DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, December 14, 2025

वर्ष 2026 की परीक्षा के लिये केन्द्र व्यवस्थापकों, वाह्य केन्द्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों एवं परीक्षकों की नियुक्ति हेतु समस्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डेटा अपलोड/अपडेट कराये जाने के सम्बन्ध में।

वर्ष 2026 की परीक्षा के लिये केन्द्र व्यवस्थापकों, वाह्य केन्द्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों एवं परीक्षकों की नियुक्ति हेतु समस्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डेटा अपलोड/अपडेट कराये जाने के सम्बन्ध में।





यूपी बोर्ड परीक्षा : 15 दिसंबर तक शिक्षकों का अद्यतन विवरण अपलोड करना अनिवार्य

प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं का कार्यक्रम घोषित होने के बाद अब परीक्षा व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। परिषद के सचिव भगवती सिंह ने सभी केंद्र व्यवस्थापकों, बाह्य केंद्र व्यवस्थापकों, प्रयोगात्मक परीक्षकों, कक्ष निरीक्षकों और मूल्यांकन परीक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने हेतु प्रदेश के समस्त प्रधानाचार्यों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।

सचिव ने स्पष्ट किया कि प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करें कि उनके विद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षकों का अद्यतन विवरण परिषद की वेबसाइट पर समय से अपलोड कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि विवरण अपलोड करते समय एक बार पुनः पूर्ण सतर्कता एवं गहनता से जांच अवश्य की जाए। विशेष रूप से शिक्षक का नाम, पदनाम, - जन्मतिथि, नियुक्ति तिथि, मोबाइल नंबर, शैक्षिक अर्हता तथा हाईस्कूल अथवा इंटरमीडिएट के जिस विषय के लिए उनकी नियुक्ति हुई है, उस विषय का नाम और सही कोड दर्ज किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में कोई शिक्षक गलत विषय में परीक्षक के रूप में न चुना जाए और न ही कोई अपात्र शिक्षक चयनित हो सके। साथ ही एक शिक्षक का विवरण एक से अधिक विद्यालयों से अग्रसारित नहीं होना चाहिए। यदि प्रधानाचार्य द्वारा अपलोड की गई गलत या भ्रामक जानकारी के आधार पर कोई अयोग्य शिक्षक परीक्षक नियुक्त होता है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित प्रधानाचार्य की होगी।

परिषद की वेबसाइट पर शिक्षकों के विवरण अपलोड एवं अपडेट करने की प्रक्रिया 15 दिसंबर तक सक्रिय रहेगी। सचिव ने सभी विद्यालयों से निर्धारित समय सीमा के भीतर यह कार्य पूर्ण करने की अपील की है, ताकि आगामी परीक्षाएं पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराई जा सकें। 



14 से 22 दिसंबर तक यूपी के 33 जिलों में चलेगा सघन पल्स पोलियो अभियान

33 जिलों में आज से चलेगा पल्स पोलियो अभियान

14 दिसंबर 2025
लखनऊ। प्रदेश को पोलियो मुक्त बनाए रखने के संकल्प के साथ प्राथमिकता वाले 33 जिलों में रविवार से सघन पल्स पोलियो अभियान शुरू हो रहा है। यह अभियान 22 दिसंबर तक चलेगा। परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने बताया कि अभियान का मुख्य लक्ष्य 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक देना है।

 उन्होने बताया कि चिह्नित जिलों में शून्य से पांच साल तक के 1.33 करोड़ बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने पांच साल तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से हर साल पोलियो की खुराक पिलाएं। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले दिन 44726 बूथ लगाए जाएंगे। इसके बाद 22 दिसंबर तक 29360 टीमें तथा 10686 पर्यवेक्षक घर-घर जाकर शून्य से पांच साल तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाएंगे। 



14 से 22 दिसंबर तक यूपी के 33 जिलों में  चलेगा सघन पल्स पोलियो अभियान

 1.33 करोड़ बच्चों को पिलाई जाएगी दो बूंद जिंदगी की


लखनऊ। प्रदेश के 33 जिलों में 14 से 22 दिसंबर तक पांच वर्ष तक की उम्र वाले 1.33 करोड़ बच्चों को पोलियो ड्राप पिलाया जाएगा। अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो ड्राप पिलाएंगी।


प्रदेश 15 वर्ष पहले ही पोलियो मुक्त हो चुका है। राज्य में आखिरी पोलियो का मामला 21 अप्रैल 2010 को फिरोजाबाद में मिला था, लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में अब भी पोलियो संक्रमण बना हुआ है। प्रदेश में दोबारा संक्रमण का खतरा न हो, इसलिए हर वर्ष चिह्नित जिलों में पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है।

केंद्र सरकार की ओर से चयनित 33 जिलों में इस बार 1.33 करोड़ बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। अभियान के पहले दिन 44726 पोलियो बूथ स्थापित किए जाएंगे। इसके बाद 22 दिसंबर तक 29360 टीमें और 10686 पर्यवेक्षक घर-घर जाकर सभी पात्र बच्चों को दवा पिलाएंगे।

घुमंतू, मलिन बस्तियों, ईंट भट्ठों, निर्माण स्थलों और फैक्टरियों में रह रही आबादी पोलियो संक्रमण के प्रसार के प्रति अधिक संवेदनशील मानी जाती है। इसी कारण प्रदेश के 16194 घुमंतू एवं प्रवासी क्षेत्रों में 460,489 परिवारों को चिह्नित किया गया है। सीमा क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतते हुए नेपाल बॉर्डर पर 30 टीकाकरण पोस्ट स्थापित किए गए हैं। साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सोमालिया, सीरिया, कैमरून, केन्या और इथियोपिया जैसे पोलियो प्रभावित देशों से आने जाने वाले सभी यात्रियों को भी सावधानीपूर्वक पोलियो वैक्सीन दी जा रही है।


यहां चलेगा अभियान

आगरा, अंबेडकरनगर, अमेठी, अयोध्या, बदायूं, भदोही, बांदा, चंदौली, इटावा, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, हमीरपुर, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, कुशीनगर, ललितपुर, लखनऊ, महोबा, मऊ, मथुरा, मिर्जापुर, पीलीभीत, सोनभद्र, उन्नाव एवं वाराणसी।

अंग्रेजी मीडियम के बच्चे हिन्दी में छपे पेपर से दे रहे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा, 10 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील करने को भूल गया विभाग?

अंग्रेजी मीडियम के बच्चे हिन्दी में छपे पेपर से दे रहे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा, 10 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील करने को भूल गया विभाग?

 प्रदेश के अंग्रेजी मीडियम प्राइमरी स्कूलों में हिन्दी के पेपर से परीक्षा, किताबें अंग्रेजी में थीं

15  हजार बच्चे 100 स्कूलों में लखनऊ के नामांकित हैं

स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की किताबें दीं, पढ़ाई भी इन्हीं किताबों से हुई और पेपर हिन्दी में दे दिया

लखनऊ। अंग्रेजी मीडियम वाले प्राइमरी स्कूल के बच्चे हिन्दी में छपे प्रश्न पत्र से परीक्षा दे रहे हैं। अंग्रेजी मीडियम के इन स्कूलों को किताबें अंग्रेजी मीडियम की दी गईं। कक्षाओं में इन्हीं किताबों से शिक्षकों ने पढ़ाई करायी। अधिकांश अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूलों में बच्चों की अर्द्ध वार्षिक परीक्षा हिन्दी में छपे हुए प्रश्न पत्र से करायी जा रही है। भाषा बदलने से बहुत से बच्चों को प्रश्न पत्र के सवाल समझने में दिक्कतें हो रही हैं। ये हॉल लखनऊ का अकेले नहीं है। बल्कि ये समस्या प्रदेश भर में संचालित अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में है। बच्चों ने गणित, विज्ञान, ईवीएस आदि विषयों की परीक्षा हिन्दी वाले पेपर से दी है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग को इन स्कूलों को हिन्दी मीडियम में कर देना चाहिए।


शासन ने वर्ष 2018 व 19 में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को कॉन्वेंट की तर्ज पर अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिये प्रदेश के 10 हजार से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील किया था। इन स्कूलों के बच्चों को किताबें भी अंग्रेजी मीडियम की मुहैया करायी जा रही हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिये स्कूलों में अंग्रेजी में दक्ष विषयों के योग्य शिक्षक तैनात किये गए। इसी के तहत लखनऊ में पहले से संचालित 100 से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल अंग्रेजी मीडियम बनाए गए। इन स्कूलों में 15 हजार से अधिक बच्चे नामांकित हैं।

मीडियम बदलने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई

शिक्षकों का कहना है कि हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया के चक्कर में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अधिकांश बच्चों को अंग्रेजी के किताबें पढ़ने में दिक्कत हो रही है। इन्हें अंग्रेजी में इतिहास, भूगोल, विज्ञान और गणित आदि की किताबें पढ़ना तो दूर अल्फाबेट और टेबिल का ज्ञान नहीं है। ऐसे बच्चों को पढ़ाने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। बच्चे भी इस कारण पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं।


