
Thursday, July 31, 2025
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अन्तर्गत संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को फार्म-16 निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने हेतु धनावंटन के सम्बन्ध में।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अन्तर्गत संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को फार्म-16 निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने हेतु धनावंटन के सम्बन्ध में।
लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को फार्म 16 निःशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही इसके लिए 75 लाख का बजट भी डीआईओएस को आवंटित किया है। निदेशालय के वित्त नियंत्रक मदन लाल की ओर से इसके लिए निर्देश दिए गए हैं।
Wednesday, July 30, 2025
दिव्यांग, असाध्य बीमारी वाले शिक्षकों को तैनाती में वरीयता, शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को दिए निर्देश
दिव्यांग, असाध्य बीमारी वाले शिक्षकों को तैनाती में वरीयता, शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को दिए निर्देश
लखनऊ। प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में दिव्यांग, असाध्य बीमारी, कैंसर प्रभावित व दो साल से कम सेवाकाल वाले शिक्षकों को पदस्थापन (तैनाती) में वरीयता दी जाएगी। शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
विभाग ने मई में एलटी और प्रवक्ता ग्रेड के शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नत किया था। इसमें से 30 फीसदी शिक्षकों ने ही जॉइन किया । शिक्षक अपने पास के विद्यालयों में ही जाना चाहते थे। काफी संख्या में शिक्षकों ने अपनी पारिवारिक व स्वास्थ्य स्थितियों का हवाला देते हुए पदस्थापन में संशोधन के लिए विभाग में आवेदन किया था।
विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि दिव्यांग, असाध्य बीमारी, कैंसर प्रभावित शिक्षक या उनके आश्रित को उनके द्वारा मांगे गए स्थान पर पदस्थापन किया जाएगा। यदि पद खाली न हो तो वरिष्ठता के क्रम में पास के विद्यालयों में पदस्थापन दिया जाएगा।
जिन कार्मिकों का सेवाकाल दो साल से कम है, उनको उनकी अपेक्षानुसार खाली स्थान या पास के विद्यालयों में भेजा जाएगा। विशेष सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि इसके अनुसार वरीयता के आधार पर दिए गए विकल्प के सापेक्ष पदस्थापन किया जाए। ऐसे में प्रधानाध्यापक के खाली पदों को भरने का रास्ता भी साफ हो गया है।
जॉइन कराकर कर दिया तबादला, विभाग निदेशालय द्वारा में खेल
विशेष सचिव ने अपने पत्र में इस बात पर नाराजगी भी जताई है कि जब पदस्थापन के लिए सूची शासन को भेजी गई थी तो कुछ कार्मिकों को जॉइन कराकर फिर तबादला किस आधार पर किया गया? उन्होंने इसके लिए दोषी अधिकारियों के बारे में भी जानकारी मांग ली है। इसके बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। माना जा रहा है कि शासन इस मामले में विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई भी कर सकता है।
जवाहर नवोदय विद्यालयों में सत्र 2026-27 में रिक्त स्थानों के सापेक्ष कक्षा IX व XI में प्रवेश हेतु अधिसूचना जारी, 23 सितंबर तक आवेदन का मौका
जवाहर नवोदय विद्यालय की कक्षा 9वीं और 11वीं में रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभ्यर्थी 23 सितंबर तक आवेदन कर सकेंगे। नवोदय विद्यालय समिति ने दोनों कक्षाओं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
प्रवेश परीक्षा 7 फरवरी 2026 को आयोजित की जाएगी। जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं में आवेदन के लिए विद्यार्थी वर्तमान सत्र 2025-26 में कक्षा 8वीं मे जिले के किसी भी सरकारी या मान्यता प्राप्त विद्यालय में अध्ययनरत होना चाहिए। साथ ही उनकी जन्मतिथि 1 मई 2011 से 31 जुलाई 2013 तक (दोनों तारीख शामिल) के बीच होनी चाहिए।
कक्षा 11वीं में आवेदन के लिए विद्यार्थी वर्तमान सत्र 2025-26में कक्षा 10वीं में आपके जिले के किसी भी सरकारी या मान्यता प्राप्त विद्यालय में अध्ययनरत होना चाहिए।
जवाहर नवोदय विद्यालयों में सत्र 2026-27 में पार्श्व प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कक्षा IX व XI में रिक्त स्थानों के सापेक्ष प्रवेश हेतु पात्र अभ्यर्थियों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं।
🔴 आवेदन करने की अंतिम तिथि: 23.09.2025
🔴 चयन परीक्षा की तिथि: 07.02.2026
Monday, July 28, 2025
आधार के फेर में उलझे दाखिले, कैसे बढ़े छात्र संख्या? स्कूलों पर बच्चों की संख्या बढ़ाने का दबाव, शिक्षक-अभिभावक परेशान
आधार के फेर में उलझे दाखिले, कैसे बढ़े छात्र संख्या? स्कूलों पर बच्चों की संख्या बढ़ाने का दबाव, शिक्षक-अभिभावक परेशान
लखनऊ : बेसिक स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा बच्चों के दाखिले करने का दबाव है। शिक्षकों की दिक्कत ये है कि बच्चे के पास आधार नहीं है तो पहले उसका आधार बनवाएं। आधार में और पुराने स्कूल में दर्ज उसके ब्योरे में कुछ अंतर है तो आधार अपडेट करवाएं। आधार के लिए जन्म प्रमाण पत्र जरूरी है। वह भी आसानी से नहीं बन रहा। ऐसे शिक्षकों की मुश्किल है कि स्कूल में बच्चों की संख्या कैसे बढ़ाएं?
क्या दिक्कतें आ रही?
स्कूल चलो अभियान के तहत बेसिक स्कूलों में छूटे हुए छात्रों को बढ़ाने के निर्देश दिए गए है। जुलाई और अगस्त में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। बच्चों को स्कूल लाने के लिए सालभर कभी भी दाखिले किए जा सकते है लेकिन दाखिलों में काफी मुश्किलें आ रही है। शिक्षक इन मुश्किलों को लेकर काफी परेशान है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह बताते है कि पहली कक्षा में भी जो बच्चा दाखिला लेना चाहता है तो हम बिना आधार के उसका दाखिला तो ले सकते हैं लेकिन कई दिक्कतें आएंगी। उसे स्कूल यूनिफॉर्म सहित अन्य मदों में डीबीटी के जरिए धनराशि नहीं मिलेगी। उसका APAAR-ID भी नहीं बन पाएगा।
कैंप लगवाकर समस्या का समाधान किया जाएगा। कैंप का शेड्यूल तैयार हो गया है। 4 अगस्त से कैंप लगवाए जाएंगे। –कंचन वर्मा, डीजी, स्कूल शिक्षा
ऐसे में आधार बनवाने के लिए फिर शिक्षक को ही मशक्कत करनी पड़ेगी। शिक्षक जब आधार बनवाते है तो उसका जन्म प्रमाण पत्र भी जरूरी होगा। जन्म प्रमाण पत्र नहीं है तो उसको बनवाने की प्रक्रिया भी जटिल है। एक साल से अधिक आयु वाले बच्चे का आधार बनवाने के एफिडेविट सहित कई दस्तावेज और भौतिक जांच की प्रक्रिया होती है। उसमें वक्त लगता है।
शिविर लगवाने की मांग
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते है कि कक्षा एक के अलावा अन्य किसी कक्षा में दाखिला लेना है तो बच्चे के पुराने रेकॉर्ड और आधार में अंतर होने पर उसमें सुधार करवाना भी मुश्किल है। आधार अपडेट करवाने के लिए भी प्रक्रिया लंबी है। आधार और जन्म प्रमाण पत्र में भी ब्योरे में कुछ अंतर है तो भी अपडेट करवाने की प्रक्रिया लंबी है।
इस बारे में प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह कहते है कि आधार और जन्म प्रमाण पत्र के लिए कैंप लगवा दिए जाएं तो काम आसान हो सकता है। शिक्षको और अभिभावकों को भटकना नहीं पड़ेगा और दाखिलों की राह आसान हो जाएगी।
यूपी में और महंगी हुई डाक्टरी की पढ़ाई, सरकार ने बढ़ाई निजी मेडिकल कालेजों की फीस, 1.5 से 5.50 लाख रुपये तक की वृद्धि
यूपी में और महंगी हुई डाक्टरी की पढ़ाई, सरकार ने बढ़ाई निजी मेडिकल कालेजों की फीस, 1.5 से 5.50 लाख रुपये तक की वृद्धि
एसी और नान एसी छात्रावास शुल्क में दस हजार रुपये तक की वृद्धि
31 निजी मेडिकल कालेज में से 17 को फीस बढ़ाने की दी गई अनुमति
विविध शुल्क 94,160 रुपये, जिसमें पंजीकरण से लेकर परीक्षा शुल्क तक
लखनऊ । प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई महंगी हो गई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की फीस नियमन समिति ने सत्र 2025-26 में 31 निजी मेडिकल कालेजों में से 17 को सालाना फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी है। इस सत्र में निजी कालेजों में एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को 1.55 लाख से 5.50 लाख रुपये अधिक देना पड़ेगा।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी मेडिकल कालेजों के शिक्षण शुल्क में वृद्धि के अलावा छात्रावास व विविध शुल्क भी तय कर दिया है। एसी छात्रवास के लिए इस बार 2,02,125 रुपये सालाना शुल्क तय किया गया है, जबकि बीते सत्र में यह 1,92,500 रुपये था। इसी तरह नान एसी छात्रावास के लिए प्रत्येक छात्र को 1,73,250 रुपये प्रतिवर्ष देना होगा। बीते सत्र में यह शुल्क 1,65,000 रुपये था। इस शुल्क में मेस का खर्च भी जोड़ा गया है। यह भी हिदायत दी गई है कि छात्रावास के एक कमरे में सिर्फ दो ही छात्रों को रखा जाए।
