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Friday, November 21, 2025

बेसिक शिक्षकों से गैर-शैक्षिक ड्यूटी हटाने की मांग

बेसिक शिक्षकों से गैर-शैक्षिक ड्यूटी हटाने की मांग



 लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों ने गैर-शैक्षिक कार्यों से मुक्त करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि अध्यापकों को पढ़ाई के बजाय निर्वाचन आयोग की ड्यूटी जैसे बीएलओ, एसआइआर सहित अन्य कार्यों में लगाया जा रहा है, जिससे परिषदीय स्कूलों में कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं।


शिक्षक नेताओं ने कहा कि दिसंबर का महीना शैक्षिक सत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, लेकिन बड़ी संख्या में शिक्षक चुनाव संबंधी कामों में लगे हुए हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई को नुकसान हो रहा है।


उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सितंबर 2012 में तत्कालीन मुख्य सचिव के आदेश का हवाला दिया, जिसमें परिषदीय शिक्षकों से गैर-शैक्षिक कार्य न कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। आरोप लगाया कि डीएम और शिक्षा अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। मांग की है कि शिक्षकों को शिक्षण कार्य में लगाया जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था सुचारु रह सके।



टीईटी अनिवार्यता के विरोध में 22 राज्यों के शिक्षक 24 नवंबर को करेंगे दिल्ली कूच, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने किया एलान

टीईटी अनिवार्यता के विरोध में 22 राज्यों के शिक्षक 24 नवंबर को करेंगे दिल्ली कूच, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने किया एलान


नई दिल्ली। वर्ष 2011 से पहले नियुक्त पहली से आठवीं कक्षा के लाखों शिक्षकों ने अनिवार्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का विरोध करते हुए 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षक संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विरोध धरने में अपनी मांग रखेंगे। उन्होंने सरकार से उनके हितों की रक्षा करने की मांग दोहराई है।


अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लाखों सेवारत शिक्षक एकजुट हो गए हैं। भर्ती विज्ञापन में 2011 से पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इतने सालों की सेवा के बाद यह बदलाव गलत है। यादव ने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाकर टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे


बच्चों को पढ़ाएं या परीक्षा की तैयारी करें
शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है कि शिक्षकों पर 2025 में अचानक टीईटी अनिवार्य का फैसला क्यों थोपा गया। वे बच्चों को पढ़ाएं या अपनी परीक्षा की तैयारी करें? एक अनुमान के मुताबिक, टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देश भर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। जंतर-मंतर पर होने वाले इस आंदोलन के लिए अक्तूबर से ही जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया था।




टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

लखनऊ। देशभर के प्राथमिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में अलग-अलग शिक्षक संगठनों ने दिल्ली कूच का एलान कर रखा है। इसी क्रम में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर घोषित प्रदर्शन को सफल बनाने की तैयारी में जुटा है।

मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि इस प्रदर्शन में प्रदेश ही नहीं देशभर से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल होकर टीईटी अनिवार्यता का विरोध करेंगे। वे एनसीटीई द्वारा देशभर के शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य किए जाने का हर स्तर पर विरोध करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय 2011 से पहले कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय है। मोर्चा किसी भी दशा में इस काले कानून को लागू नहीं होने देगा।

मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो शिक्षक संसद का घेराव भी करेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों की सरकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। हालांकि अभी इस पर सुनवाई नहीं हुई है। 



टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच के लिए जिलों में शुरू होगा जनसंपर्क, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को करेगा दिल्ली में प्रदर्शन

लखनऊ। देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षकों का विरोध तेज हो रहा है। कई शिक्षक संगठनों के मोर्चे ने 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। इसके लिए 25 अक्तूबर से देशभर के सभी जिलों में जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू होगा।

शिक्षक संगठनों के संयुक्त मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले आंदोलन की तैयारी तेज कर दी है। इसमें लाखों शिक्षक शामिल होंगे। दिवाली आदि त्योहारों के बाद शिक्षकों ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में 25 से 31 अक्टूबर तक पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर मोर्चे में शामिल सभी घटक संगठन शिक्षकों की बैठकें करेंगे।

अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने बताया कि बैठक कर अधिक से अधिक शिक्षकों को दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंचने के लिए तैयार करेंगे। इसके लिए स्कूलों में जनसंपर्क भी किया जाएगा। उन्होंने कहा की दिल्ली जाने वालों की संख्या और तैयारी की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को 10 नवंबर तक सभी प्रदेशों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।


संयुक्त मोर्चा की मांगें

केंद्र सरकार टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे
शिक्षकों की सेवा सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
केंद्र सरकार संसद में अध्यादेश लाकर देश के शिक्षकों के हितों की रक्षा करे




टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन 24 नवंबर को, संयुक्त मोर्चा में शामिल प्रदेश के 12 शिक्षक संगठनों ने बैठक कर तय की रणनीति

शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक 

शिक्षकों के अलग-अलग संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन की रणनीति तैयार की 


 लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ देश भर के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। बुधवार को लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक में शिक्षकों ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आर-पार के संघर्ष का एलान किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो पूरे देश से करीब 10 लाख शिक्षक दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करेंगे जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 1.86 लाख शिक्षक भी होंगे।

बैठक में सोचा के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी, सह-संयोजक विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि 23 अगस्त 2010 से पहले कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी दशा में टीईटी लागू नहीं होने दिया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो संसद का घेराव भी किया जाएगा। बैठक में तय किया गया कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के सभी जिलों में शिक्षकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि 24 नवंबर के आंदोलन की पूरी तैयारी की जा सके।


नेताओं ने कहा कि एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन) का आदेश शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है। 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करें? शिक्षक नेताओं उत्तर प्रदेश सरकार भी मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटीशन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी आदेश के पालन की दिशा में पहल करे।

बैठक में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री नरेश कौशिक, उत्तर प्रदेश बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव, टीएससीटी के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम प्रकाश साहू, एससी/एसटी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदर सिंह शास्त्री, यूटा के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, महामंत्री ओम पोरवाल, अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सुशील सिंह, अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समर बहादुर सिंह और बेसिक शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र यादव प्रमुख रूप से शामिल हुए।



टेट के अनिवार्यता के खिलाफ 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर जुटेंगे शिक्षक

लखनऊ : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्यता कानून में संशोधन और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे। रविवार को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की आनलाइन बैठक में इसे लेकर राज्यवार जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर और महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम और टेट परीक्षा व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी, उस समय नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान नियम लागू करना अन्याय है। प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तहत सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है।




अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को मदुरई तमिलनाडु में हुई। इसमें टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया गया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में टीईटी अनिवार्यता, विभिन्न प्रांत के शिक्षकों से संबंधित समस्याओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक विरोधी मुद्दों, संविदा शिक्षको के नियमितीकरण, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा हुई। वर्किंग कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सभी ने एक स्वर में संघर्ष की सहमति दी। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षक को टीईटी से छूट दी गई थी। इस पर एनसीटीई को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।

बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ मजबूत आंदोलन व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करने की रणनीति बनी। बैठक में उत्तर प्रदेश से ठाकुरदास यादव, आलोक मिश्रा, अनुज त्यागी, नरेश कौशिक, योगेश शुक्ला, संजय पांडेय आदि उपस्थित थे।




टीईटी अनिवार्यता के मामले में तमिलनाडु में आज बैठक कर रणनीति बनाएंगे शिक्षक प्रतिनिधि

