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Thursday, November 13, 2025

17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम

17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से  बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम


 लखनऊः अब 17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे। इसके लिए 49 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। एक मिनी इंडोर स्टेडियम के निर्माण पर 4.92 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी क्रम में सरकार ने प्रथम किस्त के रूप में प्रत्येक के लिए 2.16 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।


माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा गठित मूल्यांकन समिति ने कुल 19 जिलों के 23 कालेजों के प्रस्तावों की जांच की थी। इनमें से उन्नाव और गाजीपुर के प्रस्ताव भूमि संबंधी कारणों से निरस्त कर दिए गए, जबकि शेष 17 जिलों के 21 कालेजों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है। 


जिन जिलों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे, उनमें कानपुर नगर, मथुरा, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, संभल, हरदोई, बदायूं, अयोध्या, प्रतापगढ़, भदोही, वाराणसी, आगरा और पीलीभीत के एक-एक कालेज शामिल है। वहीं अंबेडकरनगर और गोंडा में दो-दो और बुलंदशहर में तीन राजकीय इंटर कालेजों में मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे। 


मिनी इंडोर स्टेडियमों के निर्माण से विद्यार्थियों को बेहतर खेल सुविधाएं मिलेंगी और विद्यालय स्तर पर खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने विभिन्न जिलों में निर्माण की जिम्मेदारी अलग-अलग कार्यदायी संस्थाओं को सौंपी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग का मानना है कि इन स्टेडियमों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को खेलों में नई ऊंचाइयां हासिल करने का अवसर मिलेगा और प्रदेश में खेल संस्कृति को नई दिशा मिलेगी।

जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश

जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर सहायक अध्यापिका को जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा के विरुद्ध कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची के जीपीएफ का भुगतान होने तक दोनों का वेतन रोकने का निर्देश भी दिया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मीना कुमारी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची सहायक अध्यापिका के पद से 31 मार्च 2023 को रिटायर हुई और उसके बाद उनके जीपीएफ को छोड़कर उनके अन्य सेवानिवृत्ति के बाद के सभी देयकों का भुगतान कर दिया गया।

 जीपीएफ के लिए याची ने यह याचिका की तो कोर्ट के आदेश के अनुसरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा से की ओर से की ओर से वित्त एवं लेखा अधिकारी। किया गया। कहा गया कि याची जीपीएफ के लिए पात्र है लेकिन धन की अपर्याप्तता के कारण इसका भुगतान नहीं किया जा सका। 


कोर्ट को वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा द्वारा जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए दिए गए कारण, यानी धन की अपर्याप्तता पर बहुत आश्चर्यजनक और झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल किया जाना चाहिए।

दिनांक 31.03.2014 के बाद प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर को बैठक

दिनांक 31.03.2014 के बाद प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर को बैठक 



डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम

यूपी बोर्ड परीक्षा की समय सारिणी में बदलाव, अलग-अलग पालियों में होगी हाईस्कूल और इंटर की हिंदी परीक्षा

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 2026 की परीक्षाओं में बदलाव किया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की हिंदी परीक्षा एक ही पाली में रखे जाने से उत्पन्न भ्रम और व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने मंगलवार देर शाम संशोधित समय सारिणी जारी की है। अब 18 फरवरी को सुबह हाईस्कूल और दोपहर में इंटर की परीक्षा होगी

हाईस्कूल की हिंदी व प्रारंभिक हिंदी की परीक्षा पहली पाली में होगी जबकि इंटरमीडिएट की हिंदी व सामान्य हिंदी की परीक्षा दूसरी पाली में आयोजित की जाएगी। इंटरमीडिएट की संस्कृत विषय की परीक्षा 12 मार्च को द्वितीय पाली में आयोजित की जाएगी।

संशोधित परीक्षा कार्यक्रम

18 फरवरी 2026 (प्रथम पाली) हाईस्कूल की हिंदी एवं प्रारंभिक हिंदी परीक्षा

18 फरवरी 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की हिंदी एवं सामान्य हिंदी परीक्षा

12 मार्च 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की संस्कृत परीक्षा

 नोट : शेष सभी विषयों की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होंगी।


45 लाख से अधिक परीक्षार्थियों की एक साथ परीक्षा होने से बना था संकट

प्रयागराज। पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार 18 फरवरी को सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की हिंदी विषय की परीक्षा एक साथ एक ही पाली में रखी गई थी। इससे परीक्षा केंद्रों पर 45 लाख से अधिक छात्रों के एक साथ बैठने की स्थिति बन रही थी जो न केवल प्रशासनिक रूप से कठिन थी, बल्कि परीक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकती थी।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि यह निर्णय परीक्षा व्यवस्था को सुचारु और व्यवस्थित रखने के लिए लिया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं अलग-अलग पालियों में कराने से किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या ओवरलैपिंग की स्थिति नहीं बनेगी। शेष परीक्षाएं पूर्व निर्धारित तिथियों पर ही होंगी।


डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम  









यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से 12 मार्च 2026 तक

प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बुधवार को वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित कर दिए। दोनों परीक्षाएं एक साथ 18 फरवरी 2026 से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2026 को समाप्त होंगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षाएं पूर्ववत दो पालियों में होंगी। पहली पाली सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर 2:00 से शाम 5:15 बजे तक होगी।

हाईस्कूल की परीक्षा 18 फरवरी को हिंदी विषय से शुरू होकर 12 मार्च को कृषि विषय के साथ समाप्त होगी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 18 फरवरी को सामान्य हिंदी से आरंभ होकर 12 मार्च को कंप्यूटर विषय की परीक्षा के साथ संपन्न होगी। बोर्ड के अनुसार, इस बार विद्यार्थियों को मुख्य विषयों की तैयारी के लिए परीक्षा के दौरान पर्याप्त अंतराल मिलेगा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की परीक्षाएं कुल 15 कार्य दिवसों में पूरी की जाएंगी। 


52 लाख से अधिक परीक्षार्थी हैं पंजीकृत

इस वर्ष कुल 52,30,297 विद्यार्थी यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में 27,50,945 (बालक 14,38,682 व बालिका 13,12,263) तथा इंटर में 24,79,352 विद्यार्थी (बालक 13,03,012 और बालिका 11,76,340) शामिल हैं। बोर्ड ने सभी विद्यालयों को समय से तैयारी पूर्ण करने तथा प्रैक्टिकल्स के आयोजन के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।



UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें 
 

Wednesday, November 12, 2025

उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में इस बार बढ़ेगी सख्ती, परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर व इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य

उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में इस बार बढ़ेगी सख्ती, परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर व इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य

55 हजार विद्यार्थी होंगे शामिल, इस सप्ताह घोषित हो जाएगा परीक्षा कार्यक्रम


लखनऊः उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने वर्ष 2026 की पूर्व मध्यमा द्वितीय, उत्तर मध्यमा प्रथम व द्वितीय स्तर की परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी कर दी है।


परिषद ने परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी, नकल-मुक्त और सुरक्षित बनाने के लिए कई मानक तय किए हैं। हर परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य होंगे। इस वर्ष प्रदेशभर में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के 55 हजार से अधिक विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होंगे। परीक्षा कार्यक्रम भी इसी सप्ताह जारी किया जाएगा।


