कई जिलों में कस्तूरबा विद्यालयों की भर्ती अटकी, संविदा पर शैक्षिक व गैर शैक्षणिक पदों पर होनी है भर्ती, शासन ने दिया जल्द प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश
लखनऊ। प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के सुचारू रूप से संचालन के लिए शिक्षकों व कर्मचारियों को संविदा पर 11 महीने के लिए रखा जाता है। वहीं दूसरी ओर कई जिलों में इसे लेकर रुचि नहीं ली जा रही है। इसकी वजह से यहां पठन-पाठन समेत अन्य व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।
हाल ही में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र) प्रभार संदीप सिंह ने इस पर नाराजगी जताते हुए इसमें तुरंत प्रगति लाने के निर्देश दिए ताकि विद्यालयों में पठन-पाठन किसी तरह प्रभावित न हो। प्रदेश में 746 केजीबीवी का संचालन किया जा रहा है। इसमें से 450 से अधिक केजीबीवी को इंटर तक अपग्रेड भी किया जा चुका है।
इस क्रम में समग्र शिक्षा की ओर से सभी विद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षणिक खाली पदों पर समय से भर्ती करने के निर्देश दिए थे किंतु गोरखपुर में सर्वाधिक 127 पद खाली हैं और जनवरी में किए गए विज्ञापन की प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह बलमरापुर में 83 पद खाली हैं, यहां अक्तूबर में विज्ञापन किया गया है। रायबरेली में अभी तक खाली 73 पदों का विज्ञापन ही नहीं जारी किया गया। अलीगढ़ व गाजीपुर में 67 67 पद खाली हैं।
इसी तरह प्रयागराज में 58 पद खाली हैं और अप्रैल में विज्ञापन किया गया था। भदोही में 57 पद खाली हैं और जनवरी में विज्ञापन किया गया था। महोबा में 54 पद खाली हैं और फरवरी में विज्ञापन किया गया था।
एटा में 54 और बस्ती में 51 पद खाली हैं। इनकी भी विज्ञापन प्रक्रिया तीन-चार महीने से चल रही है। इन सबका असर विद्यालयों के पठन-पाठन व कामकाज पर पड़ रहा है। समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि भर्ती की लगातार समीक्षा की जा रही है। समय से प्रक्रिया पूरी करने के आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं।
भर्ती में शीर्ष 10 जिले
अंबेडकरनगर, जौनपुर, कुशीनगर में एक भी पद खाली नहीं हैं। गौतमबुद्ध नगर, कानपुर देहात, श्रावस्ती में दो-दो, ललितपुर, मैनपुरी में तीन-तीन व बागपत, रामपुर में पांच-पांच पद खाली हैं।
पिछड़े 10 जिले
रायबरेली में विज्ञापन जारी नहीं किया गया। बलरामपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, गाजीपुर, प्रयागराज, भदोही, महोबा, एटा व बस्ती में कई महीने से विज्ञापन जारी कर प्रक्रिया अब तक नहीं पूरी की गई।
व्यावहारिक कारणों से 15-20 मिनट देरी होने पर न करें शिक्षकों पर कार्रवाई, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में योजनाओं की कड़ी निगरानी के दिए निर्देश
कहा- केजीबीवी में महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से करें संवाद
लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने निर्देश दिया है कि 15-20 मिनट की देरी होने पर शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी न किए जाएं। देरी का अव्यावहारिक कारण होने पर ही कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में शिक्षकों का मनोबल नहीं गिरना चाहिए।
वह सोमवार को योजना भवन में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मंत्री ने निर्देश दिया कि शिक्षकों पर अनुचित कार्रवाई या दबाव न बनाया जाए। कंपोजिट ग्रांट हर विद्यालय तक पूरी और समय से पहुंचे। बीएसए खुद एक दिन ब्लॉक पर बैठकर शिकायतों का निस्तारण करें और फील्ड में नियमित रूप से भ्रमण कर वास्तविक स्थिति की समीक्षा करें।
मंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि हर कर्मचारी का वेतन और एरियर समय पर मिले, साथ ही एडेड विद्यालयों में भी वेतन भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो।
उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में लापरवाही व देरी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। आजमगढ़ में योजनाओं की धीमी प्रगति पर उन्होंने बीएसए को सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से संवाद करें। केजीबीवी में खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।
सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित करें
उन्होंने कहा कि बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए 1200 रुपये की डीबीटी राशि शत-प्रतिशत अभिभावकों के खातों में पहुंचे। सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, यूपीएलसी के निदेशक रंजन कुमार, विशेष सचिव अवधेश तिवारी, महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी आदि उपस्थित थे।
योजनाओं में देरी पर तय की जाएगी जिम्मेदारी
मंत्री संदीप सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं की कड़ी निगरानी की जाए। योजनाओं और उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। एक महीने के अंदर निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा होगी। उस समय कमी व देरी मिलने पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।