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद देश भर के शिक्षक आंदोलन तेज करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 12 अक्तूबर को तमिलनाडु के मदुरई में बैठक होगी। इसमें देश के सभी राज्यों के शिक्षक प्रतिनिधि भाग लेंगे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। टीईटी अनिवार्यता से जुड़ी जटिलताओं पर केंद्र सरकार को कैसे समाधान निकालने के लिए तैयार जाए, इस पर भी मंथन होगा। बैठक में विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली आदि पर भी चर्चा होगी। 

इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली विभिन्न राज्यों में खाली पदों को भरने, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्यवाही के लिए चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में इन सभी मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की रणनीति व तिथि भी तय की जाएगी।




टीईटी अनिवार्यता के मामले को लेकर लखनऊ में शिक्षक मोर्चा की बैठक में बनेगी रणनीति

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के मामले में चल रहा आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। इस क्रम में प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों - के मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली - बैठक 15 अक्तूबर को लखनऊ में होगी। इसमें आंदोलन - की अगली रणनीति तय की जाएगी। 

मोर्चा के राष्ट्रीय सह - संयोजक अनिल यादव ने बताया कि राजधानी के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ हाल, लोक निर्माण विभाग में सुबह 11 बजे - से बैठक आहूत की गई है। इसमें सभी शिक्षक संगठनों के - प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं जो शिक्षक संगठन मोर्चा में नहीं - भी हैं, वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई शिक्षक हित की है। इसके लिए सभी का एकजुट होना जरूरी है। 




टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी

लखनऊ । टीईटी मुद्दे पर देश भर के प्राइमरी शिक्षक दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी में हैं। आगामी 15 अक्टूबर को इसके लिए प्रत्येक राज्य की राजधानियों में उस राज्य के शिक्षकों की बैठक बुलाई गई है। यूपी सबसे अधिक शिक्षकों वाला राज्य होने के कारण प्रस्तावित आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।

यही कारण है कि टीईटी मामले को लेकर हाल ही में देश भर के शिक्षक संगठनों को मिलाकर बना संयुक्त मंच अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अगुवाई भी यूपी के ही जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी को सौंपी गई है। योगेश मोर्चा के संयोजक बनाए गए हैं।

लखनऊ में 15 अक्तूबर को बड़े स्तर पर मोर्चा से जुड़े यूपी के सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली में नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित बैठक के एजेण्डे को अन्तिम रूप दिया जाएगा।


नौकरी पर संकट गहरा गया है: शिक्षक संगठन

बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी देनी होगी अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश को शिथिल कराने के लिए हम सरकार पर कानून में संशोधन करने का दबाव बना रहे हैं।


यूपी के एक संगठन ने निर्णय को दी है चुनौती

यूपी के यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिक दाखिल कर केन्द्र सरकार के वर्ष 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है, जिसमें संबंधित अधिनियम संशोधन को मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया गया है।




टीईटी के मुद्दे पर केंद्र का रुख अब तक स्पष्ट न होने से शिक्षकों की बढ़ रही नाराजगी 

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने बैठक कर जताई नाराजगी


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से टीईटी की अनिवार्यता के आदेश के एक महीने बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट न करने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शनिवार को बैठक कर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और ठोस निर्णय न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश भर के शिक्षक नौकरी को लेकर चिंतित हैं। विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री व शिक्षामंत्री को हजारों पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक इस पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा, केंद्र सरकार को इसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए।

प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने कहा, अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो एसोसिएशन शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में विधि

सलाहकार आमोद श्रीवास्तव, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, राकेश तिवारी, सुशील रस्तोगी, धर्मेंद्र शुक्ला, तुलाराम गिरी, सुशील यादव आदि शामिल हुए।




कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुटे शिक्षक संघ, टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच की तैयारी

15 अक्टूबर तक कालीपट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं शिक्षक

परिषदीय विद्यालयों में 1.86 लाख शिक्षक बगैर टीईटी के सेवारत


लखनऊ: कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए सेवा में बने रहने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी) पास करना अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। वहीं, राज्य सरकार भी शिक्षकों के पक्ष में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है। अब शिक्षक संगठन कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुट गए हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर नरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि सरकार पर बाव बनाया जा सके। वहीं, बहुत वे शिक्षक टीईटी की तैयारियों में भी जुटे हैं।


प्रदेश में प्राथमिक व उच्च ाथमिक विद्यालयों में चार लाख ० हजार शिक्षक कार्यरत हैं, इनमें करीब एक लाख 86 हजार शिक्षक बगैर टीईटी के हैं। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो चुकी है।


15 अक्टूबर तक काली पट्टी बांधकर शिक्षक आपत्ति जताते हुए शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इसके बाद दिल्ली कूच किया जाएगा। उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार से मांग की है कि प्राथमिक विद्यालयों में 25 वर्षों से काम कर रहे बीटीसी, सीटीईटी और यूपी टीईटी पास शिक्षामित्रों को नई नियमावली बनाकर सुपर-टीईटी से मुक्त करते हुए सहायक अध्यापक पद पर स्थायी किया जाए।


प्रदेश में करीब 70 हजार ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनके पास बीटीसी प्रशिक्षण और टीईटी या सीटीईटी की पात्रता है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 1.48 लाख से अधिक शिक्षामित्र परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं। इनमें से अधिकतर ने दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। खास बात यह है कि करीब 70 हजार शिक्षामित्र बीटीसी के साथ टीईटी या सीटीईटी भी पास कर चुके हैं। जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने 29 जुलाई 2019 को नियमावली जारी कर योग्य शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त किया था, उसी तरह यूपी सरकार को भी आदेश जारी करना चाहिए। जब तक सभी शिक्षामित्रों को स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाती, तब तक उनके मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जानी चाहिए।


टीईटी की तैयारी में जुटे कई शिक्षक

कई शिक्षक किसी भी स्थिति में रिस्क नहीं लेना चाहते। उन्होंने टीईटी के सैंपल पेपर खरीदकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वे माक टेस्ट भी दे रहे है। कई वाट्सएप ग्रुप पर शिक्षक आपस में आनलाइन लिंक शेयर कर टीईटी का सिलेबस और माक टेस्ट उपलब्ध करा रहे हैं। यानी एक तरफ टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विरोध और आंदोलन की तैयारी है, तो दूसरी तरफ कई शिक्षक भविष्य सुरक्षित करने के लिए परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।
 

कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण की मांग की अनदेखी पर हाईकोर्ट हैरान, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को किया तलब

कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण की मांग की अनदेखी पर हाईकोर्ट हैरान, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को किया तलब

अगली सुनवाई 25 को, अधिकारियों का सुझाव, याची पारस्परिक स्थानांतरण को कर सकती है आनलाइन आवेदन


प्रयागराज । कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण के संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के जवाच पर असंतोष व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई पर उपस्थित हौने का निर्देश दिया है। कोर्ट 25 नवंबर को फिर यह मामला सुनेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाहजापुर की कल्पना शमां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। हाई कोर्ट के पूर्व आदेश पर सचिव ने हलफनामा दाखिल किया था जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं था।


पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कैंसर पीड़ित याची (सहायक अध्यापिका) के स्थानांतरण अभ्यावेदन को अस्वीकार करने वाले सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आचरण पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने प्रकरण में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा, यह हैरानी वाली बात है कि तकनीकी आधार पर शिक्षिका का अनुरोध खारिज कर दिया।

याची की मांग खारिज करने का आधार यह लिया गया है कि जिस संस्थान में वह कार्यरत है, वहां केवल दी शिक्षक हैं और राज्य सरकार की नीति के अनुसार किसी स्कूल में न्यूनतम 36 छात्र हैं ती तीन शिक्षक होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, रोजाना उन्हें ऐसे मामलों से निपटना पड़ रहा है, जहां 36 से अधिक छात्र हैं और केवल एक शिक्षक है। याची अगस्त, 2015 में प्रारंभिक नियुक्ति के बाद से शाहजहांपुर स्थित जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापिका (विज्ञान) के रूप में नियुक्त हैं।

