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Saturday, August 2, 2025

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, प्रयागराज द्वारा सत्र 2025-26 में विषय चयन सम्बन्धी आवश्यक निर्देश जारी

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, प्रयागराज द्वारा सत्र 2025-26 में विषय चयन सम्बन्धी आवश्यक निर्देश जारी 


आंगनबाड़ी केंद्रों से घरेलू राशन और गर्म पके भोजन की जगह पर सूखा राशन देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

आंगनबाड़ी केंद्रों से घरेलू राशन और गर्म पके भोजन की जगह पर सूखा राशन देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नवजात बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं (धात्रियों) घरेलू राशन और गर्म पके भोजन की जगह पर सूखा राशन देने पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम  2013 के प्रावधानों का समयबद्ध तरीके से तरह पालन करे और घरेलू राशन व गर्म पके भोजन की आपूर्ति की उपलब्धता 2022 के नियमों के तहत सख्ती से सुनिश्चित करे।


न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश शिप्रा देवी व प्रत्यूष रावत की जनहित याचिकाओं को निस्तारित करके दिया। याचियों ने आंगनवाड़ी केंद्रों को आपूर्ति करने वाले पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता समेत इसके वितरण में कथित धांधली का मुद्दा उठाया था। साथ ही केंद्रों के संचालन, पोषाहार आपूर्ति व निगरानी करने का आग्रह किया है। 


याचियों का कहना था कि प्रदेश में कुल 1,89,140 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। इनमें 1,78,706 कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। 31 अक्तूबर 2024 तक इन केंद्रों से 2 करोड़ 22 लाख 33 हजार 550 लाभार्थी जुड़े हैं।


कोर्ट ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को वरीयता देना एवं महिलाओं का सशक्तीकरण सरकार का स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह सशक्तीकरण ग्राम पंचायतों की सहभागिता से होना चाहिए। 

कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पोषाहार वितरण के पोर्टल पोषण ट्रैकर पर सही जानकारी अपलोड कराने के निर्देश दिए हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों पर रखे रजिस्टरों में भी जानकारी दर्ज करने को कहा है। 

रिंकू सिंह के बीएसए बनने में लगा ब्रेक, शैक्षिक योग्यता के चलते फाइल अटकी


रिंकू सिंह के बीएसए बनने में लगा ब्रेक, शैक्षिक योग्यता के चलते फाइल अटकी

01 अगस्त 2025
क्रिकेटर रिंकू सिंह को एक महीने में दूसरा झटका लगा है। पहले बीएसए बनने के लिए चल रही प्रक्रिया रुक गई। अब चुनाव आयोग ने उन्हें मतदाता जागरूकता अभियान से हटा दिया है। चुनाव आयोग ने उन्हें मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचन सहभागिता कार्यक्रम का आईकन नामित किया था। समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज से सगाई के कारण चुनाव आयोग ने शुक्रवार को उन्हें अपने कार्यक्रम से अलग करने का फैसला किया। हालांकि बीएसए बनाने के लिए फाइल रोके जाने के पीछे रिंकू सिंह की शैक्षिक योग्यता को कारण बताया गया था। पिछले दिनों रिंकू सिंह की फाइल सीएम योगी के सामने रखी गई थी। उसके बाद फाइल रोक दी गई है।


दरअसल खेलों के लिए सुविधाओं के विकास और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। विगत आठ सालों में एक तरफ ग्रामीण स्तर तक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ है तो दूसरी तरफ पदक विजेता खिलाड़ियों को सम्मानजनक पुरस्कार राशि देने के साथ उन्हें सरकारी नौकरी की सुविधा दी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों के माध्यम से देश-प्रदेश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने के मामले में उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य बना हुई है।

इसी क्रम में एक माह पहले पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने 11 खिलाड़ियों को विभिन्न विभागों में नौकरी ऑफर किया था। इसमें रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर जॉइनिंग करने की स्वीकृति दी गई थी। इसके बाद रिंकू सिंह से तमाम दस्तावेज मांगे गए थे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि रिंकू सिंह की फाइल मुख्यमंत्री के समक्ष रखी गई थी, पर शैक्षिक योग्यता न होने से रोक दी गई है।

बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल का कहना है कि रिंकू सिंह से उनकी शैक्षिक योग्यता के डॉक्यूमेंट प्रस्तुत करने के लिए पत्र भेजा गया था। इसके बाद पूरी फाइल मुख्यमंत्री को संस्तुति के लिए भेजी गई थी। लेकिन शैक्षिक योग्यता की कमी के चलते फाइल रोक दी गई। उनका कहना है कि अभी उनके नौकरी की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। आगे जो भी निर्देश होंगे, उससे अवगत कराया जाएगा।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार बीएसए पद पर तैनाती के लिए अभ्यर्थी को पोस्ट ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। रिंकू सिंह केवल आठवीं पास है। यदि इस पद पर नियुक्ति मिल भी जाती तो उन्हें सात साल के अंदर पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल करनी पड़ती। पर उनकी मौजूदा शैक्षिक योग्यता और सरकार द्वारा तय समय अवधि की सीमा में योग्यता पूरी करना संभव नहीं दिखता है। यही वजह है कि उनकी नियुक्ति को फिलहाल रोक दी गई है।




क्रिकेटर रिंकू सिंह के बीएसए बनने की राह में नियमावली का रोड़ा, तैनाती का अभी अंतिम फैसला नहीं
 
27 जून 2025
क्रिकेटर रिंकू सिंह के बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) बनने की राह में अभी कई मुश्किलें हैं, जिसे दूर करना उनके लिए आसान नहीं होगा। बीएसए की नियमावली उनकी प्रस्तावित नौकरी की राह में सबसे बड़ी अड़चन बन सकती है। क्योंकि बीएसए की नियमावली के अनुसार इस पद के लिए पोस्ट ग्रेजुएट होना अनिवार्य है जबकि क्रिकेटर ने अभी हाईस्कूल भी पास नहीं किया है। 


शैक्षिक अर्हता पूरी करने के लिए सात वर्षों की शिथिलता का प्रावधान है, जिसका लाभ लेने के बाद भी रिंकू सिंह इस पद के लिए जरूरी शैक्षिक अर्हता पूरी नहीं कर सकेंगे क्योंकि वर्तमान समय के हिसाब से भी अगर गणना की जाए तो पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने में उन्हें कम से कम आठ वर्ष लगेंगे जो शिथिलता वाली अवधि से अधिक है।

जानकारों का कहना है कि प्रदेश के अन्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दिए जाने की नीति के तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने जिन सात खिलाड़ियों को श्रेणी-2 के अधिकारियों के पदों पर नियुक्ति करने की संस्तुति की है। उसमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रिंकू सिंह का नाम तो प्रमुखता से है लेकिन उन्हें बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात करने के प्रस्ताव पर विभाग में उच्च स्तर पर अभी कोई अन्तिम निर्णय नहीं हो सका है। ऐसे में मशहूर क्रिकेटर रिंकू सिंह की नियुक्ति वाले विभाग में बदलाव किए जाने की भी सम्भावना व्यक्त की जा रही है।


सात खिलाड़ियों को बनाया जाना है राजपत्रित अधिकारी

बुधवार को क्रिकेटर रिंकू सिंह समेत सात खिलाड़ियों को यूपी अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता भर्ती नियमावली-2022 के नियम-7 के तहत श्रेणी-2 के राजपत्रित अधिकारी के पद पर नियुक्ति किए जाने संबंधी पत्रों के वायरल होने के बाद इस पर चर्चा का माहौल गरम है। पत्र के अनुसार क्रिकेटर रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षा अधिकारी बनाए जाने के साथ छह अन्य खिलाड़ियों को भी राजपत्रित अधिकारी के पद पर नियुक्ति किए जाने की जानकारी दी गई थी।



Cricketer Rinku Singh: क्रिकेटर रिंकू सिंह सीधी भर्ती से बनेंगे BSA, कई अन्य खिलाड़ी भी पाएंगे नियुक्ति

25 जून 2025
लखनऊ। टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर रिंकू सिंह बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षा अधिकारी बनेंगे। खेल विभाग की अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती के तहत उन्हें इस पद पर तैनाती दी जाएगी। इसके लिए विभाग ने आवश्यक तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही रिंकू सिंह को पत्र भेजकर इससे जुड़ी आवश्यक औपचारिकता पूरी करने को कहा है। 


क्रिकेटर रिंकू सिंह भारतीय टी-20 टीम के सदस्य हैं। मूल रूप से अलीगढ़ निवासी रिंकू सिंह की हाल ही में समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज के साथ सगाई हुई है। जल्द ही उनकी शादी की तिथि भी तय की जाएगी। पिछले दिनों मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती के खाली पदों को भरने के लिए चयन समिति की बैठक हुई। इसमें खाली पदों के सापेक्ष सात खिलाड़ियों व एथलीट को विभिन्न विभागों में नियुक्त करने की संस्तुति की गई। इसमें रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग में बीएसए, पैरा एथलीट प्रवीण कुमार को गृह विभाग में पुलिस उप अधीक्षक, हॉकी खिलाड़ी राजकुमार पाल को गृह विभाग में पुलिस उपाधीक्षक पद पर नियुक्ति की संस्तुति की गई। 