केंद्र निर्धारण की समय-सारि णी भी तय कर दी गई है। जिला समिति 15 नवंबर तक केंद्र तय करेगी। चयनित केंद्रों की सूची 26 नवंबर को समाचार पत्र में प्रकाशित की जाएगी और आपत्तियों के निस्तारण के बाद 10 दिसंबर तक मंडलवार सूची परिषद को भेजनी होगी। परीक्षा केंद्रों का चयन जिला विद्यालय निरीक्षक स्वयं या उनके अधीनस्थ राजपत्रित अधिकारी करेंगे। 


केंद्र तय करने से पहले संबंधित विद्यालयों की तकनीकी सुविधाओं की जांच की जाएगी। साथ ही प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए डबल लाक अलमारी प्रधानाचार्य कक्ष से अलग सुरक्षित स्थान पर रखी जानी होगी। केंद्र निर्धारण में राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद सहायताप्राप्त संस्कृत विद्यालय, राजकीय इंटर कालेज और आवश्यकता पड़ने पर साधन-संपन्न वित्तविहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जा सकेगा।


 जिन विद्यालयों को पहले से माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की परीक्षा के लिए केंद्र बनाया गया है, उन्हें संस्कृत परिषद की परीक्षा का केंद्र नहीं बनाया जाएगा। हर केंद्र पर परीक्षार्थियों की संख्या कम से कम 100 और अधिकतम 500 तय की गई है। दिव्यांग और बालिका परीक्षार्थियों को स्वकेंद्र या नजदीक में परीक्षा केंद्र की सुविधा दी जाएगी।

Tuesday, November 11, 2025

डीएलएड अभ्यर्थियों को एक और मौका, परीक्षा पोर्टल जल्द खुलेगा, हाईकोर्ट से मिली राहत

डीएलएड अभ्यर्थियों को एक और मौका, परीक्षा पोर्टल जल्द खुलेगा 

जो पूर्व में परीक्षा से किए गए थे वंचित उन्हें राहत, हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई नहीं झेलना होगा उत्पीड़न


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को डीएलएड परीक्षा पोर्टल खोलने का निर्देश दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि याची अभ्यर्थियों को किसी प्रकार की और परेशानी या उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ेगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने शीतल की अवमानना याचिका पर उनके अधिवक्ता कौन्तेय सिंह, स्थायी अधिवक्ताको सुनकर दिया है। यह आदेश उन अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के संबंध में है, जिन्हें पूर्व में परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित किया गया था। 

 अधिवक्ता कौन्तेय सिंह के अनुसार कोर्ट ने साक्षी एवं 77 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था कि ऐसे सभी छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित होने का एक और मौका दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से अनुपालन हलफनामा दाखिल किया गया लेकिन आदेश का पूर्ण अनुपालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि पोर्टल खोला ही नहीं गया है। स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि पोर्टल शीघ्र तीन से चार दिन में खोला जाएगा। कोर्ट ने उम्मीद जताई कियाची अभ्यर्थियों को कोई परेशानी या उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ेगा। अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी।




हाईकोर्ट के आदेश पर अतिरिक्त अवसर की मांग को लेकर याचिका करने वाले अभ्यर्थियों का डीएलएड परीक्षा कार्यक्रम जारी

20 और 21 नवंबर को प्रथम से चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा होगी

तीन नवम्बर को होगी अवमानना याचिका पर सुनवाई

18 अक्टूबर 2025
प्रयागराज । डीएलएड की सेमेस्टर परीक्षा में अतिरिक्त अवसर की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका करने वाले अभ्यर्थियों का परीक्षा कार्यक्रम जारी हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर एससीईआरटी निदेशक गणेश कुमार ने 17 अक्तूबर को परीक्षा कार्यक्रम जारी करते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी को सूचित किया है।


प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार प्रथम व द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा 20 नवंबर को क्रमशः सुबह 10 से 12 और दो से चार बजे तक कराई जाएगी, जबकि तृतीय व चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा 21 नवंबर को क्रमशः सुबह 10 से 12 बजे और दो से चार बजे तक होगी। यह परीक्षा कार्यक्रम प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील के निर्णय के अधीन होगा।

याचिकाकर्ता सरिता तिवारी के अधिवक्ता कौन्तेय सिंह ने बताया कि सुनवाई के दौरान विपक्षी पक्ष की ओर से दाखिल अनुपालन शपथपत्र में आवेदिका को न्यायालय के पूर्व आदेश के अनुसार परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति दी गई है।

यूपी के शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम् का गायन, बोले सीएम योगी

यूपी के शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम् का गायन, बोले सीएम योगी


गोरखपुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम् का गायन अनिवार्य करने की बात कही है। सोमवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्र गीत के प्रति सबके मन में सम्मान का भाव होना ही चाहिए। इसके लिए वह प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में बंदे मातरम् का गायन अनिवार्य कराएंगे। हर नागरिक के मन में भारत माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जगाएंगे। 

मुख्यमंत्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जन्मतिथि और बंदे मातरम् का 150वां वर्ष शुरू होने के उपलक्ष्य में प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आयोजित 'एकता यात्रा' का शुभारंभ कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने देश निर्माण में सरदार पटेल के अवदान को याद किया।


निगम परिसर के रानी लक्ष्मीबाई पार्क में सोमवार को आयोजित 'एकता यात्रा' में मुख्यमंत्री ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। कहा कि जिस राष्ट्र गीत ने आजादी के आंदोलन में भारत की सोई हुई चेतना को जागृत किया, तुष्टीकरण की नीति के चलते कांग्रेस ने सांप्रदायिक बताकर उसमें संशोधन का प्रयास किया। जिस वंदे मातरम् को कांग्रेस के 1896-97 के अधिवेशन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने स्वर में गाया था, उसका 1923 के अधिवेशन में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जौहर ने विरोध किया। उन्होंने राष्ट्र गीत गाने से इन्कार कर दिया था। वंदे मातरम् का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मौहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल कर वंदे मातरम् के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता।

मुख्यमंत्री ने संबोधन में सपा को भी निशाने पर रखा। कहा कि कोई भी व्यक्ति, मत या मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता। व्यक्तिगत आस्था यदि राष्ट्र के आड़े आए तो उसे किनारे कर देना चाहिए। कुछ लोगों के लिए आज भी उनका व्यक्तिगत मत और मजहब बड़ा है। इस क्रम में उन्होंने सपा के एक सांसद द्वारा राष्ट्र गीत गाने से इन्कार करने का उल्लेख भी किया।

यौगी ने कहा कि हमारा दायित्व है कि हम उन कारणों को ढूंढे, जो समाज को बांटने वाले हैं। जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर विभाजन नए जिन्ना को पैदा करने की साजिश का हिस्सा है। हमें ध्यान रखना होगा कि भारत के अंदर फिर से कोई जिन्ना न पैदा होने पाए। कोई जिन्ना बनने का साहस करता है तो उसे चुनौती बनने से पहले ही दफन कर देना होगा। समाज को बांटने वाले वही लोग हैं, जो पटेल की जयंती में शामिल नहीं होते, लेकिन जिन्ना के सम्मान के लिए शर्मनाक तरीके से आगे आ जाते हैं।


निर्णय पर अखिलेश ने उठाए सवाल
लखनऊः सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्कूल-कालेजों में वंदे मातरम अनिवार्य किए जाने पर सवाल उठाए हैं।? उन्होंने लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में वार्ता में कहा कि, 'ये बहस जो आज हम कर रहे है, क्या उस समय जो संविधान के निर्माता थे, उन्होंने नहीं की? इसलिए राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत दिया। अगर यही होता कि इसे गाना जरूरी है तो तब इसे अनिवार्य क्यों नहीं किया गया? उन्होंने विकल्प छोड़ दिया था।