 कैंसर पीड़ित याची की सर्जरी हुई है और गाजियाबाद स्थित मैक्स कैंसर सेंटर में कीमोथेरेपी हो रही हैं। उनहोंने पूर्व में गाचिका दाखिल कर शाहजहांपुर में काम करने में आ रही कठिनाइयों का हवाला दिया था। कहा था कि इलाज गाजियाबाद में हो रहा है और परिवार व पति कहीं हैं, जो उनके कार्यस्थल से लगभग 320 किमी दूर है। कोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में याचिका निस्तारित करते हुए प्राधिकारियों को याची के अभ्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने का निर्देश दिया था। 

इस आदेश के बावजूद सचिव ने आग्रह खारिज कर दिया। इसलिए कल्पना ने फिर उच्च न्यायालय का रुख किया। अधिकारियों ने सुशव दिया है कि याची पारस्परिक स्थानांतरण के लिए आनलाइन आवेदन कर सकती है। इस अस्वीकृति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कोर्ट ने सचिव से जवाब दाखिल करने या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा था।

बढ़े मानदेय की आस में अधेड़ हुए शिक्षामित्र, मानदेय बढ़ाने की मांग, छुट्टियों का नहीं मिलता मानदेय

बढ़े मानदेय की आस में अधेड़ हुए शिक्षामित्र, मानदेय बढ़ाने की मांग, छुट्टियों का नहीं मिलता मानदेय


करीब 25 साल पहले शिक्षा मित्र के रूप में भर्ती हुए, बाद में शासनादेश जारी कर इन्हें सहायक शिक्षक बनाया गया। अच्छा वेतन मिलना शुरू हो गया लेकिन हाईकोर्ट ने इन सहायक शिक्षकों को वापस शिक्षा मित्र बना दिया। तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई लेकिन उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी।


1 लाख 42 हजार शिक्षा मित्र मात्र दस हजार रुपये के मानदेय पर प्राथमिक विद्यालय में नौनिहालों का भविष्य संवार रहे है। बच्चों का भविष्य सेवारते-संवारते इनका वर्तमान अंधकार मय हो गया है। परिवार की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे। अपने बच्चों की शिक्षा, मेडिकल, माता-पिता की देखभाल, घर का किराया ऐसी न जाने कितनी मूलभूत जरूरते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए शिक्षा मित्र बढ़े हुए मानदेय का इंतजार कर रहे हैं। 


प्राइमरी स्कूलों के चच्चों का भविष्य संवार रहे शिक्षामित्रों का भविष्य अधर में हैं। प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं 125 वर्ष पहले सेवा में आए शिक्षामित्र मानदेय कहने की आस में अधेड़ हो गए हैं। 10 हजार रुपये मानदेय में अपने बच्चों की पढ़ाई, परिचारका चालन पोषण च इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। ब्लडप्रेसर डायटीन समेत दुसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। इस मानदेय में ठीक से इल्कज तक नहीं करा पा रहे हैं। 

सहायक शिक्षक बनने के चाट से दोबारा बनाए गार शिक्षामित्र सरकार से मानदेय बढ़ाने की बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। शिक्षामित्र मानदेव चढ़ोतरी के लिये धरना प्रदर्शन त मिभागीय मंत्री और अफसरों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मानदेय नहीं बढ़ा। अब इन्हें उस पल का सबसे इंतजार है। शासनदेश के बचाव नूद शिक्षामित्रों को मृत विद्यालय नहीं भया गया है। शिक्षामित्र इतने कम मानदेय पर 20 से 50 किमी. दूर पढ़ाने नहाने के लिय सनपुर है।

1999  में भर्ती हुए शिक्षामित्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 1999 में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये 2250 प्रति माह के मानदेय पर शिक्षामित्र भर्ती किये। वर्ष 2009 तक प्रदेश में 1.72 शिक्षामित्र सेला में लिये गए। वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के पद समायोजन का शासनादेश जारी किया। 

प्रदेश भर के 1.37 शिक्षामित्र की प्रतिक्षण देकर सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किया। इन्हें शिक्षकों के समान। समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिलनेल एक वर्ष 2015 में हाईकोर्ट शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगा दी। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया। हालांकि कोर्ट ने सरकार को शिक्षकों की खुली भर्ती के जरिये लम्बे समय से सेवाएं देशी शिक्षामित्रों की सेवा अवधि के अनुसार तम अंक के भरांक के साथ पथन करने करने के निर्देश जारी किये। दो अलग-अलग शिक्षक भर्ती में करीब 15 हजार शिक्षामित्र ती शिक्षक बन पाए। बाकी शिक्षामित्र के पद पर कार्य कर रहे हैं।

लखनऊमें 1925 शिक्षामित्र दे रहे संचाएं लखनऊ के अलग-अलग प्राइमरी स्कूलों में 1925 शिलमित्र सेवाएं दे रहे हैं। नई स्कूल शिक्षामित्रों के भरोसे यत यो हैं। बच्चों को पढ़ाने से लेकर सारे काम निपटा रहे हैं। स्कूलों में परीक्ष अन्य महत्वपूर्ण काम आने पर महिला शिक्षक सीसीएल व मेडिकत अवकाश लेकर घर बैठ नाती हैं। स्कूल में परीक्षा से लेकर अन्य कामों की जिम्मेदारी शिक्षामित्रों पर आ जाती है। फिर भी शिक्षामित्र बिना छुट्टी लिपे जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन इनके मानदेय बढ़ाने पर विभागीय अधिकारियों से लेकर सरकार चुप्पी साधे हुए है।


छुट्टियों का नहीं देते मानदेय

शिक्षामित्रों का कहना है कि इन्हें सिर्फ 11 माह का मानदेय मिलता है। 14 जनवरी के बीच शीतकालीन और जून में ७ दिन गर्मियों की छुट्टियां होती है। इन छुट्टियों का मानदेय शिक्षामित्रों को नहीं मिलता है। जबकि शिक्षकों को इन दिनों का वेतन दिया जाता है। इतने कम मानदेय में दो महीने 15-15 दिन का मानेदय काटने पर सिर्फ चांच-पाच हजार रुपये मिलता है। इसमें पूरे महीने घर का राशन तक नहीं आता है। सरकार को चाहिए कि कस्तूरबा गाभी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों की तरह 11 नाह 29 दिन वा मानेवव है। मानदेय भी बढ़ाया जाए। इतने कम मानदेय में जीवन यापन करना बहुत मुश्किल ही सहा है।

Thursday, November 20, 2025

शिक्षामित्रों के मानदेय बढोतरी व स्थानांतरण की मांग को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिले प्रतिनिधि, कैशलेस चिकित्सा देने का शासनादेश जारी हो, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को भी मिले चिकित्सा सुविधा

शिक्षामित्रों के मानदेय बढोतरी व स्थानांतरण की मांग को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिले प्रतिनिधि, कैशलेस चिकित्सा देने का शासनादेश जारी हो, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को भी मिले चिकित्सा सुविधा


लखनऊशिक्षामित्रों ने मानदेय बढ़ाने और स्थानांतरण प्रक्रिया लागू कराने की मांग तेज कर दी है। बुधवार को भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक व एमएलसी श्रीचंद शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा से मुलाकात कर अपनी समस्याएं रखीं। प्रदेश महामंत्री सुशील यादव ने बताया कि बेहद कम मानदेय के कारण कई शिक्षामित्र गंभीर बीमारियों का इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। इसके अलावा तीन जनवरी 2025 को जारी स्थानांतरण आदेश अभी तक लागू नहीं हुआ है, जिससे कई शिक्षामित्र 80-90 किलोमीटर दूर स्कूलों में जाने को मजबूर हैं।

