बिना ठोस कारण बताए अचानक सेवा से बर्खास्तगी नहीं की जा सकती : हाईकोर्ट
वाराणसी में तैनात सहायक प्रोफेसरों की बर्खास्तगी का मामला
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दो दशक तक लगातार कार्य करने के बाद सहायक प्रोफेसरों को बिना ठोस कारण बताए सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। बर्खास्तगी आदेश में तार्किक कारणों का उल्लेख भी किया जाना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने वाराणसी के अग्रसेन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में तदर्थ रूप से कार्यरत सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा तिवारी समेत आठ अन्य की ओर से दाखिल याचिका निस्तारित कर दी।
कोर्ट ने महाविद्यालय प्रशासन को याचियों के बर्खास्तगी आदेश पर पुनर्विचार कर नए सिरे से तार्किक व नियमानुसार आदेश पारित करने का आदेश दिया है। याचियों की दलील है कि वे लंबे समय से कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। 2019 में वित्तीय कारणों का हवाला देकर पदों को नियमित भर्ती से भरे जाने का तर्क देते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। कोर्ट ने इसे अनुचित बताया और कहा कि जो शिक्षक इतने लंबे समय तक कॉलेज में सेवाएं देते रहे, उन्हें एक ही दिन में बिना कारण बताए बर्खास्त नहीं किया जा सकता।
No comments:
Write comments