'वंदे मातरम्' न गाएं मुस्लिम बच्चे, स्कूल से निकल जाएं: कासमी
मुंबई  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार को राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में 'वंदे मातरम्' गाना अनिवार्य करने की घोषणा पर मुस्लिम समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र के अध्यक्ष मौलाना हलीम उल्लाह कासमी ने कहा कि मुसलमानों को अपने बच्चों को स्कूलों से निकाल लेना चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें राष्ट्रगीत गाने के लिए मजबूर किया जाए।

कासमी ने कहा, हम मुसलमान हैं। इस देश का संविधान हमें अपने धर्म का पालन करने की आजादी देता है। अगर हमारी आस्था के खिलाफ कुछ भी थोपा जाता है, तो हमारा संविधान उसे स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए हम किसी भी हालत में ऐसी चीज को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे धर्म के खिलाफ हो। हमारा धर्म हमें सिखाता है कि अल्लाह एक है और हम सिर्फ उसी की इबादत करेंगे। किसी और की नहीं। अगर हम इसके अतिरिक्त कुछ करेंगे, तो मुसलमान नहीं रहेंगे। जहां तक देश का सवाल है, मुसलमान राष्ट्र के प्रति सम्मान दिखाने में कभी पीछे नहीं रहे।

Monday, November 10, 2025

योग्यता और सुविधाओं के मानक पर खरे नहीं उतरे अनुदानित मदरसे, मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर शुरू हुई थी जांच

योग्यता और सुविधाओं के मानक पर खरे नहीं उतरे अनुदानित मदरसे, मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर शुरू हुई थी जांच

प्रधानाचार्य सहित कई शिक्षकों की अपूर्ण मिली शैक्षिक योग्यता, 35 से ज्यादा अनुदानित मदरसों को नोटिस, 


लखनऊ। मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर कई अनुदानित मदरसे खरे नहीं उतरे हैं। जांच में कई जिलों के मदरसों में प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की योग्यता अपूर्ण पाई गई है। मदरसा बोर्ड ने ऐसे 35 से ज्यादा मदरसों को नोटिस जारी किया है। प्रदेश में 558 अनुदानित मदरसे हैं। इनमें आधारभूत सुविधाओं, छात्र-शिक्षक अनुपात, भवन, शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों की योग्यता की जांच आदि के लिए एक दिसंबर 2023 को जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे।


जिलों से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मदरसा बोर्ड ने मानक पूरा न करने वाले मदरसों और शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू की है। बोर्ड की रजिस्ट्रार अंजना सिरोही ने देवरिया, आजमगढ़, मिर्जापुर, गाजीपुर आदि जिलों के 35 से ज्यादा मदरसों को नोटिस भेज कर उन्हें दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखने के आदेश दिए गए हैं। 


यहां मिलीं गड़बड़ियां 
गाजीपुर के मदरसा चश्मये रहमत ओरियंटल कॉलेज के प्रधानाचार्य व सात शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता अपूर्ण पाई गई। ऐसे ही मदरसा बुखारिया फरीदिया फखनपुर में 3 शिक्षक, दारुल उलूम कादरिया दाएरा शाह अहमद के प्रधानाचार्य व एक शिक्षक, मदरसा दारुल उलम अहले सुन्नत गौसिया मस्तान बाग बारा के प्रधानाचार्य व 3 शिक्षक और मदरसा जामिया करीमिया करीमपुरा के प्रधानाचार्य, छह शिक्षक व एक लिपिक की शैक्षिक योग्यता अपूर्ण पाई गई है। मिर्जापुर के मदरसा गौसिया इस्लामिया बेगपुर में शिक्षक-छात्र अनुपात मानक के विपरीत मिले। साथ ही मदरसे के प्रधानाचार्य, 4 शिक्षक व एक लिपिक शैक्षिक रूप से अयोग्य पाए गए हैं।


शिक्षक संगठनों ने जांच व कार्रवाई पर उठाए सवाल
ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महासचिव वहीदउल्लाह खान सईदी ने रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर मदरसा नियमावली-2016 के मानक से कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जितने भी मदरसों को पत्र भेज कर शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता को अपूर्ण बताया गया है उनमें से ज्यादातर शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली-1987 के मानकों पर हुई है। लिहाजा उनकी शैक्षिक योग्यता की जांच तत्कालीन नियमावली से की जाए। 

मदरसा बोर्ड के पूर्व सदस्य हाजी दीवान साहेब जमां ने कहा कि सभी अनुदानित मदरसे मान्यता एवं सेवा नियमावली-1987 के मानकों पर हैं। वर्ष 2015 के बाद कोई भी मदरसा अनुदान सूची पर नहीं लिया गया है। ऐसे में नियमावली 2016 के अनुसार जांच अन्याय है।


 जांच में कई मदरसों में अलग-अलग कमियां पाई गई हैं। परीक्षण के बाद ही स्पष्ट संख्या पता चलेगी। जांच रिपोर्ट के हिसाब से मदरसों को नोटिस भेजकर उनको अपना पक्ष रखने के लिए तय तिथि पर बोर्ड कार्यालय में बुलाया गया था। फिलहाल उच्च न्यायालय से संबंधित केस की अधिकता से सभी मदरसों की सुनवाई की तय तिथि को निरस्त कर दिया गया है। – अंजना सिरोही, रजिस्ट्रार, मदरसा बोर्ड


टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना

टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना


लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ अलग-अलग शिक्षक संगठन अपने स्तर से विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश को वापस लेने और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की है।


सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टीईटी अनिवार्य करने के आदेश को वापस लेने के लिए पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजा गया।  30 नवंबर तक देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, जिसकी प्रतियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजी जाएंगी। लेकिन अब तक शिक्षक हित में कोई पहल नहीं हुई। ऐसे में संगठन ने 11 दिसंबर को जंतर-मंतर पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।

इसमें देश भर के शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि व शिक्षक शामिल होंगे। यदि इसके बाद भी केंद्र सरकार हमारी मांगों को लेकर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संघ फरवरी 2026 में रामलीला मैदान से संसद तक मार्च निकालेंगे। 

टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार

टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार

रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की कार्यसमिति की बैठक में संघ के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली महारैली में पूरे देश से दो लाख शिक्षक शामिल होंगे, जिनमें से एक लाख शिक्षक उत्तर प्रदेश से पहुंचेंगे। सभी राज्यों में रैली की तैयारी जोरों पर है और अब तक 14 राज्यों के संगठन इससे जुड़ चुके हैं।  

अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संगठन न्यायालय में लड़ाई लड़ने के साथ ही टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए इस महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार तथा एनसीईटी से भी मांग करेगा। उन्होंने कहा कि इसी दौरान संसद सत्र भी चल रहा होगा, यह शिक्षकों के लिए अपनी ताकत का एहसास कराने का सही समय होगा। एकजुटता से शिक्षक महारैली में शामिल हों। 

महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि रैली में जाने के लिए ब्लॉकवार शिक्षकों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। शिक्षकों को ले जाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। महारैली में संगठन में शामिल देश के 14 राज्यों से भी दो लाख से अधिक शिक्षक दिल्ली पहुंचेंगे। 





टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान  


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।

टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।


शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी कर रहा तैयारी

अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।

सभी प्रस्तावित कार्यक्रम

🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
🔴 अटेवा का 25 नवंबर को दिल्ली कूच मामले को लेकर पुरानी पेंशन व टीईटी का विरोध
🔴 अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का जंतर मंतर पर धरना 11 दिसंबर को



टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी

दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष

कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ


लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।


यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


ये पदाधिकारी भी चुने गए
उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।




टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन के लिए साथ आए नौ राज्यों के शिक्षक, बनाया नया संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) 

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा


लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।


टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी। 

उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।

Sunday, November 9, 2025

बेसिक शिक्षा में कई ऐप्स होने से काम हुआ जटिल, चाहिए एक प्लेटफॉर्म, निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोग सब पर करनी होती है रिपोर्टिंग

ऐप में उलझे शिक्षक, पढ़ाने से ज्यादा रिपोर्टिंग में अटके, विभाग की मंशा डिजिटल सुविधा बढ़ाने की, पर उलझन में शिक्षक

शिक्षक बोले, कई ऐप्स होने से काम हुआ जटिल, चाहिए एक प्लेटफॉर्म, निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोग सब पर करनी होती है रिपोर्टिंग

बिल्डथान प्रतियोगिता बनी नई चुनौती, छात्र को 24 वीडियो दिखने के बाद उनके आइडिया को यूट्यूब पर करना है अपलोड


सुबह के आठ बजते ही परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की चहक और मासूम हंसी गूंज उठती है। कहीं प्रार्थना की ध्वनि, तो कहीं बच्चों की गुड मॉर्निंग, सर की सामूहिक पुकार वातावरण में गूंजती है, लेकिन इस खुशनुमा माहौल के बीच प्रधानाध्यापक और शिक्षक मोबाइल स्क्रीन में उलझे रहते हैं। कोई प्रेरणा ऐप न खुलने से परेशान है, तो कोई निपुण लक्ष्य ऐप पर छात्रों की प्रगति रिपोर्ट भरने में जूझ रहा है। कभी नेटवर्क कमजोर पड़ता है, तो कभी डेटा अपलोड अधूरा रह जाता है। 


डिजिटल युग की यह तस्वीर अब शिक्षण व्यवस्था की नई हकीकत बन चुकी है, जहां बच्चों के बीच खड़ा शिक्षक अब किताबों से ज्यादा ऐप्स में व्यस्त दिखाई देता है। शिक्षकों का कहना है कि उनके फोन में अब तक 40 से अधिक ऐप इंस्टॉल हैं। निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोगी भारत, पीएफएमएस, ई-कवच, यू-डायस, शारदा, समर्थ, खेलो इंडिया, फिट इंडिया, निष्ठा, परख, प्रेरणा डीबीटी, ज्ञान समीक्षा, किताब वितरण, स्वच्छ विद्यालय, हरितिमा अमृत वन और कई अन्य ऐप इन सभी पर हर दिन रिपोर्टिंग करनी होती है।


वर्तमान में शिक्षकों के लिए चुनौती 'बिल्डथान प्रतियोगिता' बन गई है। इसके तहत कक्षा छह से आठ तक के सभी छात्रों को 24 अंग्रेजी वीडियो दिखाने हैं। वीडियो देखने के बाद क्विज कराना, 60 प्रतिशत पासिंग के बाद उनके इनोवेशन आइडिया लेना, फिर उस आइडिया का मॉडल बनवाना, उसका वीडियो तैयार कर यूट्यूब पर अपलोड करना यह सब शिक्षकों को ही करना पड़ता है। एक शिक्षक ने कहा कि छात्रों के पास मोबाइल नहीं होते, इसलिए हमें अपने फोन से वीडियो चलाकर दिखाने पड़ते हैं।


डिजिटल सुधार की मंशा, पर उलझन में शिक्षक

शिक्षा विभाग का कहना है कि ये सभी ऐप शिक्षण व्यवस्था को पारदर्शी और परिणाममूलक बनाने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। शिक्षक कहते हैं कि ऐप्स की अधिकता से शिक्षण और प्रशिक्षण दोनों प्रभावित हुए हैं। अब तो दीक्षा ऐप के दो संस्करण हो गए हैं, प्रेरणा और निपुण लक्ष्य अलग हैं, कर्मयोगी ऐप पर ट्रेनिंग लेनी है और अब नया टीचर ऐप भी आ गया है।

Fee Refund Policy by the UGC : फीस वापसी नियम का पालन न करने पर कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी : यूजीसी

Fee Refund Policy by the UGC : फीस वापसी नियम का पालन न करने पर कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी : यूजीसी

राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र


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नई दिल्ली। छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत की खबर है। अगर कोई छात्र छात्र किसी भी कारण से दाखिला लेने के बाद कालेज छोड़ता है तो कॉलेज प्रबंधन को उसकी फीस वापस करनी अनिवार्य है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा है।

इसमें कहा गया कि कोई उच्च शिक्षण संस्थान किसी छात्र की फीस और उसके अकादमिक सर्टिफिकेट को नहीं रख सकता है। नियम न मानने पर मान्यता रदद, सभी प्रकार की ग्रांट रोकने, किसी प्रोग्राम में एक साल या उससे अधिक समय तक दाखिले पर रोक, जुर्माना से लेकर राज्य सरकारों के संस्थानों के खिलाफ स्टेट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने इस संबंध में सभी राज्य सरकारों और विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि यूजीसी के बार-बार निर्देशों के बाद कई शिक्षण संस्थान छात्र के कॉलेज छोड़ने पर फीस वापस नहीं कर रहे हैं।

इसके अलावा दाखिले के बाद मूल सर्टिफिकेट तक वापस नहीं किए जा रहे हैं। राज्य सरकारों से आग्रह है कि वे अपने उच्च शिक्षण संस्थानों में फीस वापसी के नियमों को लागू करवाएं। 

दो शैक्षणिक सत्र में 22 जिलों ने स्कूल जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत नहीं मांगी धनराशि, योजना में में अफसर नहीं ले रहे रुचि

दो शैक्षणिक सत्र में 22 जिलों ने स्कूल जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत नहीं मांगी धनराशि, योजना में में अफसर नहीं ले रहे रुचि


प्रयागराज । प्रोजेक्ट अलंकार के तहत प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार की योजना में अफसर रुचि नहीं ले रहे। प्रदेश के कानपुर समेत 22 जिले ऐसे हैं जिन्होंने पिछले दो शैक्षणिक सत्र में एक भी प्रस्ताव नहीं भेजा है। इसे लेकर शासन की सख्ती पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन 22 जिलों के अधिकारियों से तत्काल प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं। इनमें कानपुर के 113 स्कूल शामिल हैं। शासन की सख्ती पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन 22 जिलों के अधिकारियों से तत्काल प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।


इस योजना के तहत चयनित एडेड कॉलेजों में आधारभूत सुविधाओं के लिए अनुमानित बजट का 75 प्रतिश सरकार देती है और 25 प्रतिशत संस्था प्रबंधन को देना होता है। कॉलेज 25 प्रतिशत की धनराशि सांसद-विधायक निधि से, बड़ी कंपनियों के कारपोरेट सोशल लोगों, रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के मद से और पुरा छात्रों, क्षेत्र के गणमान्य/प्रतिष्ठित जनप्रतिधियों, किसी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त कर सकते हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने डिफाल्टर 22 जिलों के अफसरों से जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है।