कई महिला शिक्षामित्र भी अपने ससुराल के पास तैनाती चाहती हैं। प्रतिनिधियों ने शिक्षामित्र स्थानांतरण नीति को जल्द लागू करने, शिक्षक दिवस पर घोषित कैशलेस चिकित्सा योजना का शासनादेश जारी करने, मृत शिक्षामित्रों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने और एक आश्रित को समायोजन का अवसर देने की भी मांग उठाई।

अपर मुख्य सचिव ने सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार करते हुए अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। मुलाकात के दौरान अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह और वाराणसी शिक्षामित्र संघ के जिला अध्यक्ष अजय सिंह भी मौजूद रहे।



प्रतिनिधिमंडल में शामिल शिक्षामित्र संघ के महामंत्री सुशील यादव ने भी समस्याएं बताईं। कहा, महंगाई को देखते हुए शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाया जाए। 3 जनवरी 2025 को शिक्षामित्रों के तबादले के शासनादेश का क्रियान्वयन भी नहीं हुआ है। इससे हजारों शिक्षामित्र घर से 80-90 किमी दूर शिक्षण कार्य करने को मजबूर हैं। उन्होंने कैशलेस चिकित्सा देने का शासनादेश जारी कर परिवार के सदस्यों को भी समायोजित करने की मांग की गई। इसके बाद पदाधिकारियों ने विशेष सचिव अवधेश तिवारी व महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी से मिलकर अनुदेशकों की समस्याओं पर चर्चा की।

अटल आवासीय विद्यालयों में नए सत्र से 1000 छात्रों को प्रवेश, प्रवेश के लिए अब एक ही दिन प्रवेश परीक्षा होगी आयोजित

अटल आवासीय विद्यालयों में नए सत्र से 1000 छात्रों को प्रवेश, प्रवेश के लिए अब एक ही दिन प्रवेश परीक्षा होगी आयोजित

मुख्य सचिव ने दिए निर्देश, अगले सत्र से 20-20 सीटें बढ़ाएं 


लखनऊ। अटल आवासीय विद्यालयों में नए शैक्षिक सत्र 2026-27 से 1000-1000 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा। अभी 980 सीटों पर ही प्रवेश हो रहा है। अब आगे पहले से तय मानकों के अनुसार 20-20 सीटें बढ़ाई जाएंगी। मुख्य सचिव एसपी गोयल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी अटल आवासीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए एक ही दिन प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी।


अब कक्षा छह में 160 और कक्षा नौ में 60 छात्रों को प्रवेश देकर विद्यार्थियों की क्षमता 1000 की जाएगी। प्रवेश परीक्षा के लिए प्रश्न पत्रों का निर्माण भी राज्य स्तर पर ही कराया जाएगा। वहीं वर्ष 2027-28 शैक्षिक सत्र से प्रवेश परीक्षा का आयोजन सीबीएसई के माध्यम से कराया जाएगा।

कई जिलों में कस्तूरबा विद्यालयों की भर्ती अटकी, संविदा पर शैक्षिक व गैर शैक्षणिक पदों पर होनी है भर्ती, शासन ने दिया जल्द प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश

 कई जिलों में कस्तूरबा विद्यालयों की भर्ती अटकी, संविदा पर शैक्षिक व गैर शैक्षणिक पदों पर होनी है भर्ती, शासन ने दिया जल्द प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश


लखनऊ। प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के सुचारू रूप से संचालन के लिए शिक्षकों व कर्मचारियों को संविदा पर 11 महीने के लिए रखा जाता है। वहीं दूसरी ओर कई जिलों में इसे लेकर रुचि नहीं ली जा रही है। इसकी वजह से यहां पठन-पाठन समेत अन्य व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।

हाल ही में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र) प्रभार संदीप सिंह ने इस पर नाराजगी जताते हुए इसमें तुरंत प्रगति लाने के निर्देश दिए ताकि विद्यालयों में पठन-पाठन किसी तरह प्रभावित न हो। प्रदेश में 746 केजीबीवी का संचालन किया जा रहा है। इसमें से 450 से अधिक केजीबीवी को इंटर तक अपग्रेड भी किया जा चुका है।

इस क्रम में समग्र शिक्षा की ओर से सभी विद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षणिक खाली पदों पर समय से भर्ती करने के निर्देश दिए थे किंतु गोरखपुर में सर्वाधिक 127 पद खाली हैं और जनवरी में किए गए विज्ञापन की प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह बलमरापुर में 83 पद खाली हैं, यहां अक्तूबर में विज्ञापन किया गया है। रायबरेली में अभी तक खाली 73 पदों का विज्ञापन ही नहीं जारी किया गया। अलीगढ़ व गाजीपुर में 67 67 पद खाली हैं।

इसी तरह प्रयागराज में 58 पद खाली हैं और अप्रैल में विज्ञापन किया गया था। भदोही में 57 पद खाली हैं और जनवरी में विज्ञापन किया गया था। महोबा में 54 पद खाली हैं और फरवरी में विज्ञापन किया गया था।

एटा में 54 और बस्ती में 51 पद खाली हैं। इनकी भी विज्ञापन प्रक्रिया तीन-चार महीने से चल रही है। इन सबका असर विद्यालयों के पठन-पाठन व कामकाज पर पड़ रहा है। समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि भर्ती की लगातार समीक्षा की जा रही है। समय से प्रक्रिया पूरी करने के आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं।


भर्ती में शीर्ष 10 जिले
अंबेडकरनगर, जौनपुर, कुशीनगर में एक भी पद खाली नहीं हैं। गौतमबुद्ध नगर, कानपुर देहात, श्रावस्ती में दो-दो, ललितपुर, मैनपुरी में तीन-तीन व बागपत, रामपुर में पांच-पांच पद खाली हैं।

पिछड़े 10 जिले
रायबरेली में विज्ञापन जारी नहीं किया गया। बलरामपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, गाजीपुर, प्रयागराज, भदोही, महोबा, एटा व बस्ती में कई महीने से विज्ञापन जारी कर प्रक्रिया अब तक नहीं पूरी की गई।




व्यावहारिक कारणों से 15-20 मिनट देरी होने पर न करें शिक्षकों पर कार्रवाई, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में योजनाओं की कड़ी निगरानी के दिए निर्देश

कहा- केजीबीवी में महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से करें संवाद


लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने निर्देश दिया है कि 15-20 मिनट की देरी होने पर शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी न किए जाएं। देरी का अव्यावहारिक कारण होने पर ही कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में शिक्षकों का मनोबल नहीं गिरना चाहिए।


वह सोमवार को योजना भवन में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मंत्री ने निर्देश दिया कि शिक्षकों पर अनुचित कार्रवाई या दबाव न बनाया जाए। कंपोजिट ग्रांट हर विद्यालय तक पूरी और समय से पहुंचे। बीएसए खुद एक दिन ब्लॉक पर बैठकर शिकायतों का निस्तारण करें और फील्ड में नियमित रूप से भ्रमण कर वास्तविक स्थिति की समीक्षा करें।

मंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि हर कर्मचारी का वेतन और एरियर समय पर मिले, साथ ही एडेड विद्यालयों में भी वेतन भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो।

उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में लापरवाही व देरी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। आजमगढ़ में योजनाओं की धीमी प्रगति पर उन्होंने बीएसए को सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से संवाद करें। केजीबीवी में खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।


सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित करें

उन्होंने कहा कि बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए 1200 रुपये की डीबीटी राशि शत-प्रतिशत अभिभावकों के खातों में पहुंचे। सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, यूपीएलसी के निदेशक रंजन कुमार, विशेष सचिव अवधेश तिवारी, महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी आदि उपस्थित थे।

