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Monday, October 27, 2025

शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर पेश की विरोधाभासी तस्वीर

8,000 स्कूलों में एक छात्र नहीं, पर तैनात हैं 20,000 शिक्षक

दूसरी तरफ, देश में एक लाख से अधिक ऐसे स्कूल हैं जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे एवं उनमें पढ़ते हैं 33 लाख से अधिक छात्र

शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, शून्य नामांकन वाले सबसे अधिक 3,812 स्कूल पश्चिम बंगाल में हैं जहां 17,965 शिक्षकों की तैनाती


नई दिल्लीः स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर उठते सवाल के बीच शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में शिक्षकों की असमान तैनाती को लेकर गंभीर सवाल उठाए है। साथ ही, राज्यों को आईना दिखाने के लिए दो तस्वीर भी पेश की है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में करीब 8,000 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी बच्चे का नामांकन नहीं है, लेकिन फिर भी उन स्कूलों में 20 हजार से अधिक शिक्षकों की तैनाती है। यानी, ऐसे स्कूलों में औसतन ढाई शिक्षक हैं जो बैठे-बैठे ही वेतन पा रहे हैं। दूसरी ओर, देश में एक लाख से अधिक ऐसे स्कूल हैं जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है और जिसमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 33 लाख से अधिक है।


शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर यह विरोधाभासी तस्वीर तब पेश की है, जब वह सभी राज्यों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल में तेजी से जुटी है। शिक्षा और स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती पूरी तरह से राज्य का विषय है। बावजूद इसके, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का लगातार इस बात पर जोर रहता है कि स्कूलों में छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते हुए छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर रखा जाए। इसमें प्रत्येक 30 छात्र पर कम से कम एक शिक्षक होना जरूरी है। आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में प्रत्येक 25 बच्चों पर कम से कम एक शिक्षक की तैनाती देने की सिफारिश है।

शिक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यों के स्कूलों की स्थिति पर तैयार की गई 2024-25 की रिपोर्ट में शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले काफी सुधार हुआ है। इससे पहले ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 13 हजार थी, जो अब 7,993 रह गई है। इनमें शून्य नामांकन वाले सबसे अधिक 3,812 स्कूल अकेले पश्चिम बंगाल के हैं जिनमें 17,965 शिक्षकों की तैनाती है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती हमेशा से विवादों में रही है। यह इस ओर भी संकेत करता है कि वहां राजनीति साधने के लिए बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती हो रही है। इसके साथ ही तेलंगाना में 2,245, मध्य प्रदेश में 463, कर्नाटक में 270, तमिलनाडु में 311, झारखंड में 107, जम्मू-कश्मीर में 146, उत्तर प्रदेश में 81 और उत्तराखंड में 39 स्कूल शून्य नामांकन वाले हैं। इन स्कूलों में एक भी छात्र का नामांकन नहीं है, फिर भी इनमें 20,817 शिक्षकों की तैनाती दी गई है।

वहीं, देश में एकल शिक्षक वाले स्कूलों की सर्वाधिक संख्या (12,912) आंध्र प्रदेश में है, जबकि 9,508 स्कूलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्रालय हर साल सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट तैयार करता है जिसका ब्यौरा राज्य खुद देते हैं। जरूरत पड़ने पर शिक्षा मंत्रालय की ओर से थर्ड पार्टी सर्वेक्षण भी कराया जाता है।

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