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Wednesday, December 24, 2025

आने वाले बजट में सभी जिलों में बालिका छात्रावास बनाने का हो सकता है एलान, उच्च शिक्षा के GER को बढ़ाने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को दिया प्रस्ताव

आने वाले बजट में सभी जिलों में बालिका छात्रावास बनाने का हो सकता है एलान, उच्च शिक्षा के GER को बढ़ाने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को दिया प्रस्ताव


नई दिल्लीः आने वाले बजट में केंद्र सरकार बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ बड़ा एलान कर सकती है। जो संकेत मिले है, उसमें देश के सभी जिलों में बालिकाओं के लिए एक-एक छात्रावास बनाए जा सकते है। जहां वह सुरक्षित तरीके से रह कर उच्च शिक्षा की अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती है। 


अभी ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाली बालिकाएं सिर्फ इसलिए उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती है, क्योंकि उच्च शिक्षण संस्थान उनके घरों से दूर है। साथ ही जहां संस्थान है, वहां उनके पास रहकर पढ़ाई करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय इस दिशा में आगे बढ़ा है। 


शिक्षा मंत्रालय से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय को इसे लेकर प्रस्ताव दिया गया है। जिस पर वित्त मंत्रालय के साथ ही कई दौर की चर्चा भी चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि बजट में इसे लेकर घोषणा हो सकती है। मंत्रालय वैसे भी उच्च शिक्षा के जीईआर को 2035 तक 50 प्रतिशत पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर तेजी से बढ़ा है। ऐसे में बगैर बालिकाओं को जोड़े यह लक्ष्य हासिल भी नहीं होने वाला है। मौजूदा समय में देश में उच्च शिक्षा का जीइआर करीब 29 प्रतिशत है।

उच्च शिक्षा के जीइआर को बढ़ाने की इस मुहिम में केंद्र ने सभी राज्यों को भी जोड़ने की योजना बनाई है। जिसके तहत 26, 27 और 28 दिसंबर को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ एक बैठक रखी गई है। जिसमें उच्च शिक्षा के जीइआर को बढ़ाने के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा होगी। इसके लिए सभी राज्यों को जरूरी संसाधन जुटाने जैसी पहलों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

यूपी बोर्ड को मिलीं तीन हजार से अधिक शिकायतें, 28 दिसंबर तक इनका निस्तारण कर 30 दिसंबर को परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची जारी करने की तैयारी

यूपी बोर्ड को मिलीं तीन हजार से अधिक शिकायतें, 28 दिसंबर तक इनका निस्तारण कर 30 दिसंबर को परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची जारी करने की तैयारी


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए कई जिलों में परीक्षा केंद्र बीस से लेकर 49 किमी दूर तक भेज दिया है। इसके अलावा अधिक छात्र आवंटित करने, छात्रों की कम संख्या देने, परीक्षा केंद्र न बनाए जाने की तीन हजार से अधिक शिकायतें माध्यमिक शिक्षा परिषद को प्राप्त हुई हैं।

इनका निस्तारण 28 दिसंबर तक करने के बाद 30 दिसंबर को परीक्षा केंद्रों की फाइनल सूची जारी करने की तैयारी में यूपी बोर्ड जुट गया है। यूपी बोर्ड ने वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए 7448 विद्यालयों को ऑनलाइन परीक्षा केंद्र घोषित किया था। इनमें 910 राजकीय, 3484 एडेड और 3054 वित्त विहीन विद्यालय शामिल थे। छात्रों की कुल संख्या 52,30,297 है।

उधर, जनपदीय समितियों ने ऑनलाइन बनाए गए केंद्रों की संख्या बढ़ा कर 8033 कर दी जिसमें 910 राजकीय स्कूलों की संख्या कम कर 596, एडेड 3484 स्कूलों की संख्या कम कर 3453 कर दी। जबकि, 3054 वित्त विहीन स्कूलों की संख्या बढ़ाकर 3984 कर दी गई।

माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश संरक्षक हरि प्रकाश यादव का कहना है कि प्रयागराज में परीक्षा केंद्र बनाए गए एडेड स्कूलों को बिना किसी कारण के काट कर वित्त विहीन स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि छात्र संख्या एडेड स्कूलों में कम कर वित्त विहीन में बढ़ाने का खेल हुआ है।


परीक्षा केंद्र बनाए जाने, लंबी दूरी पर केंद्र भेजे जाने, छात्र संख्या कम करने सहित प्रदेश भर से 3053 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। प्रयास है कि 28 दिसंबर तक इनका निस्तारण कर 30 दिसंबर को केंद्रों की अंतिम सूची जारी कर दी जाए। –भगवती सिंह, सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद


केस एक 
प्रदेश के लगभग हर जिले से लंबी दूरी पर सेंटर भेजे जाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। हालांकि, इसमें एक जिले में इंटरमीडिएट कॉलेज के छात्रों का सेंटर 49 किमी दूर भेजे जाने की शिकायत आई है। आरोप है कि तीन किमी की दूरी पर परीक्षा केंद्र होने के बावजूद भी इतनी दूर केंद्र बना दिया गया है। यह माध्यमिक शिक्षा परिषद के मानकों के विपरीत है।

केस दो
प्रयागराज जिले में ऑनलाइन केंद्रों के निर्धारण में एडेड स्कूल परीक्षा केंद्र बनाए गए। इसमें 15 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जिन्हें बिना किसी कारण के दूसरी सूची में हटाकर वित्त विहीन स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया। इसकी शिकायत माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के नेताओं ने की है।

केस तीन
 प्रयागराज जिले में ऑनलाइन सेंटर निर्धारण में एडेड स्कूलों में छात्र संख्या को दूसरी सूची में कम कर वित्त विहीन स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ा दी गई। चर्चा है कि ऐसा विभागीय अधिकारियों व वित्त विहीन स्कूलों के प्रबंधकों की साठगांठ की वजह से हुआ है। इसकी शिकायत भी प्राप्त हुई है।

केस चार
 गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया जिलों से परीक्षा केंद्र न बनाए जाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। कोई अधिक छात्र आवंटित होने की शिकायत कर रहा है तो कोई इस बार विद्यालय को परीक्षा केंद्र न बनाए जाने का मुद्दा उठा रहा है। शिकायत करने वालों में अधिकतर वित्त विहीन स्कूलों के प्रधानाचार्य शामिल हैं।




यूपी बोर्ड परीक्षा: जनपदीय समितियों ने केंद्र की सूची में बढ़ा दिए 930 वित्तविहीन स्कूल

बोर्ड परीक्षा में छात्रों की संख्या दो लाख कम होने के बावजूद भी 585 केंद्रों की बढ़ोतरी

प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षा-2026 के लिए ऑनलाइन बनाए गए 7448 केंद्रों के लिए 8707 आपत्तियां दर्ज की गई हैं। डीएम की अध्यक्षता में जनपदीय परीक्षा निर्धारण समितियों ने आपत्तियों के निस्तारण के बहाने 314 राजकीय और 31 एडेड स्कूलों के केंद्रों की संख्या कम कर 930 वित्तविहीन अन्य स्कूलों की संख्या बढ़ा दी हैं। ऐसे में वर्ष 2026 की बोर्ड परीक्षा में छात्रों की संख्या दो लाख कम होने के बावजूद भी 585 केंद्र बढ़ गए हैं।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए 7448 विद्यालयों को केंद्र घोषित किया है। इनमें 910 राजकीय, 3484 एडेड तथा 3054 वित्त-विहीन स्कूल शामिल थे। छात्रों की संख्या 52,30,297 हैं।

वर्ष 2025 के 54,37,174 विद्यार्थी होने के बावजूद भी 7,657 ही सेंटर बनाए गए थे। इसमें 940 राजकीय, 3,512 एडेड और 3,205 वित्तविहीन स्कूलों की संख्या शामिल हैं। इस बार छात्रों की संख्या कम होने के बावजूद भी केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर जनपदीय समितियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

केंद्रों की संशोधित सूची बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड हो चुकी है। 22 दिसंबर तक विद्यालयों, छात्रों, अभिभावकों, प्रधानाचार्यों और प्रबंधकों को दोबारा आपत्तियां दर्ज करने का अवसर परिषद ने दिया है।

सचिव भगवती सिंह ने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद 30 दिसंबर को अंतिम केंद्रों की फाइनल सूची जारी कर दी जाएगी।




8033 केंद्रों पर होगी यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2026 के लिए 8033 केंद्र बनाए गए हैं। आपत्तियों के निस्तारण के बाद जिलों से 585 केंद्र बढ़ा दिए गए हैं। यही नहीं ऑफलाइन माध्यम से सर्वाधिक निजी स्कूलों के केंद्र बढ़े हैं।

यूपी बोर्ड ने 30 नवंबर को जारी ऑनलाइन सूची में 7448 केंद्र बनाए थे जिनमें 910 राजकीय, 3484 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और 3054 वित्तविहीन स्कूल शामिल थे। इन ऑनलाइन केंद्रों पर छात्रों, प्रधानाचार्यों, अभिभावकों और प्रबंधकों से आपत्तियां मांगी गई थी। सभी 75 जिलों से आठ हजार से अधिक आपत्तियां मिली थी। इनके निस्तारण के लिए बोर्ड ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति को अधिकृत करते हुए केंद्र बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। 


जिला समितियों से आपत्तियां निस्तारण के बाद केंद्रों की संख्या 8033 हो गई है जिसमें 596 राजकीय, 3453 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और 3984 वित्तविहीन स्कूल शामिल हैं। साफ है कि सबसे अधिक राजकीय विद्यालयों के केंद्रों में कटौती की गई है। बोर्ड ने 910 राजकीय विद्यालयों को केंद्र बनाया था जबकि जिलों ने 314 स्कूलों का केंद्र खत्म करते हुए वित्तविहीन स्कूलों को सेंटर बना दिया है। 31 एडेड कॉलेजों के केंद्र भी काट दिए गए हैं। 

