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Monday, June 30, 2025

स्वैच्छिक समायोजन प्रक्रिया में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा आर.टी.ई. एक्ट की गलत व्याख्या कर प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय एवं प्रधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय की सरप्लस सूची आर.टी.ई. एक्ट का उल्लंघन तथा विसंगति पूर्णं सूची जारी होने संबंध में RSM का ज्ञापन

शैक्षिक सत्र 2025-26 में अन्तःजनपदीय स्थानान्तरण/ स्वैच्छिक समायोजन प्रक्रिया में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा आर.टी.ई. एक्ट की गलत व्याख्या कर प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय एवं प्रधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय की सरप्लस सूची आर.टी.ई. एक्ट का उल्लंघन तथा विसंगति पूर्णं सूची जारी होने संबंध में RSM का ज्ञापन


यूपी बोर्ड की इंप्रूवमेंट और कंपार्टमेंट की लिखित परीक्षा 19 जुलाई को, 46 हजार से अधिक परीक्षार्थी होंगे शामिल

यूपी बोर्ड की इंप्रूवमेंट और कंपार्टमेंट की लिखित परीक्षा 19 जुलाई को, 46 हजार से अधिक परीक्षार्थी होंगे शामिल

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की ओर से वर्ष-2025 की हाईस्कूल इंप्रूवमेंट और कंपार्टमेंट व इंटरमीडिएट कंपार्टमेंट की लिखित परीक्षा 19 जुलाई को आयोजित की गई है। परीक्षा के लिए 46,360 विद्यार्थियों ने आवेदन किए हैं। इस दौरान वाइस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरे और राउटर क्रियाशील रहेंगे।

हाईस्कूल इंप्रूवमेंट व कंपार्टमेंट परीक्षा सुबह 08:30 से 11:45 बजे तक और इंटरमीडिएट कंपार्टमेंट की परीक्षा दूसरी पाली में दो बजे से 5:15 बजे तक होगी। हाईस्कूल में कंपार्टमेंट व इंप्रूवमेंट के लिए 20,759 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। इनमें मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के तहत 5283, बरेली के 4142, प्रयागराज के 2575, वाराणसी के 6613 व गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के तहत 2146 आवेदन शामिल हैं।


इंटरमीडिएट कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए आए कुल 25,501 आवेदन आए हैं। इसमें से मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के 5291, बरेली के 3092, प्रयागराज के 6978, वाराणसी के 6973 व गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के 3167 आवेदन शामिल हैं।

बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने निर्देश दिया है कि सभी परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थी, केंद्र व्यवस्थापक, अध्यापकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अतिरिक्त बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश पूर्णतया वर्जित रहेगा।

केंद्र व्यवस्थापक की जिम्मेदारी होगी कि परीक्षा केंद्र के प्रवेश द्वार पर परीक्षार्थियों की अनावश्यक भीड़ एकत्रित न होने पाए। परीक्षा कक्ष के भीतर परीक्षार्थियों को मोबाइल, स्मार्ट वॉच या किसी भी प्रकार के अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण वर्जित रहेंगे।

साथ ही मुख्य परीक्षा के तरह ही परीक्षा केंद्रों पर प्रश्नपत्रों के रखरखाव की व्यवस्था निर्धारित स्ट्रॉन्ग रूम के डबल लॉकयुक्त आलमारी में ही की जाएगी। सीसीटीवी कैमरों से स्ट्रॉन्ग रूम की 24 घंटे निगरानी होगी। प्रधानाचार्य परिषद की वे ब सा इ www.upmsp.edu.in  से पंजीकृत परीक्षार्थी के प्रवेशपत्र डाउनलोड होंगे। प्रति हस्ताक्षरित करते हुए प्रवेश पत्र परीक्षार्थियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

Sunday, June 29, 2025

दिव्यांग व गंभीर बीमार शिक्षकों का भी तबादला, PSPSA की मांग

दिव्यांग व गंभीर बीमार शिक्षकों का भी तबादला, PSPSA की maang


लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार को पत्र भेजकर परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत पति-पत्नी, दिव्यांग व गंभीर रोग से ग्रसित शिक्षकों को एक से दूसरे जिले में तबादला देने की मांग की है। 

संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा है कि परिषदीय विद्यालयों में कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो अपने गृह जिले से दूर तैनात हैं। इनमें से कई खुद व उनके परिवार के मुखिया दिव्यांग, गंभीर रोगों से ग्रसित हैं। प्रदेश में लगभग 600 शिक्षक दंपती ऐसे हैं, जो एक दूसरे से दूर अलग-अलग जिलों में काफी समय से कार्यरत हैं। ऐसे में परस्पर तबादले से वंचित शिक्षकों के लिए सरकार निर्णय ले ताकि वे अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन कर सकें। 



उत्तर प्रदेश के समस्त जनपद के नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यालयों की छात्र संख्या कम होने तथा विद्यालयों के बंद होने के संदर्भ में PSPSA की सीएम योगी से प्रत्येक कक्षा के लिए एक शिक्षक देने की मांग के साथ जिम्मेदारों के बच्चों के भी नामांकन की मांग 

26 जून 2025

राज्य के सरकारी एवं एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 416 लैब और 759 स्मार्ट क्लास को मंजूरी

राज्य के सरकारी एवं एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 416 लैब और 759 स्मार्ट क्लास को मंजूरी


प्रदेश में माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति

2440 राजकीय माध्यमिक स्कूल
4500 एडेड माध्यमिक स्कूल

29 जून 2025
लखनऊ । प्रदेश के राजकीय एवं अनुदानित माध्यमिक स्कूलों में 416 आईसीटी लैब एवं 759 स्मार्ट क्लास की स्थापना को सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है। यह कार्य इस वित्तीय वर्ष के अंत तक हर हाल में पूरा किया जाएगा। इससे कक्षाओं के आधुनिकीकरण को पंख लग जाएंगे। सरकार के इस कदम से प्रदेश के प्रत्येक माध्यमिक विद्यालयों में कम से कम एक आईसीटी लैब एवं दो स्मार्ट क्लास हो जाएंगे।

