध्यापकों की मानव सम्पदा पोर्टल पर अपलोड चल अचल सम्पत्ति का प्रमाणपत्र स्वयं सत्यापित करते हुए उपलब्ध कराने का कष्ट करें। साथ ही सभी सहायक अध्यापकों की गोपनीय आख्या भी निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए हैं।

 इसके अलावा 2343 पदों पर सहायक अध्यापकों की वरिष्ठता का विवाद भी निस्तारित कर लिया गया है और जल्द इनकी सूची भी जारी होगी। वर्ष 2000 के बाद नियुक्त एलटी ग्रेड शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को लेकर कुछ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर शिक्षा निदेशालय के अफसरों ने वरिष्ठता सूची का विवाद दूर कर लिया है और सूची भी तैयार कर ली गई है।



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एलटी ग्रेड के शिक्षकों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू, चल-अचल संपत्ति मानव संपदा पर अपलोड होने का प्रमाणपत्र और गोपनीय आख्या गई मांगी 

प्रयागराज, 30 अक्टूबर 2025
उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एल.टी. ग्रेड के शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) कार्यालय, प्रयागराज से जारी पत्र के अनुसार जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, हिन्दी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, उर्दू एवं वाणिज्य विषय के पात्र सहायक अध्यापकों (पुरुष शाखा) की प्रवक्ता संवर्ग में पदोन्नति की कार्यवाही अंतिम चरण में है।

पत्र में सभी मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया गया है कि संबंधित पात्र सहायक अध्यापकों की चल-अचल संपत्ति का प्रमाणपत्र मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड कर उसकी स्वयं सत्यापित प्रति तीन दिवस के भीतर निदेशालय को उपलब्ध कराई जाए। यह प्रमाणपत्र पदोन्नति प्रकरण की अनिवार्य औपचारिकता के रूप में मांगा गया है।

शिक्षा निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि संलग्न सूची में दर्शाए गए किसी भी सहायक अध्यापक की गोपनीय आख्या यदि अब तक निदेशालय को नहीं भेजी गई है, तो उसे तत्काल प्रेषित किया जाए।

सहायक शिक्षा निदेशक (सेवा-1) जगदीश प्रसाद शुक्ल द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश को अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक बताया गया है। पदोन्नति प्रक्रिया को शीघ्र और पारदर्शी रूप से पूरा करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।

यह कदम उन शिक्षकों के लिए राहत भरा माना जा रहा है जो वर्षों से प्रवक्ता पद की पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे थे।



रोजगारपरक शिक्षा से भी जुड़ेंगे पीएम श्री विद्यालय

रोजगारपरक शिक्षा से भी जुड़ेंगे पीएम श्री विद्यालय

लखनऊः स्कूल सिर्फ पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि भविष्य के रोजगार और नवाचार की प्रयोगशाला बन रहे हैं। प्रदेश के चयनित राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को 'पीएम श्री विद्यालय' के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां शिक्षा को रोजगार, तकनीक और व्यवहारिकता से जोड़ा जा रहा है। इन विद्यालयों में बच्चे किताबों के साथ-साथ कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कृषि, हस्तकला और उद्यमिता जैसी व्यावहारिक दक्षताएं भी सीखेंगे।

केंद्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से इन विद्यालयों को उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों के रूप में विकसित कर रही हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों में पीएम श्री विद्यालयों की प्रगति की निगरानी तेज कर दी है ताकि इन्हें पूरी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप संचालित किया जा सके। 

प्रदेश में फिलहाल 157 राजकीय विद्यालयों को पीएम श्री योजना के तहत चयनित किया गया है। इन विद्यालयों को 'ग्रीन स्कूल' के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है। विद्यालयों में वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा संयंत्र, ठोस एवं द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन, जैविक खेती, किचन गार्डन और प्लास्टिक मुक्त परिसर जैसी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। 

इन नवाचारों से विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग की व्यावहारिक जानकारी मिलेगी। साथ ही, स्किल आधारित शिक्षा के जरिए उनका व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और सोचने की क्षमता भी मजबूत होगी। पीएम श्री विद्यालय आने वाले समय में न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र बनेंगे, भविष्य के स्किल इंडिया की मजबूत नींव भी रखेंगे।




यूपी के 157 विद्यालय पीएम श्री योजना से बनेंगे 'ग्रीन स्कूल'

लखनऊ । प्रदेश के 157 सरकारी विद्यालय पीएम श्री योजना के माध्यम से ग्रीन स्कूल के रूप में विकसित किए जाएंगे। इसमें चयनित विद्यालयों में पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएगी। राज्य सरकार केंद्र के सहयोग से इन विद्यालयों को उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित करेगी।


इन विद्यालयों में वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा संयंत्र, ठोस एवं द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन, जैविक खेती, किचन गार्डन और प्लास्टिक मुक्त परिसर जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे छात्रों को पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग की व्यावहारिक जानकारी मिलेगी।