कानपुर नगर, आगरा में 100 से अधिक कॉलेज

जिन 22 जिलों से जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव नहीं मिला है उनमें सबसे ऊपर कानपुर नगर का नाम है क्योंकि यहां सर्वाधिक 113 स्कूल हैं। आगरा में 109, हरदोई व फतेहपुर में 72-72, बागपत व मुजफ्फरनगर में 71.71, कन्नौज 59, सुल्तानपुर 58, मैनपुरी 53, गौतमबुद्धनगर व हापुड़ 45-45, संभल 37, चंदौली 34 समेत अन्य जिलों के नाम है।

उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध हुआ तेज

प्रयागराज। लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध तेज हो गया है। यह फैसला वापस लेने के लिए कर्मचारियों ने स्थानीय मंत्रियों, विधायकों एवं अन्य नेताओं को पत्र लिखा है। सोमवार को संघ की आमसभा में आंदोलन की रणनीति तय होगी।

 कर्मचारियों का यह भी कहना है कि कैंप कार्यालय के लिए जो स्थान चिह्नित किया गया है वह सचिवालय से 35 से 40 किमी दूर है। पूरा रास्ता जाम वाला है। ऐसे में कैंप कार्यालय वहां ले जाने का भी कोई औचित्य नहीं है। 

इसके विरोध में उत्तर प्रदेश शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा। संघ के मंत्री सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक में बात रखी जाएगी। इसमें फैसले को आमसभा में रखा जाएगा। 


उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

प्रयागराज । उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोलने का विरोध मुखर हो गया है। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हस्तक्षेप किया है। साथ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है।

कार्यालय लखनऊ ले जाने से संबंधित निदेशालय के एक पत्र का हवाला देते हुए भी कर्मचारी शासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। शासन की ओर से उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ शिफ्ट करने का फैसला लिया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इसकी प्रक्रिया रोक दी गई लेकिन विवाद थमा नहीं है।

लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश जारी किया गया जिसके लिए निदेशालय स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के अनुसार, मार्च में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भी कार्यालय लखनऊ ले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। इसके बाद कैंप कार्यालय का मुद्दा शांत रहा लेकिन शुक्रवार को अचानक लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी हो गया।

इसके विरोध में कर्मचारी संघ के महामंत्री ने लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय में मांग पत्र सौंपकर इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। संघ के पदाधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं को भी इस बाबत मांग पत्र सौंपा।

संघ के मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उप मुख्यमंत्री का जवाब भी आया है। उन्होंने कर्मचारियों की मांग पत्र पर प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।




उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

फिलहाल लखनऊ के राजकीय महाविद्यालय से कार्यालय संचालन की तैयारी, निदेशक पूरी करेंगे आवश्यक कार्रवाई

प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। शासन की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक से इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। फिलहाल कैंप कार्यालय सरोजनी नगर के लतीफ नगर में नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय परिसर में खोला जाएगा।

माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में है। अब उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। पूर्व में भी इस बाबत आदेश जारी किया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। शासन की ओर से अब एक बार फिर लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी किया गया है। इसे लेकर विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से उच्च निदेशक को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार पिछले दिनों समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ शासकीय कार्यों को त्वरित और प्रभावी तरीके से निस्तारित किया जा सके।

नया भवन मिलने तक कैंप कार्यालय लखनऊ में सरोजनी नगर स्थित राजकीय महाविद्यालय परिसर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशक को आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया है। 


मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा : शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का विरोध किया गया। संघ की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर यह आदेश निरस्त करने की मांग की गई। कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री प्रयागराज के गौरव के लिए लगातार प्रयासरत हैं लेकिन यह आदेश शिक्षा नगरी की गरिमा के साथ अन्याय है। लय. उत्तर प्रदेश उनका कहना था कि निदेशालय में एक करोड़ रुपये की लागत से ई-कंटेंट स्टूडियो स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से निदेशालय के अधिकारी और शासन के अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधे जुड़कर कार्यों को निस्तारित कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से लखनऊ में निदेशालय का कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश निरस्त करने की मांग की।



शासन से मांगी गाइडलाइन

शासन से आदेश आने के बाद कैंप कार्यालय के स्वरूप, इसमें किन-किन अफसरों और कर्मचारियों की तैनाती होगी, जरूरी कागजातों की शिफ्टिंग आदि बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से गाइडलाइन भी मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि जरूरी कार्रवाई कर जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैंप कार्यालय के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


उठने लगे कर्मचारियों के विरोध के स्वर

लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने के आदेश से निदेशालय में हलचल तेज होने के साथ कर्मचारियों के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने का तीव्र विरोध किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा का भी कैंप कार्यालय लखनऊ में है लेकिन धीरे-धीरे निदेशालय के ज्यादातर काम वहीं चले गए। यहां महज औपचारिकता भर रह गई है। 

आशंका है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलने से उच्च शिक्षा निदेशालय का भी यही अंजाम होगा। धीरे-धीरे सभी काम वहीं चले जाएंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि शासन की मंशा है कि सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ में शिफ्ट कर दिए जाएं। पुलिस मुख्यालय, निबंधन कार्यालय, राजस्व परिषद समेत कई विभागों के ज्यादातर काम लखनऊ शिफ्ट हो चुके हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोला जाना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

Saturday, November 8, 2025

टीईटी अनिवार्यता को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने एनसीटीई से की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग

टीईटी अनिवार्यता को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने एनसीटीई से की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग 


अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) ने राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के अध्यक्ष के नाम एक ज्ञापन भेजते हुए हाल ही में आए सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) अनिवार्य होगा। 


महासंघ का कहना है कि यह निर्णय देशभर में लगभग 20 लाख शिक्षकों की सेवा सुरक्षा को प्रभावित करता है। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि 23 अगस्त 2010 की NCTE अधिसूचना के अनुसार, टीईटी न्यूनतम योग्यता केवल नियुक्ति के समय के लिए निर्धारित की गई थी, और जिन शिक्षकों की नियुक्ति इससे पहले या इसी नियम के अनुरूप हुई, उन्हें सेवा जारी रखने और पदोन्नति के लिए अलग से टीईटी अनिवार्य नहीं होना चाहिए।


महासंघ ने आग्रह किया कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भविष्य के लिए लागू किया जाए, न कि पिछली नियुक्तियों पर। विभिन्न राज्यों में आरटीई कानून अलग-अलग समय पर लागू हुआ था, इसलिए टीईटी से जुड़े प्रावधान भी राज्य-स्तरीय अधिसूचनाओं के अनुसार ही तय किए जाने चाहिए। संगठन ने यह भी कहा कि लंबे समय तक सेवाएं देने वाले अनुभवी और योग्य शिक्षकों की वरिष्ठता और गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। ज्ञापन में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि निर्णय को बिना स्पष्टता और समायोजन के लागू किया गया तो भारी संख्या में शिक्षक न केवल पदोन्नति से वंचित होंगे बल्कि नौकरी की असुरक्षा की स्थिति भी पैदा हो जाएगी।


महासंघ ने सरकार और NCTE से अपील की है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ शिक्षकों के अधिकारों और आजीविका की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। संगठन ने हस्तक्षेप कर शिक्षकों को राहत देने वाले दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है।




शिक्षामित्रों का न बढ़ा मानदेय, न हुआ तबादला, बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर रहा आदेश पर आदेश


शिक्षामित्रों ने की जल्द मानदेय बढ़ाने की मांग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जल्द शिक्षामित्रों के लिए न्यायसंगत मानदेय बढ़ाने की मांग की है। संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में कार्यरत लगभग 1.46 लाख शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। पांच सितंबर शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षामित्रों को जल्द ही मानदेय वृद्धि का आश्वासन दिया गया था किंतु इसे लेकर कोई निर्देश नहीं जारी हुआ है। वहीं आर्थिक तंगी व धन के अभाव में इलाज नहीं करवा पाने के कारण कई शिक्षामित्र काल के गाल में समा रहे हैं। सिर्फ अक्तूबर में ही विभिन्न कारणों से प्रदेश भर में 18 शिक्षामित्रों का निधन हुआ है। 