शिक्षकों का कहना है कि अंग्रेजी मीडियम के स्कूल होने के नाते विभाग से यहां किताबें अंग्रेजी मीडियम की दी। शिक्षकों ने सभी बच्चों को इन्हीं किताबों से पढ़ाई करायी। अब अर्द्धवार्षिक परीक्षा में लखनऊ के आधे से अधिक इन स्कूलों में प्रश्न पत्र हिन्दी में छपवाकर दे दिया। इन स्कूल के बच्चों को प्रश्न पत्र समझने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। शिक्षक भी परेशान हैं कि कापियों का मूल्यांकन कैसे करेंगे? जब किताबें और पढ़ाई इन किताबों से करायी है तो प्रश्न पत्र भी उसी भाषा का देना चाहिए।


मौका ही नहीं मिल रहा तो टीईटी कैसे करें ? यूपी में तीन साल से TET परीक्षा ही नहीं हुई, CTЕТ मे B.Ed और BPEd वालों के विकल्प ही नहीं

मौका ही नहीं मिल रहा तो टीईटी कैसे करें ? यूपी में तीन साल से TET परीक्षा ही नहीं हुई, CTЕТ मे B.Ed और BPEd वालों के विकल्प ही नहीं


लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आठवी कक्षा तक पढ़ाने के लिए सभी शिक्षकों को TET पास करना अनिवार्य है। दो साल के अंदर ऐसा न करने पर उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। अब शिक्षकों की दिक्कत ये है कि TET करें तो कैसे ? प्रदेश का हाल ये है कि तीन साल से UPTET परीक्षा ही नहीं हुई। अब CTET उम्मीद थी। वह परीक्षा होने जा रही है, लेकिन उसके लिए आवेदन में B.Ed शिक्षकों के लिए कोई विकल्प ही नहीं है। 

सबके लिए अनिवार्य है TET
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने के लिए हर शिक्षक को बीएड/बीटीसी के साथ ही TET करना अनिवार्य है। यह अधिनियम 2011 में लागू किया गया था। उससे पहले जो शिक्षक पढ़ा रहे है, उनके लिए उस समय TET' अनिवार्य नहीं थी। इसी को आधार बनाकर शिक्षक सुप्रीम कोर्ट तक गए। शिक्षकों का तर्क था कि जब | उनकी नौकरी लगी थी, उस समय TET' की अनिवार्यता नहीं थी। अब उन पर TET कैसे थोपा जा सकता है?

 सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर को आदेश दिया कि NCTE की गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है। सभी को TET करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें से सिर्फ उन शिक्षकों को छूट दी है जिनको रिटायर होने में पांच साल से कम वक्त बचा है। बाकी सभी शिक्षकों को दो साल के भीतर TET करना जरूरी होगा।

शिक्षकों का कहना है कि TET का आदेश ही अव्यावहारिक है। दूसरी बात यह कि जो शिक्षक या शिक्षक बनने के इच्छुक अन्य बेरोजगार युवा TET करना चाहते है, तो उसके लिए तो सरकार को व्यवस्था करनी होगी। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि सरकार को TET परीक्षा करवाकर उन्हें मौका देना चाहिए। नियमानुसार साल में दो बार TET परीक्षा होनी चाहिए। प्रदेश में आखिरी बार 2021 में UPTET के लिए आवेदन मांगे गए थे। उसमें भी पेपर लीक हो गया था। वह परीक्षा आखिरी बार 2022 में हुई थी। तब से अब तक UPTET नहीं हुई। प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह कहते हैं कि CTET में भी B.Ed और BPEd वालों को मौका देना चाहिए। पुराने ज्यादातर शिक्षकों के पास यही डिग्रियां है।

कैसे आया नौकरी पर संकट ?
बेसिक शिक्षा परिषद में ही ऐसे करीब डेढ़ लाख शिक्षक है, जिन्होंने अब तक TET नहीं किया है। वे ज्यादातर 2011 के पहले के भर्ती है। कई तो ऐसे है, जब शैक्षिक अर्हता इंटर और BTC होती थी। उनके लिए TET अनिवार्य नहीं थी? वहीं कई मृतक आश्रित है, जिन्होंने TET करें? तीन साल से यूपी में कोई TET परीक्षा नहीं हुई। बेसिक शिक्षा परिषद के अलावा अन्य एडेड और प्राइवेट स्कूलों में भी इन कक्षाओं को पढ़ाने के लिए TET अनिवार्य है। वे भी इंतजार कर रहे है। लाखों की संख्या में युवा TET के इंतजार में है। B.Ed डिग्री वाले भी शिक्षक है। अब CTET का मौका आया तो आवेदन फार्म में उनके लिए विकल्प ही नहीं है।

आयोग नहीं करवा सका परीक्षा 
पहले TET करवाने का जिम्मा परीक्षा नियामक प्राधिकारी का होता था। अब सरकार ने शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित कर दिया गया है। यह आयोग 2023 में गठित भी हो गया, लेकिन तब से एक भी परीक्षा नहीं कर पाया है। प्रफेसर कीर्ति पांडेय 1 सितंबर 2024 को आयोग की अध्यक्ष बनाई गई थीं। वह भी 26 सितंबर 2025 को हट गई, लेकिन अब तक कोई परीक्षा नहीं करवा पाया है।



क्या बीएड वाले भी भर सकते हैं CTET का फॉर्म? कंफ्यूजन पर NCTE ने दिया स्पष्टीकरण

BEd Eligibility In CTET 2026: राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने सोशल मीडिया पर चल रही उन सभी "गलत खबरों" को सख्ती से नकार दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि सीटेट 2026 के लिए बीएड फिर से मान्य कर दिया गया है। परिषद ने साफ कहा है कि उसने अपनी वेबसाइट या किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीटेट 2026 के प्राथमिक स्तर (पेपर 1) में बीएड को पात्रता मानदंड में वापस जोड़ने को लेकर कोई नोटिस या आधिकारिक जानकारी जारी नहीं की है।

NCTE ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा, "NCTE ने अपनी वेबसाइट ncte.gov.in या किसी सोशल मीडिया चैनल NCTE_Official (X अकाउंट) पर पेपर 1 (प्राथमिक स्तर) सीटेट 2026 के लिए बीएड पात्रता की बहाली से संबंधित कोई भी सार्वजनिक नोटिस या आधिकारिक परिपत्र जारी नहीं किया है।"


चालू है सीटेट 2026 के लिए आवेदन प्रक्रिया

सीटेट 2026 एक राष्ट्रीय परीक्षा है, जिसके जरिए केंद्र सरकार के स्कूलों, जैसे केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय तथा अन्य संस्थान जो सीटेट स्कोर मानते हैं, में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता जांची जाती है।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सीटेट फरवरी 2026 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। योग्य उम्मीदवार 18 दिसंबर तक सीटेट फरवरी 2026 सत्र के लिए आधिकारिक वेबसाइट ctet.nic.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।




कम होने का नाम नहीं ले रही बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की परेशानियां, नहीं भर पा रहे सीटीईटी का आवेदन 

लखनऊ, परिषदीय स्कूलों के बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। टीईटी अनिवार्यता के सुप्रीम आदेश के बाद से जिन शिक्षकों के पास टीईटी नहीं है, उन्हें दो वर्षों में टीईटी उत्तीर्ण करना जरूरी है। प्राइमरी से जूनियर में पदोन्नति के लिए भी टीईटी जरूरी है, लेकिन पिछले दो सालों से प्रदेश में टीईटी के लिए आवेदन तक नहीं लिए गए हैं, जबकि सीटीईटी (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) के फार्म निकल चुके हैं। इसके लिए 18 दिसंबर अंतिम तिथि निर्धारित है, लेकिन बीएड पास शिक्षक आवेदन भी नहीं भर पा रहे हैं। 


सीटीईटी आवेदन फार्म में प्राइमरी स्तर (कक्षा 1–5) के लिए बीएड डिग्रीधारियों का विकल्प ही नहीं है, क्योंकि एनसीटीई के नियमों के अनुसार प्राइमरी शिक्षक के लिए केवल डीएलएड (बीटीसी) ही मान्य योग्यता है।

इस कारण प्रदेश के करीब पौने दो लाख बीएड शिक्षक, जो पहले से प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत हैं और टीईटी अनिवार्यता के दायरे में आते हैं, लेकिन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। 

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सिंह का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी अनिवार्य कर रखा है, तो पहले से प्राथमिक विद्यालयों में बीएड के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को आवेदन का विकल्प मिलना चाहिए। 

यूपी टीईटी वर्ष में दो बार होनी चाहिए, लेकिन दो साल से परीक्षा ही नहीं कराई गई है। इसके साथ ही बीएड करने वाले वे शिक्षक जिन्होंने विशिष्ट बीटीसी का छह माह का ब्रिज कोर्स अभी तक नहीं किया है, वे भी संकट में हैं।

बीएड विशेष शिक्षा के अभ्यर्थी भी TGT-PGT के लिए पात्र, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया

बीएड विशेष शिक्षा के अभ्यर्थी भी TGT-PGT के लिए पात्र, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया

सरकार और डीएसएसएसबी की याचिका खारिज की, कैट का आदेश बरकरार


नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षक भर्ती से जुड़े अहम फैसले में स्पष्ट किया कि बीएड (स्पेशल एजुकेशन) डिग्रीधारक उम्मीदवार को टीजीटी/पीजीटी (सामान्य विषयों) के पदों के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। बशर्ते भर्ती विज्ञापन में इस योग्यता को बाहर न किया गया हो।