बोर्ड सचिव भगवती सिंह की ओर से बुधवार देर रात जारी सूचना के मुताबिक ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तावित परीक्षा केन्द्रों (विद्यालय छात्र आवंटन सहित) की सूची जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जनपदीय केन्द्र निर्धारण समिति के अनुमोदन के बाद वेबसाइट upmsp.edu.in पर अपलोड कर दी गई है। इन परीक्षा केन्द्रों (विद्यालय छात्र आवंटन सहित) के संबंध में यदि कोई आपत्ति या शिकायत हो तो छात्र, अविभावक, प्रधानाचार्य या प्रबंधक साक्ष्यों के साथ संबंधित विद्यालय की आईडी से अपना ऑनलाइन प्रत्यावेदन पोर्टल upmsp.edu.in पर 22 दिसंबर तक भेज सकते हैं। परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची 30 दिसंबर तक अपलोड की जाएगी।


पिछले साल से कम हो गए 107 परीक्षा केंद्र

पिछले साल की तुलना में परीक्षा केंद्रों की संख्या में 107 की कमी आई है। 2025 की परीक्षा के लिए यूपी बोर्ड ने ऑनलाइन 7657 केंद्र तय किए थे। आपत्तियों के निस्तारण के बाद 8140 स्कूलों को केंद्र बनाना पड़ा था। 2026 की परीक्षा के लिए बोर्ड ने 7446 केंद्र बनाए थे जो बढ़कर 8033 हो गए हैं। 2024 में ऑनलाइन 7864 केंद्र बने थे जो आपत्तियां निस्तारण के बाद 8265 हो गए थे। पिछले लगभग एक दशक से यूपी बोर्ड ऑनलाइन माध्यम से केंद्र निर्धारित करते हुए सूची जारी करता है।

वीर बाल दिवस के आयोजन के सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेश देखें

वीर बाल दिवस के आयोजन के सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेश देखें



Tuesday, December 23, 2025

बेसिक शिक्षकों के चयन वेतनमान में लापरवाही को लेकर 188 बीईओ व 39 बीएसए DGSE के रडार पर

बेसिक शिक्षकों के चयन वेतनमान में लापरवाही को लेकर 188 बीईओ व 39 बीएसए DGSE के रडार पर

लखनऊ। चयन वेतनमान प्रकरण में लापरवाह 188 बीईओ (खण्ड शिक्षा अधिकारी) एवं 39 बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) सरकार की रडार पर हैं। स्कूल शिक्षा महानिदेशक की स्पष्ट चेतावनी के बाद भी लापरवाही बरतने वाले इन बीईओ एवं बीएसए के खिलाफ अब कार्रवाई तय मानी जा रही है।



बेसिक शिक्षकों के चयन वेतनमान की राह में अभी भी कई रोड़े, सर्विस बुक ऑनलाइन, फिर भी ऑफलाइन मंगवा रहे 

दो बैच के काफी शिक्षक हैं चयन वेतनमान की लाइन में

लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को दस साल की सेवा पूरी करने पर चयन वेतनमान देने की व्यवस्था है। किंतु सैकड़ों शिक्षक पिछले कुछ महीने से इसके लिए भटक रहे हैं। हालत यह है कि 140 से अधिक विकास खंडों में अभी तक इसके लिए काम नहीं शुरू हुए हैं। कई जगह पर शिक्षकों से उनकी सर्विस बुक ऑफलाइन मांगी जा रही है।


इसकी शिकायत जब मुख्यालय में हुई तो कुछ जगह पर आदेश संशोधित किए गए हैं। वहीं, कई जगह पर सर्विस बुक अपडेट न होने की बात कही जा रही है। शिक्षकों ने बताया कि कई जिलों में पिछले तीन महीने में एक भी चयन वेतनमान का आदेश नहीं जारी हुआ है। जबकि 29334 और 72825 बैच के शिक्षकों की चयन वेतनमान के लिए लंबी लाइन है। शिक्षक नेता निर्भय सिंह ने कहा कि लखनऊ, बाराबंकी, हरदोई में न के बराबर शिक्षकों को इसका लाभ मिला है। इसकी वजह से हजारों शिक्षकों का ढाई से पांच हजार रुपये तक हर महीने का नुकसान हो रहा है।


वहीं, विभाग का कहना है कि काफी विकास खंडों में इसकी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। कुछ जगह पर आदेश भी जारी होने शुरू हो गए हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने हाल ही में इसमें रुचि न लेने वाले बीईओ व बीएसए के साथ बैठक कर कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस महीने के अंत तक सभी योग्य शिक्षकों को इसका लाभदेने का निर्देश दिया है। 

बिना पदोन्नति शिक्षिकाएं हुई रिटायर, एलटी ग्रेड महिला संवर्ग की प्रवक्ता पद पर नहीं हुई प्रोन्नति, दो साल में कई बार मांगी वरिष्ठता सूची

बिना पदोन्नति शिक्षिकाएं हुई रिटायर, एलटी ग्रेड महिला संवर्ग की प्रवक्ता पद पर नहीं हुई प्रोन्नति, दो साल में कई बार मांगी वरिष्ठता सूची


प्रयागराज। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाओं के लिए पदोन्नति सपना बनकर रह गई है। शिक्षा निदेशालय के अफसर पिछले ढाई साल से मंडल और जिले के अफसरों को चिट्ठी लिख रहे हैं, लेकिन गोपनीय आख्या नहीं मिलने के कारण दर्जनों शिक्षिकएं बिना पदोन्नति सेवानिवृत्त हो गईं। अपर शिक्षा निदेशक राजकीय अजय कुमार द्विवेदी ने छठवीं बार पत्र लिखकर 25 दिसंबर तक गोपनीय आख्या मांगी है।  मजे की बात है कि जिन 1883 शिक्षिकाओं की सूची भेजी गई है उनमें से दर्जनों शिक्षिकाएं सेवानिवृत्त हो गई हैं।


एडी अजय कुमार द्विवेदी ने मंडलीय संयुक्त शिक्ष निदेशकों को निर्देशित किया है कि जिन अध्यापिकाओं की गोपनीय आख्या 25 दिसंबर तक उपलब्ध नहीं होती है तो उसके संबंध में कारण सहित दोषी कर्मचारी/अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव भी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें ताकि शासन को अवगत कराया जा सके। शिक्षा निदेशालय ने 11 व 20 जुलाई 2023, 16 मई व दस जून 2024, 30 सितम्बर और अब 12 दिसंबर 2025 को गोपनीय आख्या के लिए पत्र भेजा है। गोपनीय आख्या प्राप्त न होने के कारण पदोन्नति में देरी हो रही है।


ये शिक्षिकाएं बिना पदोन्नति हो चुकीं सेवानिवृत्त

जीजीआईसी तालबेहट ललितपुर की भगवती, पीलीभीत की रेखा चन्द, बरेली की पंकज सक्सेना, वीर बाला व मधुबाला रानी, बस्ती की शाइस्ता अफरोज व इन्द्रा श्रीवास्तव, बिजनौर की रश्मिरानी गुप्ता, सुषमा शर्मा व उमा रानी, बागपत की मधु सक्सेना, गाजियाबाद अनीता जैन, प्रतापगढ़ किरन पांडेय व शांती सिंह, फतेहपुर की कल्पना शुक्ला, प्रयागराज अनीता पांडेय, सहारनपुर शमीम फात्मा, बहराइच रेखा कुमारी, वाराणसी पद्मावती देवी, पूनम सिंह, पुष्पलता व कामिनी श्रीवास्तव, गाजीपुर की सिजिता, बाराबंकी कंचनबाला श्रीवास्तव, मैनपुरी ऊषा दीक्षित, फिरोजाबाद उषा यादव, आगरा प्रवीना गुप्ता, मथुरा भुवनेश कुमारी, गोरखपुर बीना कुमारी, रायबरेली आशा शर्मा, नम्रता श्रीवास्तव, धम्मप्रीत बौध व पुष्पावती, लखनऊ राधा शुक्ला व कुसुम श्रीवास्तव, सीतापुर संध्या शर्मा, हरदोई किरन देवी, उन्नाव इन्दू बाला अवस्थी व कनकलता सिंह और सहारनपुर हीरा कंडूरी सेवानिवृत्त हो चुकी हैं।

शाहजहांपुर के BEO व ARP पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार, स्कूल से गैरहाजिर रहने पर मामले को निपटाने के लिए मांगे थे रुपये

शाहजहांपुर के BEO व ARP पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार, स्कूल से गैरहाजिर रहने पर मामले को निपटाने के लिए मांगे थे रुपये


शाहजहांपुर। बरेली की एंटी करप्शन टीम ने कलान के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) सतीश कुमार मिश्रा व एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) सुशील सिंह को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा है। दोनों ने स्कूल से गैरहाजिर रहने के मामले को निपटाने के लिए एक शिक्षक से रिश्वत मांगी थी।


मथुरा के थाना राया के मोहल्ला पठानपाड़ा निवासी डब्ल्यू कुमार कलान विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं। गत दिनों बीईओ के निरीक्षण में स्कूल से गैरहाजिर मिलने पर उन्हें नोटिस जारी किया गया था। आरोप है कि मामले को निस्तारित करने के लिए पांच हजार रुपये की मांग की गई। 

डब्ल्यू कुमार ने मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली से की। सोमवार को टीम के प्रभारी जितेंद्र सिंह कलान पहुंचे। दोपहर 2:13 बजे डब्ल्यू कुमार ने जैसे ही धनराशि दी, एंटी करप्शन टीम ने बीईओ व एआरपी को दबोच लिया। उन्हें कार में बैठाकर कटरा थाने ले जाया गया। आरोपियों के खिलाफ मीरानपुर कटरा थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है। 




शिक्षक को केवल नैतिकता के आधार पर सेवा से बर्खास्त करना गलत, दंड पर हो पुनर्विचार –हाईकोर्ट

शिक्षक को केवल नैतिकता के आधार पर सेवा से बर्खास्त करना गलत, दंड पर हो पुनर्विचार –हाईकोर्ट

एमएनएनआईटी में लेक्चरर रहे शिक्षक ने आदेश को दी थी चुनौती


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी शिक्षक को केवल नैतिकता के उल्लंघन के आधार पर सेवा से बर्खास्त करना अत्यधिक कठोर कदम है। विशेषकर तब, जब शिक्षक और छात्रा के बीच आपसी सहमति से संबंध बना हो।

इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सौरभश्याम शमशेरी की एकल पीठ ने एमएनएनआईटी प्रयागराज के शिक्षक की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही दंड की मात्रा पर पुनर्विचार के लिए मामले को अनुशासनिक प्राधिकारी के पास वापस भेज दिया है। वर्ष 1999-2000 में एमएनएनआईटी के कंप्यूटर साइंस विभाग में लेक्चरर के पद पर याची की नियुक्ति की गई थी।