शिक्षामित्रों का न बढ़ा मानदेय, न हुआ तबादला, 
बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर रहा आदेश पर आदेश


लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 1.46 लाख शिक्षामित्रों को जहां मानदेय वृद्धि मामले में झटका लगा है। वहीं उनकी गृह जनपद में तैनाती भी नहीं की जा रही है। इसे लेकर शिक्षामित्रों ने नाराजगी जताते हुए जल्द कार्यवाही की मांग की है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने कहा है कि तीन जनवरी 2025 को तत्कालीन प्रमुख सचिव ने उनका समायोजन आदेश जारी किया था। इसके बाद विभाग की ओर से मांगे गए निर्देश के क्रम में 12 जून 2025 को भी शासन ने समायोजन प्रक्रिया करने का आदेश दिया। किंतु बेसिक शिक्षा विभाग इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इससे शिक्षामित्रों में नाराजगी है।


संघ के प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार ने मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री से कहा है कि आर्थिक संकट के चलते प्रतिदिन किसी न किसी जिले में शिक्षामित्र की असमय मौत हो रही है। आर्थिक समस्या के चलते वह उचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं। इसके कारण सभी शिक्षामित्र अवसाद से ग्रस्त हैं। पांच सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि व कैशलेस योजना में शामिल किए जाने की घोषणा की गई।


लेकिन दो महीने बाद भी अभी तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी हुआ है। उल्टे मानदेय बढ़ाने के लिए बनाई समिति ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मात्र 10 हजार मानदेय में वे अपने घर से 80 से 90 किमी दूर शिक्षण कार्य करने को मजबूर हैं। मानदेय बढ़ाने व समायोजन के संबंध में संगठन के पदाधिकारियों ने कई बार बेसिक शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा व निदेशक बेसिक शिक्षा से मिलकर मांग कर चुके हैं। जल्द ही इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं हुआ तो संगठन बैठक कर अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगा। 

चार पेज की लागत से तय होगा यूपी बोर्ड की पाठ्यपुस्तक का मूल्य, प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे

चार पेज की लागत से तय होगा यूपी बोर्ड की पाठ्यपुस्तक का मूल्य, प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे

प्रयागराजः यूपी बोर्ड की कक्षा नौ से 12 तक के शैक्षिक सत्र 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकों का मूल्य तय करने को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था में प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे। नए शैक्षिक सत्र की पाठ्यपुस्तकों के लिए यूपी बोर्ड ने जो टेंडर जारी किया है, उसमें प्रकाशकों को चार पेज की कीमत बताने की शर्त जोड़ी है। इसी आधार पर प्रत्येक विषय की पूरी पुस्तक का मूल्य निर्धारित हो जाएगा। इसके अलावा पाठ्यपुस्तक प्रकाशित होकर आने के पहले प्रकाशकों को बताना होगा कि किस जिले में किस पुस्तक विक्रेता के यहां पाठ्यपुस्तक मिलेगी, ताकि विद्यार्थियों को आसानी से पाठ्यपुस्तक उपलब्ध हो सके।

पाठ्यपुस्तकों का मूल्य निर्धारित करने की नई व्यवस्था से प्रकाशकों की मनमर्जी नहीं चल पाएगी। पेज की लागत निश्चित होने से जितने पेज की जिस विषय के लिए पाठ्यपुस्तक होगी, उसी अनुपात में पूरी पुस्तक का मूल्य निश्चित हो जाएगा। वर्तमान सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें अप्रैल में नया सत्र आरंभ होने के तीन महीने बाद विक्रय के लिए बाजार में उपलब्ध हो पाई थीं। विलंब के कारण अधिकांश छात्र-छात्राओं ने बाजार में उपलब्ध अनधिकृत प्रकाशकों की पाठ्यपुस्तकें खरीदकर पढ़ाई शुरू कर दी थी। 




अनाधिकृत किताबों से पढ़ाया तो स्कूलों पर होगी कार्रवाई, एनसीईआरटी किताबों के लिए टेंडर जारी होते ही यूपी बोर्ड की सख्ती 
 
यूपी बोर्ड के स्कूलों में अनाधिकृत किताबों से पढ़ाई कराने पर प्रधानाचार्य और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। बोर्ड ने 2026-27 शैक्षिक सत्र के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। एनसीईआरटी किताबों के लिए जारी टेंडर से ही सख्ती शुरू कर दी है।

सचिव भगवती सिंह ने साफ किया है कि यदि कोई प्रकाशक पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन अनुबंध के पहले किताबें छापता है और उससे संबंधित गाइड आदि प्रकाशित करते हुए पाया जाता है तो उसे तीन साल के लिए पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन से वंचित कर दिया जाएगा। इसके अलावा विधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।

 चूंकि इस साल बोर्ड ने अक्तूबर में ही किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और एक अप्रैल को नया सत्र शुरू होने से पहले बाजार में कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी की 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगी। पिछले सालों में बोर्ड के स्तर से देरी के कारण अधिकृत और सस्ती किताबें जुलाई तक पहुंच पाती थी और तब तक बच्चे अनाधिकृत महंगी किताबें और गाइड वगैरह खरीद लेते थे।

इस साल समय से प्रक्रिया शुरू होने के कारण बोर्ड ने भी सख्त रुख अपनाया है, ताकि बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें मिल सकें। सचिव भगवती सिंह का कहना है कि स्कूलों में अधिकृत किताबों से पढ़ाने के निर्देश हैं। यदि किसी स्कूल में अनाधिकृत किताबों से पढ़ाई होते पाई गई तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।



41 लाख पुस्तकों की रायल्टी जमा, नए सत्र में अप्रैल से पहले आएंगी NCERT की पाठ्यपुस्तकें, टेंडर जारी करने की यूपी बोर्ड की तैयारी

प्रयागराज : नए शैक्षिक सत्र 2026-27 के लिए कक्षा नौ से 12 तक की पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति देने से पहले राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मांगी गई रायल्टी का भुगतान बोर्ड ने कर दिया है। 41 लाख पुस्तकों की रायल्टी के भुगतान के बाद अब पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति मिलने से पूर्व यूपी बोर्ड निविदा (टेंडर) आमंत्रित करने की तैयारी कर रहा है, ताकि अनुमति मिलने पर टेंडर प्रक्रिया में अधिक समय न लगे।

 शैक्षिक सत्र 2025-26 में पाठ्यपुस्तकें जुलाई में बाजार में उपलब्ध हुई थीं, जिसके कारण यूपी बोर्ड वर्ष 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकें अप्रैल में शैक्षिक सत्र आरंभ होने से पहले बाजार में उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा है।

शैक्षिक सत्र 2025-26 में बकाया रायल्टी जमा करने में देरी और पुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति मिलने में देरी के कारण तीन महीने विलंब से एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें बाजार में उपलब्ध हो पाई थीं। इसके कारण विद्यार्थियों ने शैक्षिक सत्र शुरू होने पर बाजार में उपलब्ध अनधिकृत एवं निजी प्रकाशकों को पुस्तकें खरीदकर पढ़ाई शुरू कर दी थी। 

