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Saturday, June 21, 2025

स्कूलों के विलय के अपने-अपने मानक, छात्रों की संख्या तय ही नहीं, बीएसए जिलों में अपने हिसाब से ले रहे निर्णय, सरप्लस शिक्षकों के मामले में विभागीय स्पष्टता नहीं होने से उहापोह

स्कूलों के विलय के अपने-अपने मानक, छात्रों की संख्या तय ही नहीं, बीएसए जिलों में अपने हिसाब से ले रहे निर्णय, सरप्लस शिक्षकों के मामले में विभागीय स्पष्टता नहीं होने से उहापोह 


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षक-छात्र अनुपात सही करने के लिए स्कूलों के विलय (पेयरिंग) की कवायद तो शुरू कर दी गई, लेकिन इसके मानक स्पष्ट नहीं किए गए। इसकी वजह से बीएसए इसके लिए अपने-अपने नियम चला रहे हैं।

वहीं जिन स्कूलों का विलय होगा, वहां के शिक्षकों-शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के बारे में भी विभाग ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। स्कूलों के विलय के लिए जारी निर्देश में कम छात्रों की कोई संख्या (मानक) नहीं बताया गया। इसकी वजह से जिलों में बीएसए कहीं 10, कहीं 20 तो कहीं 50 छात्र संख्या के आधार पर स्कूलों के विलय का निर्णय कर रहे हैं। उन्नाव में 10 से कम, मथुरा में 20 से कम, लखनऊ में 50 से कम छात्र वाले स्कूलों को विलय की सूची में लिया जा रहा है। विभाग की ओर से इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से इसमें एकरूपता नहीं आ पा रही है। इसके साथ ही विभाग ने बाल वाटिका (प्री प्राइमरी) में इस साल और पिछले साल नामांकित बच्चों का डाटा भी एकत्र करना शुरू कर दिया है।

इसमें यह देखा जा रहा है कि कहां पर ज्यादा बच्चे हैं। ज्यादा बच्चों वाली बाल वाटिका को खाली होने वाले स्कूल के आवंटन में प्राथमिकता दी जा सकती है।


सरप्लस शिक्षकों का क्या होगा

इसी तरह जिन स्कूलों के छात्र दूसरे स्कूल में जाएंगे, वहां के शिक्षकों का क्या होगा। वहीं अगर कम छात्र वाले स्कूल के शिक्षक भी दूसरे विद्यालय में भेजे गए और वहां स्थिति सरप्लस की होगी तो क्या होगा? इतना ही नहीं अगर दोनों विद्यालय में हेडमास्टर हैं तो क्या एक विद्यालय में दो हेडमास्टर होंगे? इसी तरह विद्यालयों में दो से ज्यादा शिक्षामित्र नहीं हो सकते हैं। इन सभी चीजों को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने से जिलों में ऊहापोह बना हुआ है।


स्थानीय स्तर पर कर रहे निर्णय

जिला स्तर पर जिला प्रशासन, स्कूल प्रशासन अभिभावकों से बात करके स्कूलों को एक करने की कवायद कर रहे हैं। वहीं शिक्षकों की समायोजन व तबादले की प्रक्रिया भी चल रही है। इसके बाद भी सरप्लस शिक्षक होंगे तो विभाग उस पर निर्णय करेगा। - कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा




प्रदेश में बेसिक स्कूलों का मर्जर शुरू पर छात्र संख्या तय नहीं, जिले के अधिकारी कर रहे 'मनमानी', कहीं 10 तो कहीं 50 से कम संख्या को बना रहे हैं आधार

लखनऊ : प्रदेश के कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का दूसरे स्कूलों में मर्जर (पेयरिंग) किया जा रहा है लेकिन यह तय नहीं है कि छात्र संख्या कितनी हो। यह स्थानीय अधिकारियों पर छोड़ दिया गया है कि वे कितनी छात्र संख्या पर स्कूलों का मर्जर करेंगे। यही वजह है कि कहीं 10 तो कहीं 20 और किसी जिले में 50 से कम छात्र संख्या को आधार मानकर मर्जर के आदेश दिए जा रहे हैं।


जिलों में अलग-अलग मानक 

हाल ही में प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया है कि स्कूलों में और बेहतर माहौल बनाने के लिए कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की दूसरे स्कूल में पेयरिंग की जाएगी। इस तरह एक स्कूल का दूसरे स्कूल में विलय किया जाएगा। प्रक्रिया पहले से चल रही थी। सूचनाएं मांगी जा रही थीं। शासन से आदेश होते ही स्कूलों का मर्जर शुरू भी हो गया है लेकिन यह तय नहीं है कि कितनी छात्र संख्या कम होने पर यह कार्यवाही की जाएगी। यही वजह है कि सभी बीएसए अपने स्तर से संख्या तय कर स्कूलों का मर्जर कर रहे हैं। 


मथुरा के बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों से जो प्रस्ताव मांगा है, उसमें उन्होंने 20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल का दूसरे स्कूल में विलय करने के आदेश दिए हैं। इसी तरह उन्नाव के बीएसए ने 10 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के विलय के आदेश दिए लेकिन उसी जिले में बीघापुर ब्लॉक में विलय होने वाले स्कूलों की लिस्ट जारी की गई तो उसमें 50 से कम छात्र संख्या को आधार बनाया गया। कासगंज और बदायूं में 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के एकीकरण के आदेश दिए गए हैं।


पेयरिंग के लिए कोई बाध्यता नहीं है। जहां अभिभावक सहमत हैं, वहीं पेयरिंग की जाएगी। डीएम और बीएसए जिले को बेहतर समझते हैं। शासनादेश में कोई संख्या या टारगेट नहीं तय किया गया है। कंचन वर्मा, महानिदेशक-स्कूल शिक्षा


असहमति भी सामने आ रही : कई जिलों में स्कूल प्रबंधन समिति और ग्राम पंचायतों की बैठक कर मर्जर पर असहमति भी जताई गई है। गाजियाबाद के प्राथमिक विद्यालय उजैड़ा दो में विद्यालय प्रबंधन समिति ने बैठक कर असहमति जताई है और बीईओ को पत्र लिखा है। लखनऊ के चिनहट ब्लॉक में पल्हरी ग्राम पंचायत की बैठक हुई। इसमें स्कूलों की पेयरिंग का विरोध किया गया है। गोरखपुर सहित कुछ और जिलों में भी ग्रामीणों ने असहमति जताई है। 

इस बारे में प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह का कहना है कि विलय का कोई कारण या सकारात्मक सोच समझ नहीं आ रही। कोई आधार या कोई मानक तो होना चाहिए। वहीं, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि विलय होना ही गलत है।

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