योजनाओं में देरी पर तय की जाएगी जिम्मेदारी 
मंत्री संदीप सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं की कड़ी निगरानी की जाए। योजनाओं और उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। एक महीने के अंदर निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा होगी। उस समय कमी व देरी मिलने पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।

विशिष्ट बीटीसी के बचे 35 हजार शिक्षकों को मिले पुरानी पेंशन, एमएलसी के नेतृत्व में अपर मुख्य सचिव से मिला प्रतिनिधिमंडल

विशिष्ट बीटीसी के बचे 35 हजार शिक्षकों को मिले पुरानी पेंशन, एमएलसी के नेतृत्व में अपर मुख्य सचिव से मिला प्रतिनिधिमंडल


लखनऊ। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने 2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने के मामले में बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख् अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा से मुलाकात की। अपर मुख्य सचिव ने सकारात्मक त्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है।


भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक व एमएलसी श्रीचंद शर्मा के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव को बताया कि 2004 बैच से नियुक्त लगभग 35 हजार शिक्षकों की नियुक्ति एक ही विज्ञापन के आधार पर हुई है। इसके बावजूद प्रदेश के 35 हजार शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने में हीलाहवाली की जा रही है। 

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी व प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा कि इसका प्रस्ताव कैबिनेट से पास है फिर भी 35 हजार शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिला है। 


Wednesday, November 19, 2025

वित्तीय वर्ष 2024-25 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत वंचित समस्त वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति भुगतान हेतु संशोधित समय सारिणी निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में

वित्तीय वर्ष 2024-25 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत वंचित समस्त वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति भुगतान हेतु संशोधित समय सारिणी निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में 




जाली दस्तावेज पर मिली नौकरी कई साल की सेवा के बाद भी मानी जाएगी शून्य – हाईकोर्ट

जाली दस्तावेज पर मिली नौकरी कई साल की सेवा के बाद भी मानी जाएगी शून्य – हाईकोर्ट

मुरादाबाद निवासी ने निलंबन और वेतन रोकने के आदेश को दी थी चुनौती

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जाली दस्तावेज के आधार पर मिली नौकरी कई साल की सेवा के बाद भी शून्य मानी जाएगी। धोखाधड़ी हर दूषित कर देती है और गलत तरीके से प्राप्त नियुक्ति को लंबी सेवा भी वैध नहीं बना सकती। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने दीपा मैगलीना की जाली दस्तावेज के आधार पर निलंबन और वेतन रोकने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। 


मुरादाबाद के सेंट जोसेफ गर्ल्स जूनियर हाईस्कूल में दीपा की 1991 में नियुक्ति हुई थी। स्कूल को 2015 में अनुदान प्राप्त स्कूलों की सूची में शामिल कर दिया गया। इसके बाद याची सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्ति प्राप्त की।

इस दौरान एक शिकायत पर जांच की गई और फजी टीईटी प्रमाणपत्र पाए जाने के आधार पर उन्हें निलंबित कर दिया और वेतन रोक दिया। इस फैसले को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि उनकी नियुक्ति 1991 में हुई थी। 2015 में अनुदान सूची में शामिल होने के बाद उनकी नियुक्ति को नियमित किया गया था। यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है। इसलिए उन्हें टीईटी की आवश्यकता से छूट प्राप्त है।

राज्य के वकीलों ने दलील दी कि याची ने 2015 के विज्ञापन के तहत  आवेदन किया था, जिसमें टीईटी योग्यता अनिवार्य थी। नियुक्ति के समय याची ने जो टीईटी प्रमाण पत्र जमा किया था, उसमें उसने 91 अंक बताए थे। बोर्ड से प्राप्त सत्यापन रिपोर्ट के अनुसार याची ने केवल 63 अंक प्राप्त किए थे। इस प्रकार याची है ने जाली प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की।

आखिरकार 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, सामान्य वर्ग ने आरक्षित वर्ग को दोहरे लाभ पर जताई आपत्ति, 16दिसंबर को अगली सुनवाई

आखिरकार 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, सामान्य वर्ग ने आरक्षित वर्ग को दोहरे लाभ पर जताई आपत्ति, 16दिसंबर को अगली सुनवाई 


नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला मामले की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। जस्टिस दीपांकर दत्ता एवं जस्टिस एजी मसीह की पीठ के समक्ष हुई बहस में चयनित सामान्य वर्ग के शिक्षकों की तरफ से अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी टीईटी में उम्र, शुल्क और उत्तीर्णता अंक की छूट ले रहे और यह सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा में भी छूट ले रहे, जो गलत है।

उन्होंने कहा, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दोहरा लाभ नहीं ले सकते। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एक बार कम कटऑफ अंकों का लाभ ले चुके आरक्षित वर्ग को बाद में अधिक अंकों के आधार पर सामान्य श्रेणी का नहीं माना जा सकता। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में वे पक्षकार नहीं थे। हमने कोविड काल में भी सेवाएं दीं, ऐसी स्थिति में हमें हाईकोर्ट में नहीं सुना गया। मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया जाए। इस पर आरक्षित वर्ग के वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकट सुब्रमण्यम गिरी और निधेश गुप्ता ने कहा, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट को गुमराह कर रहे। वे लखनऊ हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में पक्षकार थे। इन्हें नोटिस दिया गया था।


16 दिसंबर को होगी अगली सुनवाईः सुनवाई के दौरान अचयनित सामान्य वर्ग से ईडब्ल्यूएस के मुद्दे को भी उठाया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामला लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश पर है। हमें इसे सुनकर निस्तारित करना है, इसलिए ईडब्ल्यूएस मुद्दे को हम इसमें शामिल करके नहीं सुन सकते। कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस मुद्दे को इस मामले से अलग कर दिया।

दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग का कहना था कि 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की लिस्ट 1 जून 2020 को प्रकाशित हुई तथा आरक्षण घोटाले के तहत यह मामला हाईकोर्ट की एकलपीठ में अगस्त 2020 को पहुंच गया था। इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में आरक्षण नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया और करीब 19,000 सीटों का घोटाला हुआ है। 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर रद्द कर दी थी मेरिट लिस्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को आरक्षण को लेकर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी और सरकार को 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और दोनों पक्षों से जवाब मांगा था। गौरतलब है कि 2018 में यूपी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए अधिसूचना निकाला था।

Monday, November 17, 2025

राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी जारी, 17 नवंबर तक सबमिट कर सकते हैं आपत्तियां

राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी जारी, 17 नवंबर तक सबमिट कर सकते हैं आपत्तियां



राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी आज होगी जारी, 17 नवंबर तक ईमेल के माध्यम से संज्ञान में ला सकते हैं आपत्तियां


प्रयागराज। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा 2026 की संबंधित प्रश्न पुस्तिका की उत्तरमाला कुंजी निर्धारित वेबसाइट http://entdata.co.in पर आज प्रकाशित की जाएगी।

उन्होंने बताया कि परीक्षा नौ नवंबर को आयोजित की गई थी। इच्छुक अभ्यर्थी वेबसाइट पर उपलब्ध उत्तरमाला के क्रम में यदि कोई आपत्ति संज्ञान में लाना चाहते हैं तो शर्तों के अधीन 17 नवंबर शाम छह बजे तक ईमेल के माध्यम से संज्ञान में ला सकते हैं।



NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा


🔴 NMMS के एडमिट कार्ड एक क्लिक में करें डाउनलोड 


यूपी एनएमएमएस प्रवेश पत्र में किसी भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोई भी परिवर्तन न करें, यदि ऐसा पाया जाता है कि आपने प्रवेश पत्र में किसी भी प्रकार की छेड़खानी की है तो आपको परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। सभी अभ्यर्थियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने प्रवेश पत्र का साफ प्रिंट सफेद पेज में ही निकलवाएं।