सरकार ने इन दोनों कार्ययोजनाओं को पूरा करने के लिए 43.28 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए हैं। इसमें आईटीसी (इंफॉर्मेशन एण्ड कम्यूनिकेशन टेक्नालॉजी यानि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लैब या प्रयोगशालाओं के मद में 17.67 करोड़ रुपये तथा स्मार्ट क्लास के मद में 18.21 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसके अलावा 100 अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब की स्थापना के लिए पहली बार 6.40 करोड़ की राशि भी स्वीकृत की गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक (समग्र शिक्षा) विष्णु कांत पाण्डेय की माने तो यह बड़ा कदम है। 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने दी स्थापना को मंजूरी

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में आईसीटी लैब एवं स्मार्ट क्लास की स्थापना के लिए अलग से 24.73 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। कुल 471 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब के लिए 20.94 करोड रुपये तथा 158 माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के लिए चार करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।



समग्र शिक्षा में 100 एडेड माध्यमिक कॉलेजों को पहली बार मिली ICT लैब, राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को और मिली 471 लैब

यहां के छात्र भी सीखेंगे सूचना व प्रौद्योगिकी की बारीकियां, बढ़ेंगी कंप्यूटर, इंटरनेट और डिजिटल उपकरण से संबंधित सुविधाएं

31 मई 2025
लखनऊ। प्रदेश में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के कायाकल्प के लिए चल रही कवायद के साथ ही समग्र शिक्षा के तहत पहली बार प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के लिए भी बजट स्वीकृत किया गया है। पहली बार प्रदेश के 100 एडेड माध्यमिक विद्यालयों के लिए भी आईसीटी लैब स्वीकृत की गई है। इसके लिए 6.40 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है।


प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रोजेक्ट अलंकार, प्रोजेक्ट प्रवीण आदि योजनाओं से डिजिटल पठन-पाठन की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। साथ ही छात्रों को आधुनिक क्षेत्र में दक्ष कर उनके कौशल विकास व रोजगार की भी नई राह खोली जा रही है। इसी क्रम में शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट एडवाइजरी बोर्ड (पीएबी) ने अप्रैल में हुई बैठक में 416 आईसीटी लैब व 759 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के लिए लगभग 26 करोड़ रुपये स्वीकृत किया था।


इसके साथ ही इस साल पहली बार 100 एडेड माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब के लिए 6.40 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इससे इन विद्यालयों के छात्र भी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दक्ष हो सकेंगे। आईसीटी लैब के तहत इन विद्यालयों में कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधा बढ़ेगी। साथ ही डिजिटल उपकरण से पठन-पाठन की व्यवस्था की जाएगी। 

यहां के छात्र भी आधुनिक विधा में शोध व प्रोग्रामिंग, सिमुलेशन आदि ऑनलाइन कर सकेंगे। साथ ही उनको बेहतर कौशल विकास का अवसर भी मिलेगा। बता दें कि प्रदेश में 4700 से अधिक एडेड माध्यमिक विद्यालय हैं। जहां पर 15 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इस तरह अब राजकीय के साथ-साथ इन माध्यमिक विद्यालयों के भी केंद्रीय सहायता से संवरने का रास्ता खुल गया है।



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को और मिली 471 लैब

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में शिक्षा मंत्रालय की सप्लीमेंट्री पीएबी की बैठक में और 471 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए आईसीटी लैब स्वीकृत की गई है। इसके लिए 20.94 करोड़ स्वीकृत किया गया है। वहीं 158 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास भी स्वीकृत की गई है। इसके लिए 3.79 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। इस तरह अब हर राजकीय माध्यमिक विद्यालय में कम से कम एक आईसीटी लैब व दो स्मार्ट क्लास की स्थापना होगी। इससे छात्र सूचना व प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बारीकी सीखेंगे ही उन्हें अत्याधुनिक विधा से पठन-पाठन के अवसर भी मिलेंगे।

उत्तर प्रदेश में डीएलएड और बीएड के 1059 कॉलेजों की मान्यता खत्म, जानिए क्यों?

उत्तर प्रदेश में डीएलएड और बीएड के 1059 कॉलेजों की मान्यता खत्म, जानिए क्यों? 


मेरठ। सत्र 2025-26 शुरू होने की तैयारियों से ठीक पहले नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने उत्तर प्रदेश के 1059 शिक्षक-शिक्षा कॉलेजों की मान्यता खत्म कर दी है। सबसे ज्यादा डीएलएड के 380 और बीएड के 178 कॉलेजों की मान्यता खत्म की गई है। 

यूपी में बीएड की अगले महीने काउंसिलिंग प्रस्तावित है और संबंधित विवि कॉलेजों के नाम भेज चुके हैं। ऐसे में मान्यता खत्म होने का मामला अदालत में जाने के आसार हैं। उक्त फैसले में चौ. चरण सिंह विवि के छह जिलों के 50 से अधिक कॉलेज भी आए हैं। शुक्रवार देर रात एनसीटीई के उक्त फैसले में शामिल कॉलेजों की सूची जारी कर दी गई।



NCTE के निर्देश पर 1066 शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों पर लगेगा ताला,  वर्ष 2025-26 से ही दाखिले पर लगा दी गई रोक, बीएड व डीएलएड कॉलेजों के फर्जीवाड़े पर बड़ा ekshan
 
01 जून 2025
बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्स चला रहे डिग्री कॉलेज किस तरह हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं यह राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की जांच में सामने आया है। स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने पर मानक विहीन कॉलेजों ने सरेंडर कर दिया। उनके कारनामों की कलई खुल गई। एनसीटीई के निर्देश पर 1066 कॉलेजों पर ताला लगाया जाएगा। वर्ष 2025-26 से ही दाखिले पर रोक लगा दी गई है।

