शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने की मांग, विधान परिषद में मुद्दा प्रमुखता से उठा
शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने उठाया मुद्दा, आश्वासन न मिलने पर किया वॉकआउट
लखनऊ। विधान परिषद में बुधवार को माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने का मुद्दा प्रमुखता से उठा। शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने कहा कि इससे शिक्षकों का शोषण बढ़ गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने भी उनका समर्थन किया। माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाव देवी ने कहा कि नियमों में संशोधन की कोई आवश्यकता नजर नहीं आ रही है। इस पर ध्रुव त्रिपाठी ने सदन से वॉकआउट किया।
ध्रुव त्रिपाठी ने कार्यस्थगन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि शिक्षकों की सेवा शर्तों को शिक्षा सेवा चयन आयोग के दायरे से बाहर रखा गया है। रद्द किए गए चयन बोर्ड अधिनियम में स्पष्ट व्यवस्था थी कि बोर्ड के अनुमोदन के बिना दंड की कोई भी कार्यवाही शून्य होगी। जो आयोग चयन करता है, दंड भी वही देता है। लेकिन, शिक्षकों के मामले में ऐसा नहीं रह गया है इसलिए रद्द किए गए चयन बोर्ड के अधिनियम की धाराएं 12, 18 और 21 को मूल रूप से इंटरमीडिएट एक्ट में प्रतिस्थापित किया जाए।
भाजपा के उमेश द्विवेदी, श्रीश चंद्र और देवेंद्र प्रताप सिंह समेत कई सदस्यों ने भी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा संबंधी की इस मांग का समर्थन किया। नेता विरोधी दल लाल बिहारी यादव ने भी कहा कि ध्रुव त्रिपाठी ने महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि अगर शिक्षक डीआईओएस की कार्रवाई से असंतुष्ट है तो उसके खिलाफ मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक के यहां अपील कर सकता है। उमेश द्विवेदी ने कहा कि शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार किसी एक अधिकारी को नहीं, बल्कि कमेटी को होना चाहिए।
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