प्रयागराज :  उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति (यूपी एनएमएमएस) के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। पात्र उम्मीदवार अब यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in के माध्यम से अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

यूपी एनएमएमएस एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए, उम्मीदवारों को वेबसाइट पर अपना आवेदन पंजीकरण संख्या और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा। 


NMMS UP Admit Card 2025: एडमिट कार्ड डाउनलोड प्रक्रिया

यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in पर जाएं।

होमपेज पर, 'एनएमएमएस स्कॉलरशिप हॉल टिकट डाउनलोड' लिंक पर क्लिक करें।

अब अपना लॉगिन विवरण, जैसे आवेदन संख्या, नाम या यूजरनेम नेम और पासवर्ड दर्ज करें।

इसके बाद "सबमिट" बटन पर क्लिक करें।

आपका एडमिट कार्ड स्क्रीन पर दिखाई देगा।

एनएमएमएस यूपी एडमिट कार्ड की एक प्रति डाउनलोड करें और प्रिंट करें।


NMMS UP Exam Date 2025: परीक्षा तिथि
यूपी एनएमएमएस परीक्षा 9 नवंबर, 2025 को निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले अपने एडमिट कार्ड के साथ अपने निर्धारित केंद्रों पर पहुंचना होगा।


NMMS UP पात्रता क्या है?
एनएमएमएस यूपी परीक्षा का आयोजन प्रदेश के पात्र छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए किया जाता है। एनएमएमएस उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति 2025-26 के तहत ऐसे प्रतिभावान और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चयनित किया जाता है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक न हो।

पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी

पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी


लखनऊ। ऑल टीचर्स एम्पलाई वेल्फेयर एसोशिएशन (अटेवा) पेंशन बचाओ मंच ने रविवार को बैठक कर 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।


प्रदेश, मंडल व जिला पदाधिकारियों की शहीद डॉ. रामाशीष सिंह स्मृति भवन में हुई बैठक में रैली के लिए जिम्मेदारियां भी तय की गईं। 

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता के विरोध, ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध में 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी। उन्होंने सभी संगठनों से आह्वान किया कि वे मतभेद भुलाकर एक साथ आएं।

प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि सरकार यूपीएस लाकर देश के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महासंघ महासचिव अशोक कुमार ने कहा कि

सरकार लगातार निजीकरण पर बल दे रही है। इसके कारण सरकारी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। पंचायतीराज सफाई कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में होने वाले स्नातक/शिक्षक निर्वाचन में सभी शिक्षक व कर्मचारी जरूर वोटर बनें ताकि पुरानी पेंशन बहाली की मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को अपनी बात पहुंचा सकें। बैठक में भारत सिंह, डॉ. आशीष वर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार आदि उपस्थित थे। 

मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश

मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश


लखनऊ। प्रदेश में मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से जांच होगी। अनुदानित मदरसों में प्रबंधन से हर माह उपस्थिति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा। ब्रिटेन में जा बसे संदिग्ध मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा का मामला सामने आने पर शासन ने चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।


उत्तर प्रदेश में 561 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। इनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। हाल ही में एटीएस की जांच में मदरसा शिक्षक शमशुल के संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन सामने आए हैं।

वह 2007 से वह ब्रिटेन में रह रहा था और 19 दिसंबर 2013 को उसने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 2007 से 2017 तक बिना उसकी सेवा पुस्तिका की जांच किए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि की गई। इतना ही नहीं 1 अगस्त 2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई।

एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कई अधिकारी फंस गए हैं। साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ऐसी स्थिति दुबारा उत्पन्न न होने देने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। एक-एक शिक्षक की हाजिरी सत्यापित होगी, उसके बाद ही भुगतान होगा।

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मदरसों का औचक मुआयना करके भी देखेंगे कि जिन शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है, वे नियमित मदरसों में आ भी रहे हैं या नहीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के नियम पहले से भी थे, अब इन निर्देशों पर कड़ाई से अमल करना है। ताकि, शमशुल जैसे मामले सामने नहीं आ सके।

एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक (TGT) शिक्षकों को जल्द मिलेगी प्रोन्नति, सरकार ने मांगा प्रस्ताव और सूची

एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक (TGT) शिक्षकों  को जल्द मिलेगी प्रोन्नति, सरकार ने मांगा प्रस्ताव और सूची


लखनऊ। एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी के शिक्षकों को जल्द प्रोन्नति का लाभ मिलने वाला है। सरकार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से ऐसे शिक्षकों की सूची समेत उन्हें प्रोन्नत करने का प्रस्ताव मांगा है।

दरअसल, अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों की एक दशक से भी अधिक समय से पदोन्नति लंबित है। संबंधित संवर्ग के शिक्षक लगातार शासन से प्रोन्नति की मांग कर रहे हैं। शिक्षक नेताओं की ओर से यह मुद्दा विधान परिषद में भी कई बार उठाया जा चुका है। अब शासन स्तर पर ऐसे शिक्षकों की प्रोन्नति की सहमति बनी है। बताया जाता है कि शासन अगले माह के अन्त तक इस प्रकरण को निस्तारित करने का मन बना चुका है।

10 साल की सेवा पर प्रोन्नति के हैं नियमः अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के 10 साल पूरे होने पर टीजीटी स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों की लगातार मांग के बाद शासन ने प्रदेश भर के ऐसे करीब 7400 शिक्षकों को पदोन्नत करने का निर्णय किया है। इसी संदर्भ में शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को विभागीय पत्र भेजकर स्नातक श्रेणी के ऐसे शिक्षक जिनकी पदोन्नति होनी है की संख्या समेत पूरी सूची अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति के नियम है। इसके बाद के 10 वर्षों के पश्चात अर्थात 20 वर्ष की नौकरी पूरी होने पर चयनमान वेतन दिए जाने का प्रावधान है। इसके दो साल बाद यानि पहली पदोन्नति के 12 साल बाद प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने की व्यवस्था है। सामान्य विषयों के शिक्षकों को इस नियम का लाभ मिलता रहा है लेकिन स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों का प्रोन्नत 2015 में यह कहकर रोक दिया या था कि इस संबंध में जारी शासनादेश में इसका कोई प्रावधान नहीं है।



Sunday, November 16, 2025

शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण समाप्त करने पर सख्ती जारी, मांगी रिपोर्ट

शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण समाप्त करने पर सख्ती जारी, मांगी रिपोर्ट 

प्रदेश के शिक्षा विभाग में बिना अनुमति हुए संबद्ध पर गंभीर रुख अपनाते हुए विद्यालय शिक्षा निदेशक (मा०) ने सभी समस्त सम्बन्धित अधिकारियों को कड़ा निर्देश जारी किया है। 13 नवंबर 2025 को जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि कई अध्यापक, अधिकारी और कर्मचारी बिना शासन की अनुमति अपने मूल तैनाती स्थल से हटकर अन्य स्थानों पर कार्य कर रहे हैं। जानकारी न मिलने के कारण विभाग के समक्ष स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है और कई विद्यालयों में शैक्षणिक दायित्व प्रभावित हो रहे हैं।

पत्र में कहा गया है कि यदि किसी अध्यापक, अधिकारी या कर्मचारी को शासन की स्वीकृति के बिना संबद्ध किया गया है, तो ऐसे सभी कर्मियों को तत्काल प्रभाव से उनके मूल तैनाती स्थल पर वापस भेजा जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि जहाँ विद्यालय संचालित नहीं हैं या शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं और विद्यालय संचालन बाधित है, वहाँ समायोजन हेतु शासन से अनुमति प्राप्त कर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। जिन विद्यालयों में शिक्षक तो हैं लेकिन उनकी तैनाती वैध नहीं है तथा विद्यालय संचालन प्रभावित है, वहाँ भी अनुमन्य प्रक्रिया के अनुरूप समायोजन प्रस्ताव मांगे गए हैं।

निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी कार्यवाही तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित की जाए और अनुपालन रिपोर्ट आज ही निर्धारित ईमेल पर भेजी जाए। विभाग ने चेताया है कि बिना अनुमोदन के जारी हुए आदेशों को मान्य नहीं माना जाएगा और शैक्षणिक व्यवस्थाओं को बाधित करने वाले किसी भी अवैध समायोजन या तबादले पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

यह कदम उन लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया गया है जिनमें बताया जा रहा था कि कई जिलों में शिक्षक व कर्मचारी मनमाने ढंग से समायोजन आदेश जारी करवा लेते हैं, जबकि वास्तविक रूप से विभाग को इसकी जानकारी नहीं रहती। शिक्षा विभाग ने इस कार्रवाई को विद्यालयों में शैक्षणिक अनुशासन बहाल करने और पारदर्शिता लाने के लिए आवश्यक बताया है।






शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश 

प्रयागराज/लखनऊ। शासन ने बिना अनुमति किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों के संबद्धीकरण (अटैचमेंट) आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल तैनाती अपर मुख्य सचिव बेसिक स्थान पर वापस भेजा जाए। आदेश के एवं माध्यमिक शिक्षा ने जारी किया आदेश

अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय माध्यमिक संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि संबद्धीकरण समाप्त करने या यथावत रखने से संबंधित जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर उपलब्ध कराएं। 

निदेशक ने कहा कि ऐसे विद्यालय जहां पद सृजित नहीं हैं और विद्यालय संचालन के लिए अध्यापकों को संबद्ध किया गया है, वहां पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए संबद्धीकरण को अस्थायी रूप से जारी रखने का प्रस्ताव शासन को औचित्य सहित भेजा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा विभाग में अनधिकृत संबद्धीकरण की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना और शिक्षण व्यवस्था को नियमित करना है। 



एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फिर से मिल सकेगी अटकी हुई बीमा सुरक्षा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कवायद

एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फिर से मिल सकेगी अटकी हुई बीमा सुरक्षा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कवायद

19 नवंबर को शिक्षक प्रतिनिधियों की बुलाई बैठक स्थगित, अगली तिथि जल्द होगी तय


लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों-कर्मचारियों को नए साल में सामूहिक बीमा सुरक्षा का तोहफा मिल सकता है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसकी कवायद तेज कर दी है। विभाग इस मुद्दे पर शिक्षकों-कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के भी सुझाव लेगा।

एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को पूर्व में सामूहिक बीमा का लाभ दिया जाता था, लेकिन एक दशक से ज्यादा से इन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। शिक्षकों के अनुसार पूर्व में ग्रेड-पे के अनुसार 167 रुपये महीना उनके वेतन से सामूहिक बीमा के लिए कटौती की जाती थी, पर बाद में इसे बंद कर दिया गया। 

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने हाल ही में शिक्षक संगठनों को पत्र भेजकर कहा है कि एलआईसी ने 2019 में अवगत कराया था कि 2013 से सभी समूह बीमा पॉलिसी बंद की जा चुकी है। इसके बाद 2014 से इसे बंद कर दिया गया। लेकिन हाल ही में एलआईसी ने एडेड विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा के लिए नई ग्रुप टर्म एश्योरेंस स्कीम देने की बात कही है। इसके तहत बीमा संरक्षण तो दिया जाएगा, लेकिन सेवानिवृत्ति पर कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।

 शिक्षक-कर्मचारियों की ओर से बीमा सुरक्षा की मांग के क्रम में इस योजना पर विचार के लिए 19 नवंबर को उनके कार्यालय में इसकी बैठक बुलाई गई थी। लेकिन यह बैठक अगली किसी तिथि पर होने की बात पर स्थगित कर दी गई है।  उन्होंने बैठक में अध्यक्ष व मंत्री को खुद या अपना प्रतिनिधि भेजने को कहा है ताकि सकारात्मक निर्णय लिया जा सके।



अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर की बैठक स्थगित 




दिनांक 31.03.2014 के बाद प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर को बैठक 



Saturday, November 15, 2025

अब उच्च शिक्षा निदेशालय में सब कुछ होगा ऑनलाइन, बायोमेट्रिक हाजिरी भी होगी शुरू


अब उच्च शिक्षा निदेशालय में सब कुछ होगा ऑनलाइन, बायोमेट्रिक हाजिरी भी होगी शुरू 

 70 फीसदी दस्तावेज की स्कैनिंग पूरी, अन्य कार्यालयों एवं कॉलेजों में भी होगी व्यवस्था

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और अन्य संबंधित कार्यालयों में आने वाले दिनों में सभी काम ऑनलाइन होंगे। निदेशालय में 70 फीसदी से अधिक दस्तावेज की स्कैनिंग हो चुकी है। इन्हें ऑनलाइन भी किया जा रहा है। उच्च शिक्षा निदेशालय, क्षेत्रीय कार्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों आदि में सभी काम ऑनलाइन करने का आदेश दिया गया है।

इसके तहत निदेशालय में प्रक्रिया तेज कर दी गई है। अफसरों और कर्मचारियों की अलग-अलग टीमें बनाकर विशेषज्ञ एजेंसी की मदद से आवश्यक कार्य कराए जा रहे हैं। संयुक्त निदेशक डॉ. शशी कपूर ने बताया कि निदेशालय में करीब 70 प्रतिशत दस्तावेज ऑनलाइन कर दिए गए हैं। कई काम ऑनलाइन किए जा रहे हैं। जल्द ही सभी दस्तावेज स्कैन कर लिए जाएंगे। इसके बाद सभी काम ऑनलाइन होंगे।


उच्च शिक्षा निदेशालय में सोमवार से बायोमीट्रिक उपस्थिति

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में सोमवार से अफसरों एवं कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिती दर्ज कराने की तैयारी है। सचिव उच्च शिक्षा ने पिछले दिनों समीक्षा बैठक एवं निदेशालय के निरीक्षण के दौरान यह आदेश दिया था। इसी के तहत आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। 95 फीसदी से अधिक अफसरों एवं कर्मचारियों की बायोमीट्रिक पहचान मशीन में दर्ज करा ली गई है। संयुक्त निदेशक डॉ. शशी कपूर का कहना है कि सोमवार से बायोमीट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए परिसर में तीन जगह मशीन लगाई जाएगी। 




उच्च शिक्षा निदेशालय में होगी बायोमीट्रिक उपस्थिति, तीन साल से डटे कर्मचारियों के बदले जाएंगे पटल

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और इसके अन्य कार्यालयों में अफसरों एवं कर्मचारियों की अब बायोमीट्रिक उपस्थिति होगी। अफसरों के लिए निदेशक कक्ष के पास पंचिंग मशीन लगाई जाएगी। वहीं कर्मचारियों के लिए परिसर स्थित दो अन्य भवन में मशीन लगेगी। बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू होने के बाद अफसरों एवं कर्मचारियों के रोजाना आने-जाने का समय भी दर्ज हो जाएगा। 

निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि बायोमीट्रिक उपस्थिति के लिए उपकरण आदि लगाने के लिए टेंडर हो गया है। जल्द ही व्यवस्था लागू होगी। पिछले इस संबंध में पिछले दिनों समीक्षा बैठक में सचिव उच्च शिक्षा ने निर्देश दिए थे। 

 