न्यायमूर्ति नवीन चावला एवं न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने दिल्ली सरकार और दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड आदि की याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेशों को बरकरार रखा। याचिका में कैट के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिनमें बीएड (स्पेशल एजुकेशन) की डिग्रीधारक उम्मीदवारों को टीजीटी, पीजीटी के पदों के लिए पात्र माना गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि बीएड (जनरल) और बीएड (स्पेशल एजुकेशन) अलग-अलग योग्यताए हैं।


विज्ञापन में कोई रोक नहीं है, तो बाद में उम्मीदवार अयोग्य नहीं : हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षक भर्ती से जुड़े एक फैसले में कहा कि बी. एड. (स्पेशल एजुकेशन) केवल विशेष शिक्षकों के पदों तक सीमित है। मगर पीठ ने कहा कि संबंधित भर्ती विज्ञापनों में कहीं भी बी. एड. (स्पेशल एजुकेशन) को अपात्र घोषित नहीं किया गया था। विज्ञापन में केवल डिग्री/डिप्लोमा इन टीचिंग की शर्त थी, जिसे बी.एड. (स्पेशल एजुकेशन) वाले उम्मीदवार भी पूरा करते हैं। पीठ ने कहा कि जब विज्ञापन में कोई रोक नहीं है, तो बाद में उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराना उचित नहीं है। 

पीठ ने कहा भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) के हलफनामे का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि बी.एड. (स्पेशल एजुकेशन) धारक सामान्य छात्रों को पढ़ाने में भी सक्षम होते हैं। उन्हें अतिरिक्त प्रशिक्षण प्राप्त होता है। इस महत्वपूर्ण मामले में प्रतिवादी उमा रानी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने अपनी टीम के साथ पैरवी की। पीठ ने उनके तर्कों को स्वीकार करते हुए कैट के आदेशों को सही ठहराया है। व्यापक प्रभावयह निर्णय शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में स्पष्टता व निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा। साथ ही इससे हजारों उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है।

शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी के बहिष्कार का किया एलान, अखिल भारतीय शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने कहा-थोपी जा रही व्यवस्था, पहले शिक्षकों की उचित मांगें पूरी करने का किया आग्रह

शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी के बहिष्कार का किया एलान,  अखिल भारतीय शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने कहा-थोपी जा रही व्यवस्था, पहले शिक्षकों की उचित मांगें पूरी करने का किया आग्रह


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के लिए ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था लागू करने की तैयारी के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने शिक्षकों की उचित मांगें बिना पूरी किए ऑनलाइन हाजिरी के बहिष्कार की घोषणा की है।

शिक्षक नेताओं ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को भेजे पत्र में कहा है कि चार दिसंबर को परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को लागू करने से पहले हुई बैठक में शिक्षकों को भी बुलाकर उनके सुझाव लिए गए थे। पर, विना शिक्षकों की समस्याओं का समाधान किए ही इस व्यवस्था को थोपा जा रहा है। मोर्चा के घटक उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी व उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (तिवारी गुट) के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने कहा कि शासन के इस निर्णय से शिक्षक आहत व आक्रोशित हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्व में तत्कालीन मुख्य सचिव के साथ हुई वार्ता में इस व्यवस्था को इसलिए स्थगित किया गया था कि शिक्षकों की समस्याओं का पहले समाधान किया जाए। उच्च न्यायालय ने भी शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने की कार्ययोजना पेश करने को कहा है न कि इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षक नेताओं ने कहा, मनमाना आदेश जारी करने से शिक्षकों को आंदोलन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कहा, पहले शिक्षकों को आधे दिन का अवकाश, ईएल-सीएल, मेडिकल व बीमा की सुविधा देने जैसी मांगे पूरी का जाए। कह, इस निर्णय में उनके साथ सभी शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक हैं।


Saturday, December 13, 2025

मानव संपदा पोर्टल पर मॉड्यूल खुला, कई बदलावों के बाद बेसिक शिक्षकों को चयन वेतनमान जल्द मिलने की उम्मीद

मानव संपदा पोर्टल पर मॉड्यूल खुला, कई बदलावों के बाद बेसिक शिक्षकों को चयन वेतनमान जल्द मिलने की उम्मीद


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को पारदर्शी तरीके से निस्तारित करने के लिए मानव संपदा पोर्टल शुक्रवार को फिर से शुरू कर दिया गया। पोर्टल के तकनीकी अपडेट की वजह से यह पिछले 25 दिनों से बंद था, जिससे हजारों शिक्षक प्रभावित हुए थे।

पोर्टल बंद रहने के कारण 10 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके लगभग 55 से 60 हजार शिक्षक चयन वेतनमान के लाभ से अभी तक वंचित थे। अब पोर्टल खुलने के बाद प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी।

वर्तमान में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) स्तर पर केवल प्राथमिक सहायक अध्यापकों की सूची ही दिखाई दे रही है। इससे पहले बीईओ और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) स्तर पर जो काम पूरा हुआ था, वह अब शून्य हो गया है। अधिकारियों को नई सूची दोबारा तैयार करनी होगी।

शिक्षकों का कहना है कि 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले सभी शिक्षकों का चयन वेतनमान पोर्टल पर तुरंत चढ़ाया जाए और जल्द भुगतान किया जाए, ताकि उन्हें राहत मिल सके। पोर्टल पहले की अपेक्षा अब अधिक सरल बताया जा रहा है, जिससे प्रक्रियाएं तेज होने की उम्मीद है।




चयनवेतन अपडेट

1. जिन जनपदों में किसी भी कार्यालय के L1 या L2 पर कोई आवदेन लम्बित था, सभी को निरस्त कर दिया गया है।

2. पोर्टल नए कलेवर एवं सुधारों के साथ तैयार हुआ है ।

3. सर्वप्रथम AT प्राइमरी के डेटा पर टेस्टिंग के विकल्प दिए गए हैं।

4. वर्तमान प्रक्रिया में इफेक्टिव आर्डर डेट की व्यवस्था जोड़ी गयी है।

5. किसी भी एक्टिविटी से पहले सम्बंधित कैडर के सभी कार्मिकों की e-सेवापुस्तिका अद्यावधिक किया जाना अनिवार्य होगा।

6. जल्द ही अन्य कैडर खोले जाएंगे।

7. पोर्टल पर गतवर्ष से लंबित पात्रों (HT PS/AT UPS) के लिए अभी विकल्प अनुपलब्ध हैं।

8. कोई त्रुटिपूर्ण/तैयार किया गया डेटा/लिस्ट/बैच आज रात्रि में वाशआउट कर दिया जाएगा।

9. जनपदीय उन्मुखीकरण के साथ चयनवेतन प्रक्रिया को मिलेगी नई रफ़्तार।

10. आदेश डिजिटल रूप में होंगे जारी।

उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक वाला बिल मंजूर, प्रस्तावित विधेयक अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा

उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक वाला बिल मंजूर, प्रस्तावित विधेयक अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा

12 दिसम्बर 2025
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूजीसी और एआईसीटीई जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करने वाले विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।

प्रस्तावित विधेयक जिसे पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक नाम दिया गया था, अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित एकल उच्च शिक्षा नियामक का उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को प्रतिस्थापित करना है।

अधिकारी ने बताया, विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण की स्थापना से संबंधित विधेयक को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा क्षेत्र की, जबकि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करती है और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है।

मेडिकल-लॉ कॉलेज दायरे में नहीं : प्रस्तावित आयोग को उच्च शिक्षा के एकल नियामक के रूप में स्थापित किया जाएगा, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे। इसके तीन प्रमुख कार्य प्रस्तावित हैं-विनियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानक निर्धारण। वित्त पोषण, जिसे चौथा क्षेत्र माना जाता है, अभी तक नियामक के अधीन प्रस्तावित नहीं है।




HECI : बनेगा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग, UGC, NCTE और AICTE जैसी संस्थाओं की जगह लेगा नया आयोग

23 नवंबर 2025
नई दिल्ली : सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश करने के लिए कुल 10 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक भी सरकार के एजेंडे में है। प्रस्तावित कानून के जरिये उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना की जाएगी। प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) जैसी संस्थाओं की जगह लेगा और उच्च शिक्षा के एकीकृत नियामक के तौर पर काम करेगा। संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू हो रहा है। 


लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआइ) यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा। इस समय यूजीसी गैर तकनीकी उच्च शिक्षा का नियामक है, जबकि एआइसीटीई तकनीकी शिक्षा का नियमन करता है और एनसीटीई अध्यापक शिक्षा का नियामक निकाय है। 


एचईसीआइ को एकल उच्च शिक्षा विनियामक के तौर पर स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन चिकित्सा और विधि महाविद्यालयों को इसके दायरे में नहीं लाया जाएगा। इस आयोग की तीन भूमिकाएं-नियमन, मान्यता और मानक तय करने की है।

Friday, December 12, 2025

एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में शिक्षक प्रतिनिधिमंडल ने टीईटी मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री से छूट देने की मांग की

एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में शिक्षक प्रतिनिधिमंडल ने टीईटी मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री से छूट देने की मांग की





टीईटी की अनिवार्यता के मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिले शिक्षक, एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने टीईटी मामले में छूट देने की मांग की


लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिला। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने उनसे शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) मामले में शिक्षकों को छूट देने की मांग की। धर्मेंद्र प्रधान ने इस मामले में सकारात्मक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।


शिक्षकों ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि टीईटी की अनिवार्यता के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश भर के लाखों शिक्षक फैसले से प्रभावित हो रहे हैं। अलग-अलग संगठन इस मामले में छूट देने के लिए दिल्ली में धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ऐसे में लाखों अनुभवी शिक्षकों की नौकरी पर कोई खतरा न हो इस पर केंद्र सरकार जल्द निर्णय ले। 