एक छात्रा ने संस्थान छोड़ने के करीब तीन साल बाद जनवरी 2003 में शिकायत दर्ज कराई कि शिक्षक ने उसके साथ संबंध बनाए थे। शिक्षक ने भी स्वीकार किया कि उनके बीच सहमति से संबंध थे और वे शादी करना चाहते थे पर कुछ कारणों से ऐसा नहीं हो सका। संस्थान ने मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट में शिक्षक को अनैतिक आचरण का दोषी पाया। उसी आधार पर 28 फरवरी 2006 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया तो शिक्षक ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि छात्रा संस्थान छोड़ने के तीन साल बाद तक शिक्षक के साथ रिश्ते में थी। शिकायत तब दर्ज कराई गई, जब शिक्षक की सगाई कहीं और हो गई। साथ ही मामले में कोई प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कराई गई थी। 

हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में मोबाइल फोन, टैबलेट, स्मार्ट वाच और आइपैड पर रोक, नियमों का उल्लंघन किया तो छात्र के निष्कासन का प्रावधान

हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में मोबाइल फोन, टैबलेट, स्मार्ट वाच और आइपैड पर रोक, नियमों का उल्लंघन किया तो छात्र के निष्कासन का प्रावधान


शिमलाः हिमाचल के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के मोबाइल फोन का उपयोग करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इसके अलावा छात्रों को स्कूल में स्मार्ट वाच, हेडफोन, टैबलेट, आइपैड, म्यूजिक प्लेयर, गेमिंग डिवाइस और रिकार्डिंग उपकरण लाने की भी अनुमति नहीं होगी। वह नियम पहली जनवरी, 2026 से लागू होगा। यदि कोई विद्यार्थी इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे स्कूल से निष्कासित किया जा सकता है।

स्कूल प्रधानाचार्य और मुख्य अध्यापक भी उल्लंघन करने वाले विद्यार्थियों पर जुर्माना लगा सकेंगे। शिक्षा सचिव, राकेश कंवर ने इस संबंध में सोमवार को अधिसूचना जारी की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिक्षा विभाग को इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने का निर्देश दिया था। विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी मोबाइल फोन के उपयोग के नए नियम बनाए गए हैं।



छात्रों के मानसिक विकास के लिए लिया निर्णयः शिक्षा सचिव

शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बताया, शिक्षण संस्थानों में अनुशासन, पढ़ाई के माहौल और छात्रों के मानसिक-सामाजिक विकास को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया गया है। अत्याधिक तकनीकी उपयोग से छात्रों की एकाग्रता, अनुशासन और शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

विशेष परिस्थितियों में ही छूटः अधिसूचना में स्पष्ट है कि गंभीर स्वास्थ्य या सुरक्षा से जुड़ी विशेष परिस्थितियों में अभिभावक के लिखित अनुरोध पर प्रधानाचार्य की अनुमति से छात्र को मोबाइल फोन लाने की छूट दी जा सकेगी।


शिक्षकों को साइलेंट मोड पर रखना होगा अपना मोबाइल

नए नियमों के अनुसार शिक्षक मोबाइल फोन ला सकेंगे, लेकिन कक्षा, प्रयोगशाला, परीक्षा या किसी भी शैक्षणिक गतिविधि के दौरान उसका उपयोग नहीं कर सकेंगे। स्कूल समय में उन्हें अपना मोबाइल फोन साइलेट मोड पर रखना अनिवार्य होगा। छात्रों की फोटो या वीडियो रिकार्डिंग भी बिना अनुमति नहीं की जा सकेगी।



हाईकोर्ट ने कहा, बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रशिक्षु शिक्षकों के वेतन पर निर्णय लें या हाजिर हों

हाईकोर्ट ने कहा, बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रशिक्षु शिक्षकों के वेतन पर निर्णय लें या हाजिर हों

कोर्ट ने सोनभद्र निवासी व अन्य की अवमानना याचिका पर आदेश दिया


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को प्रशिक्षु शिक्षकों के वेतन के भुगतान पर 26 फरवरी तक निर्णय लेने का आदेश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि रिट कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने की दशा में उन्हें अदालत ने व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा।


यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की अदालत ने सोनभद्र निवासी मोहम्मद अहमद व अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि 24 अप्रैल 2002 के शासनादेश के अनुसार प्रशिक्षित ग्रेड शिक्षक के रूप में वेतन पाने के हकदार हैं। इस संबंध में उन्होंने तीन अप्रैल 2024 और 11 जुलाई 2024 को संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रत्यावेदन भी प्रस्तुत किए पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।

जबकि, याचियों की ओर से दाखिल याचिका निस्तारित करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रत्यावेदन तीन महीने में निस्तारित करने का आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट ने सोनभद्र के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से प्रत्यावेदन निस्तारित नहीं करने पर जवाब तलब किया था।

इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर बताया कि मामला बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव से संबंधित है। लिहाजा, कोर्ट ने याचिका में सचिव की शामिल करते हुए उन्हें कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने की मोहलत दी है। 

Sunday, December 21, 2025

छठवीं से पड़ेगी कॅरिअर की नींव, माध्यमिक विद्यालयों में शुरू होगी व्यावसायिक कौशल की ट्रेनिंग, समग्र शिक्षा के तहत नए सत्र से सभी स्कूलों में लागू होगी योजना

छठवीं से पड़ेगी कॅरिअर की नींव, माध्यमिक विद्यालयों में शुरू होगी व्यावसायिक कौशल की ट्रेनिंग, समग्र शिक्षा के तहत नए सत्र से सभी स्कूलों में लागू होगी योजना

प्री-वोकेशनल प्रशिक्षण पूरा, शिक्षकों को दी जा रही मास्टर ट्रेनिंग, विषयों के साथ मिलेगा व्यावहारिक प्रशिक्षण

लखनऊ। अब विद्यार्थियों को कॅरिअर की दिशा तय करने का अवसर छठवीं कक्षा से ही मिलेगा। समग्र शिक्षा अभियान के तहत नए शैक्षिक सत्र से प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा छह से व्यावसायिक कौशल (वोकेशनल स्किल) की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों को प्रारंभिक स्तर से ही तकनीक, नवाचार और रोजगारपरक कौशल से जोड़ना है।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एससीईआरटी) के अधिकारियों के अनुसार, अभी तक कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप अब इस दायरे को बढ़ाकर कक्षा 6, 7 और 8 तक किया जा रहा है, ताकि छात्र-छात्राएं रुचि के अनुसार कौशल विकसित कर सकें।


मंडल स्तर पर पूरी हुई प्री-वोकेशनल मास्टर ट्रेनिंग : योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शिक्षकों को पहले प्रशिक्षित किया जा रहा है। नवंबर माह में लखनऊ में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंडल स्तर पर प्री-वोकेशनल की मास्टर ट्रेनिंग दी गई। इसमें निशातगंज राजकीय इंटर कॉलेज के गणित एवं विज्ञान शिक्षक स्वतंत्र कुमार गुप्ता को प्रशिक्षित किया गया है। 

अब मंडल स्तर पर प्रशिक्षित शिक्षक जिलों में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को नियमित विषयों के साथ-साथ अतिरिक्त रूप से वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए अल्पकालीन प्रशिक्षण कोर्स भी संचालित किए जाएंगे। इन कोर्सों के माध्यम से छात्र मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, मोबाइल रिपेयरिंग, फिटर, वेल्डर, आईटी, कंप्यूटर, प्लंबिंग, सर्विस सेक्टर और अन्य तकनीकी क्षेत्रों से जुड़ा व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। 

कार्यरत माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे, जिससे योजना को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके। स्वतंत्र कुमार के अनुसार, कक्षा छह से ही व्यावसायिक कौशल की शुरुआत से विद्यार्थियों में आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक समझ विकसित होगी।

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लावारिस कुत्तों का प्रवेश रोकेंः UGC

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लावारिस कुत्तों का प्रवेश रोकेंः UGC 


नई दिल्ली। देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लावारिस कुत्तों से निजात मिलने वाली है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों को पत्र लिखकर कैंपस, स्टेडियम और खेल परिसर में 24 घंटे सुरक्षा कर्मी तैनात करने और कुत्तों से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया है। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में यूजीसी को रिपोर्ट भी भेजनी होगी। 


सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को कैंपस की देखरेख और स्वच्छता के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा। यह भी सुनिश्चित करना पड़ेगा कि लावारिस कुत्ते कैंपस प्रवेश न करें। इसके अलावा पहले से कोई कुत्ते हों तो उन्हें वहां से बाहर करना होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. मनीष जोशी ने इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को कैंपस में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए लावारिस कुत्तों के प्रवेश और निवास को रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से काम करने का निर्देश है। 

यूपी बोर्ड वर्ष 2026 की हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्र/छात्राओं के शैक्षिक विवरणों में संशोधन के सम्बन्ध में

यूपी बोर्ड वर्ष 2026 की हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्र/छात्राओं के शैक्षिक विवरणों में संशोधन के सम्बन्ध में


72825 शिक्षक भर्ती में 14 साल बाद भी दस हजार से अधिक दावेदार सालों बाद भी बेरोजगार, सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को

72825 शिक्षक भर्ती में 14 साल बाद भी दस हजार से अधिक दावेदार सालों बाद भी बेरोजगार, सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को 


प्रयागराज। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती शुरू होने के 14 साल बाद भी दस हजार से अधिक बेरोजगारों को नियुक्ति की आस बनी हुई है। 30 नवंबर 2011 को विज्ञापन जारी होने के बाद लंबी कानूनी लड़ाई चली और 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले ने 66655 नियुक्तियों को सुरक्षित किया था। हालांकि उसके बावजूद कटऑफ से अधिक अंक पाने वाले तमाम | अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए।