फीस नियमन समिति ने विविध शुल्क 94,160 रुपये तय किया है। इसमें यूनिवर्सिटी पंजीकरण, विकास शुल्क, लाइब्रेरी, स्टूडेंट एसोसिएशन, जिम, स्पोर्ट्स, प्रवेश, परीक्षा शुल्क आदि को शामिल किया गया है। हास्पिटल, प्रयोगशाला आदि को शामिल करते हुए तीन लाख रुपये सिक्योरिटी राशि तय की गई है। इसे पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद वापस किया जाएगा। निजी मेडिकल कालेजों को यह भी हिदायत दी गई है कि वो शिक्षण शुल्क साल में एक बार ही लेंगे। किसी दशा में पांच वर्षों का शिक्षण शुल्क एकमुश्त नहीं जमा कराया जाएगा।
एमडी-एमएस करना भी हुआ महंगा
अब एमडी-एमएस करना भी महंगा हो गया है। फीस नियमन समिति ने एमडी-एमएस की फीस में 10 लाख रुपये सालाना तक की वृद्धि की है। जीएस मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल हापुड़ में पीजी की क्लीनिकल सीट के लिए 2025-26 के लिए अब 31,16,082 रुपये फीस देनी होगी। जबकि 2024-25 में इसी मेडिकल कालेज में एमडी-एमएस की एक साल की फीस 21,63,946 रुपये थी। टीएस मिश्रा मेडिकल कालेज लखनऊ में क्लीनिकल, पैथोलाजी और नान क्लीनिकल, तीनों ही वर्गों में फीस बढ़ा दी गई है। टीएस मिश्रा मेडिकल कालेज में वर्ष 2024-25 से 2025-26 में क्लीनिकल सीट में लगभग 10 लाख रुपये, पैथोलाजी में लगभग पांच लाख और नान क्लीनिकल सीट में लगभग तीन लाख रुपये बढ़ाए गए हैं।
Sunday, July 27, 2025
nipun plus app : हफ्ते में पांच बच्चों का निपुण एप से करना होगा मूल्यांकन, हर बच्चे के लिए अलग-अलग रैंडम आधार पर पूछे जाएंगे प्रश्न, विषयवार बनाया गया है प्रश्न बैंक
हफ्ते में पांच बच्चों का निपुण एप से करना होगा मूल्यांकन, हर बच्चे के लिए अलग-अलग रैंडम आधार पर पूछे जाएंगे प्रश्न, विषयवार बनाया गया है प्रश्न बैंक
लखनऊ । परिषदीय स्कूलों के शिक्षक को हर हफ्ते अपनी कक्षा के कम से कम पांच बच्चों का मूल्यांकन निपुण एप से करना होगा। इससे शिक्षकों, अभिभावकों और शैक्षिक अधिकारियों को बच्चों ' के पढ़ाई के स्तर की रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों के सीखने का स्तर बेहतर करने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से निपुण एप को अपग्रेड किया गया है। एप अपग्रेड होने के बाद राज्य परियोजना की ओर से बीएसए को निर्देश मिले हैं। परियोजना से मिले निर्देशों से बीएसए ने बीईओ को अवगत कराया है। साथ ही पालन कराने का आदेश दिया है।
परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को निपुण एप पर 25 सप्ताह की शिक्षण योजना का मूल्यांकन करना होगा। एआरपी, डायट मेंटर और स्टेट रिसोर्स ग्रुप को 10 से 30 स्कूलों में सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करना होगा। इन निरीक्षणों के दौरान कक्षा एक और दो के 40 प्रतिशत, कंक्षा तीन से पांच के 30 प्रतिशत और कक्षा छह और आठ के 20 प्रतिशत बच्चों का मूल्यांकन किया जाएगा। निपुण एप' रविवार और छुट्टियों में बंद रहेगा। एक बार में दो विद्यालयों का मूल्यांकन होने के बाद एप स्वतः ही लाक हो जाएगा।
पर्यवेक्षण के बाद शिक्षकों को जरूरी फीडबैक और रेमेडियल प्लान देना भी अनिवार्य किया गया है। एप का डाटा बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों की बैठकों में समीक्षा का आधार बनेगा।
विषयवार बनाया गया है प्रश्न बैंक
निपुण एप पर परिषदीय शिक्षकों को हर हफ्ते पांच बच्चों का मूल्यांकन करना होगा। मूल्यांकन के लिए कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए विषयवार प्रश्न बैंक बनाया गया है, जिसमें बच्चों की समझ और सीखने की क्षमता आंकने के लिए प्रश्न शामिल हैं। एप में शिक्षक, पर्यवेक्षक और मास्टर ट्रेनर शामिल किए गए हैं। इसमें हर बच्चे के लिए अलग-अलग रैंडम आधार पर प्रश्न पूछे जाएंगे और उसके प्रदर्शन के आधार पर तुरंत सहयोग भी किया जाएगा।
देश भर के सभी स्कूल भवनों का होगा सुरक्षा आडिट, केंद्र सरकार ने सरकारी के साथ निजी स्कूलों की भी जांच करने का दिया निर्देश
देश भर के सभी स्कूल भवनों का होगा सुरक्षा आडिट, केंद्र सरकार ने सरकारी के साथ निजी स्कूलों की भी जांच करने का दिया निर्देश
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखा पत्र
छात्रों को ऐसी घटनाओं से न हो किसी तरह का नुकसान दोषियों की तय हो जिम्मेदारी
नई दिल्ली: राजस्थान में स्कूल की छत गिरने से सात स्कूली बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद केंद्र ने अब देश भर के सभी स्कूल भवनों व उनसे जुड़ी जनसुविधाओं के तत्काल सुरक्षा आडिट कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि यह सुरक्षा आडिट स्कूलों के लिए वर्ष 2021 में जारी सुरक्षा और संरक्षा दिशा-निर्देश और वर्ष 2016 के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर किया जाए, जिसमें स्कूल भवनों के ढांचे की गुणवत्ता के साथ उनमें आग आदि से बचाव के जरूरी इंतजामों का भी आडिट किया जाए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि आडिट के साथ ही वह यह भी सुनिश्चित करें कि किसी भी स्कूलों में हादसे न हों, जिसमें किसी छात्र को अपनी जान गंवानी पड़े। मंत्रालय ने ऐसे हादसों को बड़ी सुरक्षा खामी बताया है और कहा कि सुरक्षा आडिट के दौरान यदि कहीं कोई खामी पाए तो इसके दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
इस बीच मंत्रालय ने यह साफ किया है कि सुरक्षा आडिट सरकारी और निजी दोनों स्कूलों का होगा। मंत्रालय ने इसके दौरान राजस्थान से पहले मध्य प्रदेश व झारखंड के स्कूलों में सामने आई ऐसी खामियों का भी जिक्र किया है। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वह बगैर कोई देरी किए तुरंत स्कूलों के सुरक्षा आडिट का काम शुरू करें।
राज्यों को लिखे पत्र में शिक्षा मंत्रालय ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी आगे आने की अपील की है और कहा है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए क्षेत्र के असुरक्षित स्कूल भवनों को लेकर स्थानीय प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों के शिकायत दर्ज कराए। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश भर में करीब 15 लाख स्कूल हैं। इनमें सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूल शामिल हैं।
इन पहलुओं को मुख्य रूप से जांचने के दिए सुझाव
स्कूलों भवनों और उनसे जुडी जनसुविधाओं के ढांचे की गुणवत्ता को जांचा जाए।
स्कूलों में आग से बचाव के इंतजामों को जांचा जाए।
इमरजेंसी निकास और इलेक्ट्रिक वायरिंग की अनिवार्य रूप से जांच की जाए।
स्कूलों में प्राथमिक उपचार पेटी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
स्कूलों के शिक्षकों, कर्मचारियों व बच्चों को ऐसी घटना से बचाव को लेकर जागरूकता और प्रशिक्षण।
ऐसी किसी घटना पर रिपोर्टिंग तत्र का गठन।
CBSE स्कूलों में आठवीं कक्षा तक NCERT की पुस्तकें हुई अनिवार्य, अभी 9वीं से 12वीं तक अनिवार्य हैं एनसीईआरटी की पुस्तकें
CBSE स्कूलों में आठवीं कक्षा तक NCERT की पुस्तकें हुई अनिवार्य
शिक्षा मंत्रालय की सलाह पर सीबीएसई ने संबद्ध सभी स्कूलों से इन्हें पढ़ाने के दिए निर्देश
अभी सीबीएसई स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक अनिवार्य हैं एनसीईआरटी की पुस्तकें
नई दिल्लीः नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार की गई राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पहली से आठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों को अब सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) भी अपने स्कूलों में पढ़ाएगा। सीबीएसई ने यह फैसला शिक्षा मंत्रालय के सुझाव के बाद लिया है, जिसमें नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क और समान मूल्यांकन पैटर्न के तहत एनसीईआरटी की नई पुस्तकों को पढ़ाने का सुझाव दिया गया था। जिसके बाद सीबीएसई ने अपने से संबद्ध सभी स्कूलों को इसे अमल में लाने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक सीबीएसई स्कूलों में नौवीं से ग्यारहवीं तक एनसीईआरटी की पुस्तकों को अभी अनिवार्य रूप से पढ़ाया जा रहा है लेकिन पहली से आठवीं कक्षा तक में स्कूलों को इससे छूट दी गई थी। यानी स्कूल चाहे तो एनसीईआरटी की या फिर निजी प्रकाशकों की पुस्तकें पढ़ा सकते थे। हालांकि अब सीबीएसई ने अपने संबद्ध स्कूलो को जोर देकर पहली से आठवीं कक्षा तक में भी एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ाने को कहा है। साथ ही इसे लेकर संबद्धता से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया है।