प्रतिनिधिमंडल में संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बासवराज गुरिकर, अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश त्यागी, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी, उमाशंकर सिंह, संदीप पवार, गुलाब सिंह, अवधेश त्रिपाठी, वीरेंद्र सिंह, बलवंत सिंह आदि शामिल थे। 

वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु अंशदायी पेंशन स्कीम योजनान्तर्गत अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अंशदायी पेंशन स्कीम के लिए सरकारी अंशदान पर व्यय हेतु आंवटित धनराशि का उपभोग / व्यय किये जाने के सम्बन्ध में।

वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु अंशदायी पेंशन स्कीम योजनान्तर्गत अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अंशदायी पेंशन स्कीम के लिए सरकारी अंशदान पर व्यय हेतु आंवटित धनराशि का उपभोग / व्यय किये जाने के सम्बन्ध में।





स्थानांतरण प्रमाणपत्र से तय नहीं की जा सकती उम्र : हाईकोर्ट

स्थानांतरण प्रमाणपत्र से तय नहीं की जा सकती उम्र : हाईकोर्ट

कोर्ट ने कन्नौज की बाल कल्याण समिति का आदेश किया रद्द

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि स्कूल का स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) जन्म प्रमाणपत्र नहीं है। इसके आधार पर किसी की उम्र तय नहीं की जा सकती। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति जफीर अहमद की खंडपीठ ने कन्नौज की बाल कल्याण समिति की ओर से टीसी के आधार पर बालिग पीड़िता को बाल गृह (बालिका) भेजे जाने वाले आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही उसे तत्काल रिहा करते हुए उसकी स्वतंत्र इच्छा से जाने देने का आदेश दिया है।


कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जेजे एक्ट की धारा-94 के तहत टीसी जन्म प्रमाणपत्र के आवश्यक तत्वों को पूरा नहीं करता। इसे जन्म प्रमाणपत्र नहीं माना जा सकता। मामला ऐसे दंपती से जुड़ा है, जिन्होंने 2023 में शादी की थी। पीड़िता ने कोर्ट में स्पष्ट कहा कि वह 19 वर्ष की है।

मेडिकल जांच व आधार कार्ड के आधार पर भी वह बालिग है। इसके बावजूद बाल कल्याण समिति ने स्कूल के टीसी के आधार पर उसे नाबालिग मानते हुए कानपुर नगर स्थित सरकारी बालगृह भेज दिया।

इसके खिलाफ पीड़िता और उसके पति ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर रिहाई की मांग की। वहीं, याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता ने प्रारंभिक आपत्ति उठाई। कहा, बाल कल्याण समिति न्यायिक शक्तियों वाला प्राधिकरण है। इसके खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है।

हालांकि, कोर्ट ने राज्य की इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। कहा कि अगर हिरासत में भेजे जाने का आदेश अधिकार क्षेत्र के बाहर पारित हुआ है तो हाईकोर्ट को याचिका सुनने का पूरा अधिकार है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय है। कोर्ट ने पाया कि बाल कल्याण समिति ने न तो स्कूल रिकॉर्ड की प्रामाणिकता की जांच की, न प्रधानाचार्य का बयान लिया और न ही दस्तावेज को कानूनी प्रकिया के मुताबिक सिद्ध कराया।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर शिक्षकों ने अध्यादेश लाकर टीईटी अनिवार्यता से मांगी छूट

दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर शिक्षकों ने अध्यादेश लाकर टीईटी अनिवार्यता से मांगी छूट

शिक्षकों ने दिल्ली में जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन एआईपीटीएफ के बैनर तले आंदोलन में जुटे 3 लाख शिक्षक

लखनऊ । टीईटी अनिवार्यता के विरोध में गुरुवार को यूपी समेत देश भर के तीन लाख से अधिक शिक्षकों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। देश भर के शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (एआईपीटीएफ) के बैनर तले हुए इस आन्दोलन ने केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की।


संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय ने बताया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि निपुण भारत मिशन, पीएम श्री विद्यालय, अटल आवासीय विद्यालय में शिक्षकों द्वारा सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। पिछले कई वर्षों से नवीन तकनीकी से प्रशिक्षण के फलस्वरुप शिक्षक बच्चों को स्मार्ट क्लास से अत्याधुनिक शिक्षा, विभिन्न शैक्षिक कौशल सिखा रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक तनावग्रस्त व गंभीर पीड़ा से गुजर रहे हैं।

 लंबे कुशल शिक्षक अनुभव व विभागीय प्रशिक्षण प्राप्त उत्तर प्रदेश सहित बिहार पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक आदि प्रदेशों से 12 सौ, 15 सौ किलोमीटर यात्रा कर देशभर के शिक्षक टीईटी अनिवार्यता से छूट के लिए दिल्ली में एकत्र हुए हैं, जिनका सम्मान करते हुए सरकार को तत्काल इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे उत्तर प्रदेश के 2 लाख शिक्षकों सहित पूरे देश में 20 लाख शिक्षकों की सेवा सुरक्षा हो सके।






टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली में आज शिक्षकों का प्रदर्शन

11 दिसम्बर 2025
लखनऊ। टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ यूपी समेत देश भर के लाखों शिक्षक 11 दिसम्बर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। शिक्षकों की मांग है कि उनके सेवाभाव का सम्मान करते हुए उन्हें टीईटी अनिवार्यता से छूट दी जाए।

शिक्षकों के इस आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे शिक्षक संगठनों का संयुक्त मंच अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से शिक्षक आज रात बस ट्रेन व अन्य निजी साधनों से दिल्ली कूच करेंगे। 



टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ 11 दिसम्बर को दिल्ली में धरने के लिए शिक्षकों का पहुंचना शुरू

10 दिसंबर 2025
लखनऊ। 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य करने को लेकर शिक्षकों का विरोध जारी है। इसके लिए 11 दिसंबर को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने का ऐलान किया गया है। धरने के लिए शिक्षक पदाधिकारी दिल्ली पहुंचने लगे हैं। 

काफी शिक्षक बुधवार को भी जाएंगे। संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि धरने के लिए सभी प्रदेश के पदाधिकारी दिल्ली पहुंच चुके हैं। शिक्षकों की भी विभिन्न जिलों से रवानगी शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि संसद में मंगलवार को भी प्रमोद तिवारी समेत कई सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया। यह सही समय है जब शिक्षक अपनी एकजुटता का परिचय दें। शिक्षकों पर थोपे जा रहे आदेशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों। 



टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना

10 नवंबर 2025
लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ अलग-अलग शिक्षक संगठन अपने स्तर से विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश को वापस लेने और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की है।


सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टीईटी अनिवार्य करने के आदेश को वापस लेने के लिए पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजा गया।  30 नवंबर तक देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, जिसकी प्रतियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजी जाएंगी। लेकिन अब तक शिक्षक हित में कोई पहल नहीं हुई। ऐसे में संगठन ने 11 दिसंबर को जंतर-मंतर पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।

इसमें देश भर के शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि व शिक्षक शामिल होंगे। यदि इसके बाद भी केंद्र सरकार हमारी मांगों को लेकर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संघ फरवरी 2026 में रामलीला मैदान से संसद तक मार्च निकालेंगे। 

Thursday, December 11, 2025

मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल के निर्माण में हो रही लापरवाही पर सरकार सख्त, बजट आवंटन के बावजूद कई जिलों में नहीं शुरु हुआ स्कूलों का निर्माण कार्य

मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल के निर्माण में हो रही लापरवाही पर सरकार सख्त, बजट आवंटन के बावजूद कई जिलों में नहीं शुरु हुआ स्कूलों का निर्माण कार्य


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले 'मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल' को लेकर हो रही लापरवाही पर शासन ने सख्त नाराजगी जताई है। आलम यह है कि लापरवाही और शिथिलता के बारे में विभिन्न जिलों से वहां के डीएम एवं बीएसए से रिपोर्ट मांग ली गई है।


दरअसल, प्रदेश के कई जिलों में मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल का निर्माण कार्य या तो बहुत ही धीमी गति से हो रहा है या फिर ठप पड़ा है। यह स्थिति तब है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में ही सभी जिलों को प्रस्ताव के अनुसार बजट का भी आवंटन किया जा चुका है। इसके बावजूद निर्माण एजेंसियों ने स्कूलों के भवनों का साल भर बाद भी निर्माण कार्य शुरू ही नहीं किया है। इनमें कई जिले ऐसे भी हैं, जहां निर्माण कार्य इस साल के अंत तक पूरा हो जाना था।

निम्न आय वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से पिछले वर्ष सरकार ने प्रत्येक जिले में 'मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल' स्थापित करने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। पहले चरण में 27 जिलों का चयन किया गया और स्कूल भवन आदि के लिए प्रत्येक जिले को स्कूल की स्थापना के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए गए। लेकिन निर्माण एजेन्सियों ने योजना में पलीता लगा दिया है।