इन्हीं अभ्यर्थियों ने शीर्ष कोर्ट में अवमानना याचिकाएं की थी। शीर्ष अदालत ने ऐसे अभ्यर्थियों की सूची बनाने के निर्देश दिए थे। जो अभ्यर्थी याचिका करने से वंचित रह गए थे उन्हें 16 दिसंबर तक नाम जुड़वाने का मौका मिला था। 25 जुलाई 2017 से पूर्व याची रहे व वर्तमान में अवमानना याचिका में भी शामिल याचिकाकर्ताओं की संख्या लगभग एक हजार थी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एक सप्ताह के अंदर लगभग 14 हजार अभ्यर्थियों ने याचिकाओं में अपना नाम जुड़वाया है। कुछ अभ्यर्थियों के नाम दो-तीन बार भी मान लिए तब भी दस हजार से अधिक अभ्यर्थी ऐसे हैं जो कटऑफ से अधिक अंक पाने के बावजूद नियुक्ति से वंचित हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को दोपहर दो बजे होगी।

Saturday, December 20, 2025

विधान परिषद में मिला आश्वासन - शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय वृद्धि पर निर्णय जल्द, कैशलेस इलाज का भी आदेश जल्द होगा जारी

विधान परिषद में मिला आश्वासन - शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय वृद्धि पर निर्णय जल्द, कैशलेस इलाज का भी आदेश जल्द होगा जारी 



कैशलेस इलाज का आदेश जल्द जारी होगाः केशव

परिषद में नेता सदन ने सपा सदस्य के सवाल का दिया जवाब

लखनऊविधान परिषद में शुक्रवार को सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि बीते 5 सितम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को कैशलेस इलाज की सुविधा दिए जाने की जो घोषणा की गई थी, उसका शासनादेश अतिशीघ्र जारी किया जाएगा।

सरकार की ओर से नेता सदन केशव मौर्या ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की जाने वाली घोषणा का मतलब ही होता है कि उस घोषणा को लागू किया जाएगा। केशव सपा के डा. मानसिंह यादव द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। सपा सदस्य ने पूछा था कि वित्तविहीन शिक्षकों को किसी प्रकार की सुविधा दिए जाने का निर्णय लिया गया है या नहीं। नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने कहा कि कैशलेस इलाज दिए जाने की घोषणा के तीन माह बीतने के बाद भी अब तक इस बारे में शासनादेश तक जारी नहीं किया गया है।




शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय वृद्धि पर निर्णय जल्द

परिषद में प्रश्न प्रहर में बोले बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह


लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने विधान परिषद में शुक्रवार को एक प्रश्न के जवाब में कहा कि शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि पर जल्द ही सरकार निर्णय लेगी। इस निर्णय से यथासमय सदन को भी अवगत कराएंगे। यह मुद्दा सपा के आशुतोष सिन्हा ने प्रश्न प्रहर में उठाया था। उन्होंने कहा कि इस ने कहा कि किसी कमेटी का कोई गठन नहीं किया गया है। संबंध में क्या कोई कमेटी का गठन किया गया है। इस पर संदीप सिंह

प्रश्न प्रहर में ही डॉ. मान सिंह यादव ने वित्तविहीन शिक्षकों को सुविधाओं का मामला उठाया। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्हें कैशलेस इलाज के लिए 89 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट दिया गया है। जल्द ही इस सुविधा के लिए शासनादेश भी जारी कर दिया जाएगा।

शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को जीपीएफ भुगतान में आ रही दिक्कतों को सामने रखा। इस पर नेता सदन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि छह माह के अंदर नवसृजित जिलों में आ रही समस्याओं को दूर कर दिया जाएगा। सपा के लाल बिहारी यादव ने निजी शिक्षा बोर्ड के प्रचार-प्रसार में अधिकारियों के लगने का मुद्दा उठाया। इस पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जांच कराएंगे।

CBSE की पहल, संबद्ध स्कूल बनेंगे NIOS परीक्षा केंद्र, ओपन स्कूलिंग में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं परीक्षाएं अपने शहर ही नहीं, बल्कि घर के पास दे सकेंगे

CBSE की पहल, संबद्ध स्कूल बनेंगे NIOS परीक्षा केंद्र, ओपन स्कूलिंग में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं परीक्षाएं अपने शहर ही नहीं, बल्कि घर के पास दे सकेंगे

केंद्रों की दूरी से नामांकन और परीक्षा में उपस्थिति कम

घर के पास केंद्र, लड़कियों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद

लखनऊ । शिक्षा के अधिकार को आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग तक पहुंचाने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बड़ी मानवीय पहल की है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ - ओपन स्कूलिंग (एनआइओएस) में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं 10वीं, 12वीं, व्यावसायिक और अन्य परीक्षाएं अपने शहर ही नहीं, बल्कि घर के पास दे सकेंगे। उन्हें दूसरे शहर या राज्य की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। सीबीएसई ने इस संबंध में - देशभर के अपने संबद्ध स्कूलों को - सर्कुलर जारी किया है।  प्रधानाचार्यों से अपील की है कि वे अपने स्कूल को एनआइओएस की परीक्षाओं के लिए केंद्र के रूप में पंजीकृत कराएं। इससे देशभर के लाखों विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।


एनआइओएस में 10वीं व 12वीं के साथ कंप्यूटर, हेल्थ केयर, इलेक्ट्रिशियन, ब्यूटी कल्चर, एआइ जैसे तमाम कोर्स में प्रवेश लिए जाते हैं। इसके देशभर में 7400 से अधिक स्टडी सेंटर भी हैं। सत्र 2025 में 10वीं परीक्षा में 1.06 लाख नामांकन के सापेक्ष 89 हजार 847 परीक्षार्थी ही शामिल हुए। इनमें 56 हजार 350 (62.72) ने सफलता हासिल की। 12वीं में 1.66 लाख बच्चों का नामांकन था, इनमें से 1.46 लाख ने परीक्षा दी। 94 हजार 457 (72.62) सफल रहे। 


एनआइओएस उन लाखों बच्चों को पुनः शिक्षा की मुख्यधारा में लाने में मदद करता है, जिनकी पढ़ाई गरीबी, पारिवारिक जिम्मेदारी, बीमारी या कामकाज के कारण छूट गई। कई जिलों में एक या दो ही परीक्षा केंद्र होते थे, जिससे छात्रों को 30 से 70 किलोमीटर तक दूरी तय करनी पड़ती थी।


कई बार दूसरे शहर भी जाना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए यात्रा, भोजन और ठहराव का खर्च पढ़ाई से महंगा साबित होता था। काफी छात्र फार्म भरने के बाद परीक्षा देने नहीं पहुंचते। इससे लड़कियों की भागीदारी पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। दिव्यांग छात्रों के लिए भी लंबी दूरी तय करना, परिवहन और सहायक की व्यवस्था करना मुश्किल है। सीबीएसई से संबद्ध स्कूल परीक्षा केंद्र बनेंगे तो बच्चे घर के पास ही परीक्षा दे सकेंगे, जिससे उपस्थिति बढ़ने की उम्मीद है।

बेसिक शिक्षा में शिक्षक भर्ती का पता नहीं, डीएलएड से मोह घटा, एक लाख से ज्यादा सीटें रिक्त रहना निश्चित

बेसिक शिक्षा में शिक्षक भर्ती का पता नहीं, डीएलएड से मोह घटा, एक लाख से ज्यादा सीटें रिक्त रहना निश्चित

52000 पद रिक्त होने के सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे से बीच के दो वर्षों में बढ़े थे प्रवेश

अब शिक्षक छात्र समानुपात बताए जाने पर एक लाख से ज्यादा सीटें रिक्त रहना निश्चित


प्रयागराज । बेसिक शिक्षा में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण तो हर साल प्रवेश लेकर कराया जा रहा है, लेकिन सात साल से कोई शिक्षक भर्ती नहीं आने से छात्र-छात्राओं का  रुझान इससे घट रहा है। सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से दिए गए हलफनामे में करीब 52,000 पद - रिक्त बताए जाने पर पिछले दो वर्ष में प्रवेश लेने वालों की संख्या बढ़ - गई थी, लेकिन अब विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात समान बताए - जाने पर प्रवेश को लेकर इस बार ग्राफ फिर गिर गया है। 


सत्र 2025 में डीएलएड में प्रवेश के लिए उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने आनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया पूर्ण कराई। प्रदेश के कुल 3,371 डीएलएड संस्थानों की 2,39,500 सीटों के सापेक्ष केवल 1,38,857 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराए। इसके सापेक्ष शुल्क केवल 1,25,333 ने ही जमा किए। इस तरह एक लाख से ज्यादा सीटें रिक्त रहना तय है। 


शिक्षक भर्ती की स्थिति यह है कि बेसिक शिक्षा में 2018 के बाद से भर्ती नहीं आई। कुछ माह पहले सदन में बेसिक शिक्षा मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात समान है। इस तरह जल्दी भर्ती की उम्मीद भी नहीं है। यह भर्ती परीक्षा अब तक पीएनपी कराता रहा है, लेकिन यह दायित्व अब उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को दे दिया है। इस तरह इस भर्ती को लेकर अभी नियमावली ही नहीं बनी है, इसलिए पद रिक्त होने पर भी भर्ती में देरी तय है।।





बालिकाओं की सुरक्षा को स्कूलों में लगाई जाएंगी शिकायत पेटिका

बालिकाओं की सुरक्षा को स्कूलों में लगाई जाएंगी शिकायत पेटिका

लखनऊ: बालिकाओं की सुरक्षा संबंधी  शिकायतें दूर करने के लिए स्कूलों में प्रधानाचार्यों की सहमति से शिकायत पेटिकाएं लगाई जाएंगी। इनमें आने वाली शिकायतों को संबंधित मिशन शक्ति केंद्रों के माध्यम से दूर किया जाएगा। डीजीपी राजीव कृष्ण ने इस संदर्भ में पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।


शुक्रवार को डीजीपी ने वीडियो - कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मिशन शक्ति केंद्रों की समीक्षा की। उन्होंने  कहा कि मिशन शक्ति केंद्रों की स्थापना के बाद दुष्कर्म सम्बंधी  मामलों में 33.92 प्रतिशत की कमी आई है। सर्वाधिक 76.92 प्रतिशत की कमी बाराबंकी में पाई गई है। महिलाओं व बच्चियों के अपहरण संबंधी मामलों में 17.03 प्रतिशत की कमी हुई है।

सर्वाधिक 42.61 प्रतिशत की कमी अमेठी में आई है। दहेज हत्या संबंधी मामलों में 12.96 प्रतिशत की कमी हुई है जिसमें सर्वाधिक 80 प्रतिशत की कमी बलरामपुर में हुई है। घरेलू हिंसा के मामलों में 9.54 प्रतिशत कमी आई है। श्रावस्ती में सर्वाधिक 35.90 प्रतिशत की कमी हुई है।