ऑनलाइन परफार्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट न भरने पर शिकंजा कसा गया। पीएआर मांगी तो कॉलेज आनाकानी करने लगे। कॉलेजों ने एनसीटीई की नोटिसों का जवाब देना बंद कर दिया। ऑनलाइन रिपोर्ट में जीपीएस से लाइव लोकेशन, वीडियो व शिक्षकों इत्यादि की जानकारी भरनी थी। यही कारण है कि बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्स चला रहे कॉलेजों ने हाथ खड़े कर दिए। 

पीएआर मॉड्यूल में मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की जवाबदेही तय की गई। एनसीटीई के मानकों के पालन को लेकर सख्ती की गई तो धंधेबाजी सामने आ गई। यूपी के 1066 में से 50 डिग्री कॉलेजों के पते ही फर्जी निकले, 212 कॉलेजों ने पीएआर रिपोर्ट न जमा करने का जवाब नहीं दिया। 804 कॉलेजों ने 15 दिनों के नोटिस के जवाब की समयसीमा के बाद भी स्पष्टीकरण नहीं दिया। 

बिना भवन व किराए की बिल्डिंग में चले कॉलेज
प्रदेश के जिन 50 डिग्री कॉलेजों का पता सही नहीं निकला, उसमें कई कागजों पर थे। कई किराए की बिल्डिंग में थे। एक जमीन पर अलग दरवाजे की फोटो करा दो कॉलेज मान्यता लेकर कागज पर थे। सिर्फ डिग्री बांटी जा रही थी। 

1.06 लाख सीटें घटेंगी 60 दिन में करें अपील
प्रदेश में 1066 कॉलेजों पर ताले से 1.06 लाख सीटें कम होंगी। अभी 4.80 लाख सीटें हैं अब सीटें 3.74 लाख रह जाएंगी। स्वावित्तपोषित डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि किसी कॉलेज को लगता है कि मानक पूरे हैं और ज्यादती हो रही है तो 60 दिनों में एनसीटीई में अपील करे



यूपी के 1066 कॉलेजों में बीएड व डीएलएड के प्रवेश पर रोक,  ऑनलाइन परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (PAR) न जमा करने पर NCTE ने लगाई रोक

50 कॉलेजों के पते ही फर्जी निकले, जांच के दिए आदेश


लखनऊ । प्रदेश में बीएड व डीएलएड कोर्स चला रहे 1066 कॉलेजों के दाखिले पर तलवार लटक गई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने ऑनलाइन परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) न भरने वाले और मानकों के साथ खिलवाड़ करने वाले इन संस्थानों में वर्ष 2025-26 में प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। जिसमें से 50 कॉलेज ऐसे हैं, जहां एनसीटीई की ओर से भेजा गया नोटिस डाक विभाग की ओर से यह कहकर वापस कर दिया गया कि जिन पते पर इन्हें भेजा गया है, वहां यह कॉलेज नहीं हैं। बीते दिनों एनसीटीई की नॉर्दन रीजन की मीटिंग में देश भर में ऐसे 2767 कॉलेजों के प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं।


कॉलेजों की गुणवत्ता व मानकों के अनुसार संस्थान चल रहे हैं, इन्हें आंकने के लिए पीएआर ऑनलाइन भरवाई जाती है। वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 की ही पीएआर इन कॉलेजों ने नहीं जमा की। यही नहीं कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद इन्हें 15 दिनों का समय अपना पक्ष रखने के लिए दिया गया उस पर भी इन संस्थानों ने कोई जवाब नहीं दिया।


 उत्तर प्रदेश के 1066 में से 50 कॉलेजों के पते पर भेजी गई नोटिस बैरंग वापस लौट आई। 212 संस्थानों ने वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 की पीएआर रिपोर्ट ऑनलाइन न जमा किए जाने के बावजूद लापरवाही बरती और एनसीटीई को जवाब नहीं दिया। वहीं 804 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने एनसीटीई की ओर से पीएआर रिपोर्ट न जमा करने पर नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब मांगा तो इन्होंने भी कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। 


प्रदेश में रविवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी की ओर से बीएड की प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाना है। जिसमें 3.33 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे। उससे पहले एनसीटीई ने बीएड व उसके साथ डीएलएड कोर्स चला रहे कॉलेजों पर चाबक चला दिया है।


पीएआर मॉड्यूल

मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों की जवाबदेही तय करने के लिए पीएआर मॉड्यूल लागू किया गया है। जिसे मान्यता प्राप्त संस्थाएं दाखिल करती हैं। वह बताती हैं कि वह एनसीटीई के सभी मापदंडों व मानकों का पालन कर रहीं हैं या नहीं। अगर रिपोर्ट के अनुसार मानक में कोई कमी होती है तो फिर उस कॉलेज का विशेषज्ञ कमेटी निरीक्षण करती है। सरकारी संस्थानों को पांच हजार, निजी को 15 हजार पीएआर की प्रॉसेसिंग फीस जमा करना जरूरी होता है। इन संस्थाओं ने उसे जमा नहीं किया।

बेसिक शिक्षा में तैनाती के लिए भटक रहे तबादला पाए अधिकारी, पिछले दिनों निवर्तन पर आए ढाई दर्जन अधिकारी

बेसिक शिक्षा में तैनाती के लिए भटक रहे तबादला पाए अधिकारी, पिछले दिनों निवर्तन पर आए ढाई दर्जन अधिकारी

28 जून 2025
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में यूं तो तबादला सत्र शून्य कर दिया गया है, लेकिन काफी संख्या में यहां अधिकारी तबादला होकर आए हैं। सत्र शून्य होने की वजह से उनकी जॉइनिंग तो हो गई है, लेकिन उनको काम नहीं मिल रहा है। इसमें सबसे ज्यादा परेशान वो हैं, जो जून में ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनकी सेवानिवृत्तिक देयक भी न फंस जाए।

बेसिक शिक्षा विभाग में तबादलों की पूरी सूची बनकर तैयार थी, लेकिन आखिरी समय में स्कूल चलो अभियान, शिक्षकों की चल रही तबादला प्रक्रिया आदि का हवाला देते हुए तबादला सत्र शून्य घोषित कर दिया गया। वहीं पदोन्नति पाने वाले आधा दर्जन बीएसए, डीआईओएस बन गए हैं। वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग से भी काफी अधिकारी बेसिक शिक्षा विभाग के निवर्तन (विभाग में वापस) भेज दिए गए हैं।

इस तरह विभाग में 20 बीएसए समेत कुल 31 शिक्षा अधिकारी आए हैं। वहीं तबादला सत्र शून्य होने की वजह से किसी तरह इनकी विभाग में जॉइनिंग तो हो गई, लेकिन उनकी किसी पद पर तैनाती व काम आवंटित नहीं हो पा रहा है। विभाग के अनुसार इससे जुड़ी फाइल स्वीकृति के लिए शासन में भेजी गई है। जबकि विभाग में वापस आए अधिकारियों में कुछ जून में और कुछ जुलाई में भी सेवानिवृत्त होने वाले हैं। 

सबसे ज्यादा परेशान यह लोग हैं कि उनका जून का वेतन कहां से निकलेगा? उनका ड्यूज, बीमा राशि कहां से भेजी जाएगी? इस पर कोई विभागीय अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं है। 



अब सीएम योगी के परामर्श से होंगे बेसिक शिक्षा विभाग के तबादले, तैयार तबादला सूची से संतुष्ट न होने पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने स्थानांतरण को नहीं दी थी मंजूरी

17 जून 2025
लखनऊः बेसिक शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक लगा दी गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों की तैयार तबादला सूची से संतुष्ट न होने पर रविवार देर रात बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने किसी भी अधिकारी के स्थानांतरण को मंजूरी नहीं दी। 

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अपनी तबादला सूची रविवार देर रात जारी कर दी। सात जिलों में बीएसए पद पर कार्यरत अधिकारियों को प्रोन्नत के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक बनाया गया है जबकि आठ जिलों में प्रोन्नत पाए बीएसए को माध्यमिक शिक्षा से बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया है।



बीएसए और अन्य शिक्षाधिकारियों के ट्रांसफर पर रोक के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग को खाली पदों पर करनी होगी तैनाती

16 जून 2025
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग ने भले ही बीएसए व अन्य शिक्षाधिकारियों के तबादले अगले आदेश तक न करने का निर्णय लिया हो, लेकिन इसकी राह आसान नहीं होगी। छह से अधिक बेसिक शिक्षा अधिकारी पदोन्नत होकर डीआईओएस बन गए हैं। वहीं कई शिक्षाधिकारी माध्यमिक से बेसिक शिक्षा विभाग में निवर्तन पर भी भेजे गए हैं। ऐसे में विभाग को खाली पदों पर तैनाती करनी ही पड़ेगी। 

शासन ने प्रदेश में सभी विभागों को अपने यहां सामान्य रूप से तबादला करने के लिए 15 जून की तिथि निर्धारित की गई थी। किंतु विभाग ने रविवार देर रात शिक्षकों की चल रही तबादला प्रक्रिया, स्कूल चलो अभियान आदि को देखते हुए बीएसए सहित सभी विभागीय अधिकारियों के तबादले अगले आदेश तक नहीं करने की बात कही। 

हालांकि विभाग की ओर से तबादलों को लेकर सभी आवश्यक तैयारी व सूची पूरी की जा चुकी थी। उच्च स्तर से अचानक हुए इस निर्णय को लेकर सोमवार को दिनभर विभाग में चर्चा रही। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि इस निर्णय का अनुपालन करना आसान नहीं होगा। क्योंकि आधा दर्जन से अधिक जिलों के बीएसए डीआईओएस बन गए हैं। उनके कार्यभार संभालने के बाद यह पद खाली हो जाएंगे। 



बेसिक शिक्षा मंत्री ने BSA समेत अन्य विभागीय अधिकारियों के ट्रांसफर पर लगाई रोक, सीएम योगी से मिलने के बाद लिया निर्णय, जानिए क्यों?
15 जून 2025

यूपी सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) सहित सभी विभागीय अधिकारियों के ट्रांसफर पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यह निर्णय बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विचार-विमर्श के बाद लिया गया है।


आधिकारिक आदेश के अनुसार, यह निर्णय 'स्कूल चलो अभियान' और अन्य विभागीय कार्यक्रमों के प्रभावी और लक्ष्य आधारित संचालन के उद्देश्य से लिया गया है। निर्देश में यह स्पष्ट किया गया है कि जब तक आगे कोई आदेश न आए, विभागीय अधिकारियों के तबादले नहीं किए जाएंगे।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि वर्तमान समय में हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बच्चों का भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता है। विभागीय स्थिरता बनाए रखने के लिए यह निर्णय आवश्यक था।

डीएलएड में प्रवेश के लिए प्रस्ताव तैयार, शासन से मंजूरी को भेजा जाएगा

डीएलएड में प्रवेश के लिए प्रस्ताव तैयार, शासन से मंजूरी को भेजा जाएगा

प्रयागराजः प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए आवश्यक अर्हता डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) में प्रवेश प्रक्रिया आरंभ करने के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे शासन से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर जुलाई के अंतिम सप्ताह में कार्यक्रम जारी कर छात्र-छात्राओं से आनलाइन आवेदन लिए जाने की योजना है। डीएलएड की कुल 2.30 लाख सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया कालेज आवंटन के साथ काउंसिलिंग के माध्यम से पूरी कराई जाएगी।


प्रदेश के सभी 66 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), एक सीटीई कालेज वाराणसी तथा करीब 3000 निजी डीएलएड संस्थानों में प्रवेश दिए जाएंगे। छात्र-छात्राओं को उनकी राज्य स्तरीय मेरिट के आधार पर सीट लाक करने के लिए कालेज आवंटन किया जाएगा। सत्र 2025-26 के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी की ओर से प्रस्ताव मंजूरी के लिए शासन को दो-तीन दिन में भेजा जाएगा। आवेदन लिए जाने के लिए पोर्टल का परीक्षण कर लिया गया है।

Saturday, June 28, 2025

माह जुलाई, 2025 में प्रस्तावित विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान (01 से 31 जुलाई, 2025) एवं दस्तक अभियान (11 से 31 जुलाई, 2025) तथा संचारी रोगों एवं दिमागी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के सम्बन्ध

माह जुलाई, 2025 में प्रस्तावित विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान (01 से 31 जुलाई, 2025) एवं दस्तक अभियान (11 से 31 जुलाई, 2025) तथा संचारी रोगों एवं दिमागी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के सम्बन्ध


पुरानी पेंशन की स्वीकृति के लिए भटक रहे शिक्षक

पुरानी पेंशन की स्वीकृति के लिए भटक रहे शिक्षक


लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग में अधिकारियों की गलती से अब भी निर्धारित अर्हता पूरी करने वाले प्रदेश के दो हजार शिक्षक पुरानी पेंशन के लिए भटक रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इससे जुड़ी आवश्यक औपचारिकता नहीं पूरी किए जाने पर माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने नाराजगी जताई है। 

संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र पटेल व प्रदेश प्रवक्ता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि गैर सरकारी माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में 28 मार्च 2005 के पहले विज्ञापित पदों के सापेक्ष नियुक्त शिक्षकों की निदेशालय स्तर पर पुरानी पेंशन से संबंधित निर्णय लंबित है।

 उन्होंने बताया कि जबकि इनके साथ ही नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन स्वीकृत कर दी गई है। इनकी जारी सूची से एनपीएस की कटौती बंद कर दी गई है। बाकी लगभग दो हजार शिक्षक अपनी बारी का इंतजार ही कर रहे हैं। 

परिषदीय विद्यालयों के विलय के विरोध में शिक्षकों का जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन, शिक्षण संगठनों ने विलय का विरोध तेज करने की चेतावनी दी

परिषदीय विद्यालयों के विलय के विरोध में शिक्षकों का जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन, शिक्षण संगठनों ने विलय का विरोध तेज करने की चेतावनी दी

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में सीएम को भेजा ज्ञापन


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) का शिक्षक संगठनों ने विरोध तेज कर दिया है। उप्र शिक्षक संघ के आह्वान पर शुक्रवार को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर इसका विरोध किया गया। साथ ही जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर पेयरिंग के नाम पर विद्यालयों को बंद न किए जाने की मांग की। 

संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी और प्रदेश महामंत्री उमाशंकर सिंह ने बताया कि विद्यालयों की पेयरिंग के विरोध में आंदोलन के पहले चरण में सभी जिलों के जिलाध्यक्षों के नेतृत्व में शिक्षकों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। 

नाराज शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों का विलय किसी भी दशा में नहीं होने दिया जाएगा। तिवारी ने कहा कि सरकार आरटीई का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांगो पर विचार नहीं किया जाता तो संगठन जल्द ही अगले आंदोलन के लिए विवश होगा। 



स्कूलों के विलय के साथ शिक्षक संघों और अभिभावकों का मान मनौवल भी शुरू, स्कूलों के विलय के फायदे समझाने और बताने के निर्देश, सीडीओ और डीपीआरओ को भी समझाने का सौंपा जिम्मा

लखनऊ। कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) की कवायद के बीच अभिभावकों व शिक्षक संगठनों का मान-मनौवल भी बढ़ गया है। जिलों में अधिकारियों को अभिभावकों के साथ बैठक कर विलय के फायदे बताने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारी खुद शिक्षक संगठनों के साथ वार्ता कर रहे हैं।


राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से बृहस्पतिवार को सभी एडी बेसिक, बीएसए और बीईओ को दिए निर्देश में कहा गया कि अपने डीएम, सीडीओ और डीपीआरओ से समन्वय बनाकर विलय की प्रक्रिया को जल्द पूरा करें। शिक्षकों और पंचायत अधिकारियों के साथ अभिभावकों को समझाएं कि उनके बच्चे को एक बड़े, संसाधनों वाले व पूरे शिक्षक वाले विद्यालय में पढ़ने का अवसर मिलेगा। 

वहीं शिक्षकों का जिले के अंदर परस्पर तबादले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सभी बीएसए शिक्षकों को स्वेच्छा से अपनी पसंद के अनुसार कम शिक्षक वाले विद्यालयों में तबादले के लिए प्रोत्साहित करें। दूसरी तरफ मुख्यालय में अधिकारी शैक्षिक संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर इसमें सहयोग की अपील कर रहे हैं।



शिक्षक संघ 30 जून को जिलों में करेगा बैठक

उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद शर्मा ने बताया कि जिलों को निर्देश दिया गया है कि 30 जून को सभी ब्लॉक अध्यक्ष, मंत्री व पदाधिकारी बंद होने वाले विद्यालयों के ग्राम प्रधान, प्रबंध समिति के अध्यक्ष व अभिभावकों के साथ बैठक करें। इसमें विद्यालय बंद करने की प्रक्रिया से छात्रों व शिक्षकों को होने वाली क्षति पर चर्चा करके आगे का निर्णय लिया जाएगा। 

वहीं उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी व प्रदेश महामंत्री उमाशंकर सिंह ने बताया कि शुक्रवार को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर शिक्षक, जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेगे। निर्णय वापस नहीं लिया जाता तो आंदोलन किया जाएगा। 

उधर, उप्र जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अपूर्व दीक्षित ने स्कूलों की पेयरिंग व अन्य मुद्दों पर बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल से मिलकर चर्चा की। 



स्कूलों का विलय करने के बजाय संसाधन व शिक्षक बढ़ाए विभाग, RSM की मांग, कोर्ट जाने की तैयारी में UTA 

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ और महिला शिक्षक संघ ने परिषदीय विद्यालयों के प्रस्तावित मर्जर का किया विरोध


 यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) इस मामले में न्यायालय जाने की तैयारी में है। इसके लिए मंगलवार को बरेली में बैठक में पदाधिकारियों ने सभी ब्लॉक अध्यक्ष व मंत्री को निर्देश दिया कि अपने-अपने ब्लॉक के विलय वाले स्कूलों की सूची संगठन को उपलब्ध कराएं। सिर्फ बरेली में इनकी संख्या 617 है। बैठक में जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, महामंत्री हरीश बाबू, उपाध्यक्ष रमेश मौर्य आदि उपस्थित थे।


25 जून 2025
लखनऊ। कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के विरोध में मंगलवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ भी आ गया। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से मिलकर इस निर्णय को वापस लेने और स्कूलों के विलय की जगह संसाधन व शिक्षक बढ़ाने की मांग की।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्राथमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह व प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने महानिदेशक से वार्ता में कहा कि कम नामांकन वाले विद्यालयों का विलय आरटीई की आत्मा पर सीधा प्रहार है। 

प्रदेशीय संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि कम नामांकन का प्रमुख कारण विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का अभाव, शिक्षकों की कमी, शिक्षा की गुणवत्ता का प्रभावित होना है। उन्होंने कहा कि परिषदीय विद्यालयों के पास ही काफी संख्या में प्राइवेट विद्यालयों को मान्यता दी गई है। प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश की न्यूनतम आयु छह साल है। वहीं प्राइवेट विद्यालय आसानी से पांच साल वाले बच्चों का प्रवेश कर रहे हैं।

विद्यालय विलय से प्रशिक्षु शिक्षकों का भविष्य भी अंधकार में है। विद्यालय बंद होने से शिक्षकों के पद समाप्त होंगे। प्रतिनिधिमंडल में प्रदेशीय कार्यकारी अध्यक्ष मातादीन द्विवेदी आदि शामिल थे। 

उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ और महिला शिक्षक संघ ने परिषदीय विद्यालयों के प्रस्तावित मर्जर का किया विरोध




स्कूलों के विलय का विरोध तेज जनप्रतिनिधियों से मांगा समर्थन, शिक्षक संगठनों ने ज्ञापन देकर की मामले में हस्तक्षेप की मांग, सीएम से भी गुहार

शिक्षक संगठनों का आंदोलन शुरु, यूटा भी विरोध में उतरा

24 जून 2025
लखनऊ। प्रदेश के कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय को लेकर शिक्षक संगठनों का विरोध तेज हो गया है। इसके तहत विभिन्न संगठनों ने सोमवार से जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर इस निर्णय को रोकने की मांग की। साथ ही सीएम तक भी अपनी बात पहुंचाने का अनुरोध किया। इसके लिए लखनऊ, बरेली समेत कई जिलों में ज्ञापन दिया गया।

शिक्षक संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर की अध्यक्षता में संगठन की प्रांतीय कार्यसमिति की सोमवार को ऑनलाइन बैठक हुई। इसमें पदाधिकारियों ने कहा कि किसी स्कूल में कम नामांकन है तो वहां संसाधन व शिक्षक भेजने की आवश्यकता है न कि उस विद्यालय को बंद करना न्यायसंगत है।

उन्होंने कहा कि स्कूल विलय करने से शैक्षिक असमानता व बालिकाओं के ड्रॉपआउट में बढ़ोतरी होगी। संगठन ने इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिए चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की। पहले चरण में प्रदेश के सभी जिलों में 23 से 29 जून तक जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में जनप्रतिनिधियों व डीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। इसी क्रम में सोमवार को बरेली में यूटा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री को दिया।

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय के नेतृत्व में विद्यालयों का विलय आदेश वापस लेने के लिए राजधानी में विधायक मोहनलालगंज अमरेश रावत व विधायक बक्शी का तालाब योगेश शुक्ला को ज्ञापन दिया। ज्ञापन देने वालों में बृजेश कुमार मौर्य, मोहम्मद रियाज, हरि शंकर राठौर, भीम सिंह आदि शामिल थे।

30 जून के बाद तेज होगा आंदोलन
सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि सोमवार को विलय के विरोध में लखनऊ, बरेली, झांसी, ललितपुर, एटा, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात, प्रतापगढ़ आदि जिलों में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन कार्यक्रम 30 जून तक चलेगा। तब तक अगर विलय संबंधी आदेश निरस्त नहीं किया जाता है तो 30 जून के बाद राजधानी लखनऊ में आंदोलन होगा। इसमें शिक्षक, अनुदेशक, शिक्षामित्र, रसोईयां आदि सभी शामिल होंगे।




स्कूलों का विलय को शिक्षक संघों ने बताया आरटीई एक्ट का उल्लंघन, कहा- विलय से खत्म हो जाएंगे प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के पद

23 जून 2025
लखनऊ। प्रदेश में कम संख्या वाले स्कूलों के विलय के निर्णय से शिक्षक संगठनों में नाराजगी है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रकाश साहू व प्रदेश महामंत्री आलोक सिंह यादव ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को ज्ञापन भेजकर विद्यालयों के विलय के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। 

उन्होंने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई एक्ट) 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। शासन द्वारा कम संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों का विलय दूसरे विद्यालयों में करने से काफी बच्चे शिक्षा से वंचित होंगे, क्योंकि वो दूर पढ़ाई करने नहीं जा सकते है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत विश्व बैंक की सहायता से व खुद सरकार ने हर गांव व मजरे में प्राथमिक विद्यालय तथा हर दो किलोमीटर की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की है।

सरकारी स्कूलों में गरीब, मजदूर व किसान के बच्चे पढ़ाई करते हैं। विद्यालयों का विलय करने से गरीब परिवार एवं किसानों के बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कई गांव विद्यालय विहीन हो जाएंगे। विलय से प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों के काफी पद खत्म हो जाएंगे। 2015 से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं की गई है। दूसरी तरफ सरकारी स्कूल के 1 किलोमीटर के अंदर अन्य अधोमानक प्राइवेट स्कूलों को मान्यता प्रदान की जा रही है, जिससे छात्र संख्या घटना स्वाभाविक है। यदि विद्यालयों के विलय का आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो शिक्षक संघ आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

विद्यालयों के विलय के विरोध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने का चलेगा अभियान

लखनऊ: प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के विलय को लेकर शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने कहा है कि सरकारी स्कूल किसी भी कीमत पर बंद नहीं होने देंगे, क्योंकि यह गरीब बच्चों के शिक्षा के अधिकार पर हमला है। विद्यालयों के विलय से राज्य की साक्षरता दर गिरेगी, प्रदेश का विकास रुकेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी। डीएलएड प्रशिक्षित युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर खत्म हो जाएंगे और लाखों पद समाप्त हो सकते हैं। 

उन्होंने बताया कि विलय के खिलाफ 30 जून तक लगातार पूरे प्रदेश में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। एक किलोमीटर के दायरे में संचालित निजी स्कूलों की मान्यता रद करने की मांग करते हुए कहा कि इन स्कूलों की वजह से सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है।

मुख्य सचिव को पत्र भेजकर दर्ज कराया विरोध : इसी क्रम में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अपूर्व दीक्षित ने भी बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि आरटीई एक्ट के अनुसार हर एक किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय होना चाहिए। वर्तमान में ऐसा था भी किंतु विलय के निर्णय के बाद ऐसा नहीं होगा। उन्होंने इस निर्णय के विरोध में 24 जून से 2 जुलाई तक जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सीएम को पत्र भिजवाने की घोषणा की है। 



निर्णय वापस न हुआ तो आंदोलन के लिए होंगे बाध्य, स्कूलों के विलय के विरोध में उतरा शिक्षक संगठनों का संयुक्त मोर्चा, कम नामांकन वाले परिषदीय स्कूलों के विलय का विरोध बढ़ता जा रहा

कहा, स्कूलों के विलय से गरीब बच्चे होंगे पढ़ाई से वंचित

22 जून 2025
लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय स्कूलों के विलय का विरोध बढ़ता जा रहा है। शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशकों के संयुक्त मोर्चा ने शनिवार को ऑनलाइन बैठक कर इस निर्णय का विरोध किया। साथ ही यह भी कहा कि जल्द यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय सचिव दिलीप चौहान ने बताया कि विद्यालयों के विलय से वह बच्चे जो गरीब तबके से आते हैं, जिनके पास विद्यालय तक आने जाने का कोई संसाधन नहीं है। ऐसे बच्चे अपने घर के पास के विद्यालय में शिक्षा पाते थे, वे प्रभावित होंगे। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा कि सरकार विद्यालयों को मर्ज कर आरटीई एक्ट का उलंघन कर रही है।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि विद्यालय को बंद कर पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा से दूर रखने का विरोध करेंगे। यदि इस फैसले को वापस नहीं लिया जाता तो हम सब मिलकर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी व उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि विद्यालयों का विलय करना शिक्षकों और बच्चों के साथ घोर अन्याय होगा।

बैठक में शिक्षामित्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला व प्रदेश महामंत्री सुशील यादव, एफआरसीटी के संस्थापक महेंद्र कुमार वर्मा, विशिष्ट बीटीसी संगठन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा, अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने इसका विरोध किया। वहीं बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पांडेय ने कहा कि जो बीटीसी, बीएड किए लाखों युवा हर साल निकल रहे हैं, वह कहां जाएंगे।



कम संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों के मर्जर के खिलाफ जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा, 27 जून को BRC पर धरना की घोषणा 

20 जून 2025



बेसिक विद्यालयों के मर्जर का विरोध, युग्मन (पेयरिंग आफ स्कूल) का आदेश वापस न होने पर लखनऊ कूच करने की चेतावनी

शिक्षक संघ व बीटीसी संघ ने जताया विरोध, कई ग्राम प्रधानों ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

19 जून 2025
प्रयागराज : एक तरफ बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए डीएलएड प्रशिक्षित अभ्यर्थी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ विभाग ने कम छात्र नामांकन वाले विद्यालयों को निकटस्थ विद्यालय के साथ युग्मन (पेयरिंग आफ स्कूल) कर एक इकाई के रूप में संचालित करने पर कार्य शुरू कर दिया है। इस तरह इसे मर्जर बताकर शिक्षक संघ, बीटीसी संघ, डीएलएड प्रशिक्षित संघ एवं ग्राम प्रधानों ने इसका विरोध किया है। 

डीएलएड मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक तिवारी ने कहा है कि सरकार ने इस निर्णय को अविलंब वापस नहीं लिया तो विरोध में बेरोजगार प्रशिक्षु लखनऊ जाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। डीएलएड मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के बजाय सरकार बड़ी संख्या में परिषदीय विद्यालयों को बंद करने की तैयारी में है। कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को युग्मन करने का नाम देकर बंद करने की दिशा में बढ़ाया गया यह कदम विभाग की चाल है। विद्यालय बंद होने से शिक्षकों के सृजित पद घट जाएंगे और सरकार शिक्षकों की भर्ती नहीं करेगी। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। 

अध्यक्ष सहित राहलु यादव, लवकुश मौर्य, विशु यादव, पवन पाण्डेय आदि ने मांग की है यह आदेश तत्काल वापस लिया जाए। प्राथमिक विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाए। सात वर्षों से लंबित नई शिक्षक भर्ती तत्काल शुरू की जाए। इधर, बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पाण्डेय ने कहा है कि विद्यालयों को बंद करने के सरकार के प्रयास का विरोध गांव स्तर तक किया जाएगा। कई ग्राम प्रधानों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर विद्यालय बंद न करने की मांग की है।