तीन मंजिला भवन में होंगी छात्रों के लिए कई सुविधाएं

विद्यालय का भवन तीन मंजिला होगा। सभी कक्षाओं के साथ अलग से मीड डे मील हॉल होगा। शैक्षिक एवं गैरशैक्षिक गतिविधियों के लिए मल्टीपरपज हॉल होगा। इसके अलावा विद्यालय परिसर में एक अलग से दो मंजिला भवन होगा, जिसमें प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्य का आवास होगा जबकि एक अन्य दो मंजिला भवन स्टाफ क्वाटर के रूप में होगा। इसके अतिरिक्त बाल वाटिका, खेल के मैदान, गार्ड रूम आदि भी होंगे।



यहां चल रहा कम्पोजिट स्कूलों का निर्माण कार्य

मैनपुरी, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, अम्बेकरनगर, औरैय्या, बलिया, हमीरपुर, कानपुर देहात, सुलतानपुर, चित्रकूट, अमेठी, अमरोहा, बिजनौर, बुलंदशहर, हरदोई महाराजगंज, रायबरेली सीतापुर, लखीमपुर खीरी, जालौन, ललितपुर, श्रावस्ती, बागपत, इटावा, हापुड़ तथा कुशीनगर।





माध्यमिक स्कूलों में डिजिटल तरीके से भी होगी पढ़ाई, होगी मॉनिटरिंग

माध्यमिक स्कूलों में डिजिटल तरीके से भी होगी पढ़ाई, होगी मॉनिटरिंग 


लखनऊ : प्रदेश सरकार ने माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई और शिक्षकों के प्रशिक्षण को और बेहतर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब सभी स्कूलों में पोर्टल और मोबाइल एप का नियमित और प्रभावी उपयोग अनिवार्य होगा। अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को विस्तृत निर्देश भेजे हैं, ताकि हर शिक्षक और विद्यार्थी डिजिटल तकनीक से जुड़कर सीख सके।


माध्यमिक शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों जैसे अध्यापन, शिक्षकों का प्रशिक्षण, गतिविधि-आधारित शिक्षण और आनलाइन सामग्री सबके लिए कई डिजिटल पोर्टल उपलब्ध हैं, लेकिन कई जिलों में शिक्षक और प्रधानाचार्य इनका उपयोग नहीं कर रहे थे।

इससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। इसी वजह से अब सभी स्कूलों में इन पोर्टलों का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए trackshiksha.in वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड बनाया गया है। इसके उपयोगी एप, शिक्षक के लिए पोर्टल और विद्यार्थी के विकल्प से सभी पोर्टलों के लिंक आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं। इसमें दीक्षा, ई-पाठशाला, स्वयं, एनडीएलआई, एनआरओईआर, जिज्ञासा, एनसीईआरटी बुक्स, स्टेम एकेडमी, लोटस लर्निंग जैसे उपयोगी एप शामिल किए गए हैं। 


सभी जिला विद्यालय निरीक्षक से कहा गया है कि डैशबोर्ड का लिंक सभी राजकीय, सहायता प्राप्त और स्ववित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को वाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजें।

जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती में राज्य मेरिट के लिए मुख्यमंत्री से मिले अभ्यर्थी, वर्तमान आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होने पर कोर्ट जाएंगे

जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती में राज्य मेरिट के लिए मुख्यमंत्री से मिले अभ्यर्थी, वर्तमान आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होने पर कोर्ट जाएंगे


प्रयागराज ।  वर्ष 2021 की जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती में कानूनी बाधा खत्म होने और भर्ती के संबंध में शासनादेश जारी होने के बावजूद प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। चयन प्रक्रिया विद्यालय को इकाई मानकर अपनाए जाने से भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, ईडब्ल्यूएस व एसटी अभ्यर्थियों का आरक्षण शून्य हो गया है। इसकी जानकारी देने के साथ अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से गोरखपुर में जनता दरबार में मिलकर मांग की कि चयन प्रक्रिया विद्यालय इकाई न मानकर प्रदेश स्तर पर बनाई जानी चाहिए। 


अभ्यर्थी राहुल पासवान ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि वर्तमान में पद भी घट गए हैं। जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र पाण्डेय ने बताया कि बेसिक शिक्षा निदेशक ने 15 फरवरी 2025 को उच्च न्यायालय में एक शपथपत्र के माध्यम से जानकारी दी थी कि भर्ती प्रक्रिया गतिमान है और वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के अनुसार सभी वर्गों को आरक्षण दिया जाएगा। 


अब जब तीन नवंबर को भर्ती पूर्ण करने के संबंध में आदेश जारी हुआ तो सभी क्षैतिज आरक्षण (भूतपूर्व सैनिक/दिव्यांग/स्वतंत्रता सेनानी), ईडब्ल्यूएस व एसटी अभ्यर्थियों का आरक्षण शून्य कर दिया गया। ओबीसी व एससी अभ्यर्थियों का भी आरक्षण निम्नतम कर दिया गया। पद भी घट जाने से अवसर कम हो गए हैं। अभ्यर्थियों ने कहा कि चयन मेरिट प्रदेश स्तर पर न बनाए जाने व वर्तमान आरक्षण व्यवस्था नहीं लागू होने पर वह न्याय के लिए कोर्ट जाएंगे।

Wednesday, December 10, 2025

VidyaGyan Result: विद्याज्ञान प्रारंभिक परीक्षा परिणाम 2026-27 जारी, देखें

विद्याज्ञान प्रारंभिक परीक्षा परिणाम 2026-27 जारी, देखें 


क्लिक करके देखें



CBSE स्कूलों की भरमार से टूटी UP बोर्ड के विद्यालयों की कमर, सैकड़ों स्कूलों में एक भी छात्र का नहीं पंजीकरण, 481 विद्यालयों की मान्यता खतरे में

CBSE स्कूलों की भरमार से टूटी UP बोर्ड के विद्यालयों की कमर, सैकड़ों स्कूलों में एक भी छात्र का नहीं पंजीकरण, 481 विद्यालयों की मान्यता खतरे में


समस्या सिर्फ स्कूलों की नहीं, शिक्षा के संतुलन की भी...

सीबीएसई विद्यालयों ने ग्रामीण इलाकों तक मजबूत पकड़ बना ली है। आधुनिक सुविधाएं और अंग्रेजी शिक्षा का आकर्षण अभिभावकों को खींच रहा है।

शिक्षकों की कमी, कक्षाओं का नियमित न चलना और कमजोर निगरानी के कारण सरकारी व हिंदी मीडियम स्कूलों की साख प्रभावित हुई है।

आगे की पढ़ाई और रोजगार में अंग्रेजी का महत्व बढ़ने से माता-पिता बच्चों का प्रवेश सीबीएसई विद्यालयों में ही करा रहे हैं।

फीस छूट, वैन सुविधा, टेस्ट सीरीज और नियमित मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएं अभिभावकों को आकर्षित कर रही हैं।

दो वर्ष से लगातार शून्य पंजीकरण वाले स्कूलों की मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। –भगवती सिंह, सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद


प्रयागराज। प्रदेश में सीबीएसई स्कूलों की बेतहाशा बढ़ोतरी ने यूपी बोर्ड के विद्यालयों की कमर तोड़ दी है। नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 में स्थिति इतनी विकट हो गई है कि प्रदेश के लगभग हर जनपद में यूपी बोर्ड के ऐसे विद्यालय मिले हैं जहां हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में एक भी छात्र का पंजीकरण नहीं हुआ। परिणामस्वरूप प्रदेश के 481 से अधिक इंटरमीडिएट स्तर के माध्यमिक विद्यालयों की मान्यता रद्द होने की कगार पर है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऐसे स्कूलों का ब्योरा मांगा है जहां पिछले दो वर्षों से छात्र संख्या शून्य बनी हुई है। प्राथमिक जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

प्रदेश में हाईस्कूल स्तर के कुल 29,534 मान्यता प्राप्त विद्यालय हैं। इनमें प्रयागराज के 12, गाजीपुर के 16, एटा के 14, फिरोजाबाद के 10, बलिया के छह, कानपुर नगर व आगरा के चार-चार, मथुरा व बरेली के पांच-पांच सहित 219 विद्यालय ऐसे पाए गए हैं जहां वर्तमान सत्र में एक भी छात्र ने बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकरण नहीं कराया है।

इंटरमीडिएट स्तर के मान्यता प्राप्त 25,190 स्कूलों में से गाजीपुर के 49, प्रयागराज के 21, कानपुर नगर के 18, मऊ के 19, अंबेडकरनगर व गोरखपुर के 11-11, एटा व अलीगढ़ के 16-16 सहित कुल 481 विद्यालयों में एक भी विद्यार्थी का पंजीकरण नहीं हुआ है। प्रदेश भर में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूलों ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

Tuesday, December 9, 2025

दाम्पत्य शिक्षक स्थानांतरण नीति के सम्बन्ध में

पहले से लागू नियमावली में नहीं होगा कोई बदलाव, परिषदीय शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर आया बेसिक शिक्षा परिषद का स्पष्टीकरण 


प्रयागराज । परिषदीय शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर लंबे समय से चली आ रही असमंजस की स्थिति अब पूरी तरह साफ हो गई है। आनंद कुमार सिंह उप सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों का स्थानांतरण केवल पहले से निर्धारित नियमों के तहत ही किया जाएगा। इसके लिए किसी नए नियम या व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से आए एक प्रकरण के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने यह तथ्य सामने आया कि स्थानांतरण कोई शिक्षक का अधिकार नहीं, बल्कि प्रशासनिक जरूरत के आधार पर लिया जाने वाला निर्णय होता है। पत्र में यह भी साफ किया गया है कि शिक्षक का स्थानांतरण उसी जिले या क्षेत्र में होगा, जैसा कि पहले से लागू स्थानांतरण नियमावली में तय है। स्पष्ट हो गया है कि मनमाने तरीके या नियमों के बाहर स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। नियमों के अनुसार ही अपने स्थानांतरण को लेकर भरोसा रखना होगा।


