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Wednesday, November 19, 2025
जाली दस्तावेज पर मिली नौकरी कई साल की सेवा के बाद भी मानी जाएगी शून्य – हाईकोर्ट
जाली दस्तावेज पर मिली नौकरी कई साल की सेवा के बाद भी मानी जाएगी शून्य – हाईकोर्ट
मुरादाबाद निवासी ने निलंबन और वेतन रोकने के आदेश को दी थी चुनौती
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जाली दस्तावेज के आधार पर मिली नौकरी कई साल की सेवा के बाद भी शून्य मानी जाएगी। धोखाधड़ी हर दूषित कर देती है और गलत तरीके से प्राप्त नियुक्ति को लंबी सेवा भी वैध नहीं बना सकती। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने दीपा मैगलीना की जाली दस्तावेज के आधार पर निलंबन और वेतन रोकने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
मुरादाबाद के सेंट जोसेफ गर्ल्स जूनियर हाईस्कूल में दीपा की 1991 में नियुक्ति हुई थी। स्कूल को 2015 में अनुदान प्राप्त स्कूलों की सूची में शामिल कर दिया गया। इसके बाद याची सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्ति प्राप्त की।
इस दौरान एक शिकायत पर जांच की गई और फजी टीईटी प्रमाणपत्र पाए जाने के आधार पर उन्हें निलंबित कर दिया और वेतन रोक दिया। इस फैसले को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि उनकी नियुक्ति 1991 में हुई थी। 2015 में अनुदान सूची में शामिल होने के बाद उनकी नियुक्ति को नियमित किया गया था। यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है। इसलिए उन्हें टीईटी की आवश्यकता से छूट प्राप्त है।
राज्य के वकीलों ने दलील दी कि याची ने 2015 के विज्ञापन के तहत आवेदन किया था, जिसमें टीईटी योग्यता अनिवार्य थी। नियुक्ति के समय याची ने जो टीईटी प्रमाण पत्र जमा किया था, उसमें उसने 91 अंक बताए थे। बोर्ड से प्राप्त सत्यापन रिपोर्ट के अनुसार याची ने केवल 63 अंक प्राप्त किए थे। इस प्रकार याची है ने जाली प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की।
आखिरकार 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, सामान्य वर्ग ने आरक्षित वर्ग को दोहरे लाभ पर जताई आपत्ति, 16दिसंबर को अगली सुनवाई
आखिरकार 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, सामान्य वर्ग ने आरक्षित वर्ग को दोहरे लाभ पर जताई आपत्ति, 16दिसंबर को अगली सुनवाई
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला मामले की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। जस्टिस दीपांकर दत्ता एवं जस्टिस एजी मसीह की पीठ के समक्ष हुई बहस में चयनित सामान्य वर्ग के शिक्षकों की तरफ से अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी टीईटी में उम्र, शुल्क और उत्तीर्णता अंक की छूट ले रहे और यह सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा में भी छूट ले रहे, जो गलत है।
उन्होंने कहा, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दोहरा लाभ नहीं ले सकते। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एक बार कम कटऑफ अंकों का लाभ ले चुके आरक्षित वर्ग को बाद में अधिक अंकों के आधार पर सामान्य श्रेणी का नहीं माना जा सकता। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में वे पक्षकार नहीं थे। हमने कोविड काल में भी सेवाएं दीं, ऐसी स्थिति में हमें हाईकोर्ट में नहीं सुना गया। मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया जाए। इस पर आरक्षित वर्ग के वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकट सुब्रमण्यम गिरी और निधेश गुप्ता ने कहा, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट को गुमराह कर रहे। वे लखनऊ हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में पक्षकार थे। इन्हें नोटिस दिया गया था।
16 दिसंबर को होगी अगली सुनवाईः सुनवाई के दौरान अचयनित सामान्य वर्ग से ईडब्ल्यूएस के मुद्दे को भी उठाया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामला लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश पर है। हमें इसे सुनकर निस्तारित करना है, इसलिए ईडब्ल्यूएस मुद्दे को हम इसमें शामिल करके नहीं सुन सकते। कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस मुद्दे को इस मामले से अलग कर दिया।
दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग का कहना था कि 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की लिस्ट 1 जून 2020 को प्रकाशित हुई तथा आरक्षण घोटाले के तहत यह मामला हाईकोर्ट की एकलपीठ में अगस्त 2020 को पहुंच गया था। इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में आरक्षण नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया और करीब 19,000 सीटों का घोटाला हुआ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर रद्द कर दी थी मेरिट लिस्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को आरक्षण को लेकर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी और सरकार को 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और दोनों पक्षों से जवाब मांगा था। गौरतलब है कि 2018 में यूपी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए अधिसूचना निकाला था।
Tuesday, November 18, 2025
व्यावहारिक कारणों से 15-20 मिनट देरी होने पर न करें शिक्षकों पर कार्रवाई, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में योजनाओं की कड़ी निगरानी के दिए निर्देश
व्यावहारिक कारणों से 15-20 मिनट देरी होने पर न करें शिक्षकों पर कार्रवाई, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में योजनाओं की कड़ी निगरानी के दिए निर्देश
कहा- केजीबीवी में महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से करें संवाद
लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने निर्देश दिया है कि 15-20 मिनट की देरी होने पर शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी न किए जाएं। देरी का अव्यावहारिक कारण होने पर ही कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में शिक्षकों का मनोबल नहीं गिरना चाहिए।
वह सोमवार को योजना भवन में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मंत्री ने निर्देश दिया कि शिक्षकों पर अनुचित कार्रवाई या दबाव न बनाया जाए। कंपोजिट ग्रांट हर विद्यालय तक पूरी और समय से पहुंचे। बीएसए खुद एक दिन ब्लॉक पर बैठकर शिकायतों का निस्तारण करें और फील्ड में नियमित रूप से भ्रमण कर वास्तविक स्थिति की समीक्षा करें।
मंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि हर कर्मचारी का वेतन और एरियर समय पर मिले, साथ ही एडेड विद्यालयों में भी वेतन भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो।
उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में लापरवाही व देरी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। आजमगढ़ में योजनाओं की धीमी प्रगति पर उन्होंने बीएसए को सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से संवाद करें। केजीबीवी में खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।
सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित करें
उन्होंने कहा कि बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए 1200 रुपये की डीबीटी राशि शत-प्रतिशत अभिभावकों के खातों में पहुंचे। सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, यूपीएलसी के निदेशक रंजन कुमार, विशेष सचिव अवधेश तिवारी, महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी आदि उपस्थित थे।
योजनाओं में देरी पर तय की जाएगी जिम्मेदारी
मंत्री संदीप सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं की कड़ी निगरानी की जाए। योजनाओं और उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। एक महीने के अंदर निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा होगी। उस समय कमी व देरी मिलने पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।
Monday, November 17, 2025
राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी जारी, 17 नवंबर तक सबमिट कर सकते हैं आपत्तियां
राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी जारी, 17 नवंबर तक सबमिट कर सकते हैं आपत्तियां
राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी आज होगी जारी, 17 नवंबर तक ईमेल के माध्यम से संज्ञान में ला सकते हैं आपत्तियां
प्रयागराज। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा 2026 की संबंधित प्रश्न पुस्तिका की उत्तरमाला कुंजी निर्धारित वेबसाइट http://entdata.co.in पर आज प्रकाशित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि परीक्षा नौ नवंबर को आयोजित की गई थी। इच्छुक अभ्यर्थी वेबसाइट पर उपलब्ध उत्तरमाला के क्रम में यदि कोई आपत्ति संज्ञान में लाना चाहते हैं तो शर्तों के अधीन 17 नवंबर शाम छह बजे तक ईमेल के माध्यम से संज्ञान में ला सकते हैं।
NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा
🔴 NMMS के एडमिट कार्ड एक क्लिक में करें डाउनलोड
यूपी एनएमएमएस प्रवेश पत्र में किसी भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोई भी परिवर्तन न करें, यदि ऐसा पाया जाता है कि आपने प्रवेश पत्र में किसी भी प्रकार की छेड़खानी की है तो आपको परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। सभी अभ्यर्थियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने प्रवेश पत्र का साफ प्रिंट सफेद पेज में ही निकलवाएं।
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति (यूपी एनएमएमएस) के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। पात्र उम्मीदवार अब यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in के माध्यम से अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
यूपी एनएमएमएस एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए, उम्मीदवारों को वेबसाइट पर अपना आवेदन पंजीकरण संख्या और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।
NMMS UP Admit Card 2025: एडमिट कार्ड डाउनलोड प्रक्रिया
यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in पर जाएं।
होमपेज पर, 'एनएमएमएस स्कॉलरशिप हॉल टिकट डाउनलोड' लिंक पर क्लिक करें।
अब अपना लॉगिन विवरण, जैसे आवेदन संख्या, नाम या यूजरनेम नेम और पासवर्ड दर्ज करें।
इसके बाद "सबमिट" बटन पर क्लिक करें।
आपका एडमिट कार्ड स्क्रीन पर दिखाई देगा।
एनएमएमएस यूपी एडमिट कार्ड की एक प्रति डाउनलोड करें और प्रिंट करें।
NMMS UP Exam Date 2025: परीक्षा तिथि
यूपी एनएमएमएस परीक्षा 9 नवंबर, 2025 को निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले अपने एडमिट कार्ड के साथ अपने निर्धारित केंद्रों पर पहुंचना होगा।
NMMS UP पात्रता क्या है?
एनएमएमएस यूपी परीक्षा का आयोजन प्रदेश के पात्र छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए किया जाता है। एनएमएमएस उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति 2025-26 के तहत ऐसे प्रतिभावान और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चयनित किया जाता है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक न हो।
पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी
पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी
लखनऊ। ऑल टीचर्स एम्पलाई वेल्फेयर एसोशिएशन (अटेवा) पेंशन बचाओ मंच ने रविवार को बैठक कर 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।
प्रदेश, मंडल व जिला पदाधिकारियों की शहीद डॉ. रामाशीष सिंह स्मृति भवन में हुई बैठक में रैली के लिए जिम्मेदारियां भी तय की गईं।
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता के विरोध, ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध में 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी। उन्होंने सभी संगठनों से आह्वान किया कि वे मतभेद भुलाकर एक साथ आएं।
प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि सरकार यूपीएस लाकर देश के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महासंघ महासचिव अशोक कुमार ने कहा कि
सरकार लगातार निजीकरण पर बल दे रही है। इसके कारण सरकारी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। पंचायतीराज सफाई कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में होने वाले स्नातक/शिक्षक निर्वाचन में सभी शिक्षक व कर्मचारी जरूर वोटर बनें ताकि पुरानी पेंशन बहाली की मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को अपनी बात पहुंचा सकें। बैठक में भारत सिंह, डॉ. आशीष वर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार आदि उपस्थित थे।
मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश
मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश
लखनऊ। प्रदेश में मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से जांच होगी। अनुदानित मदरसों में प्रबंधन से हर माह उपस्थिति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा। ब्रिटेन में जा बसे संदिग्ध मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा का मामला सामने आने पर शासन ने चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में 561 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। इनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। हाल ही में एटीएस की जांच में मदरसा शिक्षक शमशुल के संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन सामने आए हैं।
वह 2007 से वह ब्रिटेन में रह रहा था और 19 दिसंबर 2013 को उसने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 2007 से 2017 तक बिना उसकी सेवा पुस्तिका की जांच किए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि की गई। इतना ही नहीं 1 अगस्त 2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई।
एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कई अधिकारी फंस गए हैं। साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ऐसी स्थिति दुबारा उत्पन्न न होने देने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। एक-एक शिक्षक की हाजिरी सत्यापित होगी, उसके बाद ही भुगतान होगा।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मदरसों का औचक मुआयना करके भी देखेंगे कि जिन शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है, वे नियमित मदरसों में आ भी रहे हैं या नहीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के नियम पहले से भी थे, अब इन निर्देशों पर कड़ाई से अमल करना है। ताकि, शमशुल जैसे मामले सामने नहीं आ सके।
एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक (TGT) शिक्षकों को जल्द मिलेगी प्रोन्नति, सरकार ने मांगा प्रस्ताव और सूची
एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक (TGT) शिक्षकों को जल्द मिलेगी प्रोन्नति, सरकार ने मांगा प्रस्ताव और सूची
लखनऊ। एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी के शिक्षकों को जल्द प्रोन्नति का लाभ मिलने वाला है। सरकार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से ऐसे शिक्षकों की सूची समेत उन्हें प्रोन्नत करने का प्रस्ताव मांगा है।
दरअसल, अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों की एक दशक से भी अधिक समय से पदोन्नति लंबित है। संबंधित संवर्ग के शिक्षक लगातार शासन से प्रोन्नति की मांग कर रहे हैं। शिक्षक नेताओं की ओर से यह मुद्दा विधान परिषद में भी कई बार उठाया जा चुका है। अब शासन स्तर पर ऐसे शिक्षकों की प्रोन्नति की सहमति बनी है। बताया जाता है कि शासन अगले माह के अन्त तक इस प्रकरण को निस्तारित करने का मन बना चुका है।
10 साल की सेवा पर प्रोन्नति के हैं नियमः अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के 10 साल पूरे होने पर टीजीटी स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों की लगातार मांग के बाद शासन ने प्रदेश भर के ऐसे करीब 7400 शिक्षकों को पदोन्नत करने का निर्णय किया है। इसी संदर्भ में शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को विभागीय पत्र भेजकर स्नातक श्रेणी के ऐसे शिक्षक जिनकी पदोन्नति होनी है की संख्या समेत पूरी सूची अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति के नियम है। इसके बाद के 10 वर्षों के पश्चात अर्थात 20 वर्ष की नौकरी पूरी होने पर चयनमान वेतन दिए जाने का प्रावधान है। इसके दो साल बाद यानि पहली पदोन्नति के 12 साल बाद प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने की व्यवस्था है। सामान्य विषयों के शिक्षकों को इस नियम का लाभ मिलता रहा है लेकिन स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों का प्रोन्नत 2015 में यह कहकर रोक दिया या था कि इस संबंध में जारी शासनादेश में इसका कोई प्रावधान नहीं है।
Sunday, November 16, 2025
शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण समाप्त करने पर सख्ती जारी, मांगी रिपोर्ट
शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण समाप्त करने पर सख्ती जारी, मांगी रिपोर्ट
प्रदेश के शिक्षा विभाग में बिना अनुमति हुए संबद्ध पर गंभीर रुख अपनाते हुए विद्यालय शिक्षा निदेशक (मा०) ने सभी समस्त सम्बन्धित अधिकारियों को कड़ा निर्देश जारी किया है। 13 नवंबर 2025 को जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि कई अध्यापक, अधिकारी और कर्मचारी बिना शासन की अनुमति अपने मूल तैनाती स्थल से हटकर अन्य स्थानों पर कार्य कर रहे हैं। जानकारी न मिलने के कारण विभाग के समक्ष स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है और कई विद्यालयों में शैक्षणिक दायित्व प्रभावित हो रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि यदि किसी अध्यापक, अधिकारी या कर्मचारी को शासन की स्वीकृति के बिना संबद्ध किया गया है, तो ऐसे सभी कर्मियों को तत्काल प्रभाव से उनके मूल तैनाती स्थल पर वापस भेजा जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि जहाँ विद्यालय संचालित नहीं हैं या शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं और विद्यालय संचालन बाधित है, वहाँ समायोजन हेतु शासन से अनुमति प्राप्त कर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। जिन विद्यालयों में शिक्षक तो हैं लेकिन उनकी तैनाती वैध नहीं है तथा विद्यालय संचालन प्रभावित है, वहाँ भी अनुमन्य प्रक्रिया के अनुरूप समायोजन प्रस्ताव मांगे गए हैं।
निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी कार्यवाही तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित की जाए और अनुपालन रिपोर्ट आज ही निर्धारित ईमेल पर भेजी जाए। विभाग ने चेताया है कि बिना अनुमोदन के जारी हुए आदेशों को मान्य नहीं माना जाएगा और शैक्षणिक व्यवस्थाओं को बाधित करने वाले किसी भी अवैध समायोजन या तबादले पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
यह कदम उन लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया गया है जिनमें बताया जा रहा था कि कई जिलों में शिक्षक व कर्मचारी मनमाने ढंग से समायोजन आदेश जारी करवा लेते हैं, जबकि वास्तविक रूप से विभाग को इसकी जानकारी नहीं रहती। शिक्षा विभाग ने इस कार्रवाई को विद्यालयों में शैक्षणिक अनुशासन बहाल करने और पारदर्शिता लाने के लिए आवश्यक बताया है।
प्रयागराज/लखनऊ। शासन ने बिना अनुमति किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों के संबद्धीकरण (अटैचमेंट) आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल तैनाती अपर मुख्य सचिव बेसिक स्थान पर वापस भेजा जाए। आदेश के एवं माध्यमिक शिक्षा ने जारी किया आदेश
अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय माध्यमिक संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि संबद्धीकरण समाप्त करने या यथावत रखने से संबंधित जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर उपलब्ध कराएं।
निदेशक ने कहा कि ऐसे विद्यालय जहां पद सृजित नहीं हैं और विद्यालय संचालन के लिए अध्यापकों को संबद्ध किया गया है, वहां पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए संबद्धीकरण को अस्थायी रूप से जारी रखने का प्रस्ताव शासन को औचित्य सहित भेजा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा विभाग में अनधिकृत संबद्धीकरण की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना और शिक्षण व्यवस्था को नियमित करना है।
एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फिर से मिल सकेगी अटकी हुई बीमा सुरक्षा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कवायद
एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फिर से मिल सकेगी अटकी हुई बीमा सुरक्षा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कवायद
19 नवंबर को शिक्षक प्रतिनिधियों की बुलाई बैठक स्थगित, अगली तिथि जल्द होगी तय
लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों-कर्मचारियों को नए साल में सामूहिक बीमा सुरक्षा का तोहफा मिल सकता है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसकी कवायद तेज कर दी है। विभाग इस मुद्दे पर शिक्षकों-कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के भी सुझाव लेगा।
एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को पूर्व में सामूहिक बीमा का लाभ दिया जाता था, लेकिन एक दशक से ज्यादा से इन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। शिक्षकों के अनुसार पूर्व में ग्रेड-पे के अनुसार 167 रुपये महीना उनके वेतन से सामूहिक बीमा के लिए कटौती की जाती थी, पर बाद में इसे बंद कर दिया गया।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने हाल ही में शिक्षक संगठनों को पत्र भेजकर कहा है कि एलआईसी ने 2019 में अवगत कराया था कि 2013 से सभी समूह बीमा पॉलिसी बंद की जा चुकी है। इसके बाद 2014 से इसे बंद कर दिया गया। लेकिन हाल ही में एलआईसी ने एडेड विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा के लिए नई ग्रुप टर्म एश्योरेंस स्कीम देने की बात कही है। इसके तहत बीमा संरक्षण तो दिया जाएगा, लेकिन सेवानिवृत्ति पर कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
शिक्षक-कर्मचारियों की ओर से बीमा सुरक्षा की मांग के क्रम में इस योजना पर विचार के लिए 19 नवंबर को उनके कार्यालय में इसकी बैठक बुलाई गई थी। लेकिन यह बैठक अगली किसी तिथि पर होने की बात पर स्थगित कर दी गई है। उन्होंने बैठक में अध्यक्ष व मंत्री को खुद या अपना प्रतिनिधि भेजने को कहा है ताकि सकारात्मक निर्णय लिया जा सके।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर की बैठक स्थगित
Saturday, November 15, 2025
अब उच्च शिक्षा निदेशालय में सब कुछ होगा ऑनलाइन, बायोमेट्रिक हाजिरी भी होगी शुरू
अब उच्च शिक्षा निदेशालय में सब कुछ होगा ऑनलाइन, बायोमेट्रिक हाजिरी भी होगी शुरू
70 फीसदी दस्तावेज की स्कैनिंग पूरी, अन्य कार्यालयों एवं कॉलेजों में भी होगी व्यवस्था
प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और अन्य संबंधित कार्यालयों में आने वाले दिनों में सभी काम ऑनलाइन होंगे। निदेशालय में 70 फीसदी से अधिक दस्तावेज की स्कैनिंग हो चुकी है। इन्हें ऑनलाइन भी किया जा रहा है। उच्च शिक्षा निदेशालय, क्षेत्रीय कार्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों आदि में सभी काम ऑनलाइन करने का आदेश दिया गया है।
इसके तहत निदेशालय में प्रक्रिया तेज कर दी गई है। अफसरों और कर्मचारियों की अलग-अलग टीमें बनाकर विशेषज्ञ एजेंसी की मदद से आवश्यक कार्य कराए जा रहे हैं। संयुक्त निदेशक डॉ. शशी कपूर ने बताया कि निदेशालय में करीब 70 प्रतिशत दस्तावेज ऑनलाइन कर दिए गए हैं। कई काम ऑनलाइन किए जा रहे हैं। जल्द ही सभी दस्तावेज स्कैन कर लिए जाएंगे। इसके बाद सभी काम ऑनलाइन होंगे।
उच्च शिक्षा निदेशालय में सोमवार से बायोमीट्रिक उपस्थिति
प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में सोमवार से अफसरों एवं कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिती दर्ज कराने की तैयारी है। सचिव उच्च शिक्षा ने पिछले दिनों समीक्षा बैठक एवं निदेशालय के निरीक्षण के दौरान यह आदेश दिया था। इसी के तहत आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। 95 फीसदी से अधिक अफसरों एवं कर्मचारियों की बायोमीट्रिक पहचान मशीन में दर्ज करा ली गई है। संयुक्त निदेशक डॉ. शशी कपूर का कहना है कि सोमवार से बायोमीट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए परिसर में तीन जगह मशीन लगाई जाएगी।
प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और इसके अन्य कार्यालयों में अफसरों एवं कर्मचारियों की अब बायोमीट्रिक उपस्थिति होगी। अफसरों के लिए निदेशक कक्ष के पास पंचिंग मशीन लगाई जाएगी। वहीं कर्मचारियों के लिए परिसर स्थित दो अन्य भवन में मशीन लगेगी। बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू होने के बाद अफसरों एवं कर्मचारियों के रोजाना आने-जाने का समय भी दर्ज हो जाएगा।
निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि बायोमीट्रिक उपस्थिति के लिए उपकरण आदि लगाने के लिए टेंडर हो गया है। जल्द ही व्यवस्था लागू होगी। पिछले इस संबंध में पिछले दिनों समीक्षा बैठक में सचिव उच्च शिक्षा ने निर्देश दिए थे।
प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में तीन वर्ष या अधिक समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों के पटल बदले जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के कार्य वितरण को लेकर निदेशालय में कई तरह की विसंगतियों की बात कही जा रही है।
खासतौर पर महिला कर्मचारियों ने उच्च शिक्षा सचिव से मुलाकात कर इसकी शिकायत की थी। डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि निदेशालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों का विवरण मांगा गया है। शासनादेश एवं सचिव के निर्देश के क्रम में कर्मचारियों के पटल परिवर्तित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी।
Friday, November 14, 2025
Download CISCE Board Exam Date Sheet 2026 सीआईएससीई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 12 फरवरी से, डेटशीट करें डाउनलोड
Download CISCE Board Exam Date Sheet 2026
सीआईएससीई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 12 फरवरी से, डेटशीट करें डाउनलोड
नई दिल्ली। काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने 10वीं (आईसीएसई) और 12वीं कक्षा (आईएससी) की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर दी। कक्षा 10 की परीक्षाएं 17 फरवरी से 30 मार्च तक, जबकि कक्षा 12 की परीक्षाएं 12 फरवरी से 6 अप्रैल तक कराई जाएंगी।
सीआईएससीई के मुख्य कार्यकारी और सचिव जोसेफ इमैनुएल ने बताया कि इस बार परीक्षा कार्यक्रम को इस तरह बनाया गया है कि प्रमुख विषयों के बीच पर्याप्त तैयारी का समय मिल सके।
जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश
जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर सहायक अध्यापिका को जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा के विरुद्ध कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची के जीपीएफ का भुगतान होने तक दोनों का वेतन रोकने का निर्देश भी दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मीना कुमारी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची सहायक अध्यापिका के पद से 31 मार्च 2023 को रिटायर हुई और उसके बाद उनके जीपीएफ को छोड़कर उनके अन्य सेवानिवृत्ति के बाद के सभी देयकों का भुगतान कर दिया गया।
जीपीएफ के लिए याची ने यह याचिका की तो कोर्ट के आदेश के अनुसरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा से की ओर से की ओर से वित्त एवं लेखा अधिकारी। किया गया। कहा गया कि याची जीपीएफ के लिए पात्र है लेकिन धन की अपर्याप्तता के कारण इसका भुगतान नहीं किया जा सका।
कोर्ट को वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा द्वारा जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए दिए गए कारण, यानी धन की अपर्याप्तता पर बहुत आश्चर्यजनक और झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल किया जाना चाहिए।
कोर्ट ऑर्डर 👇
Thursday, November 13, 2025
17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम
17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम
लखनऊः अब 17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे। इसके लिए 49 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। एक मिनी इंडोर स्टेडियम के निर्माण पर 4.92 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी क्रम में सरकार ने प्रथम किस्त के रूप में प्रत्येक के लिए 2.16 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा गठित मूल्यांकन समिति ने कुल 19 जिलों के 23 कालेजों के प्रस्तावों की जांच की थी। इनमें से उन्नाव और गाजीपुर के प्रस्ताव भूमि संबंधी कारणों से निरस्त कर दिए गए, जबकि शेष 17 जिलों के 21 कालेजों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है।
जिन जिलों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे, उनमें कानपुर नगर, मथुरा, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, संभल, हरदोई, बदायूं, अयोध्या, प्रतापगढ़, भदोही, वाराणसी, आगरा और पीलीभीत के एक-एक कालेज शामिल है। वहीं अंबेडकरनगर और गोंडा में दो-दो और बुलंदशहर में तीन राजकीय इंटर कालेजों में मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे।
मिनी इंडोर स्टेडियमों के निर्माण से विद्यार्थियों को बेहतर खेल सुविधाएं मिलेंगी और विद्यालय स्तर पर खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने विभिन्न जिलों में निर्माण की जिम्मेदारी अलग-अलग कार्यदायी संस्थाओं को सौंपी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग का मानना है कि इन स्टेडियमों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को खेलों में नई ऊंचाइयां हासिल करने का अवसर मिलेगा और प्रदेश में खेल संस्कृति को नई दिशा मिलेगी।
डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम
यूपी बोर्ड परीक्षा की समय सारिणी में बदलाव, अलग-अलग पालियों में होगी हाईस्कूल और इंटर की हिंदी परीक्षा
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 2026 की परीक्षाओं में बदलाव किया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की हिंदी परीक्षा एक ही पाली में रखे जाने से उत्पन्न भ्रम और व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने मंगलवार देर शाम संशोधित समय सारिणी जारी की है। अब 18 फरवरी को सुबह हाईस्कूल और दोपहर में इंटर की परीक्षा होगी
हाईस्कूल की हिंदी व प्रारंभिक हिंदी की परीक्षा पहली पाली में होगी जबकि इंटरमीडिएट की हिंदी व सामान्य हिंदी की परीक्षा दूसरी पाली में आयोजित की जाएगी। इंटरमीडिएट की संस्कृत विषय की परीक्षा 12 मार्च को द्वितीय पाली में आयोजित की जाएगी।
संशोधित परीक्षा कार्यक्रम
18 फरवरी 2026 (प्रथम पाली) हाईस्कूल की हिंदी एवं प्रारंभिक हिंदी परीक्षा
18 फरवरी 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की हिंदी एवं सामान्य हिंदी परीक्षा
12 मार्च 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की संस्कृत परीक्षा
नोट : शेष सभी विषयों की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होंगी।
45 लाख से अधिक परीक्षार्थियों की एक साथ परीक्षा होने से बना था संकट
प्रयागराज। पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार 18 फरवरी को सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की हिंदी विषय की परीक्षा एक साथ एक ही पाली में रखी गई थी। इससे परीक्षा केंद्रों पर 45 लाख से अधिक छात्रों के एक साथ बैठने की स्थिति बन रही थी जो न केवल प्रशासनिक रूप से कठिन थी, बल्कि परीक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकती थी।
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि यह निर्णय परीक्षा व्यवस्था को सुचारु और व्यवस्थित रखने के लिए लिया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं अलग-अलग पालियों में कराने से किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या ओवरलैपिंग की स्थिति नहीं बनेगी। शेष परीक्षाएं पूर्व निर्धारित तिथियों पर ही होंगी।
यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से 12 मार्च 2026 तक
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बुधवार को वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित कर दिए। दोनों परीक्षाएं एक साथ 18 फरवरी 2026 से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2026 को समाप्त होंगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षाएं पूर्ववत दो पालियों में होंगी। पहली पाली सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर 2:00 से शाम 5:15 बजे तक होगी।
हाईस्कूल की परीक्षा 18 फरवरी को हिंदी विषय से शुरू होकर 12 मार्च को कृषि विषय के साथ समाप्त होगी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 18 फरवरी को सामान्य हिंदी से आरंभ होकर 12 मार्च को कंप्यूटर विषय की परीक्षा के साथ संपन्न होगी। बोर्ड के अनुसार, इस बार विद्यार्थियों को मुख्य विषयों की तैयारी के लिए परीक्षा के दौरान पर्याप्त अंतराल मिलेगा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की परीक्षाएं कुल 15 कार्य दिवसों में पूरी की जाएंगी।
52 लाख से अधिक परीक्षार्थी हैं पंजीकृत
इस वर्ष कुल 52,30,297 विद्यार्थी यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में 27,50,945 (बालक 14,38,682 व बालिका 13,12,263) तथा इंटर में 24,79,352 विद्यार्थी (बालक 13,03,012 और बालिका 11,76,340) शामिल हैं। बोर्ड ने सभी विद्यालयों को समय से तैयारी पूर्ण करने तथा प्रैक्टिकल्स के आयोजन के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।
Wednesday, November 12, 2025
उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में इस बार बढ़ेगी सख्ती, परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर व इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य
उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में इस बार बढ़ेगी सख्ती, परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर व इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य
55 हजार विद्यार्थी होंगे शामिल, इस सप्ताह घोषित हो जाएगा परीक्षा कार्यक्रम
लखनऊः उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने वर्ष 2026 की पूर्व मध्यमा द्वितीय, उत्तर मध्यमा प्रथम व द्वितीय स्तर की परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी कर दी है।
परिषद ने परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी, नकल-मुक्त और सुरक्षित बनाने के लिए कई मानक तय किए हैं। हर परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य होंगे। इस वर्ष प्रदेशभर में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के 55 हजार से अधिक विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होंगे। परीक्षा कार्यक्रम भी इसी सप्ताह जारी किया जाएगा।
केंद्र निर्धारण की समय-सारि णी भी तय कर दी गई है। जिला समिति 15 नवंबर तक केंद्र तय करेगी। चयनित केंद्रों की सूची 26 नवंबर को समाचार पत्र में प्रकाशित की जाएगी और आपत्तियों के निस्तारण के बाद 10 दिसंबर तक मंडलवार सूची परिषद को भेजनी होगी। परीक्षा केंद्रों का चयन जिला विद्यालय निरीक्षक स्वयं या उनके अधीनस्थ राजपत्रित अधिकारी करेंगे।
केंद्र तय करने से पहले संबंधित विद्यालयों की तकनीकी सुविधाओं की जांच की जाएगी। साथ ही प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए डबल लाक अलमारी प्रधानाचार्य कक्ष से अलग सुरक्षित स्थान पर रखी जानी होगी। केंद्र निर्धारण में राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद सहायताप्राप्त संस्कृत विद्यालय, राजकीय इंटर कालेज और आवश्यकता पड़ने पर साधन-संपन्न वित्तविहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जा सकेगा।
जिन विद्यालयों को पहले से माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की परीक्षा के लिए केंद्र बनाया गया है, उन्हें संस्कृत परिषद की परीक्षा का केंद्र नहीं बनाया जाएगा। हर केंद्र पर परीक्षार्थियों की संख्या कम से कम 100 और अधिकतम 500 तय की गई है। दिव्यांग और बालिका परीक्षार्थियों को स्वकेंद्र या नजदीक में परीक्षा केंद्र की सुविधा दी जाएगी।
Tuesday, November 11, 2025
डीएलएड अभ्यर्थियों को एक और मौका, परीक्षा पोर्टल जल्द खुलेगा, हाईकोर्ट से मिली राहत
डीएलएड अभ्यर्थियों को एक और मौका, परीक्षा पोर्टल जल्द खुलेगा
जो पूर्व में परीक्षा से किए गए थे वंचित उन्हें राहत, हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई नहीं झेलना होगा उत्पीड़न
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को डीएलएड परीक्षा पोर्टल खोलने का निर्देश दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि याची अभ्यर्थियों को किसी प्रकार की और परेशानी या उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने शीतल की अवमानना याचिका पर उनके अधिवक्ता कौन्तेय सिंह, स्थायी अधिवक्ताको सुनकर दिया है। यह आदेश उन अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के संबंध में है, जिन्हें पूर्व में परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित किया गया था।
अधिवक्ता कौन्तेय सिंह के अनुसार कोर्ट ने साक्षी एवं 77 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था कि ऐसे सभी छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित होने का एक और मौका दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से अनुपालन हलफनामा दाखिल किया गया लेकिन आदेश का पूर्ण अनुपालन नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि पोर्टल खोला ही नहीं गया है। स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि पोर्टल शीघ्र तीन से चार दिन में खोला जाएगा। कोर्ट ने उम्मीद जताई कियाची अभ्यर्थियों को कोई परेशानी या उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ेगा। अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी।
हाईकोर्ट के आदेश पर अतिरिक्त अवसर की मांग को लेकर याचिका करने वाले अभ्यर्थियों का डीएलएड परीक्षा कार्यक्रम जारी
20 और 21 नवंबर को प्रथम से चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा होगी
तीन नवम्बर को होगी अवमानना याचिका पर सुनवाई
18 अक्टूबर 2025
प्रयागराज । डीएलएड की सेमेस्टर परीक्षा में अतिरिक्त अवसर की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका करने वाले अभ्यर्थियों का परीक्षा कार्यक्रम जारी हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर एससीईआरटी निदेशक गणेश कुमार ने 17 अक्तूबर को परीक्षा कार्यक्रम जारी करते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी को सूचित किया है।
प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार प्रथम व द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा 20 नवंबर को क्रमशः सुबह 10 से 12 और दो से चार बजे तक कराई जाएगी, जबकि तृतीय व चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा 21 नवंबर को क्रमशः सुबह 10 से 12 बजे और दो से चार बजे तक होगी। यह परीक्षा कार्यक्रम प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील के निर्णय के अधीन होगा।
याचिकाकर्ता सरिता तिवारी के अधिवक्ता कौन्तेय सिंह ने बताया कि सुनवाई के दौरान विपक्षी पक्ष की ओर से दाखिल अनुपालन शपथपत्र में आवेदिका को न्यायालय के पूर्व आदेश के अनुसार परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति दी गई है।
यूपी के शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम् का गायन, बोले सीएम योगी
यूपी के शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम् का गायन, बोले सीएम योगी
गोरखपुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम् का गायन अनिवार्य करने की बात कही है। सोमवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्र गीत के प्रति सबके मन में सम्मान का भाव होना ही चाहिए। इसके लिए वह प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में बंदे मातरम् का गायन अनिवार्य कराएंगे। हर नागरिक के मन में भारत माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जगाएंगे।
मुख्यमंत्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जन्मतिथि और बंदे मातरम् का 150वां वर्ष शुरू होने के उपलक्ष्य में प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आयोजित 'एकता यात्रा' का शुभारंभ कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने देश निर्माण में सरदार पटेल के अवदान को याद किया।
निगम परिसर के रानी लक्ष्मीबाई पार्क में सोमवार को आयोजित 'एकता यात्रा' में मुख्यमंत्री ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। कहा कि जिस राष्ट्र गीत ने आजादी के आंदोलन में भारत की सोई हुई चेतना को जागृत किया, तुष्टीकरण की नीति के चलते कांग्रेस ने सांप्रदायिक बताकर उसमें संशोधन का प्रयास किया। जिस वंदे मातरम् को कांग्रेस के 1896-97 के अधिवेशन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने स्वर में गाया था, उसका 1923 के अधिवेशन में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जौहर ने विरोध किया। उन्होंने राष्ट्र गीत गाने से इन्कार कर दिया था। वंदे मातरम् का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मौहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल कर वंदे मातरम् के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता।
मुख्यमंत्री ने संबोधन में सपा को भी निशाने पर रखा। कहा कि कोई भी व्यक्ति, मत या मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता। व्यक्तिगत आस्था यदि राष्ट्र के आड़े आए तो उसे किनारे कर देना चाहिए। कुछ लोगों के लिए आज भी उनका व्यक्तिगत मत और मजहब बड़ा है। इस क्रम में उन्होंने सपा के एक सांसद द्वारा राष्ट्र गीत गाने से इन्कार करने का उल्लेख भी किया।
यौगी ने कहा कि हमारा दायित्व है कि हम उन कारणों को ढूंढे, जो समाज को बांटने वाले हैं। जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर विभाजन नए जिन्ना को पैदा करने की साजिश का हिस्सा है। हमें ध्यान रखना होगा कि भारत के अंदर फिर से कोई जिन्ना न पैदा होने पाए। कोई जिन्ना बनने का साहस करता है तो उसे चुनौती बनने से पहले ही दफन कर देना होगा। समाज को बांटने वाले वही लोग हैं, जो पटेल की जयंती में शामिल नहीं होते, लेकिन जिन्ना के सम्मान के लिए शर्मनाक तरीके से आगे आ जाते हैं।
निर्णय पर अखिलेश ने उठाए सवाल
लखनऊः सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्कूल-कालेजों में वंदे मातरम अनिवार्य किए जाने पर सवाल उठाए हैं।? उन्होंने लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में वार्ता में कहा कि, 'ये बहस जो आज हम कर रहे है, क्या उस समय जो संविधान के निर्माता थे, उन्होंने नहीं की? इसलिए राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत दिया। अगर यही होता कि इसे गाना जरूरी है तो तब इसे अनिवार्य क्यों नहीं किया गया? उन्होंने विकल्प छोड़ दिया था।
'वंदे मातरम्' न गाएं मुस्लिम बच्चे, स्कूल से निकल जाएं: कासमी
मुंबई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार को राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में 'वंदे मातरम्' गाना अनिवार्य करने की घोषणा पर मुस्लिम समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र के अध्यक्ष मौलाना हलीम उल्लाह कासमी ने कहा कि मुसलमानों को अपने बच्चों को स्कूलों से निकाल लेना चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें राष्ट्रगीत गाने के लिए मजबूर किया जाए।
कासमी ने कहा, हम मुसलमान हैं। इस देश का संविधान हमें अपने धर्म का पालन करने की आजादी देता है। अगर हमारी आस्था के खिलाफ कुछ भी थोपा जाता है, तो हमारा संविधान उसे स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए हम किसी भी हालत में ऐसी चीज को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे धर्म के खिलाफ हो। हमारा धर्म हमें सिखाता है कि अल्लाह एक है और हम सिर्फ उसी की इबादत करेंगे। किसी और की नहीं। अगर हम इसके अतिरिक्त कुछ करेंगे, तो मुसलमान नहीं रहेंगे। जहां तक देश का सवाल है, मुसलमान राष्ट्र के प्रति सम्मान दिखाने में कभी पीछे नहीं रहे।
Monday, November 10, 2025
योग्यता और सुविधाओं के मानक पर खरे नहीं उतरे अनुदानित मदरसे, मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर शुरू हुई थी जांच
योग्यता और सुविधाओं के मानक पर खरे नहीं उतरे अनुदानित मदरसे, मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर शुरू हुई थी जांच
प्रधानाचार्य सहित कई शिक्षकों की अपूर्ण मिली शैक्षिक योग्यता, 35 से ज्यादा अनुदानित मदरसों को नोटिस,
लखनऊ। मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर कई अनुदानित मदरसे खरे नहीं उतरे हैं। जांच में कई जिलों के मदरसों में प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की योग्यता अपूर्ण पाई गई है। मदरसा बोर्ड ने ऐसे 35 से ज्यादा मदरसों को नोटिस जारी किया है। प्रदेश में 558 अनुदानित मदरसे हैं। इनमें आधारभूत सुविधाओं, छात्र-शिक्षक अनुपात, भवन, शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों की योग्यता की जांच आदि के लिए एक दिसंबर 2023 को जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे।
जिलों से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मदरसा बोर्ड ने मानक पूरा न करने वाले मदरसों और शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू की है। बोर्ड की रजिस्ट्रार अंजना सिरोही ने देवरिया, आजमगढ़, मिर्जापुर, गाजीपुर आदि जिलों के 35 से ज्यादा मदरसों को नोटिस भेज कर उन्हें दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखने के आदेश दिए गए हैं।
यहां मिलीं गड़बड़ियां
गाजीपुर के मदरसा चश्मये रहमत ओरियंटल कॉलेज के प्रधानाचार्य व सात शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता अपूर्ण पाई गई। ऐसे ही मदरसा बुखारिया फरीदिया फखनपुर में 3 शिक्षक, दारुल उलूम कादरिया दाएरा शाह अहमद के प्रधानाचार्य व एक शिक्षक, मदरसा दारुल उलम अहले सुन्नत गौसिया मस्तान बाग बारा के प्रधानाचार्य व 3 शिक्षक और मदरसा जामिया करीमिया करीमपुरा के प्रधानाचार्य, छह शिक्षक व एक लिपिक की शैक्षिक योग्यता अपूर्ण पाई गई है। मिर्जापुर के मदरसा गौसिया इस्लामिया बेगपुर में शिक्षक-छात्र अनुपात मानक के विपरीत मिले। साथ ही मदरसे के प्रधानाचार्य, 4 शिक्षक व एक लिपिक शैक्षिक रूप से अयोग्य पाए गए हैं।
शिक्षक संगठनों ने जांच व कार्रवाई पर उठाए सवाल
ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महासचिव वहीदउल्लाह खान सईदी ने रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर मदरसा नियमावली-2016 के मानक से कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जितने भी मदरसों को पत्र भेज कर शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता को अपूर्ण बताया गया है उनमें से ज्यादातर शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली-1987 के मानकों पर हुई है। लिहाजा उनकी शैक्षिक योग्यता की जांच तत्कालीन नियमावली से की जाए।
मदरसा बोर्ड के पूर्व सदस्य हाजी दीवान साहेब जमां ने कहा कि सभी अनुदानित मदरसे मान्यता एवं सेवा नियमावली-1987 के मानकों पर हैं। वर्ष 2015 के बाद कोई भी मदरसा अनुदान सूची पर नहीं लिया गया है। ऐसे में नियमावली 2016 के अनुसार जांच अन्याय है।
जांच में कई मदरसों में अलग-अलग कमियां पाई गई हैं। परीक्षण के बाद ही स्पष्ट संख्या पता चलेगी। जांच रिपोर्ट के हिसाब से मदरसों को नोटिस भेजकर उनको अपना पक्ष रखने के लिए तय तिथि पर बोर्ड कार्यालय में बुलाया गया था। फिलहाल उच्च न्यायालय से संबंधित केस की अधिकता से सभी मदरसों की सुनवाई की तय तिथि को निरस्त कर दिया गया है। – अंजना सिरोही, रजिस्ट्रार, मदरसा बोर्ड
टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना
टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना
लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ अलग-अलग शिक्षक संगठन अपने स्तर से विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश को वापस लेने और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टीईटी अनिवार्य करने के आदेश को वापस लेने के लिए पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजा गया। 30 नवंबर तक देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, जिसकी प्रतियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजी जाएंगी। लेकिन अब तक शिक्षक हित में कोई पहल नहीं हुई। ऐसे में संगठन ने 11 दिसंबर को जंतर-मंतर पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
इसमें देश भर के शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि व शिक्षक शामिल होंगे। यदि इसके बाद भी केंद्र सरकार हमारी मांगों को लेकर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संघ फरवरी 2026 में रामलीला मैदान से संसद तक मार्च निकालेंगे।
टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार
टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार
रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की कार्यसमिति की बैठक में संघ के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली महारैली में पूरे देश से दो लाख शिक्षक शामिल होंगे, जिनमें से एक लाख शिक्षक उत्तर प्रदेश से पहुंचेंगे। सभी राज्यों में रैली की तैयारी जोरों पर है और अब तक 14 राज्यों के संगठन इससे जुड़ चुके हैं।
अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संगठन न्यायालय में लड़ाई लड़ने के साथ ही टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए इस महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार तथा एनसीईटी से भी मांग करेगा। उन्होंने कहा कि इसी दौरान संसद सत्र भी चल रहा होगा, यह शिक्षकों के लिए अपनी ताकत का एहसास कराने का सही समय होगा। एकजुटता से शिक्षक महारैली में शामिल हों।
महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि रैली में जाने के लिए ब्लॉकवार शिक्षकों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। शिक्षकों को ले जाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। महारैली में संगठन में शामिल देश के 14 राज्यों से भी दो लाख से अधिक शिक्षक दिल्ली पहुंचेंगे।
टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।
टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।
सभी प्रस्तावित कार्यक्रम
🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
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टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी
दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष
कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ
लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।
यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
ये पदाधिकारी भी चुने गए
उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा
लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।
टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी।
उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।
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