उच्च शिक्षा ने 957, व्यावसायिक शिक्षा विभाग ने नहीं लौटाए 402 करोड़ रुपये, योजनाओं को लागू करने में लापरवाही का उल्लेख करते हुए अनुपूरक अनुदान लेकर खर्च न करने पर कैग ने जताई आपत्ति
लखनऊ। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 2024-25 की रिपोर्ट में उच्च शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा विभाग ने योजनाओं को लागू करने में लापरवाही का उल्लेख किया है। यह विभाग कई योजनाओं में बजट पूरा खर्च नहीं कर पाया। उच्च शिक्षा ने 957 करोड़ व व्यावसायिक शिक्षा ने मूल बजट के बचे हुए 402 करोड़ वित्त विभाग को वापस नहीं किए।
यही नहीं उच्च शिक्षा ने 3.92 करोड़ और व्यावसायिक शिक्षा विभाग ने अनुपूरक अनुदान में 300 करोड़ ले लिए। यह राशि विभागों के पास बेकार पड़ी रही। कैग रिपोर्ट में व्यावसायिक शिक्षा विभाग की ओर से 402.24 करोड़ की राशि वित्त विभाग को वापस न करने पर आपत्ति जताई गई है। जुलाई 2024 में 300 करोड़ का अनुपूरक अनुदान लेना विभाग के लिए अनावश्यक साबित हुआ।
कई योजनाओं में वह पूरी राशि नहीं खर्च कर पाया। दस्तकार प्रशिक्षण योजना में 26 करोड़ में से 16.75 करोड़ ही खर्च हुए, प्रदेश में दो मेगा राजकीय आईटीआई खोलने के लिए एक करोड़ में से शून्य और मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना में 70 करोड़ से मात्र 1.49 करोड़ खर्च किए गए। वित्त विभाग को समय पर राशि वापस नहीं की गई।
प्राविधिक शिक्षा विभाग ने नहीं लौटाए 26.92 करोड़
लखनऊ। कैग रिपोर्ट में प्राविधिक शिक्षा विभाग की बजट प्रबंधन में लापरवाही सामने आई है। विभाग ने बजट में बची 26.92 करोड़ रुपये की राशि वित्त विभाग को वापस नहीं की, जबकि मूल बजट से कम खर्च होने के बावजूद 10 करोड़ रुपये का अनुपूरक अनुदान मांगा गया, जो अनावश्यक पाया गया। कम प्रवेश के कारण फीस से आय घटने पर कई पॉलीटेक्निक संस्थानों का बजट बढ़ाना पड़ा। वहीं मैनपुरी इंजीनियरिंग कॉलेज में अनुमान से अधिक खर्च हुआ और कन्नौज इंजीनियरिंग कॉलेज में बजट निर्धारण व व्यय में भारी असंतुलन सामने आया। कैग ने बजट योजना और खर्च में बेहतर समन्वय की जरूरत बताई है।
वित्त विभाग को नहीं लौटाई गई पूरी रकम
लखनऊ। समाज कल्याण विभाग ने बचत की राशि वित्त विभाग को नहीं लौटाई। सीएजी की रिपोर्ट में इसपर आपत्ति जताई गई है। उसके पास मूल बजट में से 342 करोड़बचे, मगर वित्त विभाग को 40 करोड़ ही वापस किए। रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया। सीएजी की रिपोर्ट में बाकी राशि का ब्योरा न मिलने पर सवाल उठाए हैं। विभाग की ओर से अनुदान व्यय मूल बजट से कम होने की वजह से अनुपूरक अनुदान अनावश्यक साबित हुआ। अनुपूरक अनुदान के रूप में मिले 115 करोड़ रुपये का उपयोगी साबित नहीं हुआ। कुछ योजनाओं में समय पर केंद्रांश न मिलने के कारण राशि वापस लौटाना पड़ा। 19 करोड़ रुपये इस वजह से वापस किए गए।
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