 ऐसे में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने आगामी सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति पिछले दिनों एनसीईआरटी से मांगी, लेकिन उसने पिछले वर्ष की स्थितियों को ध्यान में रखकर पहले शैक्षिक सत्र 2025-26 की रायल्टी जमा करने को कहा। इस पर बोर्ड ने बिकी 41 लाख पुस्तकों की रायल्टी का भुगतान कर दिया है। अब अनुमति मांगने से पूर्व टेंडर आमंत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी है।



यूपी बोर्ड ने पहली बार किया इस तरह का प्रावधान, करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को लाभ

दस साल में पहली बार समय से मिलेंगी सस्ती किताबें, बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड, सभी जिलों में एनसीईआरटी की किताबें पहुंचाएंगे प्रकाशक

दुकानदारों को प्रकाशकों से मंगानी पड़ती थी किताबें, फुटकर दुकानदारों को मिलेगा 20 प्रतिशत कमीशन


प्रयागराज। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेश के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को 2026-27 सत्र में एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पिछले सालों की तुलना में बोर्ड ने किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया पांच महीने पहले ही शुरू कर दी है और एक अप्रैल को सत्र शुरू होने से पहले ही किताबें बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी। खास बात यह है कि बोर्ड ने इस साल जारी टेंडर में यह शर्त रखी है कि प्रकाशक ही किताबों को प्रदेश के सभी 75 जिलों में उपलब्ध कराएंगे।


साथ ही फुटकर विक्रेताओं के लिए 20 प्रतिशत कमिशन का प्रावधान भी किया गया है। इसका फायदा यह होगा कि फुटकर विक्रेता एनसीईआरटी आधारित यूपी बोर्ड की अधिकृत किताबें बेचने में रुचिलेंगे और बच्चों को महंगी किताबें खरीदने के लिए कई गुना अधिक कीमत नहीं चुकानी होगी। पिछले सालों में प्रकाशक किताबें तो छाप लेते थे लेकिन मार्जिन बहुत कम होने के कारण जिलों तक किताब नहीं पहुंचाते थे। जिलों के फुटकर दुकानदार दूसरे जिलों के प्रकाशकों से किताबें नहीं लेने जाते थे क्योंकि कमिशन नहीं मिलता था। कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी नई दिल्ली से कॉपीराइट प्राप्त 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन होगा। यूपी बोर्ड के सचिव

भगवती सिंह का कहना है कि इस साल पहली बार प्रकाशकों को हर जिले में किताबें उपलब्ध कराने की शर्त टेंडर में शामिल की गई है। इसका फायदा बच्चों को होगा और उन्हें एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबें मिल सकेंगी। 

यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राओं को दस साल में पहली बार एनसीईआरटी की किताबें एक अप्रैल से पहले मिल जाएगी। यूपी बोर्ड के स्कूलों में 2016 में एनसीईआरटी की किताबें लागू होने के बाद कोई ऐसा साल नहीं रहा जब छात्र-छात्राओं को समय से किताबें मिल सकी हों।


बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड

प्रयागराज। इस साल यूपी बोर्ड के किताबों की प्रकाशन की प्रक्रिया बेसिक शिक्षा विभाग से भी पहले शुरू हो गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सवा लाख से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए हर साल नवंबर-दिसंबर में ही टेंडर जारी हो जाता है। वहीं यूपी बोर्ड के अधिकारी हर साल फरवरी-मार्च में टेंडर निकालते थे और बाजार में किताबें पहुंचते-पहुंचते जुलाई आ जाती थी। चूंकि सत्र एक अप्रैल से ही शुरू होता है तो अधिकांश बच्चे पहले ही अनाधिकृत महंगी किताबें खरीद लेते थे और बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पाती थी।

टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

लखनऊ। देशभर के प्राथमिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में अलग-अलग शिक्षक संगठनों ने दिल्ली कूच का एलान कर रखा है। इसी क्रम में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर घोषित प्रदर्शन को सफल बनाने की तैयारी में जुटा है।

मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि इस प्रदर्शन में प्रदेश ही नहीं देशभर से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल होकर टीईटी अनिवार्यता का विरोध करेंगे। वे एनसीटीई द्वारा देशभर के शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य किए जाने का हर स्तर पर विरोध करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय 2011 से पहले कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय है। मोर्चा किसी भी दशा में इस काले कानून को लागू नहीं होने देगा।

मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो शिक्षक संसद का घेराव भी करेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों की सरकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। हालांकि अभी इस पर सुनवाई नहीं हुई है। 



टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच के लिए जिलों में शुरू होगा जनसंपर्क, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को करेगा दिल्ली में प्रदर्शन

लखनऊ। देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षकों का विरोध तेज हो रहा है। कई शिक्षक संगठनों के मोर्चे ने 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। इसके लिए 25 अक्तूबर से देशभर के सभी जिलों में जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू होगा।

शिक्षक संगठनों के संयुक्त मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले आंदोलन की तैयारी तेज कर दी है। इसमें लाखों शिक्षक शामिल होंगे। दिवाली आदि त्योहारों के बाद शिक्षकों ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में 25 से 31 अक्टूबर तक पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर मोर्चे में शामिल सभी घटक संगठन शिक्षकों की बैठकें करेंगे।

अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने बताया कि बैठक कर अधिक से अधिक शिक्षकों को दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंचने के लिए तैयार करेंगे। इसके लिए स्कूलों में जनसंपर्क भी किया जाएगा। उन्होंने कहा की दिल्ली जाने वालों की संख्या और तैयारी की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को 10 नवंबर तक सभी प्रदेशों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।


संयुक्त मोर्चा की मांगें

केंद्र सरकार टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे
शिक्षकों की सेवा सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
केंद्र सरकार संसद में अध्यादेश लाकर देश के शिक्षकों के हितों की रक्षा करे




टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन 24 नवंबर को, संयुक्त मोर्चा में शामिल प्रदेश के 12 शिक्षक संगठनों ने बैठक कर तय की रणनीति

शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक 

शिक्षकों के अलग-अलग संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन की रणनीति तैयार की 


 लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ देश भर के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। बुधवार को लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक में शिक्षकों ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आर-पार के संघर्ष का एलान किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो पूरे देश से करीब 10 लाख शिक्षक दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करेंगे जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 1.86 लाख शिक्षक भी होंगे।

बैठक में सोचा के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी, सह-संयोजक विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि 23 अगस्त 2010 से पहले कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी दशा में टीईटी लागू नहीं होने दिया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो संसद का घेराव भी किया जाएगा। बैठक में तय किया गया कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के सभी जिलों में शिक्षकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि 24 नवंबर के आंदोलन की पूरी तैयारी की जा सके।


नेताओं ने कहा कि एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन) का आदेश शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है। 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करें? शिक्षक नेताओं उत्तर प्रदेश सरकार भी मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटीशन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी आदेश के पालन की दिशा में पहल करे।

बैठक में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री नरेश कौशिक, उत्तर प्रदेश बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव, टीएससीटी के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम प्रकाश साहू, एससी/एसटी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदर सिंह शास्त्री, यूटा के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, महामंत्री ओम पोरवाल, अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सुशील सिंह, अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समर बहादुर सिंह और बेसिक शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र यादव प्रमुख रूप से शामिल हुए।



टेट के अनिवार्यता के खिलाफ 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर जुटेंगे शिक्षक

लखनऊ : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्यता कानून में संशोधन और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे। रविवार को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की आनलाइन बैठक में इसे लेकर राज्यवार जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर और महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम और टेट परीक्षा व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी, उस समय नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान नियम लागू करना अन्याय है। प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तहत सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है।




अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को मदुरई तमिलनाडु में हुई। इसमें टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया गया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में टीईटी अनिवार्यता, विभिन्न प्रांत के शिक्षकों से संबंधित समस्याओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक विरोधी मुद्दों, संविदा शिक्षको के नियमितीकरण, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा हुई। वर्किंग कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सभी ने एक स्वर में संघर्ष की सहमति दी। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षक को टीईटी से छूट दी गई थी। इस पर एनसीटीई को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।

बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ मजबूत आंदोलन व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करने की रणनीति बनी। बैठक में उत्तर प्रदेश से ठाकुरदास यादव, आलोक मिश्रा, अनुज त्यागी, नरेश कौशिक, योगेश शुक्ला, संजय पांडेय आदि उपस्थित थे।




टीईटी अनिवार्यता के मामले में तमिलनाडु में आज बैठक कर रणनीति बनाएंगे शिक्षक प्रतिनिधि

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद देश भर के शिक्षक आंदोलन तेज करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 12 अक्तूबर को तमिलनाडु के मदुरई में बैठक होगी। इसमें देश के सभी राज्यों के शिक्षक प्रतिनिधि भाग लेंगे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। टीईटी अनिवार्यता से जुड़ी जटिलताओं पर केंद्र सरकार को कैसे समाधान निकालने के लिए तैयार जाए, इस पर भी मंथन होगा। बैठक में विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली आदि पर भी चर्चा होगी। 

इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली विभिन्न राज्यों में खाली पदों को भरने, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्यवाही के लिए चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में इन सभी मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की रणनीति व तिथि भी तय की जाएगी।




टीईटी अनिवार्यता के मामले को लेकर लखनऊ में शिक्षक मोर्चा की बैठक में बनेगी रणनीति

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के मामले में चल रहा आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। इस क्रम में प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों - के मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली - बैठक 15 अक्तूबर को लखनऊ में होगी। इसमें आंदोलन - की अगली रणनीति तय की जाएगी। 

मोर्चा के राष्ट्रीय सह - संयोजक अनिल यादव ने बताया कि राजधानी के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ हाल, लोक निर्माण विभाग में सुबह 11 बजे - से बैठक आहूत की गई है। इसमें सभी शिक्षक संगठनों के - प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं जो शिक्षक संगठन मोर्चा में नहीं - भी हैं, वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई शिक्षक हित की है। इसके लिए सभी का एकजुट होना जरूरी है। 




टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी

लखनऊ । टीईटी मुद्दे पर देश भर के प्राइमरी शिक्षक दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी में हैं। आगामी 15 अक्टूबर को इसके लिए प्रत्येक राज्य की राजधानियों में उस राज्य के शिक्षकों की बैठक बुलाई गई है। यूपी सबसे अधिक शिक्षकों वाला राज्य होने के कारण प्रस्तावित आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।

यही कारण है कि टीईटी मामले को लेकर हाल ही में देश भर के शिक्षक संगठनों को मिलाकर बना संयुक्त मंच अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अगुवाई भी यूपी के ही जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी को सौंपी गई है। योगेश मोर्चा के संयोजक बनाए गए हैं।

लखनऊ में 15 अक्तूबर को बड़े स्तर पर मोर्चा से जुड़े यूपी के सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली में नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित बैठक के एजेण्डे को अन्तिम रूप दिया जाएगा।


नौकरी पर संकट गहरा गया है: शिक्षक संगठन

बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी देनी होगी अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश को शिथिल कराने के लिए हम सरकार पर कानून में संशोधन करने का दबाव बना रहे हैं।


यूपी के एक संगठन ने निर्णय को दी है चुनौती

यूपी के यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिक दाखिल कर केन्द्र सरकार के वर्ष 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है, जिसमें संबंधित अधिनियम संशोधन को मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया गया है।




टीईटी के मुद्दे पर केंद्र का रुख अब तक स्पष्ट न होने से शिक्षकों की बढ़ रही नाराजगी 

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने बैठक कर जताई नाराजगी


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से टीईटी की अनिवार्यता के आदेश के एक महीने बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट न करने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शनिवार को बैठक कर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और ठोस निर्णय न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश भर के शिक्षक नौकरी को लेकर चिंतित हैं। विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री व शिक्षामंत्री को हजारों पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक इस पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा, केंद्र सरकार को इसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए।

प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने कहा, अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो एसोसिएशन शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में विधि

सलाहकार आमोद श्रीवास्तव, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, राकेश तिवारी, सुशील रस्तोगी, धर्मेंद्र शुक्ला, तुलाराम गिरी, सुशील यादव आदि शामिल हुए।




कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुटे शिक्षक संघ, टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच की तैयारी

15 अक्टूबर तक कालीपट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं शिक्षक

परिषदीय विद्यालयों में 1.86 लाख शिक्षक बगैर टीईटी के सेवारत


लखनऊ: कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए सेवा में बने रहने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी) पास करना अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। वहीं, राज्य सरकार भी शिक्षकों के पक्ष में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है। अब शिक्षक संगठन कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुट गए हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर नरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि सरकार पर बाव बनाया जा सके। वहीं, बहुत वे शिक्षक टीईटी की तैयारियों में भी जुटे हैं।


प्रदेश में प्राथमिक व उच्च ाथमिक विद्यालयों में चार लाख ० हजार शिक्षक कार्यरत हैं, इनमें करीब एक लाख 86 हजार शिक्षक बगैर टीईटी के हैं। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो चुकी है।


15 अक्टूबर तक काली पट्टी बांधकर शिक्षक आपत्ति जताते हुए शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इसके बाद दिल्ली कूच किया जाएगा। उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार से मांग की है कि प्राथमिक विद्यालयों में 25 वर्षों से काम कर रहे बीटीसी, सीटीईटी और यूपी टीईटी पास शिक्षामित्रों को नई नियमावली बनाकर सुपर-टीईटी से मुक्त करते हुए सहायक अध्यापक पद पर स्थायी किया जाए।


प्रदेश में करीब 70 हजार ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनके पास बीटीसी प्रशिक्षण और टीईटी या सीटीईटी की पात्रता है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 1.48 लाख से अधिक शिक्षामित्र परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं। इनमें से अधिकतर ने दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। खास बात यह है कि करीब 70 हजार शिक्षामित्र बीटीसी के साथ टीईटी या सीटीईटी भी पास कर चुके हैं। जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने 29 जुलाई 2019 को नियमावली जारी कर योग्य शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त किया था, उसी तरह यूपी सरकार को भी आदेश जारी करना चाहिए। जब तक सभी शिक्षामित्रों को स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाती, तब तक उनके मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जानी चाहिए।


टीईटी की तैयारी में जुटे कई शिक्षक

कई शिक्षक किसी भी स्थिति में रिस्क नहीं लेना चाहते। उन्होंने टीईटी के सैंपल पेपर खरीदकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वे माक टेस्ट भी दे रहे है। कई वाट्सएप ग्रुप पर शिक्षक आपस में आनलाइन लिंक शेयर कर टीईटी का सिलेबस और माक टेस्ट उपलब्ध करा रहे हैं। यानी एक तरफ टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विरोध और आंदोलन की तैयारी है, तो दूसरी तरफ कई शिक्षक भविष्य सुरक्षित करने के लिए परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।