परिषदीय स्कूलों के विलय के विरोध में कई जिलों के प्रधानों ने सीएम को लिखा पत्र, गांव-गांव अभियान चलाएंगे शिक्षक संगठन

17 जून 2025
लखनऊ । परिषदीय स्कूलों के विलय के विरोध में कई जिलों के ग्राम प्रधानों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है। गोरखपुर, चित्रकूट, रायबरेली, गाजियाबाद के ग्राम प्रधानों ने कहा है कि स्कूलों के विलय होने से बच्चों को एक-दो किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा। इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ सकता है, क्योंकि अभिभावक बच्चों को इतनी दूर नहीं भेजेंगे। वहीं ज्यादा दूर यात्रा करने से बच्चों के दुर्घटना की भी आशंका बनी रहेगी। बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पांडेय ने कहा कि प्रतियोगी छात्र इसके लिए अभियान चलाएंगे।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने परिषदीय स्कूलों के पेयरिंग के नाम पर विलय के विरोध में जन आंदोलन चलाने की घोषणा कर दी है। इस दौरान शिक्षक ग्राम पंचायत स्तर पर लोगों को विद्यालय मर्ज होने से बच्चों की शिक्षा पर पड़ने वाले दुष्परिणाम से अवगत कराएंगे। संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि विद्यालय विलय से काफी संख्या में बच्चों को हित प्रभावित होगा। संघ के हरिशंकर राठौर व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि प्रदेश में शिक्षको को बेवजह परेशान किया जा रहा है।



चौतरफा विरोध के बीच स्कूलों का विलय शुरू, शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी विरोध में उतरे, X पर भी चलाया सेव विलेज स्कूल अभियान

16 जून 2025
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के विरोध के बीच इसकी प्रक्रिया गति पकड़ रही है। इसके तहत गोरखपुर में एक विद्यालय के विलय का आदेश जारी कर दिया गया है। वहीं शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को उन्होंने एक्स पर सेव विलेज स्कूल के नाम से व्यापक अभियान चलाया।

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर करने की कवायद के बीच पिछले दिनों कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के बच्चों को पास के स्कूलों में शिफ्ट करने का निर्देश जारी किया गया है। इसे लेकर जिलों में काफी तेजी से कवायद चल रही है। इसी क्रम में गोरखपुर में प्राथमिक विद्यालय मिर्जवा बाबू को प्राथमिक विद्यालय रउतैनिया बाबू से (पेयरिंग) करने की संस्तुति की गई है।

वहीं बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पांडेय व डीएलएड मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विशु यादव ने स्कूलों के विलय का विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्र में नौनिहालों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि यह आरटीई एक्ट का भी उल्लंघन है। अगर सरकारी स्कूलों में नामांकन घट रहा है तो इसका समाधान शिक्षक और संसाधन बढ़ाकर किया जाए, न कि स्कूलों का विलय कर शिक्षकों के खाली पदों को भरा जाए। 

इसी क्रम में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी व प्रदेश महामंत्री उमाशंकर सिंह ने सरकार से छात्र, शिक्षा व शिक्षक को प्रभावित करने वाले इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है। साथ ही कहा है कि ऐसा न करने पर संघ बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों की एक किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्राइवेट स्कूल को मान्यता न देने का प्रावधान है। फिर भी विभागीय अधिकारी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। सरकार पहले अभियान चलाकर गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बंद करे।

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने आदेश की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह निर्णय ग्रामीण बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम इसी उद्देश्य से लागू हुआ था कि हर बच्चे को उसके घर के समीप विद्यालय मिले। आज उन्हीं स्कूलों को मर्ज करना न केवल छात्रों, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के संवैधानिक अधिकारों का ठाबंधन है। 

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि शासन ने यह आदेश तत्काल वापस नहीं लिया तो प्रदेश में शिक्षक संगठन जन आंदोलन खड़ा करेंगे और जरूरत पड़ी तो न्यायिक कार्रवाई भी की जाएगी। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए इसे स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ा कदम बताया।


मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निर्णय वापस लेने की मांग

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विद्यालयों के विलय के आदेश को वापस लेने की मांग की है। संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय सचिव दिलीप चौहान ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा और स्वास्थ्य होना चाहिए। यदि ऐसे विद्यालय बंद कर दिए जाएंगे तो गरीब और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को जरूरी शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। वहीं उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने भी इस निर्णय का विरोध करने की बात कही है। यह निर्णय छात्र व शिक्षक किसी के हित में नहीं है।



शिक्षक संगठनों ने बच्चों को दूसरे स्कूल भेजने का किया विरोध, कहा, इससे जुड़ा आदेश वापस नहीं हुआ तो करेंगे आंदोलन

15 जून 2025
लखनऊ। शासन द्वारा कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को पास के स्कूल में भेजने के आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा विद्यालयों की पेयरिंग के नाम पर जो परिषदीय विद्यालय बंद किए जा रहे हैं। यह न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) की मूल भावना का अतिक्रमण है, बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है।


उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि आरटीई के तहत गांव, मजरे में विद्यालय खोले गए थे ताकि हर बच्चे को उसके घर के पास शिक्षा मिल सके। आज उन्हीं विद्यालयों को मर्ज करना न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के अधिकारों का हनन है। शासन इस आदेश को तत्काल वापस ले। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो संघ जन आंदोलन करेगा।

उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के लखनऊ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि राजधानी के 445 विद्यालयों की प्रस्तावित पेयरिंग आदेश को तत्काल स्थगित किया जाए। विद्यालयों में संसाधनों और शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु और जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ लखनऊ के मनोज कुमार मौर्य ने भी कहा कि इसका विरोध किया जाएगा।