आधे परिषदीय विद्यालय भी नहीं हो पाए हैं निपुण, 2027 तक सभी विद्यालयों को निपुण बनाने का लक्ष्य, अभी तक 48 हजार विद्यालय ही हुए हैं निपुण घोषित
लखनऊ। प्रदेश में कक्षा एक व के बच्चों को भाषा और गणित में दक्ष बनाने के लिए निपुण भारत मिशन के तहत विद्यालयों को निपुण घोषित किया जा रहा है, लेकिन प्रगति अपेक्षाकृत धीमी है। संशोधित लक्ष्य के अनुसार अब कक्षा दो तक के बच्चों को निपुण बनाना है, जबकि पहले यह दायरा कक्षा तीन तक था। प्रदेश के 111585 प्राथमिक विद्यालयों में से अब तक 48061 विद्यालय ही निपुण घोषित हो सके हैं। बाकी विद्यालयों का मूल्यांकन 15 जनवरी से शुरू होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग निपुण को लेकर लगातार प्रशिक्षण और विशेष कार्यक्रम चला रहा है। 2027 तक सभी विद्यालयों को निपुण बनाना है। दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 में डीएलएड प्रशिक्षुओं की मदद से 68352 विद्यालयों का मूल्यांकन किया गया, जिनमें 74 प्रतिशत स्कूल ही हुए हैं निपुण पाए गए। पिछली सत्र 2023-24 में केवल 16169 विद्यालय निपुण बने थे, जबकि इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 48061 हो गई।
हाल के जारी आंकड़ों में जौनपुर सर्वश्रेष्ठ जिला रहा, जहां 1904 में से 1578 विद्यालय (74%) निपुण घोषित हैं। गौतमबुद्धनगर (72%), कासगंज (70%), वाराणसी (69%) और भदोही (69%) भी शीर्ष प्रदर्शन वाले जिले रहे। वहीं झांसी सबसे कमजोर रहा, जहां मात्र 16% विद्यालय ही निपुण बन सके। मुजफ्फरनगर (24%), बदायूं (24%) और बलिया (29%) भी कमजोर जिलों में शामिल हैं।
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