 इन विद्यालयों में विद्यार्थियों के कौशल विकास पर भी विशेष बल दिया जाएगा। साथ ही बच्चों को डिजिटल स्किल्स, व्यावहारिक विज्ञान, कृषि, हस्तकला, कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उद्यमिता जैसे विषयों से भी जोड़ा जाएगा। 


माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों में पीएम श्री विद्यालयों की प्रगति की निगरानी तेज कर दी है, ताकि इन्हें पूरी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप संचालित किया जा सके।

शिक्षामित्रों का न बढ़ा मानदेय, न हुआ तबादला, बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर रहा आदेश पर आदेश

शिक्षामित्रों का न बढ़ा मानदेय, न हुआ तबादला, 
बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर रहा आदेश पर आदेश


लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 1.46 लाख शिक्षामित्रों को जहां मानदेय वृद्धि मामले में झटका लगा है। वहीं उनकी गृह जनपद में तैनाती भी नहीं की जा रही है। इसे लेकर शिक्षामित्रों ने नाराजगी जताते हुए जल्द कार्यवाही की मांग की है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने कहा है कि तीन जनवरी 2025 को तत्कालीन प्रमुख सचिव ने उनका समायोजन आदेश जारी किया था। इसके बाद विभाग की ओर से मांगे गए निर्देश के क्रम में 12 जून 2025 को भी शासन ने समायोजन प्रक्रिया करने का आदेश दिया। किंतु बेसिक शिक्षा विभाग इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इससे शिक्षामित्रों में नाराजगी है।


संघ के प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार ने मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री से कहा है कि आर्थिक संकट के चलते प्रतिदिन किसी न किसी जिले में शिक्षामित्र की असमय मौत हो रही है। आर्थिक समस्या के चलते वह उचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं। इसके कारण सभी शिक्षामित्र अवसाद से ग्रस्त हैं। पांच सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि व कैशलेस योजना में शामिल किए जाने की घोषणा की गई।


लेकिन दो महीने बाद भी अभी तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी हुआ है। उल्टे मानदेय बढ़ाने के लिए बनाई समिति ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मात्र 10 हजार मानदेय में वे अपने घर से 80 से 90 किमी दूर शिक्षण कार्य करने को मजबूर हैं। मानदेय बढ़ाने व समायोजन के संबंध में संगठन के पदाधिकारियों ने कई बार बेसिक शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा व निदेशक बेसिक शिक्षा से मिलकर मांग कर चुके हैं। जल्द ही इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं हुआ तो संगठन बैठक कर अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगा। 

सवा दो करोड़ रिश्वत मांगने में फंसे गोंडा के बीएसए, भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने केस दर्ज करने का दिया आदेश, फर्नीचर सप्लाई में कमीशन मांगने का आरोप

सवा दो करोड़ रिश्वत मांगने में फंसे गोंडा के बीएसए, भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने केस दर्ज करने का दिया आदेश, फर्नीचर सप्लाई में कमीशन मांगने का आरोप


गोंडा। फर्नीचर आपूर्ति के ठेके में 2.25 करोड़ की रिश्वत मांगने और 30 लाख रुपये एडवांस लेने के आरोप में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अतुल कुमार तिवारी व दो जिला समन्वयक फंस गए हैं। कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

मोतीगंज क्षेत्र के किनकी गांव निवासी मनोज पांडेय नीमन सीटिंग सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एमडी हैं। उन्होंने गोरखपुर स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में अपील की है कि उनकी कंपनी गोंडा के 564 उच्च प्राथमिक और संकुल विद्यालयों के लिए फर्नीचर सप्लाई के टेंडर में एल-1 (सबसे कम दर देने वाली फर्म) घोषित की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसए अतुल कुमार तिवारी, जिला समन्वयक (जेम) प्रेमशंकर मिश्र और जिला समन्वयक (सिविल) विद्याभूषण मिश्र ने 15% कमीशन के रूप में 2.25 करोड़ की मांग की।


चार जनवरी 2025 को बीएसए ने अपने राजकीय हाउसिंग कॉलोनी स्थित आवास पर बुलाकर उनसे 30 लाख रुपये (22 लाख बीएसए को और चार-चार लाख दोनों समन्वयकों को) लिए। बाद में शेष रकम न देने पर फर्म को दो वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।

मनोज ने अदालत में व्हाट्सएप चैट व अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि जब दिए गए रुपये वापस मांगे तो प्रेमशंकर मिश्र ने एक लाख रुपये लौटा दिए, लेकिन बीएसए और डीसी सिविल ने मना कर दिया।

अदालत में बीएसए व समन्वयक ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी ने टेंडर में फर्जी दस्तावेज लगाए। अनुभव प्रमाणपत्र में दर्शाई गई राशि 5.91 करोड़ के बजाय 9.86 लाख थी। इसी तरह कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में टर्नओवर 19.54 करोड़ दिखाया। असल टर्नओवर 14.54 करोड़ रहा। इन अनियमितता के कारण फर्म को ब्लैकलिस्ट किया गया।

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) विपिन कुमार तृतीय ने माना कि आवेदक के आरोप प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं।