दाम्पत्य शिक्षक स्थानांतरण नीति के सम्बन्ध में




शिक्षामित्रों को बीएलओ ड्यूटी के दबाव से राहत दिलाएं, शिक्षामित्र संघ की मांग

शिक्षामित्रों को बीएलओ ड्यूटी के दबाव से राहत दिलाएं, शिक्षामित्र संघ की मांग 


लखनऊ। प्रदेश में बीएलओ के काम में लगे शिक्षकों व शिक्षामित्रों की नाराजगी कम नहीं हो रही है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने आए दिन शिक्षामित्रों के साथ हो रही दुर्घटना को देखते हुए उनको बीएलओ ड्यूटी के दबाव से राहत दिलाने की मांग की है। साथ ही इस कार्य में अन्य कर्मचारियों को भी तैनात करने की मांग उठाई है। सोमवार को संघ के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी से मिला। 


संघ के अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने बताया कि बीएलओ ड्यूटी में लगे कई शिक्षामित्रों के साथ दुर्घटना हो चुकी है। हाल ही में गोंडा के शिक्षामित्र नान बच्चा सोनकर की तबीयत बहुत खराब हो गई है। वे लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में आईसीयू में भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि महानिदेशक ने डीएम गोंडा से बात करके तत्काल प्रभाव से शिक्षामित्र की आर्थिक मदद करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग से निर्वाचन कार्य में लगे सभी शिक्षामित्रों को बीमा कवर का लाभ देने की मांग की।


मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दिया ज्ञापन: शिक्षामित्र संघ ने देर शाम मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा को सभी बीएलओ शिक्षामित्रों को बीमा का लाभ देने की मांग की है। जैसे निर्वाचन के समय किसी भी घटना पर सरकार द्वारा सहायता की जाती है, उसी तरह की सहायता बीएलओ शिक्षामित्र की जाए। मुख्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि वे केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस गंभीर विषय पर कार्रवाई की मांग करेंगे। 

एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा-2021 में ओएमआर शीट में अंक बदलने पर हाईकोर्ट सख्त, कहा-सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकरण तथ्यों को साफ करें, नहीं तो होगी कार्रवाई

एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा-2021 में ओएमआर शीट में अंक बदलने पर हाईकोर्ट सख्त, कहा-सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकरण तथ्यों को साफ करें, नहीं तो होगी कार्रवाई


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा-2021 में ओएमआर शीट के अंकों में विसंगति और कथित बदलाव के मामले में नाराजगी जताई है। कहा है कि हम कोई कार्रवाई करेंगे तो उसके नतीजे दूसरे होंगे। इसलिए सचिव को एक मौका दे रहे हैं कि तथ्यों को साफ करें।


यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक सरन, न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने प्रीति पांडेय की याचिका पर दिया। कोर्ट ने कहा कि सचिव की ओर से 26 जून 2025 को भेजे गए निर्देश में अभ्यर्थी प्रीति पांडेय को पहले पेपर में 97 और दूसरे में 23 अंक दिए थे। वहीं, 12 नवंबर 2025 को भेजे गए नए निर्देश में पहले पेपर के अंक समान हैं पर दूसरे में अंक 23 से घटाकर 22 दिखाए गए हैं। साथ ही प्रश्न संख्या 47 के उत्तर पर पहले निर्देश में अभ्यर्थी को पूरे अंक दिए गए थे। जबकि दूसरी बार उसी उत्तर पर शून्य अंक दिए गए।


कोर्ट में पेश की गई ओएमआर शीट की फोटोकॉपी हाथ से लिखे अंकों वाली थी, जिस पर मूल्यांकनकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे। कोर्ट ने पूछा ओएमआर शीट की फोटोकॉपी पर नई मार्किंग क्यों की गई और किसके आदेश पर ऐसा हुआ। कोर्ट ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को अगली सुनवाई पर 11 दिसंबर तक पूरा स्पष्टीकरण हलफनामे के साथ देने का निर्देश दिया है।

Monday, December 8, 2025

मौत के एक साल बाद सहायक अध्यापक बर्खास्त, हाईकोर्ट ने पूछा – किस नियम के तहत मृतक कर्मचारी के खिलाफ सेवा समाप्ति आदेश पारित किया गया?

मौत के एक साल बाद सहायक अध्यापक बर्खास्त, हाईकोर्ट ने पूछा – किस नियम के तहत मृतक कर्मचारी के खिलाफ सेवा समाप्ति आदेश पारित किया गया?

शिक्षा निदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा तलब, कहा-यह प्रशासनिक संवेदनहीनता का उदाहरण


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा में तैनात रहे शिक्षक को मौत के एक साल बाद बर्खास्त करने पर हैरानी जताई है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा तलब कर पूछा है कि किस नियम के तहत मृतक कर्मचारी के खिलाफ सेवा समाप्ति आदेश पारित किया गया है।

कोर्ट का यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने फर्रुखाबाद में तैनात रहे मृतक शिक्षक मुकुल सक्सेना की पत्नी प्रीति सक्सेना की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोविड से मौत के एक साल बाद शिक्षक के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई न सिर्फ गैर कानूनी है, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का उदाहरण भी है।


सरकार बोली... फर्जी दस्तावेज से मिली थी नौकरी : सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि मृतक ने कथित रूप से जाली दस्तावेज देकर नौकरी पाई थी और उसकी नियुक्ति शुरू से ही अमान्य मानी गई। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। कहा कि रिकॉर्ड पर कहीं भी ऐसा नहीं है कि किसी सक्षम अधिकारी ने नियुक्ति को अमान्य घोषित किया हो।


कोर्ट की टिप्पणी: मरे व्यक्ति के खिलाफ जांच या सेवा समाप्ति की कार्यवाही न तो संभव है और न ही कानून में इसका कोई आधार है। यह समझ से परे है कि अधिकारी ने 2022 में आदेश कैसे जारी कर दिया, जबकि कर्मचारी 2021 में ही नहीं रहा।

अदालत की चेतावनीः अदालत ने निदेशक बेसिक को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर उन्हें अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।


यह है मामला : मुकुल की नियुक्ति सहायक अध्यापक के पद पर 1996 में मृतक 2021 में कोविड-19 से उनकी मृत्यु हो गई। पत्नी को पारिवारिक पेंशन मिल रही थी पर नवंबर 2022 के बाद अचानक पेंशन रोक दी गई। जानकारी करने पर फर्रुखाबाद के बीएसए की ओर से भेजे गए पत्र में बेसिक शिक्षा निदेशक के 18 जुलाई 2022 के आदेश का हवाला दिया गया। उसमें मृत कर्मचारी की सेवाएं समाप्त करने के लिए कहा गया था। इसी आधार पर दिसंबर 2022 में ट्रेजरी विभाग ने पेंशन रोक दी। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट ऑर्डर 👇

सभी स्कूलों को स्मार्ट क्लास और वाई-फाई से संतृप्त करने का लक्ष्य अभी दूर, ऐसे कई जिले–जहां अभी भी लक्ष्य से काफी कम स्मार्ट क्लास शुरू किए जा सके

सभी स्कूलों को स्मार्ट क्लास और वाई-फाई से संतृप्त करने का लक्ष्य अभी दूर, ऐसे कई जिले–जहां अभी भी लक्ष्य से काफी कम स्मार्ट क्लास शुरू किए जा सके


लखनऊ। इस वित्तीय वर्ष के अन्त तक प्रदेश की 74 फीसदी परिषदीय स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू हो जाएंगी। वर्तमान में प्रदेश के अनुपातिक रूप से मात्र 46.79% परिषदीय स्कूलों में ही स्मार्ट क्लास की सुविधा है। इसमें परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों से लेकर कम्पोजिट तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) आते हैं। 


नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सभी स्कूलों को स्मार्ट क्लास के लिए 'वाई-फाई' सुविधा से पूरी तरह लैस करने की संस्तुति की गई है। इसके लिए स्कूलों को पूरी तरह से इंटरनेट सुविधा से लैस करने के भी निर्देश दिए गए हैं। 


कई स्कूलों में सीएसआर ('कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फण्ड से भी स्मार्ट क्लास शुरू कराए गए हैं। स्मार्ट कलास नियमित रूप से संचालित होती रहें, इसके लिए बड़ी संख्या में बकायदा आईसीटी लैब की स्थापना भी की गई है लेकिन यूपी जैसे बड़े राज्य एवं स्कूलों की अधिक संख्या वाले प्रदेश में यह संख्या 'ऊंट के मुंह में जीरा' जैसी है। जिलेवार स्थितियों को देखें तो कई जिले तो ऐसे हैं, जहां अभी भी लक्ष्य से काफी कम स्मार्ट क्लास शुरू किए जा सके हैं।


कई जगह इंटरनेट नहीं
कई जिले में स्मार्ट क्लास तैयार तो हो गए लेकिन इंटरनेट कनेक्शन न होने या उपकर्णों के निष्क्रिय पड़े हैं। विभाग जल्द ही स्मार्ट क्लास को पूरी तरह से सक्रिय कराने की दिशा में काम शुरू करने जा रही है।