यूपी बोर्ड : फर्जी परीक्षक रोकने को आईकार्ड जारी करेगा बोर्ड, 24 जनवरी से प्रस्तावित है इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षाएं

यूपी बोर्ड : फर्जी परीक्षक रोकने को आईकार्ड जारी करेगा बोर्ड, 24 जनवरी से प्रस्तावित है इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षाएं

प्रयागराज : 24 जनवरी से प्रस्तावित यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षाओं में फर्जी परीक्षकों पर रोक लगाने के लिए अधिकृत परीक्षकों को आईकार्ड जारी करने पर विचार हो रहा है। सचिव भगवती सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को बोर्ड मुख्यालय में प्रयोगात्मक परीक्षाओं को लेकर बैठक हुई। बैठक में बोर्ड के अधिकारी और स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने शुचितापूर्ण तरीके से परीक्षाएं कराने पर मंथन किया।


पिछले कुछ वर्षों में कुछ केंद्रों पर प्रायोगिक परीक्षा कराने के लिए फर्जी परीक्षकों के पहुंचने की शिकायत मिल रही है। ऐसी आशंका को समाप्त करने के लिए बोर्ड अधिकृत परीक्षकों को आईकार्ड जारी करने पर मंथन कर रहा है। इन परीक्षकों की फोटो और बायोडाटा स्कूलों को पहले से भेज दिया जाएगा ताकि उनके पहुंचने पर स्कूल के प्रधानाचार्य संतुष्ट होने पर ही उन्हें परीक्षा लेने की अनुमति देंगे।


इसके अलावा कुछ स्कूलों से परीक्षकों को धमकी मिलने की शिकायत पर उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम-2024 के तहत कार्रवाई करने पर चर्चा हुई। एक दिन में एक परीक्षकों के अधिकतम 70-80 परीक्षार्थियों की ही प्रायोगिक परीक्षा लेने पर विचार हो रहा है। मोबाइल एप पर एक दिन में परीक्षक अधिकतम 70-80 परीक्षार्थियों के अंक ही अपलोड कर सकेंगे और उसके बाद एप लॉक हो जाएगा।

परीक्षक तारीख बदलने पर ही अन्य बच्चों के अंक अपलोड कर सकेंगे। बैठक में राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य धर्मेन्द्र कुमार सिंह, शिवचरणदास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य लालचन्द्र पाठक और ज्वाला देवी इंटर कॉलेज सिविल लाइंस के विक्रम सिंह आदि मौजूद रहे।

Friday, December 19, 2025

एसआईआर में कहीं फंस न जाएं परिषदीय शिक्षकों के तबादले, शिक्षक लगातार कर रहे तबादला प्रक्रिया शुरू करने की मांग

एसआईआर में कहीं फंस न जाएं परिषदीय शिक्षकों के तबादले, शिक्षक लगातार कर रहे तबादला प्रक्रिया शुरू करने की मांग

हर साल जाड़े व गर्मी की छुट्टियों में होती है स्थानांतरण की प्रक्रिया


लखनऊ। प्रदेश में मतदाता पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) कार्य की तिथि बढ़ा दी गई है। वहीं, जाड़े व गर्मी की छुट्टियों में ही परिषदीय शिक्षकों को जिले के अंदर व एक से दूसरे जिले में तबादले की प्रक्रिया शुरू की जाती है। किंतु एसआईआर के कारण विभाग ने इस पर मौन साध रखा है। शिक्षक संगठन लगातार तबादला प्रक्रिया शुरू करने व इसका आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं।


शिक्षकों को यह डर है कि कहीं एसआईआर के चक्कर में उनके तबादले की प्रक्रिया न फंस जाए। क्योंकि विभाग ने पूर्व में कहा था कि तबादले के लिए पोर्टल साल भर खुला रहेगा और शिक्षक आवेदन कर सकेंगे। जबकि तबादला प्रक्रिया गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में पूरी की जाएंगी। बेसिक शिक्षा विभाग में 31 दिसंबर से जाड़े की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं। किंतु विभाग ने अभी तक कोई भी कार्यक्रम नहीं जारी किया है।

वहीं, शिक्षामित्रों के तबादले का शासनादेश जारी होने के बाद भी अभी तक कार्यक्रम नहीं जारी किया गया है। इससे वे भी दुविधा में हैं कि उनकी तबादला प्रक्रिया पूरी होगी या इस बार भी शासनादेश ही जारी होकर रह जाएगा।

उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने मांग की है कि शिक्षकों के परस्पर तबादले का आदेश जल्द जारी किया जाए ताकि शीतकालीन अवकाश में शिक्षक अपने घर के पास जा सकें।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शिक्षकों को अपना जोड़ा बनाने में काफी समय लगता है। अगर तबादला प्रक्रिया आदेश जल्द जारी नहीं हुआ तो उनको अपना साथी खोजने में समय लगेगा। उन्हें साथी खोजने के लिए पर्याप्त समय दिए जाए ताकि अधिक से अधिक शिक्षकों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने मांग की कि 30 दिसंबर से पहले इसका आदेश जारी किया जाए।

यूपी बोर्ड: जनवरी के दूसरे सप्ताह में होंगी हाईस्कूल और इंटर की प्री-बोर्ड लिखित परीक्षाएं, 24 जनवरी से दो चरणों में होगी इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं

यूपी बोर्ड : 23 जिलों में दो चरणों में होंगी प्रयोगात्मक परीक्षाएं

प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद के अपर सचिव कमलेश कुमार ने कहा है कि क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आने वाले प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, झांसी और चित्रकूट मंडल के 23 जिलों में इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं दो चरणों में होगी। प्रथम चरण की परीक्षा 24 जनवरी से एक फरवरी के बीच होगी। 29 एवं 30 जनवरी को उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा होने से आयोजन न करने एवं विद्यालयों में शैक्षिक अवकाश घोषित होने से दोनों तिथियों में प्रयोगात्मक परीक्षाएं स्थगित रहेंगी। प्रथम चरण में लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट में होंगी। वहीं द्वितीय चरण में दो से नौ फरवरी तक कानपुर नगर, कानपुर देहात, फरूर्खाबाद, इटावा, कन्नौज, औरैया, प्रतापगढ़, प्रयागराज, फतेहपुर और कौशाम्बी में परीक्षाएं होगी। 


जनवरी के दूसरे सप्ताह में होंगी हाईस्कूल और इंटर की प्री-बोर्ड लिखित परीक्षाएं, 24 जनवरी से दो चरणों में होगी इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं

यूपी बोर्ड : इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 24 जनवरी से, हाईस्कूल में आंतरिक मूल्यांकन से होगा प्रैक्टिकल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने वर्ष 2026 की इंटरमीडिएट (कक्षा 12) की प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तिथियां घोषित कर दी हैं। परिषद के आदेश के अनुसार राजधानी सहित लखनऊ मंडल में इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 24 जनवरी से 1 फरवरी 2026 तक आयोजित की जाएंगी। हालांकि, 29 और 30 जनवरी को उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की लिखित परीक्षा होने के कारण इन दोनों दिनों में किसी भी विद्यालय में प्रयोगात्मक परीक्षा नहीं कराई जाएगी।

जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय ने परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत सभी प्रधानाचार्यों को प्रयोगात्मक परीक्षाएं सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में करानी होंगी। परीक्षा की वीडियो रिकार्डिंग सुरक्षित रखी जाएगी, जिसे आवश्यकता पड़ने पर परिषद द्वारा मांगा जा सकेगा।

हाईस्कूल में आंतरिक मूल्यांकन से होगा प्रैक्टिकलः हाईस्कूल (कक्षा 10) की प्रयोगात्मक परीक्षाएं विद्यालय स्तर पर आंतरिक मूल्यांकन (प्रोजेक्ट कार्य) के आधार पर होंगी। वहीं, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की नैतिक शिक्षा, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा के प्राप्तांक विद्यालय के प्रधानाचार्य के माध्यम से परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर ऑनलाइन अपलोड किए जाएंगे। प्राप्तांक अपलोड करने के लिए परिषद की वेबसाइट 10 जनवरी 2026 से सक्रिय कर दी जाएगी। विद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाली कक्षा की प्री-बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षाएं जनवरी के प्रथम सप्ताह में संपन्न कराई जाएंगी।


यूपी बोर्ड परीक्षा प्रयोगात्मक 2026


सेवानिवृत्ति के बाद 33 वर्ष पुरानी नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाना मनमानापन, हाईकोर्ट ने की विद्यालय प्रबंधन की अपील खारिज, कर्मचारी को सेवानिवृत्ति लाभों समेत सभी बकाया ब्याज भुगतान का आदेश

सेवानिवृत्ति के बाद 33 वर्ष पुरानी नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाना मनमानापन, हाईकोर्ट ने की विद्यालय प्रबंधन की अपील खारिज, कर्मचारी को सेवानिवृत्ति लाभों समेत सभी बकाया ब्याज भुगतान का आदेश


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद दशकों पुरानी नियुक्ति की वैधता को चुनौती देना या उसे रद्द करना प्रशासनिक विफलता ही नहीं, बल्कि गैरकानूनी और मनमानापन भी है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति अजित कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद इंटर कॉलेज कुशीनगर की प्रबंध समिति की विशेष अपील खारिज कर सेवानिवृत्त शिक्षक शंभू राव की अपील स्वीकार कर ली।


कर्मचारी की ओर से अधिवक्ता केके राव व प्रबंधन की ओर से अधिवक्ता गिरजेश तिवारी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा कि नियोक्ता और कर्मचारी का संबंध सेवानिवृत्ति के साथ ही समाप्त हो जाता है। धोखाधड़ी या जालसाजी के पुख्ता सबूतों के बिना वर्षों बाद पुरानी फाइलों को फिर से खोलना उचित नहीं है। शंभू राव की नियुक्ति 1989 में सहायक शिक्षक के रूप में हुई थी और वे 2022 में सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के ठीक बाद शिक्षा विभाग ने उनकी शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए 1989 में दी गई नियुक्ति की स्वीकृति को वापस ले लिया था। इस कार्रवाई को अदालत ने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया। क्योंकि, विभाग यह साबित करने में विफल रहा कि कर्मचारी ने कोई दस्तावेज फर्जी तरीके से प्रस्तुत किए थे।