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में तीन वर्ष या अधिक समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों के पटल बदले जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के कार्य वितरण को लेकर निदेशालय में कई तरह की विसंगतियों की बात कही जा रही है। 

खासतौर पर महिला कर्मचारियों ने उच्च शिक्षा सचिव से मुलाकात कर इसकी शिकायत की थी। डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि निदेशालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों का विवरण मांगा गया है। शासनादेश एवं सचिव के निर्देश के क्रम में कर्मचारियों के पटल परिवर्तित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी। 

Friday, November 14, 2025

Download CISCE Board Exam Date Sheet 2026 सीआईएससीई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 12 फरवरी से, डेटशीट करें डाउनलोड

Download CISCE Board Exam Date Sheet 2026
 सीआईएससीई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 12 फरवरी से, डेटशीट करें डाउनलोड 


नई दिल्ली। काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने 10वीं (आईसीएसई) और 12वीं कक्षा (आईएससी) की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर दी। कक्षा 10 की परीक्षाएं 17 फरवरी से 30 मार्च तक, जबकि कक्षा 12 की परीक्षाएं 12 फरवरी से 6 अप्रैल तक कराई जाएंगी।

सीआईएससीई के मुख्य कार्यकारी और सचिव जोसेफ इमैनुएल ने बताया कि इस बार परीक्षा कार्यक्रम को इस तरह बनाया गया है कि प्रमुख विषयों के बीच पर्याप्त तैयारी का समय मिल सके। 



जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश

जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर सहायक अध्यापिका को जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा के विरुद्ध कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची के जीपीएफ का भुगतान होने तक दोनों का वेतन रोकने का निर्देश भी दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मीना कुमारी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची सहायक अध्यापिका के पद से 31 मार्च 2023 को रिटायर हुई और उसके बाद उनके जीपीएफ को छोड़कर उनके अन्य सेवानिवृत्ति के बाद के सभी देयकों का भुगतान कर दिया गया।

 जीपीएफ के लिए याची ने यह याचिका की तो कोर्ट के आदेश के अनुसरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा से की ओर से की ओर से वित्त एवं लेखा अधिकारी। किया गया। कहा गया कि याची जीपीएफ के लिए पात्र है लेकिन धन की अपर्याप्तता के कारण इसका भुगतान नहीं किया जा सका। 


कोर्ट को वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा द्वारा जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए दिए गए कारण, यानी धन की अपर्याप्तता पर बहुत आश्चर्यजनक और झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल किया जाना चाहिए।


कोर्ट ऑर्डर 👇

Thursday, November 13, 2025

17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम

17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से  बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम


 लखनऊः अब 17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे। इसके लिए 49 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। एक मिनी इंडोर स्टेडियम के निर्माण पर 4.92 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी क्रम में सरकार ने प्रथम किस्त के रूप में प्रत्येक के लिए 2.16 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।


माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा गठित मूल्यांकन समिति ने कुल 19 जिलों के 23 कालेजों के प्रस्तावों की जांच की थी। इनमें से उन्नाव और गाजीपुर के प्रस्ताव भूमि संबंधी कारणों से निरस्त कर दिए गए, जबकि शेष 17 जिलों के 21 कालेजों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है। 


जिन जिलों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे, उनमें कानपुर नगर, मथुरा, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, संभल, हरदोई, बदायूं, अयोध्या, प्रतापगढ़, भदोही, वाराणसी, आगरा और पीलीभीत के एक-एक कालेज शामिल है। वहीं अंबेडकरनगर और गोंडा में दो-दो और बुलंदशहर में तीन राजकीय इंटर कालेजों में मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे। 


मिनी इंडोर स्टेडियमों के निर्माण से विद्यार्थियों को बेहतर खेल सुविधाएं मिलेंगी और विद्यालय स्तर पर खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने विभिन्न जिलों में निर्माण की जिम्मेदारी अलग-अलग कार्यदायी संस्थाओं को सौंपी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग का मानना है कि इन स्टेडियमों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को खेलों में नई ऊंचाइयां हासिल करने का अवसर मिलेगा और प्रदेश में खेल संस्कृति को नई दिशा मिलेगी।

डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम

यूपी बोर्ड परीक्षा की समय सारिणी में बदलाव, अलग-अलग पालियों में होगी हाईस्कूल और इंटर की हिंदी परीक्षा

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 2026 की परीक्षाओं में बदलाव किया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की हिंदी परीक्षा एक ही पाली में रखे जाने से उत्पन्न भ्रम और व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने मंगलवार देर शाम संशोधित समय सारिणी जारी की है। अब 18 फरवरी को सुबह हाईस्कूल और दोपहर में इंटर की परीक्षा होगी

हाईस्कूल की हिंदी व प्रारंभिक हिंदी की परीक्षा पहली पाली में होगी जबकि इंटरमीडिएट की हिंदी व सामान्य हिंदी की परीक्षा दूसरी पाली में आयोजित की जाएगी। इंटरमीडिएट की संस्कृत विषय की परीक्षा 12 मार्च को द्वितीय पाली में आयोजित की जाएगी।

संशोधित परीक्षा कार्यक्रम

18 फरवरी 2026 (प्रथम पाली) हाईस्कूल की हिंदी एवं प्रारंभिक हिंदी परीक्षा

18 फरवरी 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की हिंदी एवं सामान्य हिंदी परीक्षा

12 मार्च 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की संस्कृत परीक्षा

 नोट : शेष सभी विषयों की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होंगी।


45 लाख से अधिक परीक्षार्थियों की एक साथ परीक्षा होने से बना था संकट

प्रयागराज। पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार 18 फरवरी को सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की हिंदी विषय की परीक्षा एक साथ एक ही पाली में रखी गई थी। इससे परीक्षा केंद्रों पर 45 लाख से अधिक छात्रों के एक साथ बैठने की स्थिति बन रही थी जो न केवल प्रशासनिक रूप से कठिन थी, बल्कि परीक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकती थी।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि यह निर्णय परीक्षा व्यवस्था को सुचारु और व्यवस्थित रखने के लिए लिया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं अलग-अलग पालियों में कराने से किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या ओवरलैपिंग की स्थिति नहीं बनेगी। शेष परीक्षाएं पूर्व निर्धारित तिथियों पर ही होंगी।


डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम  









यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से 12 मार्च 2026 तक

प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बुधवार को वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित कर दिए। दोनों परीक्षाएं एक साथ 18 फरवरी 2026 से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2026 को समाप्त होंगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षाएं पूर्ववत दो पालियों में होंगी। पहली पाली सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर 2:00 से शाम 5:15 बजे तक होगी।

हाईस्कूल की परीक्षा 18 फरवरी को हिंदी विषय से शुरू होकर 12 मार्च को कृषि विषय के साथ समाप्त होगी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 18 फरवरी को सामान्य हिंदी से आरंभ होकर 12 मार्च को कंप्यूटर विषय की परीक्षा के साथ संपन्न होगी। बोर्ड के अनुसार, इस बार विद्यार्थियों को मुख्य विषयों की तैयारी के लिए परीक्षा के दौरान पर्याप्त अंतराल मिलेगा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की परीक्षाएं कुल 15 कार्य दिवसों में पूरी की जाएंगी। 


52 लाख से अधिक परीक्षार्थी हैं पंजीकृत

इस वर्ष कुल 52,30,297 विद्यार्थी यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में 27,50,945 (बालक 14,38,682 व बालिका 13,12,263) तथा इंटर में 24,79,352 विद्यार्थी (बालक 13,03,012 और बालिका 11,76,340) शामिल हैं। बोर्ड ने सभी विद्यालयों को समय से तैयारी पूर्ण करने तथा प्रैक्टिकल्स के आयोजन के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।



UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें