'केंद्रीय स्कूलों में संविदा पर न हो नियुक्ति' – संसदीय समिति ने रिपोर्ट में लगभग 10 लाख रिक्त शिक्षक पदों पर जताई चिंता
NCTE में 2019 से 15 जून 2025 तक कोई भी स्थायी नियुक्ति न होने पर सवाल
समिति ने कहा, केवी और नवोदय विद्यालयों में भी 30 से 50% तक रिक्तियां
नई दिल्लीः संसदीय पैनल ने स्कूली शिक्षा समेत दूसरे संस्थानों में शिक्षकों के लाखों खाली पदों और अनुबंध के आधार पर भर्ती पर गंभीर चिंता जताई है। शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में पेश 368वीं रिपोर्ट में कहा है कि देश के स्कूलों में शिक्षकों के करीब 10 लाख पद रिक्त हैं।
देश में 14.8 लाख स्कूलों में से भारत सरकार करीब 3000 स्कूलों का ही संचालन करती है लेकिन समिति ने पाया है कि केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में भी रिक्तियों का स्तर चिंताजनक है। केवी और नवोदय विद्यालयों में भी कुल मिलाकर 30 से 50% तक रिक्तियां हैं। समिति ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित केवी, नवोदय विद्यालयों में संविदा की जगह 31 मार्च 2026 तक शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति हो। समिति ने कहा कि स्कूलों में संविदा वाली नियुक्तियां रोकी जाएं।
'राज्यों की फंडिंग रोकी जाए': संसदीय पैनल ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के जरिए पैसा पाने वाले स्कूलों में प्रारंभिक और प्राथमिक स्तर पर ही 7.5 लाख रिक्तियां हैं। रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति करने के निर्देशों को नहीं मानने वाले राज्यों की सर्व शिक्षा अभियान के तहत फंडिंग (अध्यापक निधि) कतब तक रोकी जाए, जब तक वे निर्देशों का पालन नहीं कर लेते।
NCTE पर भी सवालः नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) में 2019 से 15 जून 2025 तक टीचिंग, नॉन टीचिंग और प्रशासनिक कर्मचारियों की कोई भर्ती नहीं होने के मसले को भी समिति ने गंभीर बताया है।
'यूनिवर्सिटी को मिले आजादी': समिति का मानना है कि यूनिवर्सिटीज को अपना पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए केवल 30% छूट के बजाए ज्यादा आजादी दी जानी चाहिए।
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