इसी क्रम में पैरा एथलीट अजीत सिंह को पंचायती राज विभाग में जिला पंचायती राय अधिकारी, पैरा एथलीट सिमरन को पंचायती राज विभाग में जिला पंचायती राज अधिकारी, पैरा एथलीट प्रीति पाल को ग्रामीण विकास विभाग में खंड विकास अधिकारी, एथलीट किरन बालियान को वन विभाग में क्षेत्रीय वन अधिकारी के रूप में तैनाती की संस्तुति दी गई। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव मनीष चौहान की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि इन आवेदकों से उनकी शैक्षिक अर्हता से जुड़ी जानकारी ली जाएगी। 


इन्स्पायर मानक योजनान्तर्गत राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड अन्तर्गत संचालित विद्यालयों द्वारा विद्यालय स्तर से अधिक ऑनलाईन नामांकन एवं प्रतिभागिता हेतु प्रत्येक स्तर पर प्रभावी एवं समयबद्ध गुणवत्तापरक कार्यवाही तथा विलम्बतम दिनांक 15 सितम्बर, 2025 तक 05 पात्र विद्यार्थियों के सर्वश्रेष्ठ विचारों के ऑनलाईन नामांकन कराये जाने के संबंध में।

इन्स्पायर मानक योजनान्तर्गत राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड अन्तर्गत संचालित विद्यालयों द्वारा विद्यालय स्तर से अधिक ऑनलाईन नामांकन एवं प्रतिभागिता हेतु प्रत्येक स्तर पर प्रभावी एवं समयबद्ध गुणवत्तापरक कार्यवाही तथा विलम्बतम दिनांक 15 सितम्बर, 2025 तक 05 पात्र विद्यार्थियों के सर्वश्रेष्ठ विचारों के ऑनलाईन नामांकन कराये जाने के संबंध में।



प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वेतन वितरण अधिनियम 1971 की धारा-3(3) के अन्तर्गत वेतन भुगतान किए जाने के सम्बन्ध में।

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वेतन वितरण अधिनियम 1971 की धारा-3(3) के अन्तर्गत वेतन भुगतान किए जाने के सम्बन्ध में

Friday, August 1, 2025

हर बच्चे की होगी निगरानी बाल श्रम पर प्रभावी अंकुश लगाने की पहल, दिसम्बर 2026 तक आकांक्षी जनपदों को बाल श्रम से मुक्त करने का लक्ष्य, बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़ेंगे सभी जिले

पंचायत स्तर पर तैयार होगा कामकाजी और प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का डाटा

हर बच्चे की होगी निगरानी बाल श्रम पर प्रभावी अंकुश लगाने की पहल

दिसम्बर 2026 तक आकांक्षी जनपदों को बाल श्रम से मुक्त करने का लक्ष्य 

बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़ेंगे सभी जिले


लखनऊ। श्रम विभाग ने राज्य को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कराने के लिए चरणबद्ध रणनीति बनाई है। विभाग की इस कार्ययोजना के केंद्र में महिला एवं बाल विकास विभाग को रखा गया है जो संकटग्रस्त बच्चों की पहचान कर पुनर्वास करेगा। पंचायत स्तर पर कामकाजी बच्चों और प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का डाटा एकत्र किया जाएगा ताकि कोई भी बच्चा निगरानी से न छूटे।


सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2026 तक प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा। कानपुर मंडल और देवीपाटन मंडल में भी विशेष अभियान चलाया जाएगा।

महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत वन स्टॉप सेंटर, बाल सेवा योजना और स्पॉन्सरशिप योजना जैसी योजनाओं को बाल श्रमिकों के पुनर्वासन में उपयोग में लाया जाएगा।

वन स्टॉप सेंटर अब संकट में फंसे बच्चों को न सिर्फ अस्थायी आश्रय देंगे, बल्कि उनकी पहचान, स्वास्थ्य जांच, परामर्श और समाज में पुनर्स्थापन की भी व्यवस्था करेंगे।


बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़ेंगे सभी जिले

बाल सेवा योजना के तहत अनाथ, परित्यक्त और संकटग्रस्त बच्चों को वित्तीय सहायता दी जाती है। योजना के तहत सरकार ऐसे बच्चों को 2500 रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराती है। स्पॉन्सरशिप योजना से कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के बच्चों को प्रतिमाह सहयोग राशि दी जाती है। बाल श्रमिक विद्या योजना का विस्तार अब सभी 75 जिलों में किया जाएगा। इस योजना के तहत काम में लगे बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ा जाएगा और उन्हें छात्रवृत्ति, पुस्तकें, यूनिफॉर्म और विशेष शिक्षण सहायता दी जाएगी।