सूत्रों की मानें तो सीबीएसई ने इससे संबंधित नोटिफिकेशन वैसे तो काफी पहले ही जारी कर दिया था, लेकिन उस समय तक एनसीईआरटी की आठवीं तक की सभी विषयों की पुस्तकें बाजार में न आने से उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब जैसे ही एनसीईआरटी की आठवीं तक की सभी विषयों की पुस्तकें आ गई हैं तो सीबीएसई ने स्कूलों को इसके अमल के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि अब तक एनसीईआरटी की पुस्तकें पहली से आठवीं कक्षा तक में सिर्फ केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में ही अनिवार्य रूप से पढ़ाई जा रही थीं। सूत्रों का दावा है कि सीबीएसई की इस पहल के बाद एनसीईआरटी पुस्तकों की बिक्री दोगुनी हुई है।
Saturday, July 26, 2025
01 अगस्त 2025 को पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर NPS/UPS एवं निजीकरण के खिलाफ रोष मार्च हेतु अटेवा ने संगठनों से मांगा समर्थन
01 अगस्त 2025 को पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर NPS/UPS एवं निजीकरण के खिलाफ रोष मार्च हेतु अटेवा ने संगठनों से मांगा समर्थन
23 जुलाई 2025
NMOPS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने की घोषणा
14 जुलाई 2025
लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए फिर व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई ऑनलाइन बैठक में पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन पर चर्चा की गई। इसके बाद आंदोलन का विस्तृत प्रस्ताव पास किया गया।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि सरकार लगातार सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है। सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है। इससे शिक्षक-कर्मचारियों में निराशा है। इसे देखते हुए शिक्षकों कर्मचारियों ने व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। इस क्रम में एक अगस्त को पूरे देश में सभी जिला मुख्यालयों पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए रोष मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षक व कर्मचारी सामूहिक उपवास करेंगे।
उन्होंने बताया कि 1 अक्तूबर को सोशल मीडिया एक्स पर अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद 25 नवंबर को दिल्ली में रैली होगी। राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञा ने सरकार से निजीकरण समाप्त करने की मांग की। राष्ट्रीय सचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी ने कहा कि सरकार स्कूलों का मर्जर कर बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। संगठन इसका हर स्तर पर विरोध करेगा। बैठक में राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार, शांताराम तेजा, वरुण पांडेय, अमरीक सिंह, प्रेमसागर, परमानंद डहरिया शामिल हुए।
स्कूली छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से पहले दस दिन का विशेष कैंप, छात्रों को अलग-अलग जिलों में कैंप कर देंगे प्रशिक्षण, प्रशिक्षित विशेषज्ञ करेंगे तैयार
स्कूली छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से पहले दस दिन का विशेष कैंप, छात्रों को अलग-अलग जिलों में कैंप कर देंगे प्रशिक्षण, प्रशिक्षित विशेषज्ञ करेंगे तैयार
राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल बढ़ाने की तैयारी
लखनऊ। राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली स्कूली खेलकूद प्रतियोगिताओं में प्रदेश के छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने व ज्यादा से ज्यादा मेडल लाने के लिए उन्हें और बेहतर प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्पोर्ट्स फॉर स्कूल के तहत अब किसी भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जाने से पहले दस दिन का विशेष कैंप कराया जाएगा। इसमें प्रशिक्षित खेल विशेषज्ञ उन्हें तैयार करेंगे।
वर्तमान व्यवस्था के तहत पहले जिले स्तर पर प्रतियोगिता कर राज्य स्तर की टीम का चयन किया जाता है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए वह अपेक्षाकृत कम तैयारियों के साथ प्रतियोगिता में शिरकत करते थे। किंतु अब ऐसा नहीं होगा। वे इस बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर शुक्रवार को एक बैठक हुई।
इसमें समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह, संयुक्त शिक्षा निदेशक आरपी शर्मा आदि ने चर्चा की। इसमें संभावित कैंप और प्रशिक्षकों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए। अधिकारियों ने कहा कि इस कवायद से छात्र खिलाड़ियों के बीच आपस में ट्यूनिंग, एक-दूसरे की अच्छाइयों-कमियों को समझने, सुधारने का मौका मिलेगा।
पांच करोड़ 33 लाख रुपये का बजट स्वीकृत
स्पोर्ट्स फॉर स्कूल के तहत खिलाड़ियों को पहले 10 दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें वह सामूहिक रूप से तैयारी करेंगे, खेलों में बेहतर समन्वय और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन भी कर सकेंगे। इस विशेष प्रशिक्षण शिविर के लिए पांच करोड़ 33 लाख रुपये का बजट भी स्वीकृत किया गया है। खास यह कि प्रदेश में जहां जिस खेल की बेहतर सुविधाएं होंगी। वहां पर इस शिविर का आयोजन किया जाएगा।
स्वैच्छिक समायोजन : तीन दिन बाद भी सूची आई न शुरू हुए आवेदन, शिक्षकों के समायोजन की घोषणा कर भूला बेसिक शिक्षा विभाग
स्वैच्छिक समायोजन : तीन दिन बाद भी सूची आई न शुरू हुए आवेदन, शिक्षकों के समायोजन की घोषणा कर भूला बेसिक शिक्षा विभाग
23 जुलाई को जारी करनी थी सरप्लस व कम शिक्षकों वाले विद्यालयों की सूची, 24 जुलिया से शुरू होना था ऑनलाइन आवेदन
लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले 10827 परिषदीय स्कूलों के विलय (पेयरिंग) के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के जिले के अंदर एक और समायोजन की घोषणा की थी। इसके लिए कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया। किंतु तीन दिन का समय बीतने के बाद भी शुक्रवार देर रात तक कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी।
बेसिक शिक्षा विभाग ने पूर्व में यह घोषणा की थी कि परिषदीय स्कूलों की पेयरिंग के बाद शिक्षक-छात्र अनुपात के तहत कम शिक्षक वाले विद्यालयों में आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों का समायोजन किया जाएगा। इसके तहत 22 जुलाई को इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश व समय सारिणी भी जारी की गई थी। इसके अनुसार 23 जुलाई को आरटीई के मानक के अनुसार प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक की सूची ऑनलाइन जारी करनी थी।
किंतु अभी तक शिक्षक-छात्र अनुपात के अनुसार कम और ज्यादा शिक्षकों वाले स्कूलों की सूची ही नहीं जारी की जा सकी है। इसी तरह शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदन 24 जुलाई से शुरू होना और 27 जुलाई तक चलना था। किंतु तीन दिन बीतने के बाद भी समायोजन की कोई भी प्रक्रिया नहीं शुरू हुई। ऐसा लग रहा है कि विभाग समायोजन की घोषणा करके ही भूल गया। इसकी वजह से आगे की प्रक्रिया ठप पड़ी है। वहीं समायोजन के इच्छुक शिक्षक इसके लिए परेशान हैं।
30 जुलाई तक पूरी होनी है समायोजन की प्रक्रिया
शिक्षक बार-बार विभाग की साइट देख रहे हैं और अधिकारियों को कोस रहे हैं। विभाग की ओर से जारी समय सारिणी के अनुसार 30 जुलाई तक समायोजन की प्रक्रिया पूरी होनी है। किंतु यह संभव नहीं दिख रहा है। इस बारे में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि कुछ तकनीकी दिक्कत से वजह से शिक्षकों की सूची अपलोड नहीं की जा सकी है। इसे जल्द ही पोर्टल पर अपलोड कर समायोजन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
शिक्षामित्रों ने मनाया काला दिवस
शिक्षामित्रों ने मनाया काला दिवस, सीएम को भेजा ज्ञापन
मुख्यालयों पर एकत्र होकर उठाई गईं मानदेय बढ़ाने सहित कई मांगें
26 जुलाई 2025
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों ने शुक्रवार को पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाया। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के बैनर तले शिक्षामित्रों ने जिला मुख्यालयों पर एकत्र होकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा। इसके माध्यम से मानदेय बढ़ाने आदि की मांग की।
