69000 शिक्षक भर्ती : जानबूझकर अधिक अंक भर चयनित अभ्यर्थी की नियुक्ति वैध नहीं, नियुक्ति रद करने के मामले में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप से इंकार
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि जो अभ्यर्थी जानबूझकर अपने आवेदन पन्न में अधिक अंक दर्ज करता है, वह मूल रूप से अवैध है और ऐसा व्यक्ति सरकारी नौकरी पाने का हकदार नहीं है। अदालत ने कहा कि ऐसा करने से अभ्यर्थी को अनुचित लाभ मिलता है और यह शिक्षा और सरकारी सेवाओं की गरिमा को कम करता है। न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने यह टिप्पणी करते हुए सात सहायक शिक्षकों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं, जबकि चार के मामले में विवादित आदेश रद कर दिया है।
याचीगण को प्रदेश में वर्ष 2018 में हुई 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में चयनित होने के बाद नियुक्ति मिली थी, लेकिन बाद में दस्तावेज गलत पाए गए तो इनकी सेवा समाप्त कर दी गई। याचीगण ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति ने कहा कि जहां कोई अभ्यर्थी जानबूझकर असल में मिले अंकों से ज्यादा अंक डालता है, जिससे उसे गलत फायदा मिलता है और आखिरकार नौकरी मिल जाती है तो ऐसी नौकरी को कानूनी या वैध नहीं माना जा सकता। ऐसे काम को किसी भी तरह से सिर्फ मानवीय गलती या अनजाने में हुई गलती नहीं माना जा सकता, क्योंकि इससे दूसरे योग्य अभ्यर्थी के नुकसान पर उसको गलत फायदा मिलता है और यह चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता की जड़ पर ही चोट करता है।
एक अभ्यर्थी ने अपने आवेदन पत्र में गलत अंक दर्ज किए थे, वह चयनित हो गया। इससे उसे नौकरी मिल गई। बाद में जब यह मामला अदालत में आया तो अदालत ने कहा कि उसकी नियुक्ति अवैध है और उसे पद से हटाया जाना चाहिए। याचीगण कुशीनगर में नियुक्त हुए थे। राज्य सरकार ने चार दिसंबर 2020 से 15 जनवरी 2021 के बीच नियुक्ति का आदेश दिया था। बीएसए ने व्यक्तिगत शपथ पत्र लेकर नियुक्ति आदेश जारी किए थे।
याचीगण के अधिवक्ता ने तर्क दिया नियुक्ति रिकार्ड की विस्तृत जांच के बाद हुई थी। कोई धोखाधड़ी या गलतबयानी स्थापित नहीं हुई है। राधे श्याम यादव बनाम यूपी राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा गया कि याचीगण को अधिकारियों द्वारा अंकों की गणना में की गई अनियमितता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
पांच साल तक नौकरी कर लेने का भी हवाला दिया गया। सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन अभ्यर्थियों ने आनलाइन आवेदन पत्र में गलत विवरण भरा और इससे उन्हें लाभ हुआ है, उनका चयन रद किया जाना चाहिए। कोर्ट ने प्रीति, मनीष कुमार महावर, रिंको सिंह और स्वीटी शेखों को राहत दी है लेकिन अन्य वादियों के कोई राहत नहीं दी गई है। अवधेश चौधरी, सुनीत कुमार यादव, अर्जुन सिंह, प्रियवंदा पुष्कर, प्रीती, मनीष कुमार माहुर, रिंकू सिंह, स्वीटी शेखों, प्रियंका श्रीवास्तव, पिंका व पुष्पा ने याचिकाएं दायर की थीं।
No comments:
Write comments