दिसंबर में तबादला न हुआ तो पांच जनवरी को निदेशालय घेरेंगे शिक्षामित्र, मानदेय वृद्धि व कैशलेश चिकित्सा सुविधा न मिलने पर बढ़ रही नाराजगी

दिसंबर में तबादला न हुआ तो पांच जनवरी को निदेशालय घेरेंगे शिक्षामित्र, मानदेय वृद्धि व कैशलेश चिकित्सा सुविधा न मिलने पर बढ़ रही नाराजगी

07 दिसम्बर 2025
लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने शिक्षामित्रों की मानदेय वृद्धि, स्थानांतरण व कैशलेश चिकित्सा सुविधा न मिलने पर नाराजगी जताई है। साथ ही दिसंबर में तबादला आदेश जारी न होने पर पांच जनवरी को निदेशालय के घेराव की चेतावनी दी है। 

संघ की दारुलशफा में रविवार को हुई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला व महामंत्री सुशील कुमार ने आर्थिक समस्या से जूझ रहे शिक्षामित्रों की मानदेय वृद्धि न करने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है, उसको जल्द अमल में लाया जाना चाहिए। स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। 

वहीं जिलाध्यक्षों ने कहा कि शिक्षामित्रों को सरकार द्वारा सौंपे गए सभी कार्यों को वे बखूबी निभा रहे हैं। एसआईआर जैसा महत्वपूर्ण काम शिक्षामित्र भी कर रहे हैं। कैशलेस योजना की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी। अभी तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार ने कहा कि यदि दिसंबर में विभाग द्वारा स्थानांतरण का आदेश जारी न किया गया तो 5 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के जन्मदिन पर निदेशालय का घेराव करने को शिक्षामित्र मजबूर होंगे। 



बढ़े मानदेय की आस में अधेड़ हुए शिक्षामित्र, मानदेय बढ़ाने की मांग, छुट्टियों का नहीं मिलता मानदेय

21 नवंबर 2025
करीब 25 साल पहले शिक्षा मित्र के रूप में भर्ती हुए, बाद में शासनादेश जारी कर इन्हें सहायक शिक्षक बनाया गया। अच्छा वेतन मिलना शुरू हो गया लेकिन हाईकोर्ट ने इन सहायक शिक्षकों को वापस शिक्षा मित्र बना दिया। तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई लेकिन उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी।


1 लाख 42 हजार शिक्षा मित्र मात्र दस हजार रुपये के मानदेय पर प्राथमिक विद्यालय में नौनिहालों का भविष्य संवार रहे है। बच्चों का भविष्य सेवारते-संवारते इनका वर्तमान अंधकार मय हो गया है। परिवार की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे। अपने बच्चों की शिक्षा, मेडिकल, माता-पिता की देखभाल, घर का किराया ऐसी न जाने कितनी मूलभूत जरूरते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए शिक्षा मित्र बढ़े हुए मानदेय का इंतजार कर रहे हैं। 


प्राइमरी स्कूलों के चच्चों का भविष्य संवार रहे शिक्षामित्रों का भविष्य अधर में हैं। प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं 125 वर्ष पहले सेवा में आए शिक्षामित्र मानदेय कहने की आस में अधेड़ हो गए हैं। 10 हजार रुपये मानदेय में अपने बच्चों की पढ़ाई, परिचारका चालन पोषण च इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। ब्लडप्रेसर डायटीन समेत दुसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। इस मानदेय में ठीक से इल्कज तक नहीं करा पा रहे हैं। 

सहायक शिक्षक बनने के चाट से दोबारा बनाए गार शिक्षामित्र सरकार से मानदेय बढ़ाने की बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। शिक्षामित्र मानदेव चढ़ोतरी के लिये धरना प्रदर्शन त मिभागीय मंत्री और अफसरों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मानदेय नहीं बढ़ा। अब इन्हें उस पल का सबसे इंतजार है। शासनदेश के बचाव नूद शिक्षामित्रों को मृत विद्यालय नहीं भया गया है। शिक्षामित्र इतने कम मानदेय पर 20 से 50 किमी. दूर पढ़ाने नहाने के लिय सनपुर है।

1999  में भर्ती हुए शिक्षामित्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 1999 में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये 2250 प्रति माह के मानदेय पर शिक्षामित्र भर्ती किये। वर्ष 2009 तक प्रदेश में 1.72 शिक्षामित्र सेला में लिये गए। वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के पद समायोजन का शासनादेश जारी किया। 

प्रदेश भर के 1.37 शिक्षामित्र की प्रतिक्षण देकर सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किया। इन्हें शिक्षकों के समान। समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिलनेल एक वर्ष 2015 में हाईकोर्ट शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगा दी। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया। हालांकि कोर्ट ने सरकार को शिक्षकों की खुली भर्ती के जरिये लम्बे समय से सेवाएं देशी शिक्षामित्रों की सेवा अवधि के अनुसार तम अंक के भरांक के साथ पथन करने करने के निर्देश जारी किये। दो अलग-अलग शिक्षक भर्ती में करीब 15 हजार शिक्षामित्र ती शिक्षक बन पाए। बाकी शिक्षामित्र के पद पर कार्य कर रहे हैं।

लखनऊमें 1925 शिक्षामित्र दे रहे संचाएं लखनऊ के अलग-अलग प्राइमरी स्कूलों में 1925 शिलमित्र सेवाएं दे रहे हैं। नई स्कूल शिक्षामित्रों के भरोसे यत यो हैं। बच्चों को पढ़ाने से लेकर सारे काम निपटा रहे हैं। स्कूलों में परीक्ष अन्य महत्वपूर्ण काम आने पर महिला शिक्षक सीसीएल व मेडिकत अवकाश लेकर घर बैठ नाती हैं। स्कूल में परीक्षा से लेकर अन्य कामों की जिम्मेदारी शिक्षामित्रों पर आ जाती है। फिर भी शिक्षामित्र बिना छुट्टी लिपे जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन इनके मानदेय बढ़ाने पर विभागीय अधिकारियों से लेकर सरकार चुप्पी साधे हुए है।


छुट्टियों का नहीं देते मानदेय

शिक्षामित्रों का कहना है कि इन्हें सिर्फ 11 माह का मानदेय मिलता है। 14 जनवरी के बीच शीतकालीन और जून में ७ दिन गर्मियों की छुट्टियां होती है। इन छुट्टियों का मानदेय शिक्षामित्रों को नहीं मिलता है। जबकि शिक्षकों को इन दिनों का वेतन दिया जाता है। इतने कम मानदेय में दो महीने 15-15 दिन का मानेदय काटने पर सिर्फ चांच-पाच हजार रुपये मिलता है। इसमें पूरे महीने घर का राशन तक नहीं आता है। सरकार को चाहिए कि कस्तूरबा गाभी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों की तरह 11 नाह 29 दिन वा मानेवव है। मानदेय भी बढ़ाया जाए। इतने कम मानदेय में जीवन यापन करना बहुत मुश्किल ही सहा है।

आधे परिषदीय विद्यालय भी नहीं हो पाए हैं निपुण, 2027 तक सभी विद्यालयों को निपुण बनाने का लक्ष्य, अभी तक 48 हजार विद्यालय ही हुए हैं निपुण घोषित

आधे परिषदीय विद्यालय भी नहीं हो पाए हैं निपुण, 2027 तक सभी विद्यालयों को निपुण बनाने का लक्ष्य, अभी तक 48 हजार विद्यालय ही हुए हैं निपुण घोषित 


लखनऊ। प्रदेश में कक्षा एक व के बच्चों को भाषा और गणित में दक्ष बनाने के लिए निपुण भारत मिशन के तहत विद्यालयों को निपुण घोषित किया जा रहा है, लेकिन प्रगति अपेक्षाकृत धीमी है। संशोधित लक्ष्य के अनुसार अब कक्षा दो तक के बच्चों को निपुण बनाना है, जबकि पहले यह दायरा कक्षा तीन तक था। प्रदेश के 111585 प्राथमिक विद्यालयों में से अब तक 48061 विद्यालय ही निपुण घोषित हो सके हैं। बाकी विद्यालयों का मूल्यांकन 15 जनवरी से शुरू होगा।


बेसिक शिक्षा विभाग निपुण को लेकर लगातार प्रशिक्षण और विशेष कार्यक्रम चला रहा है। 2027 तक सभी विद्यालयों को निपुण बनाना है। दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 में डीएलएड प्रशिक्षुओं की मदद से 68352 विद्यालयों का मूल्यांकन किया गया, जिनमें 74 प्रतिशत स्कूल ही हुए हैं  निपुण पाए गए। पिछली सत्र 2023-24 में केवल 16169 विद्यालय निपुण बने थे, जबकि इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 48061 हो गई।

हाल के जारी आंकड़ों में जौनपुर सर्वश्रेष्ठ जिला रहा, जहां 1904 में से 1578 विद्यालय (74%) निपुण घोषित हैं। गौतमबुद्धनगर (72%), कासगंज (70%), वाराणसी (69%) और भदोही (69%) भी शीर्ष प्रदर्शन वाले जिले रहे। वहीं झांसी सबसे कमजोर रहा, जहां मात्र 16% विद्यालय ही निपुण बन सके। मुजफ्फरनगर (24%), बदायूं (24%) और बलिया (29%) भी कमजोर जिलों में शामिल हैं। 