25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त किया गया था। इसके बाद से शिक्षामित्र 25 जुलाई को काला दिवस के रूप में मनाते हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को विभिन्न जिलों में मुख्यालयों पर एकत्र होकर मृत शिक्षामित्रों को श्रद्धांजलि दी।
साथ ही सीएम को भेजे ज्ञापन में मूल विद्यालय से वंचित शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय, उनकी ग्राम पंचायत में महिला समायोजित करने, शिक्षामित्रों को विवाह के बाद उनके ससुराल के विद्यालय में समायोजित करने के शासनादेश का जल्द अनुपालन करने की मांग उठाई।
संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि इसके साथ ही शिक्षामित्रों को ईपीएफ योजना में शामिल करने, उनको आयुष्मान भारत योजना में शामिल करके मेडिकल सुविधा देने, मृत शिक्षामित्रों के परिवार को आर्थिक सहायता देने, उनके परिवार के एक सदस्य को उसी पद पर नियुक्त करने, सेवामुक्त हो रहे शिक्षामित्रों को सरकारी सहायता देने की भी मांग की गई।
26 जुलाई 2025
प्रयागराज। 25 जुलाई 2017 को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद होने के बाद से सरकार की उपेक्षा का शिकार शिक्षामित्रों ने शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाकर काला दिवस मनाया।
दोपहर बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों ने एडीएम सिटी सत्यम मिश्र को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। शिक्षामित्रों का कहना है कि 40 हजार रुपये वेतन से अचानक 10 हजार रुपये मानदेय होने के कारण बच्चों की पढ़ाई, वृद्ध माता-पिता की दवाई आदि का खर्च वहन नहीं कर पा रहे और प्राणघातक कदम उठा रहे हैं।
धनाभाव के कारण गंभीर बीमारी का इलाज भी नहीं करा पा रहे, जिसके चलते प्रतिदिन औसतन दो-तीन शिक्षामित्रों का हार्टअटैक, ब्रेन हैमरेज आदि से निधन हो रहा है। उच्च न्यायालय ने भी शिक्षामित्रों का मानदेय पारिवारिक खर्च के लिए अपर्याप्त मानते हुए सरकार को उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर समस्या समाधान करने का निर्देश दिया है।
60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले शिक्षामित्र खाली हाथ सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मांग की कि महंगाई को देखते हुए राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा और बिहार की तरह शिक्षामित्रों को वेतन दिया जाए। ज्ञापन देने वालों में मंडल अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, जिला संरक्षक सुरेन्द्र पांडेय, जिलाध्यक्ष वसीम अहमद, महामंत्री सुनील तिवारी आदि रहे।
शिक्षामित्र 25 जुलाई को मनाएंगे काला दिवस
21 जुलाई 2025
लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ शहीद साथियों को नमन करते हुए 25 जुलाई को पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाएगा। 25 जुलाई 2017 को 1.37 लाख शिक्षामित्र का समायोजन सुप्रीम कोर्ट से निरस्त हुआ था। शिक्षामित्रों का कहना है कि उसके बाद से प्रदेश के शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने कहा कि इसमें हजारों की संख्या में शिक्षामित्र परिस्थितियों बस काल के गाल में समा चुके हैं। इसी क्रम में संघ द्वारा 25 जुलाई को हर साल की भांति इस वर्ष भी इस दिन को काला दिवस के रूप में मनायेगा।
प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि 25 को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर शिक्षामित्र एकत्र होकर मृत शिक्षामित्र साथियों को श्रद्धांजलि देंगे। साथ ही जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को शिक्षामित्र की समस्याओं से संबंधित ज्ञापन भी भेजेंगे।
सभी जिलों में प्रांतीय, मंडलीय पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष को कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग ने गर्मी की छुट्टियों में आयोजित किए गए समर कैंप का मानदेय अभी तक नहीं दिया है।
यूपी में उमस-गर्मी से 40 स्कूली बच्चे बेहोश, एक की मौत
यूपी में उमस-गर्मी से 40 स्कूली बच्चे बेहोश, एक की मौत
हरदोई में 13, बाराबंकी में 16 और सीतापुर में सात बच्चे स्कूल में में बेहोश, बाराबंकी में एक छात्र ने दम तोड़ा, अलीगढ़ में कीटनाशक से सात बेसुध
बाराबंकी/सीतापुर/हरदोई । उमस भरी गर्मी बच्चों पर भारी पड़ रही है। हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर, सुलतानपुर में शुक्रवार को 40 बच्चे बेहोश गए, इनमें से बाराबंकी के हैदरगढ़ में एक बच्चे की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई।
बाराबंकी में शुक्रवार को विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले 16 छात्र-छात्राएं गर्मी के कारण चक्कर खाकर गिर पड़े, कई को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाना पड़ा। हैदरगढ़ में एक हाईस्कूल छात्र की अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई।
सीतापुर में उमस भरी गर्मी से शुक्रवार को छह विद्यालयों के सात बच्चे बेहोश हो गए। नजदीकी स्वास्थ केंद्र में इलाज के बादघर भेजा गया।
सुलतानपुर के पारसपट्टी विद्यालय के चार बच्चे एक-एक कर बेहोश हो गए। शिक्षकों के प्रयास से सामान्य होने के बाद अभिभावकों के साथ घर भेजा गया
हरदोई में 13 छात्राएं बीमारः नवोदय विद्यालय में बिजली कटौती, उमसभरी गर्मी से 13 छात्राओं की हालत बिगड़ गई। सात की हालत नाजुक होने पर जिला अस्पताल भेजा गया, छह प्राथमिक इलाज के बाद घर चले गए। रायबरेली में भी कक्षा 8 की एक छात्रा गर्मी से बेहोश हुई। शिक्षक संगठनों ने समय परिवर्तन की मांग की है।
विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए काउंसलिंग अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में आत्महत्याएं रोकने के लिए जारी किए दिशा-निर्देश, कोचिंग संस्थानों के लिए 60 दिनों में नियम बनाएं राज्य
विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए काउंसलिंग अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में आत्महत्याएं रोकने के लिए जारी किए दिशा-निर्देश, कोचिंग संस्थानों के लिए 60 दिनों में नियम बनाएं राज्य
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि देशभर में सभी कोचिंग संस्थानों को अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होगा। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 60 दिन के भीतर सभी निजी कोचिंग सेंटरों के लिए छात्र सुरक्षा मानदंड और शिकायत निवारण तंत्र बनाने वाले नियम-कानून अधिसूचित करने का आदेश दिया है।
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों में तेजी से बढ़ते आत्महत्या की प्रवृति और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए विस्तृत 15 दिशा-निर्देश जारी करते हुए यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर आया। उच्च न्यायालय ने विशाखापत्तनम में मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कर रही छात्रा की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को खारिज कर दिया था।
छात्रों के स्वास्थ्य पर भी रखनी होगी नजर
सभी शैक्षणिक संस्थान नियमित रूप से छात्र मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेंगे। शैक्षणिक संस्थान गुमनाम रिकॉर्ड रखेंगे और एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेंगे परीक्षा के अंकों और रैंक से परे पहचान की व्यापक भावना विकसित करने को पाठ्यक्रमों की समीक्षा करनी होगी। सभी शैक्षणिक संस्थान, जिनमें कोचिंग केंद्र और प्रशिक्षण संस्थान शामिल हैं, छात्रों और उनके माता-पिता या अभिभावकों के लिए नियमित, करियर परामर्श सेवाए प्रदान करेंगे।
पंखे या उपकरण इस तरह से लगाएं जिससे न की जा सके छेड़छाड़
पीठ ने कहा कि सभी आवासीय सुविधा वाले संस्थान छत वाले ऐसे पंखे या उपकरण इस तरह से लगाएं, जिससे छेड़छाड़ न की जा सके। छतों, बालकनियों और अन्य खतरे वाले क्षेत्रों तक पहुंच को प्रतिबंधित करेंगे। सभी शैक्षणिक संस्थान, विशेषकर कोचिंग संस्थान या केंद्र शैक्षणिक प्रदर्शन, सार्वजनिक रूप से बदनामी, या उनकी क्षमता से अधिक शैक्षणिक लक्ष्य सौंपने के आधार पर विद्यार्थियों के बैचों को अलग-अलग नहीं करेंगे।
आत्महत्या रोकथाम के लिए हेल्पलाइन जरूरी
सभी शैक्षणिक संस्थान मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, स्थानीय अस्पतालों और आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन और तत्काल रेफरल के लिए लिखित प्रोटोकॉल स्थापित करेंगे। टेली-मानस और अन्य राष्ट्रीय सेवाओं सहित आत्मघाती हेल्पलाइन नंबरों को छात्रावासों, कक्षाओं, साझा क्षेत्रों और बड़े और सुपाठ्य प्रिंट में वेबसाइटों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा।
