नए महाविद्यालयों को खोले जाने के लिए जरूरी मानकों में होंगे महत्वपूर्ण बदलाव, समिति करेगी पुराने नियमों की समीक्षा, नए सिरे से जारी किए जाएंगे दिशानिर्देश
महाविद्यालयों में नए विषय शुरू करने के मानकों में होगा बदलाव
प्रयागराज। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों व उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में नए विषय शुरू करने के मानकों में बदलाव होने जा रहा है। इसके साथ ही कॉलेजों की संबद्धता एवं अन्य वित्तीय व प्रशासनिक नियमों में भी व्यापक रूप से बदलाव किए जाएंगे। इसके लिए शासन ने छह सदस्यीय समिति का गठन किया है जो पुराने शासनदेशों की समीक्षा के बाद एक नया शासनादेश तैयार करेगी।
दरअसल, प्रदेश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है। ऐसे में नए विषयों व नए कॉलेजों की संबद्धता, पुराने कॉलेजों में नए विषयों की संबद्धता संबंधी मानकों में बदलाव करने की आवश्यकता को देखते हुए शासन ने पुराने शासनदेशों की समीक्षा करते हुए मानकों का नए सिरे से निर्धारण करने का निर्णय लिया है।
इसके साथ ही विभिन्न संकाय/पाठ्यक्रमों के लिए संस्था की आर्थिक स्थिति के मानकों को व्यावहारिक व प्रासंगिक बनाया जाना है। उप सचिव राम जनम चौहान की से जारी आदेश में कहा गया है कि बदलाव के लिए पूर्व में जारी शासनादेशों की समीक्षा के बाद एक स्पष्ट शासनादेश निर्गत किए जाने के लिए छह सदस्यीय समिति के गठन का निर्णय लिया गया है।
समिति अकादमिक गतिविधियों से संबंधित पूर्व में जारी किए गए शासनादेशों की समीक्षा के साथ ही शिक्षण संस्थान के इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय स्थिति से संबंधित शासनादेशों की समीक्षा भी करेगी। समिति एक माह में रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग का सौंपेगी और इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर मानकों से संबंधित एक नया शासनादेश जारी किया जाएगा।
छह सदस्यीय समिति में प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. विवेक कुमार सिंह को भी बतौर सदस्य शामिल किया गया है। उच्च शिक्षा निदेशक को समिति का अध्यक्ष व क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी को सदस्य सचिव बनाया गया है। इनके अलावा समिति के सदस्यों में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलसचिव, मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय मिर्जापुर के कुलसचिव और उच्च शिक्षा निदेशालय के वित्त नियंत्रक शामिल हैं।
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