 हालांकि, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यदि योग्यता को लेकर कोई संदेह था तो उसकी जांच नियुक्ति के समय ही की जानी चाहिए थी। 33 वर्षों की निरंतर सेवा और सरकारी खजाने से वेतन प्राप्त करने के बाद अंतिम समय में ऐसे कदम उठाना प्रशासनिक स्थिरता के सिद्धांतों के विरुद्ध है। इसी के साथ अदालत ने प्रबंधन की ओर से दाखिल अपील खारिज कर दी।

इसके अतिरिक्त अदालत ने सेवानिवृत्ति बकाया के भुगतान में देरी पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने पाया गया कि कर्मचारी को उसके जीपीएफ, पेंशन और अन्य देय राशि के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी और अवमानना याचिका दायर करने के बाद ही भुगतान किया गया। अदालत ने कहा वेतन और पेंशन कर्मचारी का कानूनी अधिकार है। इसमें देरी होने पर उसे उचित ब्याज मिलना चाहिए। लिहाजा, कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि शंभू राव को उनके सभी सेवानिवृत्ति लाभों पर देय तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक छह प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाए।

Thursday, December 18, 2025

प्रोजेक्ट अलंकार में 246 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए 55 करोड़ रुपये स्वीकृत, बजट लैप्स होने पर डीआईओएस होंगे जिम्मेदार

प्रोजेक्ट अलंकार में 246 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए 55 करोड़ रुपये स्वीकृत, बजट लैप्स होने पर डीआईओएस होंगे जिम्मेदार


लखनऊ। प्रोजेक्ट अलंकार योजना के तहत प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को संवारने के लिए शासन ने दूसरे चरण में 55 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इससे कुल 246 माध्यमिक विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का विकास व निर्माण आदि के कार्य पूरे कराए जाएंगे। शासन ने बजट के सही प्रयोग न करने पर कार्यवाही की चेतावनी भी दी है।


प्रदेश में 2022-23 व 2023-24 में अलग-अलग कॉलेजों को स्वीकृति दी गई है। इसके तहत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के जर्जर भवनों के पुननिर्माण, जीर्णोद्धार, अवस्थापना सुविधाओं आदि के कार्य कराए जाएंगे। इसके साथ ही इस बजट से इन विद्यालयों में पेयजल पाइपलाइन, बालक बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, अतिरिक्त कक्षाएं, भौतिक, रसायन व जीव विज्ञान प्रयोगशालाओं का निर्माण, मल्टीपरपज, हाल, पुस्तकालय कक्ष आदि भी बनाया जा सकेगा।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव कृष्ण कुमार ने इन विद्यालयों के दूसरी किस्त स्वीकृत करते हुए निर्देश दिया है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यदायी संस्था को तुरंत बजट जारी करेंगे। जिला कमेटी द्वारा गठित टास्क फोर्स द्वारा समय समय पर कार्यों का अनुश्रवण किया जाएगा। साथ ही किए गए कार्यों की भौतिक व वित्तीय प्रगति, फोटोग्राफ अपलोड किया जाएगा।

उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि धनराशि लैप्स होने पर संबंधित डीआईओएस इसके लिए जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इसके लिए किसी अन्य मद से बजट नहीं जारी किया गया है। वहीं डीआईओएस यह प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराएंगे कि इसके लिए पूर्व में कोई राशि नहीं जारी की गई है। योजना के तहत चयनित विद्यालयों के कार्यों का समय-समय पर भौतिक निरीक्षण किया जाएगा।

Wednesday, December 17, 2025

69,000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई चार फरवरी तक टली

69,000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई चार फरवरी तक टली


17 दिसम्बर 2025
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले की सुनवाई चार फरवरी तक के लिए टल गई है। मंगलवार को यह मामला जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था, लेकिन मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई। अगली तिथि चार फरवरी तय हुई है।

2018 में हुई 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त, 2024 को मेरिट लिस्ट रद कर दी थी और तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। इस फैसले को सामान्य वर्ग के नौकरी ज्वाइन कर चुके अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हालांकि इस मामले में आरक्षित वर्ग ने भी हस्तक्षेप अर्जियां दाखिल कर खंडपीठ के आदेश का समर्थन करते हुए अंतरिम रोक का विरोध किया है।

 इस मामले में भर्ती नियमों के मुताबिक, सामान्य वर्ग के लिए एटीआरई में 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत अंकों की कटआफ तय थी। इसके अलावा 40 प्रतिशत अंक हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और बीटीसी की परीक्षा के औसत से लिए गए थे। ऐसे में आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों के ये सभी अंक मिलाकर सामान्य वर्ग की मेरिट सूची से ज्यादा हो गए, उन्हें सामान्य वर्ग श्रेणी में गिने जाने की मांग की गई है। 

हाई कोर्ट ने ये दलीलें स्वीकार कर ली थीं। कहा गया कि अगर कोई उम्र या फीस आदि में छूट लेता है तो वह मेरिट में आने पर बाद में सामान्य वर्ग में स्थानांतरित हो सकता है, लेकिन अगर कोई परीक्षा में अंकों की छूट लेता है तो वह बाद में अधिक अंकों की दलील देकर सामान्य श्रेणी में शामिल होने का दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट में अभी आरक्षित वर्ग की हस्तक्षेप अर्जियों पर सुनवाई का नंबर नहीं आया है।




आखिरकार 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, सामान्य वर्ग ने आरक्षित वर्ग को दोहरे लाभ पर जताई आपत्ति, 16दिसंबर को अगली सुनवाई 

19 नवंबर 2025
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला मामले की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। जस्टिस दीपांकर दत्ता एवं जस्टिस एजी मसीह की पीठ के समक्ष हुई बहस में चयनित सामान्य वर्ग के शिक्षकों की तरफ से अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी टीईटी में उम्र, शुल्क और उत्तीर्णता अंक की छूट ले रहे और यह सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा में भी छूट ले रहे, जो गलत है।

उन्होंने कहा, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दोहरा लाभ नहीं ले सकते। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एक बार कम कटऑफ अंकों का लाभ ले चुके आरक्षित वर्ग को बाद में अधिक अंकों के आधार पर सामान्य श्रेणी का नहीं माना जा सकता। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में वे पक्षकार नहीं थे। हमने कोविड काल में भी सेवाएं दीं, ऐसी स्थिति में हमें हाईकोर्ट में नहीं सुना गया। मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया जाए। इस पर आरक्षित वर्ग के वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकट सुब्रमण्यम गिरी और निधेश गुप्ता ने कहा, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट को गुमराह कर रहे। वे लखनऊ हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में पक्षकार थे। इन्हें नोटिस दिया गया था।


16 दिसंबर को होगी अगली सुनवाईः सुनवाई के दौरान अचयनित सामान्य वर्ग से ईडब्ल्यूएस के मुद्दे को भी उठाया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामला लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश पर है। हमें इसे सुनकर निस्तारित करना है, इसलिए ईडब्ल्यूएस मुद्दे को हम इसमें शामिल करके नहीं सुन सकते। कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस मुद्दे को इस मामले से अलग कर दिया।

दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग का कहना था कि 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की लिस्ट 1 जून 2020 को प्रकाशित हुई तथा आरक्षण घोटाले के तहत यह मामला हाईकोर्ट की एकलपीठ में अगस्त 2020 को पहुंच गया था। इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में आरक्षण नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया और करीब 19,000 सीटों का घोटाला हुआ है। 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर रद्द कर दी थी मेरिट लिस्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को आरक्षण को लेकर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी और सरकार को 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और दोनों पक्षों से जवाब मांगा था। गौरतलब है कि 2018 में यूपी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए अधिसूचना निकाला था।

मान्यता नियमों में मिल सकती है राहत स्कूलों की डिजाइन बदलने की तैयारी, यूपी बोर्ड में व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए किया जा रहा विचार

मान्यता नियमों में मिल सकती है राहत स्कूलों की डिजाइन बदलने की तैयारी, यूपी बोर्ड में व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए किया जा रहा विचार

प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) मान्यता प्रक्रिया में आ रही व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए स्कूलों की भवन संरचना (डिजाइन) में बदलाव की तैयारी कर रही है। यदि प्रस्तावों पर सहमति बनती है तो मान्यता के लिए आवेदन करने वाले स्कूल संचालकों को भूमि और भवन से जुड़े नियमों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।


हाल ही में दिसंबर माह में हुई मान्यता समिति की बैठक में भूमि और भवन की अनिवार्य शर्तें पूरी न होने के कारण बड़ी संख्या में स्कूलों को मान्यता नहीं मिल सकी। खासकर वे हाईस्कूल स्तर के विद्यालय, जो इंटरमीडिएट की मान्यता लेना चाहते हैं, उन्हें भूमि, भवन और खेल मैदान के अभाव में अयोग्य घोषित कर दिया गया।

प्रदेश में वर्तमान में हाईस्कूल स्तर के 29,534 और इंटरमीडिएट स्तर के 25,190 मान्यता प्राप्त विद्यालय हैं। नियमों के अनुसार, इंटरमीडिएट की मान्यता के लिए पर्याप्त कक्ष, प्रयोगशालाएं और खेल मैदान अनिवार्य हैं, जो शहरी क्षेत्रों में संचालित कई विद्यालयों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इसी को देखते हुए परिषद मल्टी स्टोरी भवनों की अनुमति देने के लिए नई डिजाइन तैयार करने पर विचार कर रही है।

हालांकि, इस विषय पर अब तक कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है, लेकिन शिक्षक नेताओं और स्कूल प्रबंधकों की मांग पर माध्यमिक शिक्षा परिषद की बैठकों में इस पर चर्चा शुरू हो चुकी है। 

Tuesday, December 16, 2025

सरकारी स्कूलों के निर्माण समय पर पूरे नहीं हुए तो कार्रवाई तय, जिलों में हो रहे निर्माण कार्यों की होगी सख्त मॉनीटरिंग

सरकारी स्कूलों के निर्माण समय पर पूरे नहीं हुए तो कार्रवाई तय, जिलों में हो रहे निर्माण कार्यों की होगी सख्त मॉनीटरिंग