सभी कर्मचारियों का साल में दो बार प्रशिक्षण
संस्थान के सभी कर्मचारियों को वर्ष में दो बार अनिवार्य प्रशिक्षण देना होगा। प्रशिक्षण प्रमाणित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर देंगे। इसमें मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा, चेतावनी संकेतों की पहचान, आत्म-नुकसान की प्रतिक्रिया जैसे विषय शामिल रहेंगे।
100 या उससे अधिक विद्यार्थी होने पर परामर्शदाता जरूरी
दिशा-निर्देशों के अनुसार, 100 या उससे अधिक नामांकित विद्यार्थियों वाले संस्थानों को कम से कम एक परामर्शदाता, मनोविज्ञानी या सामाजिक कार्यकर्ता नियुक्त करना होगा। ये अधिकारी बच्चे और किशोर मानसिक स्वास्थ्य में प्रशिक्षित होने चाहिए। कम छात्रों वाले संस्थान बाहरी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ औपचारिक रेफरल संबंध स्थापित करेंगे।
Friday, July 25, 2025
सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश, अंतरिम आदेश का राज्य सरकार की पेयरिंग नीति से संबंध नहीं
सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश, अंतरिम आदेश का राज्य सरकार की पेयरिंग नीति से संबंध नहीं
विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए पारित किया आदेश, अगली सुनवाई 21 अगस्त को
25 जुलाई 2025
लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीतापुर जिले के प्राइमरी स्कूलों के विलय के संबंध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गए कुछ दस्तावेजों में घोर विरोधाभास पाने के कारण यह आदेश पारित किया है। कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को कहा है कि वे इन दस्तावेजों के खिलाफ अपना जवाब अगली सुनवाई तक दाखिल कर सकते हैं। स्पष्ट किया है कि इस अंतरिम आदेश का राज्य सरकार की पेयरिंग पालिसी या इसके क्रियान्वयन से कोई लेना देना नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
यह आदेश चीफ जस्टिस अरुण भंसाली व जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने मास्टर नितीश कुमार व धर्म वीर की ओर से अलग अलग दाखिल दो विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए पारित किया। ये विशेष अपीलें एकल पीठ के गत सात जुलाई के उस फैसले के खिलाफ दाखिल की गईं हैं जिसमें एकल पीठ ने राज्य सरकार के विलय संबंधी 16 जून के आदेश पर मुहर लगाते हुए रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
अपीलार्थियों का प्रमुख तर्क है कि पेयरिंग करने में राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत पड़ोस में शिक्षा पाने के हक का उल्लंघन किया है। यह भी तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि एकल पीठ ने अपने फैसले में सरकार के कुछ दस्तावेजों पर भी भरोसा किया था। हालांकि वे दस्तावेज रिकार्ड पर नहीं थे क्योंकि सरकार की ओर से कोई जवाबी हलफनामा नहीं पेश किया गया था।
कोर्ट के कहने पर राज्य सरकार की ओर से उन दस्तावेजों को शपथ पत्र के जरिये रिकार्ड पर पेश किया गया। दस्तावेजों को रिकार्ड पर लेने के बाद कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को उनका जवाब पेश करने के लिए मौका देते हुए उपरोक्त अंतरिम आदेश पारित किया है।
परिषदीय स्कूलों के विलय मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का दिया आदेश
24 जुलाई 2025
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 24 जुलाई 2025 को दिए गए निर्णय (विशेष अपील संख्या 222 व 223/2025) के आधार पर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में स्कूलों के मर्जर/पेयरिंग पर ‘यथास्थिति बनाए रखने’ का जो आदेश जारी किया गया है, उसका विवेचन निम्न प्रमुख बिंदुओं के आधार पर किया जा सकता है:
1. याचिकाकर्ताओं का आधार – RTE और अनुच्छेद 21A का उल्लंघन
याचिकाएं इस आधार पर दाखिल की गई थीं कि स्कूलों का मर्जर/पेयरिंग, बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, जो मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE Act 2009) और संविधान के अनुच्छेद 21-A के अंतर्गत सुरक्षित हैं। याचियों का तर्क था कि पड़ोस में स्कूल की जो व्यवस्था RTE अधिनियम में की गई है, पेयरिंग से उसका स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है।
2. सरकारी पक्ष की कमजोरी – एकल पीठ में उत्तर न दाखिल करना
अदालत ने नोट किया कि एकल पीठ में सरकार द्वारा कोई काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किया गया था, बल्कि केवल मौखिक रूप से कुछ दस्तावेज और बातें रखी गईं। यह दर्शाता है कि सरकार की ओर से न्यायालय के समक्ष समुचित और पारदर्शी जवाब नहीं दिया गया।
3. मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी – गम्भीर विसंगतियों का ज़िक्र
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी दस्तावेजों में गंभीर विसंगतियाँ पाई गईं, जिन्हें बाद में सफाई देने हेतु अतिरिक्त हलफ़नामे के माध्यम से सरकार ने स्पष्ट करने का प्रयास किया। अदालत ने इन्हीं विसंगतियों को गंभीरता से लेते हुए सीतापुर जिले में “यथास्थिति बनाए रखने” का आदेश पारित किया।
4. अंतरिम आदेश का सीमित दायरा – केवल सीतापुर पर लागू
यह आदेश अभी सिर्फ सीतापुर जिले तक सीमित है, और नीति के गुण-दोष या पूरे प्रदेश के स्कूल मर्जर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। परंतु यह आदेश इस बात का संकेत अवश्य देता है कि यदि अन्य जनपदों में भी विसंगतियाँ उजागर होती हैं, तो ऐसी ही राहत संभव है।
5. नीतिगत आधार पर फैसला नहीं – पर संकेत महत्वपूर्ण
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश नीति की वैधता पर अंतिम टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह प्रक्रियात्मक विसंगतियों और दस्तावेजी अस्पष्टता के आधार पर दिया गया है। यानी, भले ही नीति का मूल्यांकन नहीं हुआ हो, पर कार्यप्रणाली में गम्भीर सवाल हैं।
6. आगे की सुनवाई और संभावनाएँ
अदालत ने अपीलकर्ताओं को सरकारी हलफ़नामे पर उत्तर देने का अवसर दिया है और अगली सुनवाई की तिथि 21 अगस्त 2025 तय की है। यह आगामी सुनवाई नीति के गहराई से परीक्षण का द्वार खोल सकती है।
निष्कर्ष:
इस आदेश को नीति पर एक संवेदनशील और तर्कसंगत हस्तक्षेप के रूप में देखा जाना चाहिए। भले ही यह अंतिम फैसला नहीं है, पर यह उन हजारों गांवों और लाखों गरीब बच्चों के लिए आशा की किरण है, जिनकी आवाज़ अक्सर ‘तथ्यात्मक आंकड़ों’ और ‘नीतिगत जुमलों’ के बीच दबा दी जाती है। यह फैसला एक संकेत है कि यदि ग्रामवासियों, शिक्षकों और बच्चों की असल परिस्थितियों को कानूनी और संवैधानिक ढांचे में उठाया जाए, तो न्याय की संभावना हमेशा बनी रहती है।
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24 जुलाई 2025 : 3:30PM
यूपी में स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट लखनऊ बेंच से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सीतापुर में स्कूलों के विलय पर यथा स्थिति बनाए रखने का दिया आदेश है। बुधवार को को लखनऊ बेंच हाई कोर्ट में सरकार की ओर से वकील ने अपना पक्ष रखा था। बुधवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को भी इस मामले में सुनवाई की। दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं। कोर्ट को बताया गया कि 50 से कम बच्चों वाले स्कूलों के विलय का आदेश दिया है। साथ ही जिन स्कूलों में 50 से अधिक बच्चे थे उनको भी विलय की सूची में शामिल कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया।
बतादें कि बेसिक शिक्षा विभाग के तहत संचालित स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बुधवार को भी बहस हुई थी। हालांकि समय की कमी के चलते बुधवार को भी बहस पूरी न हो पाने पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ मामले की गुरुवार को भी सुनवायी करेगी। उक्त अपीलों में बच्चों की ओर से उनके अभिभावकों ने विशेष अपीलें दाखिल करते हुए, एकल पीठ के 7 जुलाई के निर्णय को चुनौती दी है। उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को एकल पीठ ने स्कूलों का विलय करने के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
बुधवार को बहस के दौरान सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने दलील दी थी कि स्कूलों का विलय पूरी कर से सम्बंधित प्रावधानों के तहत किया गया। यह भी बताया गया कि खाली हुए स्कूल भवनों का उपयोग बल वाटिका स्कूल के रूप में व आंगनबाड़ी कार्य के लिए किया जाएगा। सरकार की ओर से कुछ अन्य तथ्यों को भी रखने के लिए मंशा जाहिर की गई जिसके लिए न्यायालय ने मामले में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया।
