कोचिंग के दावों और स्कूलों की खामियों की के साथ डमी स्कूलों के उभार की जांच होगी, कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता की वजह खोजी जाएगी
समिति में आईआईटी समेत कई संस्थाओं के प्रतिनिधि
नई दिल्ली । नीट-जेईई समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थानों पर छात्रों की बढ़ती निर्भरता, प्रवेश परीक्षाओं की निष्पक्षता की जांच के लिए शिक्षा मंत्रालय ने नौ सदस्यीय समिति बनाई है। यह कोचिंग संस्थानों के दावों और स्कूलों की खामियों की भी समीक्षा करेगी।
उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी की अध्यक्षता वाली समिति कोचिंग सेंटरों पर छात्रों की निर्भरता घटाने के उपाय सुझाएगी। अफसरों ने कहा, यह देखने में आया है कि कोचिंग संस्थानों और 'डमी स्कूलों' का चलन कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के नाम पर कोचिंग उद्योग मोटी रकम वसूल रहे हैं।
शिक्षा प्रणाली की खामियों की जांच होगी: शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नवगठित समिति मौजूदा स्कूल शिक्षा प्रणाली में मौजूद उन खामियों की जांच करेगी, जिनके कारण छात्र कोचिंग जाने पर मजबूर हो जाते हैं। समिति गौर करेगी कि किस तरह रटने की प्रवृत्ति हावी है और आलोचनात्मक सोच, तार्किक विवेक, विश्लेषणात्मक क्षमता और नवाचार पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है।
समिति में निजी स्कूल के प्रतिनिधि भी
समिति में उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी अध्यक्ष और सदस्यों में सीबीएसई अध्यक्ष, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा विभागों के संयुक्त सचिव, आईआईटी मद्रास, एनआईटी त्रिची, आईआईटी कानपुर, एनसीईआरटी प्रतिनिधि, केवि, नवोदय, निजी स्कूल से एक-एक प्रिंसिपल शामिल हैं।
डमी स्कूलों का गणित
इंजीनियरिंग मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बड़ी संख्या में छात्र 'डमी' स्कूलों में दाखिला लेना पसंद करते हैं, ताकि वे केवल प्रतियोगी परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वे कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो जाते हैं। राज्य में आरक्षण का लाभ उठाने के लिए भी अभ्यर्थी 'डमी' स्कूल चुनते हैं। उदाहरण के लिए, जो अभ्यर्थी दिल्ली में स्कूली शिक्षा पूरी करते हैं, वे मेडिकल कॉलेजों में दिल्ली कोटे के लिए पात्र हो जाते हैं, इससे उन्हें राजधानी के 'डमी' स्कूलों में दाखिले के लिए प्रोत्साहन मिलता है। अफसर ने कहा, ऐसे डमी स्कूलों के उभरने के कारणों की जांच की जाएगी।
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