लखनऊ। सरकारी स्कूलों के निर्माण कार्य समय पर पूरे न हुए तो लापरवाही बरतने वाली कार्यदायी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूल, परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में चल रहे निर्माण कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही न की जाए। सोमवार को अपर मुख्य सचिव, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने यह निर्देश दिए।

 मुख्यमंत्री कंपोजिट स्कूलों के निर्माण में लापरवाही हो रही है। इस पर अपर मुख्य सचिव ने बैठक कर यह निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर बजट समय पर मिल रहा है तो कार्य भी समय पर पूरा करना चाहिए। अगर बजट खर्च न हुआ और निर्माण आधा-अधूरा रहा तो जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, अब सभी जिलों में हो रहे निर्माण कार्यों की मॉनीटरिंग की जाएगी। सभी जिलों के शिक्षाधिकारियों को निगरानी करने के निर्देश् दिए।



मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल के निर्माण में हो रही लापरवाही पर सरकार सख्त, बजट आवंटन के बावजूद कई जिलों में नहीं शुरु हुआ स्कूलों का निर्माण कार्य

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले 'मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल' को लेकर हो रही लापरवाही पर शासन ने सख्त नाराजगी जताई है। आलम यह है कि लापरवाही और शिथिलता के बारे में विभिन्न जिलों से वहां के डीएम एवं बीएसए से रिपोर्ट मांग ली गई है।


दरअसल, प्रदेश के कई जिलों में मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल का निर्माण कार्य या तो बहुत ही धीमी गति से हो रहा है या फिर ठप पड़ा है। यह स्थिति तब है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में ही सभी जिलों को प्रस्ताव के अनुसार बजट का भी आवंटन किया जा चुका है। इसके बावजूद निर्माण एजेंसियों ने स्कूलों के भवनों का साल भर बाद भी निर्माण कार्य शुरू ही नहीं किया है। इनमें कई जिले ऐसे भी हैं, जहां निर्माण कार्य इस साल के अंत तक पूरा हो जाना था।

निम्न आय वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से पिछले वर्ष सरकार ने प्रत्येक जिले में 'मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल' स्थापित करने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। पहले चरण में 27 जिलों का चयन किया गया और स्कूल भवन आदि के लिए प्रत्येक जिले को स्कूल की स्थापना के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए गए। लेकिन निर्माण एजेन्सियों ने योजना में पलीता लगा दिया है।


तीन मंजिला भवन में होंगी छात्रों के लिए कई सुविधाएं

विद्यालय का भवन तीन मंजिला होगा। सभी कक्षाओं के साथ अलग से मीड डे मील हॉल होगा। शैक्षिक एवं गैरशैक्षिक गतिविधियों के लिए मल्टीपरपज हॉल होगा। इसके अलावा विद्यालय परिसर में एक अलग से दो मंजिला भवन होगा, जिसमें प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्य का आवास होगा जबकि एक अन्य दो मंजिला भवन स्टाफ क्वाटर के रूप में होगा। इसके अतिरिक्त बाल वाटिका, खेल के मैदान, गार्ड रूम आदि भी होंगे।



यहां चल रहा कम्पोजिट स्कूलों का निर्माण कार्य

मैनपुरी, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, अम्बेकरनगर, औरैय्या, बलिया, हमीरपुर, कानपुर देहात, सुलतानपुर, चित्रकूट, अमेठी, अमरोहा, बिजनौर, बुलंदशहर, हरदोई महाराजगंज, रायबरेली सीतापुर, लखीमपुर खीरी, जालौन, ललितपुर, श्रावस्ती, बागपत, इटावा, हापुड़ तथा कुशीनगर।





विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक पेश, ये बदलाव होगा

विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक पेश, ये बदलाव होगा
 

लोकसभा में सोमवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के प्रावधान वाले विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान, 2025 विधेयक पेश किया। विपक्ष ने विधेयक को लेकर कई आपत्तियां जताई, जिस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सदस्यों को इस विधेयक को लेकर दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी। चूंकि आपत्ति की जा रही है इसलिए सरकार सदन से इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजने का अनुरोध कर रही है।

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, तृणमूल के सौगत राय, कांग्रेस की एस जोतिमणि व द्रमुक के टीवी सेल्वागणपति ने भी बिल का विरोध किया। जोतिमणि व सेल्वागणपति ने कहा, यह तमिलनाडु जैसे राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश है। रिजिजू बोले, आशंकाएं उचित नहीं हैं।


ये बदलाव होगा

1. उच्च शिक्षा के लिए कानूनी आयोग बनेगा, जो नीति निर्धारण वसमन्वय को लेकर सरकार को सलाह देगा।

2. शैक्षणिक मानक तय करने का जिम्मा होगा, परीक्षा परिणाम, छात्रों की आवाजाही और शिक्षकों के न्यूनतम मानदंड तय होंगे।




उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक वाला बिल मंजूर, प्रस्तावित विधेयक अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा

12 दिसम्बर 2025
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूजीसी और एआईसीटीई जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करने वाले विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।

प्रस्तावित विधेयक जिसे पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक नाम दिया गया था, अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित एकल उच्च शिक्षा नियामक का उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को प्रतिस्थापित करना है।

अधिकारी ने बताया, विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण की स्थापना से संबंधित विधेयक को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा क्षेत्र की, जबकि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करती है और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है।

मेडिकल-लॉ कॉलेज दायरे में नहीं : प्रस्तावित आयोग को उच्च शिक्षा के एकल नियामक के रूप में स्थापित किया जाएगा, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे। इसके तीन प्रमुख कार्य प्रस्तावित हैं-विनियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानक निर्धारण। वित्त पोषण, जिसे चौथा क्षेत्र माना जाता है, अभी तक नियामक के अधीन प्रस्तावित नहीं है।




HECI : बनेगा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग, UGC, NCTE और AICTE जैसी संस्थाओं की जगह लेगा नया आयोग

23 नवंबर 2025
नई दिल्ली : सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश करने के लिए कुल 10 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक भी सरकार के एजेंडे में है। प्रस्तावित कानून के जरिये उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना की जाएगी। प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) जैसी संस्थाओं की जगह लेगा और उच्च शिक्षा के एकीकृत नियामक के तौर पर काम करेगा। संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू हो रहा है। 


लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआइ) यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा। इस समय यूजीसी गैर तकनीकी उच्च शिक्षा का नियामक है, जबकि एआइसीटीई तकनीकी शिक्षा का नियमन करता है और एनसीटीई अध्यापक शिक्षा का नियामक निकाय है। 


एचईसीआइ को एकल उच्च शिक्षा विनियामक के तौर पर स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन चिकित्सा और विधि महाविद्यालयों को इसके दायरे में नहीं लाया जाएगा। इस आयोग की तीन भूमिकाएं-नियमन, मान्यता और मानक तय करने की है।

Monday, December 15, 2025

वैध प्रशिक्षण के बाद भी दोबारा ब्रिजकोर्स के निर्देश पर उठे सवाल, बोले शिक्षक – दोबारा नया ब्रिज कोर्स करने के निर्देश में प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए स्पष्टता नहीं

वैध प्रशिक्षण के बाद भी दोबारा ब्रिजकोर्स के निर्देश पर उठे सवाल, बोले शिक्षक – दोबारा नया ब्रिज कोर्स करने के निर्देश में प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए स्पष्टता नहीं

69000 बीएड योग्यताधारियों -मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री से ने मांगी ब्रिज कोर्स से छूट


प्रयागराज : राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) की और से संचालित 2017-19 सत्र में छह माह का ब्रिज कोर्स पूरा कर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों के लिए दोबारा नया ब्रिज कोर्स करने का निर्देश विवाद का कारण बन गया है। निर्देश में पूर्व में प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए स्पष्टता नहीं है। प्रश्न है कि जब नियामक संस्था की अनुमति से किया गया प्रशिक्षण वैध था तो वर्षों बाद पुनः प्रशिक्षण क्यों अनिवार्य किया जा रहा है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एनआइओएस ने छह माह का प्राथमिक शिक्षक शिक्षा (ब्रिज) कोर्स शुरू किया है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 25 दिसंबर 2025 है। प्रदेश में करीब 35 हजार बीएड शिक्षक हैं, जिन्हें यह कोर्स करना होगा।


आनलाइन प्रक्रिया में 'अप्रशिक्षित शिक्षक' घोषित करने की बाध्यकारी शर्त से परिषदीय प्राथमिक विद्यालय के 69000 बीएड योग्यताधारी शिक्षक असमंजस व मानसिक दबाव में हैं। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री, बेसिक शिक्षा मंत्री, शिक्षा निदेशक व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर ब्रिज कोर्स से छूट और स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। इन शिक्षकों की नियुक्ति एनसीटीई के 28 जून 2018 के नोटिफिकेशन के आधार पर हुई थी। ये सभी शिक्षक सर्वोच्च न्यायालय के 28 नवंबर 2023 के निर्णय से पहले ही सेवायुक्त ही चुके थे। उस समय पीडीपीईटी ब्रिज कोर्स को एनसीटीई की पूर्व स्वीकृति प्राप्त थी और एनआइओएस के माध्यम से इसे वैध प्रशिक्षण के रूप में संचालित किया गया था। शिक्षकों का तर्क है कि जब किसी प्रशिक्षण को स्वयं नियामक संस्था की अनुमति और निगरानी में कराया गया हो तो वर्षों बाद दोबारा प्रशिक्षण क्यों थोपा जा रहा है? आदेशों में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि पहले से ब्रिज कोर्स कर चुके शिक्षकों के साथ क्या व्यवहार होगा। आनलाइन आवेदन में उनसे जबरन 'आइ एम एन अनट्रेंड टीचर' का स्व घोषणापत्र लिया जा रहा है। यह अपमानजनक होने के साथा प्राकृतिक न्याय और समानता के अधिकार के भी विरुद्ध है।


स्थिति स्पष्ट करे सरकार
एनआइओएस की आधिकारिक हेल्पलाइन से बार-बार स्पष्ट किया गया है कि 2017-19 का ब्रिज कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों को नया ब्रिज कोर्स करने की आवश्यकता नहीं है। शिक्षकों ने एनआइओएस द्वारा 2017-19 में पूर्ण किया गया ब्रिज कोर्स पूर्णतः वैध और अंतिम घोषित करने की मांग की है।

नियुक्ति की गाइडलाइन में शर्त स्पष्ट : 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी गाइडलाइन में स्पष्ट शर्त शामिल थी, जिसमें कहा गया था कि बीएड एवं डीएलएड की योग्यता वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति के बाद प्रारंभिक शिक्षा में एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त छह माह का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करना अनिवार्य होगा। शर्त का पालन नहीं कराया और बिना प्रशिक्षण पूरा कराए ही शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान में नियुक्त कर दिया। करीब चार वर्ष तक शिक्षक नियमित रूप से सेवाएं देते रहे।

Sunday, December 14, 2025

वर्ष 2026 की परीक्षा के लिये केन्द्र व्यवस्थापकों, वाह्य केन्द्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों एवं परीक्षकों की नियुक्ति हेतु समस्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डेटा अपलोड/अपडेट कराये जाने के सम्बन्ध में।

वर्ष 2026 की परीक्षा के लिये केन्द्र व्यवस्थापकों, वाह्य केन्द्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों एवं परीक्षकों की नियुक्ति हेतु समस्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डेटा अपलोड/अपडेट कराये जाने के सम्बन्ध में।





यूपी बोर्ड परीक्षा : 15 दिसंबर तक शिक्षकों का अद्यतन विवरण अपलोड करना अनिवार्य

प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं का कार्यक्रम घोषित होने के बाद अब परीक्षा व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। परिषद के सचिव भगवती सिंह ने सभी केंद्र व्यवस्थापकों, बाह्य केंद्र व्यवस्थापकों, प्रयोगात्मक परीक्षकों, कक्ष निरीक्षकों और मूल्यांकन परीक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने हेतु प्रदेश के समस्त प्रधानाचार्यों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।

सचिव ने स्पष्ट किया कि प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करें कि उनके विद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षकों का अद्यतन विवरण परिषद की वेबसाइट पर समय से अपलोड कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि विवरण अपलोड करते समय एक बार पुनः पूर्ण सतर्कता एवं गहनता से जांच अवश्य की जाए। विशेष रूप से शिक्षक का नाम, पदनाम, - जन्मतिथि, नियुक्ति तिथि, मोबाइल नंबर, शैक्षिक अर्हता तथा हाईस्कूल अथवा इंटरमीडिएट के जिस विषय के लिए उनकी नियुक्ति हुई है, उस विषय का नाम और सही कोड दर्ज किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में कोई शिक्षक गलत विषय में परीक्षक के रूप में न चुना जाए और न ही कोई अपात्र शिक्षक चयनित हो सके। साथ ही एक शिक्षक का विवरण एक से अधिक विद्यालयों से अग्रसारित नहीं होना चाहिए। यदि प्रधानाचार्य द्वारा अपलोड की गई गलत या भ्रामक जानकारी के आधार पर कोई अयोग्य शिक्षक परीक्षक नियुक्त होता है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित प्रधानाचार्य की होगी।

परिषद की वेबसाइट पर शिक्षकों के विवरण अपलोड एवं अपडेट करने की प्रक्रिया 15 दिसंबर तक सक्रिय रहेगी। सचिव ने सभी विद्यालयों से निर्धारित समय सीमा के भीतर यह कार्य पूर्ण करने की अपील की है, ताकि आगामी परीक्षाएं पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराई जा सकें। 



14 से 22 दिसंबर तक यूपी के 33 जिलों में चलेगा सघन पल्स पोलियो अभियान

33 जिलों में आज से चलेगा पल्स पोलियो अभियान

14 दिसंबर 2025
लखनऊ। प्रदेश को पोलियो मुक्त बनाए रखने के संकल्प के साथ प्राथमिकता वाले 33 जिलों में रविवार से सघन पल्स पोलियो अभियान शुरू हो रहा है। यह अभियान 22 दिसंबर तक चलेगा। परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने बताया कि अभियान का मुख्य लक्ष्य 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक देना है।

 उन्होने बताया कि चिह्नित जिलों में शून्य से पांच साल तक के 1.33 करोड़ बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने पांच साल तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से हर साल पोलियो की खुराक पिलाएं। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले दिन 44726 बूथ लगाए जाएंगे। इसके बाद 22 दिसंबर तक 29360 टीमें तथा 10686 पर्यवेक्षक घर-घर जाकर शून्य से पांच साल तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाएंगे। 



14 से 22 दिसंबर तक यूपी के 33 जिलों में  चलेगा सघन पल्स पोलियो अभियान

 1.33 करोड़ बच्चों को पिलाई जाएगी दो बूंद जिंदगी की


लखनऊ। प्रदेश के 33 जिलों में 14 से 22 दिसंबर तक पांच वर्ष तक की उम्र वाले 1.33 करोड़ बच्चों को पोलियो ड्राप पिलाया जाएगा। अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो ड्राप पिलाएंगी।


प्रदेश 15 वर्ष पहले ही पोलियो मुक्त हो चुका है। राज्य में आखिरी पोलियो का मामला 21 अप्रैल 2010 को फिरोजाबाद में मिला था, लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में अब भी पोलियो संक्रमण बना हुआ है। प्रदेश में दोबारा संक्रमण का खतरा न हो, इसलिए हर वर्ष चिह्नित जिलों में पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है।

केंद्र सरकार की ओर से चयनित 33 जिलों में इस बार 1.33 करोड़ बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। अभियान के पहले दिन 44726 पोलियो बूथ स्थापित किए जाएंगे। इसके बाद 22 दिसंबर तक 29360 टीमें और 10686 पर्यवेक्षक घर-घर जाकर सभी पात्र बच्चों को दवा पिलाएंगे।

घुमंतू, मलिन बस्तियों, ईंट भट्ठों, निर्माण स्थलों और फैक्टरियों में रह रही आबादी पोलियो संक्रमण के प्रसार के प्रति अधिक संवेदनशील मानी जाती है। इसी कारण प्रदेश के 16194 घुमंतू एवं प्रवासी क्षेत्रों में 460,489 परिवारों को चिह्नित किया गया है। सीमा क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतते हुए नेपाल बॉर्डर पर 30 टीकाकरण पोस्ट स्थापित किए गए हैं। साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सोमालिया, सीरिया, कैमरून, केन्या और इथियोपिया जैसे पोलियो प्रभावित देशों से आने जाने वाले सभी यात्रियों को भी सावधानीपूर्वक पोलियो वैक्सीन दी जा रही है।


यहां चलेगा अभियान

आगरा, अंबेडकरनगर, अमेठी, अयोध्या, बदायूं, भदोही, बांदा, चंदौली, इटावा, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, हमीरपुर, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, कुशीनगर, ललितपुर, लखनऊ, महोबा, मऊ, मथुरा, मिर्जापुर, पीलीभीत, सोनभद्र, उन्नाव एवं वाराणसी।

अंग्रेजी मीडियम के बच्चे हिन्दी में छपे पेपर से दे रहे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा, 10 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील करने को भूल गया विभाग?

अंग्रेजी मीडियम के बच्चे हिन्दी में छपे पेपर से दे रहे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा, 10 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील करने को भूल गया विभाग?

 प्रदेश के अंग्रेजी मीडियम प्राइमरी स्कूलों में हिन्दी के पेपर से परीक्षा, किताबें अंग्रेजी में थीं

15  हजार बच्चे 100 स्कूलों में लखनऊ के नामांकित हैं

स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की किताबें दीं, पढ़ाई भी इन्हीं किताबों से हुई और पेपर हिन्दी में दे दिया

लखनऊ। अंग्रेजी मीडियम वाले प्राइमरी स्कूल के बच्चे हिन्दी में छपे प्रश्न पत्र से परीक्षा दे रहे हैं। अंग्रेजी मीडियम के इन स्कूलों को किताबें अंग्रेजी मीडियम की दी गईं। कक्षाओं में इन्हीं किताबों से शिक्षकों ने पढ़ाई करायी। अधिकांश अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूलों में बच्चों की अर्द्ध वार्षिक परीक्षा हिन्दी में छपे हुए प्रश्न पत्र से करायी जा रही है। भाषा बदलने से बहुत से बच्चों को प्रश्न पत्र के सवाल समझने में दिक्कतें हो रही हैं। ये हॉल लखनऊ का अकेले नहीं है। बल्कि ये समस्या प्रदेश भर में संचालित अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में है। बच्चों ने गणित, विज्ञान, ईवीएस आदि विषयों की परीक्षा हिन्दी वाले पेपर से दी है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग को इन स्कूलों को हिन्दी मीडियम में कर देना चाहिए।


शासन ने वर्ष 2018 व 19 में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को कॉन्वेंट की तर्ज पर अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिये प्रदेश के 10 हजार से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील किया था। इन स्कूलों के बच्चों को किताबें भी अंग्रेजी मीडियम की मुहैया करायी जा रही हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिये स्कूलों में अंग्रेजी में दक्ष विषयों के योग्य शिक्षक तैनात किये गए। इसी के तहत लखनऊ में पहले से संचालित 100 से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल अंग्रेजी मीडियम बनाए गए। इन स्कूलों में 15 हजार से अधिक बच्चे नामांकित हैं।

मीडियम बदलने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई

शिक्षकों का कहना है कि हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया के चक्कर में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अधिकांश बच्चों को अंग्रेजी के किताबें पढ़ने में दिक्कत हो रही है। इन्हें अंग्रेजी में इतिहास, भूगोल, विज्ञान और गणित आदि की किताबें पढ़ना तो दूर अल्फाबेट और टेबिल का ज्ञान नहीं है। ऐसे बच्चों को पढ़ाने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। बच्चे भी इस कारण पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं।


शिक्षकों का कहना है कि अंग्रेजी मीडियम के स्कूल होने के नाते विभाग से यहां किताबें अंग्रेजी मीडियम की दी। शिक्षकों ने सभी बच्चों को इन्हीं किताबों से पढ़ाई करायी। अब अर्द्धवार्षिक परीक्षा में लखनऊ के आधे से अधिक इन स्कूलों में प्रश्न पत्र हिन्दी में छपवाकर दे दिया। इन स्कूल के बच्चों को प्रश्न पत्र समझने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। शिक्षक भी परेशान हैं कि कापियों का मूल्यांकन कैसे करेंगे? जब किताबें और पढ़ाई इन किताबों से करायी है तो प्रश्न पत्र भी उसी भाषा का देना चाहिए।