अदालत ने 31 अक्तूबर 2025 को आदेश पारित करते हुए कोतवाली नगर गोंडा के प्रभारी निरीक्षक को तीनों अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। 


फर्नीचर आपूर्ति के लिए कंपनी ने जो दस्तावेज लगाए थे, वे फर्जी थे। इसलिए टेंडर निरस्त किया था। पेशबंदी में कंपनी के एमडी भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट गए हैं। - अतुल तिवारी, बीएसए-गोंडा

यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी, सीसीटीवी कैमरों से लैस विद्यालय ही बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र

यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण में गलत सूचना देने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई,  तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और दस लाख से एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का है प्रावधान


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2026 के लिए केंद्र निर्धारण की नीति शासन की ओर से जारी कर दी गई है। इस बार केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया सॉफ्टवेयर आधारित होगी। गलत जानकारी दर्ज होने पर अगर कोई विद्यालय परीक्षा केंद्र बन जाता है और जनपदीय केंद्र निर्धारण समिति की जांच में मामला सामने आता है तो केंद्र को निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित के खिलाफ अनुचित साधनों का निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि इस प्रावधान के तहत तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और दस लाख से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा दोषी संस्था को तीन वर्ष के लिए डिबार भी किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि रिमोट सेंसिंग से परीक्षण के दौरान जिन विद्यालयों की जियो लोकेशन गलत पाई जाएगी, उनकी सूची संबंधित जिले के डीआईओएस को भेजी जाएगी। इसके सत्यापन के लिए एपीआई युक्त मोबाइल एप विकसित किया गया है जिसे प्रधानाचार्य डाउनलोड कर विद्यालय की लोकेशन और फोटो अपलोड कर सकेंगे।

इसके अलावा 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांग छात्रों को उनके विद्यालय में ही परीक्षा देने की सुविधा दी जाएगी। यदि ऐसा संभव नहीं है तो उन्हें सात किलोमीटर के भीतर के परीक्षा | केंद्रों में समायोजित किया जाएगा।


परीक्षा केंद्र निर्धारण के प्रमुख बिंदु

वर्ष 2026 की परीक्षा में हाईस्कूल के 27,50,945 और इंटरमीडिएट के 24,79,352 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे।

कुल 52,30,297 परीक्षार्थियों के लिए 7500 से 7700 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा।

इस बार अधिक छात्र संख्या और ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने वाले विद्यालयों को दी जाएगी प्राथमिकता।

विद्यालयों में 2200 से अधिक परीक्षार्थी भी आवंटित किए जा सकेंगे (पिछले वर्ष अधिकतम सीमा 2000 थी)।


इन्हें नहीं बनाया जाएगा परीक्षा केंद्र

जहां क्रियाशील प्रयोगशाला नहीं है।

जिन विद्यालयों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजरे हैं।

जिनकी मान्यता प्रत्याहरण की प्रक्रिया चल रही है।

जहां हाईस्कूल और इंटर दोनों में कुल 80 से कम छात्र पंजीकृत हैं।

ऐसे स्ववित्तपोषित विद्यालय जहां 20 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे हों।

जिन विद्यालयों तक पहुंचने के लिए 10 फीट से कम चौड़ा रास्ता है।

जिन विद्यालयों की क्षमता 125 से कम है।

जिन विद्यालयों के परिसर में प्रबंधक या प्रधानाचार्य के आवास हैं।

जहां प्रबंधक और प्रधानाचार्य के बीच विवाद चल रहा है।

जिन विद्यालयों में उत्तरपुस्तिका बाहर लिखते हुए पाए जाने की रिपोर्ट दी गई है।




यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी, सीसीटीवी कैमरों से लैस विद्यालय ही बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र

10 नवंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर तक पूरी होगी निर्धारण की प्रक्रिया


🔴 महत्वपूर्ण बिंदु

राजकीय, सहायता प्राप्त अशासकीय, निजी विद्यालयों के क्रम में बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र

एक केंद्र पर विद्यार्थियों की न्यूनतम संख्या 250 एवं अधिकतम 2200 होगी

विगत वर्षों में डिबार स्कूल परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे

एक ही प्रबंधक व उसके परिवार द्वारा संचालित विद्यालयों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे

परस्परत विद्यालय में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे

यथासंभव बालिकाओं के विद्यालय में बालकों का परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने वर्ष 2026 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएड की परीक्षाओं के लिए केंद्र निर्धारण की नीति शनिवार को जारी कर दी। इसके तहत सीसीटीवी कैमरों से लैस विद्यालय ही परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया 10 नवंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी।

केंद्र निर्धारण के लिए इस बार कई नए मानक भी तय किए गए हैं। इसके तहत जिन विद्यालयों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था है, उन्हें केंद्र निर्धारण में वरीयता दी जाएगी। इसके लिए 10 अंक भी तय किए गए हैं। जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, उन्हें भी केंद्र निर्धारण में वरीयता दी जाएगी।

