अंग्रेजी मीडियम के बच्चे हिन्दी में छपे पेपर से दे रहे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा, 10 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील करने को भूल गया विभाग?
प्रदेश के अंग्रेजी मीडियम प्राइमरी स्कूलों में हिन्दी के पेपर से परीक्षा, किताबें अंग्रेजी में थीं
15 हजार बच्चे 100 स्कूलों में लखनऊ के नामांकित हैं
स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की किताबें दीं, पढ़ाई भी इन्हीं किताबों से हुई और पेपर हिन्दी में दे दिया
लखनऊ। अंग्रेजी मीडियम वाले प्राइमरी स्कूल के बच्चे हिन्दी में छपे प्रश्न पत्र से परीक्षा दे रहे हैं। अंग्रेजी मीडियम के इन स्कूलों को किताबें अंग्रेजी मीडियम की दी गईं। कक्षाओं में इन्हीं किताबों से शिक्षकों ने पढ़ाई करायी। अधिकांश अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूलों में बच्चों की अर्द्ध वार्षिक परीक्षा हिन्दी में छपे हुए प्रश्न पत्र से करायी जा रही है। भाषा बदलने से बहुत से बच्चों को प्रश्न पत्र के सवाल समझने में दिक्कतें हो रही हैं। ये हॉल लखनऊ का अकेले नहीं है। बल्कि ये समस्या प्रदेश भर में संचालित अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में है। बच्चों ने गणित, विज्ञान, ईवीएस आदि विषयों की परीक्षा हिन्दी वाले पेपर से दी है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग को इन स्कूलों को हिन्दी मीडियम में कर देना चाहिए।
शासन ने वर्ष 2018 व 19 में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को कॉन्वेंट की तर्ज पर अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिये प्रदेश के 10 हजार से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में तब्दील किया था। इन स्कूलों के बच्चों को किताबें भी अंग्रेजी मीडियम की मुहैया करायी जा रही हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिये स्कूलों में अंग्रेजी में दक्ष विषयों के योग्य शिक्षक तैनात किये गए। इसी के तहत लखनऊ में पहले से संचालित 100 से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल अंग्रेजी मीडियम बनाए गए। इन स्कूलों में 15 हजार से अधिक बच्चे नामांकित हैं।
मीडियम बदलने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई
शिक्षकों का कहना है कि हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया के चक्कर में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अधिकांश बच्चों को अंग्रेजी के किताबें पढ़ने में दिक्कत हो रही है। इन्हें अंग्रेजी में इतिहास, भूगोल, विज्ञान और गणित आदि की किताबें पढ़ना तो दूर अल्फाबेट और टेबिल का ज्ञान नहीं है। ऐसे बच्चों को पढ़ाने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। बच्चे भी इस कारण पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि अंग्रेजी मीडियम के स्कूल होने के नाते विभाग से यहां किताबें अंग्रेजी मीडियम की दी। शिक्षकों ने सभी बच्चों को इन्हीं किताबों से पढ़ाई करायी। अब अर्द्धवार्षिक परीक्षा में लखनऊ के आधे से अधिक इन स्कूलों में प्रश्न पत्र हिन्दी में छपवाकर दे दिया। इन स्कूल के बच्चों को प्रश्न पत्र समझने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। शिक्षक भी परेशान हैं कि कापियों का मूल्यांकन कैसे करेंगे? जब किताबें और पढ़ाई इन किताबों से करायी है तो प्रश्न पत्र भी उसी भाषा का देना चाहिए।
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