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Monday, December 1, 2025

कोर्ट ने पूछा, क्या स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति के लिए भी टीईटी जरूरी? सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई से कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा

कोर्ट ने पूछा, क्या स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति के लिए भी टीईटी जरूरी? सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई से कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा

फिलहाल के लिए विना टीईटी के स्पेशल एजुकेटर्स की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में अब स्पेशल एजुकेटर्स (विशेष जरूरत वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक) की नियुक्ति में भी टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) का पेंच फंसता नजर आ रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से पूछा है कि क्या स्पेशल एजुकेटर के लिए भी टीईटी जरूरी है। कोर्ट ने एनसीटीई से इस बारे में कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। साथ ही आदेश दिया है कि फिलहाल किसी भी स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति टीईटी के बगैर नहीं की जाएगी। कोर्ट इस मामले में दो दिसंबर को फिर सुनवाई करेगा।


जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने रजनीश कुमार पांडेय बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुनवाई करते हुए हाल में ये आदेश दिए। यह मामला स्पेशल एजुकेटर की भर्ती से संबंधित था जिसमें कोर्ट अपने पूर्व के आदेश के अनुपालन पर विचार कर ख्य था। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने बताया कि नियम के मुताबिक प्राथमिक शिक्षक के लिए टीईटी न्यूनतम योग्यता है। पीठ ने कहा कि उसे तो अभी तक यही लगता था कि सुप्रीम कोर्ट के सात मार्च, 2025 के जिस फैसले के अनुपालन पर विचार हो रहा है, उसके मुताबिक स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति के लिए रिहेबिलिटेशन काउंसिल आफ इंडिया (आरसीआइ) की योग्यता ही जरूरी है। 

सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ऋषि मल्होत्रा ने कोर्ट का ध्यान 21 जुलाई, 2022 के आदेश की ओर खींचा। इसमें शिक्षा मंत्रालय के 10 जून, 2022 के सर्कुलर पर चर्चा की गई थी जिसमें सीटीईटी या टीईटी या एनटीए स्कोर के साथ-साथ क्लासरूम डिमोंस्ट्रेशन और इंटरव्यू को प्रोसेस का हिस्सा माना गया था। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि कई राज्यों ने स्पेशल एजुकेटर्स की भर्ती प्रक्रिया यह मानकर आगे बढ़ाई है कि आरसीआइ ही स्पेशल एजुकेटर के लिए एकमात्र जरूरी योग्यता है और उन राज्यों ने टीईटी को जरूरी योग्यता नहीं बताया है। 

कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में एनसीटीई को स्पष्ट करना होगा कि आज की तारीख में विधायी नियम कानून क्या हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या स्पेशल एजुकेटर के लिए टीईटी करना जरूरी है। यदि हां, तो क्या इस आवश्यकता के बारे में व्यापक प्रचार किया गया है या नहीं। कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए एनसीटीई को पक्षकार बनाने के लिए नोटिस जारी किया। साथ ही न्यायमित्र से कहा कि वह उन सभी राज्यों की अधिसूचनाएं इकट्ठा करके पेश करें जहां टीईटी के बिना चयन प्रक्रिया शुरू की गई है। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही अंतरिम आदेश दिया कि किसी भी अभ्यर्थी को स्पेशल एजुकेटर के तौर पर तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके पास टीईटी की योग्यता न हो। 

पीठ के समक्ष यह मुद्दा भी उठा कि दिल्ली सरकार ने जुलाई, 2022 और जुलाई, 2023 में जारी भर्ती विज्ञापन चयन प्रक्रिया का रिजल्ट अभी तक प्रकाशित नहीं किया है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि दो सप्ताह में मेरिट लिस्ट प्रकाशित कर दी जाएगी। पीठ ने अगली सुनवाई पर मेरिट लिस्ट पेश करने का आदेश दिया।

टीईटी अनिवार्यता के विरोध में पांच दिसंबर को दिल्ली में होने वाली रैली की अनुमति निरस्त

टीईटी अनिवार्यता के विरोध में पांच दिसंबर को दिल्ली में होने वाली रैली की अनुमति निरस्त

दिल्ली पुलिस ने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया को भेजी सूचना

30 नवंबर 2025
लखनऊ। दस प्रदेशों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली रैली की अनुमति को दिल्ली पुलिस ने निरस्त कर दिया है। अब सोमवार को शिक्षक संगठन ऑनलाइन बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।

देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद यूपी समेत दस राज्यों ने टीएफआई का गठन किया था। साथ ही टीईटी अनिवार्यता समाप्त किए जाने के लिए पांच दिसंबर को दिल्ली में रैली करने की घोषणा की थी। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने हाल ही में कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए पांच दिसंबर को रैली की अनुमति निरस्त कर दिया है।

माना जा रहा है कि शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। शायद इसी वजह से रैली की अनुमति निरस्त कर दी गई है। सोमवार को संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। हमारा प्रयास है कि देश भर के प्रभावित शिक्षकों को इससे राहत दिलाई जाए। इसके लिए सभी मिलकर रैली के लिए आगे की भी कोई तिथि या निर्णय ले सकते हैं।



टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार

10 नवंबर 2025
रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की कार्यसमिति की बैठक में संघ के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली महारैली में पूरे देश से दो लाख शिक्षक शामिल होंगे, जिनमें से एक लाख शिक्षक उत्तर प्रदेश से पहुंचेंगे। सभी राज्यों में रैली की तैयारी जोरों पर है और अब तक 14 राज्यों के संगठन इससे जुड़ चुके हैं।  

अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संगठन न्यायालय में लड़ाई लड़ने के साथ ही टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए इस महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार तथा एनसीईटी से भी मांग करेगा। उन्होंने कहा कि इसी दौरान संसद सत्र भी चल रहा होगा, यह शिक्षकों के लिए अपनी ताकत का एहसास कराने का सही समय होगा। एकजुटता से शिक्षक महारैली में शामिल हों। 

महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि रैली में जाने के लिए ब्लॉकवार शिक्षकों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। शिक्षकों को ले जाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। महारैली में संगठन में शामिल देश के 14 राज्यों से भी दो लाख से अधिक शिक्षक दिल्ली पहुंचेंगे। 





टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान  


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।

टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।


शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी कर रहा तैयारी

अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।

सभी प्रस्तावित कार्यक्रम

🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
🔴 अटेवा का 25 नवंबर को दिल्ली कूच मामले को लेकर पुरानी पेंशन व टीईटी का विरोध
🔴 अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का जंतर मंतर पर धरना 11 दिसंबर को



टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी

दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष

कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ


लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।


यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


ये पदाधिकारी भी चुने गए
उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।




टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन के लिए साथ आए नौ राज्यों के शिक्षक, बनाया नया संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) 

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा


लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।


टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी। 

उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।