प्रधानाचार्य कक्ष से अलग दोनों तरफ सीसीटीवी कैमरों युक्त सुरक्षित स्ट्रांग रूम बनाए जाने के लिए कहा गया है। स्ट्रांग रूम में प्रश्न पत्रों को रखने के लिए चार डबल लॉक के बॉक्स होंगे। इसी के साथ उत्तर पुस्तिकाओं को रखने के लिए भी अति सुरक्षित स्ट्रांग रूम होगा। मानक के अनुसार, प्रवेश द्वार एवं प्रमुख स्थलों के अलावा सभी कक्षाओं के बाहर भी दोनों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए। ये कैमरे बोर्ड एवं प्रशासन कंट्रोल रूम से भी जुड़े होंगे। 

परीक्षा केंद्र 12 किमी की परिधि में होने चाहिए। जिला एवं तहसील स्तरीय समिति करेगी विद्यालयों का भौतिक सत्यापन परीक्षा केंद्र बनाए जाने वाले विद्यालयों का भौतिक सत्यापन जिला एवं तहसील स्तर पर गठित समिति करेगी। गाइडलाइन के अनुसार, प्रधानाचार्य निर्धारित प्रारूप में विद्यालय में जियो लोकेशन के साथ विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं का विवरण पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसे जिलों को भेज दिया जाएगा। इसके बाद एसडीएम की अध्यक्षता में तहसील स्तर पर गठित समिति इसका भौतिक सत्यापन करेगी।

समिति में डीएम की ओर से नामित अभियंत्रण विभाग के अभियंता एवं संबंधित तहसील के तहसीलदार सदस्य होंगे। जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से अधिकृत सह जिला विद्यालय निरीक्षक या राजकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य सदस्य सचिव होंगे। भौतिक सत्यापन में तथ्य गलत पाए जाते हैं तो विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


🔴 केंद्र निर्धारण का कार्यक्रम

विद्यालयों की ओर से भौतिक संसाधन संबंधी विवरण 10 नवंबर तक अपलोड किए जाएंगे

तहसील स्तरीय समिति की ओर से भौतिक सत्यापन कार्य 17 नवंबर तक

सत्यापित आख्या ऑनलाइन अपलोड करने की अंतिम तिथि 24 नवंबर

परिषद की ओर से ऑनलाइन चयनित केंद्रों की प्रारंभिक सूची 27 नवंबर तक जारी की जाएगी

डिबार विद्यालयों की सूची 28 नवंबर को प्रदर्शित की जाएगी

आपत्तियां / प्रत्यावेदन ऑनलाइन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 04 दिसंबर

जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से आपत्तियों का निस्तारण 11 दिसंबर तक

अनुमोदित केंद्र सूची परिषद की वेबसाइट पर 17 दिसंबर तक अपलोड की जाएगी

यदि किसी को दोबारा आपत्ति हो तो वह 22 दिसंबर तक ऑनलाइन दर्ज कर सकेगा

अंतिम रूप से परीक्षा केंद्रों की सूची 30 दिसंबर तक जारी की जाएगी


Sunday, November 2, 2025

NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा

NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा


🔴 NMMS के एडमिट कार्ड एक क्लिक में करें डाउनलोड 


यूपी एनएमएमएस प्रवेश पत्र में किसी भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोई भी परिवर्तन न करें, यदि ऐसा पाया जाता है कि आपने प्रवेश पत्र में किसी भी प्रकार की छेड़खानी की है तो आपको परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। सभी अभ्यर्थियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने प्रवेश पत्र का साफ प्रिंट सफेद पेज में ही निकलवाएं।


प्रयागराज :  उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति (यूपी एनएमएमएस) के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। पात्र उम्मीदवार अब यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in के माध्यम से अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

यूपी एनएमएमएस एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए, उम्मीदवारों को वेबसाइट पर अपना आवेदन पंजीकरण संख्या और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा। 


NMMS UP Admit Card 2025: एडमिट कार्ड डाउनलोड प्रक्रिया

यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in पर जाएं।

होमपेज पर, 'एनएमएमएस स्कॉलरशिप हॉल टिकट डाउनलोड' लिंक पर क्लिक करें।

अब अपना लॉगिन विवरण, जैसे आवेदन संख्या, नाम या यूजरनेम नेम और पासवर्ड दर्ज करें।

इसके बाद "सबमिट" बटन पर क्लिक करें।

आपका एडमिट कार्ड स्क्रीन पर दिखाई देगा।

एनएमएमएस यूपी एडमिट कार्ड की एक प्रति डाउनलोड करें और प्रिंट करें।


NMMS UP Exam Date 2025: परीक्षा तिथि
यूपी एनएमएमएस परीक्षा 9 नवंबर, 2025 को निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले अपने एडमिट कार्ड के साथ अपने निर्धारित केंद्रों पर पहुंचना होगा।


NMMS UP पात्रता क्या है?
एनएमएमएस यूपी परीक्षा का आयोजन प्रदेश के पात्र छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए किया जाता है। एनएमएमएस उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति 2025-26 के तहत ऐसे प्रतिभावान और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चयनित किया जाता है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक न हो।

टीईटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पांच राज्य, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मेघालय और उत्तराखंड ने लगाई गुहार, आरटीई लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए पुनर्विचार याचिका

टीईटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पांच राज्य, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मेघालय और उत्तराखंड ने लगाई गुहार, आरटीई लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए पुनर्विचार याचिका

शीर्ष कोर्ट ने एक सितंबर को सभी शिक्षकों के लिए किया था अनिवार्य


प्रयागराज । कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट केएक नवंबर के आदेश के बादसे देशभर के शिक्षक असहज हैं। इस मामले में दो महीने के अंदर उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल कर निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 लागू होने सेपूर्वनियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की गुहार लगाई है।


उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मेघालय और उत्तराखंड सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं में आरटीई एक्ट का प्रभाव प्रत्येक राज्य की अधिसूचना तिथि से मानने का अनुरोध किया है। 23 अगस्त 2010 से पूर्व विज्ञापित भर्तियां राष्ट्रीय अध्यापकशिक्षा परिषद (एनसीटीई) अधिसूचना के अनुसार वैध मानी जाएं। पहले से कार्यरत शिक्षकों पर टीईटी को लागू करना संविधान के विरुद्ध है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने सेवा में बने रहने और पदोन्नति के लिए सभी शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य माना है। सेवा में बने रहनेकेलिएदो वर्ष के अंदर टीईटी उत्तीर्ण करनेके आदेश दिए हैं। पदोन्नति के लिए उससंवर्ग की टीईटी को अनिवार्य बताया है। केवल उन्हीं शिक्षकों को राहत दी है जिनकी पांच वर्ष से कम की सेवा बाकी है। हालांकि इनके लिए भी पदोन्नति में टीईटी अनिवार्य है। इस आदेश के बाद से ही देशभर के शिक्षक आंदोलित हैं।


एक अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू हुआ आरटीई

पूरे देश में आरटीई एक अप्रैल 2010 को लागू हुई। यह 6 से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। शिक्षक नियुक्ति से संबंधित योग्यता तय करने का अधिकार एनसीटीई को दिया गया है


राज्यों ने अलग-अलग तिथियों पर किया लागू

उत्तर प्रदेशः 27 जुलाई 2011
तेलंगाना (तत्कालीन आंध्र प्रदेश): 29 जुलाई 2011
केरल: 28 अप्रैल 2011
मेघालय: 1 मई 2011
उत्तराखंडः 18 जुलाई 2011

यूपी के एडेड कॉलेजों में 23 हजार से अधिक पदों पर जल्द होगी भर्ती, डीआईओएस ने भेजा टीजीटी, पीजीटी और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों का ब्योरा

यूपी के एडेड कॉलेजों में 23 हजार से अधिक पदों पर जल्द होगी भर्ती, डीआईओएस ने भेजा टीजीटी, पीजीटी और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों का ब्योरा

शिक्षा सेवा चयन आयोग का पोर्टल बनने के बाद सूचना अपलोड करेंगे

प्रयागराज । यूपी के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी), प्रवक्ता (पीजीटी), प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्यों के 23 हजार से अधिक पदों पर भर्ती होगी।

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को नई भर्ती के लिए सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सीधी भर्ती के 31 मार्च 2026 तक की संभावित रिक्तियों को शामिल कर अधियाचन 29 जुलाई को मांगा गया था। गाजीपुर को छोड़कर सभी जिलों ने सूचना शिक्षा निदेशालय को भेज दी है। अब तक 71 जिलों के अधियाचन गणना हो सकी है, जिसमें टीजीटी, पीजीटी, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य के 22,201 रिक्त पद हैं। शेष चार जिलों के पद जुड़ने पर रिक्तियों की संख्या 23 हजार से अधिक होने का अनुमान है। 

वहीं, चयन आयोग का पोर्टल बनने के बाद शिक्षा निदेशालय की ओर से पोर्टल पर रिक्त पदों की सूचना भेजी जाएगी। उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक-3) डॉ. ब्रजेश मिश्र ने बताया कि डीआईओएस को जिले से संबंधित अधियाचन के लिए प्रमाणपत्र देने के निर्देश दिए गए हैं कि सीधी भर्ती के रिक्त (वर्ष 2025-26 ऑफलाइन स्थानांतरण के लिए प्रेषित पदों को छोड़कर) शेष पद शामिल कर निदेशालय भेजा गया है।




शिक्षकों के खाली पड़े 22 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन मंगाया


प्रयागराज। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन (रिक्त पदों का विवरण) मंगाया है। इसके तहत 22 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इस संबंध में अधियाचन के लिए भेजे गए प्रारूप को शिक्षा सेवा चयन आयोग स्वीकार करता है तो पोर्टल विकसित कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

