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Tuesday, August 26, 2025

जूनियर हाई स्कूलों में ग्रह, उपग्रह के साथ चंद्रयान मिशन की होगी पढ़ाई

जूनियर हाई स्कूलों में ग्रह, उपग्रह के साथ चंद्रयान मिशन की होगी पढ़ाई


लखनऊ। प्रदेश के जूनियर हाई स्कूलों के स्मार्ट क्लासों में अगले सत्र से ग्रह, उपग्रह और ब्रह्मांड के साथ-साथ गगनयान व चंद्रयान मिशन की भी पढ़ाई होगी। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) जल्द ही अंतरिक्ष से जुड़े तथ्यों पर आधारित कोर्स तैयार करेगा।

इस कोर्स में भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े प्रसंग को भी शामिल किया जाएगा। राज्य सरकार जूनियर हाईस्कूलों के विद्यार्थियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी के तर्ज पर यह कोर्स तैयार करने की जिम्मेदारी एससीईआरटी को सौंपने जा रही है। 


बताया जाता है कि शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष यात्रा के बाद से अंतरिक्ष विज्ञान को समझने पर रहेगा फोकस सूत्र बताते हैं कि प्रस्तावित कोर्स में अंतरिक्ष विज्ञान को आसानी से समझने पर फोकस किया जाएगा। साथ ही किशोर विद्यार्थियों के लिए यह उबाऊ न बन जाए इसके लिए ऑडियो-वीडियो के रूप में भी कोर्स का कुछ हिस्सा रखे जाने पर सहमति बनी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार चाहती है कि स्कूली छात्र-छात्राएं किताबी ज्ञान अर्जित करते हुए विज्ञान और तकनीक को भी व्यावहारिक रूप से समझें ताकि स्कूली बच्चों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति गहरी रुचि पैदा हो।


बच्चों को विज्ञान से जोड़ने के लिए चल रही कवायद

जानकारों की मानें तो शिक्षा विभाग पहले ही स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, ड्रोन और रोबोटिक्स लैब जैसी पहलों से बच्चों को नई तकनीकों से जोड़ने में लगा है। नए कोर्स से उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान की नई उड़ान समझने का अवसर प्रदान किया जाएगा, जिससे स्कूली छात्र-छात्राओं में शोध व नवाचार की नया मार्ग प्रशस्त करेगा।

किशोरों एव युवाओं में अंतरिक्ष और उससे जुड़ी प्रौद्योगिकियों के प्रति बढ़ती जिज्ञासाओं को देखते हुए सरकार ने जूनियर हाईस्कूल स्तर से ही इसकी पढ़ाई शुरू कराने का निर्णय किया है ताकि अधिक से अधिक युवा इस क्षेत्र का रुख कर सकें।

इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने एससीईआरटी को इसका सरल कोर्स तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। नए कोर्स में चंद्रयान, आदित्य-एल-1 और गगनयान जैसे मिशनों की पूरी जानकारी छात्र-छात्राओं के साथ साझा करने को कहा गया है। तय किया गया है कि कुछ हिस्सा ऑडियो-वीडियो रूप में तैयार किया जाए जिससे युवाओं में रूचि बरकरार रहे।

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