परिषदीय विद्यालयों के विलय से परेशान बच्चों की अपील पर आज भी सुनवाई करेगा हाईकोर्ट
24 जुलाई 2025
लखनऊ। प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में विशेष अपीलों पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रही। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष विशेष अपीलों पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ताओं की बहस चली। याचियों के अधिवक्ता बहस कर चुके हैं। दोनों पक्षों के वकीलों ने दलीलों के समर्थन में नजीरें भी पेश कीं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को नियत की है।
पहली विशेष अपील 5 बच्चों ने और दूसरी 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के जरिये दाखिल की है। इनमें स्कूलों के विलय के मुद्दे पर एकल पीठ द्वारा बीती 7 जुलाई को याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ एलपी मिश्र व अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलीलें दीं। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ बहस की।
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने दलील दी कि विलय की कार्यवाही संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए बच्चों के हित में की जा रही है। सरकार ने ऐसे 18 प्राथमिक स्कूलों का हवाला दिया जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं है। कहा, ऐसे स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा। सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिहाज से ऐसे स्कूलों के विलय का निर्णय लिया है।
स्कूलों के विलय के मामले में सुनवाई आज भी रहेगी जारी
23 जुलाई 2025
लखनऊ। प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में विशेष अपीलों पर सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को विशेष अपीलों पर याचियों के अधिवक्ताओं ने बहस की।
इसके जवाब में सरकारी अधिवक्ताओं ने बहस की। दोनों पक्षों ने दलीलों के समर्थन में नजीरें भी पेश की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को नियत की है। बता दें कि 7 जुलाई को स्कूलों के विलय मामले में एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के विलय आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर दिया था।
दाखिल एक जनहित याचिका को भी खंडपीठ ने बीती 10 जुलाई को खारिज कर दिया था।
22 जुलाई 2025
लखनऊ। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में एकल पीठ के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दो न्यायाधीशों की खंडपीठ में विशेष अपीलें दाखिल कर चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष 22 जुलाई को इन अपीलों पर सुनवाई होंगी।
अपीलकर्ताओं के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने बताया कि पहली विशेष अपील 5 बच्चों ने और दूसरी 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के जरिये दाखिल की है। इनमें एकल पीठ के स्कूलों के विलय में एकल पीठ द्वारा बीती 7 जुलाई को दिए गए फैसले को रद्द करने का आग्रह किया गया है। इसके बाद मामले में इससे पहले बीती 7 जुलाई को स्कूलों के विलय मामले में राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली थी।
एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के विलय आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर दिया था।
एडेड माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों के ऑफलाइन तबादले का करें निस्तारण, शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक व अपर निदेशक को दिए निर्देश
एडेड माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों के ऑफलाइन तबादले का करें निस्तारण, शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक व अपर निदेशक को दिए निर्देश
लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के ऑफलाइन तबादलों का मामला उलझता जा रहा है। शासन ने इस मामले में किसी स्पष्ट निर्देश देने की जगह माध्यमिक शिक्षा निदेशक व अपर शिक्षा निदेशक को इस प्रकरण के जल्द निस्तारण के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, इस साल एडेड माध्यमिक विद्यालयों में भी तबादले के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई। साथ ही पूर्व में हुए ऑफलाइन आवेदनों को भी निस्तारित करने का निर्णय लिया था लेकिन शासन की ओर से निर्धारित तिथि 15 जून बीतने के बाद भी ऑफलाइन तबादलों पर निर्णय नहीं हो सका जबकि ऑनलाइन तबादले हो गए। इससे शिक्षकों में ऊहापोह व नाराजगी है। लगभग 1700 शिक्षकों ने तबादले के लिए ऑफलाइन आवेदन किए हैं। शिक्षक संगठन भी लगातार ऑफलाइन तबादला जारी करने का दबाव बना रहे हैं।
इस बीच माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्त ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक व अपर शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर कहा है कि सात जून को जारी शासनादेश में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। यदि समय से कार्यवाही पूरी नहीं हुई तो न्यायिक वाद पैदा होने की आशंका है। ऐसे में प्रकरण का निस्तारण कराएं।
उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा है कि लंबे संघर्ष के बाद शासन ने लंबित ऑफलाइन स्थानांतरण आवेदनों, पत्रावलियों को निस्तारित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि विभाग ऑफलाइन तबादलों का जल्द आदेश जारी करेगा।
स्कूलों के विलय के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार
स्कूलों के विलय के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार
25 जुलाई 2025
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सैकड़ों सरकारी स्कूलों के विलय के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। जस्टिस दीपंकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि चूंकि मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है इसलिए याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाना चाहिए।
तैय्यब खान सलमानी की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया था कि सरकार के इस कदम से राज्य में हजारों से अधिक छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सात जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को राहत देते हुए सैकड़ों स्कूलों के विलय के फैसले को हरी झंडी दी थी।
स्कूल मर्जर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
21 जुलाई 2025
परिषदीय स्कूलों के विलय के विरोध में अब पीलीभीत के बच्चों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका हुई है। कल्याणपुर गांव राठ पीलीभीत की दस वर्षीय छात्रा सेन्सी देवी, चांदपुर गांव राठ पीलीभीत की नौ वर्षीय कोमल और इसी गांव की सात वर्षीय मिली देवी ने अपने अभिभावकों के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की दलील है कि बच्चों के मौलिक एवं संवैधानिक शिक्षा के अधिकार को बिना संसदीय स्वीकृति के बाधित नहीं किया जा सकता। यही नहीं सरकार के इस कदम को मनमाना भी बताया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका हो चुकी है।
मामला Sensi Devi बनाम State of U.P. (डायरी संख्या 38597/2025) है, जो स्कूल पेयरिंग मामले को लेकर है। Sensi Devi केस चीफ जस्टिस की पीठ में सूचीबद्ध है।
स्कूल मर्जर के खिलाफ अब बच्चे पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
18 जुलाई 2025
प्रयागराज । परिषदीय स्कूलों के विलय के विरोध में अब पीलीभीत के बच्चों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका हुई है। कल्याणपुर गांव राठ पीलीभीत की दस वर्षीय छात्रा सेन्सी देवी, चांदपुर गांव राठ पीलीभीत की नौ वर्षीय कोमल और इसी गांव की सात वर्षीय मिली देवी ने अपने अभिभावकों के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की दलील है कि बच्चों के मौलिक एवं संवैधानिक शिक्षा के अधिकार को बिना संसदीय स्वीकृति के बाधित नहीं किया जा सकता। यही नहीं सरकार के इस कदम को मनमाना भी बताया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा स्कूलों के मर्जर का मामला, यूपी में हजारों स्कूल बंद करने के फैसले को जनहित याचिका के जरिए चुनौती
15 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश में हजारों सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश में 5 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की.सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.
सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग
उत्तर प्रदेश में 70 से कम छात्र संख्या वाले 5 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निर्णय को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.
5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को मिली थी हरी झंडी
पिछले हफ्ते सोमवार सात जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत देते हुए 5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को हरी झंडी दिखा दी थी. कोर्ट ने सरकार के 16 जून 2025 के शासनादेश की अधिसूचना के खिलाफ सीतापुर और पीलीभीत के 51 छात्रों की याचिका खारिज कर दी. अधिसूचना के मुताबिक राज्य के दूरदराज में स्थित जिन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 70 या इससे कम छात्र हों उनका आसपास के अन्य विद्यालयों में विलय कर दिया गया.
एक सेक्शन में 40 से ज्यादा विद्यार्थी मिले तो CBSE विद्यालयों पर होगी कार्रवाई
एक सेक्शन में 40 से ज्यादा विद्यार्थी मिले तो CBSE विद्यालयों पर होगी कार्रवाई
एक ही सेक्शन में बच्चों को ठूंस-ठूंस कर बैठाने पर अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन सख्त हो गया है। बोर्ड ने सभी स्कूलों को आदेश जारी कर एक सेक्शन में 40 बच्चे ही रखने को कहा है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में। संख्या बढ़ाकर 45 की जा सकती है, लेकिन उससे पहले बोर्ड से अनुमोदन लेना होगा। स्कूलों को तत्काल प्रभाव से इस नियम को मनाना होगा, नहीं तो बोर्ड की ओर से सख्त कार्रवाई होगी। वहीं, स्कूल छात्र संख्या को समायोजित करने के चक्कर में मनमाने तरह से कक्षा के सेक्शन भी नहीं बढ़ा सकेंगे।
सीबीएसई ने 12वीं तक की कक्षाओं के प्रत्येक सेक्शन में छात्रों की संख्या को निर्धारित करने का फैसला किया है। 500 स्क्वायर फीट की कक्षा में सिर्फ 40 छात्र बैठेंगे। हालांकि बोर्ड की ओर से विशेष परिस्थितियों में छूट दी गई है, साथ ही आगाह भी किया गया है कि ऐसा न हो कि एक कक्षा के सभी सेक्शन में छात्र संख्या 45 हो जाए। यह छूट केवल ट्रांसफर, सेना, केंद्र सरकार, निजी क्षेत्रों में कार्य करने वाले अभिभावकों के लिए मिलेगी। इसके अलावा गंभीर बीमारी से पीड़ित, प्रदर्शन सुधारने के लिए दोबारा प्रवेश लेने वाले छात्रों को भी छूट मिलेगी। बोर्ड ने इस नियम को लागू करने के लिए तीन साल का समय दिया था।
सीबीएसई की वेबसाइट पर अब किसी सेक्शन में 40 छात्र संख्या के बाद पंजीकरण नहीं होगा। इससे अधिक के लिए बोर्ड का अनुमोदन पत्र लगाना होगा। सीबीएसई सिटी कोआर्डिनेटर बलविंदर सिंह ने कहा कि बोर्ड की ओर से जारी आदेश को अनिवार्य रूप से मानना पड़ेगा। बोर्ड तीन साल से लगातार पत्र लिखकर छात्र व सेक्शन की संख्या निर्धारित करने का आदेश दे रहा है, जिन स्कूलों ने ऐसा नहीं किया है उन पर कार्रवाई होगी।
Thursday, July 24, 2025
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्थाओं में कार्यरत संस्था प्रधान/प्रवक्ता /सहायक अध्यापक एवं सहायक अध्यापक सम्बद्ध प्राइमरी प्रभाग के वर्तमान सत्र 2025-26 में ONLINE स्थानान्तरण के सापेक्ष कार्यभार ग्रहण कराये जाने सम्बन्धी निर्देश
तबादला पाए शिक्षकों को जॉइन नहीं कराने वाले कॉलेजों को चेतावनी
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कहा, विभागीय आदेश की अवहेलना पर होगी कार्रवाई
लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में प्रबंधकों की मनमानी जारी है। इस साल पहली बार किसी तरह ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया की गई। लेकिन, अब कॉलेज तबादला पाए शिक्षकों को जॉइन नहीं करा रहे हैं। इस पर माध्यमिक शिक्षा विभाग न ने पत्र जारी करते हुए कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि वर्तमान सत्र में ऑनलाइन तबादले किए गए हैं। निदेशालय को सूचना मिली है कि ऑनलाइन तबादले के सापेक्ष तबादला पाने वाले शिक्षकों को प्रबंधतंत्र द्वारा कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा है। यह विभागीय आदेश की अवहेलना है।
द्वारा शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण उन्होंने कहा है कि यदि प्रबंधतंत्र कराने में अकारण विवाद पैदा किया जाता है तो उनके खिलाफ विभाग के नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए डीआईओएस अपनी संस्तुति संयुक्त शिक्षा निदेशक के माध्यम से उपलब्ध कराएंगे। इस दौरान शिक्षक के वेतन वितरण की कार्यवाही विभाग के नियमों के अनुसार की जाएगी। साथ ही इसके बारे में विस्तृत सूचना निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध कराने को कहा है।
न दूरी देखी न दिक्कत, बस कर दिया स्कूलों का विलय, जिलों में बढ़ रहा है बेसिक शिक्षा विभाग की मनमानी का विरोध, अभिभावकों-बच्चों के वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहे वायरल
न दूरी देखी न दिक्कत, बस कर दिया स्कूलों का विलय, जिलों में बढ़ रहा है बेसिक शिक्षा विभाग की मनमानी का विरोध, अभिभावकों-बच्चों के वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहे वायरल
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश में कम नामांकन वाले 10827 परिषदीय विद्यालयों का विलय (पेयरिंग) किया है। हालांकि, विलय में स्पष्ट मानक न होने से जिलास्तर पर मनमानी की गई। कहीं स्कूलों का विलय दो से तीन किमी दूर कर दिया गया तो कहीं बच्चों को हाईवे और रेलवे लाइन पार करके जाना पड़ रहा है। कहीं पूरे शिक्षक नहीं हैं तो कई जगह खराब रास्ते शिक्षा की राह में रोड़ा बन रहे हैं। बच्चे स्कूल जाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अधिकारियों को बच्चों व अभिभावकों को मनाने के लिए गांव-गांव जाना पड़ रहा है।
कुशीनगर में 178 विद्यालयों के विलय के बाद आधे बच्चे भी स्कूल नहीं पहुंच रहे। अब जिले-जिले में स्कूलों के विलय का विरोध मुखर हो रहा है। कानपुर देहात, उन्नाव, हरदोई समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शिक्षक संगठनों के साथ लोग व जनप्रतिनिधि भी सड़क पर उतर रहे हैं।
अभिभावकों का कहना है कि बिना संवाद और जमीनी हकीकत समझे निर्णय लिया। अगर अधिकारियों ने संवाद के बाद फैसला लिया होता तो यह स्थिति न आती। विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने न तो विद्यालयों की दूरी देखी न बच्चों की दिक्कत, बस ताबड़तोड़ विलय कर दिया।
देवरिया में तो ज्यादा दूरी को देखते हुए बीएसए ने 30 विद्यालयों के विलय आदेश रद्द कर दिया। हालांकि, कई जिलों में अब भी बच्चों व अभिभावकों की दिक्कत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों के विरोध के बीच आशंका है कि आने वाले दिनों में ड्रॉपआउट दर बढ़ सकती है।
देखें : दीक्षा एप पर आ रही समस्याएं और उनका समाधान
देखें : दीक्षा एप पर आ रही समस्याएं और उनका समाधान
समस्याएं-
यदि आपके प्रोफाइल में लर्निंग आवर्स शून्य आ रहे हैं
लर्निंग आवर्स बढ़ नहीं रहे हैं
प्रशिक्षण पूर्ण नहीं दिखाई दे रहा है
सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं हो रहा है
समाधान-अपनी प्रोफाइल में जाकर यह चेक करें कि आपने सही मेल आईडी या फोन नंबर से ही लॉगिन किया है।
दीक्षा एप में दीक्षा सपोर्ट सेक्शन में जाकर Raise a new query को चुनें। वहां उपलब्ध सभी फील्ड्स को भरें और क्रिएट टिकट पर क्लिक करें। आपकी समस्या संबंधी विवरण सीधे दीक्षा की तकनीकी टीम तक पहुंचेगा और मेल के माध्यम से समाधान उपलब्ध कराया जाएगा।
समस्या-
दीक्षा एप पर लॉगिन विद स्टेट सिस्टम न होना
समाधान -
1. गूगल क्रोम पर जाकर diksha.gov.in ओपन करें ।
2. दीक्षा लॉगिन के माध्यम से पोर्टल पर उपलब्ध लॉगिन विद स्टेट सिस्टम को चुन कर लॉगिन करें।
3. Profile में अपना registered email/phone number देखें
4. फोन में दीक्षा ऐप ओपन करने और registered email/phone number से लॉगिन करें।
Wednesday, July 23, 2025
गलत पेयरिंग ने छुड़वाई दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई, बढ़ सकता है ड्रॉप आउट रेट
गलत पेयरिंग ने छुड़वाई दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई, बढ़ सकता है ड्रॉप आउट रेट
डीएम ने भी स्कूलों की पेयरिंग पर मांगी रिपोर्ट
लखनऊ । बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों की पेयरिंग में दिव्यांग बच्चों का भी खयाल नहीं रखा। कई स्कूल दो से ढाई किमी दूर पेयर कर दिए। सामान्य बच्चे भी इतनी दूर जाने में परेशान हो रहे हैं, जबकि दिव्यांग बच्चों के लिए इतना दूर जाना मुमकिन ही नहीं है। इससे ड्रॉप आउट रेट भी तेजी से बढ़ने की आशंका है। ऐसी तमाम दिक्कतों पर महानिदेशक की सख्ती के बाद बेसिक शिक्षा विभाग फिर से स्कूलों के भौतिक सत्यापन में जुट गया है। इस बीच डीएम ने भी पेयर किए गए स्कूलों की समीक्षा रिपोर्ट मांगी है।
स्कूलों की पेयरिंग से जुड़े आदेश में दूरी का विशेष ध्यान रखने की बात कही गई थी। पेयरिंग में यह भी खयाल रखने को कहा गया था कि बच्चों को दूसरे स्कूल जाने के लिए तालाब, रेलवे क्रॉसिंग और हाइवे पार न करना पड़े। इसके बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग ने कई स्कूलों की पेयरिंग में इसका खयाल नहीं रखा।
स्कूलों की पेयरिंग पर हो रहे विवाद पर डीएम विशाख जी ने भी बेसिक शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट मांगी है। इसमें एक किमी, डेढ़ किमी, डेढ़ से दो किमी और दो से अधिक दूरी वाले स्कूलों की लिस्ट देनी है। इसी तरह नहर, हाईवे और क्रॉसिंग वाले स्कूलों की अलग लिस्ट बनेगी। उन स्कूलों का भी ब्योरा देना होगा, जहां अधिक छात्र थे, लेकिन उन्हें कम छात्र वाले स्कूलों में पेयर कर दिया गया।
घट रही हाजिरी ?
दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल आना-जाना मुश्किल होता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में साधन न होने के कारण वे घरवालों या आसपास के स्कूल आते-जाते है। दिव्यांग बच्चों की उपस्थिति पहले ही कम रहती थी। पेयरिंग के बाद इसमें और गिरावट आई है
इतनी दूर कैसे जाएं दिव्यांग बच्चे
काकोरी के प्राथमिक विद्यालय चतुरीखेड़ा स्कूल में कुल छात्र 32 हैं। इनमें पांच दिव्यांग हैं। इस स्कूल की पेयरिंग पीएस सिरगामऊ में की है। दोनों स्कूल के बीच की दूरी 1.8 किमी है। इससे दिव्यांग बच्चों के लिए सिरगामऊ जाना मुश्किल हो गया है।
दूरी से इन स्कूलों के बच्चों को भी दिक्कत
बीकेटी
पीएस दरावां को 2 किमी दूर पीएस टिकरी में पेयर किया।
पीएस उमरभारी को 2.5 किमी दूर पीएस कमला बाग बड़ौली में पेयर किया।
पीएस सहपुरवा को 1.6 किमी दूर पीएस पहाड़पुर में पेयर किया। इनके बीच में सड़क है, जिस पर भारी वाहनों की आवाजाही रहती है।
पीएस पालपुर को 2 किमी दूर पीएस यूपीएस रायपुर राजा में पेयर किया।
माल
प्राथमिक विद्यालय जालामऊ को सहिजना में पेयर किया। बीच में रेलवे क्रॉसिंग है।
प्राथमिक विद्यालय भावा खेड़ा को 4 किमी दूर खड़ौंहा पेयर किया। बीच में बेहता नाला है।
प्राथमिक विद्यालय सलामत खेड़ा, प्राथमिक विद्यालय नत्था खेड़ा और प्राथमिक विद्यालय औलिया खेड़ा को कंपोजिट विद्यालय गोंडा मुअज्जमनगर में पेयर किया। तीनों स्कूल नई जगह से दो किमी दूर हैं।
प्राथमिक विद्यालय सरावा फरीदपुर को कंपोजिट विद्यालय मिर्जागंज में पेयर किया है। बच्चों के हाइवे किनारे होकर आना-जाना पड़ता है।
मोहनलालगंज
प्राथमिक विद्यालय हरी खेड़ा को तीन किमी दूर प्राथमिक विद्यालय उत्तर गांव में पयेर किया। बच्चों को हाईवे से होकर आना-जाना पड़ रहा है।
प्राथमिक विद्यालय महेश खेड़ा को तीन किमी दूर प्राथमिक विद्यालय भौदरी में पेयर किया। बीच में जिलामार्ग 91c है।
प्राथमिक विद्यालय शहजादपुर को तीन किमी दूर प्राथमिक विद्यालय भदेसुआ में पेयर किया।
उच्च प्राथमिक विद्यालय मदारीखेड़ा को तीन किमी दूर उच्च प्राथमिक विद्यालय धावाखेड़ा में पेयर किया। बीच में रायबरेली हाइवे भी है।
प्राथमिक विद्यालय फुलवरिया को 2.5 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय मोहनलालगंज-1 से पेवर किया। बीच में रायबरेली हाईवे भी है।
काकोरी के प्राथमिक विद्यालयगौरी में कुल 29 बच्चे हैं। इनमें तीन दिव्यांग हैं। इस स्कूल को 2.5 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय कठिघरा में पेयर किया गया है। दोनों स्कूल अलग-अलग ग्राम पंचायतों में हैं।
गोसाईंगंज के पीएस रामपुर न्यू में कुल छात्र 39 हैं। इनमें तीन दिव्यांग छात्र हैं। इस स्कूल को दो किमी दूर रामपुर गोमीखेड़ा में पेयर किया गया है। ऐसे में दिव्यांग छात्रों के लिए इतनी दूर जाना मुश्किल हो रहा है।
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