प्रदेश के 4512 माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और सहायक अध्यापक के कुल 22,201 पद रिक्त हैं। इसमें तकरीबन दो हजार से अधिक प्रधानाचार्य और बाकी सहायक अध्यापक और प्रवक्ता के पद हैं। निदेशालय ने सभी जिलों से प्राप्त अधियाचन प्रेषण हेतु प्रारूप शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेज दिया है। हालांकि अभी चार जिलों से खाली पदों की संख्या प्राप्त नहीं हो सकी है। ऐसे में पदों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रारूप प्राप्त होने के बाद शिक्षा सेवा चयन बोर्ड इसे शासन के कार्मिक विभाग को भेज कर दिशा निर्देशन प्राप्त करेगा। अनुमति मिलते ही एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के सहयोग से एक पोर्टल तैयार किया जाएगा। उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक 3) डॉ. ब्रजेश मिश्र ने बताया कि अधियाचन प्रेषण हेतु प्रारूप शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेजा गया है। यदि चयन आयोग के द्वारा इसी प्रारूप को स्वीकार कर पोर्टल विकसित किया जाता है तो उस पर अधियाचन अपलोड कर दिया जाएगा। इससे माध्यमिक शिक्षा संस्थानों में लंबे समय से चली आ रही शिक्षक कमी दूर होने की संभावना है



 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों रिक्त पदों की सूचना देने के साथ रिक्ति के साथ पद खाली न होने का प्रमाणपत्र भी DIOS से गया मांगा

प्रयागराज। प्रदेशभर के 4512 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों रिक्त पदों की सूचना देने के साथ जिला विद्यालय निरीक्षकों से प्रमाणपत्र भी मांगा गया है कि सीधी भर्ती का कोई और पद खाली नहीं है।

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को नई भर्ती के लिए सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सीधी भर्ती के 31 मार्च 2026 तक की संभावित रिक्तियों को शामिल करते हुए रिक्त पद का अधियाचन 29 जुलाई को मांगा गया था।

 माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने बुधवार को सभी डीआईओएस को लिखा है कि कुछ जिलों के विद्यालयों में रिक्त पदों को अधियाचन में शामिल नहीं किया गया है। लिहाजा सभी डीआईओएस अपने जिले से संबंधित एडेड कॉलेजों के भेजे अधियाचन के लिएदो दिन में प्रमाणपत्र दें कि सीधी भर्ती के रिक्त शेष सभी पद शामिल करते हुए शिक्षा निदेशालय को भेजा गया है।



उच्च शिक्षा निदेशालय में होगी बायोमीट्रिक उपस्थिति, तीन साल से डटे कर्मचारियों के बदले जाएंगे पटल

उच्च शिक्षा निदेशालय में होगी बायोमीट्रिक उपस्थिति, तीन साल से डटे कर्मचारियों के बदले जाएंगे पटल


प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और इसके अन्य कार्यालयों में अफसरों एवं कर्मचारियों की अब बायोमीट्रिक उपस्थिति होगी। अफसरों के लिए निदेशक कक्ष के पास पंचिंग मशीन लगाई जाएगी। वहीं कर्मचारियों के लिए परिसर स्थित दो अन्य भवन में मशीन लगेगी। बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू होने के बाद अफसरों एवं कर्मचारियों के रोजाना आने-जाने का समय भी दर्ज हो जाएगा। 

निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि बायोमीट्रिक उपस्थिति के लिए उपकरण आदि लगाने के लिए टेंडर हो गया है। जल्द ही व्यवस्था लागू होगी। पिछले इस संबंध में पिछले दिनों समीक्षा बैठक में सचिव उच्च शिक्षा ने निर्देश दिए थे। 

 

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में तीन वर्ष या अधिक समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों के पटल बदले जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के कार्य वितरण को लेकर निदेशालय में कई तरह की विसंगतियों की बात कही जा रही है। 

खासतौर पर महिला कर्मचारियों ने उच्च शिक्षा सचिव से मुलाकात कर इसकी शिकायत की थी। डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि निदेशालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों का विवरण मांगा गया है। शासनादेश एवं सचिव के निर्देश के क्रम में कर्मचारियों के पटल परिवर्तित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी। 

बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में उतरे शिक्षक, प्रदेश भर में प्रदर्शन कर दिया ज्ञापन, विभाग दे रहा तेजी लाने के निर्देश

बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में उतरे शिक्षक, प्रदेश भर में प्रदर्शन कर दिया ज्ञापन, विभाग दे रहा तेजी लाने के निर्देश

01 नवम्बर 2025
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस को लेकर की जा रही सख्ती को लेकर विरोध शुरू हो गया है। एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग हर दिन का डाटा जारी कर इसमें गति लाने के निर्देश दे रहा है तो दूसरी तरफ शिक्षकों ने इसके विरोध में शनिवार को प्रदेश भर में प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। इसके माध्यम से उन्होंने इस निर्णय को निरस्त करने की मांग उठाई।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन कर शिक्षकों ने कहा कि जिलों में अटेंडेंस न अपलोड करने पर बीएसए शिक्षकों का वेतन रोकने व कार्रवाई करने का आदेश जारी कर रहे हैं। इससे शिक्षकों में काफी नाराजगी है। मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन में शिक्षकों ने इसकी व्यवहारिक दिक्कतें बताते हुए इसे स्थगित करने की मांग की है।


कहा, पहले समस्याओं का किया जाए समाधान

शिक्षकों ने कहा कि बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी में कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। ग्रामीण परिवेश में अक्सर नेटवर्क की समस्या रहती है। एक ही समय पर प्रदेश भर के बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी देने से ऐप के चलने में समस्या आती है। जूनियर हाई स्कूल की बालिकाओं की फोटो के साथ ऑनलाइन हाजिरी देना भी सही नहीं है। कभी कभी मौसम खराब होने से बच्चों की उपस्थिति काफी कम हो जाती है।

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि पिछले साल ऑनलाइन हाजिरी से आहत शिक्षकों ने व्यापक विरोध किया था। इसको देखते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इसमें तय हुआ था कि समिति डिजिटल अटेंडेंस पर अपनी रिपोर्ट देगी तब तक ऑनलाइन हाजिरी को स्थगित रखा जाएगा। अभी तक उसकी किसी भी प्रकार की रिपोर्ट जारी नहीं की गई है। इसके बाद भी डिजिटल अटेंडेंस पर दबाव बनाया जा रहा है।




परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस का विरोध शुरू, एक नवंबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की घोषणा

26 अक्टूबर 2025
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस पर सख्ती के साथ ही शिक्षक संगठनों द्वारा इसका विरोध भी शुरू कर दिया गया है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने इसके विरोध में एक नवंबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की घोषणा की है।


संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पाण्डेय ने सभी प्रदेशीय, मण्डलीय संगठन मंत्री, जिला पदाधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध के 24 अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा को पत्र भेजा गया था।

किंतु शासन स्तर पर सकारात्मक संदेश अभी नहीं मिला है। वहीं जिलों में विभागीय अधिकारियों द्वारा इस संबंध में अव्यवहारिक निर्देश जारी कर शिक्षकों पर अनुचित दबाव बनाया जा रहा है। इस क्रम में एक दिवसीय प्रदर्शन व ज्ञापन कार्यक्रम तय किया गया है। इसके द्वारा मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा जाएगा।

उन्होंने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिलों में शिक्षकों को इसकी सूचना देते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में ज्ञापन कार्यक्रम में शामिल हो। उन्होंने कहा है कि इसके बाद भी विभाग इसमें बदलाव नहीं करता है तो फिर सभी से वार्ता कर आगे का निर्णय लिया जाएगा

देश के सभी स्कूलों से हटेंगी जहरीली एस्बेस्टस की छतें, NGT का अहम फैसला

देश के सभी स्कूलों से हटेंगी जहरीली एस्बेस्टस की छतें, NGT का अहम फैसला

बच्चों की सांसों को मिलेगी आजादी, एस्बेस्टस से निकलने वाले रेशे फेफड़ों के लिए जानलेवा


नई दिल्ली। देश के स्कूलों में एस्बेस्टस शीट (चादर) की छत से होने वाले वायु प्रदूषण और बच्चों की सेहत बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इन्हें हटाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। ये शीट फेफड़ों, खासकर बच्चों के लिए खतरनाक बीमारियां पैदा कर सकती हैं। एनजीटी ने देशभर के सरकारी और निजी स्कूलों को एक साल के अंदर इन्हें हटाकर सुरक्षित विकल्प लगाने के लिए कहा है।


न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने स्कूलों की छतों में इस्तेमाल होने वाली जहरीली एस्बेस्टस शीट को पूरी तरह हटाने का आदेश दिया। हालांकि, पीठ ने कहा कि यदि छत की शीट अच्छी स्थिति में है, तो उसे हटाने की जरूरत नहीं, पर उस पर पेंट या सुरक्षात्मक कोटिंग लगाई जानी चाहिए। अगर शीट खराब हो चुकी है, तो उसे तुरंत गीला करके और विशेषज्ञों की मदद से हटाया जाए, ताकि हवा में हानिकारक रेशे न फैलें। 


वहीं, स्कूलों को सिर्फ प्रमाणित पेशेवरों से ही ऐसी सामग्री की मरम्मत या हटाने का कार्य कराना होगा। इसके अलावा, स्कूल कर्मियों को एस्बेस्टस से जुड़े जोखिमों और सुरक्षा उपायों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनजीटी ने खुद निगरानी का जिम्मा लिया है। एनजीटी ने कहा, फैसला पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 व प्रदूषण रोकथाम कानून 1981 के तहत है।


राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करें नियमित निरीक्षण
पीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को आदेश दिया कि वे नियमित निरीक्षण करें और निपटान प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड रखें। एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और सीपीसीबी को आदेश दिया कि वह छह महीने के अंदर एस्बेस्टस से जुड़े वैज्ञानिक साक्ष्य और वैश्विक प्रथाओं की समीक्षा करें और रिपोर्ट सौंपें। स्कूलों, घरों और अन्य भवनों में इसके उपयोग को बंद करने की नीति तैयार करें।


एस्बेस्टस कचरे का निपटान सीलबंद कंटेनरों में करना होगा
पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2011 के प्रतिबंध के बावजूद स्कूलों में एस्बेस्टस का इस्तेमाल हो रहा है। ज्यादातर राज्यों ने अभी तक इसे हटाने की योजना नहीं बनाई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य बोर्डों की निगरानी भी कमजोर है। एनजीटी ने आदेश दिया कि एस्बेस्टस कचरे का निपटान सीलबंद कंटेनरों में किया जाए। कचरा लाइसेंस प्राप्त खतरनाक अपशिष्ट निपटान स्थलों पर ही डंप किया जाए। इसे ले जाने वाले वाहन ढके हों और उन पर एस्बेस्टस कचरा लिखा हो।

Saturday, November 1, 2025

शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश

शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश 


प्रयागराज/लखनऊ। शासन ने बिना अनुमति किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों के संबद्धीकरण (अटैचमेंट) आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल तैनाती अपर मुख्य सचिव बेसिक स्थान पर वापस भेजा जाए। आदेश के एवं माध्यमिक शिक्षा ने जारी किया आदेश

अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय माध्यमिक संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि संबद्धीकरण समाप्त करने या यथावत रखने से संबंधित जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर उपलब्ध कराएं। 

निदेशक ने कहा कि ऐसे विद्यालय जहां पद सृजित नहीं हैं और विद्यालय संचालन के लिए अध्यापकों को संबद्ध किया गया है, वहां पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए संबद्धीकरण को अस्थायी रूप से जारी रखने का प्रस्ताव शासन को औचित्य सहित भेजा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा विभाग में अनधिकृत संबद्धीकरण की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना और शिक्षण व्यवस्था को नियमित करना है। 



सेवा के दौरान टीईटी पास करने वाले बर्खास्त शिक्षक बहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए पूरा मामला

सेवा के दौरान टीईटी पास करने वाले बर्खास्त शिक्षक बहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए पूरा मामला 


सुप्रीम कोर्ट ने बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए बर्खास्तगी को गलत ठहराया

दोनों शिक्षकों ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास की थी, नियुक्ति 2012 में हुई और 2018 में बर्खास्तगी


नई दिल्लीः कानपुर के दो सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के समय अनिवार्य न्यूनतम योग्यता टीईटी परीक्षा पास न करने के आधार पर नौकरी से बर्खास्त किये गए दो सहायक शिक्षकों की तत्काल बहाली के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान टीईटी पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों की बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।


शीर्ष अदालत ने कहा कि बदले नियमों के मुताबिक टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय था जबकि दोनों शिक्षकों ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास कर लिया था। यहां तक कि बर्खास्तगी की तारीख 12 जुलाई 2018 को वो दोनों टीईटी कर चुके थे ऐसे में उन्हें बर्खास्तगी की तारीख पर अयोग्य मानना गलत है।

ये फैसला प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने उत्तर प्रदेश, कानपुर में भौती के ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक उमाकांत और एक अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए शुक्रवार को दिया। शीर्ष अदालत ने शिक्षकों की याचिका खारिज करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ और एकलपीठ का आदेश खारिज कर दिया है इसके साथ ही दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश भी रद कर दिया है। 

पीठ ने दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश देते हुए कहा है कि दोनों शिक्षक किसी तरह के बकाया वेतन के भुगतान के अधिकारी नहीं होंगे, लेकिन बहाली के बाद उनकी नौकरी पहले से जारी नौकरी की तरह मानी जाएगी और उन्हें वरिष्ठता के सहित सारे परिणामी लाभ मिलेंगे।

इस मामले में दोनों शिक्षकों ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के एक मई 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी रद कर पुनः बहाली की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बर्खास्तगी के समय दोनों शिक्षक टीईटी कर चुके थे ऐसे में उन्हें अयोग्य मानकर बर्खास्त किया जाना गलत है। 


क्या है मामला? 
नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए टीईटी की न्यूनतम योग्यता तय कर दी। राज्य सरकार को तय नियमों के तहत टीईटी परीक्षा करानी थी। इसके बाद 25 जून 2011 को भौती के सहायता प्राप्त विद्यालय ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल ने सहायक शिक्षकों के चार पदों की रिक्तियां निकालीं। दोनों याचियों ने आवेदन किया। उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को टीईटी परीक्षा आयोजित हुई, जिसे एक याची ने 25 नवंबर 2011 को पास कर लिया। 13 मार्च 2012 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का चयन मंजूर करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया। दोनों शिक्षकों ने 17 मार्च 2012 को सहायक शिक्षक पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली 124 मई 2014 को दूसरे याची ने भी टीईटी परीक्षा पास कर ली। 

इस बीच नौ अगस्त 2017 को आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन हुआ, जिसमें कहा गया कि 31 मार्च 2015 तक नियुक्त शिक्षकों में जिसने टीईटी परीक्षा पास नहीं की है वे चार साल के भीतर इसे पास कर न्यूनतम योग्यता हासिल करें। टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया, लेकिन 12 मार्च 2018 को दोनों शिक्षकों को नियुक्ति के समय टीईटी पास न होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया और उनकी नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया गया। जिसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।