Sunday, December 7, 2025

Block Career Counsellor Vacancy: यूपी में 826 ब्लॉक करियर काउंसलर की होगी 25 हजार रुपए के मानदेय पर संविदा पर भर्ती, माध्यमिक स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को भविष्य की राह दिखाएंगे

यूपी में 826 ब्लॉक करियर काउंसलर की होगी 25 हजार रुपए के मानदेय पर संविदा पर भर्ती, माध्यमिक स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को भविष्य की राह दिखाएंगे

01 ब्लॉक में एक करियर काउंसलर रखा जाएगा

25 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा, जल्द भर्ती होगी


लखनऊ। यूपी में 826 ब्लॉक करियर काउंसलर की भर्ती की जाएगी। हर ब्लॉक में एक करियर काउंसलर रखा जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग संविदा पर इनकी भर्ती करेगा। हर महीने 25 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

करियर काउंसलर पद पर भर्ती के लिए एमए मनोविज्ञान व करियर काउंसिलिंग में डिप्लोमाधारक आवेदन कर सकेंगे। राजकीय माध्यमिक स्कूलों व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की यह करियर काउंसिलिंग करेंगे। यही नहीं छात्र अगर मानसिक तनाव में हैं, तो उनकी मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग भी यह काउंसलर करेंगे। शिक्षकों को प्रशिक्षित भी करेंगे और अपने ब्लॉक के विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे। सरकारी माध्यमिक स्कूलों में छात्र अपनी रुचि के अनुसार किन-किन क्षेत्रों में आगे करियर बना सकते हैं, इसकी जानकारी यह करियर काउंसलर उन्हें देंगे।


देश व विदेश में विभिन्न अच्छे पाठ्यक्रमों की उन्हें जानकारी देंगे। विद्यार्थियों को उनकी क्षमता व रुचि के अनुसार किस क्षेत्र में करियर बनाने का प्रयास करना चाहिए इसके लिए उनका मार्गदर्शन करेंगे। अभी विद्यार्थी पढ़ाई व करियर बनाने को लेकर कई बार तनाव में आ जाते हैं। विद्यालय में पढ़ाई का बढ़ता बोझ और अभिभावकों का दबाव न सह पाने के कारण कई बार वह तनाव में आ जाते हैं। कई बार उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण वह गलत कदम भी उठा लेते हैं। ऐसे में उन्हें काउंसिलिंग की जरूरत होती है, जो शिक्षक नहीं कर पाते। इसीलिए सरकारी माध्यमिक स्कूलों के लिए हर ब्लॉक में एक करियर काउंसलर रखे जा रहे हैं, जिससे छात्रों को आसानी से उचित मार्गदर्शन मिल सकेगा।


हर हफ्ते चलेगा विशेष सत्रः प्रत्येक ब्लॉक में सरकारी माध्यमिक स्कूलों को सूचीबद्ध कर उनके यहां हर हफ्ते विशेष सत्र चलाया जाएगा। इसमें छात्र कॅरियर से संबंधित जानकारी हासिल कर सकेंगे। यही नहीं समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया जाएगा, जिससे छात्रों को उचित मार्गदर्शन मिल सके।


अभिभावकों को भी सिखाएंगे पैरेटिंग
करियर काउंसलर ऐसे छात्रों को शिक्षकों की मदद से चिह्नित करेंगे जो अकसर तनाव में रहते हैं। फिर उनसे वह अलग से बात करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर किस तरह की समस्या उनके सामने आ रही है। ज्यादातर छात्र अपने अभिभावकों को समस्या बताने में झिझकते हैं। उनकी समस्या लगातार बढ़ती चली जाती है। फिलहाल अब काउंसलर की तैनाती होने पर ऐसे छात्रों के अभिभावकों को बुलाया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि वह किस तरह अपने बच्चे के साथ व्यवहार करें। जिसस तनाव से दूर किया जा सके।


करियर बनाने को तैयार कराएंगे दिनचर्या
विद्यार्थियों को यह भी बताया जाएगा कि करियर बनाने की दौड़ में वह अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ न करें। तनाव प्रबंधन करें और योग करें। कभी भी दबाव में रहकर परीक्षा की तैयारी न करें। वह किस तरह अपनी दिनचर्या बनाएं इसके लिए उन्हें टिप्स दी जाएगी। करियर काउंसलर करियर बनाने व मनोवैज्ञानिक समस्याएं दूर करने के साथ ही यह भी बताएंगे कि खेल, गीत व संगीत इत्यादि को वह किस तरह अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इस तरह काउंसलर उनका मागदर्शन करेंगे।

खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) की पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होते ही नया विवाद खड़ा, राजकीय शिक्षक संघ ने आपत्ति जताते हुए प्रक्रिया को तत्काल रोकने की रखी मांग

खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) की पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होते ही नया विवाद खड़ा, राजकीय शिक्षक संघ ने आपत्ति जताते हुए प्रक्रिया को तत्काल रोकने की रखी मांग


राजकीय शिक्षक संघ ने अपर प्रमुख सचिव माध्यमिक को लिखा पत्र, कहा- यह पदोन्नति नियम के विपरीत, लगे रोक

समूह ख में खंड शिक्षा अधिकारियों की पदोन्नति पर जताई आपत्ति


लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा समूह ख के पदों पर खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) की पदोन्नति शुरू किए जाने पर नया विवाद खड़ा हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ ने इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को पत्र लिखा है। संघ ने मांग की है कि इस पदोन्नति प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए, क्योंकि यह मौजूदा सेवा नियमों और सांविधानिक प्रावधानों के विपरीत है।


विवाद की जड़ माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से 4 दिसंबर को जारी एक पत्र है, जिसमें शैक्षिक सामान्य शिक्षा संवर्ग समूह ख (उच्चतर) के पद पर पदोन्नति के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों की गोपनीय आख्या (एसीआर) मांगी गई थी। अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र के बाद संघ ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। 


राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री अरुण यादव और प्रांतीय संरक्षक रामेश्वर पांडेय ने तर्क दिया कि दो अलग-अलग नियुक्ति स्त्रोत और भिन्न ग्रेड पे वाले कर्मचारियों की पदोन्नति एक साथ करना पूरी तरह से विधि विरुद्ध है। संघ ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के माध्यम से पूर्व पदोन्नति कोटा को असांविधानिक रूप से संशोधित कराया है। संघ ने पुरजोर मांग की है कि जब तक उच्च न्यायालय में दाखिल वाद का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक इस पूरी पदोन्नति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।


संघ के मुख्य तर्क

अलग-अलग विभाग और ग्रेड पे :
खंड शिक्षा अधिकारी बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं, जिनका ग्रेड पे 4800 है। वहीं, प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापिका माध्यमिक शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं, जिनका ग्रेड पे 5400 है।

सेवा नियमावली का उल्लंघन :
प्रधानाध्यापक के पद 100% माध्यमिक शिक्षा के सहायक अध्यापक और प्रवक्ताओं की पदोन्नति से ही भरे जाते हैं। बेसिक शिक्षा के कर्मचारियों का माध्यमिक शिक्षा के पदों पर पदोन्नति पाना सेवा नियमावली के विरुद्ध है।

न्यायालय में विचाराधीन मामला :
संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला पहले से ही उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में अंतिम निर्णय आने से पहले पदोन्नति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना सीधे तौर पर न्यायालय के आदेश की अवमानना होगी।

Saturday, December 6, 2025

माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कसी नकेल, बिंदुवार समीक्षा के बाद जारी हुई सूची

प्रदेश के 254 संदिग्ध विद्यालय यूपी बोर्ड परीक्षा से किए गए डिबार


प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बोर्ड परीक्षा के दौरान नकल कराने के दागी विद्यालयों की बिंदुवार समीक्षा के बाद प्रदेश के डिबार 254 विद्यालयों की सूची जारी कर दी है। डिबार घोषित होने के बाद ऐसे 254 विद्यालयों संचालकों में खलबली मच गई है।

प्रदेश में 28530 स्कूल यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। इसमें वित्त विहीन, राजकीय, एडेड आदि शामिल हैं। वर्ष 2025 में बोर्ड परीक्षा के दौरान आजमगढ़, कुशीनगर, अलीगढ़, हरदोई, कानपुर नगर, मुरादाबाद सहित कई जिलों में नकल कराने के मामले सामने आए थे।


86 से अधिक मामलों में अलग अलग जिलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। दागी विद्यालयों के बारे में माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने गोरखपुर, वाराणसी, बरेली, प्रयागराज, मेरठ क्षेत्रीय कार्यालयों से ऐसे विद्यालयों की सूची मांगी थीं, जिनकी भूमिका वर्ष 2025 की बोर्ड परीक्षा में संदिग्ध थी और जहां नकल कराए जाने का मामला प्रकाश में आया और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

क्षेत्रीय कार्यालयों ने जो रिपोर्ट दी, उसे लेकर कई बैठकों में मंथन के बाद प्रदेश के 254 विद्यालयों को डिबार कर दिया गया है। जिन 86 विद्यालयों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, उनमें छह से अधिक विद्यालय विवेचना में दोषी नहीं पाए गए। इसमें कई परीक्षा केंद्र बनाएं गए हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि डिबार केंद्रों की सूची में 254 विद्यालय शामिल हैं। पिछले वर्ष यूपी बोर्ड परीक्षा में इन पर नकल कराने का आरोप है। जिसकी छानबीन कराए जाने के बाद डिबार घोषित किया गया है।